शाजिया इल्मी: न्यूजरूम से जन आंदोलन तक का सफर

शाजिया इल्मी का जन्म भारत के सबसे पुराने उर्दू अख़बारों में से एक ‘सियासत जदीद’ के प्रभावशाली साये में हुआ, जिसे उनके पिता मौलाना इसहाक इल्मी ने शुरू किया था।

Last Modified:
Saturday, 07 June, 2025
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आज जब शाजिया इल्मी एक और साल बड़ी हो रही हैं, तो हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि उन्हें स्पष्टता, प्रतिबद्धता और साहस से भरी एक महिला बनने के लिए क्या प्रेरित करता है। शाजिया इल्मी का जन्म भारत के सबसे पुराने उर्दू अखबारों में से एक ‘सियासत जदीद’ के प्रभावशाली साये में हुआ, जिसे उनके पिता मौलाना इसहाक इल्मी ने शुरू किया था। उन्होंने सार्वजनिक जीवन, विरोध और संवाद की लय में बचपन से ही सांस ली, लेकिन पत्रकारिता की विरासत उन्होंने सिर्फ अपनाई नहीं, बल्कि उससे आगे निकलने का रास्ता चुना।

शिमला, नई दिल्ली, कार्डिफ और न्यूयॉर्क में पढ़ाई के दौरान इल्मी ने महज डिग्रियां नहीं लीं, बल्कि एक ऐसी आवाज गढ़ी जो संतुलित होने के साथ-साथ निर्भीक भी थी, परिष्कृत होने के साथ-साथ जरूरी तौर पर मुखर भी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन से की, सिर्फ न्यूज पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि घटनाओं के बीच जाकर रिपोर्ट करने के लिए। 15 वर्षों तक वे राजनीतिक संवाददाता और एंकर रहीं, जिनमें ‘स्टार न्यूज’ के साथ उनका काम विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कैमरे को आईने की तरह नहीं, एक सर्चलाइट की तरह समझा और उसे अन्याय, असमानता और हाशिए पर खड़े लोगों पर स्थिर रखा।

लेकिन शाजिया इल्मी की कहानी कैमरे की सीमाओं में नहीं समा सकती थी। 2011 में जब ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन ने देश की सड़कों को जगा दिया, तब इल्मी ने एंकर की कुर्सी छोड़ दी और आंदोलन की पहली कतार में जा खड़ी हुईं। जन लोकपाल आंदोलन की प्रखर और सधी हुई आवाज बनकर उन्होंने न सिर्फ इस आंदोलन को पहचान दी, बल्कि इसकी भाषा भी गढ़ी। उनके भाषण भाषण नहीं, हुंकार थे।

एक्टिविज्म से राजनीति की ओर उनका कदम स्वाभाविक था, भले ही आसान न रहा हो। आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य के रूप में उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के एक नए प्रयोग में भाग लिया, एक ऐसा प्रयोग जो साफ-सुथरी राजनीति और जन-केंद्रित प्रशासन पर विश्वास करता था। उन्होंने चुनाव लड़े, हार देखी, सुर्खियां बनाईं और अंततः राजनीतिक जीवन की जटिलताओं से समझौता भी किया।

2015 में जब उन्होंने आम आदमी पार्टी से नाता तोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा, तो कई सवाल उठे। लेकिन इल्मी डरी नहीं। उनके लिए खुद को नया रूप देना पलायन नहीं, बल्कि दृढ़ता थी। उनका राजनीतिक सफर भले ही मोड़ों और चढ़ावों से भरा रहा हो, लेकिन उसमें अस्थिरता नहीं, बल्कि अनुभवों से उपजी दृढ़ आस्था है—सिर्फ विचारधारा से नहीं, जिंदगी से सीखी हुई।

आज राष्ट्रीय विमर्श की एक मजबूत आवाज के रूप में शाजिया इल्मी वही हैं जो वो हमेशा से रही हैं- स्पष्टता, प्रतिबद्धता और साहस की मिसाल। वे प्रसारणकर्ता की संयमित भाषा बोलती हैं और बदलाव की लौ के साथ बात करती हैं। उनके भीतर न्यूज रूम की गंभीरता और जन आंदोलन की बेचैनी, दोनों का मेल है।

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वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने छोड़ा TV9 नेटवर्क, जल्द शुरू कर सकते हैं नई पारी

वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने TV9 नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यहां तीन साल छह महीने तक सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (कॉरपोरेट, नेशनल सिक्योरिटी और स्ट्रैटजिक अफेयर्स) की अहम भूमिका निभाई।

Last Modified:
Wednesday, 30 July, 2025
AdityaRajKaul7845

वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने TV9 नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया है। कौल ने नेटवर्क में तीन साल छह महीने तक बतौर सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (कॉरपोरेट, नेशनल सिक्योरिटी और स्ट्रैटजिक अफेयर्स) की अहम भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने TV9 और उसके OTT प्लेटफॉर्म News9Plus के लिए 70 से अधिक डॉक्यूमेंट्रीज का निर्माण और निर्देशन किया, जिनके लिए उन्हें 20 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

उन्हें मुंबई प्रेस क्लब द्वारा रेड इंक स्पेशल मेंशन अवॉर्ड और संडे गार्जियन फाउंडेशन व जेठमलानी परिवार की ओर से राम जेठमलानी जर्नलिज्म प्राइज भी मिल चुका है, जिसमें एक गोल्ड मेडल और ₹14 लाख की इनामी राशि शामिल है। 2024 में उन्हें एक्सचेंज4मीडिया की ओर से ‘जर्नलिज्म ऑफ करेज’ के लिए 40 अंडर 40 अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

TV9 नेटवर्क में रहते हुए उन्होंने प्रतिष्ठित NEWS9 ग्लोबल समिट्स की परिकल्पना और लॉन्चिंग में भी निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने भारत, जर्मनी और UAE में आयोजित इन समिट्स की क्यूरेशन और होस्टिंग की, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डेविड कैमरन, टोनी एबॉट जैसे वैश्विक नेताओं और डॉ. एस. जयशंकर, अश्विनी वैष्णव, हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अब्दुल्ला शाहिद और मरिया दीदी जैसे मंत्रियों ने भाग लिया।

हालांकि कौल ने अब तक आधिकारिक तौर पर अपने अगले कदम की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वे जल्द ही एक प्रतिष्ठित टेलीविजन न्यूज नेटवर्क में वरिष्ठ संपादकीय नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। संभव है कि वे सितंबर में अपनी नई भूमिका संभालें।

'समाचार4मीडिया' से बात करते हुए कौल ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की और TV9 नेटवर्क के एमडी और सीईओ बरुण दास और माय होम ग्रुप के वाइस चेयरमैन रामू राव जुपल्ली का उनके कार्यकाल के दौरान मिले समर्थन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

आदित्य राज कौल को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और संघर्ष कवरेज पर भारत के अग्रणी संपादकीय आवाजों में शुमार किया जाता है। जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान मामलों पर भी उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है। वे पहलगाम आतंकी हमले की रिपोर्टिंग करने वाले पहले पत्रकारों में शामिल रहे, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लॉन्च की जानकारी सार्वजनिक की। भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान उनके विश्लेषण और खबरों को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से सराहा गया।

कौल फिल्म 'उरी' के निर्देशक आदित्य धर की अगली फिल्म धुरंधर के लिए भी मुख्य कंसल्टेंट हैं, जिसमें रणवीर सिंह, संजय दत्त, आर. माधवन, अक्षय खन्ना और अर्जुन रामपाल जैसे कलाकार नजर आएंगे।

मीडिया जगत में 16 वर्षों के अनुभव के साथ कौल ने भारत और विदेश की प्रमुख मीडिया संस्थाओं जैसे Network18, Times Now, The Times of India, Republic TV और कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (CBC) में काम किया है।

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इस बड़े पद पर सुधीर चौधरी की कंपनी ‘Essprit’ से जुड़े द्वैपायन बोस

द्वैपायन बोस वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें देश-विदेश में प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन पत्रकारिता में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है।

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Tuesday, 29 July, 2025
Dwaipayan Bose

वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर सुधीर चौधरी की कंपनी Essprit Productions  ने द्वैपायन बोस को चीफ कंटेंट ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। द्वैपायन बोस वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें देश-विदेश में प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन पत्रकारिता में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है।

अपने अब तक के करियर में वह देश के तमाम प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ संपादकीय पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इनमें ‘DNA’ के एडिटर-इन-चीफ, ‘IndiaToday.in’ के एडिटर, ‘Mail Today’ के एडिटर और ‘The Times Of India’ व ‘Hindustan Times’ में रेजिडेंट एडिटर जैसे बड़े पद शामिल हैं।

द्वैपायन बोस ‘Network18’ समूह की वेबसाइट ‘News18.com’ के लॉन्चिंग एडिटर भी रहे हैं और उन्होंने ‘India Today’ समूह के साथ मिलकर देश का पहला ऑनलाइन अखबार ‘newspapertoday.com’ लॉन्च करने वाली टीम का हिस्सा भी रहे हैं।

उन्होंने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, जयपुर, भोपाल और कई अन्य प्रमुख शहरों में न्यूज़रूम की शुरुआत की और उनका नेतृत्व किया है। अलग-अलग क्षेत्रों और प्लेटफॉर्म्स पर उन्होंने एडिटोरियल स्ट्रैटेजी तैयार करने और लागू करने का महत्वपूर्ण काम किया है। उन्हें लेखन, संपादन, न्यूजरूम नेतृत्व, कंटेंट निर्माण और विविध ऑडियंस के अनुसार एडिटोरियल प्रॉडक्ट को ढालने में महारत हासिल है।

बोस ‘Thomson Reuters’फेलो रह चुके हैं और उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन और शोध कार्य किया है। वह ब्रिटिश चेवनिंग स्कॉलर के तौर पर ‘द संडे टाइम्स’ (लंदन) में इंटर्नशिप भी कर चुके हैं। इसके साथ ही बतौर लेखक वह पत्रकारिता, मीडिया इनोवेशन और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर लिखते रहते हैं।

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रोहित पुनेठा ने ‘India News’ को बोला बाय, इस चैनल संग जल्द करेंगे नई शुरुआत

समाचार4मीडिया से बातचीत में रोहित पुनेठा ने अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए बताया कि वह एक अगस्त को नई पारी की शुरुआत करेंगे।

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Tuesday, 29 July, 2025
Rohit Punetha

वरिष्ठ पत्रकार रोहित पुनेठा ने ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) को बाय बोल दिया है। वह लंबे समय से इस संस्थान में कार्यरत थे और ‘इंडिया न्यूज नेशनल’ में आउटपुट हेड के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्हें पिछले साल सितंबर में ही इस पद पर प्रमोट किया गया था और वह दिल्ली में आउटपुट डिपार्टमेंट के साथ अपनी भूमिका निभा रहे थे। रोहित पुनेठा इससे पहले यहां पर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

समाचार4मीडिया से बातचीत में रोहित पुनेठा ने अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए बताया कि वह अपनी नई पारी की शुरुआत ‘न्यूज इंडिया’ (News India) चैनल से बतौर आउटपुट एडिटर करने जा रहे हैं। वह एक अगस्त को इस चैनल में जॉइन करेंगे।  

बता दें कि पुनेठा ने वर्ष 2008 में देहरादून से उत्तराखंड के न्यूज चैनल ‘टीवी100’ से टीवी पत्रकारिता में करियर की शुरुआत की थी। टीवी पत्रकारिता में अपनी अब तक की पारी के दौरान रोहित ‘साधना न्यूज़’, ‘टोटल न्यूज़’ के अलावा ‘न्यूज एक्सप्रेस’ और ‘आजतक’ में भी काम कर चुके हैं।

समाचार4मीडिया की ओर से रोहित पुनेठा को उनकी नई पारी के लिए अग्रिम रूप से ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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लंबे समय बाद ऋचा अनिरुद्ध की न्यूजरूम में वापसी जल्द, संभालेंगी बड़ी जिम्मेदारी

ऋचा अनिरुद्ध, भारतीय मीडिया का एक प्रतिष्ठित और जाना-पहचाना नाम है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।

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Tuesday, 29 July, 2025
Richa Anirudh.

वरिष्ठ टीवी पत्रकार और जानी-मानी न्यूज एंकर ऋचा अनिरुद्ध मीडिया में जल्द अपनी नई पारी की शुरूआत करने जा रही हैं। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक ऋचा अनिरुद्ध अब ‘नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड’ (Network18 Media & Investments Limited) की टीम में शामिल होंगी। वह इस नेटवर्क के तेजी से उभरते डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘कड़क’ (Kadak) में बतौर कंसल्टेंट जॉइन करने जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, वह एक अगस्त से यहां कार्यभार संभालेंगी।

गौरतलब है कि ऋचा अनिरुद्ध, भारतीय मीडिया का एक प्रतिष्ठित और जाना-पहचाना नाम है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है और अपनी प्रतिभा के दम पर बहुत ही कम समय में खास मुकाम हासिल किया है। ऋचा अनिरुद्ध की छवि एक गंभीर और जनोन्मुखी पत्रकार व एंकर की है। पूर्व में ऋचा लंबे समय तक ‘आईबीएन7’ (अब न्यूज18 इंडिया) के साथ जुड़ी रहीं, जहां वे चैनल के मशहूर शो 'जिंदगी लाइव' को होस्‍ट करती थीं।

ऋचा ने अपने पत्रिकारिता करियर की शुरुआत साल 2002 में जी न्यूज के साथ बतौर रिपोर्टर और एंकर की। 2005 में वे ‘चैनल7’ से जुड़ गई। हालांकि बाद में इस चैनल का नाम बदलकर ‘आईबीएन7’ कर दिया गया और फिर ‘न्यूज18इंडिया’। 2007 में उन्हें बहुप्रचलित शो ‘जिंदगी लाइव’ को होस्ट करने का मौका मिला और इस शो को उन्होंने ख्याति के मुकाम तक पहुंचा दिया। साथ ही ऋचा भी पत्रकारिता जगत में एक चमकता हुआ सितारा बन गईं। ‘जिंदगी लाइव’ शो को कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, साथ ही उन्होंने भी कई बार इसकी बेस्ट एंकरिंग का खिताब अपने नाम किया।

यही नहीं, वर्ष 2014 से 2021 तक उन्होंने ‘बिग एफएम’ पर रेडियो शो भी किए हैं। ऋचा अनिरुद्ध को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर गहरी पकड़ है। मीडिया के अतिरिक्त अन्य माध्यमों से भी वे अपने सामाजिक दायित्वों का सम्यक निर्वाह करती हैं। साल 2013 के बाद से टीवी से उन्होंने दूरी भले ही बना ली लेकिन उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल ‘जिंदगी विद ऋचा‘ (Zindagi with Richa) के माध्यम से लोगों से जुड़ाव बनाए रखा है। अब वह एक बार फिर न्यूज रूम का हिस्सा बनने जा रही हैं।  

बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार और ‘नेटवर्क18’ समूह में कंसल्टिंग एडिटर शमशेर सिंह के नेतृत्व में ‘कड़क’ ने अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत जहां इस टीम में कई बड़े नाम शामिल हो रहे हैं, वहीं यहां भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस वर्टिकल में कई और बड़े नाम शामिल होंगे।

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उदय माहुरकर का तीखा हमला: OTT व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में छिपे हैं 'सांस्कृतिक आतंकी'

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त और सांस्कृतिक विश्लेषक उदय माहुरकर ने एक बार फिर भारतीय मीडिया में फैल रहे अश्लील और यौन रूप से स्पष्ट कंटेंट के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

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Tuesday, 29 July, 2025
UdayMahurkar78412

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त और सांस्कृतिक विश्लेषक उदय माहुरकर ने एक बार फिर भारतीय मीडिया में फैल रहे अश्लील और यौन रूप से स्पष्ट कंटेंट के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने मीडिया प्लेटफॉर्म्स, फिल्म मेकर्स और यहां तक कि ब्रैंड्स पर भी आरोप लगाया कि वे एक खतरनाक एजेंडा चला रहे हैं, जो देश की नैतिकता को खोखला कर रहा है।

एक विस्तृत बातचीत में माहुरकर ने बताया कि इस तरह के कंटेंट का इकोसिस्टम कैसे विकसित हुआ है, उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल लोगों को सीधे तौर पर निशाना बनाया और सरकार से मांग की कि वह इस पर तुरंत कार्रवाई करे। उन्होंने इसे "सांस्कृतिक आतंकवाद" बताया।

माहुरकर ने चेतावनी दी कि आज के इन "सांस्कृतिक आतंकवादियों" से जो नुकसान हो सकता है, वह उन शासकों की तबाही से भी ज्यादा गंभीर हो सकता है जिन्होंने सदियों तक भारत पर राज किया। उन्होंने कहा, "खिलजी, तुगलक, लोधी और औरंगजेब जैसे मूर्तिभंजक शासकों ने सैकड़ों वर्षों तक राज किया, फिर भी हमारी संस्कृति को खत्म नहीं कर सके। लेकिन अगर इन सांस्कृतिक आतंकवादियों को नहीं रोका गया तो ये कुछ ही वर्षों में हमारी संस्कृति को खत्म कर देंगे।"

इसके साथ ही उन्होंने विज्ञापनों में "आधा या कम कपड़े पहने" महिलाओं को दिखाने की प्रवृत्ति की भी कड़ी आलोचना की और सख्त रेगुलेशन की मांग की। उन्होंने कहा,"इस पर सख्त नियंत्रण होना चाहिए। ये नियंत्रण सिर्फ फिल्मों पर नहीं, बल्कि विज्ञापनों और हर ऑडियो-विजुअल प्लेटफॉर्म पर लागू होना चाहिए।"

उदय माहुरकर अश्लील, विकृत और यौन उत्तेजक कंटेंट के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने सरकार द्वारा हाल ही में 25 ऐप्स पर लगाए गए प्रतिबंध का स्वागत किया, लेकिन इसे सिर्फ एक शुरुआत बताया। उनके अनुसार, भारत को ऐसे अश्लील कंटेंट के खिलाफ उतनी ही कठोर कार्रवाई करनी चाहिए जितनी अमेरिका ड्रग्स के खिलाफ करता है, क्योंकि यह कंटेंट रेप, तलाक और भारत की संस्कृति और चरित्र को बर्बाद कर रहा है। उन्होंने संसद से अपील की कि वह ‘इंडीसेंट रिप्रेजेंटेशन ऑफ वीमेन एक्ट’ को और सख्त बनाए और पॉर्नोग्राफी पर पूरी तरह से रोक लगाए।

OTT, फिल्में और ब्रैंड्स पर सीधा निशाना

माहुरकर ने AltBalaji जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जो कंटेंट दिखाया जा रहा है, उस पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि एक शो में एक पुरुष किरदार को अपनी दादी, सौतेली मां, भाभी और चचेरी बहन के साथ अवैध संबंध बनाते हुए दिखाया गया- वो भी बिना किसी नैतिक परिणाम के। उनके मुताबिक ये केवल कल्पना नहीं है, बल्कि मनोरंजन के नाम पर विकृति को सामान्य बनाया जा रहा है।

फिल्मों की टाइमिंग पर संदेह

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 24 फरवरी को इस विषय में कार्रवाई की चेतावनी दी थी, तो फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग “Sabarmati Report” जैसी राष्ट्रवादी भावनाओं से जुड़ी फिल्में बनाने लगे ताकि वे कानूनी कार्रवाई से बच सकें और सत्ता के करीब बने रहें।

'जिस्म' से उर्फी जावेद तक: एक सांस्कृतिक गिरावट

उन्होंने बताया कि 2000 के दशक की शुरुआत में जब फिल्म ‘जिस्म’ आई थी, तभी वे आरएसएस की अंदरूनी बैठकों में नेताओं को इस गिरावट के खतरे से आगाह कर रहे थे। उनका मानना है कि बार-बार यौन कंटेंट देखने से व्यक्ति का व्यवहार धीरे-धीरे बदल जाता है, भले ही वह जानता हो कि जो देख रहा है वह गलत है।

आज ये ट्रेंड सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विस्फोट की तरह फैल चुका है। उन्होंने उर्फी जावेद जैसे सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर अश्लील कपड़े पहनकर और अश्लील वीडियो बनाकर प्रसिद्धि और पैसा कमा रही हैं।

उन्होंने कहा, "ये फैशन नहीं है, ये सांस्कृतिक विनाश है।"

पोर्नोग्राफी से उपजा नैतिक संकट

उदय माहुरकर ने सबसे गंभीर चिंता यह जताई कि पोर्न देखने और यौन हिंसा के मामलों में सीधा संबंध बन चुका है। उन्होंने बलात्कार विरोधी कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि आजकल बलात्कार के ज्यादातर मामलों में आरोपी पहले पोर्न देख चुके होते हैं।

उन्होंने ऐसे चौंकाने वाले मामलों का जिक्र किया जिनमें 10 साल, यहां तक कि 5 साल के छोटे बच्चों तक के साथ रेप हुआ और यह सब थोड़े बड़े लड़कों द्वारा किया गया, जिन्होंने मोबाइल या टैबलेट पर अश्लील कंटेंट देखा था।
उन्होंने कहा, "ऐसे मामले तो एक दशक पहले सोचे भी नहीं जा सकते थे। लेकिन अब तो ये 5, 6, 7, 10 साल की उम्र में ही शुरू हो रहा है, जैसे किसी विकृत उत्सव की तरह।"

उन्होंने Yukita और Pratibha Desai जैसी सामाजिक कार्यकर्ताओं का हवाला दिया, जो विचारधारा से उनसे भले अलग हों, लेकिन खुद मानती हैं कि पोर्न यौन हिंसा की एक बड़ी वजह बन चुका है। माहुरकर ने एक कार्यकर्ता के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, "जो भी रेप करता है, वह फोन के जरिए करता है।"

सख्त कानून और ब्रैंड्स पर कार्रवाई की मांग

इस खतरे से निपटने के लिए माहुरकर ने तुरंत और व्यापक कानूनी सुधार की मांग की। उन्होंने कहा, "Indecent Representation of Women Act को और मजबूत किया जाना चाहिए।" उन्होंने सजा की अधिकतम सीमा 3 साल से बढ़ाकर 10 साल करने की बात कही।

उनके अनुसार सिर्फ कंटेंट बनाने वालों को नहीं, बल्कि उन ब्रैंड्स को भी सजा मिलनी चाहिए जो ऐसे कंटेंट को स्पॉन्सर कर रहे हैं, चाहे वे ऑटो कंपनियां ही क्यों न हों जिनका मनोरंजन से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने एक सख्त उदाहरण देते हुए औपनिवेशिक काल की नीति का जिक्र किया, "कभी-कभी एक को फांसी पर लटकाना पड़ता है ताकि बाकी सुधर जाएं।" उनका तात्पर्य था कि ऐसे हाई-प्रोफाइल मामलों में सख्त सजा देकर समाज में अनुशासन और डर पैदा करना जरूरी है।

उन्होंने दो टूक कहा, "ये लोग सांस्कृतिक आतंकवादी हैं। कानून को भी इन्हें वैसा ही मानकर कार्रवाई करनी चाहिए।" 

 

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MeitY की डिजिटल रफ्तार पर ब्रेक, संसदीय समिति ने उठाए सवाल

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 32.5% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे कुल आवंटन बढ़कर ₹21,936.90 करोड़ हो गया है।

Last Modified:
Monday, 28 July, 2025
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 32.5% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे कुल आवंटन बढ़कर ₹21,936.90 करोड़ हो गया है। लेकिन संसद में इस पर कोई खुशी नहीं दिख रही है, क्योंकि बीते साल के बजट में से ₹1,574 करोड़ खर्च ही नहीं हो पाए।

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) की कड़ी आलोचना की है, जिसे उसने 'खराब योजना और ढीली निगरानी' कहा है। इस प्रदर्शन में गिरावट की जड़ में दो बड़ी डिजिटल योजनाएं हैं: प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) प्रोग्राम और संशोधित सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग मिशन। इन दोनों योजनाओं में कुल ₹1,097 करोड़ से अधिक की राशि खर्च नहीं हो सकी।

यह केवल कोई नौकरशाही अड़चन नहीं है। जिन योजनाओं का बजट खर्च नहीं हो पाया, वही योजनाएं भारत के उस सपने की नींव हैं, जिसमें वह एक वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने और AI क्षमताओं को तेजी से आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखता है और भारत की इन डिजिटल महत्वाकांक्षाओं को देख रही मार्केटिंग और मीडिया इंडस्ट्री के लिए ये रुकावटें मायने रखती हैं।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट में बढ़ोतरी को सरकार के तकनीक-प्रमुख दृष्टिकोण का हिस्सा बताया गया था, जिसमें सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, इंडिया AI मिशन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया। ये सभी क्षेत्र उस डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाते हैं जो OTT डिलीवरी से लेकर प्रोग्रामेटिक विज्ञापन मापन, मार्केटिंग टेक प्लेटफॉर्म और नए उपभोक्ता टचपॉइंट्स तक सबका आधार हैं।

इसलिए जब ये योजनाएं धीमी पड़ती हैं, तो इसका असर दूर तक फैलता है। एक वरिष्ठ एजेंसी प्लानर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “PLI से जुड़ी चिप महत्वाकांक्षाएं उन मुख्य संकेतों में से एक थीं जिनके जरिए हम भारत की लॉन्ग-टर्म क्षमता को एक मार्केटिंग टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में आंक रहे थे। यदि क्रियान्वयन इतना असंगत हो, तो यह भ्रमित करने वाला संकेत देता है।”

अपना पक्ष रखते हुए MeitY ने कहा कि अब वह जमीनी हकीकत पर आधारित बजटीय अनुमान के साथ काम कर रहा है और सचिव की अध्यक्षता में साप्ताहिक समीक्षा भी की जा रही है। लेकिन समिति इससे संतुष्ट नहीं है। उसने ज्यादा सख्त निगरानी तंत्र, फंड उपयोग के लिए रियल-टाइम डैशबोर्ड और प्रदर्शन आधारित कार्य संस्कृति की मांग की है।

यह उस समय पर हो रहा है जब भारत की व्यापक डिजिटल अर्थव्यवस्था- जो ताजा इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले ही ₹7.3 लाख करोड़ की विज्ञापन और मीडिया मशीन बन चुकी है- इन्फ्रास्ट्रक्चर-स्तरीय नवाचारों पर बुरी तरह निर्भर है। विशेष रूप से IndiaAI मिशन को सुरक्षित, स्केलेबल और आर्थिक रूप से लाभदायक AI तैनाती की आधारशिला के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें डिजिटल मार्केटिंग इंडस्ट्री की भी गहरी भागीदारी है।

जैसे-जैसे ब्रांड्स फ़र्स्ट-पार्टी डेटा ईकोसिस्टम, उन्नत टार्गेटिंग और रियल-टाइम एट्रिब्यूशन की मांग कर रहे हैं, वैसे-वैसे सरकार की तकनीकी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन कोई परिधीय मुद्दा नहीं रह जाता बल्कि यह एक ढांचागत आवश्यकता बन जाता है। 

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‘PTC Entertainment’ की नई CEO होंगी राजी एम. शिंदे

राजी एम. शिंदे पहले भी ‘पीटीसी नेटवर्क’ में शामिल रह चुकी हैं। अब अपनी नई भूमिका में वह एक अगस्त 2025 से कार्यभार ग्रहण करेंगी।

Last Modified:
Monday, 28 July, 2025
Rajiee M Shinde

भारतीय मीडिया की जानी-मानी हस्ती और दादा साहब फाल्के फिल्म फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित राजी एम. शिंदे की ‘पीटीसी नेटवर्क’ (PTC Network) में वापसी हुई है। नेटवर्क द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, राजी एम. शिंदे ‘पीटीसी एंटरटेनमेंट’ (PTC Entertainment) की नई मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) होंगी। वह 1 अगस्त 2025 से अपना कार्यभार संभालेंगी।

राजी शिंदे मीडिया और एंटरटेनमेंट जगत की ऐसी अनुभवी लीडर हैं, जिन्होंने अपने दो दशक से अधिक लंबे करियर में कंटेंट स्ट्रैटेजी, इनोवेशन और कारोबार वृद्धि के जरिये कई ब्रैंड्स को लीडरशिप पोजीशन तक पहुंचाया है और विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर नए रेवेन्यू स्रोत भी विकसित किए हैं।

इससे पहले वह ‘इन10 मीडिया’ (In10media) की ओर से नेशनल म्यूज़िक चैनल ‘शोबॉक्स’ को लॉन्च कर चुकी हैं। उससे पहले उन्होंने ‘जी ग्रुप’ (Zee Group) के तहत ‘ईटीसी पंजाबी’ की बिजनेस हेड के तौर पर देश का पहला पंजाबी म्यूजिक चैनल शुरू किया था। कहा जाता है कि उनके इसी नेतृत्व में पंजाबी म्यूजिक टेलीविजन इंडस्ट्री की नींव रखी गई थी।

गौरतलब है कि राजी एम. शिंदे पहले भी ‘पीटीसी नेटवर्क’ में शामिल रह चुकी हैं। यहां अपनी पहली पारी के दौरान पीटीसी पंजाबी को नंबर-1 पंजाबी चैनल के तौर पर स्थापित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें दर्शकों की पसंद, कंटेंट की समझ और बाज़ार की नब्ज पहचानने में महारत हासिल है।

अपनी नई नियुक्ति के बारे में राजी एम. शिंदे का कहना है, ‘पीटीसी ग्रुप का फिर से हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। पीटीसी एंटरटेनमेंट पंजाबी दर्शकों के साथ गहरा भावनात्मक जुड़ाव रखता है और इसमें असीम संभावनाएं हैं। मेरी प्राथमिकता है कि इन संभावनाओं को पूरी तरह साकार कर सकूं। मेरा उद्देश्य मूल और मौलिक कंटेंट को नए स्तर तक ले जाना और पंजाबी फिल्म और संगीत के लिए एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाना है, जो वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक हो।’

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ओडिशा की उड़ान: पाञ्चजन्य का सुशासन संवाद 2025

पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित "ओडिशा की उड़ान" संवाद 28 जुलाई 2025 को भुवनेश्वर में आयोजित होगा। मुख्यमंत्री मोहन माझी सहित कई प्रमुख वक्ता राज्य के सुशासन और विकास मॉडल पर विचार साझा करेंगे।

Last Modified:
Sunday, 27 July, 2025
Odisha good governance 2025

28 जुलाई 2025 को भुवनेश्वर के ताज विवांता में एक विशेष आयोजन होने जा रहा है, जो ओडिशा के सुशासन मॉडल और विकास यात्रा को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का संकेत देता है। 'पाञ्चजन्य' द्वारा आयोजित यह संवाद — "ओडिशा की उड़ान" — न केवल राज्य के प्रशासनिक और सामाजिक बदलावों को रेखांकित करेगा, बल्कि सुशासन की दिशा में उठाए गए प्रभावी कदमों को देश के समक्ष प्रस्तुत करने का भी माध्यम बनेगा।

इस आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी, जिनके नेतृत्व में राज्य ने हाल ही में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में कई उल्लेखनीय सफलताएँ प्राप्त की हैं। उनके कार्यकाल में पारदर्शिता, जनहित और समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, जिसका असर राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मुकुल कानिटकर, ओडिशा की उपमुख्यमंत्री श्रीमती प्रभाती परिड़ा, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार, महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री नितेश राणे और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह जैसे नाम इस संवाद में अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा करेंगे।

इस संवाद का उद्देश्य ओडिशा में हो रहे व्यापक परिवर्तन और सुशासन के प्रयासों को रेखांकित करना है। जनजातीय क्षेत्रों में विकास, केंद्र और राज्य की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा की जाएगी। यह मंच केवल सरकार या नीति निर्माताओं का नहीं, बल्कि समाज और शासन के बीच एक पुल की तरह कार्य करेगा।

पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने स्पष्ट किया कि यह संवाद केवल एक बौद्धिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह शासन और समाज के बीच सार्थक संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इस अवसर पर देशभर से प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी, पत्रकार, अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे, जो ओडिशा के विकास की इस उड़ान को नज़दीक से देखेंगे और समझेंगे। "ओडिशा की उड़ान" सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक दिशा है — सुशासन, संवाद और समरसता की दिशा में।

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बिहार सरकार से पत्रकार पेंशन योजना को सरल बनाने की मांग

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र बच्चन ने सीएम के नाम एक बयान जारी कर मांग की है कि बिहार सरकार पत्रकार पेंशन योजना को और अधिक सरल बनाए।

Last Modified:
Saturday, 26 July, 2025
nitishkumar

राष्ट्रीय पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन ने बिहार में पत्रकारों की पेंशन बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा की है। लेकिन एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन ने सीएम नीतीश कुमार से मांग की है कि वे पत्रकार पेंशन योजना को और अधिक सरल बनाएं, ताकि राज्य के अधिक से अधिक पत्रकारों को इसका लाभ मिल सके।

उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में सभी पात्र पत्रकारों को हर महीने 6 हजार रुपये की जगह 15 हजार रुपये पेंशन की राशि प्रदान करने की घोषणा कर दी है। साथ ही बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन प्राप्त कर रहे पत्रकारों की मृत्यु होने की स्थिति में उनके आश्रित पति/पत्नी को जीवनपर्यन्त प्रतिमाह तीन हजार की जगह 10 हजार रुपये की पेंशन राशि दी जाएगी।

राष्ट्रीय पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस निर्णय की प्रशंसा की है। लेकिन एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र बच्चन ने सीएम के नाम एक बयान जारी कर मांग की है कि बिहार सरकार पत्रकार पेंशन योजना को और अधिक सरल बनाए, ताकि अधिक से अधिक पत्रकारों को इसका लाभ मिल सके।

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बिहार सरकार ने पत्रकारों को दी बड़ी सौगात, सम्मान पेंशन राशि में किया इजाफा

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के पत्रकारों को एक महत्वपूर्ण तोहफा दिया है।

Last Modified:
Saturday, 26 July, 2025
NitishKumar87412

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के पत्रकारों को एक महत्वपूर्ण तोहफा दिया है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन के बाद अब बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत मिलने वाली राशि में बड़ा संशोधन किया गया है। अब इस योजना के अंतर्गत पात्र पत्रकारों को हर महीने ₹6,000 की बजाय ₹15,000 की मासिक पेंशन मिलेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए साझा की। उन्होंने कहा, "यह बताते हुए मुझे संतोष हो रहा है कि बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत अब सभी पात्र पत्रकारों को ₹6,000 की जगह ₹15,000 मासिक पेंशन देने का निर्देश विभाग को दिया गया है।"

आश्रितों को भी मिलेगा लाभ, पेंशन में तीन गुना बढ़ोतरी

केवल जीवित पत्रकार ही नहीं, बल्कि उनके निधन के बाद उनके परिजनों को भी इस योजना का सीधा लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि यदि किसी पत्रकार की मृत्यु हो जाती है, तो उनके आश्रित पति या पत्नी को अब तक मिल रही ₹3,000 की मासिक पेंशन को बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकारों की भूमिका लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनकी निष्पक्षता तथा स्वतंत्रता सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सेवानिवृत्ति के बाद पत्रकारों को गरिमामय जीवन जीने का अवसर मिले, इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।

यह फैसला ना सिर्फ राज्य के पत्रकार समुदाय में सकारात्मक ऊर्जा भरने वाला है, बल्कि इससे पत्रकारिता के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की झलक भी मिलती है।

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