इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
केंद्र सरकार ने जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य (0%) कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बहुत अच्छी खबर -जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और रेयर मेडिसिन्स पर अब जीएसटी शून्य। पहले यह 12% था।
यह कदम पहले ही उठ जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। अगली चुनौती है कि ये दवाइयां हर जरूरतमंद तक उपलब्ध हों। सरकार के इस फैसले से देशभर में लाखों मरीजों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब इन महंगी दवाइयों की कीमतें कम होंगी और उपचार का आर्थिक बोझ कुछ हद तक घटेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि सिर्फ टैक्स में छूट काफी नहीं है। इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
Very good news: zero tax on life saving cancer drugs and rare medicines. From 12% to zero per cent. Well done @nsitharaman @narendramodi . Yes, should have happened much earlier (as should have NO GST on health and life insurance) but better later than never. Next challenge is…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 4, 2025
क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जोधपुर में शुक्रवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें भाजपा विश्व हिंदू परिषद स्वदेशी जागरण मंच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संस्कार भारत सेवा भारती मजदूर संगठन प्रमुख हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे। दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषयों पर निर्णायक सहमति बन सकती है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। बीजेपी ने अभी तक अपना नया अध्यक्ष तय नहीं किया है। क्या नड्डा जी इस बैठक में मोदी जी का संदेश लेकर गए हैं, या संघ से कोई कड़ा संदेश लेकर लौटेंगे? मोहन भागवत ने दिल्ली में साफ कर दिया था कि संघ को बीजेपी अध्यक्ष चुनना होता तो इतना समय नहीं लगता। मतलब साफ संदेश है कि हमारी दी हुई सलाह पर निर्णय बीजेपी को करना है। हमारी सलाह को माने या अपने मनमानी का फैसला ले, लेकिन अध्यक्ष को लेकर निर्णय ले।
अटकाने, लटकाने, भटकाने की जरूरत नहीं है। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के पास बीजेपी अध्यक्ष को लेकर 10 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तक का ही समय है। 9 सितंबर को उप राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा। उसके बाद 28 सितंबर के आसपास बिहार चुनाव की अधिसूचना लगने की संभावना है, ऐसे में सिर्फ 15-17 दिन का वक्त ही है जिसमें बीजेपी अपना नया अध्यक्ष चुन सकती है।
क्या नड्डा जी मोहन भागवत को यह संदेश देने गए हैं कि नया अध्यक्ष अब बिहार चुनाव के बाद मिलेगा, या यह भरोसा देकर लौटेंगे कि इसी सितंबर माह में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। नया अध्यक्ष बीजेपी को मिलना तय है, लेकिन क्या यह भी तय है कि नया अध्यक्ष संघ की पसंद का होगा?
मामला पेचीदा और फंसा हुआ है। क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा, किसके हित में होता है यह देखना बाकी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है।बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे।
— sameer chougaonkar (@semeerc) September 5, 2025
दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषय पर निर्णायक सहमति बन सकती है।जिसका असर…
आपको बता दें, हाल ही में राहुल गांधी के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देने का मामला सामने आया था। इसके विरोध में बीजेपी ने गुरुवार को 5 घंटे का बिहार बंद बुलाया था।
केरल कांग्रेस के एक ट्वीट ने बिहार में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। केरल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर बिहार की तुलना बीड़ी से करते हुए 'B से बिहार, B से बीड़ी' जिसके बाद बवाल मच गया। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, यूपी और बिहार के लोगों से नफरत सिर्फ डीएमके ही नहीं, कांग्रेस के नेता भी करते हैं। केरल कांग्रेस का यह ट्वीट देखिए B से बिहार, B से बीड़ी। इनकी सामंती सोच से बिहार के लोग सिर्फ बीडी पीते रहते हैं और टॉयलेट क्लीनर्स होते हैं।
आपको बता दें, हाल ही में राहुल गांधी के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देने का मामला सामने आया था। इसके विरोध में बीजेपी ने गुरुवार को 5 घंटे का बिहार बंद बुलाया था। जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के विवादों से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
यूपी और बिहार के लोगों से नफरत सिर्फ DMK ही नहीं, कांग्रेस के नेता भी करते हैं।
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 5, 2025
केरल कांग्रेस का यह ट्वीट देखिए B से बिहार, B से बीड़ी। इनकी सामंती सोच से बिहार के लोग सिर्फ बीडी पीते रहते हैं और टॉयलेट क्लीनर्स होते हैं।
ट्वीट पर बवाल होने के बाद इसे डीलीट किया गया है। pic.twitter.com/vpztLWGKSz
नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े 'वृहद साज़िश' मामले में गिरफ्तार प्रमुख कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दी हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, इन लड़कों की जमानत खारिज होने पर एक बड़ा वर्ग दुखी हो गया है। भयानक पीड़ा में है। सच भी है, देश के नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है। देश तोड़ने की इच्छा इन नौजवानों के मन में पनप रही थी।
इनके ऊपर राजद्रोह नहीं, देशद्रोह का आरोप है। देश विरोधी गतिविधि करने वाले को सबक अवश्य मिलना चाहिए। वैसे, एक तथ्य यह भी है कि, इनके वकील तारीख मांगने से अधिक टलवाने के लिए अर्जी लगाते रहे।
आपको बता दें, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायिक प्रक्रिया में हुई देरी और लंबे समय तक जेल में रहने का हवाला जमानत का स्वत: आधार नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार संविधान के तहत है, लेकिन वह साज़िश या हिंसा के लिए ढाल नहीं बन सकता।
इन लड़कों की जमानत खारिज होने पर एक बड़ा वर्ग दुखी हो गया है। भयानक पीड़ा में है। सच भी है, देश के नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है। देश तोड़ने की इच्छा इन… pic.twitter.com/dmTzibYacR
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) September 2, 2025
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने राजदीप सरदेसाई के शो में स्पष्ट रूप से कहा है कि, हम जलवायु परिवर्तन को रोक नहीं सकते।
उत्तर भारत के बड़े हिस्से इन दिनों बाढ़ की चपेट में हैं। लाखों लोग पानी में फंसे हुए हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। यह स्थिति केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि देश अब जलवायु आपातकाल का सामना कर रहा है, लेकिन संसद, मंत्रिमंडल की बैठकों या टीवी चैनलों पर इस गंभीर विषय पर बहुत कम चर्चा होती है।
सवाल उठ रहा है कि आखिर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ठोस योजना कब बनेगी। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने राजदीप सरदेसाई के शो में स्पष्ट रूप से कहा है कि, हम जलवायु परिवर्तन को रोक नहीं सकते, लेकिन हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि हर साल चरम मौसम की घटनाएँ और बढ़ेंगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकारें अभी से ठोस कदम नहीं उठातीं तो हर साल बाढ़, सूखा, लू और असामान्य बारिश जैसी आपदाएँ आम होती जाएँगी। दरअसल, विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ जैसी आपदाएँ केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि आंशिक रूप से मानव निर्मित भी हैं। अनियोजित शहरीकरण, नदियों के किनारे अतिक्रमण और जल निकासी तंत्र की कमजोरियों ने स्थिति को और भयावह बना दिया है।
#EXCLUSIVE | @sunitanar, DG of Centre for Science & Environment (CSE), says we can't do anything about climate change but we have to at least start accepting the fact that every year extreme weather events are going to increase, we have to start planning for it. Listen in.… pic.twitter.com/udbomDoltX
— IndiaToday (@IndiaToday) September 2, 2025
सभी उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे प्रवेश पत्र पर अंकित दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और निर्धारित तिथि व समय पर परीक्षा केंद्र पर प्रवेश पत्र के साथ समय से पहुँचे।
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) ने प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी)-2025 के प्रवेश पत्र जारी कर दिए हैं। यह परीक्षा छह और सात सितंबर को प्रदेश के 48 जिलों में दो पालियों में आयोजित होगी। परीक्षा के लिए 25 लाख से अधिक अभ्यर्थी पंजीकृत हैं।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर सरकार से एक मांग की। उन्होंने लिखा, आगामी 6 और 7 सितंबर को चार पालियों में उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में 'UPSSSC PET' की परीक्षा का आयोजन होना है। परीक्षा केंद्र भी कई -कई सौ किलोमीटर दूर हैं।
मेरा प्रदेश सरकार से अनुरोध होगा कि अभ्यर्थियों के लिए बस यात्रा को निशुल्क कर दिया जाए। युवाओं को इससे बड़ी राहत होगी। आपको बता दें, सभी उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे प्रवेश पत्र पर अंकित दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और निर्धारित तिथि व समय पर परीक्षा केंद्र पर प्रवेश पत्र के साथ समय से पहुँचे। बिना वैध प्रवेश पत्र के किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
आगामी 6 और 7 सितंबर को चार पालियों में उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में UPSSSC PET की परीक्षा का आयोजन होना है --- परीक्षा केंद्र भी कई -कई सौ किलोमीटर दूर हैं ---मेरा प्रदेश सरकार से अनुरोध होगा कि अभ्यर्थियों के लिए बस यात्रा को निशुल्क कर दिया जाए --- युवाओं को इससे बड़ी राहत…
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 2, 2025
जब मामला विदेश नीति, अमेरिका और चीन से मुकाबले का हो तो सबको देशहित में एकजुट रहना चाहिए। प्रधानमंत्री कोई भी हो, राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए।
चीन में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) समिट के दूसरे दिन भारत को बड़ी सफलता मिली। यहां पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भी मौजूदगी में पहलगाम हमले की निंदा की गई। घोषणा पत्र में कहा गया कि इस हमले के अपराधियों, आयोजकों और उन्हें समर्थन देने वालों को सजा दिलाना जरूरी है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिप्लोमैसी ने एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। जिन लोगों ने यह कहा था कि भारत की विदेश नीति असफल हो गई है, उन्हें मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की दोस्ती देखकर बड़ा झटका लगा होगा।
जो लोग यह कहते थे कि मोदी चीन से डरते हैं, उन्होंने देखा कि मोदी ने सीधे आंखों में आंख डालकर पाकिस्तान के आतंकवाद की निंदा की। वहीं आलोचकों ने यह भी देखा कि राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी कार में बैठकर मोदी का इंतज़ार किया और दोनों नेताओं ने कार में 50 मिनट तक बातचीत की।
पुतिन के राजनयिक संबंधों में ऐसा दूसरा उदाहरण दुर्लभ है। कुछ समय पहले जो लोग 'नरेंद्र सरेंडर' कहकर उपहास कर रहे थे, आज अमेरिकी दूतावास का बयान पढ़कर हैरान रह गए होंगे। अमेरिका ने साफ कहा कि भारत-अमेरिका के रिश्ते गहरे हैं और दोनों देश नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं।
वहीं जो लोग ट्रंप के टैरिफ़ के चलते मोदी की मुश्किलें गिना रहे थे, उन्हें यह देखकर ताज्जुब होगा कि मोदी ने पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मिलकर वर्ल्ड ऑर्डर का संतुलन बनाकर अमेरिका को चौंका दिया। दरअसल, मोदी की विदेश नीति की आलोचना करने वाले लोग असल में भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे थे।
जबकि सच्चाई यह है कि जब मामला विदेश नीति, अमेरिका और चीन से मुकाबले का हो तो सबको देशहित में एकजुट रहना चाहिए। प्रधानमंत्री कोई भी हो, सरकार किसी भी पार्टी की क्यों न हो, राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए।
इस दौरान ‘इंडिया टीवी’ के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा अपने तीखे और सीधे सवालों से मुख्यमंत्री से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास जैसे मुद्दों पर जवाब मांगेंगे।
देश के सबसे चर्चित और लोकप्रिय टीवी शो ‘आपकी अदालत’ में आज ‘इंडिया टीवी’ के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के मेहमान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे। शनिवार रात 10 बजे प्रसारित होने वाले इस विशेष एपिसोड का देशभर में दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है।
कार्यक्रम में जज की भूमिका निभाएंगे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के पूर्व कुलपति और इंडिया हैबिटैट सेंटर के निदेशक प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश। गौरतलब है कि डॉ. सुरेश, मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में एमसीयू भोपाल के कुलपति रह चुके हैं।
इस दौरान रजत शर्मा अपने तीखे और सीधे सवालों से मुख्यमंत्री से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास जैसे मुद्दों पर जवाब मांगेंगे। मुख्यमंत्री जहां विपक्ष के आरोपों का मुस्कराते हुए जवाब देंगे, वहीं प्रो. डॉ. के.जी. सुरेश जज की भूमिका निभाते हुए अपने अंदाज में निर्णय सुनाएंगे। ऐसे में ‘आपकी अदालत’ का यह एपिसोड दर्शकों के लिए और भी खास होने वाला है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पेशी रजत शर्मा की अदालत में
— India TV (@indiatvnews) August 30, 2025
देखिए, डॉ. मोहन यादव को 'आप की अदालत' में आज रात 10 बजे इंडिया टीवी पर@DrMohanYadav51 @CMMadhyaPradesh @IndiaTVHindi @RajatSharmaLive#MohanYadavInAapKiAdalat #AapKiAdalat #MohanYadav pic.twitter.com/KczjQunmq4
विश्व गौरव उन गिने-चुने पत्रकारों में से हैं, जिन्होंने डिजिटल मीडिया के शुरुआती दौर में जमीनी स्तर की पत्रकारिता को मजबूती दी।
युवा पत्रकार विश्व गौरव ने इनशॉर्ट्स मीडिया ग्रुप के पब्लिक ऐप में हिंदी डेस्क मैनेजर के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल को समाप्त कर लिया है। उन्होंने स्टेट मैनेजर की जिम्मेदारी छोड़ दी है। इससे पहले विश्व गौरव ने टाइम्स ग्रुप के नवभारत टाइम्स डिजिटल में लगभग सात वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं और फिर हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल से जुड़े, जहां उन्होंने केवल 10 महीनों में लाइव हिंदुस्तान को अलविदा कह दिया था।
पब्लिक ऐप में विश्व गौरव हिंदी भाषी राज्यों के स्ट्रिंगर्स के साथ काम कर रहे थे। लाइव हिंदुस्तान में वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के स्ट्रिंगर्स की खबरों के साथ-साथ वीडियो कॉर्डिनेशन का काम देख रहे थे। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने ग्राउंड जीरो से कई विशेष स्टोरीज प्रस्तुत की थीं।
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में उनकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की स्ट्रिंगर्स टीम को संभालने की थी। इस दौरान उन्होंने कई ऐसी सीरीज चलाईं, जिन पर सरकार ने त्वरित संज्ञान लिया और कार्रवाई भी की। अब विश्व गौरव ने पब्लिक ऐप को भी छोड़ दिया है।
सूत्रों का कहना है कि वह जल्द ही किसी बड़े ब्रैंड के साथ मुख्यधारा के मीडिया में वापसी कर सकते हैं। विश्व गौरव उन गिने-चुने पत्रकारों में से हैं, जिन्होंने डिजिटल मीडिया के शुरुआती दौर में जमीनी स्तर की पत्रकारिता को मजबूती दी। इसके साथ ही वह एक कुशल लेखक भी हैं।
उनकी हालिया किताब ‘हलाहल’, जो मीडिया की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती है, पत्रकारिता के छात्रों के बीच खासी लोकप्रिय रही। इसके अलावा, उनकी एक अलग शैली में लिखी गई उपन्यास ‘क्वीन’ को भी पाठकों ने खूब पसंद किया।
हैवल्स ने आउटडोर और डिजिटल, दोनों माध्यमों का मेल कर यह दिखाया है कि वह त्योहारों में सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए भी प्रतिबद्ध है।
इलेक्ट्रिकल ब्रांड हैवल्स ने गणेश चतुर्थी के मौके पर एक अनोखा 360-डिग्री फेस्टिव कैंपेन लॉन्च किया है, जिसमें परंपरा, क्रिएटिविटी और टेक्नॉलॉजी का अनोखा मेल देखने को मिल रहा है। कैंपेन का मुख्य आकर्षण एक अनोखी गणेश प्रतिमा है, जिसे पूरी तरह हैवल्स के स्विच और अप्लायंसेज़ से तैयार किया गया है।
इस प्रतिमा को मुंबई के प्रमुख स्थानों जैसे प्रभादेवी सिद्धिविनायक मंदिर, वर्ली नाका जंक्शन और ठाणे माजीवाड़ा फ्लाईओवर जंक्शन पर स्थापित किया गया है। यह न सिर्फ ब्रांड की इनोवेटिव सोच को दर्शाता है बल्कि त्योहार की सांस्कृतिक अहमियत को भी सलाम करता है।
आउटडोर इंस्टॉलेशन के साथ-साथ हैवल्स ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी कई पहल की हैं। इसमें शामिल है एक 'AI-पावर्ड फेस्टिव फिल्म' जो गणेश चतुर्थी की भावनाओं को आधुनिक तकनीक के जरिए नए अंदाज में पेश करती है। इसके अलावा, इन्फ्लुएंसर-लीड वीडियो सीरीज़ भी लॉन्च की गई है, जो हैवल्स के स्टाइल में त्योहार की झलक दिखाती है।
इस कैंपेन को और मज़बूती देने के लिए कंपनी ने सोशल मीडिया एक्टिवेशन और टार्गेटेड डिजिटल प्रमोशन भी शुरू किए हैं। कुल मिलाकर, हैवल्स ने आउटडोर और डिजिटल, दोनों माध्यमों का मेल कर यह दिखाया है कि वह त्योहारों में सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव और रचनात्मकता के लिए भी प्रतिबद्ध है।
विद्यार्थियों को अपने अतीत के बारे में भी जानना चाहिए। ब्रिटिशों ने भारत पर अपनी शिक्षा प्रणाली थोप दी है और इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली लुप्त हो गई।
'संघ की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज' विषय पर आयोजित कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम दिन अपने संबोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत की शिक्षा प्रणाली का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब सिर्फ सभी जानकारियों को रटना नहीं है, विद्यार्थियों को अपने अतीत के बारे में भी जानना चाहिए।
ब्रिटिशों ने भारत पर अपनी शिक्षा प्रणाली थोप दी है और इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली लुप्त हो गई। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, आरएसएस प्रमुख से शिक्षा पर कई सवाल किए गए-शायद इसलिए कि आम धारणा है कि शिक्षा के मामलों को संघ देखता है।
सच जो भी हो, पिछले 11 वर्षों में शिक्षा के मोर्चे पर अपेक्षा से कहीं कम काम हुआ है। पाठ्यक्रम परिवर्तन अभी प्रारंभिक अवस्था में है, स्कूली इतिहास में मामूली तब्दीली हुई है और अनेक कुलपतियों की नियुक्तियां विवाद का विषय बनी हैं।
आपको बता दें, संघ प्रमुख ने अपने अतीत को याद करते हुए कहा कि जब मैं आठवीं क्लास में था, तो मेरे पिता ने मुझे ओलिवर ट्विस्ट को पढ़ने के लिए कहा था। लेकिन ओलिवर ट्विस्ट को पढ़ना और प्रेमचंद को पीछे छोड़ देना भी सही नहीं है।
आरएसएस प्रमुख से शिक्षा पर कई सवाल किए गए-शायद इसलिए कि आम धारणा है कि शिक्षा के मामलों को संघ देखता है। सच जो भी हो, पिछले 11 वर्षों में शिक्षा के मोर्चे पर अपेक्षा से कहीं कम काम हुआ है। पाठ्यक्रम परिवर्तन अभी प्रारंभिक अवस्था में है, स्कूली इतिहास में मामूली तब्दीली हुई है और…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) August 28, 2025