Sun TV Network Limited ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की, जिनमें प्रमोटर कलानिधि मारन और उनके परिवार के सदस्य डीएमके सांसद दयानिधि मारन के बीच कानूनी विवाद की बात कही गई थी।
सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड (Sun TV Network Limited) ने शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स पर आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की, जिनमें प्रमोटर कलानिधि मारन और उनके परिवार के सदस्य डीएमके सांसद दयानिधि मारन के बीच कानूनी विवाद की बात कही गई थी। यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बाद आया है जिनमें बताया गया कि दयानिधि मारन ने अपने भाई कलानिधि मारन को Sun TV की शेयरधारिता को लेकर कानूनी नोटिस भेजा है, जिससे कंपनी के शेयरों में लगभग 4% की गिरावट देखी गई।
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह मामला 22 वर्ष पुराना है, जब Sun TV Network एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में कार्यरत थी। Sun TV के अनुसार, “खबरों में प्रकाशित आरोप तथ्यहीन, भ्रामक, अटकलों पर आधारित और मानहानि की श्रेणी में आते हैं। इनमें किए गए दावे कानून या तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।”
Sun TV Network ने यह भी कहा कि सभी गतिविधियां विधिक प्रक्रियाओं और दायित्वों का पालन करते हुए पूरी की गई थीं और कंपनी के सार्वजनिक निर्गम (IPO) से पहले सभी जरूरी पहलुओं की संबंधित संस्थाओं द्वारा विधिवत जांच की गई थी।
कंपनी ने यह स्पष्ट किया कि उक्त विवाद का उसके कारोबारी संचालन या दैनिक कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। बयान में कहा गया, “यह मामला पूरी तरह पारिवारिक और व्यक्तिगत प्रकृति का है और इसका कंपनी की व्यावसायिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।”
Sun TV Network ने यह भी कहा कि उन्हें प्रमोटर परिवार के बीच किसी समझौते या बातचीत की जानकारी नहीं है और कंपनी को ऐसी किसी भी महत्वपूर्ण सूचना का ज्ञान नहीं है जिसे सूचीबद्धता नियमों के तहत स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करना आवश्यक हो।
यह बयान उस स्पष्टीकरण के जवाब में दिया गया है जिसे 20 जून 2025 को NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने The Hindu अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मांगा था, जिसमें उल्लेख था कि “Sun TV के शेयरों में दर्ज की गई 4% की गिरावट, दयानिधि मारन ने कलानिधि मारन को भेजा कानूनी नोटिस।”
इस घटनाक्रम के बावजूद कंपनी का जोर इस बात पर है कि वह अपने कारोबार को नियमित रूप से जारी रखे हुए है और उसके संचालन में किसी तरह की व्यवधान की कोई स्थिति नहीं है।
देश में एक से ज्यादा टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों की अनुमति देने के सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के प्रस्ताव पर ब्रॉडकास्ट व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में सतर्क और चिंतित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेज4मीडिया ।।
देश में एक से ज्यादा टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों की अनुमति देने के सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के प्रस्ताव पर ब्रॉडकास्ट व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में सतर्क और चिंतित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। यह ड्राफ्ट पॉलिसी, जिसे 2 जुलाई को जारी किया गया, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और मापदंडों को आधुनिक बनाने की मंशा रखती है। हालांकि, कई वरिष्ठ हितधारक एक बुनियादी सवाल उठा रहे हैं कि इसकी फंडिंग कौन करेगा?
एक मजबूत व्युअरशिप मापन प्रणाली को चलाना बेहद पूंजी-सघन काम है, जिसमें हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि पहले से ही वित्तीय दबाव झेल रहे मार्केट में कई खिलाड़ियों को उतारना संसाधनों को और पतला कर सकता है, डेटा की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है और आर्थिक रूप से यह मॉडल टिकाऊ नहीं रहेगा। वैश्विक स्तर पर फिलीपींस जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दें तो दो रेटिंग एजेंसी वाला मॉडल ज्यादातर देशों में टिक नहीं पाया है।
यह प्रस्ताव जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, केबल ऑपरेटर्स, ऐडवर्टाइजर्स और मीडिया कंपनियों जैसे नए खिलाड़ियों के लिए मापन क्षेत्र में प्रवेश के रास्ते खोलता है, वहीं भारतीय ब्रॉडकास्टिंग में पिछले एक दशक से चली आ रही उस संरचना को भी चुनौती देता है, जिस पर पूरा निर्णय-निर्माण आधारित रहा है।
‘साहसिक योजना, लेकिन खर्च कौन उठाएगा?’
ऐडवर्टाइजिंग जगत के अनुभवी और The Bhasin Consulting Group के फाउंडर आशीष भसीन इस आशंका से सहमत हैं। वे कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि भारत का ब्रॉडकास्ट मार्केट एक से अधिक रेटिंग एजेंसियों के लिए तैयार है। इससे केवल भ्रम फैलेगा। हम पहले ही TAM और INTAM के दौर में यह अनुभव कर चुके हैं और तब पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई थी।”
भसीन का मानना है कि भारत जैसे विविधता-सम्पन्न देश में एक सशक्त और केंद्रीकृत मापन प्रणाली न सिर्फ बेहतर, बल्कि आवश्यक है। “यहां अनेक भाषाएं, कंटेंट फॉर्मैट्स और उपभोग व्यवहार हैं। हमें एक मजबूत प्रणाली चाहिए, जिसमें विस्तारित सैंपल हो और बेहतर पद्धतियां हों। पहले से सीमित संसाधनों को कई एजेंसियों में बांटना डेटा की गुणवत्ता को कमजोर कर देगा।”
वे आगे कहते हैं, “एक से ज्यादा रेटिंग करेंसी होना एक पिछड़ा कदम है। हमें एक ऐसी प्रणाली चाहिए जो भरोसेमंद, पारदर्शी और सभी हितधारकों (ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स और एजेंसीज) के बीच स्वीकृत हो। BARC की स्थापना भी इसी उद्देश्य से हुई थी। यह परिपूर्ण नहीं है, लेकिन समय के साथ यह विकसित हुआ है और हो रहा है।”
भसीन चेतावनी देते हैं कि समानांतर एजेंसियों को चलाना अत्यधिक महंगा होगा। “एक मजबूत और सटीक रेटिंग सिस्टम को बनाए रखने में सैकड़ों करोड़ का निवेश लगता है। दो या तीन ऐसी संस्थाओं को कौन फंड करेगा? आख़िरकार यह बोझ ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स और एजेंसियों पर ही पड़ेगा, जो पहले से दबाव में हैं।”
मार्केट में असंतुलन का जोखिम
हालांकि, इंडस्ट्री के सभी खिलाड़ी आर्थिक दबाव में नहीं हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जिनके पास अधिक संसाधन हैं, वे या तो अपनी खुद की रेटिंग प्रणाली स्थापित कर सकते हैं या फिर मापन प्रक्रिया पर प्रभाव बढ़ा सकते हैं।
एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है, “यदि स्वतंत्र और मजबूत गवर्नेंस स्ट्रक्चर नहीं बने, तो नए खिलाड़ियों के आने से रेटिंग इकोसिस्टम में नियंत्रण का संतुलन बिगड़ सकता है, लोकतांत्रिकरण की जगह प्रभाव का केंद्रीकरण हो सकता है।”
एक पूर्व एग्जिक्यूटिव, जो इस सिस्टम से जुड़े रहे हैं, बिना नाम बताए कहते हैं, “BARC ने ऐसे समय में एक पारदर्शी और संयुक्त रूप से नियंत्रित ढांचा खड़ा किया, जब इसकी सबसे अधिक जरूरत थी। इसकी सबसे बड़ी ताकत यह रही है कि इसने केवल डेटा एकत्र नहीं किया, बल्कि ऐडवर्टाइजर्स, ब्रॉडकास्टर्स और एजेंसियों को एक साझा दृष्टिकोण पर लाने में भी भूमिका निभाई।”
वे मानते हैं कि सुधार की जरूरत तो है, लेकिन इसे तोड़कर नहीं, बल्कि मजबूत करके किया जाना चाहिए। “सालों से कई समितियों ने गवर्नेंस, सैंपलिंग और मेथडोलॉजी को बेहतर बनाने की सिफारिशें की हैं। उन पर अमल होना चाहिए। लेकिन पहले मौजूद सिस्टम को समझदारी से सुधारना जरूरी है, न कि अचानक बिखेर देना। कई खिलाड़ियों को मार्केट में उतारना, बिना जमीनी खामियों को दूर किए, केवल सिस्टम को खंडित करेगा और संसाधन भी छीन लेगा।”
उनका मानना है कि भारत का व्युअरशिप मापन पहले से ही ऑपरेशनल रूप से चुनौतीपूर्ण है। एक ही मार्केट में कई एजेंसियों के प्रवेश से दोहराव, अक्षमता और खर्च में वृद्धि हो सकती है और इन सबसे परिणाम बेहतर होने की कोई गारंटी नहीं है।
वैश्विक अनुभव क्या कहते हैं?
दुनियाभर में अधिकांश बड़े मार्केट आज भी एक ही प्रमुख रेटिंग एजेंसी पर निर्भर रहते हैं, जिन्हें डिजिटल या अन्य साझेदारों से सहायता मिलती है, लेकिन समानांतर प्रणाली बहुत कम देखने को मिलती है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में Nielsen टेलीविजन के लिए मुख्य मापन संस्था बनी हुई है, भले ही डिजिटल मेट्रिक्स के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी हो। VideoAmp और iSpot.tv जैसे नए प्लेटफॉर्म कुछ नेटवर्क्स और ऐडवर्टाइजर्स द्वारा परखे जा रहे हैं, लेकिन पारंपरिक टीवी के लिए Nielsen ही अभी भी मान्यता प्राप्त करेंसी है।
इसी तरह, यूनाइटेड किंगडम में BARB (Broadcasters' Audience Research Board) ही एकमात्र स्वीकृत संस्था है, जो संयुक्त औद्योगिक निगरानी में टेलीविजन ऑडियंस मापन का काम करती है। यह अब YouTube और SVOD जैसे प्लेटफॉर्म्स की व्युअरशिप को भी शामिल कर रही है।
ऑस्ट्रेलिया में OzTAM, जो तीन प्रमुख कॉमर्शियल ब्रॉडकास्टर्स द्वारा स्थापित संस्था है, टेलीविजन रेटिंग्स की आधिकारिक स्रोत है। इसने अब वीडियो प्लेयर मापन (VPM) के जरिए स्ट्रीमिंग को भी कवर करना शुरू कर दिया है।
इन देशों में सहयोगी प्रयास और एक्सपेरिमेंटल मॉडल जरूर अपनाए गए हैं, लेकिन किसी ने भी पूर्णत: दोहरी एजेंसी प्रणाली को स्थायी तौर पर स्वीकार नहीं किया है। केवल फिलीपींस जैसे कुछ अपवादों में खंडित मॉडल टिक पाया है, जबकि बाकी देशों ने अनुभव किया कि अनेक करेंसियों से पारदर्शिता की बजाय भ्रम, विरोधाभासी आंकड़े और विश्वास की कमी पैदा होती है।
पहुंच नहीं, टिकाऊपन चुनौती है
जैसे-जैसे भारत अपने रेटिंग सिस्टम को दोबारा आकार देने की ओर बढ़ रहा है, इंडस्ट्री जगत एक बिंदु पर सहमत दिखता है- सुधार जरूरी हैं, लेकिन सोच-समझकर किए जाएं। नवाचार की कीमत विश्वसनीयता नहीं होनी चाहिए और किसी भी बदलाव की नींव मजबूत होनी चाहिए, न कि बिखरे हुए इरादों पर आधारित।
एक वरिष्ठ विशेषज्ञ, जो नाम न जाहिर करने की शर्त पर बात कर रहे थे, ने यह तर्क खारिज किया कि BARC की स्थिति ने प्रतिस्पर्धा को दबा दिया है। “यह बहस नई नहीं है। रेटिंग्स इकोसिस्टम हमेशा खुला रहा है। BARC सिर्फ इसलिए टिक पाया क्योंकि वह पात्रता मानदंडों पर खरा उतरा, इंडस्ट्री की सहमति पाई और लगातार प्रदर्शन करता रहा। अन्य संस्थाएं इसलिए नहीं आईं क्योंकि आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं थी।”
उनका कहना था कि BARC को ‘गेटकीपर’ मानना गलत है। “यह लाइसेंस-आधारित प्रणाली है। कोई भी योग्य खिलाड़ी आवेदन कर सकता है। मुद्दा पहुंच का नहीं, व्यवहार्यता का है। BARC ने जो स्केल, दक्षता और पहुंच वर्षों में बनाई है, उसे दोहराना आसान नहीं है।”
उन्होंने यह भी चेताया कि टीवी और डिजिटल मेट्रिक्स को एकसमान मानना भी खतरनाक हो सकता है। “15 सेकंड का YouTube ऐडवर्टाइजिंग, एक मिनट के टेलीविजन कंटेंट के बराबर नहीं है। दोनों का संदर्भ, दर्शक का दृष्टिकोण और प्लेटफॉर्म की प्रकृति बिल्कुल अलग है। इन्हें समान मानकर मापने की कोशिश डेटा को विकृत कर सकती है।”
एक अग्रणी ब्रॉडकास्टर ने भी जमीन से जुड़े दृष्टिकोण की वकालत की। उन्होंने कहा, “इस समय BARC ही अधिकृत रेटिंग एजेंसी है। कुछ चर्चाएं चल रही हैं और समय के साथ यह स्पष्ट होगा कि दिशा क्या होगी। लेकिन हमारी प्राथमिकता अब भी कंटेंट और टेक्नोलॉजी है। हम एक ब्रॉडकास्टिंग और टेक-ड्रिवन कंपनी हैं, लेकिन सबसे पहले एक कंटेंट-फर्स्ट ऑर्गनाइजेशन हैं और यही हमारे काम का केंद्र रहेगा।”
जैसे-जैसे परामर्श प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, भारतीय मीडिया इंडस्ट्री खुद को एक ऐसे मोड़ पर पाएगी, जहां इनोवेशन की उम्मीद और व्यावहारिकता की जरूरत के बीच संतुलन साधना अनिवार्य होगा।
जो बदलाव सामने आएंगे, वे सिर्फ रेटिंग प्रणाली का भविष्य नहीं तय करेंगे, बल्कि मीडिया अर्थव्यवस्था में भरोसे, पारदर्शिता और तकनीक के संतुलन को भी नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं।
(इनपुट: अदिति गुप्ता)
वर्ष 2007 से टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में सक्रिय कुमुद ने अब तक ‘जी न्यूज’, ‘टाइम्स नाउ नवभारत’, ‘आजतक’ और ‘लल्लनटॉप’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
लगभग दो दशक तक देश के कई बड़े न्यूज नेटवर्क्स के साथ काम करने का अनुभव हासिल कर चुकीं टीवी पत्रकार कुमुद अहलावत अब अपना स्वतंत्र मीडिया वेंचर शुरू करने जा रही हैं। 2007 से टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में सक्रिय रहीं कुमुद ने ‘जी न्यूज’ (Zee News), ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat), ‘आजतक’ (AajTak) और हाल ही में ‘लल्लनटॉप’ (Lallantop) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
कुमुद के नए मीडिया वेंचर का फॉर्मेट क्या होगा, मीडिया का कौन सा कार्यक्षेत्र इसमें शामिल है, टीम कितनी बड़ी है, अभी ये जानकारियां सार्वजनिक नहीं की गई हैं। समाचार4मीडिया से बातचीत में कुमुद ने बताया कि वह जल्द ही इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगी।
कुमुद अहलावत का सबसे लंबा और निर्णायक कार्यकाल ‘Zee News’ में रहा, जहां उन्होंने ट्रेनी से लेकर प्रोडक्शन हेड तक का सफर तय किया। ‘Zee’ की अपनी पारी के दौरान कुमुद ने वरिष्ठ टीवी संपादक सुधीर चौधरी के साथ ‘DNA’ जैसे शो का प्रोडक्शन संभाला। ‘DNA’ उस समय का सबसे चर्चित प्राइम टाइम शो रहा, जिसने राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा 'RJ रौनक का शो' और 'भाई vs भाई' (पूनावाला भाइयों की डिबेट सीरीज़) जैसे फॉर्मेट भी इन्हीं के निर्देशन में तैयार हुए।
‘Zee’ के बाद इन्होंने ‘Times Now Navbharat’ में करीब 13 महीने काम किया, जहां 'सवाल पब्लिक का' जैसे डिबेट शो के प्रोडक्शन को संभाला, जो वरिष्ठ पत्रकार नाविका कुमार द्वारा होस्ट किया जाता था।
‘टाइम्स नेटवर्क’ के बाद कुमुद ने ‘आजतक’ जॉइन किया और सुधीर चौधरी के साथ दोबारा काम करते हुए प्राइम टाइम शो 'Black and White' की पूरी प्रोडक्शन ज़िम्मेदारी संभाली। कुमुद वर्ष 2024 में ‘Lallantop’ से जुड़ीं, जहां उन्होंने न केवल कंटेंट और शो का प्रोडक्शन लीड किया, बल्कि एंकरिंग से लेकर शिफ्ट लीड और इनपुट आउटपुट तालमेल तक की पूरी ज़िम्मेदारी निभाई। डिजिटल मीडिया में इस अनुभव ने उनके विज़न को और स्पष्ट किया।
कुमुद अब अपना खुद का मीडिया वेंचर शुरू कर रही हैं। कुमुद अहलावत मानती हैं कि ये उनके जीवन का एक बोल्ड डिसीजन है, जहां कल क्या होगा नहीं पता, लेकिन जो होगा उसमें उन्हें खुद की उड़ान नापने का मौका मिलेगा।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने11 जुलाई को मुंबई में अपने बहुप्रतीक्षित मल्टी-सिटी इवेंट 'R.I.S.E' की शानदार शुरुआत की।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने11 जुलाई को मुंबई में अपने बहुप्रतीक्षित मल्टी-सिटी इवेंट 'R.I.S.E' की शानदार शुरुआत की। इस आयोजन की सबसे खास बात थी ZEE का नया और बोल्ड स्टेटमेंट- “हम आपके मीडिया बिजनेस की साझेदारी तब जीतेंगे जब हम आपके असली बिजनेस को बढ़ाएंगे।” इस वाक्य ने न केवल इवेंट की थीम सेट की, बल्कि मीडिया और मार्केटिंग की दुनिया में कंपनी की नई सोच और प्रतिबद्धता को भी दर्शाया।
‘R.I.S.E’ का मतलब है: Results | Integration | Strategy | Engagement — यानी नतीजे, एकीकरण, रणनीति और भागीदारी। इसे जी के फ्लैगशिप इनिशिएटिव के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसका मकसद वैल्यू-फर्स्ट स्टोरीटेलिंग के जरिए ब्रैंड्स का भरोसा जीतना और ऐसे टूल्स देना है जो मीडिया इनवेस्टमेंट को मापनीय बिजनेस ग्रोथ में बदल सकें।
इस मंच को भारत की मार्केटिंग, मीडिया और इनवेस्टमेंट कम्युनिटी को एक साथ लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें अनुभवी ब्रैंड बिल्डर्स, सीनियर मार्केटर्स, रिटेल क्लायंट्स, वेंचर कैपिटलिस्ट्स, नए जमाने के डिजिटल बिजनेस और छोटे उद्यमी शामिल हुए—सभी एक साझा लक्ष्य के साथ: बदलाव, विस्तार और विकास।
ZEE के मीडिया इकोसिस्टम की झलक और अनुभव
इवेंट में दर्शकों को जी के फुल-स्पेक्ट्रम ऐडवर्टाइजिंग इकोसिस्टम के माध्यम से ब्रैंड्स की ग्रोथ में हो रही मदद को लेकर इनसाइट्स दिए गए। इस इकोसिस्टम में जी के 41 ब्रॉडकास्ट चैनल्स, ZEE5 (OTT प्लेटफॉर्म), यूट्यूब नेटवर्क, सोशल मीडिया चैनल्स, रीजनल IPs और देशव्यापी इन्फ्लुएंसर नेटवर्क शामिल हैं—जो एकीकृत रूप से ब्रैंड्स के लिए स्केलेबल सॉल्यूशन प्रदान करते हैं।
इस पूरी पेशकश को और ताकतवर बनाता है जी का टेक-फर्स्ट एप्रोच, जिसमें कंटेंट क्रिएशन को नई टेक्नोलॉजीज के साथ जोड़ा गया है ताकि वैल्यू-ड्रिवन अवसरों की पहचान हो सके, टार्गेटिंग को बेहतर बनाया जा सके, और ब्रैंड्स के लिए ऐसा कंज्यूमर एक्सपीरियंस तैयार हो जो मापनीय परिणाम दे।
आशीष सहगल ने रखी ग्रोथ-केंद्रित सोच
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चीफ ग्रोथ ऑफिसर आशीष सहगल ने लॉन्च के मौके पर कहा, “ZEE अकेला ऐसा प्लेटफॉर्म है जो एक फुल-फनल इकोसिस्टम प्रदान करता है, जिसमें अवेयरनेस से लेकर एक्शन तक और मास से लेकर हाइपरलोकल रीच तक सब कुछ शामिल है। हमारा मूल मंत्र यही है कि हम ‘ग्रोथ’ बेचते हैं। हमने अपने सभी प्लेटफॉर्म्स (ब्रॉडकास्ट, ओटीटी, डिजिटल वीडियो, इन्फ्लुएंसर, म्यूजिक और ऑन-ग्राउंड) को एक जगह समेटा है ताकि हर एक रुपया जो खर्च हो, वह स्मार्ट और स्केलेबल हो।”
सोच-विचार से भरे सेशन्स और अनुभव
इवेंट के दौरान मार्केटिंग, रिटेल और इनवेस्टमेंट से जुड़े कई दिग्गजों ने विभिन्न सेशन्स में हिस्सा लिया। इन सत्रों में अस्थिर बाजारों में ब्रैंड इक्विटी बनाना, ग्रोथ स्टेज कंज्यूमर ब्रैंड्स और वेंचर कैपिटलिस्ट्स को जोड़ना और रीजनल ब्रैंड्स को एकीकृत मीडिया समाधानों से स्केल करना जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई।
अब दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता की बारी
मुंबई में हुए इस पहले सफल आयोजन के बाद, ‘R.I.S.E’ देश के अन्य प्रमुख शहरों- दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता की ओर बढ़ेगा, जहां जी का उद्देश्य ब्रैंड्स को उनके विकास के अहम चरणों में समर्थन देना और उन्हें मजबूती से आगे बढ़ाना है।
राकेश गोपाल ने ‘राजस्थान पत्रिका’ को बाय बोलकर करीब सवा दो साल पहले इस न्यूज नेटवर्क में जॉइन किया था।
देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूहों में शुमार ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क से राकेश गोपाल ने इस्तीफा दे दिया है। वह करीब सवा दो साल से इस न्यूज नेटवर्क में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
समाचार4मीडिया से बातचीत में राकेश गोपाल ने बताया कि वह एक अन्य मीडिया समूह के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसके बारे में वह जल्द बताएंगे।
बता दें कि राकेश गोपाल को मीडिया में काम करने का 27 साल से ज्यादा का अनुभव है। ‘भारत एक्सप्रेस’ से पहले राकेश गोपाल 'राजस्थान पत्रिका' (Rajasthan Patrika) में नेशनल कॉरपोरेट हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
पूर्व में वह ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network), ‘इंडिया टुडे’ (India Today)समूह, ‘एचटी मीडिया लिमिटेड’ (HT Media Ltd) और ‘बिजनेस वर्ल्ड’ (BW Businessworld) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
ZEEL ने गुरुवार को घोषणा की कि हाल ही में आयोजित मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले लगभग 60% शेयरधारकों ने प्रमोटर समूह संस्थाओं को फुली कन्वर्टिबल वॉरंट्स जारी करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
Zee Entertainment Enterprises Limited (ZEEL) ने गुरुवार को घोषणा की कि हाल ही में आयोजित मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले लगभग 60% शेयरधारकों ने प्रमोटर समूह संस्थाओं को फुली कन्वर्टिबल वॉरंट्स जारी करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
कंपनी की ओर से यह प्रस्ताव पूंजी जुटाकर भविष्य की विकास योजनाओं को मजबूती देने के उद्देश्य से रखा गया था। हालांकि, मतदान में मिले मिश्रित परिणामों को ध्यान में रखते हुए जी ने उन शेयरधारकों के निर्णय का भी सम्मान जताया है जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया।
कंपनी द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, "कंपनी के बोर्ड और प्रबंधन ने नोट किया है कि मतदान में भाग लेने वाले 60% शेयरधारकों ने प्रमोटर समूह को फुली कन्वर्टिबल वॉरंट्स जारी करने के प्रस्ताव के समर्थन में राय दी है और हम उनके इस समर्थन के लिए आभारी हैं। साथ ही, हम शेष शेयरधारकों के फैसले का भी पूरा सम्मान करते हैं।"
ZEEL ने यह भी स्पष्ट किया कि शेयरधारकों के मूल्य में वृद्धि करना उसका प्राथमिक उद्देश्य बना रहेगा। कंपनी ने हालिया रणनीतिक प्रयासों को रेखांकित किया जो खासतौर पर डिजिटल क्षेत्र में हो रहे घाटे को कम करने और लाभप्रदता की स्थिति को बेहतर बनाने पर केंद्रित रहे हैं।
बयान में आगे कहा गया, "बोर्ड के मार्गदर्शन में कंपनी ने प्रदर्शन और मुनाफे को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं… कंपनी अपनी नकद संपत्ति, विवेकपूर्ण रणनीति और उद्यमशीलता भावना के बल पर अपने लक्ष्यों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।"
ZEEL ने इस बात पर भी जोर दिया कि मौजूदा बाजार अस्थिरता के दौर में प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने और विकास योजनाओं को टिकाऊ आधार पर आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत वित्तीय बफर की आवश्यकता है। वॉरंट्स के जरिए पूंजी जुटाने से कंपनी को टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और भविष्य के लिए जरूरी क्षमताओं में निवेश करने का अवसर मिलेगा।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब जी एंटरटेनमेंट, सोनी के साथ प्रस्तावित विलय रद्द होने के बाद आंतरिक स्तर पर संचालन सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहा है। इस विकास के जरिए कंपनी अपने अनुभवी बोर्ड के मार्गदर्शन में सतत विकास की मजबूत नींव तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।
जम्मू-कश्मीर की जटिल सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर अपनी गहरी रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार इरफान कुरैशी ने TV9 नेटवर्क से अपने छह साल के सफल कार्यकाल को समाप्त कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर की जटिल सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर अपनी गहरी रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार इरफान कुरैशी ने TV9 नेटवर्क से अपने छह साल के सफल और प्रभावशाली कार्यकाल को समाप्त कर दिया है। टीवी9 भारतवर्ष में कश्मीर ब्यूरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने कई अहम घटनाओं की रिपोर्टिंग की और इस दौरान उनकी पत्रकारिता ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।
इरफान कुरैशी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “TV9 नेटवर्क के साथ मेरी 6+ साल की यात्रा अद्भुत रही। मैं टीवी9 भारतवर्ष की बेहतरीन टीम और संपादकों के साथ काम करने के अवसर के लिए आभारी हूं। अपने दर्शकों, सहयोगियों और संगठन का दिल से धन्यवाद करता हूं। आगे की योजनाओं के बारे में अभी कुछ बताना जल्दबाज़ी होगी।”
2019 से टीवी9 के कश्मीर ब्यूरो की कमान संभालने वाले कुरैशी ने न सिर्फ सुरक्षा, राजनीति और मानवाधिकार जैसे गंभीर मुद्दों को कवर किया, बल्कि TV9 के सभी रीजनल चैनल्स- TV9 मराठी, TV9 तेलुगू, TV9 कन्नड़, TV9 बांग्ला, TV9 गुजरात और News9 के लिए भी जमीनी रिपोर्टिंग की।
उन्होंने अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी, की लाइव रिपोर्टिंग कर राष्ट्रीय दर्शकों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाई। एलओसी पर गोलीबारी, ऑपरेशन सन्दूर, भारत-पाक संघर्ष, युद्धविराम समझौते, अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल की कश्मीर यात्रा, G20 शिखर सम्मेलन और 2024 के ऐतिहासिक चुनावों जैसे विषयों पर उनकी रिपोर्टिंग ने गहराई और निष्पक्षता का परिचय दिया।
उत्तर कश्मीर के डेलिना, बारामूला से आने वाले इरफान कुरैशी ने 15 वर्षों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने 2009 में कश्मीर टाइम्स से अपने करियर की शुरुआत की थी और 2011 में डे एंड नाइट न्यूज़ के कश्मीर ब्यूरो की अगुवाई की। द क्विंट, द सिटीजन और द हूट जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए उन्होंने 2015 से 2017 तक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद स्थित ETV भारत के लिए कश्मीर ब्यूरो की स्थापना की, जिसे वे टीवी9 से जुड़ने से पहले संभालते रहे।
कुरैशी को थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन, लंदन (2013) और रेडियो नीदरलैंड्स ट्रेनिंग सेंटर (2016) जैसी संस्थाओं से अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप मिली है। उन्हें 2023 में रेड इंक अवॉर्ड (क्राइम एंड इन्वेस्टिगेशन - टीवी) में विशेष उल्लेख मिला और 2015 में उन्हें JKIF और कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा यूथ आइकन ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के पूर्व सीईओ कुनाल दासगुप्ता ने हाल ही में उस निर्णायक क्षण को याद किया, जब चैनल ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के निर्माण में लगी कंपनी को खरीदने का फैसला किया था।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन (Sony Entertainment Television) के पूर्व सीईओ कुनाल दासगुप्ता ने हाल ही में उस निर्णायक क्षण को याद किया, जब चैनल ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के निर्माण में लगी कंपनी को खरीदने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि इस फैसले के पीछे भावनात्मक उथल-पुथल और रणनीतिक दबाव दोनों काम कर रहे थे। उस समय Sony टेलीविजन की दुनिया में नंबर वन पोजिशन पर था और अपने कार्यक्रमों की लाइनअप को लेकर आत्मविश्वास से भरा हुआ था। लेकिन जब KBC की पहली कड़ी प्रसारित हुई, सब कुछ बदल गया।
दासगुप्ता ने कहा, “मैंने पहला एपिसोड देखा और मेरा दिल बैठ गया।” वह तुरंत समझ गए कि 'लॉक किया जाए' जैसे कैचफ्रेज के साथ आया यह गेम-चेंजर शो भारतीय टेलीविजन के परिदृश्य को पूरी तरह बदलने वाला है।
उन्होंने उस पल को "फैंटम पंच" जैसा बताया- ऐसा वार जो दिखाई नहीं देता, लेकिन गहरा असर छोड़ जाता है। अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया गया यह फॉर्मेट उस समय टीवी पर मौजूद किसी भी शो से बिल्कुल अलग था। इसकी भावनात्मक पकड़, सटीक संरचना और बच्चन की विशालकाय मौजूदगी ने इसे पहले ही एपिसोड में एक नई दिशा दे दी थी। दासगुप्ता ने माना कि भले ही Sony KBC के बढ़ते प्रभाव को तुरंत रोक नहीं पाया, पर वह “हक्का-बक्का” रह गए थे। नेटवर्क की बादशाहत खतरे में थी और वह समझ गए कि अब किनारे बैठकर देखना कोई विकल्प नहीं है।
KBC की सांस्कृतिक और व्यावसायिक ताकत को भांपते हुए, Sony ने साहसिक निर्णय लिया, जो था शो की निर्माता कंपनी को खरीदने का। यह कदम न सिर्फ चैनल को प्रतिस्पर्धा में दोबारा खड़ा करने में मददगार साबित हुआ, बल्कि इसने यह भी दिखा दिया कि Sony तेजी से हालात को समझ कर बाहर से आई सफलता में निवेश करने का माद्दा रखता है।
दासगुप्ता की ये बातें समीर नायर द्वारा साझा की गई एक पोस्ट पर आईं। नायर उस समय 'स्टार प्लस' के प्रोग्रामिंग हेड थे। यह पोस्ट KBC के 25 साल पूरे होने की खुशी में लिखी गई थी।
नायर ने लिखा, “इतिहास रचने में मदद करने वाले हर व्यक्ति को सालगिरह की शुभकामनाएं। हम में से बहुत से लोग इस शो को संभव बनाने में शामिल थे। और दर्शकों का धन्यवाद, क्योंकि आपका प्यार और तालियां ही सबसे ज्यादा मायने रखती हैं।”
कौन बनेगा करोड़पति (KBC) भारत का सबसे प्रतिष्ठित टेलीविजन क्विज शो रहा है, जिसकी शुरुआत साल 2000 में हुई थी। यह ब्रिटिश फॉर्मेट Who Wants to Be a Millionaire? पर आधारित है, जहां प्रतियोगियों से बढ़ती कठिनाई के साथ बहुविकल्पीय सवाल पूछे जाते हैं, जिनका इनाम राशि के साथ स्तर भी बढ़ता जाता है। अधिकतर सीजंस में इसे महानायक अमिताभ बच्चन ने होस्ट किया है और यह शो जल्द ही ज्ञान, ड्रामा और मनोरंजन का सांस्कृतिक प्रतीक बन गया।
शो की कुछ खास विशेषताएं- जैसे "फोन अ फ्रेंड", "ऑडियंस पोल", तनाव बढ़ाने वाला म्यूजि, और बच्चन साहब की जादुई प्रस्तुति, इसे बीते दो दशकों से दर्शकों की पसंद बनाए हुए हैं।
KBC एक साधारण गेम शो से कहीं बढ़कर है। इसने अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाले आम लोगों को रातों-रात अपनी किस्मत बदलने का मौका दिया है। यह शो आशा और आकांक्षा का प्रतीक बन गया है। इसके सवाल सामान्य ज्ञान से लेकर समसामयिक घटनाओं, संस्कृति और इतिहास तक फैले होते हैं, जो दर्शकों में जिज्ञासा और सीखने की भावना को बढ़ाते हैं।
वर्षों के दौरान KBC ने तकनीकी बदलावों और सामाजिक विषयों को अपनाते हुए खास एपिसोड पेश किए हैं और डिजिटल माध्यम से भी खुद को बदला है, जिससे यह हर पीढ़ी में प्रासंगिक और प्रिय बना हुआ है।
खास बात ये है कि इन सदाबहार सीरियल्स को देखने के लिए वेव्स ओटीटी पर किसी तरह का पैसा या सब्सक्रिप्शन फीस नहीं लगेगी।
आपने ‘दूरदर्शन’ का सीरियल ‘फ्लॉप शो’ या ‘ब्योमकेश बख्शी’ तो देखा ही हो होगा। जसपाल भट्टी का सीरियल फ्लॉप शो जब दूरदर्शन पर आया तो इसने कुछ वक्त में ही लोगों को गुदगुदाते हुए उनके दिलों में जगह बना ली थी और कुछ वक्त में ही दूरदर्शन पर सर्वाधिक देखे जाने वाला सीरियल बन गया। ठीक इसी तरह जब ब्योमकेश बख्शी वर्ष 1993 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ तो अभिनेता केके रैना ने अपनी अदाकारी की ऐसी छाप छोड़ी की लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
कोरोना काल में दूरदर्शन के पुराने सीरियल एक बार फिर लौटे और व्यूरअरशिप का रिकॉर्ड बना दिया। दर्शकों की इसी पसंद और डीडी के नॉस्टैलजिक कंटेंट के प्रति प्यार को देखते हुए प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव्स ने (WAVES OTT) ने अपने प्लेटफॉर्म पर डीडी नॉस्टैल्जिया नाम से स्पेशल प्लेलिस्ट लॉन्च की है।
वेव्स ओटीटी की इस खास प्लेलिस्ट में अनुपम खेर और पूजा भट्ट की 'डैडी', सुरेखा सिकरी और इरफान खान की 'सांझा चूल्हा', मुकेश खन्ना की 'चुन्नी', पल्लवी जोशी और आर. माधवन की 'आरोहण', शाहरुख खान का डेब्यू सीरियल 'फौजी' और 'चाणक्य' जैसे सीरियल उपलब्ध हैं। खास बात ये है कि इन सदाबहार सीरियल्स को देखने के लिए वेव्स ओटीटी पर किसी तरह का पैसा या सब्सक्रिप्शन फीस नहीं लगेगी।
इस बारे में जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, जब ज़्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म चमक-दमक वाले शो और करोड़ों के बजट में बने सीरीज दिखाकर दर्शकों का ध्यान खींचने की होड़ में लगे हैं, ऐसे वक्त में प्रसार भारती का WAVES OTT एक अलग राह पर चल रहा है। ये प्लेटफॉर्म पुराने दौर की यादें, भारतीय संस्कृति और देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को सहेजने की कोशिश कर रहा है।
WAVES OTT पर दूरदर्शन के मशहूर सीरियल, आकाशवाणी की दुर्लभ रिकॉर्डिंग्स, फिल्म्स डिवीजन की डॉक्यूमेंट्रीज़ और एनएफडीसी की बेहतरीन फिल्में तो देखी ही जा सकती हैं। इसके साथ ही जया बच्चन की 'सदाबहार', पंकज झा की 'सरपंच साहब', संजय मिश्रा की 'कोट' व 'जाइये आप कहां जाएंगे', 'जैक्सन हॉल्टन' और 'करियट्ठी' जैसी नई फिल्में और वेब सीरीज भी वेव्स पर लोगों का दिल जीत रही हैं।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Z) के शेयरधारकों ने भारी बहुमत से दिव्या करणी को स्वतंत्र निदेशक और सौरव अधिकारी को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बोर्ड में नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Z) के शेयरधारकों ने भारी बहुमत से दिव्या करणी को स्वतंत्र निदेशक और सौरव अधिकारी को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बोर्ड में नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी 8 जुलाई 2025 को समाप्त हुई रिमोट ई-वोटिंग पोस्टल बैलट प्रक्रिया के जरिए हासिल हुई, जिसकी जानकारी कंपनी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।
यह मंजूरी न केवल कंपनी और उसके बोर्ड में शेयरधारकों के भरोसे को दर्शाती है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि वे 'Z' के भविष्य में मूल्य निर्माण और सशक्त विकास पथ की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को लेकर आश्वस्त हैं। कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप, बोर्ड लगातार प्रबंधन को सशक्त मार्गदर्शन देने और मजबूत नीति-आधारित गवर्नेंस फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। इसी सोच के तहत बोर्ड की संरचना को भी विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी विशेषज्ञों को शामिल करके और अधिक समृद्ध किया जा रहा है।
दिव्या करणी और सौरव अधिकारी की नियुक्ति से बोर्ड को समग्र और विविध दृष्टिकोण मिलेगा, जो प्रबंधन को रणनीतिक विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा।
दिव्या करणी मीडिया और विज्ञापन जगत में अपने वर्षों के अनुभव के साथ विज्ञापन राजस्व के क्षेत्र में गहरी समझ लेकर आती हैं। वहीं सौरव अधिकारी संचालन और निवेश की रणनीति में अपनी विशेषज्ञता से बोर्ड में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, क्योंकि उन्हें टेक्नोलॉजी सलाहकार के तौर पर लंबा अनुभव प्राप्त है।
नियुक्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन आर. गोपालन ने कहा, “हम आभारी हैं कि हमारे शेयरधारकों ने सुश्री करणी और श्री अधिकारी के बोर्ड में शामिल होने से मिलने वाले मूल्य को पहचाना। उनके व्यावसायिक दृष्टिकोण और संबंधित क्षेत्रों में उनकी रचनात्मक विशेषज्ञता, बोर्ड को प्रबंधन टीम को दिशा देने में और अधिक सक्षम बनाएगी, जिससे कंपनी अपने लक्ष्यों की ओर और तेजी से अग्रसर हो सकेगी। हम अपने हर निर्णय के माध्यम से कंपनी को सशक्त बनाने और शेयरधारकों के हित को सर्वोच्च रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
दिव्या करणी को भारत, दक्षिण एशिया, यूके और एशिया-पैसिफिक क्षेत्रों की प्रमुख विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों का नेतृत्व करने का तीन दशक से भी अधिक अनुभव है। वह डेंट्सु मीडिया, साउथ एशिया की सीईओ रह चुकी हैं, जहां उन्होंने 12 वर्षों तक एजेंसी को इस क्षेत्र की प्रमुख मीडिया नेटवर्क के रूप में स्थापित किया। वर्तमान में वह कंटेंट, कॉमर्स और कल्चर के संगम पर काम करने वाले आधुनिक मीडिया नेटवर्क ‘कुल्फी कलेक्टिव’ के बोर्ड में चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं।
वहीं, सौरव अधिकारी को टेक्नोलॉजी, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे वैश्विक व्यापार क्षेत्रों में संचालन, जनरल मैनेजमेंट और निवेश विशेषज्ञता के रूप में तीन दशक से अधिक का अनुभव है। उन्होंने एचसीएल, यूनिलीवर और पेप्सिको जैसी वैश्विक कंपनियों में वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर कार्य किया है। फिलहाल वह Indus Tech Edge Fund I के फाउंडर और सीनियर पार्टनर हैं- यह फंड भारत के तेजी से बढ़ते टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को वैश्विक स्तर पर ले जाने पर केंद्रित है। साथ ही वह एआई आधारित फिनटेक, हेल्थकेयर, एनालिटिक्स, IoT और लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप्स में निवेशक और सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।
कंपनी जैसे-जैसे अपने लक्षित उद्देश्यों की ओर तेजी से बढ़ रही है, वैसे-वैसे बोर्ड में करणी और अधिकारी जैसे अनुभवी पेशेवरों की मौजूदगी, प्रबंधन को बदलते कारोबारी परिदृश्य में मजबूती से आगे बढ़ने में निर्णायक रणनीतिक मार्गदर्शन देने का काम करेगी।
इस शो का प्रसारण सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर किया जाएगा।
डिजिटल पत्रकारिता की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुके पत्रकार शुभांकर मिश्रा जल्द ही ‘एनडीटीवी’ (NDTV) पर नया शो ‘कचहरी’ (Kachahari) लेकर आ रहे हैं। इस शो का प्रसारण सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर किया जाएगा।
शुभांकर ने खुद सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा है, ‘अब हर रात जनता की आवाज TV पर गूंजेगी । जनहित के मुद्दे हर रोज कचहरी लगेगी। किस खबर को आप चाहते हैं पहले दिन Prime Time कचहरी में पेश किया जाए?’
सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर।
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) July 5, 2025
अब हर रात जनता की आवाज़ Tv पर गूँजेंगी । जनहित के मुद्दे हर रोज़ कचहरी लगेगी। किस ख़बर को आप चाहते हैं पहले दिन Prime Time कचहरी में में पेश किया जाए ? pic.twitter.com/a99Rbzqw5O
बता दें कि शुभांकर मिश्रा ने पिछले दिनों ही ‘एनडीटीवी’ के साथ बतौर कंसल्टेंट अपने नए सफर की शुरुआत की है। इसके साथ ही वह अपना यूट्यूब और पॉडकास्ट चलाते रहेंगे।
करीब दो साल पहले टीवी न्यूज की दुनिया को अलविदा कहने के बाद से शुभांकर मिश्रा अपना यूट्यूब चैनल @shubhankarmishraofficial चला रहे हैं, जहां उनके 5.75 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। यहां अपने पॉडकास्ट 'Unplugged' में वह विभिन्न विषयों पर चर्चित हस्तियों के साथ गहन बातचीत करते हैं।
शुभांकर मिश्रा इससे पहले हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ (AakTak) से जुड़े हुए थे। उन्होंने करीब डेढ़ साल तक इस चैनल में बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभाई थी, इसके बाद जुलाई 2023 में उन्होंने इस चैनल को अलविदा बोल दिया था।
‘आजतक’ से पहले शुभाकंर मिश्रा करीब तीन साल तक ‘टीवी9’ (TV9) में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। शुभांकर मिश्रा अब तक तमाम मीडिया चैनल्स में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। ‘टीवी9’ से पहले वह ‘जी न्यूज’ (Zee News) के साथ जुड़े हुए थे। इसके अलावा पूर्व में वह ‘इंडिया न्यूज’ (India News) में भी बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
अपने अब तक के करियर में शुभांकर मिश्रा तमाम महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को अंजाम दे चुके हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘टाइगर हिल्स’ (Tiger Hills) से रिपोर्टिंग रही है, जहां कारगिल युद्ध हुआ था। शुभांकर मिश्रा की सोशल मीडिया पर काफी फैन फॉलोइंग है।