‘लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं’

लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं, यह कहना है संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक, डॉ. त्लालेंग मोफ़ोकेंग का।

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Friday, 27 June, 2025
Gender equality


शोभा शुक्ला, सिटीजन न्यूज़ सर्विस।।

लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं, यह कहना है संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक, डॉ. त्लालेंग मोफ़ोकेंग का। यदि सतत विकास लक्ष्यों पर सबके लिए खरा उतरना है तो हमें सभी लक्ष्यों पर खरा उतरना होगा। यदि सरकारें चंद लक्ष्यों की ओर कार्य करेंगी और बाक़ी को नज़रअंदाज़ करेंगी, तो हम सभी लक्ष्यों पर असफल होंगे क्योंकि सतत विकास लक्ष्य तो एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

आईपीपीएफ की डॉ. हरज्योत खोसा ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, समाज के हाशिए पर रह रहे समुदाय के लोगों ने सबसे अधिक त्रासदी झेली क्योंकि वह स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और जेंडर न्याय संबंधित सभी तरह की सेवाओं से वंचित हो गए थे। कोविड के दौरान महिला हिंसा बढ़ रही थी। यदि हम समाज के हाशिए पर रह रहे लोगों को स्वास्थ्य व्यवस्था को परिवर्तित और सुधारने में शामिल करेंगे तो ही वह जेंडर न्याय और मानवाधिकार के मापदंडों ने अनुकूल बन सकेगी। वह 78वें विश्व स्वास्थ्य असेंबली के दौरान जिनेवा में आयोजित एक विशेष सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस सत्र को आयोजित करने में ग्लोबल सेंटर फॉर हेल्थ डिप्लोमेसी एंड इंक्लूज़न, सीएनएस, आईपीपीएफ, आदि संगठनों का योगदान रहा।

क्या स्वास्थ्य प्रणाली जेंडर संवेदनशील है? डॉ. हरज्योत खोसा ने कहा कि यह विवेचना करनी चाहिए कि क्या हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था जेंडर संवेदनशील है? क्या वह सिर्फ़ 'पारंपरिक रूप से सही' शादीशुदा महिला और पुरुष के लिए संवेदनशील है और बाक़ी विभिन्न जेंडर के लोगों के लिए या जिन्होंने शादी या बच्चे न करने का निर्णय लिए है, उनके लिए भी संवेदनशील है? स्वास्थ्य व्यवस्था में भी पित्तरात्मकता व्याप्त है इसीलिए इसका ईमानदारी से मूल्यांकन कर के इसको सुधारने की ज़रूरत है जिससे कि कोई भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।

डोमिनिकन रिपब्लिक के डॉ. एलिज़र लपोट्स एब्रो जो हेल्थ हॉरिज़न्स से जुड़े हैं, ने कहा कि उनके मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इसलिए मना कर दी जाती है क्योंकि या तो वह स्थानीय भाषा नहीं बोलतीं या फिर उनके पास नागरिकता के पूरे दस्तावेज़ नहीं हैं। डॉ. एलिज़र के एक महिला मरीज़ को सर्वाइकल कैंसर का इलाज सरकारी अस्पताल में मना हो गया क्योंकि उसको स्थानीय भाषा नहीं आती थी। जब, अनुवादक साथ गया तो सरकारी अस्पताल ने कहा कि नागरिकता के दस्तावेज़ के बिना कैंसर का इलाज नहीं मिलेगा।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज या यूएचसी का क्या मायने हैं यदि हम भेदभाव करेंगे और जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को नहीं देंगे?

पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल के बाबा आए ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली मृत्यु में से 13% सिर्फ़ असुरक्षित गर्भपात के कारण होती हैं। दो-तिहाई स्वास्थ्य-कर्मी महिला हैं पर कई देशों की कानून और व्यवस्था ने सुरक्षित गर्भपात पर प्रतिबंध लगा रखा है।

लेप्रोसी (कुष्ठ रोग), जेंडर न्याय, मानवाधिकार और सतत विकास: लेप्रोसी या कुष्ठ रोग, जिसे "हैनसेन रोग" के नाम से भी जाना जाता है, एक पुरानी बीमारी है जो सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही है और कलंक तथा गलत धारणाओं में लिपटी हुई है। यह एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो माइको-बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के कारण होता है।

कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (बहु-औषधि चिकित्सा) से संभव है। रोग की गंभीरता को देखते हुए यह इलाज 1 से लेकर 2 वर्षों तक चल सकता है। लेकिन अगर इस रोग का शुरुआती चरण में पता नहीं लगाया जाता और इलाज नहीं किया जाता है, तो प्रभावित व्यक्ति में स्थायी विकलांगता और विकृति हो सकती है, जिनके चलते समुदाय में ऐसे व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति भेदभाव व्याप्त होता है। यदि कुष्ठ रोग की जल्दी जांच हो, सही इलाज बिना-विलंब मिले, तो शारीरिक विकृति भी नहीं होती और सही इलाज शुरू होने के 72 घंटे बाद से रोग फैलना भी बंद हो जाता है।

तब क्यों कुष्ठ रोगियों को भेदभाव और शोषण झेलना पड़ता है? कुष्ठ रोग का इलाज पूरा कर चुकी सुश्री माया रनवाड़े जो एसोसिएशन फॉर पीपल अफेक्टेड बाय लेप्रोसी की अध्यक्ष हैं, ने कहा कि कुष्ठ रोग से गुज़र चुकी लड़कियों और महिलाओं को अनेक गुणा अधिक शोषण और भेदभाव झेलना पड़ता है। इसी शोषण और भेदभाव के कारण लोग स्वास्थ्य सेवा से लाभान्वित नहीं हो पाते।

माया रनवाड़े का कहना है कि कुष्ठ रोग से प्रभावित महिलाओं को अनेक संघर्ष करने पड़ते हैं। पित्तरात्मक सामाजिक व्यवस्था के कारण उनको अधिक झेलना पड़ता है। कार्यस्थल तक पर पुरुषों की तुलना में उनको कम दिहाड़ी या दैनिक आय मिलती है। यदि कुष्ठ रोग से प्रभावित महिलाओं की ज़िंदगी सुधारनी है तो जेंडर-आधारिक अन्याय भी समाप्त करने होंगे।

भारत में एचआईवी के साथ जीवित लोगों के संगठन (नेशनल कोएलिशन ऑफ़ पीपल लिविंग विथ एचआईवी इन इंडिया) की सह-संस्थापिका और पूर्व अध्यक्ष दक्षा पटेल ने सराहा कि भारत सरकार ने एचआईवी के साथ जीवित लाखों लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मुहैया करवायी हैं, अनेक सरकारी एचआईवी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों के कारण लोग स्वस्थ और भरपूर जीवन जी पा रहे हैं। परंतु उनकी अपील है कि एचआईवी के साथ जीवित लोगों को भी सरकारी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं के तहत लाभार्थी बनाया जाये जिससे कि एचआईवी के अलावा अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी उन्हें सम्मान और अधिकार स्वरूप समय से मिल सकें।

अफगानिस्तान में मानवाधिकार और मानवीय संकट के खतरे सभी के लिए गहरा रहे हैं, लेकिन महिलाओं समेत जेंडर विविध लोगों की स्थिति और भी गंभीर है। उन्हें तालिबान अधिकारियों से हिंसा, और यहां तक कि मौत, का भी गंभीर खतरा है।

अफ़ग़ानी महिलाओं की स्थिति भी बहुत दयनीय है। अफ़गानिस्तान की एक समलैंगिक महिला परवीन ने अपनी हृदय विदारक कहानी सुनाते हुए कहा कि उन्हें लगातार उत्पीड़न और जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।

वह मार्च 2025 का एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था जब परवीन और उनकी प्रेमिका मरियम ने एक ट्रांसजेंडर दोस्त मावे के साथ अफ़ग़ानिस्तान छोड़ के ईरान जाने की कोशिश की। लेकिन मामला उलट गया। तालिबान ने मरियम और मावे को पकड़ कर हिरासत में ले लिया और तब से वे कैद में हैं। सौभाग्य से परवीन हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच से गुजरने में सफल रही क्योंकि उसका भाई उसके पुरुष संरक्षक के रूप में उसे अनुमति देने हेतु हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गया। जब तक तालिबान परवीन की तलाश में हवाई अड्डे पर पहुंचे, तब तक उसका विमान उड़ान भर चुका था।

तालिबान परवीन की तलाश कर रहे हैं। लेकिन वह अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प है क्योंकि वह नहीं चाहती कि भविष्य में किसी अन्य जेंडर विविध व्यक्ति को तकलीफ़ उठानी पड़े।

परवीन के सहयोगी नेमत सादत हैं, जो रोशनिया (जेंडर विविध अफ़गानों की सहायता के लिए समर्पित एक नेटवर्क है) के अध्यक्ष हैं। नेमत उन पहले अफ़गानों में से एक हैं जिन्होंने 2013 में खुले तौर पर अपने समलैंगिक होने की बात स्वीकार की थी और जेंडर विविध लोगों के अधिकारों के लिए अभियान चलाया।

नेमत ने बताया "हमारे पास 1,000 से ज़्यादा जेंडर विविध लोगों की सूची है जो अभी भी अफ़गानिस्तान में रह रहे हैं। आज तक हमने 265 लोगों को पश्चिमी देशों और ओमान में सुरक्षित पहुचाने में मदद की है और हमें उम्मीद है कि परवीन भी सुरक्षित जगह पर पहुँच जाएँगी, हालाँकि अभी उनका भविष्य बहुत अनिश्चित लग रहा है।"

दक्षिण सूडान में चल रही लड़ाई और कलह ने जेंडर विविध समुदाय, एचआईवी के साथ जीवित लोगों, यौनकर्मी, और विकलांग व्यक्ति जैसे हाशिए पर रह रहे लोगों को आघात पहुंचाया है। उन्हें शारीरिक हिंसा, घरेलू हिंसा और यौन शोषण का सामना करना पड़ रहा है।

दक्षिण सूडान में महिला अधिकारों पर कार्यरत और डबल्यूईसीएसएस की अध्यक्ष रेचल अडाऊ के अनुसार साउथ सूडान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली टूट रही है। मातृ और बाल स्वास्थ्य सेवाएं बहुत बुरी स्थिति में हैं। संक्रामक रोगों का जोखिम भी बढ़ गया है। अभी दक्षिण सूडान में नदी के दूषित पानी के कारण हैजा का प्रकोप फैला हुआ है। नदी के किनारे रहने वाले लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। संघर्ष के कारण खाद्य असुरक्षा होने से युवतियों तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण और एनीमिया अधिक है। लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर भी बहुत अधिक है। इन सबके परिणामस्वरूप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी पैदा हो रही हैं।

दक्षिण सूडान में दो न्यायिक प्रणालियाँ हैं - संविधान और प्रथागत पारंपरिक कानून। परंपरा के अनुसार, पुरुष ही कमाते हैं। महिलाओं के पास संसाधनों तक पहुंच नहीं है, निर्णय लेने की पहुंच नहीं है, नेतृत्व में उनकी कोई आवाज़ नहीं है क्योंकि उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है। संविधान के अनुसार दक्षिण सूडान में सभी महिलाओं को समान अधिकार हैं, लेकिन वे कानूनों के खराब क्रियान्वयन के कारण उनका प्रयोग करने में असमर्थ हैं। उदाहरण के लिए, भले ही उनके पास संपत्ति रखने का कानूनी अधिकार है , लेकिन अक्सर उन्हें इस अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। साथ ही महिला हिंसा के अपराधियों को सज़ा नहीं मिलती।

क्या सरकारें अगले माह जेंडर न्याय और स्वास्थ्य अधिकार पर ठोस निर्णय लेंगी? जुलाई 2025 में भारत समेत दुनिया के सभी देश, संयुक्त राष्ट्र उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम में सतत विकास लक्ष्यों पर हुई प्रगति का मूल्यांकन करेंगे - इनमें जेंडर और स्वास्थ्य से संबंधित लक्ष्य प्रमुख हैं। आशा है कि सभी सरकारें, मानवाधिकार के पक्ष्य में ठोस निर्णय लेंगी।

(शोभा शुक्ला, सीएनएस (सिटीज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका-संपादिका हैं और लखनऊ-स्थित लोरेटो कॉलेज की भौतिकी विज्ञान की सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका हैं। उनको ‘एक्स’ पर पढ़ें: @Shobha1Shukla)

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'रोहित सरदाना स्मृति व्याख्यान’ 21 सितंबर को कुरुक्षेत्र में

प्रेरणा’ कुरुक्षेत्र की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पत्रकारिता जगत की कई प्रमुख हस्तियां होंगी शामिल

Last Modified:
Tuesday, 16 September, 2025
Rohit Sardana

वरिष्ठ पत्रकार और तेजतर्रार एंकर्स में शुमार रहे दिवंगत रोहित सरदाना की याद में ‘प्रेरणा’ कुरुक्षेत्र के तत्वावधान में ‘रोहित सरदाना स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन रविवार, 21 सितंबर 2025 को सुबह 10:30 बजे प्रेरणा वृद्धाश्रम परिसर में किया जाएगा।

इस मौके पर पत्रकारिता जगत की कई प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। ‘डीडी न्यूज’ के वरिष्ठ सलाहकार संपादक प्रखर श्रीवास्तव और ‘तक’ चैनल्स इंडिया टुडे ग्रुप के वरिष्ठ संपादक नीरज गुप्ता कार्यक्रम में मुख्य वक्ता होंगे।

‘प्रेरणा’ की अध्यक्ष रेणु खुग्गर और संस्थापक व संचालक डॉ. जय भगवान सिंगला की ओर से दी गई सूचना के मुताबिक कार्यक्रम की अध्यक्षता ‘कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय’ के कुलसचिव लेफ्टिनेंट (डॉ.) वीरेंद्र पाल करेंगे।

‘बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय’, रोहतक में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. बाबू राम भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। हरिकेश पपोसा कार्यक्रम में संयोजक की भूमिका में रहेंगे।

गौरतलब है कि रोहित सरदाना देश के जाने-माने टीवी पत्रकार और एंकर थे। वह अपनी तेज-तर्रार एंकरिंग और धारदार डिबेट्स के लिए जाने जाते थे। ‘आजतक’ और ‘जी न्यूज’ जैसे बड़े न्यूज चैनलों पर उन्होंने लंबे समय तक काम किया। 2021 में कोरोना संक्रमण के दौरान उनका निधन हो गया था।

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बिहार में पत्रकार की पिटाई का मामला गरमाया, तेजस्वी यादव ने थाने पहुंचकर दर्ज कराई FIR

बिहार में एक पत्रकार की पिटाई का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सोमवार को खुद थाने पहुंचे और नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

Last Modified:
Tuesday, 16 September, 2025
TejaswiYadav889

बिहार में एक पत्रकार की पिटाई का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। घटना पर संज्ञान लेते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सोमवार को खुद थाने पहुंचे और पीड़ित पत्रकार से मुलाकात कर नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस दौरान उन्होंने पुलिस अधीक्षक से भी सीधे बात की और सोशल मीडिया पर मंत्री को कठघरे में खड़ा करते हुए तीखा हमला बोला।

क्या है पूरा मामला

रविवार रात नगर विकास मंत्री जीवेश कुमार सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के रामपट्टी गांव में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान यूट्यूबर पत्रकार दिलीप कुमार सहनी ने इलाके की बदहाल सड़कों पर सवाल पूछ लिया। आरोप है कि इससे मंत्री भड़क उठे और पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की करने के बाद अपने सुरक्षाकर्मियों से उसकी पिटाई करवाई। मारपीट के दौरान पत्रकार के चेहरे से खून बहने लगा और उसके कपड़े भी फट गए। इस घटना के बाद क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण हो गया।

तेजस्वी यादव का बयान

घटना के बाद तेजस्वी यादव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “बिहार सरकार में शहरी विकास मंत्री जीवेश मिश्रा से एक अतिपिछड़ा समाज के पत्रकार ने सड़क की बदहाल स्थिति पर सवाल किया तो मंत्री ने रात के अंधेरे में उसे बेरहमी से पीटा और अपशब्द कहे। नकली दवा बेचने और दवा चोरी के मामले में सजायाफ्ता रहे मंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में बैठे हैं और अब पत्रकारों को पीटकर दबाने का काम कर रहे हैं।”

थाने में FIR दर्ज

सोमवार सुबह तेजस्वी यादव अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंचे और पीड़ित पत्रकार के साथ बातचीत करने के बाद औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। इस मौके पर उन्होंने कहा, “दरभंगा में हम लोगों ने FIR कराया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि नेता प्रतिपक्ष को खुद थाने जाकर शिकायत दर्ज करनी पड़ रही है। 2005 से पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। आज पत्रकारों को गाली देकर पीटा जा रहा है और गुंडों को मंत्री बना दिया गया है। ऐसे लोग बिहार का भला कैसे करेंगे।” 

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‘मायानगरी’, ‘बही खाता’ और ‘सैर सपाटा’ ने InKhabar को दिलाई 25 मिलियन की रीच

डिजिटल न्यूज और कंटेंट इकोसिस्टम में अग्रणी 'इनखबर' (InKhabar) ने तीन ओरिजिनल शो 'मायानगरी', 'बही खाता' और 'सैर सपाटा' के सफल लॉन्च के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

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Monday, 15 September, 2025
Bahikhata7845

डिजिटल न्यूज और कंटेंट इकोसिस्टम में अग्रणी 'इनखबर' (InKhabar) ने तीन ओरिजिनल शो 'मायानगरी', 'बही खाता' और 'सैर सपाटा' के सफल लॉन्च के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। कुल मिलाकर, ये शो यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स, फेसबुक और इनखबर के अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 2.5 करोड़ दर्शकों तक पहुंच चुके हैं, जो भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में ब्रैंड के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

'मायानगरी' मनोरंजन जगत में एक सांस्कृतिक परिघटना के रूप में उभरी है, जो सिर्फ फिल्मों के अपडेट और बॉलीवुड की चर्चाओं से कहीं आगे निकल गई है। अब यह आधुनिक पॉप संस्कृति को परिभाषित करने वाली हर चीज के लिए एक निश्चित गंतव्य बन गई है, जहां सेलिब्रिटी एक्सक्लूसिव, तीखी समीक्षाएं और जीवनशैली के रुझानों को एक जीवंत प्रारूप में समाहित किया गया है जिसके बारे में दर्शक बात करना बंद नहीं कर सकते।

मनोरंजन इंडस्ट्री के ग्लैमर और जोश को दर्शाने की अपनी बेजोड़ क्षमता के साथ, मायानगरी लोगों की राय को आकार देने, बातचीत शुरू करने और लाखों लोगों की आकांक्षाओं को प्रभावित करने में सफल रही है। विज्ञापनदाताओं के लिए, यह भारत के सबसे अधिक जुड़े और महत्वाकांक्षी युवाओं के दिलों और दिमागों तक पहुँचने का एक सुनहरा द्वार बन गया है, जो जीवनशैली, विलासिता और मनोरंजन-आधारित ब्रांडिंग के अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है।

'बही खाता' और 'सैर सपाटा' ने मिलकर भारतीयों के वित्त, यात्रा और संस्कृति से जुड़ने के तरीके को बदल दिया है। बही खाता वित्तीय स्पष्टता का एक केंद्र बन गया है, जिसने जटिल बाजार गतिविधियों, आईपीओ रुझानों और निवेश रणनीतियों को सरल और व्यावहारिक अंतर्दृष्टि में बदल दिया है, जो अनुभवी निवेशकों और पहली बार कारोबार करने वाले निवेशकों, दोनों का ध्यान आकर्षित करती है। इस बीच, 'सैर सपाटा' रोजमर्रा के भारत की धड़कन बन गया है, जो यात्रा, संस्कृति और जीवनशैली को एक गतिशील कहानी कहने की यात्रा में पिरोता है जो देश के रंगों, स्वादों और अनुभवों को जीवंत करता है।

ये शो मिलकर ऐसे आंदोलनकारी मंच हैं जहां विज्ञापनदाता महत्वाकांक्षा, अन्वेषण और खोज के साथ जुड़ सकते हैं, और ऐसे दर्शकों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं जो सूचित, प्रेरित और बड़े पैमाने पर जुड़ने के लिए तैयार हैं।

इस उपलब्धि पर बोलते हुए, आईटीवी नेटवर्क, डिजिटल के सीईओ, अक्षांश यादव ने कहा, "ये ओरिजिनल आईपी ऐसे फलते-फूलते समुदाय हैं जहां लाखों दर्शक घर जैसा महसूस करते हैं। विज्ञापनदाताओं के लिए, ये दर्शकों के साथ प्रामाणिक और स्थायी तरीके से जुड़ने के लिए विश्वसनीय माध्यम हैं। जैसे-जैसे डिजिटल उपभोग विकसित हो रहा है, मायानगरी, बही खाता और सैर सपाटा ब्रांडेड कंटेंट और विज्ञापन के भविष्य को आकार देने में सबसे आगे हैं।"

आईटीवी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा, "पारंपरिक समाचार वितरण से कंटेंट-संचालित जुड़ाव की ओर बदलाव स्पष्ट है। इनखबर जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल समाचार माध्यम नहीं रह गए हैं। वास्तव में, ये कंटेंट के क्षेत्र में एक शक्तिशाली मंच हैं जो ऐसे मूल प्रारूप तैयार कर रहे हैं जिन्हें दर्शक पढ़ना चाहते हैं। यह बदलाव ब्रांडों के लिए आकर्षक, उच्च-मूल्यवान कंटेंट के साथ सहजता से जुड़ने का एक उपजाऊ आधार तैयार करता है।"

25 मिलियन दर्शकों की मजबूत संख्या और तेजी से विकास के साथ, इनखबर के मूल शो विज्ञापनदाताओं के लिए अद्वितीय अवसर खोल रहे हैं, जिनमें जागरूकता पैदा करने से लेकर प्रीमियम, उच्च-प्रभाव वाली डिजिटल कहानी कहने के माध्यम से ब्रांड निष्ठा और रूपांतरण को बढ़ावा देना शामिल है।

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अब इस मामले में पत्रकार सिद्दीक कप्पन के खिलाफ केस हुआ दर्ज

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। UAPA मामले में जमानत पर बाहर चल रहे कप्पन को शनिवार को कोच्चि पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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Monday, 15 September, 2025
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केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। UAPA मामले में जमानत पर बाहर चल रहे कप्पन को शनिवार को कोच्चि पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ 10 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया। पुलिस का कहना है कि सभी पर गैरकानूनी सभा करने, सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध करने और पुलिस अधिकारियों से हाथापाई के आरोप लगाए गए हैं।

यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब कप्पन और अन्य लोग महाराष्ट्र एटीएस द्वारा रेजास एम. शीबा सिद्दीक की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। शीबा सिद्दीक के खिलाफ उनके कथित बयान को लेकर ऑपरेशन ‘सिंदूर’ मामले में केस दर्ज किया गया था।

पुलिस के मुताबिक, यह प्रदर्शन रेजास सॉलिडैरिटी फोरम की ओर से आयोजित किया गया था। कप्पन ने हाईकोर्ट जंक्शन के पास सभा को संबोधित भी किया था। गिरफ्तार लोगों में अधिवक्ता प्रमोद पुज़्हंकरा, सी.पी. राशीद, साजिद खालिद, डॉ. हरी, भबुराज भगवती, अंबिका और मृदुला भवानी शामिल हैं।

पुलिस का कहना है कि करीब 30 लोगों की भीड़ ने बिना अनुमति सार्वजनिक स्थल पर माइक लगाकर नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे राहगीरों को परेशानी हुई। जब पुलिस ने उन्हें हटने के लिए कहा तो प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया, जिसके बाद बल प्रयोग करके उन्हें तितर-बितर किया गया।

इस मामले में एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 189(2), 190 और 285 के अलावा केरल पुलिस अधिनियम की धाराओं 118(e) और 117(e) के तहत दर्ज की गई है। आरोपों में अवैध जमावड़ा और सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।

रेजास सिद्दीक, जो छात्र कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार हैं, को मई 2025 में नागपुर से गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन कागर (माओवादी विरोधी अभियान) के खिलाफ पोस्ट किए। इस मामले में उन पर UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है।

पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पहली बार अक्टूबर 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस रेप केस की कवरेज के लिए जा रहे थे। उन पर UAPA की धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। वर्तमान में वे उसी मामले में जमानत पर बाहर हैं। 

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NHRC ने पत्रकार सहदेव डे के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का दिया निर्देश

38 वर्षीय सहदेव डे, जो स्थानीय न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक अंडमान’ के मालिक थे, का शव उत्तर अंडमान जिले के देशबंधु नगर स्थित एक खेत में इस साल 1 अप्रैल को मिला था। वह 29 मार्च से लापता थे।

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Saturday, 13 September, 2025
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने निर्देश दिया है कि उस पत्रकार के परिजनों को दो सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाए, जिसका जला हुआ शव 2 अप्रैल को उत्तर अंडमान जिले के दिगलिपुर में मिला था।

38 वर्षीय सहदेव डे, जो स्थानीय न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक अंडमान’ के मालिक थे, का शव उत्तर अंडमान जिले के देशबंधु नगर स्थित एक खेत में इस साल 1 अप्रैल को मिला था। वह 29 मार्च से लापता थे। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया है कि मृत पत्रकार के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।

NHRC ने अपने आदेश में कहा, “चूंकि उक्त पत्रकार की हत्या उस क्षेत्र में चल रही गैरकानूनी गतिविधियों की साहसिक रिपोर्टिंग के कारण हुई, आयोग इसे ऐसा मामला मानता है, जिसमें पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए।”

पुलिस ने बताया कि इस हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत की खास पहल ‘स्पंदन: हिंदी का अंतर्मन’ 25 सितंबर को दिल्ली में

कंस्टीट्यूशन क्लब में होने जा रहे हिंदी संस्कृति के इस महाआयोजन में देश के कई चर्चित साहित्यकार, कवि, पत्रकार, कलाकार और चिंतक भाग लेंगे।

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
Hindi Spandan

वर्षों से खबरों की दुनिया में अपनी गहरी दृष्टि और असरदार अंदाज के लिए पहचाने जाने-माने वाले वरिष्ठ टीवी पत्रकार राणा यशवंत 25 सितंबर 2025 को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में 'स्पंदन: हिंदी का अंतर्मन' नामक भव्य साहित्यिक-सांस्कृतिक संगोष्ठी का आयोजन करने जा रहे हैं। यह आयोजन हिंदी भाषा, समाज और उसकी संस्कृति के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन पर केंद्रित रहेगा।

कार्यक्रम में देश के कई चर्चित साहित्यकार, कवि, पत्रकार, कलाकार और चिंतक भाग लेंगे। इनमें पद्मभूषण राम बहादुर राय; प्रसिद्ध कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह; अभिनेता-निर्माता-निर्देशक डॉ. अन्नू कपूर; वरिष्ठ कथाकार नासिरा शर्मा; प्रख्यात शिक्षाविद् व व्यंजन विशेषज्ञ प्रो. पुष्पेश पंत; चर्चित शायर नवाज देवबंदी; सुप्रसिद्ध कवि व चिंतक बद्रीनारायण; दिग्गज कवि दिनेश कुशवाह; कवि व शायर आलोक श्रीवास्तव; कवि व उपन्यासकार नीलोत्पल मृणाल; प्रसिद्ध कथाकार गीताश्री; कवयित्री मणिका दुबे; कवि व लेखक यतीन्द्र मिश्र; कवि व शायर प्रताप सोमवंशी; कवि यतीश कुमार और कवयित्री अनामिका जैन ‘अंबर’ जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।

इस बारे में राणा यशवंत का कहना है, ‘हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, एक पुरानी और सम्पन्न संस्कृति भी है। यह अभिव्यक्ति के लिए शब्द ही नहीं देती बल्कि अचार, विचार, व्यवहार, सोच, संस्कार और पसंद सभी का सांचा भी गढ़ती है। इसी आधार पर एक पहचान का निर्माण होता है, इसे हिंदी समाज कहते हैं। एक परंपरा, परिवेश और संस्कृति में रचा-बसा विशाल समुदाय, भारत की बहुविध संस्कृति और बहुलताओं का मूल स्वर, प्राणवायु यही है।

मैंने ‘स्पंदन’ के लिए हिंदी को इसी अर्थ में हिंदी रखा है। ‘हिंदी’ की समृद्धि और विस्तार भारत की सबलता और समरसता के पोषक-तत्व हैं। साहित्य, सिनेमा, मीडिया (सोशल मीडिया समेत) सरकारों के प्रयास, प्रवासी हिंदी समाज और हिंदी के लोक (गीत, कला, पर्व आदि) जैसे माध्यमों की ‘हिंदी’ के विकास-विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

‘स्पंदन’ हिंदी समाज और उसकी संस्कृति  के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करने का प्रयास है। समय के साथ आए दबावों और बदलावों पर भी गंभीर चर्चा सर्वथा आवश्यक है।

हिंदी जो एक सांस्कृतिक पहचान है, उसकी आत्मा हिंदी भाषा है। कई राजनीतिक कारणों से हिंदी को वह गति नहीं मिली जो मिलनी चाहिए। हाल ही में महाराष्ट्र में हिंदी विरोध सर्वथा अनुचित था। दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में हिंदी त्यक्त और तिरस्कृत रही है। डिजिटल दुनिया, निजी स्कूलों और बाहरी प्रभावों के कारण भी हिंदी के सामने कुछ गंभीर प्रश्न खड़े हुए हैं।

‘स्पंदन’ हिंदी भाषा, समाज और उसकी संस्कृति के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करने का प्रयास है। ‘स्पंदन’, ‘हिंदी’ की उपलब्धि, संभावना और चुनौती पर परिचर्चा के साथ-साथ हिंदी समाज के ख़तरों पर विमर्श का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह मंच आपका है, हम सभी का है। आपके साथ, सहयोग और समर्थन के लिए ‘‘स्पंदन’ का निमंत्रण स्वीकार करें।’

इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए व रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आप यहां देख सकते हैं।

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मीडिया और शैक्षिक क्षेत्र के जाने-माने नाम डॉ. बिकाश बनर्जी नहीं रहे

डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया।

Last Modified:
Tuesday, 09 September, 2025
Dr Bikash Banerjee

मीडिया और शैक्षिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, डॉ. बिकाश बनर्जी (Dr. Bikash Banerjee) का हाल ही में निधन हो गया है। डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया और कॉर्पोरेट मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ABP लिमिटेड में मार्केटिंग मैनेजर (1981-1996) के तौर पर की। इसके बाद उन्होंने Vibrant Media के CEO, Mid-Day Multimedia के COO, बिजनेस स्टैंडर्ड के वाइस प्रेजिडेंट और दैनिक भास्कर समूह के बिजनेस हेड जैसे अहम पदों पर काम किया। वर्ष 2009 में उन्होंने Repertoire Media Marketing Consultants की शुरुआत की और वर्ष 2016 तक मीडिया सेल्स, मार्केटिंग स्ट्रैटेजी और ट्रेनिंग में नेतृत्व प्रदान किया।

इसके साथ ही, डॉ. बनर्जी ने शैक्षिक क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दीं। पिछले 14 वर्षों से वे देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत रहे और युवाओं को मार्केटिंग, बिजनेस स्ट्रैटेजी और मीडिया के क्षेत्र में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कॉर्पोरेट आइडेंटिटी मैनेजमेंट में Ph.D. की, जिसमें उन्होंने भारतीय SMEs के लिए कॉर्पोरेट प्रैक्टिस और अकादमिक शोध को जोड़ने का काम किया।

डॉ. बनर्जी ने बोर्डरूम और क्लासरूम दोनों में एक अमिट छाप छोड़ी। समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. बनर्जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।

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दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति में सदस्य बने मनोज मनु

इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं।

Last Modified:
Tuesday, 09 September, 2025
Manoj Manu

iTV न्यूज नेटवर्क में एग्जिक्यूटिव एडिटर एवं इंडिया न्यूज (MP/CG) चैनल के हेड मनोज मनु को केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया है।

इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। यह समिति हिंदी भाषा को सरकारी कामकाज में बढ़ावा देने और आधिकारिक भाषा नीतियों को लागू करने में सलाह देती है। सरकार की ओर से जारी गजट अधिसूचना में मनोज मनु का नाम गैर-सरकारी सदस्यों की सूची में शामिल है। वह दूरसंचार विभाग द्वारा नामित सदस्यों में से एक हैं।

समिति का गठन 29 अगस्त 2025 को किया गया। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं। समिति का मुख्य काम संविधान और आधिकारिक भाषा अधिनियम के तहत हिंदी के प्रयोग को बढ़ाना है, खासकर दूरसंचार विभाग और उसके अधीनस्थ संगठनों में।

समाचार4मीडिया से बातचीत में मनोज मनु ने इस नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा कि वे हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान देंगे। बता दें कि यह नियुक्ति 18वीं लोकसभा के गठन के बाद समिति के पुनर्गठन का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इससे हिंदी को और मजबूती मिलेगी।

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राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की किताब का विमोचन आज

इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
Book7845

फरीदाबाद स्थित मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज के विभाग स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज एंड ह्यूमैनिटीज में 10 सितंबर 2025 को यानी आज एक विशेष कार्यक्रम होगा। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की किताब ‘Harivansh’s Experiment with AD-Vocacy Journalism — From Ads to Action, Words to Change’ का विमोचन किया जाएगा। इसके साथ ही इस पर चर्चा का आयोजन भी किया जाएगा।

इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान "Advocacy Journalism" विषय पर एक संवाद सत्र भी होगा, जिसमें पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारियों और जनहित में विज्ञापन की भूमिका पर विचार रखे जाएंगे। 

इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति और डीन भी मंच साझा करेंगे। इसके अलावा, डॉ. अनुराग बत्रा छात्रों और संकाय को “The Role of Public Service Advertising in Media as a Catalyst for Social Change” विषय पर 10 मिनट का संबोधन देंगे।

यह किताब हरिवंश जी के पत्रकारिता सफर को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने रिपोर्टिंग से आगे बढ़कर जनसरोकारों के मुद्दों को केंद्र में रखते हुए पत्रकारिता को एक सामाजिक बदलाव के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है। 

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पत्रकारों को डिजिटल मीडिया व AI में प्रशिक्षित करेगी Infosys

कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए

Last Modified:
Tuesday, 09 September, 2025
Karnataka CM

कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत पत्रकारों को डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण में सहायता दी जाएगी।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक नोट में कहा गया कि यह प्रशिक्षण इंफोसिस के CSR प्रोग्राम स्प्रिंगबोर्ड के तहत किया जाएगा और यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। यह समझौता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उपस्थिति में हुआ।

इंफोसिस के सीनियर वाइस-प्रेजिडेंट और हेड ऑफ एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड असेसमेंट, सतीशा बी. नंजप्पा ने कहा, “मीडिया एकैडमी को स्प्रिंगबोर्ड के डिजिटल कंटेंट तक पहुंच मिलेगी और पत्रकार सॉफ्ट स्किल्स, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीनतम तकनीकों की जानकारी से संबंधित लर्निंग कंटेंट से लाभान्वित हो सकेंगे। यह कार्यक्रम टियर 2 और टियर 3 शहरों के पत्रकारों की मदद करेगा।”

इस कार्यक्रम का लक्ष्य इस साल 150 पत्रकारों को प्रशिक्षित करना है और इसमें तीन दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा, जिसमें डिजिटल मीडिया स्किल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और पर्सनालिटी डेवलपमेंट कवर किया जाएगा। वहीं, एक बैच विशेष रूप से महिला पत्रकारों को प्रशिक्षित करने के लिए जेंडर बजट के तहत समर्पित होगा।

एकैडमी की चेयरपर्सन आयशा खानम ने कहा कि यह प्रशिक्षण पत्रकारों को तकनीकी विशेषज्ञता और स्टोरीटेलिंग की उस दक्षता से लैस करेगा, जो आज के तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में आवश्यक है।

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