WinZo की शिकायत पर CCI ने दिया गूगल के खिलाफ जांच का आदेश

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Friday, 29 November, 2024
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Friday, 29 November, 2024
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है, जिसमें गूगल पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों का आरोप लगाया गया है। शिकायत का मुख्य विषय गूगल की Play Store नीतियों में किए गए बदलाव हैं, जो WinZo के अनुसार, कुछ RMG ऐप्स के साथ भेदभाव करते हैं और इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बाधित करते हैं।

WinZo ने अपनी शिकायत में कहा है कि गूगल की नीति कुछ खास RMG ऐप्स को Play Store पर अनुमति देती है, जबकि अन्य को अस्पष्ट और मनमाने मानदंडों के आधार पर बाहर रखती है। "ये नीतियां एक असमान प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाती हैं और भारतीय बाजार तक समान पहुंच को बाधित करती हैं," WinZo ने कहा। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि गूगल अपनी मजबूत बाजार स्थिति का दुरुपयोग कर ऐप डेवलपर्स पर अनुचित शर्तें थोपता है, जिससे उनके विकास और दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता प्रभावित होती है।

CCI ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि ऐप वितरण बाजार में गूगल का प्रभुत्व, खासकर Android Play Store के माध्यम से, जांच की मांग करता है। आयोग ने कहा, "शिकायत में उठाए गए आरोपों में प्रारंभिक तौर पर दम नजर आता है और Google के इस प्रभुत्व के संभावित दुरुपयोग की जांच जरूरी है।"

यह घटनाक्रम भारत के RMG क्षेत्र की पृष्ठभूमि में हुआ है, जो देश की मोबाइल-प्रथम अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रभाव के चलते तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी भारी नियामकीय अनिश्चितताओं और समाज में बंटी हुई राय का सामना कर रहा है। राज्य सरकारें नवाचार को प्रोत्साहित करने और लत व वित्तीय जोखिम के कारण प्रतिबंध लगाने के बीच झूलती रहती हैं।

विज्ञापन के मोर्चे पर भी स्थिति जटिल है। WinZo जैसे प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से डिजिटल विज्ञापनों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन गूगल और Meta जैसे मुख्यधारा के प्लेटफार्मों द्वारा RMG ऐप्स को लेकर सतर्क रुख अपनाने के कारण उन्हें सरकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, ऐप स्टोर पर दृश्यता नए उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, और गूगल Play Store की प्रतिबंधात्मक नीतियां इन कंपनियों की राजस्व रणनीतियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

भारत, जो गूगल और RMG क्षेत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, में यह टकराव यह तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है कि प्लेटफॉर्म नियामकीय अनुपालन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं।

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ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए Reddit और Kick भी बैन

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू करने का फैसला किया है। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे प्लेटफॉर्म भी जोड़े गए हैं।

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Published - Wednesday, 05 November, 2025
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Wednesday, 05 November, 2025
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ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया में पहली बार ऐसा कदम उठाया है, जिसके तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यह नया कानून 10 दिसंबर 2025 से लागू होगा। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म भी शामिल किए गए हैं, जिससे प्रतिबंधित साइटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।

इनमें Facebook, X (Twitter), Instagram, Snapchat, TikTok, YouTube और Threads भी शामिल हैं। सरकार के अनुसार, यदि कोई टेक कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती, तो उसे 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग ₹270 करोड़) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

कंपनियों को नाबालिग यूज़र्स के मौजूदा अकाउंट डिएक्टिवेट करने और नए अकाउंट रोकने के 'उचित कदम' उठाने होंगे। ऑस्ट्रेलिया की eSafety कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने कहा, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखकर हम उन्हें ऐसे डिजिटल जाल से बचाना चाहते हैं, जिनके एल्गोरिदम और डिजाइन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कदम डेटा प्राइवेसी और फेसियल रिकग्निशन जैसी तकनीकों के इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाता है। कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रतिबंध बच्चों को कम सुरक्षित और अनियंत्रित प्लेटफॉर्म की ओर धकेल सकता है।फिलहाल, Discord, WhatsApp, Roblox, Lego Play, YouTube Kids और Google Classroom जैसे प्लेटफॉर्म इस नियम से बाहर रहेंगे।

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OpenAI व Amazon की 38 अरब डॉलर की साझेदारी, जानें क्या है डील

दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत ओपनएआई को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी।

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Published - Tuesday, 04 November, 2025
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Tuesday, 04 November, 2025
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए OpenAI ने Amazon Web Services (AWS) के साथ 38 अरब डॉलर की बहुवर्षीय रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस समझौते के तहत OpenAI अपने AI मॉडल्स और एप्लिकेशंस, जैसे कि ChatGPT को AWS की क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलाएगा और स्केल करेगा।

दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत OpenAI को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने कहा, फ्रंटियर एआई को स्केल करने के लिए विशाल और भरोसेमंद कंप्यूट की जरूरत होती है।

AWS के साथ यह साझेदारी हमें इस नए AI युग की नींव मजबूत करने में मदद करेगी। वहीं AWS के सीईओ मैट गार्मन ने कहा, OpenAI की बढ़ती एआई महत्वाकांक्षाओं के लिए AWS का बेस्ट-इन-क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर रीढ़ की हड्डी साबित होगा। यह समझौता उस समय आया है जब क्लाउड कंपनियों के बीच AI फर्म्स को होस्ट करने की वैश्विक दौड़ तेज हो चुकी है।

इस घोषणा के बाद Amazon के शेयरों में लगभग 5% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य करीब 140 अरब डॉलर बढ़ गया। ओपनएआई के कई मॉडल पहले से ही Amazon Bedrock पर उपलब्ध हैं, जहां Thomson Reuters, Peloton और Comscore जैसी कंपनियां उनका उपयोग कर रही हैं।

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यूट्यूब और एडोबी की नई साझेदारी: क्रिएटर्स को मिलेंगे प्रो-लेवल एडिटिंग टूल्स

एडोबी और यूट्यूब ने ‘क्रिएट फॉर यूट्यूब शॉर्ट्स’ की घोषणा की है, जिसके तहत क्रिएटर्स अब एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप से सीधे प्रोफेशनल वीडियो एडिटिंग कर सकेंगे और शॉर्ट्स पब्लिश कर पाएंगे।

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Published - Saturday, 01 November, 2025
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Saturday, 01 November, 2025
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टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए, एडोबी (Adobe) और यूट्यूब (YouTube) ने Adobe MAX 2025 इवेंट में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत जल्द ही 'Create for YouTube Shorts' नामक एक समर्पित कंटेंट क्रिएशन स्पेस एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप में जोड़ा जाएगा। इसका मकसद है ,दुनियाभर के क्रिएटर्स को प्रोफेशनल-ग्रेड एडिटिंग टूल्स तक आसान पहुंच देना।

एडोबी प्रीमियर मोबाइल के जरिए अब क्रिएटर्स को 'YouTube Shorts' के लिए तैयार किए गए एक्सक्लूसिव टेम्पलेट्स, ट्रांजिशन, इफेक्ट्स और टाइटल प्रीसेट्स मिलेंगे। यूजर्स 'Edit in Adobe Premiere' आइकन पर टैप करके सीधे यूट्यूब से एडिटिंग शुरू कर सकेंगे और एक क्लिक में शॉर्ट्स पब्लिश भी कर पाएंगे।

एडोबी के सीटीओ एली ग्रीनफील्ड ने कहा, हम यूट्यूब के साथ साझेदारी कर क्रिएटर्स को वो ताकत देना चाहते हैं, जिससे वे अपने कंटेंट को अगले स्तर पर ले जा सकें। वहीं यूट्यूब के वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट सिल्वर ने कहा, हमारा उद्देश्य है क्रिएटर्स को वहीं टूल्स देना, जहां वे हैं, ताकि उनका स्टोरीटेलिंग अनुभव आसान और प्रभावी बने।

इस नई सुविधा के साथ क्रिएटर्स जनरेटिव साउंड इफेक्ट्स, Firefly AI टूल्स, और उन्नत ऑडियो-वीडियो एडिटिंग फीचर्स का भी उपयोग कर सकेंगे। एडोबी का कहना है कि यह फीचर जल्द ही ग्लोबली Premiere Mobile यूजर्स के लिए रोलआउट किया जाएगा।

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Jio यूज़र्स को मिलेगा फ्री Google AI Pro सब्सक्रिप्शन : पढ़ें पूरी जानकारी

रिलायंस जियो ने अपने यूज़र्स के लिए जबरदस्त ऑफर की घोषणा की है। कंपनी 18 महीने का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन मुफ्त दे रही है, जिसकी कीमत ₹35,100 है।

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Published - Friday, 31 October, 2025
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Friday, 31 October, 2025
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रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने अपने ग्राहकों के लिए एक बड़ा तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह ₹35,100 मूल्य का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन अपने यूज़र्स को पूरे 18 महीनों तक बिल्कुल मुफ्त देगी। यह ऑफर सबसे पहले 18 से 25 वर्ष की उम्र वाले यूज़र्स के लिए लागू होगा और बाद में देशभर के सभी योग्य यूज़र्स तक पहुंचाया जाएगा।

जियो के अनुसार, ₹349 या उससे अधिक के अनलिमिटेड 5G प्लान वाले सभी प्रीपेड और पोस्टपेड यूज़र्स इस ऑफर का लाभ उठा सकते हैं। यूज़र्स को MyJio ऐप में “Claim Now” बैनर पर क्लिक कर यह सब्सक्रिप्शन एक्टिवेट करना होगा। जो यूज़र अभी पात्र नहीं हैं, वे “Register Interest” विकल्प के ज़रिए इस ऑफर के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

Google AI Pro सब्सक्रिप्शन में Gemini 2.5 Pro मॉडल, Veo 3.1 वीडियो जनरेशन, NotebookLM एक्सेस और 2TB क्लाउड स्टोरेज (Google Photos, Gmail, Drive) जैसी प्रीमियम सुविधाएँ मिलती हैं।

यह घोषणा ऐसे समय आई है जब OpenAI ने हाल ही में भारतीय यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देने का ऐलान किया था। हालांकि, जियो का यह ऑफर फीचर्स और वैल्यू के लिहाज़ से कहीं ज़्यादा व्यापक माना जा रहा है।

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भारत के यूजर्स को OpenAI का तोहफा: एक साल तक फ्री मिलेगा ChatGPT Go

OpenAI ने भारत के यूज़र्स के लिए बड़ी घोषणा की है। कंपनी 4 नवंबर से ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देगी। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के मौके पर पेश किया गया है।

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Published - Thursday, 30 October, 2025
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Thursday, 30 October, 2025
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अग्रणी कंपनी OpenAI ने भारत के यूज़र्स को खास तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि 4 नवंबर 2025 से भारत में सभी यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल तक फ्री एक्सेस मिलेगा। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के अवसर पर शुरू किया जा रहा है, जो पहली बार बेंगलुरु में आयोजित हो रहा है।

OpenAI के मुताबिक, जो भी यूज़र इस प्रमोशनल पीरियड के दौरान साइन अप करेगा, वह एक साल तक ChatGPT Go की सभी प्रीमियम सुविधाओं का लाभ ले सकेगा जिसमें हाई मैसेज लिमिट, इमेज जेनरेशन और फाइल अपलोड जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।

कंपनी ने बताया कि अगस्त में लॉन्च हुए ChatGPT Go को भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी। लॉन्च के पहले महीने में ही भारत में पेड सब्सक्राइबर्स दोगुने हो गए थे। OpenAI के वाइस प्रेसिडेंट निक टर्ली ने कहा कि 'भारत में यूज़र्स की रचनात्मकता और अपनाने की दर बेहद प्रेरणादायक रही है।

इसलिए, हम चाहते हैं कि और अधिक लोग आसानी से एआई की शक्ति का लाभ उठा सकें।' वर्तमान में ChatGPT Go दुनिया के 90 से अधिक देशों में सक्रिय है, और भारत अब OpenAI का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट बन चुका है।

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बिजनेस टुडे एआई शिखर सम्मेलन : भारत बनेगा एआई क्रांति का अगुवा

यह सम्मेलन इस बात पर जोर देता है कि भारत अब केवल एआई अपनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक एआई नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।

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Published - Wednesday, 29 October, 2025
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Wednesday, 29 October, 2025
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) अब वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार तय कर रही है, और भारत इस तकनीकी क्रांति की अगुवाई करने के लिए तैयार खड़ा है। इसी दृष्टि के साथ आज दोपहर एक बजे से ‘बिज़नेस टुडे एआई समिट’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश के प्रमुख नीति निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गज और एआई विशेषज्ञ शामिल होंगे।

इस समिट का उद्देश्य आने वाले दशक के लिए भारत की एआई रणनीति तय करना है, ताकि देश तकनीकी नवाचार के जरिए नई ऊंचाइयों को छू सके। जैसे-जैसे एआई दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं, शासन प्रणाली और रोजमर्रा के जीवन को नया आकार दे रही है, भारत अपने विशाल जनसंख्या बल और डिजिटल ढांचे की मदद से लगभग 500 अरब डॉलर की आर्थिक संभावना को साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है।

यह सम्मेलन इस बात पर जोर देता है कि भारत अब केवल एआई अपनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक एआई नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। सरकार द्वारा “इंडिया एआई मिशन” के तहत 10,300 करोड़ रुपये के निवेश के बाद यह क्षेत्र तेजी से गति पकड़ रहा है।

स्वास्थ्य, शिक्षा, विनिर्माण और वित्त जैसे क्षेत्रों में एआई का प्रभाव गहराई तक दिखने लगा है। यह समिट भारत की एआई यात्रा के अगले चरण की रूपरेखा तय करेगा जहां नवाचार, अवसर और तकनीक मिलकर राष्ट्र की प्रगति की नई कहानी लिखेंगे।

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ऑस्ट्रेलिया में माइक्रोसॉफ्ट पर मुकदमा, महंगे प्लान बेचने का आरोप

आयोग का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Microsoft 365 सॉफ्टवेयर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल ‘Copilot’ के साथ जोड़कर लाखों ग्राहकों को ज़्यादा महंगे प्लान खरीदने के लिए प्रेरित किया।

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Published - Monday, 27 October, 2025
Last Modified:
Monday, 27 October, 2025
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ऑस्ट्रेलिया की प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता आयोग (ACCC) ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें कंपनी पर लगभग 2.7 मिलियन ग्राहकों को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। आयोग के अनुसार, अक्टूबर 2024 से माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Microsoft 365 पर्सनल और फैमिली प्लान में एआई टूल ‘Copilot’ को शामिल किया और कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी।

रिपोर्ट के अनुसार, पर्सनल प्लान की वार्षिक कीमत 45% बढ़कर 159 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर हो गई, जबकि फैमिली प्लान 29% बढ़कर 179 डॉलर पहुंच गया। ACCC का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट ने यह स्पष्ट नहीं बताया कि बिना Copilot वाला सस्ता “क्लासिक” प्लान अब भी उपलब्ध था।

यह जानकारी केवल तब दिखाई देती थी जब ग्राहक अपनी सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करते थे। ACCC ने कहा कि यह कदम ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ता कानून का उल्लंघन है क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को झूठी छवि दी गई कि उनके पास कोई सस्ता विकल्प नहीं है।

आयोग ने कंपनी से जुर्माना, मुआवज़ा और अदालत के खर्चों की मांग की है। माइक्रोसॉफ्ट ने जवाब में कहा कि वह इन दावों की समीक्षा कर रहा है। अदालत दोष सिद्ध होने पर कंपनी पर 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगा सकती है।

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अमेजन में बढ़ेगा रोबोट्स का इस्तेमाल : 6 लाख नौकरियों पर खतरा

अमेजन आने वाले वर्षों में अपने वेयरहाउस में रोबोट्स की संख्या तेजी से बढ़ाने की योजना बना रहा है। यह पहल दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से है, लेकिन लाखों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 25 October, 2025
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Saturday, 25 October, 2025
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अमेरिकी टेक कंपनी अमेजन अपने वेयरहाउस संचालन में पिछले एक दशक से रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही है और अब कंपनी इसे और तेजी से बढ़ाने की योजना बना रही है। 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन के आंतरिक दस्तावेज़ों से पता चला है कि कंपनी अधिक संख्या में रोबोट्स तैयार करने और उनका उपयोग बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिससे मानव कर्मचारियों की जगह मशीनें ले सकती हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि यह योजना लागू होती है, तो इससे 2033 तक लगभग 6 लाख नौकरियों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, अमेजन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या इससे बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। कंपनी का कहना है कि रोबोट्स के इस्तेमाल से नए कर्मचारियों की भर्ती कम की जा सकती है।

दस्तावेज़ों में यह भी उल्लेख है कि अमेजन उन समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाना चाहता है, जहां नौकरियों में कमी आ सकती है। कंपनी “ऑटोमेशन” या “AI” जैसे शब्दों से बचकर “एडवांस्ड टेक्नोलॉजी” और “कोबोट्स” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की रणनीति पर भी विचार कर रही है, ताकि सहयोगात्मक छवि बनाई जा सके।

वर्तमान में अमेजन अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके पास लगभग 15 लाख कर्मचारी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रोबोटिक्स का विस्तार इसी गति से जारी रहा, तो इसका प्रभाव अमेरिकी श्रम बाजार पर गहरा हो सकता है।

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2025 में फिर बढ़ी टेक कंपनियों में छंटनी, अब तक 90 हजार से ज्यादा लोगों की गई जॉब

साल 2025 भी टेक इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स के लिए कठिन साबित हो रहा है। बड़ी टेक कंपनियां अपने बिजनेस ढांचे को नए सिरे से गढ़ रही हैं और इसका सीधा असर कर्मचारियों की नौकरियों पर पड़ रहा है।

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Published - Friday, 24 October, 2025
Last Modified:
Friday, 24 October, 2025
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साल 2025 भी टेक इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स के लिए कठिन साबित हो रहा है। बड़ी टेक कंपनियां अपने बिजनेस ढांचे को नए सिरे से गढ़ रही हैं और इसका सीधा असर कर्मचारियों की नौकरियों पर पड़ रहा है। मेटा (Meta), एमेजॉन (Amazon) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) जैसी दिग्गज कंपनियों ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर छंटनी की घोषणा की है। कंपनियों का कहना है कि यह कदम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन से जुड़ी नई कार्यप्रणालियों को अपनाने का हिस्सा है।

91 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी गई

Layoffs.fyi के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 की शुरुआत से अब तक 212 टेक कंपनियों में करीब 91,700 कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं। हालांकि, वास्तविक संख्या इससे ज्यादा हो सकती है, क्योंकि कई कंपनियां अपने छंटनी के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करतीं।

मेटा में फिर छंटनी, 600 पद खत्म होंगे

सोशल मीडिया कंपनी मेटा अपने AI डिवीजन में करीब 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी कर रही है। इसमें Superintelligence Labs जैसी इकाइयां शामिल हैं। बताया जा रहा है कि कंपनी यह कदम संगठन को और तेज, लचीला और प्रभावी बनाने की दिशा में उठा रही है।

कंपनी पहले ही अप्रैल 2025 में कथित तौर पर 3,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है। 2022 से अब तक मेटा लगभग 30,000 पदों में कटौती कर चुकी है, हालांकि कंपनी AI से जुड़ी नई भूमिकाओं के लिए भर्ती जारी रखे हुए है।

एमेजॉन का ध्यान ऑटोमेशन पर, HR में भी कटौती की तैयारी

एमेजॉन भी अपने कामकाज को तेजी से ऑटोमेशन की ओर ले जा रहा है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी रोबोटिक्स और जनरेटिव AI में भारी निवेश कर रही है, जिससे आने वाले वर्षों में वेयरहाउस और फुलफिलमेंट यूनिट्स में हजारों नौकरियां खत्म हो सकती हैं।

फॉर्च्यून की रिपोर्ट बताती है कि एमेजॉन अपने मानव संसाधन विभाग में करीब 15% की कटौती की योजना बना रहा है। यह फैसला People eXperience and Technology (PXT) टीम और कंपनी के कंज्यूमर डिवीजन को प्रभावित करेगा। जुलाई में कंपनी अपने AWS क्लाउड यूनिट से भी सैकड़ों कर्मचारियों को निकाल चुकी है।

माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, सेल्सफोर्स और गूगल में भी असर

माइक्रोसॉफ्ट ने इस साल कई दौर में छंटनी की है, जिससे करीब 15,000 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। वहीं, इंटेल (Intel) भी करीब 25,000 कर्मचारियों को हटाने की योजना बना रही है ताकि वह नई पीढ़ी की चिप तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर सके।

सेल्सफोर्स (Salesforce) ने लगभग 4,000 कर्मचारियों को निकाला है, खासकर ग्राहक सहायता विभाग से, जबकि गूगल ने अपने क्लाउड और डिजाइन टीमों में सीमित छंटनी की है।

TCS में 20 हजार तक नौकरियां खतरे में

AI के बढ़ते प्रभाव के बीच अब भारतीय IT सेक्टर भी इसकी चपेट में आ गया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने AI-first ऑपरेशनल मॉडल के तहत करीब 20,000 कर्मचारियों की छंटनी शुरू की है। कंपनी के मुताबिक, यह प्रक्रिया “लगातार और स्किल-आधारित” होगी ताकि कर्मचारियों को नई तकनीकी जरूरतों के अनुरूप ढाला जा सके।

ज्यादातर असर मिड-लेवल और सीनियर पदों पर पड़ा है, जहां ऑटोमेशन की वजह से कई भूमिकाएं दोहराव वाली हो गई हैं।

अन्य भारतीय IT कंपनियां भी कर रहीं हैं स्टाफ में कमी

TCS के अलावा इंफोसिस (Infosys), विप्रो (Wipro) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) जैसी अन्य कंपनियों ने भी इस साल 10,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की है। इन कंपनियों का कहना है कि वे अपने संचालन को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में पुनर्गठित कर रही हैं।

AI के दौर में रोजगार का चेहरा बदल रहा है

2025 के अभी दो महीने बाकी हैं, लेकिन छंटनी की रफ्तार थमने के कोई संकेत नहीं हैं। टेक कंपनियां अब “अधिक लोगों की भर्ती” के बजाय “स्मार्ट सिस्टम और दक्षता” पर फोकस कर रही हैं। पुराने पद तेजी से खत्म हो रहे हैं, जबकि नई तकनीकों से जुड़े रोल्स के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। यह संकेत है कि अब उद्योग का फोकस “स्केलिंग ह्यूमन वर्कफोर्स” से हटकर “स्केलिंग इंटेलिजेंस” की ओर बढ़ चुका है। 

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OpenAI का नया ब्राउजर ChatGPT Atlas लॉन्च होने के बाद Google Chrome को हुआ ये नुकसान

OpenAI ने मंगलवार को अपना पहला AI-पावर्ड वेब ब्राउजर ChatGPT Atlas लॉन्च किया।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 23 October, 2025
Last Modified:
Thursday, 23 October, 2025
ChatGptAtlas7

OpenAI ने मंगलवार को अपना पहला AI-पावर्ड वेब ब्राउजर ChatGPT Atlas लॉन्च किया। इस खबर के आने के बाद गूगल के शेयर लगभग 5 प्रतिशत गिर गए। यह कदम OpenAI को सीधे Google के सामने खड़ा करता है, जिसके पास दुनिया भर में लगभग 3 अरब Chrome यूजर्स हैं और जिसने अपने ब्राउजर में कुछ AI फीचर्स, जैसे Google Gemini तकनीक शामिल किए हैं।

कैसे काम करेगा ChatGPT Atlas

ChatGPT अब केवल चैटबॉट नहीं बल्कि ऑनलाइन सर्च का नया रास्ता बन गया है। इसका मकसद इंटरनेट ट्रैफिक बढ़ाना और डिजिटल विज्ञापन राजस्व में मदद करना है। OpenAI के मुताबिक इसके 800 मिलियन से अधिक यूजर हैं, हालांकि इनमें से कई फ्री यूजर्स हैं। कंपनी पेड प्लान भी ऑफर करती है और भविष्य में लाभ कमाने के नए तरीके तलाश रही है।

AI ब्राउजर यूजर्स को पर्सनलाइज्ड वेब अनुभव देगा और उड़ान बुकिंग या डॉक्यूमेंट एडिटिंग जैसी टास्क करने में मदद करेगा। जब कोई वेबसाइट खोलेगा, तो 'Ask ChatGPT' विकल्प दिखाई देगा, जिससे एक साइडबार खुलकर यूजर वेबसाइट की सामग्री के साथ इंटरैक्ट कर सकेंगे।

ब्राउजर की खासियतें

OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने इसे 'एक दशक में ब्राउजर के बारे में सोचने का दुर्लभ अवसर' बताया। ब्राउजर पहले macOS पर उपलब्ध होगा और जल्द ही Windows, iOS और Android पर भी आएगा।

Atlas में यूजर किसी भी विंडो में ChatGPT साइडबार खोलकर सामग्री का सारांश, प्रोडक्ट तुलना या डेटा विश्लेषण कर सकते हैं। 'Agent Mode' में, जो फिलहाल पेड यूजर्स के लिए है, ChatGPT उनके लिए पूरी प्रक्रिया को शुरू से अंत तक पूरा कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, डेमो में ChatGPT ने ऑनलाइन रेसिपी ढूंढी और Instacart से सभी सामग्री खुद जोड़ दी।

Google Chrome के सामने चुनौती

AI ब्राउजर लॉन्च के साथ ही ChatGPT Atlas सीधे Google Chrome का मुकाबला करेगा, जिसका सितंबर में ग्लोबल मार्केट शेयर 71.9 प्रतिशत था (StatCounter के अनुसार)। ChatGPT Atlas की घोषणा के बाद Google की मूल कंपनी का मूल्य मंगलवार को $252.68 से घटकर $246.15 हो गया, जिससे करीब $100 बिलियन मार्केट कैपिटलाइजेशन गायब हो गया।

Google ने ChatGPT के लॉन्च के बाद बदलते सर्च पैटर्न के अनुसार अपने AI Mode की सुविधा पेश की है, जो यूजर्स को चैटबॉट जैसा अनुभव देता है और उनके सवालों के जवाब AI-सारांश के रूप में दिखाता है।

ChatGPT Atlas के साथ अब वेब ब्राउजर की दुनिया में नए मुकाबले और इनोवेशन की शुरुआत हो गई है।

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