वॉशिंगटन पोस्ट व एमनेस्टी का दावा, पेगासस के जरिए दो पत्रकारों को बनाया गया निशाना

वॉशिंगटन पोस्ट के साथ मिलकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी को लेकर बड़ा दावा किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Friday, 29 December, 2023
Last Modified:
Friday, 29 December, 2023
pegasus545


वॉशिंगटन पोस्ट के साथ मिलकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी को लेकर बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि हाल ही में iPhones पर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए टारगेट किए जाने वालों में 2 भारतीय पत्रकार भी शामिल हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के साथ पार्टनरशिप में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की ओर से फोरेंसिक जांच में यह दावा किया गया है।

इस रिपोर्ट में जिन दो पत्रकारों के बारे में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि उन्हें पेगासस से टारगेट किया गया, वे हैं 'द वायर' के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्ट प्रोजेक्ट (OCCRP) के दक्षिण एशिया संपादक आनंद मंगनाले। दोनों को विपक्षी दलों के कई राजनेताओं के साथ, अक्टूबर में iPhone पर धमकी की सूचना मिली थी। इसके बाद, दोनों ने परीक्षण के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल को अपने उपकरण उपलब्ध कराए थे।

गौरतलब है कि पेगासस एक तरह का जासूसी सॉफ्टवेयर है जिसे इजरायली सर्विलांस फर्म NSO ने तैयार किया है। एनएसओ ग्रुप का हमेशा कहता रहा है कि वो इसे लेकर डील केवल सरकारों से करता है और गहन जांच के बाद ही यह फैसला लिया जाता है। 

पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल से दो भारतीय पत्रकारों को निशाना बनाया गया था। ये मामला अक्टूबर महीने में iPhone पर मिले ‘थ्रेट नोटिफिकेशन’ से जुड़ा है। कांग्रेस नेता शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा के iPhone पर भी ये ‘खतरे वाला नोटिफिकेशन’ आया था। अब दावा किया गया है कि इस लिस्ट में ये दो पत्रकार भी शामिल हैं, जिन्हें टारगेट किया गया था।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Alphabet ने एंटीट्रस्ट मुकदमे को निपटाने के लिए रखा 500 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव

गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet Inc. ने एक शेयरधारक मुकदमे के संभावित निपटारे के तहत अगले दस वर्षों में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमति जताई है।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 05 June, 2025
Last Modified:
Thursday, 05 June, 2025
SundarPichai6523

गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet Inc. ने एक शेयरधारक मुकदमे के संभावित निपटारे के तहत अगले दस वर्षों में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमति जताई है। यह निवेश ग्लोबल कंप्लायंस सिस्टम को पूरी तरह से रिवैम्प करने के लिए किया जाएगा। कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में दायर इस समझौते से Alphabet की नियामकीय जिम्मेदारियों को लेकर रुख में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, खासकर उस दौर में जब कंपनी विभिन्न कानूनी चुनौतियों का सामना कर रही है।

यह मुकदमा 2021 में मिशिगन की दो पेंशन फंड कंपनियों ने दायर किया था। इसमें Alphabet के शीर्ष अधिकारियों- सीईओ सुंदर पिचाई, को-फाउंंडर लैरी पेज और सर्गे ब्रिन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपनी फिड्युशियरी (आस्था-संबंधी) जिम्मेदारियों का उल्लंघन किया और कंपनी को एंटीट्रस्ट जोखिमों के बीच डाल दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि Google ने सर्च, डिजिटल विज्ञापन, एंड्रॉयड और ऐप वितरण जैसे क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीके अपनाए, जिससे कानूनी नुकसान और साख को धक्का पहुंचा।

प्रस्तावित समझौते के तहत Alphabet अब एक अलग बोर्ड समिति बनाएगा जो केवल जोखिम और अनुपालन (compliance) से संबंधित मामलों को देखेगी। यह जिम्मेदारी पहले ऑडिट समिति संभालती थी। इसके अलावा, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट लेवल की एक समिति बनाई जाएगी जो सीधे सीईओ पिचाई को रिपोर्ट करेगी और नियामकीय चुनौतियों पर ध्यान देगी। साथ ही प्रोडक्ट मैनेजर्स और इंटरनल एक्सपर्ट्स की एक खास टीम बनाई जाएगी जो प्रोडक्ट्स को रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स के हिसाब से ऑपरेट करेगी। इन सुधारों को कम से कम चार वर्षों तक बनाए रखना अनिवार्य होगा।

हालांकि Alphabet ने किसी भी गलत कार्य की बात नहीं मानी है, लेकिन कंपनी ने कहा, “हमने वर्षों से मजबूत अनुपालन प्रक्रिया विकसित करने में पर्याप्त संसाधन लगाए हैं। लंबी कानूनी लड़ाई से बचने के लिए हम ये प्रतिबद्धताएं लेने को तैयार हैं, ताकि अपने अनुपालन दायित्वों को प्राथमिकता दे सकें।”

शेयरधारकों की ओर से मुकदमा लड़ रही कानूनी टीम, जो करीब 80 मिलियन डॉलर की फीस मांगने की तैयारी में है, ने इन सुधारों को “ऐसे मुकदमों में विरल” और “सबसे उल्लेखनीय नियामकीय निपटानों” में एक बताया। वकील पैट्रिक कॉफलिन ने कहा, “हमें बोर्ड को उन सभी रिपोर्ट्स की जानकारी नहीं मिल रही थी, जो उसे एंटीट्रस्ट जोखिमों को लेकर मिलनी चाहिए थी।”

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब Google को पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े कानूनी झटके लगे हैं। अगस्त 2023 में एक संघीय न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि Google ने सर्च के क्षेत्र में अपनी मोनोपॉली (एकाधिकार) को अवैध रूप से बनाए रखा। अप्रैल 2024 में एक अन्य फैसले में कंपनी को डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में एंटीट्रस्ट उल्लंघन का दोषी पाया गया। अब अमेरिकी न्याय विभाग जैसे नियामक संस्थान Chrome ब्राउजर को अलग करने और प्रतिस्पर्धियों के साथ डेटा साझा करने जैसे कठोर उपायों की मांग कर रहे हैं। न्यायाधीश अमित मेहता, जिन्होंने सर्च से जुड़े मामले में Google के खिलाफ फैसला सुनाया, अगस्त 2025 तक अंतिम निर्णय देंगे।

अमेरिका के अलावा Alphabet यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ, कनाडा और चीन जैसे देशों में भी नियामकीय जांच और कानूनी कार्रवाइयों का सामना कर रहा है। इन सभी में कंपनी की बाजार नीति और संभावित दबदबे के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

यह प्रस्तावित समझौता, जिसे कोर्ट की मंजूरी मिलनी अभी बाकी है, अल्फाबेट (Google की पेरेंट कंपनी) की उस बड़ी कोशिश का हिस्सा है जिसके तहत वह नियामकीय चिंताओं (regulatory concerns) को सुलझाना चाहती है और वैश्विक स्तर पर बढ़ती जांच-पड़ताल के बीच अनुपालन (compliance) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना चाहती है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

गूगल पर अमेरिकी अदालत का बड़ा ऐंटीट्रस्ट फैसला, कंपनी ने अपील का किया ऐलान

गूगल ने अमेरिका की एक संघीय अदालत द्वारा उसके खिलाफ दिए गए हालिया ऐंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा-विरोधी) फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 02 June, 2025
Last Modified:
Monday, 02 June, 2025
Google

गूगल ने अमेरिका की एक संघीय अदालत द्वारा उसके खिलाफ दिए गए हालिया ऐंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा-विरोधी) फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है। यह फैसला वॉशिंगटन डीसी स्थित यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज अमित मेहता ने सुनाया, जिसमें गूगल को ऑनलाइन सर्च बाजार में अवैध एकाधिकार कायम करने का दोषी ठहराया गया है। यह मामला 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) द्वारा शुरू की गई कानूनी लड़ाई का परिणाम है और डिजिटल युग के सबसे महत्वपूर्ण ऐंटीट्रस्ट मामलों में से एक माना जा रहा है।

सर्च मार्केट में प्रभुत्व बनाए रखने के आरोप

DOJ की याचिका में आरोप लगाया गया था कि गूगल ने ऐंटी-कॉम्पिटिटिव तरीके अपनाकर अपने सर्च इंजन के प्रभुत्व को बरकरार रखा। इसमें एप्पल और सैमसंग जैसे डिवाइस निर्माताओं से अरबों डॉलर के सौदे कर उन्हें डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाना भी शामिल था।

सरकार का यह भी तर्क था कि गूगल के पास क्रोम ब्राउज़र का स्वामित्व होना उसे अनुचित बढ़त देता है, जिससे और अधिक यूज़र्स और डेटा उसकी सर्च सेवा की ओर जाते हैं।

सरकार के सख्त प्रस्ताव, गूगल की तीखी आपत्ति

अदालत के फैसले के बाद न्याय विभाग ने गूगल के खिलाफ कई सख्त उपायों का प्रस्ताव रखा, जिनमें उसके क्रोम ब्राउज़र को बेचने का आदेश देना, डिफॉल्ट सर्च इंजन के लिए डिवाइस निर्माताओं को किए जाने वाले भुगतान रोकना और सर्च डेटा को प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ साझा करना शामिल है। इसके साथ ही DOJ ने एक तकनीकी समिति के गठन का सुझाव भी दिया है, जो मुख्य रूप से सरकारी विशेषज्ञों से बनी होगी और इस डेटा शेयरिंग व अनुपालन पर निगरानी रखेगी।

गूगल ने इन प्रस्तावों का विरोध करते हुए कहा कि ये उपाय अदालत के फैसले से कहीं आगे जाकर उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाएंगे और यूज़र्स की प्राइवेसी को खतरे में डाल सकते हैं। कंपनी ने बयान जारी कर कहा, “हम अदालत की अंतिम राय का इंतज़ार करेंगे। हमें अब भी पूरा विश्वास है कि अदालत का मूल फैसला गलत था और हम अपील की प्रक्रिया को लेकर आशान्वित हैं।”

गूगल के वैकल्पिक प्रस्ताव

DOJ के उपायों की जगह गूगल ने सीमित रियायतें देने का सुझाव दिया है, जैसे कि डिवाइस पर अन्य सर्च इंजनों को अनुमति देना और कंपनी की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना। गूगल ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब वायरलेस कैरियर्स और स्मार्टफोन कंपनियों के साथ एक्सक्लूसिव डील नहीं कर रहा है, जिससे प्रतिस्पर्धी सर्च इंजन और एआई ऐप्स को नए डिवाइस पर पहले से इंस्टॉल किया जा सके।

AI और सर्च प्रभुत्व का टकराव

इस मामले के व्यापक असर हैं, खासकर उस दौर में जब टेक्नोलॉजी कंपनियों का एआई की ओर रुझान बढ़ रहा है। DOJ का तर्क है कि सर्च बाजार पर गूगल का एकाधिकार उसे एआई उत्पादों के विकास में अनुचित बढ़त देता है, जबकि गूगल का कहना है कि बाजार पहले से ही प्रतिस्पर्धी है और तेजी से विकसित हो रहा है।

जज मेहता इस मामले में अंतिम उपायों पर फैसला अगस्त तक दे सकते हैं। इस बीच गूगल की अपील यह सुनिश्चित करती है कि ऑनलाइन सर्च का भविष्य तय करने वाली यह कानूनी लड़ाई अभी कई महीनों, बल्कि संभवतः वर्षों तक जारी रहेगी।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

गूगल व US DOJ के बीच एंटीट्रस्ट केस की सुनवाई पूरी, फैसले से ऑनलाइन सर्च का तय होगा भविष्य

लगभग पांच साल तक चले कानूनी संघर्ष के बाद, 30 मई को गूगल और अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) ने एक ऐतिहासिक एंटीट्रस्ट मुकदमे में अपने अंतिम तर्क पेश कर दिए हैं

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 31 May, 2025
Last Modified:
Saturday, 31 May, 2025
Google7845

लगभग पांच साल तक चले कानूनी संघर्ष के बाद, 30 मई को गूगल और अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) ने एक ऐतिहासिक एंटीट्रस्ट मुकदमे में अपने अंतिम तर्क पेश कर दिए हैं। यह एक ऐसा मामला जो ऑनलाइन सर्च के भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है। 2020 में शुरू हुए इस मुकदमे में गूगल पर यह आरोप था कि उसने सर्च इंजन और डिजिटल विज्ञापन बाजार में अपनी एकाधिकार स्थिति को बनाए रखने के लिए अवैध और प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीके अपनाए।

DOJ का पूरा मामला गूगल द्वारा स्मार्टफोन निर्माताओं और ब्राउजर कंपनियों (खासकर Apple) से किए गए अरबों डॉलर के समझौतों पर केंद्रित रहा है, जिनके तहत गूगल को नए डिवाइसेज में डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर सेट किया गया। अदालत में पेश दस्तावेजों के अनुसार, गूगल ने सिर्फ 2021 में ऐसे डिफॉल्ट प्लेसमेंट सुनिश्चित करने के लिए 26.3 अरब डॉलर खर्च किए, जिससे अमेरिका में लगभग 80% सर्च क्वेरीज गूगल के ही प्लेटफॉर्म से होकर गुजरती हैं। DOJ का तर्क है कि ये समझौते प्रतिस्पर्धा को खत्म कर देते हैं और गूगल की बादशाहत को इस हद तक मजबूत करते हैं कि प्रतिद्वंद्वियों के लिए बाजार में पैर जमाना लगभग असंभव हो जाता है।

इसके जवाब में, गूगल लगातार यह कहता रहा है कि उसकी सफलता उसके उत्पादों की गुणवत्ता का परिणाम है और यूजर्स जब चाहें, अपने डिफॉल्ट सर्च इंजन को बदल सकते हैं। हालांकि DOJ ने अदालत में ऐसे सबूत रखे हैं जो दिखाते हैं कि वास्तव में बहुत ही कम यूजर्स ऐसा करते हैं और गूगल को यह अच्छी तरह मालूम है।

मामला जब इस साल की शुरुआत में अपने 'उपायों' (remedies) के चरण में पहुंचा, तो DOJ ने कुछ बेहद कड़े बदलावों की मांग की। इनमें शामिल हैं- गूगल को अपना Chrome ब्राउजर बेचना होगा, Apple और अन्य पार्टनर्स को दिए जा रहे भारी-भरकम भुगतान बंद करने होंगे और गूगल को अपने कीमती सर्च डेटा को प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ साझा करना होगा। सरकार का कहना है कि ऐसी कड़ी कार्रवाइयां जरूरी हैं ताकि प्रतिस्पर्धा को दोबारा स्थापित किया जा सके और AI-संचालित सर्च स्टार्टअप्स समेत नए खिलाड़ियों को बाजार में उतरने का मौका मिले।

गूगल ने DOJ के इन सुझावों का पुरजोर विरोध किया है, यह कहते हुए कि ये प्रस्ताव जरूरत से कहीं ज्यादा कठोर हैं और स्थापित कानूनी परंपराओं से परे हैं। कंपनी ने डील्स में कटौती करने और एक निगरानी समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन Chrome को बेचने या अपने सर्च टेक्नोलॉजी को साझा करने जैसे उपायों को नवाचार और उपभोक्ता गोपनीयता के लिए नुकसानदेह बताया है।

AI के तेजी से उभरने के चलते इस मुकदमे को नई तात्कालिकता मिल गई है। दोनों पक्षों ने इस पर बहस की कि AI किस तरह सर्च के परिदृश्य को बदल रहा है। DOJ का कहना है कि गूगल को अपनी AI टूल्स के लिए भी कोई एक्सक्लूसिव डील करने से रोका जाना चाहिए, जबकि गूगल का तर्क है कि AI आधारित प्रतियोगियों के चलते बाजार पहले ही बदल रहा है। मुकदमे की निगरानी कर रहे न्यायाधीश अमित मेहता ने स्वीकार किया कि AI की क्षमता वास्तव में क्रांतिकारी है, लेकिन इस बात पर अभी फैसला नहीं किया है कि इसका अंतिम निर्णय में कितना असर होना चाहिए।

इस मुकदमे का फैसला अगस्त तक आने की उम्मीद है और इसका असर टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, डिजिटल विज्ञापन और समग्र इंटरनेट इकोसिस्टम पर दूरगामी हो सकता है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

एलन मस्क की तकनीकी दूरदृष्टि के मुरीद हुए सुंदर पिचाई, कही ये बात

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने टेस्ला और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक एलन मस्क की खुले मंच पर जमकर तारीफ की है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 20 May, 2025
Last Modified:
Tuesday, 20 May, 2025
SunderPichai8451

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने टेस्ला और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक एलन मस्क की खुले मंच पर जमकर तारीफ की है। हाल ही में ‘ऑल-इन’ पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान पिचाई ने मस्क की सोच और उसे ज़मीन पर उतारने की क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य की तकनीकों को वास्तविकता में बदलने का उनका तरीका बेजोड़ है।

पिचाई ने बताया कि कुछ हफ्ते पहले ही उनकी एलन मस्क से मुलाकात हुई थी। उस अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने हाल ही में एलन से मुलाकात की थी। उनका जिस तरह से नई तकनीकों को अस्तित्व में लाने का कौशल है, वैसा किसी और में नहीं देखा।"

तकनीकी प्रतिस्पर्धा में भी दिखी परस्पर सम्मान की भावना

इस बातचीत में पिचाई ने टेक इंडस्ट्री में तेजी से हो रहे इनोवेशन और कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी दुनिया है जहां सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों साथ-साथ चलते हैं। उन्होंने कहा, "ये सभी लोग बेहतरीन हैं, मैं सभी का सम्मान करता हूं। टेक्नोलॉजी की दुनिया में साझेदारियां भी होती हैं और मुकाबला भी।" 

पिचाई के इन विचारों को तकनीकी जगत के शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ते परस्पर सम्मान के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। भले ही गूगल, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और ओपनएआई जैसी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोनॉमस व्हीकल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हों, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर इन लीडर्स के बीच सम्मान और संवाद बना हुआ है।

एलन मस्क ने साझा किया पिचाई की तारीफ वाला वीडियो

इस पॉडकास्ट का एक वीडियो क्लिप, जिसमें सुंदर पिचाई एलन मस्क की प्रशंसा करते दिख रहे हैं, एक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। एलन मस्क ने भी उस क्लिप को अपने आधिकारिक अकाउंट से रीपोस्ट किया, जिससे यह चर्चा और तेज हो गई।

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के डांस इनवाइट पर भी किया मजाकिया जवाब

पॉडकास्ट में जब होस्ट डेविड फ्रीडबर्ग ने सुंदर पिचाई से एआई की दौड़ में मौजूद प्रमुख कंपनियों और उनके सक्रिय लीडर्स, जैसे- सैम ऑल्टमैन (ओपनएआई), एलन मस्क (xAI), मार्क ज़ुकरबर्ग (मेटा) और सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) के बारे में पूछा तो पिचाई ने बड़ी सहजता से जवाब दिया। उन्होंने कहा, "यह सभी कंपनियां शानदार हैं और इनके लीडर्स बेहद प्रेरणादायक। इनका व्यक्तिगत रूप से जुड़ाव दिखाता है कि तकनीकी इनोवेशन कितना तेजी से आगे बढ़ रहा है।"

इसके बाद उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में मुस्कराते हुए कहा, "ये सभी लोग अलग-अलग तरह की शख्सियत हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मैं इन सभी को जानता हूं। वैसे, अब तक इनमें से केवल एक ने ही मुझे डांस के लिए आमंत्रित किया है, बाकी ने नहीं।" 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘Google’ ने अपनी ग्लोबल बिजनेस यूनिट से 200 एंप्लॉयीज को दिखाया बाहर का रास्ता

यह यूनिट सेल्स और पार्टनरशिप का काम देखती है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने यह कदम अपनी टीमें बेहतर बनाने तथा ग्राहक सेवा को और मजबूत करने के लिए उठाया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 08 May, 2025
Last Modified:
Thursday, 08 May, 2025
Google

जानी-माने टेक कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने अपनी ग्लोबल बिजनेस यूनिट में 200 एंप्लॉयीज को नौकरी से हटा दिया है। यह यूनिट सेल्स और पार्टनरशिप का काम देखती है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने यह कदम अपनी टीमें बेहतर बनाने तथा ग्राहक सेवा को और मजबूत करने के लिए उठाया है।

गूगल ने रॉयटर्स को बताया कि वह छोटे-छोटे बदलाव कर रही है ताकि टीमें मिलकर बेहतर काम कर सकें। पिछले कुछ समय से गूगल और दूसरी बड़ी टेक कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा सेंटर्स में ज्यादा निवेश कर रही हैं, जबकि बाकी विभागों में खर्च कम कर रही हैं।

इससे पहले गूगल ने अपनी क्लाउड डिवीजन में भी बड़े पैमाने पर छंटनी की थी। कंपनी का यह कदम टेक इंडस्ट्री में चल रहे बदलावों का हिस्सा माना जा रहा है, जहां AI और नई तकनीकों पर जोर बढ़ रहा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

मेटा का बढ़ा मुनाफा, AI व डिजिटल ऐडवरटाइजिंग बनी ताकत

टेक्नोलॉजी दिग्गज 'मेटा' (Meta Platforms, Inc.) ने 2025 की पहली तिमाही में जबरदस्त वित्तीय नतीजे दर्ज किए हैं, जो विश्लेषकों के अनुमान से कहीं बेहतर रहे।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 01 May, 2025
Last Modified:
Thursday, 01 May, 2025
Meta7841

टेक्नोलॉजी दिग्गज 'मेटा' (Meta Platforms, Inc.) ने 2025 की पहली तिमाही में जबरदस्त वित्तीय नतीजे दर्ज किए हैं, जो विश्लेषकों के अनुमान से कहीं बेहतर रहे। कंपनी ने $42.31 बिलियन का राजस्व दर्ज किया, जो साल-दर-साल 16% की वृद्धि है। वहीं शुद्ध मुनाफा 35% बढ़कर $16.64 बिलियन पहुंच गया।

Meta की कमाई का सबसे बड़ा जरिया- डिजिटल विज्ञापन इस तिमाही में $41.39 बिलियन रहा, जो पिछले साल की तुलना में 16% अधिक है।

कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस सफलता का श्रेय मेटा की बढ़ती वैश्विक कम्युनिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हुई तेज प्रगति को दिया। उन्होंने कहा, “हमने साल की शानदार शुरुआत की है। हमारी कम्युनिटी लगातार बढ़ रही है और हमारा कारोबार शानदार प्रदर्शन कर रहा है।”

जुकरबर्ग ने Meta AI और AI-पावर्ड ग्लासेज जैसी इनोवेशन को खास तौर पर रेखांकित किया। Meta AI इस समय लगभग 1 अरब मंथली एक्टिव यूजर्स को सेवाएं दे रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और वॉट्सऐप जैसी Meta की ऐप्स का उपयोग दैनिक रूप से 3.43 अरब लोग कर रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 6% की बढ़त है।

ऑपरेटिंग मार्जिन भी बढ़कर 41% हो गया, जो पिछले साल 38% था। इसके पीछे मेटा का सख्त खर्च नियंत्रण नीति रही। खर्च और लागत सिर्फ 9% बढ़कर $24.76 बिलियन हुई, जबकि AI इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा सेंटर्स में निवेश के चलते पूंजीगत खर्च $13.69 बिलियन तक पहुंच गया।

कंपनी ने अपने सालभर के कैपेक्स (capital expenditure) अनुमान को $64-72 बिलियन के बीच कर दिया है, जिससे यह साफ है कि मेटा AI इनोवेशन में बड़ा दांव लगाने जा रही है।

आगे की दिशा में, मेटा ने दूसरी तिमाही के लिए $42.5 से $45.5 बिलियन के बीच राजस्व का अनुमान जताया है, जो दोहरे अंकों में वृद्धि की ओर इशारा करता है। कंपनी ने सालभर के कुल खर्च का अनुमान घटाकर $113-118 बिलियन कर दिया है—इससे संकेत मिलता है कि मेटा निवेश और दक्षता के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही है।

हालांकि, कंपनी को यूरोपीय रेगुलेटरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। यूरोपीय आयोग ने मेटा के "नो ऐड्स" सब्सक्रिप्शन मॉडल को डिजिटल मार्केट्स एक्ट के अनुरूप नहीं पाया है। यदि बदलाव नहीं हुए, तो Q3 2025 से इसका यूरोपीय संचालन प्रभावित हो सकता है। मेटा ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है, लेकिन यह भी माना कि कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं।

इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, Q1 2025 के आंकड़े बताते हैं कि मेटा की रणनीति, तकनीकी फोकस और शेयरधारकों को मूल्य देने की क्षमता बरकरार है। निवेशकों ने भी इस प्रदर्शन को सराहा, जिसके चलते कंपनी के शेयर आफ्टर-ऑवर्स ट्रेडिंग में 4% से अधिक बढ़ गए। 

TAGS Revenue Meta
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी मामले में गूगल ने निपटाया 4 साल पुराना मामला, चुकाएगा ₹20.24 करोड़

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ चार साल पुराने एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी से जुड़े प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के मामले में सेटलमेंट को औपचारिक मंजूरी दे दी है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 22 April, 2025
Last Modified:
Tuesday, 22 April, 2025
Google7845

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ चार साल पुराने एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी से जुड़े प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के मामले में सेटलमेंट को औपचारिक मंजूरी दे दी है। गूगल ने ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) के साथ किए गए अपने पुराने समझौते को संशोधित करने और ₹20.24 करोड़ की सेटलमेंट राशि देने पर सहमति जताई है।

CCI ने अपने बयान में कहा, “भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 48A (3) और 2024 में लागू हुए सेटलमेंट रेगुलेशंस के तहत बहुमत के आधार पर एंड्रॉयड टीवी मामले में गूगल के सेटलमेंट प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।”

यह CCI के प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत निपटा गया पहला मामला है, जिसमें समझौते के जरिए समाधान किया गया है।

इससे पहले आयोग ने गूगल को एंड्रॉयड टीवी मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया था। आरोप था कि अगर टीवी निर्माता गूगल की सेवाओं तक पहुंच चाहते थे, तो उन्हें कंपनी के ऐप्स को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करना पड़ता था।

यह मामला दो एंटी-ट्रस्ट वकीलों क्षितिज आर्य और पुरुषोत्तम आनंद द्वारा 2002 के अधिनियम की धारा 19(1)(a) के तहत गूगल LLC, गूगल इंडिया, शाओमी और TCL इंडिया के खिलाफ दर्ज किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गूगल ने अधिनियम के कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

जांच में पाया गया कि भारत में एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी सिस्टम सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला लाइसेंस योग्य ऑपरेटिंग सिस्टम है। साथ ही, गूगल प्ले स्टोर इन टीवीज के लिए प्रमुख ऐप स्टोर है।

गूगल ने कंपनियों से दो तरह के समझौते कराए- टेलीविजन ऐप डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट (TADA) और एंड्रॉयड कम्पैटिबिलिटी कमिटमेंट्स (ACC)। इन समझौतों में कुछ ऐसे नियम थे जो अनुचित माने गए। टीवी निर्माताओं को गूगल के पूरे ऐप बंडल (Google TV Services) को इंस्टॉल करना जरूरी होता था, वे एंड्रॉयड के अपने संस्करण बनाने या इस्तेमाल करने से रोके जाते थे, और नवाचार की संभावनाएं सीमित हो जाती थीं।

ये नियम कंपनी के सभी डिवाइस पर लागू होते थे और YouTube व Play Store जैसी सेवाएं एक साथ बंडल होती थीं, जिससे गूगल को बाजार में वर्चस्व बनाए रखने में मदद मिलती थी। यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन माना गया।

हालांकि, आयोग को यह साबित करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले कि गूगल ने अन्य कंपनियों से साझेदारी से इनकार किया या सप्लाई को सीमित किया — जैसा कि धारा 3(4) में आरोप लगाया गया था।

सेटलमेंट के तहत गूगल ने भारत में अपने संचालन के तौर-तरीकों में बदलाव की पेशकश की है। अब ऐप बंडलिंग की बजाय वह Play Store और Play Services को अलग-अलग लाइसेंस के तहत, शुल्क के साथ उपलब्ध कराएगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

The Trade Desk में राहुल कपूर की एंट्री, मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

राहुल कपूर इससे पहले करीब 15 वर्षों तक Google India में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर चुके हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 22 April, 2025
Last Modified:
Tuesday, 22 April, 2025
RahulKapoor54325

ग्लोबल एडटेक कंपनी The Trade Desk ने राहुल कपूर को पार्टनरशिप्स का वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया है। राहुल कपूर इससे पहले करीब 15 वर्षों तक Google India में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर चुके हैं।

पिछले पांच वर्षों से वे वहां पार्टनरशिप सॉल्यूशंस के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस नई शुरुआत की जानकारी देते हुए कपूर ने लिखा, "मीडिया, एडटेक और स्ट्रैटजिक एलायंसेज में 25 वर्षों से अधिक के अनुभव के बाद अब एक ऐसी भूमिका में कदम रखना रोमांचक है जो भारत में प्रोग्रामेटिक विज्ञापन के भविष्य को आकार देने पर केंद्रित है- जहां प्राइवेसी, प्रीमियम ऑडियंस और सार्थक साझेदारियाँ केंद्र में हैं।"

राहुल कपूर की यह नियुक्ति भारत में The Trade Desk की रणनीतिक दिशा को और मजबूती दे सकती है, खासकर तब जब देश में डिजिटल विज्ञापन और प्रोग्रामेटिक स्पेस तेजी से विकसित हो रहा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

गूगल की दबदबे की रणनीति पर फिर चला कोर्ट का डंडा

वर्जीनिया की एक संघीय अदालत ने फैसला सुनाया है कि गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन तकनीक के अहम क्षेत्रों में अवैध रूप से एकाधिकार बना रखा है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 19 April, 2025
Last Modified:
Saturday, 19 April, 2025
google8965

वर्जीनिया की एक संघीय अदालत ने फैसला सुनाया है कि गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन तकनीक के अहम क्षेत्रों में अवैध रूप से एकाधिकार बना रखा है। यह फैसला टेक दिग्गज गूगल के लिए कानूनी रूप से एक बड़ा झटका माना जा रहा है और उसके व्यापारिक तरीकों पर बढ़ती एंटीट्रस्ट निगरानी को और तेज कर सकता है।

अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज लिओनी ब्रिंकेमा ने पाया कि गूगल ने पब्लिशर ऐड सर्वर और ऐड एक्सचेंज के बाजारों में प्रभुत्व पाने और उसे बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई। ये दोनों तकनीकें वेबसाइट पब्लिशर्स को विज्ञापनदाताओं से जोड़ती हैं और तय करती हैं कि वेबसाइट पर कौन-से विज्ञापन दिखाई देंगे।

यह फैसला 17 अप्रैल 2025 को सुनाया गया और यह एक साल के भीतर गूगल के खिलाफ दूसरा बड़ा एंटीट्रस्ट मामला है। इससे पहले एक अदालत ने गूगल को ऑनलाइन सर्च पर अवैध एकाधिकार रखने का दोषी पाया था। साथ ही, पिछले दिसंबर में एक संघीय जूरी ने गूगल के ऐप मार्केटप्लेस को भी गैरकानूनी एकाधिकार करार दिया था। इन तीनों मामलों से गूगल पर कानूनी दबाव काफी बढ़ गया है और कंपनी पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जो उसे अपने विज्ञापन व्यवसाय के कुछ हिस्सों को अलग करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

115 पन्नों के अपने निर्णय में जज ब्रिंकेमा ने विस्तार से बताया कि गूगल ने कैसे अपने पब्लिशर ऐड सर्वर को अपने ऐड एक्सचेंज के साथ एकीकृत कर ऐसा सिस्टम खड़ा किया, जिससे हितों का टकराव पैदा हुआ और प्रतियोगियों को बराबरी से प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि गूगल की इन गतिविधियों से पब्लिशर्स को नुकसान हुआ, प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई और अंततः उपभोक्ताओं को वेब पर जानकारी प्राप्त करने में नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि, अदालत ने सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें गूगल के ऐडवरटाइजर ऐड नेटवर्क में एकाधिकार होने का आरोप था।

गूगल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने इस केस का आधा हिस्सा जीत लिया है और बाकी हिस्से को लेकर अपील करेगा। कंपनी ने तर्क दिया कि पब्लिशर्स गूगल की विज्ञापन तकनीक इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह सरल, सस्ती और प्रभावी है। उसने यह भी कहा कि उसके अधिग्रहण, जैसे कि डबलक्लिक, ने प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचाया है।

इस फैसले के बाद अब आगे अदालत यह तय करेगी कि गूगल पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें यह संभावना भी है कि गूगल को अपना ‘गूगल ऐड मैनेजर’ बिजनेस, जिसमें पब्लिशर ऐड सर्वर और ऐड एक्सचेंज दोनों शामिल हैं, बेचना पड़ सकता है। यह कदम ऑनलाइन विज्ञापन के आर्थिक ढांचे और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा को पूरी तरह बदल सकता है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

टीवी टुडे नेटवर्क से विदाई लेंगे ग्रुप CTO पीयूष गुप्ता, 15 अप्रैल होगा आखिरी दिन

टीवी टुडे नेटवर्क के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) पीयूष गुप्ता जल्द ही कंपनी से विदाई लेने जा रहे हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 11 April, 2025
Last Modified:
Friday, 11 April, 2025
PiyushGupta5620

टीवी टुडे नेटवर्क के ग्रुप चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) पीयूष गुप्ता जल्द ही कंपनी से विदाई लेने जा रहे हैं। उनका आखिरी कार्यदिवस 15 अप्रैल 2025 होगा।

पिछले एक दशक से ज्यादा समय से पीयूष गुप्ता टीवी टुडे नेटवर्क में टेक्नोलॉजी की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने जनवरी 2015 में बतौर ग्रुप सीटीओ टीवी टुडे नेटवर्क जॉइन किया था।

इससे पहले गुप्ता ने नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड में 15 वर्षों तक विभिन्न पदों पर काम किया। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने टेलीविजन18 इंडिया से की थी और बाद में एनडीटीवी से भी जुड़े।

पीयूष गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए