यह लगातार दूसरा साल है, जब दिल्ली में एमी अवॉर्ड्स का यह जूरी राउंड आयोजित किया गया है।
प्रतिष्ठित ‘इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स’ (International Emmy Awards) 2025 के निर्णायक दौर के सेमीफाइनल जूरी राउंड का आयोजन दिल्ली में किया गया। ‘बिजनेसवर्ल्ड ग्रुप’ के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ व ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा ने इस जजिंग राउंड की मेजबानी की। यह लगातार दूसरा साल है, जब दिल्ली में एमी अवॉर्ड्स का यह जूरी राउंड आयोजित किया गया है।
इस जूरी राउंड में कई प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने हिस्सा लिया, जिनमें वरुण माथुर (फाउंडर, कनेक्ट मीडिया), अयाज मेमन (सीनियर एडिटर, कॉलमनिस्ट और स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टर), चंद्रमौली बसु (मालिक, इंडिगो क्रिएटिव), पंकज सक्सेना (आर्टिस्टिक डायरेक्टर, प्रोग्रामिंग), सुधीर टंडन (एमेरिटस ब्रॉडकास्ट प्रोफेशनल), सविता राज हिरेमठ (सीईओ और फाउंडर, तांडवफिल्म्स एंटरटेनमेंट), अभय ओझा (ग्रुप सीईओ, आईटीवी नेटवर्क) और डेरेक न्युजेन (डायरेक्टर, एमी जजिंग) शामिल थे।
डॉ. अनुराग बत्रा और अन्य सम्मानित जूरी सदस्यों ने ग्लोबल स्तर पर भेजी गई प्रविष्टियों में से श्रेष्ठतम का चुनाव करने में अहम भूमिका निभाई। इससे न सिर्फ भारत की भागीदारी बढ़ी है, बल्कि इंटरनेशनल टेलीविजन में देश की अहमियत भी और मजबूत हुई है।
बच्चों की प्रोग्रामिंग श्रेणी (Children's Programming Category) की जजिंग रविवार को मुंबई में की जाएगी। यह कैटेगरी भी इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें दुनियाभर से उत्कृष्ट कंटेंट को परखा जाएगा।
गौरतलब है कि इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स, इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ टेलीविजन आर्ट्स एंड साइंसेज़ द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जो अमेरिका के बाहर निर्मित उत्कृष्ट टेलीविजन कार्यक्रमों को सम्मानित करते हैं। इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स को दुनियाभर के टेलीविजन जगत में उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में जाना और सराहा जाता है।
दिल्ली में आयोजित हुए सेमीफाइनल राउंड की कुछ झलकियां आप यहां देख सकते हैं।
वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros. Discovery) अब दो स्वतंत्र कंपनियों में बंटने जा रही है। कंपनी ने घोषणा की है कि साल 2026 के मध्य तक यह विभाजन पूरा हो जाएगा
वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros. Discovery) अब दो स्वतंत्र कंपनियों में बंटने जा रही है। कंपनी ने घोषणा की है कि साल 2026 के मध्य तक यह विभाजन पूरा हो जाएगा, जिसके बाद दो अलग-अलग सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध संस्थाएं अस्तित्व में आएंगी- एक, Warner Bros. नाम से स्टूडियो और स्ट्रीमिंग व्यवसाय को संभालेगी, जबकि दूसरी Discovery Global, जोकि पारंपरिक केबल नेटवर्क, खेल और समाचार संपत्तियों जैसे CNN, TNT Sports और Discovery+ को अपने तहत रखेगी।
यह फैसला दरअसल 2022 के उस बड़े विलय को आंशिक रूप से पलटता है, जिसमें WarnerMedia और Discovery का एकीकरण हुआ था और एक विशाल कंटेंट कंपनी अस्तित्व में आई थी। लेकिन जैसे-जैसे दर्शक पारंपरिक टीवी और केबल पैकेज से हटकर डिजिटल स्ट्रीमिंग की ओर तेजी से बढ़े हैं, वैसे-वैसे इस ढांचे की व्यवहारिकता पर सवाल उठने लगे हैं। अब कंपनी की रणनीति यह है कि तेजी से बढ़ते और फुर्तीले स्टूडियो बिजनेस को स्वतंत्र पहचान दी जाए, जबकि धीमी वृद्धि वाले और भारी कर्ज से लदे पुराने नेटवर्क बिजनेस को अलग रखा जाए।
भारतीय ब्रैंड्स और मीडिया इंडस्ट्री के रणनीतिकारों के लिए यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट पुनर्गठन नहीं, बल्कि स्ट्रीमिंग-प्राथमिक युग में नया अवसर है। स्ट्रीमिंग केंद्रित Warner Bros. के पास HBO, Max, DC Studios और उसकी विशाल फिल्म व टीवी लाइब्रेरी मौजूद रहेगी, जो न केवल समृद्ध कहानी कहने का माध्यम हैं, बल्कि ब्रैंडेड एंटरटेनमेंट और मार्केटिंग इनोवेशन के लिए भी अनगिनत संभावनाएं खोलते हैं।
ब्रैंडेड IP साझेदारियां, नेटिव कंटेंट इंटिग्रेशन और Max के अंतरराष्ट्रीय विस्तार जैसे कदम, भारत जैसे ओटीटी-प्रमुख बाजार में मार्केटर्स को नई सहयोग संभावनाएं दे सकते हैं।
दूसरी ओर, Discovery Global उन पारंपरिक मीडिया संपत्तियों को संभालेगा जो व्युअरशिप और विज्ञापन राजस्व बनाए रखने में जूझ रही हैं। यही नहीं, कंपनी का अधिकांश कर्ज भी Discovery Global के हिस्से आएगा, जिससे Warner Bros. को अपने डिजिटल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ज्यादा वित्तीय आजादी मिल सकेगी।
David Zaslav Warner Bros. के प्रमुख बने रहेंगे, जबकि मौजूदा CFO Gunnar Wiedenfels के Discovery Global की कमान संभालने की संभावना है। यह फैसला मीडिया कंपनियों के बीच उभरते उस चलन से मेल खाता है, जिसमें स्ट्रीमिंग और पारंपरिक संपत्तियों को अलग कर के उनके मूल्य को बेहतर ढंग से खोला जा रहा है, जैसा कि Comcast और Lionsgate के हालिया कदमों में भी देखा गया।
भारतीय ब्रैंड रणनीतिकारों और विज्ञापन एजेंसियों के लिए संकेत स्पष्ट है, कंटेंट और IP अब अधिक स्पष्ट, डिजिटल और सुलभ हो रहे हैं। जैसे-जैसे 2026 तक यह विभाजन पूरा होने की ओर बढ़ेगा, Warner के पूरे पोर्टफोलियो में पार्टनरशिप मॉडल, कंटेंट लाइसेंसिंग और ऐड खरीद से जुड़ी प्रक्रियाएं और भी पारदर्शी व सुव्यवस्थित होती जाएंगी।
प्रोफेशनल रेसलिंग और पॉप कल्चर की दुनिया के दिग्गज चेहरा रहे हल्क होगन का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।
प्रोफेशनल रेसलिंग और पॉप कल्चर की दुनिया के दिग्गज चेहरा रहे हल्क होगन का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। यह खबर उस वक्त सामने आई जब गुरुवार सुबह तड़के इमरजेंसी टीमों को फ्लोरिडा के क्लीयरवॉटर स्थित उनके निवास पर बुलाया गया। जानकारी के मुताबिक, वहां कार्डियक अरेस्ट की सूचना मिली थी। तमाम कोशिशों के बावजूद हल्क होगन को बचाया नहीं जा सका और अस्पताल ले जाने के तुरंत बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
हल्क होगन की सेहत को लेकर बीते कुछ हफ्तों से अटकलें चल रही थीं, खासकर मई में हुई उनकी गर्दन की सर्जरी के बाद। हालांकि, इन अफवाहों को उनकी पत्नी स्काय डेली ने सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि होगन न तो गंभीर रूप से बीमार हैं और न ही कोमा में। हाल ही में स्काय डेली ने भरोसा दिलाते हुए कहा था कि होगन का दिल "मजबूत" है और वह अपनी सर्जरी के बाद अच्छी तरह से ठीक हो रहे हैं।
हल्क होगन का निधन रेसलिंग और एंटरटेनमेंट दोनों ही दुनियाओं में एक युग के अंत की तरह है। वह न सिर्फ हर घर में पहचाना जाने वाला नाम बने, बल्कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर भी खुद को एक प्रतीक के रूप में स्थापित किया।
डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह प्रतिबंध लागू होता है, तो पाकिस्तान में पहले से ही सीमित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कमजोर हो जाएगी।
अल्फाबेट के स्वामित्व वाले यूट्यूब ने पाकिस्तान सरकार की आलोचना करने वाले दो दर्जन से अधिक कंटेंट क्रिएटर्स को सूचित किया है कि वह उनके चैनलों को ब्लॉक करने संबंधी अदालत के आदेश की समीक्षा कर रहा है। इन चैनलों पर "राष्ट्र-विरोधी" कंटेंट प्रसारित करने का आरोप है।
24 जून को जारी और इस सप्ताह सार्वजनिक हुए इस अदालती आदेश में कहा गया है कि जिन चैनलों को ब्लॉक किया जा सकता है, उनमें मुख्य विपक्षी पार्टी, उसके नेता और जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ-साथ कई स्वतंत्र पत्रकारों के यूट्यूब चैनल शामिल हैं, जो सरकार की आलोचना करते रहे हैं।
इस्लामाबाद की एक न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने यह आदेश उस रिपोर्ट के बाद दिया, जिसमें पाकिस्तान की नेशनल साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने 2 जून को इन चैनलों को राज्य संस्थानों और अधिकारियों के खिलाफ “अत्यंत उकसाऊ, भड़काऊ और अपमानजनक सामग्री” प्रसारित करने का दोषी ठहराया था।
डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह प्रतिबंध लागू होता है, तो पाकिस्तान में पहले से ही सीमित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कमजोर हो जाएगी। देश में जहां मुख्यधारा की प्रेस और टीवी चैनलों पर पाबंदियों के आरोप हैं, वहीं सोशल मीडिया को अब तक असहमति जाहिर करने का एकमात्र माध्यम माना जाता रहा है।
यूट्यूब ने 27 कंटेंट क्रिएटर्स को ईमेल भेजकर चेतावनी दी है कि यदि वे अदालत के आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके चैनल बंद किए जा सकते हैं। ईमेल में कहा गया, “यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारी स्थानीय कानूनों के तहत की जाने वाली जिम्मेदारियों के अनुसार हम बिना किसी अतिरिक्त सूचना के अनुरोध को मान सकते हैं।”
याकारिनो का कार्यकाल ऐसे समय में समाप्त हुआ है जब X (ट्विटर) नई दिशा में अग्रसर हो रहा है और XAI जैसे नए इनिशिएटिव्स पर कंपनी का फोकस बढ़ रहा है।
एक्स (पहले ट्विटर) की CEO लिंडा याकारिनो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी में दो वर्षों तक नेतृत्व संभालने के बाद उन्होंने अपने विदाई संदेश में इसे ‘जिंदगी का सबसे बड़ा अवसर’ बताया।
लिंडा याकारिनो ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए लिखा, “हमने उस शुरुआती अहम काम से शुरुआत की, जो यूजर्स- खासतौर पर बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए जरूरी था और साथ ही विज्ञापनदाताओं का भरोसा फिर से बहाल करने की दिशा में कदम उठाए।”
उन्होंने आगे कहा, “इस टीम ने लगातार मेहनत की, फिर चाहे वो ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन Community Notes हो या जल्द आने वाला X Money... हम सबसे प्रभावशाली आवाजों और कंटेंट को इस प्लेटफॉर्म पर लेकर आए। अब, जब @xai के साथ X एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है, तो सबसे अच्छा अभी आना बाकी है।”
After two incredible years, I’ve decided to step down as CEO of ?.
— Linda Yaccarino (@lindayaX) July 9, 2025
When @elonmusk and I first spoke of his vision for X, I knew it would be the opportunity of a lifetime to carry out the extraordinary mission of this company. I’m immensely grateful to him for entrusting me…
याकारिनो का कार्यकाल ऐसे समय में समाप्त हुआ है जब X (ट्विटर) नई दिशा में अग्रसर हो रहा है और XAI जैसे नए इनिशिएटिव्स पर कंपनी का फोकस बढ़ रहा है। उनकी विदाई को एक युग के समापन के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें X ने कंटेंट, विज्ञापन और सुरक्षा को लेकर कई बड़े बदलावों की शुरुआत की थी।
तुर्की की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका LeMan के एक कार्टून को लेकर मचे विवाद के बीच चार पत्रकारों को सोमवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
तुर्की की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका LeMan के एक कार्टून को लेकर मचे विवाद के बीच चार पत्रकारों को सोमवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस कार्टून पर आरोप है कि इसमें पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को आपत्तिजनक ढंग से चित्रित किया गया है, जिससे धार्मिक समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया।
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों में प्रमुख कार्टूनिस्ट डोआन पहलवान, एक ग्राफिक डिजाइनर, LeMan के मुख्य संपादक और संस्थागत निदेशक शामिल हैं। तुर्की के गृह मंत्री अली यरलीकाया ने X (पूर्व में ट्विटर) पर इन गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए लिखा, “मैं एक बार फिर उन लोगों को धिक्कारता हूं जो हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद की कार्टून बनाकर समाज में फूट डालना चाहते हैं। यह घृणित चित्र बनाने वाले DP को पकड़ लिया गया है और उसे हिरासत में लिया गया है… ये बेशर्म लोग कानून के सामने जवाबदेह होंगे।”
मंत्री द्वारा साझा किए गए तीन वीडियो में देखा गया कि पुलिसकर्मी अन्य तीन आरोपियों को बलपूर्वक उनके घरों से निकालकर पुलिस वैन में ले जा रहे हैं, जिनमें से एक व्यक्ति नंगे पांव था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्टून के सिलसिले में कुल छह लोगों पर हिरासत के आदेश जारी किए गए हैं।
इससे पहले तुर्की के न्याय मंत्री यिलमाज तुंच ने पत्रिका LeMan के खिलाफ “सार्वजनिक रूप से धार्मिक मूल्यों का अपमान” करने के आरोप में औपचारिक जांच की घोषणा की थी।
विवादित कार्टून में पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को आकाश में हवा में मिलते हुए दिखाया गया है, जबकि नीचे मिसाइलें गिर रही हैं। इस छवि को लेकर कई धार्मिक संगठनों और रूढ़िवादी तबकों ने इसे मजहबी भावनाओं का घोर अपमान बताया। कार्टून प्रकाशित होने के बाद एक इस्लामिक गुट से जुड़े युवाओं के एक समूह ने LeMan के इस्तांबुल मुख्यालय पर पथराव भी किया।
न्याय मंत्री तुंच ने कहा, “ऐसे चित्र न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी नुकसान पहुंचाते हैं। कोई भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस बात की इजाजत नहीं देती कि किसी धर्म के पवित्र मूल्यों का भद्दे तरीके से मजाक उड़ाया जाए।”
Peygamber Efendimizin (S.A.V) karikatürünü yaparak nifak tohumları ekmeye çalışanları bir kez daha lanetliyorum.
— Ali Yerlikaya (@AliYerlikaya) June 30, 2025
Bu alçak çizimi yapan D.P. adlı şahıs yakalanarak gözaltına alınmıştır.
Bir kez daha yineliyorum:
Bu hayasızlar hukuk önünde hesap verecektir. pic.twitter.com/7xYe94B65d
यह घटना 2015 में पेरिस स्थित फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका Charlie Hebdo पर हुए आतंकवादी हमले की याद दिलाती है, जब पैगंबर मुहम्मद के कार्टून छापने के विरोध में दो बंदूकधारियों ने दफ्तर में घुसकर 12 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें कई जाने-माने कार्टूनिस्ट भी शामिल थे।
LeMan मामले में तुर्की सरकार और धार्मिक समुदाय के व्यापक विरोध के बाद यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान का केंद्र बनता जा रहा है। प्रेस स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के टकराव के इस नए उदाहरण ने तुर्की में एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि व्यंग्य की सीमाएं क्या होनी चाहिए और क्या धार्मिक आस्था पर सवाल उठाने की कोई नैतिक या कानूनी इजाजत होनी चाहिए।
वॉशिंगटन पोस्ट में कार्यरत पत्रकार और वॉशिंगटन डीसी निवासी 48 वर्षीय थॉमस फाम लेग्रो को शुक्रवार को अमेरिकी जिला अदालत में पेश किया गया। उन पर बाल अश्लील सामग्री रखने के आरोप का आरोप है।
वॉशिंगटन पोस्ट में कार्यरत पत्रकार और वॉशिंगटन डीसी निवासी 48 वर्षीय थॉमस फाम लेग्रो (Thomas Pham LeGro) को शुक्रवार को अमेरिकी जिला अदालत में पेश किया गया। उन पर बाल अश्लील सामग्री रखने के आरोप का आरोप है। लेग्रो को गुरुवार को उनके आवास पर की गई छापेमारी के बाद हिरासत में लिया गया।
यह जानकारी संयुक्त राज्य की अटॉर्नी जीनिन फेरिस पिरो ने मीडिया को दी। पिरो ने इस मामले की जांच में सक्रिय भूमिका निभा रहे एफबीआई के असिस्टेंट डायरेक्टर इन चार्ज स्टीवन जे. जेंसन और मेट्रोपॉलिटन पुलिस डिपार्टमेंट की चीफ पामेला स्मिथ का आभार व्यक्त किया।
26 जून 2025 को एफबीआई एजेंट्स ने लेग्रो के निवास पर सर्च वारंट के तहत छापा मारा और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए। लेग्रो के कार्यस्थल के लैपटॉप की जांच के दौरान एक फोल्डर मिला, जिसमें 11 वीडियो बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित पाए गए।
तलाशी के दौरान एजेंट्स को उस कमरे के बाहर गलियारे में एक हार्ड ड्राइव के टूटे हुए टुकड़े भी पड़े मिले, जहां लेग्रो का वर्क लैपटॉप मिला था।
इस मामले की जांच एफबीआई वॉशिंगटन फील्ड ऑफिस के चाइल्ड एक्सप्लॉयटेशन एंड ह्यूमन ट्रैफिकिंग टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है। इस टास्क फोर्स में एफबीआई एजेंट्स के अलावा उत्तरी वर्जीनिया और वॉशिंगटन डीसी के अन्य संघीय एजेंट और जासूस शामिल हैं। इसका उद्देश्य बाल शोषण और मानव तस्करी में संलिप्त लोगों के खिलाफ संघीय स्तर पर मुकदमा चलाना है।
इस मामले का अभियोजन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया की असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी कैरोलाइन बरेल और जननी अय्यंगार द्वारा किया जा रहा है।
यह मामला डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की "प्रोजेक्ट सेफ चाइल्डहुड" पहल का हिस्सा है। फरवरी 2006 में अटॉर्नी जनरल द्वारा शुरू की गई यह राष्ट्रीय पहल बच्चों को ऑनलाइन शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षा देने के लिए बनाई गई थी। यूएस अटॉर्नी ऑफिस द्वारा संचालित इस योजना के तहत संघीय, राज्य और स्थानीय संसाधनों का समन्वय कर ऐसे लोगों को खोजा और सजा दिलाई जाती है जो इंटरनेट के जरिए बच्चों का शोषण करते हैं, साथ ही पीड़ितों की पहचान कर उन्हें बचाया भी जाता है।
जानें, कौन हैं थॉमस फाम लेग्रो
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थॉमस फाम लेग्रो ने 2013 में वॉशिंगटन पोस्ट में ब्रेकिंग न्यूज डेस्क पर वीडियो एडिटर के रूप में काम शुरू किया था। दो साल बाद, 2015 में उन्हें सीनियर प्रड्यूसर बना दिया गया, जहां उन्होंने इंटरनेशनल, स्टाइल और टेक्नोलॉजी डेस्क की टीमों का नेतृत्व किया। 2017 में लेग्रो उस टीम का हिस्सा थे, जिसे रॉय मूर की सीनेट उम्मीदवारी की कवरेज के लिए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
2021 में थॉमस फाम लेग्रो को एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर पद पर नियुक्त किया गया, जिसके बाद से वे वॉशिंगटन पोस्ट की राजनीतिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वीडियो टीमों की अगुवाई कर रहे हैं। उन्हें मिले प्रमुख सम्मानों में 2018 में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार (टीम के साथ) और एडवर्ड आर. मुरो पुरस्कार शामिल हैं, जो उन्हें खोजी पत्रकारिता में योगदान के लिए मिला था।
सऊदी अरब में एक पत्रकार को आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में सात साल की कैद काटने के बाद फांसी दे दी गई।
सऊदी अरब में एक पत्रकार को आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में सात साल की कैद काटने के बाद फांसी दे दी गई। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि जिन आरोपों के तहत पत्रकार को मृत्युदंड दिया गया, वे उसके सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े थे। इस खबर की पुष्टि एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार तुर्की अल-जासिर को शनिवार को सऊदी अरब की सर्वोच्च अदालत द्वारा मौत की सजा बरकरार रखे जाने के बाद फांसी दे दी गई। उन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था, जब सुरक्षा बलों ने उनके घर पर छापा मारकर कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त किए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें किस अदालत में, कितनी लंबी प्रक्रिया के बाद सजा सुनाई गई।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) नामक न्यूयॉर्क स्थित संस्था के अनुसार, अल-जासिर पर आरोप था कि वे ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक गुप्त अकाउंट चला रहे थे, जिस पर सऊदी शाही परिवार के भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारियां साझा की गई थीं। साथ ही उन्होंने कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर भी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की थी।
CPJ के कार्यक्रम निदेशक कार्लोस मार्टिनेज दे ला सेरना ने AP को बताया, “जमाल खशोगी के मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता ने न सिर्फ एक पत्रकार से न्याय छीन लिया, बल्कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को मीडिया के दमन के लिए और अधिक निर्भीक बना दिया।”
फांसी विरोधी अभियान चलाने वाले संगठन Reprieve की जीद बासयूनी ने कहा, “तुर्की अल-जासिर को पूरी तरह से गुप्त तरीके से पत्रकारिता जैसे ‘अपराध’ के लिए दोषी ठहराकर सज़ा दी गई।”
अल-जासिर ने अरेब स्प्रिंग, महिलाओं के अधिकारों और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लेख लिखे थे और 2013 से 2015 के बीच एक व्यक्तिगत ब्लॉग भी चलाया था।
सऊदी अरब पहले से ही मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर है, खासकर मौत की सज़ा को लेकर। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ 2024 में ही वहां 330 से अधिक फांसी दी जा चुकी हैं।
पिछले महीने भी बैंक ऑफ अमेरिका के लिए काम कर रहे एक ब्रिटिश एक्सपर्ट को कथित तौर पर एक हटाए गए सोशल मीडिया पोस्ट के कारण 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
एक अन्य मामले में, अमेरिका और सऊदी की दोहरी नागरिकता रखने वाले साद अलमादी को 2021 में अमेरिका में रहते हुए किए गए ट्वीट्स के आधार पर जेल में डाल दिया गया था। उन्हें 2023 में रिहा तो किया गया, लेकिन देश छोड़ने की अनुमति नहीं है।
गौरतलब है कि 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने उस ऑपरेशन के पीछे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को ज़िम्मेदार माना था, हालांकि सऊदी सरकार ने इस दावे को खारिज किया है।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया चैनल नाइन न्यूज की अमेरिकी संवाददाता लॉरेन टोमासी को एक विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस ने कैमरे के सामने गोली मार दी, जिससे वह घायल हो गईं
अमेरिका जहां अक्सर दुनिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ पढ़ाता है, वहीं उसके अपने ही देश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं। ताजा मामला लॉस एंजिल्स से सामने आया है, जहां ऑस्ट्रेलियाई मीडिया चैनल नाइन न्यूज की अमेरिकी संवाददाता लॉरेन टोमासी को एक विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस ने कैमरे के सामने गोली मार दी, जिससे वह घायल हो गईं। हालांकि यह रबर बुलेट थी।
लॉस एंजिल्स में उस समय हालात तनावपूर्ण हो गए जब सड़क पर प्रदर्शन कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इसी दौरान लॉरेन टोमासी अपने कैमरामैन के साथ रिपोर्टिंग कर रही थीं। वायरल हो चुके वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ने सीधे लॉरेन की ओर बंदूक तानी और रबर बुलेट दाग दी, जो उनके पैर में लगी। गोली लगने के बाद लॉरेन दर्द से चीख उठीं और पास खड़े एक प्रदर्शनकारी ने चिल्लाकर पुलिस को चेताया कि उन्होंने एक रिपोर्टर को गोली मार दी है।
हालांकि घायल होने के बावजूद लॉरेन ने खुद को संभाला और बताया कि वह ठीक हैं। इसके बाद वे और उनकी टीम सुरक्षित स्थान की ओर चले गए। नाइन न्यूज ने इस बात की पुष्टि की कि लॉरेन को हल्की चोट आई है और उन्होंने कुछ ही समय में रिपोर्टिंग फिर से शुरू कर दी। लॉरेन ने बाद में सोशल मीडिया पर भी घटना की जानकारी दी और बताया कि घटनास्थल पर हालात काफी तनावपूर्ण हैं और पुलिस प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की कोशिश कर रही है।
Australian journalist shot by U.S. police—caught on live camera. Yet, the West DS funded propaganda dares to lecture India on press freedom, citing biased, Western-funded “indexes.” pic.twitter.com/aMX0802E4w
— Megh Updates ?™ (@MeghUpdates) June 9, 2025
लॉरेन टोमासी एक अनुभवी ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार हैं, जो इस समय अमेरिका से नाइन न्यूज के लिए रिपोर्टिंग कर रही हैं। उन्होंने सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और अपने करियर की शुरुआत बतौर स्नो रिपोर्टर की थी। वे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े मुकदमे, ऑस्कर, ग्रैमी और गोल्डन ग्लोब्स जैसे प्रमुख आयोजनों की रिपोर्टिंग कर चुकी हैं। लाइव रिपोर्टिंग और सामाजिक मुद्दों पर उनकी स्पष्ट राय के लिए उन्हें जाना जाता है।
यह घटना प्रेस की आजादी को लेकर अमेरिका के दावों पर सवाल खड़े करती है। इससे पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कवर कर रहे पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब लोकतंत्र का दावा करने वाले देश में ही पत्रकार सुरक्षित न हों, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उसके उपदेश खोखले लगने लगते हैं।
कनाडा के स्वतंत्र व खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन ने आरोप लगाया है कि उन पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और उन्हें रिपोर्टिंग से रोकने की कोशिश की।
कनाडा के स्वतंत्र व खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन ने आरोप लगाया है कि उन पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और उन्हें रिपोर्टिंग से रोकने की कोशिश की। यह घटना उस वक्त हुई जब वह वैंकूवर में एक खालिस्तानी रैली की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। बेजिरगन के मुताबिक, कुछ लोगों ने उन्हें घेरकर धमकाया, फोन छीन लिया और उनके साथ धक्का-मुक्की की, जबकि कनाडा की पुलिस मौके पर मौजूद होते हुए भी मूकदर्शक बनी रही।
बेजिरगन ने घटना के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा, "मैं अब भी कांप रहा हूं। एक व्यक्ति मुझसे सवाल पूछता हुआ मेरे बेहद करीब आ गया और फिर अचानक 2-3 और लोग मुझे घेरने लगे। माहौल इतना तनावपूर्ण था कि मैंने चुपचाप कैमरे और फोन दोनों से रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी।"
उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही उन्होंने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया, कई लोगों ने अपने चेहरे छुपा लिए, लेकिन एक शख्स आगे बढ़ता रहा और अंततः उनका फोन छीन लिया। यह वही व्यक्ति था जिसके खिलाफ उन्होंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेजिरगन के मुताबिक, घटना के वक्त वह व्यक्ति पुलिसकर्मियों से बातचीत करता नजर आया, जबकि पत्रकार का फोन छीना जा चुका था।
बेजिरगन ने कहा, "मुझे डराने और चुप कराने की कोशिश की गई।" उन्होंने दावा किया कि हमलावरों में से एक लंबे समय से उन्हें ऑनलाइन परेशान कर रहा है और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता रहा है। बेजिरगन के मुताबिक, वह कनाडा, अमेरिका, यूके और न्यूजीलैंड में खालिस्तान से जुड़े आंदोलनों को कवर करते रहे हैं। उनका कहना है कि मेरा एकमात्र लक्ष्य स्वतंत्र पत्रकारिता करना और जो कुछ हो रहा है उसे रिकॉर्ड करना और रिपोर्ट करना है और क्योंकि मैं संपादकीय रूप से स्वतंत्र हूं, इसलिए यह कुछ लोगों को निराश करता है।”
घटना की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह ध्यान दिया जाए कि यह हमला एक ऐसी रैली के दौरान हुआ जिसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों जैसे लोगों को ‘शहीद’ बताया जा रहा था। बेजिरगन ने बताया कि हमलावर उन्हें रैली स्थल से लेकर ट्रेन स्टेशन तक पीछा करते रहे।
उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ रिपोर्टिंग कर रहा था, लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। वे मुझे डराना और प्रभावित करना चाहते थे।" इस घटना ने कनाडा में मीडिया स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बेजिरगन ने ऐलान किया है कि वह इस पूरी घटना की विस्तृत वीडियो फुटेज जल्द ही अपने चैनल पर जारी करेंगे। उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए प्रवासी हमलावर के निर्वासन की अपील भी की है।
पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक और पत्रकार की हत्या ने मानवाधिकार हनन के मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया है।
पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक और पत्रकार की हत्या ने मानवाधिकार हनन के मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया है। बलूच समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पत्रकार अब्दुल लतीफ की शनिवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी, जब उन्होंने अपहरण की कोशिश का विरोध किया। यह वारदात उनके पत्नी और बच्चों के सामने हुई।
अब्दुल लतीफ ने 'डेली इंतिखाब' और 'आज न्यूज' जैसे प्रकाशनों के साथ काम किया था और वह बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और स्थानीय प्रतिरोध आंदोलनों पर साहसी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।
पुलिस के अनुसार, हमलावर लतीफ के घर में घुसे और उन्हें जबरन ले जाने की कोशिश की। डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस दानियाल काकर ने मीडिया को बताया, "उन्होंने विरोध किया तो उन्हें मौके पर ही गोली मार दी गई। हमलावर फरार हो गए हैं और अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मामले की जांच जारी है।"
हैरानी की बात यह है कि कुछ महीने पहले अब्दुल लतीफ के बड़े बेटे सैफ बलोच और उनके सात अन्य परिजनों को भी अगवा कर लिया गया था, जिनकी बाद में लाशें बरामद हुईं।
इस क्रूर हत्याकांड को लेकर बलोच यकजहती कमेटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने एक बयान में कहा, "यह सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय को डराने और चुप कराने की कोशिश है। हम संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और प्रेस स्वतंत्रता संगठनों से अपील करते हैं कि वे इस मानवता विरोधी अपराध पर चुप्पी तोड़ें और पाकिस्तान की जवाबदेही सुनिश्चित करें।"
पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (PFUJ) समेत कई पत्रकार संगठनों ने भी लतीफ की हत्या की निंदा की है। इसे पाकिस्तान में कथित ‘किल एंड डंप’ अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया जा रहा है।
बलोच वुमन फोरम की आयोजक शाले बलोच ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "मश्के, अवारान जिले में पत्रकार अब्दुल लतीफ की निर्मम हत्या बलूचिस्तान में जारी मानवाधिकार हनन की भयावह तस्वीर पेश करती है। यह घटना राज्य प्रायोजित हिंसा (जबरन गुमशुदगी, यातना और फर्जी मुठभेड़ों) का उदाहरण है।"
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इस संकट की गंभीरता को समझे और पाकिस्तान पर जवाबदेही तय करने का दबाव बनाए। उन्होंने कहा कि बलूच नरसंहार पर लगातार चुप्पी अब बर्दाश्त से बाहर है। यदि दुनिया ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो और खून बहेगा। न्याय अब और टल नहीं सकता।