10 वर्ष पहले की पत्रकारिता में और आज की पत्रकारिता में बहुत अंतर है। मैं जो बात कहने जा रह हूं उसकी शुरुआत तो 20 वर्ष पहले ही हो गई थी लेकिन 10 वर्षों में इसने स्थाई स्वरूप ले लिया है।
आज श्री सुरेंद्र प्रताप सिंह जी की पुण्यतिथि है। सुरेंद्र प्रताप सिंह हिंदी पत्रकारिता के ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने पत्रकारिता में एक विभाजन की रेखा खींची थी।
वैदिक जी का जाना अभी तक समझ मैं ही नहीं आ रहा। अभी 2 दिन पहले उनसे बातचीत हुई थी, इसमें उन्होंने दक्षेस के गठन की पूरी रूपरेखा बताई थी।
कोई भी साल सभी के लिए अच्छा या बुरा नहीं होता। 50 वर्षों में माना जाता है कि कोरोना काल सबसे बुरा समय था, लेकिन यही समय दवा कंपनियों के लिए और कुछ डॉक्टरों के लिए पैसे कमाने का सबसे अच्छा समय बन गया।
देश में दो दिन से छाया है वॉट्सऐप जासूसी कांड का मुद्दा, वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय समेत कई पत्रकार हुए हैं इसके शिकार
‘वॉट्सऐप’ द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है
दिग्गजों की सलाह को अनदेखा करना अज्ञान या गफलत की वजह से नहीं हो रहा है, इन्हें जानबूझ कर इसलिए इग्नोर किया जा रहा है ताकि सही स्थिति देश के लोगों के सामने न जा पाए
पत्रकार अगर समस्या के ऊपर लिख देता था तो प्रशासन उस पर कार्रवाई करता था और अगर कार्रवाई नहीं करता था तो सरकार कार्रवाई करने के लिए दबाव डालती थी
प्रधानमंत्री की ओर से अभी तक नहीं मिला है कोई जवाब, वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने मांगा मीडिया बिरादरी का सहयोग
वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने उठाया बड़ा सवाल, क्या हमने कश्मीर के पत्रकारों को भी देश विरोधी और पाकिस्तान समर्थक मान लिया है?