निष्पक्ष और तथ्य-आधारित खोजी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाला The Indian Express अब बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है
निष्पक्ष और तथ्य-आधारित खोजी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाला The Indian Express अब बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है। सोमवार यानी आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना संस्करण के औपचारिक शुभारंभ समारोह में शामिल होंगे। यह देशभर में प्रकाशित होने वाला इस प्रतिष्ठित अखबार का 11वां संस्करण होगा।
यह लॉन्च ऐसे समय पर हो रहा है जब देश उस दौर को याद कर रहा है जिसे लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय कहा जाता है- आपातकाल की घोषणा के 50 वर्ष। 1975 में जब लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन हुआ, प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया और सत्ता का दुरुपयोग अपने चरम पर था, तब The Indian Express ने रामनाथ गोयनका के नेतृत्व में इन अत्याचारों के खिलाफ सबसे मुखर विरोध दर्ज कराया था। सेंसरशिप के विरोध में अखबार ने एक खाली संपादकीय प्रकाशित कर आजादी की कीमत पर सवाल खड़े किए थे।
रामनाथ गोयनका का जयप्रकाश नारायण से गहरा संबंध था। जेपी ने 1974 में पटना के गांधी मैदान से ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा दिया और अगले ही वर्ष दिल्ली के रामलीला मैदान से इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ निर्णायक आह्वान किया। उस ऐतिहासिक आंदोलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक युवा नेता के रूप में सक्रिय थे और उन्होंने आपातकाल के खिलाफ मुखर भूमिका निभाई थी।
इस मौके पर The Indian Express Group के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक गोयनका ने कहा, “हमारे लिए यह लॉन्च एक तरह से घर वापसी जैसा है। हमारे संस्थापक रामनाथ गोयनका जी का जन्म दरभंगा में हुआ था और उनका जयप्रकाश नारायण से गहरा नाता रहा। बिहार ने हमेशा राष्ट्रीय विमर्श में अहम भूमिका निभाई है। पटना संस्करण की शुरुआत हमारे लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि बिहार के लोग अपनी राजनीतिक समझ और सामाजिक चेतना के लिए जाने जाते हैं — और वे पत्रकारिता का वह स्तर डिज़र्व करते हैं जो उनके विचारों, ज़रूरतों और आकांक्षाओं के साथ न्याय कर सके।”
The Indian Express फिलहाल देश के 10 शहरों- अहमदाबाद, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पुणे और वडोदरा से प्रकाशित होता है।
पटना संस्करण ऐसे समय में शुरू किया जा रहा है जब कुछ ही महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत और हाल के वर्षों में शासन में हुए सुधार (जैसे- पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण) इसे एक बेहद महत्वपूर्ण राज्य बनाते हैं, जहां जागरूक पत्रकारिता की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
‘एबीपी’ के ध्रुबा मुखर्जी को वाइस चेयरमैन और शशि सिन्हा को IRS Technical Committee का नया चेयरमैन चुना गया है।
विज्ञापन इंडस्ट्री के जाने-माने नाम विक्रम सखूजा को ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ (MRUCI) का नया चेयरमैन चुना गया है। इंडस्ट्री से जुड़े भरोसेमंद सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को यह जानकारी दी है। सखूजा ने जागरण मीडिया के शैलेश गुप्ता की जगह ली है।
वर्तमान में मैडिसन मीडिया और OOH के ग्रुप सीईओ सखूजा इससे पहले ‘MRUCI’ में वाइस चेयरमैन के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। सोमवार को हुई MRUCI की वार्षिक आम बैठक (AGM) में बोर्ड ने उनके नाम को मंजूरी दी। ‘एबीपी नेटवर्क प्रा. लि. (ABP Network Pvt Ltd) के डायरेक्टर ध्रुबा मुखर्जी को वाइस चेयरमैन चुना गया है।
वहीं, ‘आईपीजी मीडियाब्रैंड्स’ (IPG Mediabrands) के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन शशि सिन्हा को IRS टेक्निकल कमेटी का नया चेयरमैन चुना गया है। इससे पहले यह जिम्मेदारी सखूजा के पास थी।
आईआईटी दिल्ली और आईआईएम कोलकाता के पूर्व छात्र विक्रम सखूजा के पास मार्केटिंग (P&G, कोका-कोला), मीडिया (स्टार टीवी) और विज्ञापन (Mindshare, Group M, Maxus WW, Madison) में 38 से अधिक वर्षों का अनुभव है। मैडिसन वर्ल्ड से जुड़ने से पहले वे मैक्सस वर्ल्डवाइड के ग्लोबल सीईओ, ग्रुप एम के ग्लोबल स्ट्रैटेजी डेवलपमेंट ऑफिसर, ग्रुपएम साउथ एशिया के सीईओ और माइंडशेयर साउथ एशिया के सीईओ रह चुके हैं।
ध्रुबा मुखर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस के भी पूर्व छात्र रहे हैं और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के सीनियर एग्जिक्यूटिव लीडरशिप प्रोग्राम से भी ग्रेजुएट हैं। वे 1997 से ABP ग्रुप से जुड़े हुए हैं।
वहीं, शशि सिन्हा भी आईआईटी के पूर्व छात्र और आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए कर चुके हैं। उनका करियर लगभग चार दशकों का है। उन्होंने देश की पहली स्पेशलाइज्ड मीडिया एजेंसी लॉडस्टार की लॉन्चिंग से लेकर 2012 में IPG Mediabrands इंडिया की एंट्री के बाद से बतौर सीईओ उसका नेतृत्व किया है। सिन्हा इससे पहले BARC, द ऐड क्लब और ABC जैसी संस्थाओं की भी अगुवाई कर चुके हैं।
आखिरी बार यह सर्वे वर्ष 2019 में किया गया था। इसके बाद कोविड महामारी और फंडिंग की चुनौतियों के चलते इसकी शुरुआत नहीं हो पाई।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUCI) के बोर्ड ने छह साल के अंतराल के बाद आखिरकार पाठकों के बदलते व्यवहार पर नजर रखने के लिए पायलट को अपनी हरी झंडी दे दी है। इंडस्ट्री से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को यह जानकारी दी है।
सोमवार सुबह MRUCI की वार्षिक आम बैठक (AGM) में सदस्यों ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। अभी इस बारे में विस्तार से जानकारी आनी बाकी है। MRUCI के चेयरमैन शैलेश गुप्ता से इस मामले में संपर्क नहीं हो सका।
गौरतलब है कि 28 अगस्त को ‘e4m’ ने पायलट सर्वे की चर्चा की थी। बोर्ड मीटिंग में तीन मार्केट्स में यह पायलट सर्वे करने पर विचार हुआ था, जिसमें प्रिंट और डिजिटल दोनों तरह की न्यूज रीडरशिप को शामिल किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इस पायलट सर्वे में शामिल किए जाने वाले मार्केट्स के नाम गुप्त रखे जा सकते हैं, ताकि पब्लिशर्स की ओर से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो सके। इसमें एक अर्बन (शहरी) और एक सेमी-अर्बन (अर्ध-शहरी) आबादी को शामिल किए जाने की संभावना है।
जानकारी के मुताबिक, काउंसिल इस सर्वे को अंजाम देने के लिए ‘इंटेलिफाइल’ (Inteliphyle) नामक रिसर्च फर्म की मदद ले सकती है। इस फर्म का नेतृत्व प्रसून बसु कर रहे हैं, जो पहले Kantar और Nielsen से जुड़े रह चुके हैं।
गौरतलब है कि MRUCI ने पिछले एक साल में इस सर्वे को लेकर कई बैठकें कीं, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। फंडिंग फॉर्मूला, सर्वे मेथडोलॉजी, एजेंसी का चुनाव और सर्वे का दायरा—इन सभी मुद्दों पर काफी बहस हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
‘e4m’ की पिछली रिपोर्ट्स के अनुसार, काउंसिल के कई सदस्य पारंपरिक डोर-टू-डोर सर्वे मॉडल को लेकर संशय में हैं। कोविड के बाद हाउसिंग सोसायटीज में एंट्री प्रतिबंध, गोपनीयता को लेकर बढ़ती चिंताओं और लंबे इंटरव्यूज के लिए लोगों की अनिच्छा को देखते हुए आशंका जताई गई थी कि इससे अर्बन डेटा की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है और IRS की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठ सकते हैं।
पब्लिशर्स का यह भी तर्क था कि इस सर्वे को दोबारा शुरू करने की लागत और जटिलता इतनी ज्यादा है कि इसकी प्रासंगिकता पर ही सवाल उठने लगे हैं, खासकर ऐसे समय में जब डिजिटल-प्लानिंग तेजी से बढ़ रही है।
2019 में हुआ था आखिरी सर्वे
आखिरी बार यह सर्वे वर्ष 2019 में किया गया था। इसके बाद कोविड महामारी और फंडिंग की चुनौतियों के चलते इसकी शुरुआत नहीं हो पाई। इस बीच, भारत का विज्ञापन बाजार 2024 में 1.1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है, जिसमें प्रिंट की हिस्सेदारी 15–16 प्रतिशत है। यानी प्रिंट इंडस्ट्री अब भी 15,000–16,000 करोड़ रुपये के विज्ञापन राजस्व पर काबिज है। ऐसे में विज्ञापनदाताओं के लिए यह करंसी बेहद अहम है, खासकर मौजूदा आर्थिक हालात में, जब हर मार्केटिंग रुपया बारीकी से देखा जा रहा है।
इस गतिरोध ने पूरे इंडस्ट्री में यह बहस छेड़ दी है कि क्या पारंपरिक रीडरशिप सर्वे आज की मीडिया खपत की सच्ची तस्वीर दिखा सकता है, जबकि डिजिटल न्यूज, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो और सोशल मीडिया की खपत तेजी से बढ़ रही है। कई लोग इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि सर्वे का दायरा बढ़ाकर सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स को शामिल किया जाए।
अब देखना यह है कि IRS खुद को एक टेक-ड्रिवन हाइब्रिड मेजरमेंट सिस्टम में बदलता है, या फिर पुरानी प्रिंट-फर्स्ट पद्धति पर कायम रहता है और धीरे-धीरे अप्रासंगिक हो जाता है।
भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्ज करते हुए, द संडे गार्जियन ने ‘ट्रांसफॉर्मिंग भारत: मोदी@75’ शीर्षक से 75 पन्नों का विशेष संस्करण जारी किया है।
भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्ज करते हुए 'द संडे गार्जियन' ने ‘ट्रांसफॉर्मिंग भारत: मोदी@75’ शीर्षक से 75 पन्नों का विशेष संस्करण जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर प्रकाशित इस विशेषांक को प्रतीकात्मक और ठोस दोनों माना जा रहा है, क्योंकि यह 75 पृष्ठ उनके 75 वर्ष की आयु को दर्शाते हुए उनके नेतृत्व में भारत के परिवर्तन की यात्रा को दर्ज करता है।
इस विशेष संस्करण में भारत की उल्लेखनीय यात्रा को अनेक क्षेत्रों में समेटा गया है- आर्थिक सुधार, तकनीकी नवाचार, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, युवा उद्यमिता, रक्षा आधुनिकीकरण, विदेश नीति, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और वैश्विक मंच पर भारत का उदय। गहन रिपोर्टिंग, विश्लेषणात्मक निबंध, विचारोत्तेजक आलेख और दुर्लभ अभिलेखीय सामग्री के साथ, यह संस्करण पाठकों को इस बात की व्यापक झलक देता है कि बीते दशक में भारत ने अपनी पहचान और आकांक्षाओं को कैसे नया रूप दिया है। यह केवल पत्रकारिता की श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि उस युग का जीवंत लेखा-जोखा है, जहां सुशासन और दृष्टि ने मिलकर राष्ट्र में व्यापक परिवर्तन लाए।
यह पहल 'द संडे गार्जियन' की उस सोच को दर्शाती है जिसमें साधारण रिपोर्टिंग से आगे बढ़कर ऐसी पत्रकारिता प्रस्तुत करने का प्रयास है जो राष्ट्रीय महत्व के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में स्थायी बनी रहे। हाल के समय में अभूतपूर्व 75 पन्नों के इस विस्तृत स्वरूप ने स्मरणीय प्रकाशन के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित किया है। यह विशेष संस्करण न केवल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की उपलब्धियों का पुनरावलोकन है, बल्कि ‘विकसित भारत 2047’ की राह पर देश की आकांक्षाओं को भी सामने रखता है। प्रतीकात्मकता और ठोस सामग्री को जोड़ते हुए, 'द संडे गार्जियन' ने यह दिखाया है कि मीडिया किस तरह नेतृत्व और राष्ट्र-निर्माण को इस ढंग से दर्ज कर सकता है, जो सूचनात्मक, प्रेरणादायी और स्थायी हो।
‘ट्रांसफॉर्मिंग भारत: मोदी@75’ को प्रभावशाली बनाने वाली बात इसकी गहराई और सहजता का मेल है। यह जहां नीति-निर्माताओं और बुद्धिजीवियों से संवाद करता है, वहीं उन साधारण पाठकों से भी जुड़ता है जो प्रत्यक्ष रूप से कल्याणकारी योजनाओं, डिजिटल समावेशन, बुनियादी ढांचे के विस्तार और भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति से उत्पन्न अवसरों के लाभार्थी रहे हैं। इस विशेषांक में यह भी रेखांकित किया गया है कि नीतियां कैसे वास्तविक जीवन में बदलाव लेकर आई हैं और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना ने किस प्रकार समाज के सभी वर्गों में नवाचार और आत्मविश्वास को प्रेरित किया है।
इस पहल पर बोलते हुए 'द संडे गार्जियन' की संपादक जॉयता बसु ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित यह परिशिष्ट न केवल उनके ऐतिहासिक जन्मदिन का उत्सव है, बल्कि उनके भारत के प्रति योगदान की व्यापकता और गहराई को भी प्रतिबिंबित करता है। यह उस असाधारण बदलाव को समेटता है जो उन्होंने एक दूरदर्शी नेता और कर्मयोगी के रूप में भारत और उसकी जनता के कल्याण हेतु अपने जीवन को समर्पित कर लाया है। जैसे-जैसे राष्ट्र प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के विज़न की ओर अग्रसर है, हम देखते हैं कि यह संस्करण अभिलेखीय महत्व रखता है और आने वाली पीढ़ियों तक प्रासंगिक रहेगा।”
बड़ी दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए आईटीवी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने कहा, “‘ट्रांसफॉर्मिंग भारत: मोदी@75’ संस्करण इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि मीडिया किस प्रकार जिम्मेदारी और सार्थकता के साथ नेतृत्व का उत्सव मना सकता है। यह अपनी अवधारणा में अभिनव, क्रियान्वयन में व्यापक और संदेश में गहन है। भारत के परिवर्तन और एक आत्मविश्वासी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने की तस्वीर प्रस्तुत कर यह संस्करण नागरिकों में गर्व और आत्मचिंतन की भावना जगाता है।”
‘ट्रांसफॉर्मिंग भारत: मोदी@75’ के साथ, 'द संडे गार्जियन' ने भारत में स्मरणीय पत्रकारिता को नए सिरे से परिभाषित किया है। यह संस्करण सिर्फ एक नेता को समर्पित नहीं है, बल्कि परिवर्तनशील राष्ट्र का प्रतिबिंब, उपलब्धियों का लेखा-जोखा और आने वाली संभावनाओं की याद दिलाने वाला दस्तावेज है। प्रतीकात्मक कहानी कहने और ठोस विश्लेषण के अभिनव संयोजन के साथ, इसने मीडिया इंडस्ट्री के लिए नया मानक तय किया है और राष्ट्रीय स्मृति को आकार देने में पत्रकारिता की स्थायी भूमिका को रेखांकित किया है।
इस नवीनतम अंक में बिहार के विकास मॉडल और GST 2.0 के राष्ट्रीय लागू होने पर विस्तार से चर्चा शामिल है, जो देश की स्थायी आर्थिक वृद्धि और नीति-आधारित विकास को दर्शाती है।
देश की प्रमुख बिजनेस मैगजीन 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना नवीनतम अंक जारी किया है। इस अंक में मैगजीन ने देश में चल रहे आर्थिक बदलाव के दो अहम पहलुओं का विश्लेषण पेश किया है। इस अंक में बिहार की राजनीति से विकास-केंद्रित शासन की यात्रा और GST 2.0 के राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है। ये दोनों पहल देश की स्थायी आर्थिक वृद्धि और नीति-आधारित विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
बिहार: राजनीति से नीति केंद्रित शासन की ओर
इस अंक की मेन स्टोरी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य की बदलती छवि पर केंद्रित है। बिहार लंबे समय तक पहचान आधारित राजनीति से संघर्ष करता रहा है, लेकिन अब विकास और व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, पूर्व मुख्य सचिव अमृता लाल मीणा और नए मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ विशेष इंटरव्यू के माध्यम से प्रशासनिक बदलाव और नीतियों की दिशा को समझाया गया है। लेख में बताया गया है कि कैसे औद्योगिक पार्क, उन्नत विद्युत व्यवस्था, बढ़ती हुई हाईवे नेटवर्क और डिजिटल गवर्नेंस सिस्टम को राज्य की सांस्कृतिक और कृषि संपदा के साथ संतुलित करके विकास की रणनीति बनाई जा रही है।
साथ ही यह भी विश्लेषण किया गया है कि क्या राज्य के महत्वाकांक्षी समझौते (MoUs) वास्तविक उत्पादन इकाइयों में बदल पाएंगे और क्या राज्य की इन्फ्रास्ट्रक्चर तेजी से बढ़ती युवा जनसंख्या को संभाल पाएगी। ये प्रश्न भारत की स्थायी आर्थिक वृद्धि की क्षमता के समक्ष मौजूद व्यापक चुनौतियों को भी दर्शाते हैं।
GST 2.0 का राष्ट्रीय रोलआउट: दूसरी बड़ी स्टोरी GST 2.0 पर केंद्रित है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर घोषित की गई थी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा व्याख्यायित की गई। इस सुधार के तहत आवश्यक वस्तुओं और उपभोक्ता सामानों पर टैक्स कम किए गए हैं, छोटे कार निर्माताओं और इलेक्ट्रिक व्हीकल घटक निर्माताओं को राहत दी गई है, और सूक्ष्म उद्यमों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया सरल बनाई गई है।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इन सुधारों से घरेलू खपत बढ़ाने, कर अनुपालन सुधारने और देश के कर संग्रह आधार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही, इससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि की गति बढ़ सकती है, विशेषकर वैकल्पिक खर्च वाले क्षेत्रों में।
सुधारों की व्याख्या: दोनों स्टोरीज इस बात पर जोर देती हैं कि असली सुधार केवल नीतिगत घोषणाओं से नहीं, बल्कि लगातार और आपस में जुड़े प्रयासों से ही संभव है। बिहार का विकास पूर्वी भारत के औद्योगिक गलियारे के लिए उदाहरण बन सकता है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और कृषि प्रथाओं में भी आधुनिकरण होगा। वहीं, GST 2.0 से उपभोक्ता खर्च के पैटर्न में बदलाव आएगा और छोटे व्यवसायों के लिए कर अनुपालन सरल होगा, जिससे पूरे आर्थिक ढांचे में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
'BW बिजनेसवर्ल्ड' का यह नया अंक अब डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मेट में उपलब्ध है। पूरी स्टोरी और विश्लेषण पढ़ने के लिए BW Businessworld के डिजिटल एडिशन को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
'BW बिजनेसवर्ल्ड' के बारे में: 44 साल की विरासत के साथ 'BW बिजनेसवर्ल्ड' भारत का सबसे तेजी से बढ़ता 360-डिग्री बिजनेस मीडिया हाउस है। 23 विशेष व्यावसायिक समुदायों और 10 मैगजीन के नेटवर्क के साथ, यह घरेलू और वैश्विक वर्टिकल्स में सक्रिय है, जहां सम्मेलन और मंच आयोजित करके व्यावसायिक नेताओं के बीच संवाद और सहयोग का अनुकूल माहौल बनाया जाता है। BW के सभी अंक डिजिटल रूप से भी उपलब्ध हैं, जिनमें ऑनलाइन और वीडियो स्टोरीज शामिल होती हैं, और हर अंक का ई-मैगजीन भी मिलता है।
‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से जून 2025 की ऑडिट अवधि में दैनिक अखबारों की प्रसार संख्या यानी सर्कुलेशन में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है।
देश में प्रिंट मीडिया के लिए राहत भरी खबर है। ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से जून 2025 की ऑडिट अवधि में दैनिक अखबारों की प्रसार संख्या यानी सर्कुलेशन में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है। यह बढ़ोतरी बताती है कि डिजिटल दौर की चुनौतियों के बावजूद पाठकों का भरोसा अब भी अखबारों पर कायम है।
इस अवधि में दैनिक अखबारों की औसत योग्य बिक्री (Average Qualifying Sales) 2 करोड़ 97 लाख 44 हजार 148 (29,744,148) प्रतियां रही, जबकि पिछली ऑडिट अवधि (जुलाई-दिसंबर 2024) में यह संख्या 2 करोड़ 89 लाख 41 हजार 876 (28,941,876) प्रतियां थी। यानी इस बार करीब 8 लाख 2 हजार 272 प्रतियों (2.77%) की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यह प्रिंट मीडिया सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
यह वृद्धि दर्शाती है कि पाठकों का भरोसा अब भी अखबारों पर बना हुआ है। लोग अखबारों को विश्वसनीय, गहरी जांच-परख के बाद तैयार किए गए समाचारों का भरोसेमंद स्रोत मानते हैं। प्रसार संख्या में बढ़ोतरी यह भी दिखाती है कि समाचार उपभोग और विज्ञापन के लिहाज से अखबार अब भी एक सशक्त माध्यम बने हुए हैं।
‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ के महासचिव आदिल कसाद के अनुसार, ‘यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि प्रतिस्पर्धी मीडिया माहौल में भी प्रिंट मी़डिया अपनी पाठक संख्या को बनाए रखने और बढ़ाने में सक्षम है।’
झारखंड के लोकप्रिय हिंदी दैनिक प्रभात खबर ने अपने जमशेदपुर संस्करण के 30 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
झारखंड के लोकप्रिय हिंदी दैनिक प्रभात खबर ने अपने जमशेदपुर संस्करण के 30 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह संस्करण 8 सितंबर 1995 को शुरू हुआ था और तब से अब तक यह अखबार क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक यात्रा का अहम हिस्सा बना हुआ है।
इस संस्करण ने लगातार विभिन्न क्षेत्रों की उपलब्धियों को उजागर किया है और जनता की आवाज बनकर जमशेदपुर की तीन दशकों की प्रगति को दर्ज किया है। शहरी विकास, औद्योगिक वृद्धि और महिला सशक्तिकरण से लेकर खेल, साहित्य और मनोरंजन में शहर की सांस्कृतिक छाप तक प्रभात खबर ने हर उपलब्धि को प्रतिबिंबित किया है।
इस मौके पर प्रकाशन ने अपने पाठकों के प्रति आभार व्यक्त किया और माना कि उन्हीं के भरोसे और समर्थन से यह 30 वर्षों की यात्रा संभव हो पाई।
अखबार के संपादकीय में लिखा गया, “हमारे पाठकों के स्नेह और विश्वास के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं होती। हम सभी के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।”
इस उपलब्धि (30 साल पूरे होने) को चिह्नित करते हुए जमशेदपुर संस्करण ने एक बार फिर यह वादा किया कि वह विश्वसनीय पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध रहेगा और अपने पाठकों के लिए भरोसेमंद समाचार स्रोत बना रहेगा।
राजकिशोर करियर के शुरुआती दौर में ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर काम कर चुके हैं। इसके साथ ही वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर के बारे में खबर है कि वह एक बार फिर ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) समूह के साथ जुड़ गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, राजकिशोर ने यहां पर बतौर सीनियर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह नेशनल से जुड़े पॉलिटिकल मामले कवर करेंगे और प्रिंट व डिजिटल दोनों में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
बता दें कि वर्तमान में ‘बुलंद भारत टीवी’ (Buland Bharat TV) नाम से अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म चला रहे राजकिशोर की ‘अमर उजाला’ के साथ यह पहली पारी नहीं है। करीब दो दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे राजकिशोर करियर के शुरुआती दौर में ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर काम कर चुके हैं। इसके साथ ही वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।
करीब दो साल पहले ‘बुलंद भारत टीवी’ से पूर्व राजकिशोर ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) की डिजिटल विंग में बतौर मैनेजिंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। दैनिक भास्कर से पहले राजकिशोर यूएस-यूके आधारित थिंकटैंक 'ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स' (जीपीआई) के इंडिया चैप्टर में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। साथ ही साथ वह इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल 'न्यूजतक' में कंसल्टेंट की भूमिका भी निभा रहे थे।
जाने-माने पत्रकार राजकिशोर ने मई 2016 में ‘एबीपी न्यूज‘ (ABP News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया था। 2019 में उन्होंने 'एबीपी गंगा' को बतौर एडिटर लॉन्च कराया था। 2021 में 'एबीपी गंगा' छोड़कर वह एबीपी ग्रुप में एडिटर-एट-लॉर्ज बन गए।
‘एबीपी न्यूज‘ से पहले राजकिशोर देश के बड़े हिंदी अखबारों में शामिल ‘दैनिक जागरण‘ से जुड़े हुए थे, जहां वह नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो के पद पर कार्यरत थे। ‘दैनिक जागरण‘ में 15 राज्यों के 42 संस्करणों के लिए राष्ट्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करने वाले राजकिशोर न सिर्फ 15 राज्यों के स्टेट यूनिट्स के साथ समन्वय का काम देखते थे, साथ ही दैनिक जागरण के नेशनल इनपुट प्लान से लेकर जागरण डॉट कॉम, नई दुनिया तक के लिए नेशनल इश्यूज की खबरों को जुटाने वाली पूरे नेशनल ब्यूरो की अगुआई करते थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विस्तृत इंटरव्यू भी कर चुके हैं, जो हिंदी मीडिया में पीएम का पहला इंटरव्यू था।
राजकिशोर ने 2003 में ‘दैनिक जागरण‘ जॉइन किया था। यहां के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पीएमओ, बीजेपी, संघ परिवार, प्रेजिडेंट हाउस, कांग्रेस, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय समेत कई बीट्स पर काम किया है।
समाचार4मीडिया की ओर से राजकिशोर को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
सरकार ने हाल में GST में कटौती की घोषणा की है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि त्योहारों के समय विज्ञापन बाजार में फिर से तेजी देखने को मिलेेगी।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
सरकार ने हाल में GST में कटौती की घोषणा की है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि त्योहारों के समय विज्ञापन बाजार में फिर से तेजी देखने को मिलेेगी। टैक्स का बोझ कम होने और मार्जिन सुधरने से विज्ञापनदाताओं का आत्मविश्वास लौटेगा। वैसे भी प्रिंट पब्लिशर्स कई सालों में सबसे अच्छे त्योहारी सीजन की तैयारी कर रहे हैं।
उपभोक्ता पक्ष के आंकड़े भी इस उम्मीद को मजबूत कर रहे हैं। जियोस्टार फेस्टिव सेंटिमेंट सर्वे के मुताबिक, 92 फीसदी भारतीय इस साल त्योहारी खर्च को बनाए रखने या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। प्रति व्यक्ति औसत खर्च करीब 16,500 रुपये रहने का अनुमान है। यह आंकड़े विज्ञापनदाताओं को निवेश बढ़ाने की नींव देते हैं, खासकर भरोसेमंद माध्यम जैसे प्रिंट में।
इस बीच TAM AdEx डेटा दिखाता है कि प्रिंट विज्ञापनों में दीवाली का सबसे ज्यादा दबदबा है, जो 28 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। इसके बाद नवरात्रि/दुर्गापूजा 21 फीसदी और क्रिसमस/नए साल के विज्ञापन 15 फीसदी पर हैं।
विज्ञापनदाताओं का मनोबल बढ़ा
प्रचार कम्युनिकेशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश जैन ने कहा कि GST सुधारों से विज्ञापनदाताओं का मनोबल काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा, “पहले हालात अच्छे नहीं थे क्योंकि उपभोक्तावाद कमजोर पड़ रहा था, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर दिख रहा था। लेकिन हाल की GST कटौतियों ने नई उम्मीद जगाई है और मुझे भरोसा है कि इससे कारोबार में मजबूती आएगी।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी एजेंसी का कारोबार इस साल पिछले साल से “100 फीसदी बेहतर” रहने की उम्मीद है।
जगरण प्रकाशन के वाइस प्रेजिडेंट और दैनिक जगरण-इननेक्स्ट के नेशनल सेल्स मार्केटिंग हेड अनिर्बन बागची ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि विज्ञापन गतिविधियां पहले से ही नजर आने लगी हैं। “हमें उम्मीद है कि GST 2.0 सुधारों के बाद उपभोक्ता भावनाएं तेजी से सुधरेंगी और विज्ञापनदाता बजट को असरदार तरीके से तय करेंगे। इस बार त्योहारी विज्ञापन में डबल-डिजिट ग्रोथ की संभावना है। विज्ञापनदाताओं का उत्साह समय से पहले बुकिंग और ज्यादा विज्ञापन आवृत्ति में साफ दिखाई दे रहा है।”
हालांकि सभी पूरी तरह आशावादी नहीं हैं। नेक्सस एलायंस ऐडवर्टाइजिंग एंड मार्केटिंग के संस्थापक जोगेश भूटानी ने कहा, “प्रिंट सेक्टर के लिए हालात मिले-जुले रहेंगे। अगर GST में बदलाव नहीं हुए होते तो तस्वीर काफी निराशाजनक होती। ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी जैसे सेक्टर दबाव में हैं और रिटेल, परिधान, खाद्य व किराना सेक्टर भी बहुत सक्रिय नहीं रहे। लेकिन GST कटौती से क्लाइंट्स खर्च करने को और तैयार होंगे, जो हौसला बढ़ाने वाला है।”
प्रिंट बना भरोसेमंद माध्यम
जैसे-जैसे ब्रैंड त्योहारी बजट बढ़ा रहे हैं, प्रिंट एक भरोसेमंद और बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने वाले माध्यम के रूप में फिर से अपनी जगह बना रहा है, खासकर क्षेत्रीय बाजारों में।
जगरण प्रकाशन उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में अपनी मजबूत मौजूदगी के साथ रिटेल, ऑटो, ज्वेलरी, एफएमसीजी, रियल एस्टेट, मोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे कैटेगरी पर ध्यान दे रहा है। बागची ने कहा, “इस त्योहारी सीजन में प्रिंट ही मुख्य माध्यम रहेगा।”
एजेंसीज के लिए प्रिंट अभी भी ट्रेड-ड्रिवेन सेगमेंट में खास बढ़त रखता है। जैन ने कहा, “प्रिंट मीडिया ट्रेड और खासकर पुरुष उपभोक्ताओं के लिए बहुत असरदार है, इसलिए जब हम पुरुष-केंद्रित उत्पादों पर काम करते हैं तो हमेशा इसे रणनीति में शामिल करते हैं। जब लक्ष्य ट्रेड को बढ़ाना हो, तो प्रिंट सबसे सही विकल्प है।”
केरल में त्योहारी कैलेंडर ओणम से शुरू होता है और इस बार का सीजन विज्ञापन मांग की मजबूती को पहले ही साबित कर चुका है। मलयाला मनोरमा के वर्गीस चैंडी ने कहा, “ओणम यहां का सबसे बड़ा त्योहार है और पूरे उद्योग की नजरें इस पर रहती हैं। हर ब्रैंड सक्रिय है और सफलता की कहानी का इंतजार कर रहा है।” उन्होंने बताया कि प्रीमियम स्पेस पहले ही बुक हो गए थे। “ओणम के लिए हमारे जैकेट विज्ञापन साल की शुरुआत में ही पूरे भर गए थे। त्योहारों में इन्वेंटरी की समस्या रहती है।”
विज्ञापन दरों पर मतभेद
त्योहारी बजट बढ़ने के बावजूद प्रिंट विज्ञापन दरों में इजाफे पर राय बंटी हुई है।
चैंडी का कहना है कि दाम बढ़ाने की गुंजाइश नहीं है। “त्योहारी सीजन में प्रिंट विज्ञापनों की दरें कभी नहीं बढ़तीं। अब दाम तय करने में सप्लाई-डिमांड का समीकरण काम नहीं करता।”
दूसरी ओर, जगरण के बागची का मानना है कि प्रीमियम स्पॉट्स पर बढ़ोतरी संभव है। “जैसे-जैसे इन्वेंटरी भरती जाएगी, हम हाई-इम्पैक्ट पोजिशन और इनोवेशन की दरों में इजाफा देख सकते हैं।”
एजेंसियां हालांकि सतर्क हैं। जैन ने कहा, “मुझे विज्ञापन दरों में किसी बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। वॉल्यूम पिछले साल जैसा या उससे बेहतर रहेगा, लेकिन दाम बढ़ने की संभावना नहीं है।”
भूटानी भी सहमत दिखे और कहा, “जैकेट और कवर जैसे प्रीमियम स्पॉट भी बेचना मुश्किल हो सकता है। मुझे प्रिंट विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी नहीं दिख रही। बड़े प्रकाशनों के लिए भी इन स्पेस को बेचना चुनौतीपूर्ण रहेगा। बाजार कठिन है और दाम बढ़ाने की संभावना नहीं है।”
पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि प्रिंट को कितनी जमीन फिर से हासिल करनी है। TAM AdEx डेटा दिखाता है कि 2024 के त्योहारी सीजन में प्रिंट विज्ञापन वॉल्यूम पिछले साल से 4 फीसदी कम थे, हालांकि नवरात्रि में 2 फीसदी की बढ़त दिखी थी। प्रिंट का इस्तेमाल करने वाले विज्ञापनदाता और कैटेगरी भी क्रमशः 5 फीसदी और 7 फीसदी घट गए थे।
रणनीति और आगे की तस्वीर
प्रकाशक और एजेंसियां GST सुधारों से बने सकारात्मक माहौल के अनुरूप अपनी रणनीतियां बना रही हैं।
मलयाला मनोरमा ने पहले से योजना बनाने और क्लाइंट-फर्स्ट इन्वेंटरी मैनेजमेंट पर जोर दिया है। चैंडी ने कहा, “रणनीतियों में इन्वेंटरी को इस तरह मैनेज करना शामिल है कि क्लाइंट्स संतुष्ट रहें, पहले से तैयारी हो और कई कस्टमाइज्ड एक्टिवेशन ऑफर किए जाएं।”
जगरण एकीकृत त्योहारी पैकेज ला रहा है, जिसमें प्रिंट के साथ डिजिटल और हाइपर-लोकल एक्टिवेशन जोड़े जा रहे हैं, ताकि विज्ञापनदाताओं की समग्र कैंपेन की मांग पूरी हो सके। अनिर्बन ने कहा, “हम ऐसे कई खास त्योहारी पैकेज पेश कर रहे हैं जो विज्ञापनदाताओं की समग्र सोच से मेल खाते हैं।”
एजेंसियां GST से सुधरे ट्रेड माहौल का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं। जैन ने कहा, “हमारी रणनीति GST सुधारों को ट्रेड बढ़ाने में इस्तेमाल करने की है। ट्रेड ऑडियंस तक पहुंचने के लिए प्रिंट सबसे सही माध्यम है।”
भूटानी ने हालांकि कहा कि तरीक़ा लगभग पारंपरिक ही रहेगा। “प्रिंट विज्ञापन अभी भी काफी हद तक एक कॉमोडिटी की तरह है। फोकस बेहतर दाम पर असरदार पैकेज तैयार करने पर होगा। इनोवेशन रुक गया है और मुझे इस साल कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता।”
GST राहत से विज्ञापनदाताओं का भरोसा बढ़ा है और प्रिंट पब्लिशर्स एक अच्छे मौके पर खड़े हैं। ओणम ने मजबूत शुरुआत दी है, दिवाली की बुकिंग्स रफ्तार पकड़ रही हैं और ऑटो से लेकर ज्वेलरी तक सभी कैटेगरी खर्च बढ़ाने को तैयार हैं।
भले ही विज्ञापन दरों पर दबाव बना रहे, लेकिन नीतिगत समर्थन, क्षेत्रीय मजबूती और उपभोक्ता उत्साह का मेल यह संकेत दे रहा है कि 2025 का त्योहारी क्वार्टर प्रिंट विज्ञापन के लिए हाल के वर्षों में सबसे मजबूत साबित हो सकता है।
एचटी मीडिया ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में अपने प्रदर्शन में बड़ा सुधार दर्ज किया है। कंपनी ने FY24 में दर्ज किए गए ₹92 करोड़ के शुद्ध घाटे से उबरते हुए FY25 में ₹14 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया।
एचटी मीडिया ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में अपने प्रदर्शन में बड़ा सुधार दर्ज किया है। कंपनी ने FY24 में दर्ज किए गए ₹92 करोड़ के शुद्ध घाटे से उबरते हुए FY25 में ₹14 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया। यह ₹106 करोड़ का सुधार है, जो विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में हुई वृद्धि से संभव हुआ।
कंपनी की कुल आय साल-दर-साल आधार पर 7.3% बढ़ी, जो FY24 के ₹1,886 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹2,025 करोड़ हो गई। परिचालन राजस्व 6.5% की वृद्धि के साथ ₹1,695 करोड़ से बढ़कर ₹1,806 करोड़ पर पहुंच गया।
हालांकि, विज्ञापन से होने वाली आय लगभग स्थिर रही और FY24 के ₹1,070.04 करोड़ के मुकाबले FY25 में ₹1,070.7 करोड़ पर रही। दूसरी ओर, गैर-प्रमुख आय स्रोतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। रद्दी, वेस्ट पेपर और पुराने प्रकाशनों की बिक्री से आय FY24 के ₹17.36 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹19.13 करोड़ हो गई।
प्रिंट सेगमेंट सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहा, जहां FY25 में राजस्व ₹1,393 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹1,386 करोड़ से मामूली अधिक है। रेडियो से आय FY24 के ₹157 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹204 करोड़ पर पहुंच गई। वहीं, डिजिटल सेगमेंट ने सबसे मजबूत प्रदर्शन किया और 37% की छलांग लगाते हुए FY24 के ₹154 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹212 करोड़ पर पहुंच गया।
कंपनी का परिचालन प्रदर्शन भी काफी मजबूत रहा। EBITDA साल-दर-साल 58% बढ़कर FY24 के ₹118 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹187 करोड़ हो गया। वहीं, मूल्यह्रास और अमूर्त संपत्ति व्यय 17% घटकर FY24 के ₹119 करोड़ से कम होकर FY25 में ₹98 करोड़ रह गया। कुल खर्च FY24 के ₹1,964 करोड़ से मामूली बढ़कर FY25 में ₹2,003 करोड़ हो गया। हालांकि, विज्ञापन और बिक्री पर होने वाला खर्च FY24 के ₹124.5 करोड़ से दोगुने से अधिक बढ़कर FY25 में ₹233 करोड़ हो गया।
एचटी मीडिया की चेयरपर्सन और एडिटोरियल डायरेक्टर शोभना भरतिया ने इस मजबूत प्रदर्शन का श्रेय दक्षता उपायों और विभिन्न कारोबारों की मजबूती को दिया। उन्होंने कहा, “साल की शुरुआत में बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें राष्ट्रीय चुनावों से पहले आचार संहिता लागू होने के दौरान विज्ञापन माहौल का सुस्त रहना भी शामिल था। इसके बावजूद हमने साल का समापन उच्च राजस्व और बेहतर लाभप्रदता के साथ किया, जहां सभी कारोबारों ने कुल प्रदर्शन में सार्थक योगदान दिया। हमारा प्रदर्शन मूल्य निर्धारण अनुशासन, लागत प्रबंधन, बेहतर परिचालन दक्षता और अनुकूल कमोडिटी लागत चक्र के मेल का नतीजा रहा।”
प्रिंट सेगमेंट को लेकर भरतिया ने कहा कि राजस्व स्थिर रहा, लेकिन लाभप्रदता में उल्लेखनीय सुधार हुआ, जो कम समाचार प्रिंट कीमतों और सावधानीपूर्ण लागत नियंत्रण के चलते संभव हुआ। उन्होंने आगे कहा, “हमारे प्रमुख दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स, हिन्दुस्तान और मिं ने संपादकीय नेतृत्व जारी रखा और पाठकों का विश्वास बनाए रखा। इन ब्रैंड्स के डिजिटल विस्तार ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे हमारी सामग्री अधिक और विविध पाठक वर्ग तक पहुंच रही है।”
डिजिटल और रेडियो कारोबारों की मजबूत वृद्धि तथा प्रिंट के स्थिर प्रदर्शन के साथ, एचटी मीडिया का यह सुधार विविधीकरण और अनुशासित कार्यान्वयन के लाभ को दर्शाता है।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
‘आईटीसी लिमिटेड’ (ITC Limited) में मार्केटिंग व एक्सपोर्ट्स के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट करुणेश बजाज को साल 2025-26 के लिए ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) का नए चेयरमैन चुना गया है। इसके साथ ही बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और बोर्ड मेंबर मोहित जैन को डिप्टी चेयरमैन चुना गया है।
मुंबई में ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ की वार्षिक आम बैठक (AGM) में हुए चुनाव में यह फैसला लिया गया। बता दें कि हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
यह भी पढ़ें: ITC के करुणेश बजाज बन सकते हैं ABC के नए चेयरमैन, BCCL के मोहित जैन होंगे वाइस चेयरमैन
बजाज वर्तमान चेयरमैन रियाद मैथ्यू, जो मलयाला मनोरमा ग्रुप के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर हैं, की जगह लेंगे। बजाज एक अनुभवी बिजनेस लीडर हैं, जिन्हें दो दशकों से अधिक का इंडस्ट्री अनुभव है। मार्केटिंग इनसाइट और बिजनेस अक्यूमेन के दुर्लभ संयोजन के कारण उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मोहित जैन भी टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से बीते दो दशकों से जुड़े हुए हैं। इससे पहले उन्होंने जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर और Huhtamaki में काम किया है। समय के साथ उन्होंने रणनीतिक समझ और मीडिया बिजनेस की गहरी जानकारी के लिए मजबूत प्रतिष्ठा अर्जित की है।