बता दें कि गूगल का ‘इंकॉग्निटो मोड’ एक ऐसा प्राइवेसी फीचर है, जो यूजर्स की ब्राउजिंग एक्टिविटी से जुड़ी जानकारी को सेव नहीं करता है।
टेक कंपनी गूगल कथित तौर पर एक मुकदमे को निपटाने पर सहमत हो गया है, जिसमें टेक दिग्गज पर ‘इंकॉग्निटो मोड’ में कई यूजर्स के डेटा को गलत तरह से ट्रैक करने के आरोप पर लगाया गया है।
बता दें कि गूगल का ‘इंकॉग्निटो मोड’ एक ऐसा प्राइवेसी फीचर है, जो यूजर्स की ब्राउजिंग एक्टिविटी से जुड़ी जानकारी को सेव नहीं करता है।
कथित तौर पर ट्रायल 5 फरवरी, 2024 से शुरू होना था, लेकिन इससे पहले ही गूगल ने इसे निपटाने की घोषणा की है। हालांकि इस मामले में होने वाले नुकसान के लिए याचिकाकर्ता की ओर से कम से कम 5 बिलियन डॉलर के भुगतान की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने गूगल पर यूजर्स की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए एनालिटिक्स, कुकीज और अन्य ऐप्स का उपयोग करने का आरोप लगाया, तब भी जब वे ‘इंकॉग्निटो मोड’ में ब्राउज कर रहे थे।
बता दें कि निपटान से संबंधित अधिकांश विवरण गोपनीय हैं। हालांकि, दोनों ही पक्ष मध्यस्थता के जरिए एक बाध्यकारी समझौते पर पहुंच गए हैं।
यह यूनिट सेल्स और पार्टनरशिप का काम देखती है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने यह कदम अपनी टीमें बेहतर बनाने तथा ग्राहक सेवा को और मजबूत करने के लिए उठाया है।
जानी-माने टेक कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने अपनी ग्लोबल बिजनेस यूनिट में 200 एंप्लॉयीज को नौकरी से हटा दिया है। यह यूनिट सेल्स और पार्टनरशिप का काम देखती है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने यह कदम अपनी टीमें बेहतर बनाने तथा ग्राहक सेवा को और मजबूत करने के लिए उठाया है।
गूगल ने रॉयटर्स को बताया कि वह छोटे-छोटे बदलाव कर रही है ताकि टीमें मिलकर बेहतर काम कर सकें। पिछले कुछ समय से गूगल और दूसरी बड़ी टेक कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा सेंटर्स में ज्यादा निवेश कर रही हैं, जबकि बाकी विभागों में खर्च कम कर रही हैं।
इससे पहले गूगल ने अपनी क्लाउड डिवीजन में भी बड़े पैमाने पर छंटनी की थी। कंपनी का यह कदम टेक इंडस्ट्री में चल रहे बदलावों का हिस्सा माना जा रहा है, जहां AI और नई तकनीकों पर जोर बढ़ रहा है।
टेक्नोलॉजी दिग्गज 'मेटा' (Meta Platforms, Inc.) ने 2025 की पहली तिमाही में जबरदस्त वित्तीय नतीजे दर्ज किए हैं, जो विश्लेषकों के अनुमान से कहीं बेहतर रहे।
टेक्नोलॉजी दिग्गज 'मेटा' (Meta Platforms, Inc.) ने 2025 की पहली तिमाही में जबरदस्त वित्तीय नतीजे दर्ज किए हैं, जो विश्लेषकों के अनुमान से कहीं बेहतर रहे। कंपनी ने $42.31 बिलियन का राजस्व दर्ज किया, जो साल-दर-साल 16% की वृद्धि है। वहीं शुद्ध मुनाफा 35% बढ़कर $16.64 बिलियन पहुंच गया।
Meta की कमाई का सबसे बड़ा जरिया- डिजिटल विज्ञापन इस तिमाही में $41.39 बिलियन रहा, जो पिछले साल की तुलना में 16% अधिक है।
कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस सफलता का श्रेय मेटा की बढ़ती वैश्विक कम्युनिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हुई तेज प्रगति को दिया। उन्होंने कहा, “हमने साल की शानदार शुरुआत की है। हमारी कम्युनिटी लगातार बढ़ रही है और हमारा कारोबार शानदार प्रदर्शन कर रहा है।”
जुकरबर्ग ने Meta AI और AI-पावर्ड ग्लासेज जैसी इनोवेशन को खास तौर पर रेखांकित किया। Meta AI इस समय लगभग 1 अरब मंथली एक्टिव यूजर्स को सेवाएं दे रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और वॉट्सऐप जैसी Meta की ऐप्स का उपयोग दैनिक रूप से 3.43 अरब लोग कर रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 6% की बढ़त है।
ऑपरेटिंग मार्जिन भी बढ़कर 41% हो गया, जो पिछले साल 38% था। इसके पीछे मेटा का सख्त खर्च नियंत्रण नीति रही। खर्च और लागत सिर्फ 9% बढ़कर $24.76 बिलियन हुई, जबकि AI इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा सेंटर्स में निवेश के चलते पूंजीगत खर्च $13.69 बिलियन तक पहुंच गया।
कंपनी ने अपने सालभर के कैपेक्स (capital expenditure) अनुमान को $64-72 बिलियन के बीच कर दिया है, जिससे यह साफ है कि मेटा AI इनोवेशन में बड़ा दांव लगाने जा रही है।
आगे की दिशा में, मेटा ने दूसरी तिमाही के लिए $42.5 से $45.5 बिलियन के बीच राजस्व का अनुमान जताया है, जो दोहरे अंकों में वृद्धि की ओर इशारा करता है। कंपनी ने सालभर के कुल खर्च का अनुमान घटाकर $113-118 बिलियन कर दिया है—इससे संकेत मिलता है कि मेटा निवेश और दक्षता के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, कंपनी को यूरोपीय रेगुलेटरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। यूरोपीय आयोग ने मेटा के "नो ऐड्स" सब्सक्रिप्शन मॉडल को डिजिटल मार्केट्स एक्ट के अनुरूप नहीं पाया है। यदि बदलाव नहीं हुए, तो Q3 2025 से इसका यूरोपीय संचालन प्रभावित हो सकता है। मेटा ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है, लेकिन यह भी माना कि कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं।
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, Q1 2025 के आंकड़े बताते हैं कि मेटा की रणनीति, तकनीकी फोकस और शेयरधारकों को मूल्य देने की क्षमता बरकरार है। निवेशकों ने भी इस प्रदर्शन को सराहा, जिसके चलते कंपनी के शेयर आफ्टर-ऑवर्स ट्रेडिंग में 4% से अधिक बढ़ गए।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ चार साल पुराने एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी से जुड़े प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के मामले में सेटलमेंट को औपचारिक मंजूरी दे दी है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ चार साल पुराने एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी से जुड़े प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के मामले में सेटलमेंट को औपचारिक मंजूरी दे दी है। गूगल ने ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) के साथ किए गए अपने पुराने समझौते को संशोधित करने और ₹20.24 करोड़ की सेटलमेंट राशि देने पर सहमति जताई है।
CCI ने अपने बयान में कहा, “भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 48A (3) और 2024 में लागू हुए सेटलमेंट रेगुलेशंस के तहत बहुमत के आधार पर एंड्रॉयड टीवी मामले में गूगल के सेटलमेंट प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।”
यह CCI के प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत निपटा गया पहला मामला है, जिसमें समझौते के जरिए समाधान किया गया है।
इससे पहले आयोग ने गूगल को एंड्रॉयड टीवी मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया था। आरोप था कि अगर टीवी निर्माता गूगल की सेवाओं तक पहुंच चाहते थे, तो उन्हें कंपनी के ऐप्स को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करना पड़ता था।
यह मामला दो एंटी-ट्रस्ट वकीलों क्षितिज आर्य और पुरुषोत्तम आनंद द्वारा 2002 के अधिनियम की धारा 19(1)(a) के तहत गूगल LLC, गूगल इंडिया, शाओमी और TCL इंडिया के खिलाफ दर्ज किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गूगल ने अधिनियम के कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
जांच में पाया गया कि भारत में एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी सिस्टम सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला लाइसेंस योग्य ऑपरेटिंग सिस्टम है। साथ ही, गूगल प्ले स्टोर इन टीवीज के लिए प्रमुख ऐप स्टोर है।
गूगल ने कंपनियों से दो तरह के समझौते कराए- टेलीविजन ऐप डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट (TADA) और एंड्रॉयड कम्पैटिबिलिटी कमिटमेंट्स (ACC)। इन समझौतों में कुछ ऐसे नियम थे जो अनुचित माने गए। टीवी निर्माताओं को गूगल के पूरे ऐप बंडल (Google TV Services) को इंस्टॉल करना जरूरी होता था, वे एंड्रॉयड के अपने संस्करण बनाने या इस्तेमाल करने से रोके जाते थे, और नवाचार की संभावनाएं सीमित हो जाती थीं।
ये नियम कंपनी के सभी डिवाइस पर लागू होते थे और YouTube व Play Store जैसी सेवाएं एक साथ बंडल होती थीं, जिससे गूगल को बाजार में वर्चस्व बनाए रखने में मदद मिलती थी। यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन माना गया।
हालांकि, आयोग को यह साबित करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले कि गूगल ने अन्य कंपनियों से साझेदारी से इनकार किया या सप्लाई को सीमित किया — जैसा कि धारा 3(4) में आरोप लगाया गया था।
सेटलमेंट के तहत गूगल ने भारत में अपने संचालन के तौर-तरीकों में बदलाव की पेशकश की है। अब ऐप बंडलिंग की बजाय वह Play Store और Play Services को अलग-अलग लाइसेंस के तहत, शुल्क के साथ उपलब्ध कराएगा।
राहुल कपूर इससे पहले करीब 15 वर्षों तक Google India में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर चुके हैं।
ग्लोबल एडटेक कंपनी The Trade Desk ने राहुल कपूर को पार्टनरशिप्स का वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया है। राहुल कपूर इससे पहले करीब 15 वर्षों तक Google India में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर चुके हैं।
पिछले पांच वर्षों से वे वहां पार्टनरशिप सॉल्यूशंस के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस नई शुरुआत की जानकारी देते हुए कपूर ने लिखा, "मीडिया, एडटेक और स्ट्रैटजिक एलायंसेज में 25 वर्षों से अधिक के अनुभव के बाद अब एक ऐसी भूमिका में कदम रखना रोमांचक है जो भारत में प्रोग्रामेटिक विज्ञापन के भविष्य को आकार देने पर केंद्रित है- जहां प्राइवेसी, प्रीमियम ऑडियंस और सार्थक साझेदारियाँ केंद्र में हैं।"
राहुल कपूर की यह नियुक्ति भारत में The Trade Desk की रणनीतिक दिशा को और मजबूती दे सकती है, खासकर तब जब देश में डिजिटल विज्ञापन और प्रोग्रामेटिक स्पेस तेजी से विकसित हो रहा है।
वर्जीनिया की एक संघीय अदालत ने फैसला सुनाया है कि गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन तकनीक के अहम क्षेत्रों में अवैध रूप से एकाधिकार बना रखा है।
वर्जीनिया की एक संघीय अदालत ने फैसला सुनाया है कि गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन तकनीक के अहम क्षेत्रों में अवैध रूप से एकाधिकार बना रखा है। यह फैसला टेक दिग्गज गूगल के लिए कानूनी रूप से एक बड़ा झटका माना जा रहा है और उसके व्यापारिक तरीकों पर बढ़ती एंटीट्रस्ट निगरानी को और तेज कर सकता है।
अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज लिओनी ब्रिंकेमा ने पाया कि गूगल ने पब्लिशर ऐड सर्वर और ऐड एक्सचेंज के बाजारों में प्रभुत्व पाने और उसे बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई। ये दोनों तकनीकें वेबसाइट पब्लिशर्स को विज्ञापनदाताओं से जोड़ती हैं और तय करती हैं कि वेबसाइट पर कौन-से विज्ञापन दिखाई देंगे।
यह फैसला 17 अप्रैल 2025 को सुनाया गया और यह एक साल के भीतर गूगल के खिलाफ दूसरा बड़ा एंटीट्रस्ट मामला है। इससे पहले एक अदालत ने गूगल को ऑनलाइन सर्च पर अवैध एकाधिकार रखने का दोषी पाया था। साथ ही, पिछले दिसंबर में एक संघीय जूरी ने गूगल के ऐप मार्केटप्लेस को भी गैरकानूनी एकाधिकार करार दिया था। इन तीनों मामलों से गूगल पर कानूनी दबाव काफी बढ़ गया है और कंपनी पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जो उसे अपने विज्ञापन व्यवसाय के कुछ हिस्सों को अलग करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
115 पन्नों के अपने निर्णय में जज ब्रिंकेमा ने विस्तार से बताया कि गूगल ने कैसे अपने पब्लिशर ऐड सर्वर को अपने ऐड एक्सचेंज के साथ एकीकृत कर ऐसा सिस्टम खड़ा किया, जिससे हितों का टकराव पैदा हुआ और प्रतियोगियों को बराबरी से प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि गूगल की इन गतिविधियों से पब्लिशर्स को नुकसान हुआ, प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई और अंततः उपभोक्ताओं को वेब पर जानकारी प्राप्त करने में नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि, अदालत ने सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें गूगल के ऐडवरटाइजर ऐड नेटवर्क में एकाधिकार होने का आरोप था।
गूगल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने इस केस का आधा हिस्सा जीत लिया है और बाकी हिस्से को लेकर अपील करेगा। कंपनी ने तर्क दिया कि पब्लिशर्स गूगल की विज्ञापन तकनीक इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह सरल, सस्ती और प्रभावी है। उसने यह भी कहा कि उसके अधिग्रहण, जैसे कि डबलक्लिक, ने प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचाया है।
इस फैसले के बाद अब आगे अदालत यह तय करेगी कि गूगल पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें यह संभावना भी है कि गूगल को अपना ‘गूगल ऐड मैनेजर’ बिजनेस, जिसमें पब्लिशर ऐड सर्वर और ऐड एक्सचेंज दोनों शामिल हैं, बेचना पड़ सकता है। यह कदम ऑनलाइन विज्ञापन के आर्थिक ढांचे और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा को पूरी तरह बदल सकता है।
टीवी टुडे नेटवर्क के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) पीयूष गुप्ता जल्द ही कंपनी से विदाई लेने जा रहे हैं।
टीवी टुडे नेटवर्क के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) पीयूष गुप्ता जल्द ही कंपनी से विदाई लेने जा रहे हैं। उनका आखिरी कार्यदिवस 15 अप्रैल 2025 होगा।
पिछले एक दशक से ज्यादा समय से पीयूष गुप्ता टीवी टुडे नेटवर्क में टेक्नोलॉजी की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने जनवरी 2015 में बतौर ग्रुप सीटीओ टीवी टुडे नेटवर्क जॉइन किया था।
इससे पहले गुप्ता ने नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड में 15 वर्षों तक विभिन्न पदों पर काम किया। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने टेलीविजन18 इंडिया से की थी और बाद में एनडीटीवी से भी जुड़े।
पीयूष गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की है।
नेटवर्क18 मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने घोषणा की है कि कंपनी के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) रजत निगम 1 अप्रैल 2025 से समूह के भीतर एक नई भूमिका में नजर आएंगे।
नेटवर्क18 मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने घोषणा की है कि कंपनी के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) रजत निगम 1 अप्रैल 2025 से समूह के भीतर एक नई भूमिका में नजर आएंगे। इस बदलाव के साथ, वह 1 अप्रैल 2025 से कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन (Senior Management) का हिस्सा नहीं रहेंगे। इसकी जानकारी नेटवर्क18 मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने स्टॉक एक्सचेंज को दी है।
नेटवर्क18 में उनकी नई भूमिका क्या होगी, इसे लेकर अभी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
रजत निगम मीडिया और आईटी टेक्नोलॉजी क्षेत्र के अनुभवी पेशेवर हैं। लाइव न्यूज ऑपरेशन, अंतरराष्ट्रीय खेल प्रसारण, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, डिजिटल मीडिया, ओटीटी और पब्लिशिंग जैसे क्षेत्रों में उनकी गहरी समझ और अनुभव रहा है। वह एक बड़ी मीडिया टेक्नोलॉजी और ऑपरेशंस टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जिसमें एंटरप्राइज़ आईटी, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और इनोवेशन जैसे टेक्नोलॉजी वर्टिकल शामिल थे।
रजत निगम का पेशेवर सफर टेक्नोलॉजी और ब्रॉडकास्ट ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिकाओं से भरा रहा है। जुलाई 2015 में वह नेटवर्क18 से जुड़े और ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के रूप में अपनी जिम्मेदारियां संभालीं। इस भूमिका में उन्होंने छह वर्षों से अधिक समय तक विभिन्न टेक्नोलॉजी वर्टिकल्स का नेतृत्व किया। नेटवर्क18 से पहले वह चार वर्षों तक टाइम्स ग्रुप में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट - टेक्नोलॉजी & ब्रॉडकास्ट ऑपरेशंस के रूप में कार्यरत रहे। इससे पहले, 2008 से अप्रैल 2011 तक उन्होंने टाइम्स ग्लोबल ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड में वीपी टेक्नोलॉजी & ब्रॉडकास्ट ऑपरेशंस के तौर पर काम किया, जहां उन्होंने ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल कीं।
रजत निगम ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मार्केटिंग में एमबीए किया है और 1992 में अपनी डिग्री पूरी की थी। वह ब्लॉकचेन काउंसिल से प्रमाणित ब्लॉकचेन एक्सपर्ट भी हैं और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए पहचाने जाते हैं।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक पर लगाए गए 936 करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर 217 करोड़ रुपये कर दिया है।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक पर लगाए गए 936 करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर 217 करोड़ रुपये कर दिया है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फैसला गूगल द्वारा CCI के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया है।
हालांकि, ट्रिब्यूनल ने यह भी माना कि गूगल ने एंड्रॉयड मार्केट में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया। इसके बावजूद, NCLAT ने CCI के सभी निर्देशों से सहमति नहीं जताई।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल पर 1,350 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। आरोप था कि कंपनी ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में अपनी मजबूत स्थिति का गलत फायदा उठाया और डिवाइस निर्माताओं पर कुछ शर्तें लगाईं, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई। CCI ने गूगल को निर्देश दिया था कि वह मोबाइल निर्माताओं पर अपने ऐप्स की प्री-इंस्टॉलेशन और सर्च एक्सक्लूसिविटी को लेकर लगाई गई पाबंदियों को हटाए।
अब NCLAT के फैसले से गूगल को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन उसकी व्यापार नीतियों को लेकर बनी चुनौतियां अभी भी कायम हैं।
हॉलीवुड के बड़े स्टार्स ने टेक कंपनियों गूगल और ओपनएआई (Open AI) के खिलाफ एकजुट होकर ट्रंप प्रशासन से कॉपीराइट कानूनों की सुरक्षा की मांग की है
हॉलीवुड के बड़े स्टार्स ने टेक कंपनियों गूगल और ओपनएआई (Open AI) के खिलाफ एकजुट होकर ट्रंप प्रशासन से कॉपीराइट कानूनों की सुरक्षा की मांग की है, जिससे इनका गलत इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियों द्वारा न किया जा सके।
400 से अधिक मशहूर हस्तियों, जिनमें बेन स्टिलर, पॉल मैकार्टनी, ऑब्रे प्लाजा और ओलिविया वाइल्ड शामिल हैं, ने व्हाइट हाउस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने चिंता जताई है कि कुछ प्रस्ताव कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं।
यह पत्र ओपनएआई और गूगल द्वारा अमेरिकी सरकार को भेजी गई हालिया सिफारिशों के जवाब में आया है। इन टेक कंपनियों का तर्क है कि कॉपीराइट नियमों को कुछ हद तक ढीला किया जाए, जिससे अमेरिका एआई विकास में चीन जैसे देशों के मुकाबले अपनी बढ़त बनाए रख सके।
हालांकि, हॉलीवुड सितारे इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हैं। उनका कहना है कि कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर करने से अमेरिका के रचनात्मक और ज्ञान आधारित उद्योगों का "मुफ्त में शोषण" होगा, जबकि गूगल और ओपनएआई जैसी कंपनियों के पास पहले से ही अपार संसाधन और राजस्व मौजूद हैं। पत्र में यह भी बताया गया है कि मनोरंजन उद्योग अमेरिका में 23 लाख से अधिक नौकरियां देता है और सालाना 229 अरब डॉलर की मजदूरी का योगदान करता है। इसके अलावा, यह अमेरिका की वैश्विक प्रभावशीलता और सॉफ्ट पावर को भी मजबूत करता है।
सेलिब्रिटीज का कहना है कि एआई मॉडल को बेहतर बनाने के लिए कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर करने या खत्म करने की कोई जरूरत नहीं है। वे चेतावनी देते हैं कि यह समस्या सिर्फ मनोरंजन जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका के सभी ज्ञान आधारित क्षेत्रों—लेखक, प्रकाशक, फोटोग्राफर, वैज्ञानिक, आर्किटेक्ट, इंजीनियर, डिजाइनर, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स—को भी प्रभावित कर सकती है।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि एआई तकनीक के तेजी से विकास के बीच टेक और क्रिएटिव इंडस्ट्री के बीच तनाव बढ़ रहा है। पत्र में नवाचार और रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) ने स्टरलिंक (Starlink) की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी SpaceX के साथ एक डील की है।
जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) ने स्टरलिंक (Starlink) की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी SpaceX के साथ एक डील की है। इस डील के तहत जियो भारत में अपने ग्राहकों को स्टरलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधाए मुहैया कराएगा।
यह डील इस शर्त पर आधारित है कि SpaceX को भारत में Starlink बेचने के लिए आवश्यक स्वीकृतियां (authorisations) मिलें। यदि SpaceX को यह स्वीकृतियां मिल जाती हैं, तो Jio और SpaceX यह पता लगाने के लिए मिलकर काम करेंगे कि Starlink किस तरह Jio की सेवाओं का विस्तार कर सकता है और Jio किस तरह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए SpaceX की सीधी सेवाओं को और बेहतर बना सकता है।
Jio अपने रिटेल आउटलेट्स और ऑनलाइन स्टोर्स के माध्यम से Starlink समाधान उपलब्ध कराएगा।
इस डील के तहत दोनों पक्ष Jio की दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल ऑपरेटर (डेटा ट्रैफिक के हिसाब से) के रूप में स्थिति और Starlink की अग्रणी लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन ऑपरेटर के रूप में स्थिति का उपयोग करेंगे ताकि पूरे भारत, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में, भरोसेमंद ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान की जा सकें।
Jio न केवल अपने रिटेल आउटलेट्स में Starlink उपकरण पेश करेगा, बल्कि ग्राहक सेवा, इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन के लिए एक मजबूत तंत्र भी स्थापित करेगा।
SpaceX के साथ यह समझौता Jio की इस प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि हर छोटे और मध्यम व्यवसाय, उद्यम और समुदाय को भरोसेमंद इंटरनेट की पूरी पहुंच मिले। Starlink, JioAirFiber और JioFiber की सेवाओं को पूरक बनाकर तेज इंटरनेट को सबसे मुश्किल स्थानों तक तेजी और किफायती तरीके से पहुंचाने में मदद करेगा।
Jio और SpaceX अन्य पूरक क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं ताकि वे अपनी-अपनी बुनियादी ढांचा क्षमताओं का लाभ उठाकर भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को और मजबूत बना सकें।
रिलायंस Jio के ग्रुप सीईओ मैथ्यू उमेन ने कहा, "हर भारतीय को, चाहे वे कहीं भी रहते हों, सुलभ और उच्च गति वाला ब्रॉडबैंड प्रदान करना Jio की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत में Starlink लाने के लिए SpaceX के साथ हमारा सहयोग हमारी इस प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है और सभी के लिए निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। Jio के ब्रॉडबैंड इकोसिस्टम में Starlink को शामिल करके, हम अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं और इस AI- संचालित युग में तेज ब्रॉडबैंड की विश्वसनीयता और उपलब्धता को बढ़ा रहे हैं, जिससे पूरे देश में समुदायों और व्यवसायों को सशक्त बनाया जा सके।"
SpaceX की प्रेजिडेंट व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ग्विन शॉटवेल ने कहा, "हम भारत की कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए Jio की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। हम Jio के साथ काम करने और भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उत्साहित हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों, संगठनों और व्यवसायों को Starlink की उच्च गति इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जा सके।"