पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल करेगी
पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल करेगी। इस AI एंकर को समता नाम दिया गया है। पार्टी ने अपने एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। देश के चुनावी इतिहास में किसी पार्टी ने संभवत: पहली बार इस तरह की पहल की है।
समता ने एक्स पर बंगाल के लोगों को बांग्ला में होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस साल रंगों के उत्सव पर हमारा उपहार जेएनयू का लाल गुलाल में होना है।
वामपंथी नेता सृजन भट्टाचार्य ने कहा कि हम हमेशा ऐसी नई चीजें करना चाहते हैं, जो नुकसानदेय न हो। हम एआइ एंकर का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करेंगे।
गौरतलब है कि माकपा की अगुआई वाला वाममोर्चा बंगाल की 42 सीटों में से 21 पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुका है।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा नेता तथागत राय ने माकपा के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह हास्यास्पद है कि माकपा जैसी पार्टी टेक्नोलाजी को अपना रही है, जिसने भारत में 1980 के दशक में कंप्यूटर शिक्षा का विरोध किया था। इसके जवाब में भट्टाचार्य ने साफ किया कि माकपा कभी भी कंप्यूटर शिक्षा के खिलाफ नहीं थी लेकिन जिस तरह से इसे क्रियान्वित किया जा रहा था, उससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाते, जो माकपा नहीं चाहती थी।
गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है
गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है। गूगल एआई के क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रहा है और इसी क्रम में टीम का पुनर्गठन किया जा रहा है। राघवन की नियुक्ति इस रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर जब गूगल को माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
प्रभाकर राघवन एक विश्वस्तरीय कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में पहचाने जाते हैं, जिनका सर्च एल्गोरिदम और वेब खोज के क्षेत्र में बड़ा नाम है। उनके पास 20 से अधिक टेक पेटेंट और 100 से अधिक रिसर्च पेपर का अनुभव है, जिससे उन्होंने इस क्षेत्र में अपने आप को एक अग्रणी शख्सियत के रूप में स्थापित किया है। राघवन पिछले 12 सालों से गूगल से जुड़े हुए हैं, जहां उन्होंने गूगल सर्च, असिस्टेंट, गूगल एड्स और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण डिवीजनों की जिम्मेदारी संभाली है, जिनसे कंपनी को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है।
राघवन ने 1990 के दशक में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में सर्च इंजन पर काम शुरू किया था, और गूगल जैसी कंपनी बनाने का खाका तैयार किया था। हालांकि, उस समय वे याहू से जुड़ गए। बाद में, गूगल में आने के बाद, उन्होंने कंपनी के एप्स बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जीमेल और गूगल ड्राइव में उनके नेतृत्व में कई नए एआई फीचर्स जैसे स्मार्ट रिप्लाई और स्मार्ट कम्पोज जोड़े गए।
राघवन की भूमिका गूगल में CEO जैसी मानी जाती है, और वह अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई के बेहद करीबी माने जाते हैं। पिछले साल उनका वेतन और स्टॉक मिलाकर कुल 300 करोड़ रुपए था, जिससे वह गूगल के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले टॉप-5 अधिकारियों में शामिल हैं।
भोपाल के कैम्पियन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले राघवन ने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और यूसी बर्कले से पीएचडी की। उनका और पिचाई का शैक्षणिक सफर काफी हद तक समान है, दोनों दक्षिण भारतीय मूल के हैं और दोनों ने ही आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है।
राघवन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रैफिक को सुगम बनाने से लेकर जंगल की आग से निपटने तक के कामों में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही, यह सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने और पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान दे सकता है। उनकी यह नई भूमिका न केवल गूगल, बल्कि पूरे टेक्नोलॉजी जगत के लिए नए आयाम खोलने वाली है।
‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की।
वरिष्ठ पत्रकार युवराज मलिक ने जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ (Reuters) से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां करीब तीन साल से बतौर टेक रिपोर्टर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। युवराज मलिक ने अब मिडिल ईस्ट के जल्द ही लॉन्च होने वाले पब्लिकेशन ‘बिजीनेक्स्ट’ (BusiNext) में बतौर इंडिया टेक रिपोर्टर जॉइन किया है।
युवराज मलिक ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) से खुद इसकी पुष्टि की है।
युवराज मलिक को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बिजनेस से जुड़ी खबरें कवर करने का करीब एक दशक का अनुभव है। ‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की। इसके अलावा, उन्होंने ‘मिंट’ (Mint) और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) के लिए भारतीय स्टार्टअप जगत पर भी व्यापक रिपोर्टिंग की है। पूर्व में वह विभिन्न भूमिकाओं में ‘मिंट’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ में काम कर चुके हैं।
आपको बता दें कि ‘बिजीनेक्स्ट’ एक जल्द लॉन्च होने वाला फाइनेंस न्यूज पब्लिकेशन है, जो युवा प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे मिस्र के व्यवसायी नग़ीब सविरिस द्वारा समर्थित किया गया है और इसका मुख्यालय दुबई में है।
मलिक का कहना है कि ‘बिजीनेक्स्ट’ उभरते हुए मार्केट्स, जिनमें मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया शामिल हैं, से बिजनेस और मार्केट की न्यूज कवरेज प्रदान करेगा। यह नवंबर के अंत में अपना पहला मीडिया पब्लिकेशन लॉन्च करेगा।
इससे पूर्व वह ‘Pitchfork Partners Strategic Consulting’ में सीओओ के रूप में कार्यरत थे, जहां करीब नौ साल के कार्यकाल में उन्होंने एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर व प्रिंसिपल कंसल्टेंट जैसी अहम भूमिकाएं निभाईं।
‘Lytus Technologies’ ने पंकज डी. देसाई को कंपनी का नया चीफ स्ट्रैटजी एंड ग्रोथ ऑफिसर नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में पंकज कंपनी की रणनीतिक पहलों, साझेदारियों और विकास योजनाओं की देखरेख करेंगे। साथ ही, नए बाजारों में कंपनी का विस्तार करेंगे। इस वैश्विक भूमिका में वह उत्तर अमेरिका और भारत के बीच अपना समय देंगे।
पंकज इससे पहले ‘Pitchfork Partners Strategic Consulting’ में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे, जहां उन्होंने करीब नौ साल तक एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और प्रिंसिपल कंसल्टेंट जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
इससे पहले वह ‘MSLGROUP’ में सीनियर वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे, जहां उन्होंने ग्लोबल बिजनेस ग्रोथ और ऑपरेशंस का नेतृत्व किया। अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह ‘Adani Group’ में मार्केटिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
पंकज को विभिन्न इंडस्ट्रीज के साथ काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। उन्हें स्ट्रैटेजी, ग्रोथ, मार्केटिंग, कम्युनिकेशंस आदि में महारत हासिल है, जिसमें उन्होंने कई इंडस्ट्रीज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में देश में एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसी-एक्सआर) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में देश में एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसी-एक्सआर) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारतीय इमर्सिव क्रिएटर्स संस्थान (IIIC) की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह संस्थान मुंबई में बनाया जाएगा और इसे ''राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र'' (NCoE) के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस निर्णय के तहत, एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत एक कंपनी बनाई जाएगी, जिसमें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) भारत सरकार के साथ भागीदार के रूप में उद्योग निकायों का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह संस्थान फिल्म निर्माण, गेमिंग, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और विज्ञापन जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाएगा।
तकनीक और रोजगार में होगा इजाफा:
रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया aकि इस कदम से फिल्म निर्माण और गेमिंग जैसी इंडस्ट्री में नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा, जिससे लगभग 5 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
विकास का केंद्र बनेगा भारत:
यह संस्थान न केवल एवीजीसी-एक्सआर के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा, बल्कि इसमें काम करने वाले लोगों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करेगा। इसके साथ ही, यह संस्थान नए कॉन्टेंट के निर्माण पर भी फोकस करेगा, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगा।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल:
यह कदम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक होगा। NCoE न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निवेश आकर्षित करेगा, जिससे देश की सॉफ्ट पावर में बढ़ोतरी होगी।
इस संस्थान की स्थापना वित्त वर्ष 2022-23 के बजट घोषणा के अनुसार की गई है, जिसमें एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र के विकास के लिए विशेष कार्यबल बनाने की बात कही गई थी।
इस निर्णय से भारत एनीमेशन, गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स के क्षेत्र में एक वैश्विक हब बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा रहा है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है। इन नियमों के तहत सरकार को एक 'फैक्ट-चेक यूनिट' स्थापित करने का अधिकार दिया जाना था, जो सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी और नियंत्रण करती। ये संशोधन सरकार को यह तय करने का अधिकार देते कि कौन-सी सामग्री 'फर्जी खबर' है और कौन-सी भ्रामक।
हालांकि, कोर्ट ने इस फैसले को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन लोगों की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।
एडिटर्स गिल्ड ने पहले ही इन नियमों को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया था। उनका मानना था कि सरकार द्वारा नियुक्त इकाई को ऑनलाइन सामग्री की सच्चाई परखने का अधिकार देना स्वतंत्र पत्रकारिता को कमजोर करेगा। इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा और सरकार को यह तय करने का असीमित अधिकार मिल जाएगा कि कौन-सी जानकारी सही है और कौन-सी गलत। इसका असर सूचना के स्वतंत्र प्रवाह और जनता के विविध विचारों तक पहुंचने के अधिकार पर भी पड़ेगा।
हाई कोर्ट के इस फैसले में इस तरह की असीमित सरकारी शक्ति के संभावित खतरों को उजागर किया गया और कहा गया कि यह नियम सेंसरशिप का हथियार बन सकते थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी संशोधन नियम संविधान द्वारा दिए गए स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के साथ मेल नहीं खाते और यह एक तरह से सरकारी शक्ति का दुरुपयोग है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कोर्ट के इस फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला कार्यकारी शक्ति पर एक ज़रूरी रोक लगाता है और प्रेस की उस भूमिका को सुरक्षित करता है, जिसमें वह लोकतंत्र में पहरेदार की भूमिका निभाता है। गिल्ड ने दोहराया कि स्वतंत्र और स्वतंत्र मीडिया ही स्वस्थ लोकतंत्र का आधार है और प्रेस की इस भूमिका को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश का विरोध किया जाना चाहिए।
यूरोपीय न्यायालय ने गूगल और ऐप्पल के खिलाफ दो ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं, जिसमें दोनों टेक कंपनियों को $14.3 बिलियन की पिछली टैक्स राशि चुकाने का आदेश दिया गया है।
यूरोपीय न्यायालय ने गूगल और ऐप्पल के खिलाफ दो ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं, जिसमें दोनों टेक कंपनियों को $14.3 बिलियन की पिछली टैक्स राशि चुकाने का आदेश दिया गया है।
गूगल के खिलाफ मामला:
गूगल पर 2017 में मामला शुरू हुआ था, जिसमें यूरोपीय संघ ने गूगल पर अपने एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। गूगल पर आरोप था कि उसने अपने गूगल शॉपिंग लिंक को सर्च रिजल्ट में प्रमोट कर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को नुकसान पहुंचाया। इस मामले में गूगल पर पहले ही €2.4 बिलियन का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन गूगल ने इस फैसले के खिलाफ यूरोपीय न्यायालय में अपील की थी। अब न्यायालय ने इस जुर्माने को सही ठहराते हुए फैसला दिया है। न्यायाधीशों ने कहा कि "गूगल का यह आचरण प्रतिस्पर्धा के नियमों के बाहर जाकर भेदभावपूर्ण था।"
ऐप्पल के खिलाफ मामला:
ऐप्पल के खिलाफ मामला 2016 से जुड़ा है। इसमें आरोप है कि आयरलैंड में अधिकारियों ने ऐप्पल को अनुचित टैक्स छूट दी, जिससे अन्य कंपनियों को असमान प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। यूरोपीय संघ लंबे समय से ऐप्पल से यह टैक्स चुकाने की मांग कर रहा था।
दोनों ही मामलों में अदालत ने जो फैसला सुनाया है, वह अंतिम है और इसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकेगी।
'इंडिया न्यूज' के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत कहते हैं कि इंसान की तरह का इंसान आप पैदा करते हैं, वह बायोलॉजिकली नहीं है। लेकिन इंसान से कई गुना ज्यादा इंटेलिजेंट है और वह है 'एआई'
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए 'इंडिया न्यूज' के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत कहते हैं कि आज की तारीख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमारे इस्तेमाल के लिए और हमारे सामने चुनौतियों के लिए जैसे है, जिक्र हम बस वही कर रहे हैं। हम उसके आगे नहीं जा रहे हैं। हमें आगे जाने की जरूरत है। इंसान की तरह का इंसान आप पैदा करते हैं, वह बायोलॉजिकली नहीं है। लेकिन इंसान से कई गुना ज्यादा इंटेलिजेंट है और वह है 'एआई'। यह प्रोग्रामिंग है, कंप्यूटिंग है, प्रोसेसिंग है, फिजिक्स, मैथमेटिक्स और कंप्यूटर साइंस इन तीनों के जरिए जो कुछ भी आप जानने समझने की कोशिश करते हैं, उसके लिए जो औजार आप तैयार करते हैं एआई वही है। यानी कि बहुत सारे ऐसे सवाल जिनका समाधान इंसान नहीं निकाल सकता या जिन चुनौतियों का सामना इंसान नहीं कर सकता है, एआई कर सकता है। जैसे- इस साल फरवरी में एक खबर आई कि चाइना में ‘नविडिया’ (Nvidia) करके कंपनी है जैसे- माइक्रोसॉफ्ट है, टेस्ला है, एपल। यह चाइनीज कंपनी है। दुनिया में दो देश बहुत तेजी से इस पर काम कर रहे हैं अमेरिका और चाइना। चाइना ने फरवरी में एक टोंग टंग नाम का एआई बच्चा डेवलप किया। आप गूगल पर जाएंगे तो मिल जाएगा, वह बच्चे की तरह हरकत करता है। दूध आप देते हैं उसको नहीं पीना है तो वह चिल्लाता है, ‘नहीं पिएंगे’। मिठाई लेने पर खुश हो जाता है। अब यह इंसानी जो भावनाएं होती हैं, जो आप एआई में नहीं पाते थे अगर वह उसमें आना शुरू हो जाता है, तो आने वाले दौर में इंसान को इंसान की जरूरत रहेगी या नहीं यह सोचने की बात है। वैसे लोग जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते थे, लेकिन वह बच्चों को इसलिए अपनाते थे क्योंकि उनके साथ एक परिवार चाहिए। उनके विकल्प तक का विकल्प पैदा हो रहे हैं। इसलिए न्यूज इंडस्ट्री की जो चुनौतियां हैं व छोटी हैं। यहां जो खतरे हैं उस स्तर पर हम उसको नहीं देख रहे हैं, जिस लेवल पर चीजें जा रही हैं।
एक उदाहरण देते हुए राणा यशवंत ने कहा कि अभी बांग्लादेश में हालात बिगड़े, तो शेख हसीना यहां आईं। आप चैट जीपीटी में जाएंगे आपने गूगल से 10-20 आर्टिकल उठाकर चैट जीपीटी में डालेंगे और फिर उसको कमांड देंगे कि शेख हसीना की सत्ता से बाहर जाने और बांग्लादेश में हालात बिगड़ने पर मुझे एक टीवी के लिए हिंदी की सरल भाषा में आर्टिकल चाहिए। जो कॉपी आएगाी मुझे लगता है कि मेरा प्रड्यूसर उससे बेहतर नहीं लिख सकता है। उसमें एंकर है, विजुअल है, बाइट है, टॉप है, लोअर बैंड है यानी कि कंप्लीट कॉपी है। फिर उस कॉपी को एआई के एक अन्य सॉफ्टवेयर ‘इन वडियो’ में डालें। ‘इन वीडियो’ इंटरनेट पर है, तो वह दुनिया भर में जितने भी विजुअल, डेटा, वीडियोज, इमेजेस हैं, जो क्लेम नहीं किए जा सकते, वह सब कुछ उठा लेगा। दुनिया में किसी और आदमी की आवाज से नहीं मिले, ऐसा उम्दा वॉयसओवर करके 20 मिनट में पूरा का पूरा वीडियो करके दे देता है। यानी एक कॉपी 25 मिनट में आपके सामने स्टोरी की शक्ल में आ जाती है, जिसके लिए दो घंटे लगते हैं और उसमें तीन बातें हैं एक कि डेटा गड़बड़ नहीं होगा। दूसरा यह है कि विजुअल जहां जो चाहिए वही है सीक्वेंस, बिल्कुल दुरुस्त हैं और वॉयसओवर क्वॉलिटी का है और एडिटिंग क्लास है। अब एक चैनल जो बहुत सारी गड़बड़ियों के साथ चल रहा था, अचानक से व बेहतरीन दिखता है और इंसान नहीं है, वीडियो एडिटर की जरूरत नहीं है, प्रोड्यूसर की जरूरत नहीं है, ग्राफिक्स आर्टिस्ट की जरूरत नहीं है, तो यह जो पूरा न्यूज रूम होता है, इस न्यूज रूम को उसने बाईपास कर लिया। चैलेंज है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि किसी संपादक को प्रोग्रामिंग करानी है, तो प्रोड्यूसर की जरूरत नहीं। उसको वह एआई के जरिए कर लेगा और यह खतरा है। सवाल यह है कि यदि कोई भी संपादक या कोई भी मैनेजमेंट क्वॉलिटी का कंटेंट चाहता है, तो जाहिर है कि वह क्वॉलिटी पर ध्यान देगा, लोगों की नौकरी पर नहीं। तो फिर आप क्या करेंगे। जाहिर है, आपको अपना विकल्प तलाशना होगा। वैसे लोग जो थोड़ा पॉजिटिव अप्रोच के होते हैं, मेरी तरह के, उनको लगता है कि समाज और देश यह दोनों जितनी चुनौतियां का सामना करते हैं, उतना विकल्प वह अपने लिए निकालते चलते हैं। चैलेंज जब भी आते हैं आप विकल्प निकालते हैं। कभी भी कोई भी सभ्यता नेस्तनाबूद नहीं हुईं, चाहे विज्ञान जहां भी चला गया हो।
यहां देखें पूरा वीडियो:
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति (डॉ.) प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि दो साइंस फिक्शन की फिल्में याद आ गईं।
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति (डॉ.) प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि दो साइंस फिक्शन की फिल्में याद आ गईं। एक का नाम याद नहीं है कई वर्षों पहले अंग्रेजी भाषा में विदेशी फिल्म थी, जिसमें दिखाया गया कि किस तरीके से एक एआई के माध्यम से एक व्यक्ति की पूरी आइडेंटिटी चुरा ली जाती है और उसका क्लोनिंग होता है उसका बैंक अकाउंट से लेकर उसकी सारी पर्सनल इंफॉर्मेशन चोरी हो जाती है और वह व्यक्ति रिकॉर्ड्स में नॉन एक्जिस्टेंस हो जाता है और दूसरा एक व्यक्ति उसे टेकओवर कर लेता है, जो उसका परिवार, उसका घर सबकुछ एक्वायर कर लेता है। वहीं दूसरी एक मलयालम फिल्म है, जो कई भाषाओं में है, उसका नाम है ‘एंड्रॉयड कुंजप्पन’ उस फिल्म में एक विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीय अपने पिता की सेवा के लिए गांव में एक रोबो को भेजते हैं और वह रोबो किस तरीके से पिता का सेवा करता है लेकिन आखिरकार वही रोबो उस पिता को मारने का प्रयास करता है। पिता भी उस रोबो से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वह अपने बेटे के जगह उस रोबो को प्राथमिकता देने लग जाते हैं। बाद में वह व रोबो कहता है कि देखिए मेरे अंदर कोई भावना नहीं है मुझे जो भी कमांड दिया जाता है मैं उसी के अनुसार चल रहा हूं और जितना प्रोग्रामिंग मेरा हुआ है उतना ही मैं करूंगा। मुझे आपके प्रति किसी प्रकार की संवेदनशीलता नहीं है। खैर एक बहुत ह्यूमन ट्रेजेडी की तरह उसको दिखाया गया, तो कहना चाहता हूं कि एआई के बारे में बहुत पहलुओं पर यहां चर्चा हुई, लेकिन एआई एक सच्चाई है क्योंकि मैं मीडिया शिक्षण में आने से पहले एक पत्रकार था और उस समय में मुझे याद है जब इस देश के एक प्रधानमंत्री कंप्यूटर के बारे में बोलते थे तो उनका मजाक उड़ा दिया जाता था। कहते थे कि 21वीं सदी की क्या बात कर रहे हैं यह कंप्यूटर के वजह से नौकरियां चली जाएंगी और बाद में यही देश सॉफ्टवेयर में दुनिया का नेतृत्व प्रदान करने लगा। आगे चलकर एक और व्यक्ति उस वक्त के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थे, वह मोबाइल फोन लेकर चलते थे, तो उनका भी मजाक उड़ा दिया जाता था। मुझे आज भी याद है तत्कालीन प्रधानमंत्री जी वो इस मोबाइल फोन को टुनटुना कहते थे लेकिन वो वही मोबाइल फोन वही स्मार्टफोन आज हमारा जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। बहुत सारे लाभ के बारे में बताया गया है। कस्टमाइजेशन ऑफ कंटेंट, एक्सीलरेशन, स्पीड, एफिशिएंसी, एल्गोरिथम्स की बात कही है। डेटा को चंद मिनटों के अंदर ब्रेकडाउन करके उसको आपके सामने किस तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। बहुत सारे इसके लाभ है और मेरा यह मानना है कि टेक्नोलॉजी आग की तरह है जो आग घर में खाना भी बना सकते हैं और जिस आग से बस्तियां भी जलाई जा सकती हैं, तो इस टेक्नोलॉजी को तो अपनाना ही है।
प्रो. केजी सुरेश ने आगे कहा कि मैं यहां चिंता करने के दो विषय ही अपने आपके सामने रखूंगा। एआई को लेकर या न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी को लेकर एक शिक्षक के नाते मुझे एक बात की ज्यादा चिंता है और वह यह कि क्या इन टेक्नोलॉजीस को हमारा जो जनसाधारण है वह समझता है या नहीं समझता है। आज हमने यहां उदाहरण दिए। किस तरीके से देश के गृहमंत्री के भाषण को डीप फेक के इस्तेमाल से तोड़ मरोड़ के प्रस्तुत किया गया, उससे पहले हमने प्रधानमंत्री को गरबा करते हुए देखा। हमने देखा कि कैसे एक बॉलीवुड के स्टार का अश्लील चित्र प्रस्तुत किया गया। लेकिन मेरा प्रश्न यह है कि इस देश का एक बहुसंख्यक वर्ग, जो एक बड़े तादाद में ग्रामीण अंचलों में रहते हैं, जो शायद उतने साक्षर नहीं हैं क्योंकि आज अपने घरों में हम देखेंगे, तो शहरों में डोमेस्टिक हेल्प हो या रिक्शे चलाने वाला व्यक्ति हो सबका एक एस्पिरेशनल सिंबल बन गया है स्मार्टफोन और इस स्मार्टफोन में बहुत कुछ वह देख रहा है, लेकिन क्या वह जो देख रहा है उसको समझने की परिपक्वता मैच्योरिटी उसमें है या नहीं? क्या वह टेक्नोलॉजी समझता है या नही? यह बड़ा सवाल है।
मैं और आप जो ज्यादातर मीडिया से जुड़े हुए हैं, हम सबको तो मीडिया की समझ है। टेक्नोलॉजी की थोड़ी बहुत समझ है लेकिन मैं उन करोड़ों लोगों के बारे में चिंतित हूं जिनको हम टेक्निकली समझते हैं कि डिसेबल्ड हैं, हैंडीकैप्ड हैं, टेक्नोलॉजिकली बैकवर्ड हैं। हम शब्दों का प्रयोग करते हैं कि डिजिटल हैव एंड डिजिटल हैव नॉट्स की बात करते हैं। वो एक बहुत बड़ी तादाद क्या वो एआई को, क्या वो एनिमेशन को, क्या वो ऑगमेंटेड रियलिटी को, वर्चुअल रियलिटी को समझ पाते हैं या नहीं और उनका समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि आज जो परोसा जा रहा है, वही सबसे ज्यादा देखने वाले लोगों में हैं। क्या उनके अंदर उसको समझने की क्षमता है कि ये वीडियो मैनिपुलेट किया गया है, ऑडियो डिस्टोर्ट किया गया है, या फोटोग्राफ्स को मॉर्फ किया गया है।
अपने वक्तव्य में उन्होंने आगे कहा कि इस देश में हमने देखा है कि नॉर्थईस्ट के बच्चे हजारों की संख्या में बेंगलुरु से पलायन करते हैं। कई बार तो मॉर्फ्ड तस्वीरों के कारण उन्हें सामूहिक रूप से पलायन करना पड़ा है। ऐसे भी फोटोग्राफ्स हमने देखे हैं, जिससे देश के कई हिस्सों में दंगे हुए हैं, हमने पालघर से लेकर कई हिस्सों में लिंचिंग के किस्से देखे हैं। मॉर्फ्ड फोटोग्राफ्स, फेक वीडियोज, फेक कंटेंट के आधार पर जो यह सब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके परोसा गया था। मुझे उस बड़े तादाद आबादी के बारे में चिंता है कि क्या वह इनको समझ पाएंगे या वे ना समझते हुए उस पर रिएक्ट करेंगे, प्रतिक्रिया देंगे, जिसका समाज में दूरगामी परिणाम होगा। इसके चलते हिंसा हो सकती है, सामाजिक विद्वेष पैदा हो सकता है। हमने देखा है कि किस तरीके से एआई के इस्तेमाल करते हुए फेक और डीप फेक कई फॉरेन प्लेयर्स ने उसका इस्तेमाल किया है। आज हम न केवल सूचना के युग में रह रहे हैं, बल्कि गलत सूचना और भ्रामक सूचना के युग में भी रह रहे हैं।
यहां देखें पूरा वीडियो:
भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'कू' (Koo) के को-फाउंडर मयंक बिदावतका ने घोषणा की है कि एक नया कंज्युमर टेक वेंचर शुरू होने जा रहा है
भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'कू' (Koo) के को-फाउंडर मयंक बिदावतका ने घोषणा की है कि एक नया कंज्युमर टेक वेंचर शुरू होने जा रहा है।
बिदावतका ने लिंक्डइन पर कहा कि इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल काम चल रहा है, और इच्छुक उम्मीदवारों को शुरुआती टीम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
'कू' के फाउंडर ने कहा कि सात सदस्यों वाली एक टीम पहले से ही इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
पिछले हफ्ते ही 'कू' के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण ने यह जानकारी दी थी कि डेलीहंट जैसी कंपनियों के साथ बिक्री या विलय को लेकर असफल बातचीत के बाद माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म अपना परिचालन बंद कर देगा।
कंपनी ने एक बयान में कहा था, "हमारी साझेदारी की बातचीत विफल हो गई और हम जनता के लिए अपनी सेवाएं बंद कर देंगे। हमने मीडिया कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ कई बार बातचीत की, लेकिन इन बातचीत से हमें वह परिणाम नहीं मिले, जो हम चाहते थे।"
कंपनी ने यह भी खुलासा किया था कि उसने 2022 में टेक इंडस्ट्री में उथल-पुथल के कारण अपने 30% एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया था।
बता दें कि इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट को 2020 में ट्विटर का देसी विकल्प बताया जा रहा था। इसे 2022 में ब्राजील में भी लॉन्च किया गया था।
दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है।
दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने फ्लिपकार्ट के 950 मिलियन डॉलर (7,891 करोड़ रुपए) के फंडिंग राउंड में लगभग 350 मिलियन डॉलर (2,907 करोड़ रुपए) का निवेश का प्रस्ताव रखा है। वॉलमार्ट समूह की कंपनी फ्लिपकार्ट ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फंडिंग राउंड में फ्लिपकार्ट का वैल्यूएशन 36 बिलियन डॉलर (2.99 लाख करोड़ रुपए) रहा। ई-कॉमर्स कंपनी ने हिस्सेदारी बेचने के इस फंडरेजिंग राउंड की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में की थी, जब इसकी पेरेंट कंपनी वॉलमार्ट ने 600 मिलियन डॉलर (4,984 करोड़ रुपए) का निवेश किया था।
फ्लिपकार्ट ने डील की डीटेल्स दिए बिना कहा कि यह डील दोनों पक्षों को रेगुलेटरी और अदर कस्टमरी अप्रूवल्स मिलने के बाद ही पूरी होगी।
हालांकि, फ्लिपकार्ट ने गूगल की ओर से निवेश की जाने वाली प्रस्तावित राशि का कोई ब्योरा नहीं दिया। इसके साथ ही उसने जुटाए जा रहे अपने कोष का आकार भी नहीं बताया। फ्लिपकार्ट ने कहा कि यह डील दोनों पक्षों को रेगुलेटरी और अन्य कस्टमरी अप्रूवल्स मिलने के बाद ही पूरी होगी। गूगल के प्रस्तावित निवेश और उसके क्लाउड सहयोग से फ्लिपकार्ट को अपने कारोबार का विस्तार करने और देश भर में ग्राहकों को सेवा देने के लिए अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।