दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों में आज लॉकडाउन को लेकर सरकार की सख्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफी सबसे प्रमुख खबरें हैं
दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों में आज लॉकडाउन को लेकर सरकार की सख्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफी सबसे प्रमुख खबरें हैं। शुरुआत करते हैं हिन्दुस्तान से, जहां फ्रंट पेज पर आधा पेज विज्ञापन है। ‘लॉकडाउन तोड़ा तो 14 दिन अलग रहना होगा’, शीर्षक के साथ सरकार की सख्ती को लीड लगाया गया है। सरकार चाहती है कि लोग बिल्कुल भी घरों से बाहर न निकलें। कोरोना से मुकाबले के लिए यह जरूरी भी है, लेकिन रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरन उन्हें बाहर आना ही पड़ता है।
लीड में कोरोना की बढ़ती चाल का भी जिक्र है, देश में संक्रमितों का आंकड़ा एक हजार के पार निकल गया है। अखबार ने वायरस से प्रभावित देशों के हाल को एक टेबल में प्रदर्शित किया है, ताकि एक ही नजर में पाठकों को सबकुछ समझ आ जाए। दूसरी बड़ी खबर ‘मोदी के मन’ की बात है, जिसमें उन्होंने लॉकडाउन से हुई परेशानियों पर माफी मांगते हुए लोगों से स्थिति की गंभीरता को समझने को कहा है। वहीं, महामारी के डर से खुदखुशी करने वाले जर्मनी के मंत्री से जुड़ा समाचार और दो सिंगल खबरें भी पेज पर हैं। मसलन, ‘दिल्ली सरकार देगी मकान का किराया’ और ‘ईरान में फंसे 272 भारतीय वतन लौटे’।
वहीं, नवभारत टाइम्स की बात करें तो लीड सरकार की सख्ती और मौजूदा हालातों को बनाया गया है। इसमें लॉकडाउन में लापरवाही बरतने वाले 4 अफसरों पर करवाई और पलायन कर रहे 5 मजदूरों की सड़क हादसे में मौत को भी रखा गया है। पीएम मोदी द्वारा मांगी गई माफी अलग से डेढ़ कॉलम में है और इसी के नीचे केजरीवाल के पलायन रोकने की अपील है।
देश में कोरोना वायरस की बढ़ती चाल के बारे में भी पाठकों को बताया गया है। एंकर में एक राहत पहुंचाने वाली खबर है। ऑनलाइन शॉपिंग संग होम डिलीवरी की शुरुआत हो गई है। हालांकि, कंपनियों को तमाम तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है, जिसमें पुलिस की रोकटोक भी शामिल है। इसके अलावा, जर्मनी के मंत्री की खुदकुशी के साथ ही कोरोना से जुड़ी कुछ अन्य खबरें भी पेज पर हैं।
अब रुख करते हैं अमर उजाला का। फ्रंट पेज की शुरुआत टॉपबॉक्स से हुई है, जिसमें सरकार की सख्ती और पीएम मोदी की माफी को जगह मिली है। लीड कोरोना की बढ़ती रफ्तार है। यूपी में वायरस के फैलाव को अलग से दो कॉलम रखा गया है। अमृतपाल सिंह बाली की बाईलाइन को प्रमुखता से पेज पर स्थान मिला है, जिन्होंने आतंकवाद के बाद कोरोना से जूझ रही घाटी के बारे में बताया है।
एंकर में ‘मन की बात’ में पीएम मोदी से आपबीती साझा करने वाले आगरा के अशोक कपूर हैं। कपूर परिवार के पांच सदस्य संक्रमित हो गए थे, लेकिन डॉक्टर उन्हें मौत के मुंह से बाहर खींच लाये। इसके अलावा, जर्मनी के मंत्री की खुदकुशी सहित कुछ अन्य समाचार भी पेज पर हैं।
राजस्थान पत्रिका ने आज भी अपने मास्टहेड में प्रयोग किया है। लीड मोदी की माफी और सरकार की सख्ती है। कोरोना की बढ़ती चाल को अलग से तीन कॉलम जगह मिली है। लॉकडाउन तोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस बर्बरता को लेकर केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पत्र से भी अखबार ने पाठकों को रूबरू कराया है। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा है कि बल प्रयोग न किया जाए।
एंकर में कोरोना से मुकाबले के लिए आईआईटी और एम्स के पूर्व छात्रों द्वारा तैयार किया गया रोबोट है। यह रोबोट शहरों को सैनेटाइज करेगा। इसके अलावा, पेज पर कुछ अन्य समाचार हैं, लेकिन आत्महत्या करने वाले जर्मनी के मंत्री का जिक्र नहीं है।
सबसे आखिरी में आज रुख करते हैं दैनिक जागरण का। फ्रंट पेज की शुरुआत मोदी की माफ़ी वाले टॉप बॉक्स से हुई है। लीड सरकार की सख्ती और निर्देश हैं। सरकार ने सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के साथ ही मकान मालिकों से एक महीने का किराया न लेने को कहा है।
वहीं, कोरोना की बढ़ती चाल के साथ ही लॉकडाउन से आगे की तैयारी भी पेज पर है। केंद्र ने सबकुछ पहले जैसा करने के लिए 11 समूहों का गठन किया है। एंकर की बात करें तो यहां मजदूरों के पलायन और उससे जुड़े संकट पर प्रकाश डाला गया है।
आज का ‘किंग’ कौन?
1: लेआउट के लिहाज से आज अमर उजाला सबसे बेहतर दिखाई दे रहा है। नवभारत टाइम्स के पास भी पूरा पेज था, लेकिन लेआउट में आज वह कुछ कमाल नहीं दिखा सका है। हिन्दुस्तान का फ्रंट पेज जरूर सीमित जगह में भी आकर्षक नजर आ रहा है।
2: खबरों की प्रस्तुति में भी अमर उजाला का बेहतर है, जबकि दूसरे स्थान पर हिन्दुस्तान को रखा जा सकता है।
3: शीर्षक को कलात्मक बनाने का प्रयास आज किसी भी अखबार ने नहीं किया है।
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जानी-मानी लेखिका और वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ.ऐश्वर्या पंडित ने ‘क्लेमिंग सिटिजनशिप एंड नेशन: मुस्लिम पॉलिटिक्स एंड स्टेट बिल्डिंग इन नॉर्थ इंडिया, 1947-1986’ (Claiming Citizenship and Nation: Muslim Politics and State Building in North India, 1947-1986’ नाम से एक किताब लिखी है। 25 मई को दिल्ली में ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल में शाम छह बजे से आयोजित एक कार्यक्रम में इस किताब का विमोचन किया गया।
‘रूटलेज’ (RouteLedge) पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस किताब के विमोचन समारोह में हरियाणा के विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा और पूर्व राज्यसभा सदस्य केसी त्यागी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस मौके पर ‘राष्ट्रीय लोक दल‘ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी के साथ ‘द संडे गार्डियन‘ के संपादकीय निदेशक प्रोफेसर एमडी नलपत द्वारा संचालित एक पैनल चर्चा हुई। इसमें डॉ. शेषाद्री चारी, चेयरमैन, चाइना स्टडी सेंटर, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन शामिल थे।
डॉ. ऐश्वर्या पंडित ने भी इसमें हिस्सा लेकर पुस्तक संबंधी विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मुस्लिम राजनीति के बदलते स्वरूप और स्वतंत्र भारत में नागरिकता के विचारों की अंतरदृष्टि प्रदान करती है। इस किताब में पूरे उत्तर भारत में अल्पसंख्यक समूहों की चुनावी लामबंदी (electoral mobilization) विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में जहां मुस्लिम विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में जनसांख्यिकी रूप से प्रभावशाली रहे हैं, के बारे में विस्तार से बताया गया है।
किताब की लॉचिंग के मौके पर डॉ.ऐश्वर्या पंडित ने कहा, ‘यह पुस्तक कैम्ब्रिज में मेरे शोध का विषय रही है। इसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई है जो समकालीन भारतीय राजनीति का दिल हैं। मुख्य रूप से यूपी और मुस्लिम राजनीति जो आज सभी के लिए प्रासंगिक हैं। यह छात्रों से लेकर पत्रकारों और राजनेताओं तक सभी प्रकार के पाठकों के लिए प्रासंगिक है। मैंने इस पुस्तक में शोध के साथ बहुत काम किया है जो अभिलेखीय है, इसलिए मैं पुस्तक के अच्छे रिस्पांस की उम्मीद कर रही हूं।‘
वहीं, प्रो. नलपत ने कहा, ‘भारत के 5000 साल लंबे इतिहास में विभाजन एक बहुत ही परिणामी घटना थी। इसके परिणाम अभी भी न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में महसूस किए जा रहे हैं। यह पुस्तक नागरिकता और राष्ट्र का दावा करती है, कुछ मनोविज्ञान को समझने में बहुत मददगार है जो विभाजन का कारण बना और यह भी कि वह आघात अभी भी हमारे देश में क्यों है। यह उन लोगों के लिए जरूरी है जो एक मजबूत और एकजुट भारत देखना चाहते हैं।‘
पुस्तक के विमोचन पर शेषाद्री चारी ने कहा, ‘यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है, विशेष रूप से एक बहुत ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय पर। इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि यह पुस्तक न केवल ऐतिहासिक तथ्यों से, बल्कि निष्कर्षों से भी आकर्षित करती है। इस बारे में कि राजनीति ने दो सामाजिक रूप से मजबूत बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय को कैसे प्रभावित किया है। इसलिए मेरा सुझाव है कि प्रत्येक शोधार्थी को इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए और जहां से पुस्तक शुरू होती है वहां से आगे बढ़ने में सक्षम होना चाहिए।‘
वहीं, शाहिद सिद्दीकी ने कहा, ‘यह पुस्तक महत्वपूर्ण है क्योंकि आजादी से पहले और बाद में यूपी हमेशा भारत में सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक रहा है। बाएं और दाएं विभाजन, सांप्रदायिक विभाजन, यहां सब कुछ हुआ है। तो जाहिर तौर पर यूपी ने भारतीय राजनीति पर अपना दबदबा कायम रखा है, ताकि पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहतर ढंग से समझ सकें।‘
गौरतलब है कि डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा 2008 में मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में प्रथम श्रेणी बीए (आनर्स) स्नातक हैं। डॉ. पंडित ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में 2008 और 2009 के बीच मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर के तौर पर कानूनी इतिहास पढ़ाया है।
डॉ. पंडित के एडुटेक प्लेटफॉर्म फर्स्ट इन क्लास द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति आई है। उन्हें इस साल अप्रैल में परोपकार के लिए ब्रिक्स-सीसीआई ट्रेलब्लेजर फेलिसिटेशन से सम्मानित किया गया था। वह पहले सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसाइटीज, नई दिल्ली, भारत में एक विजिटिंग फेलो थीं। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर में भी पढ़ाया है।
दिल्ली में ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल में शाम छह बजे से आयोजित एक कार्यक्रम में की जाएगी इस किताब की लॉन्चिंग।
‘जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल’ (ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी) में एसोसिएट प्रोफेसर ऐश्ववर्या पंडित ने मुस्लिम राजनीति के बदलते स्वरूप और स्वतंत्र भारत में नागरिकता के मुद्दे को समूचे रूप में समेटते हुए ‘Claiming Citizenship and Nation: Muslim Politics and State Building in North India, 1947-1986’ के नाम से एक किताब लिखी है।
इस किताब की लॉन्चिंग 25 मई को दिल्ली में ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के सेमिनार हॉल में शाम छह बजे से आयोजित एक कार्यक्रम में की जाएगी।
इस किताब को ‘रूटलेज’ (RouteLedge) पब्लिकेशन ने पब्लिश किया है। बताया जाता है कि इस किताब में पूरे उत्तर भारत में अल्पसंख्यक समूहों की चुनावी लामबंदी (electoral mobilization) विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में जहां मुस्लिम विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में जनसांख्यिकी रूप से प्रभावशाली रहे हैं, के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।वित्तीय वर्ष 2022 की चौथी तिमाही की अर्निंग कॉन्फ्रेंस कॉल को संबोधित कर रहे थे ‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ (D.B. Corp Ltd) के नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल
‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ (D. B. Corp Ltd) के नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल का कहना है कि विज्ञापन के लिहाज से यह साल और यह तिमाही उनके लिए काफी अच्छे रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2022 की चौथी तिमाही की अर्निंग कॉन्फ्रेंस कॉल (earnings conference call) के दौरान गिरीश अग्रवाल का कहना था, ‘हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सरकारी रेवेन्यू में कुछ कमी और 2019-2020 में चुनावी बिलिंग को छोड़ दें तो चौथी तिमाही में प्रिंट एडवर्टाइजिंग रिकवरी करते हुए पूरी तरह से 2019 के बराबर हो गया है।‘
अग्रवाल के अनुसार, अप्रैल 2019 की तुलना में इस साल अप्रैल में प्रिंट एडवर्टाइजिंग ने अच्छी ग्रोथ दर्ज की है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस साल के परिणामों की तुलना वर्ष 2019 के साथ इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि पिछले दो साल तो कोविड से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं। हमने इस अप्रैल में अपनी विज्ञापन दरों में भी वृद्धि की है और मुझे विश्वास है कि इससे हमें रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिलेगी।‘
इसके साथ ही नए सेक्टर नए क्षेत्र और कैंपेन की तलाश में हैं और नए जमाने के प्लेयर्स नॉन मेट्रो मार्केट की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘टियर-2 और टियर-3 शहरों में एडवर्टाइजर्स के भाषाई अखबारों को देखने के नजरिये में बदलाव आया है, जिससे निश्चित तौर पर हमें फायदा हो रहा है।’
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, उपभोक्ताओं के विश्वास को भुनाने के लिए विज्ञापनदाता पारंपरिक विज्ञापन माध्यमों को पसंद करते हैं। अग्रवाल के अनुसार, हालांकि इस स्टडी में यह भी उल्लेख किया गया है कि पारंपरिक विज्ञापन सबसे अधिक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन यह विकास की ओर अग्रसर हैं क्योंकि विज्ञापनदाता भी ऐसे विज्ञापनों को पसंद करते हैं जो अधिक प्रभावी और प्रभावशाली हों।
कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और लागत अनुकूलन (cost optimization) पर अग्रवाल ने कहा कि वे स्थायी लागत अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखते हैं और इसलिए उन्हें अपने मार्जिन में परिणामी सुधार नजर आएगा। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान, उन्होंने प्रिंट बिजनेस की परिचालन लागत (operating costs) में लगभग 185 करोड़ रुपये की बचत की और विश्लेषकों को संकेत दिया कि इनमें से लगभग 50% बचत टिकाऊ थी।
सर्कुलेशन और कॉपियों में आई कमी के बारे में अग्रवाल ने कहा, ‘वित्तीय वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 45 लाख कॉपियां बिकीं, जबकि वित्तीय वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 42.76 लाख कॉपियां बेची गईं। इससे स्पष्ट है कि इसमें महज पांच से छह प्रतिशत की गिरावट हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘यदि मैं कोविड से पहले की बात भी करूं तो कॉपियों के सर्कुलेशन में 10 से 12 प्रतिशत की कमी देखी गई। इसका कारण यह था कि अधिकांश घरों ने अखबार मंगाना बंद कर दिया था। इसके अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और होटल्स आदि में भी कॉपियां काफी हद तक बंद कर दी गई थीं। हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कैसे उन नंबरों को वापस लाया जाए, लेकिन सच कहूं तो अधिकांश कार्यालयों में कॉपियां फिर से शुरू नहीं हो पाई हैं और यह एक स्थायी नुकसान की तरह लगता है।’
डिजिटल बिजनेस के बारे में ‘डीबी कॉर्प’ (DB Corp) के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर पवन अग्रवाल ने कहा कि वे निवेश की एक केंद्रित रणनीति को लागू करके डिजिटल बिजनेस को बढ़ा रहे हैं जो स्थायी आधार पर मजबूत विकास दिखा रहा है।
उन्होंने कहा, ’हमने कंटेंट और टेक्नोलॉजी दोनों के दृष्टिकोण से भारतीय बाजार के लिए हाई क्वालिटी वाले कंटेंट और सर्वोत्तम न्यूज प्रॉडक्ट के वितरण में एक मल्टीमॉडल लीडर होने के दृष्टिकोण का पालन किया है। कॉमस्कोर (Comscore) के नवीनतम परिणामों के अनुसार, दैनिक भास्कर समूह के ऐप के मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या मार्च 2022 में बढ़कर 17 मिलियन से अधिक हो गई जो जनवरी 2020 में केवल दो मिलियन थी। हम अपने एक्टिव यूजर की संख्या में लगातार उल्लेखनीय वृद्धि का प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने दैनिक औसत ई-समाचार पत्र डाउनलोड में एक मिलियन से अधिक का आंकड़ा प्राप्त करने के महत्वपूर्ण मील के पत्थर को भी पार कर लिया है।’
पवन अग्रवाल के अनुसार, ‘सच करीब से दिखता है, टैगलाइन के साथ हमने एक ब्रैंड कैंपेन भी लॉन्च किया, जिसमें दैनिक भास्कर की उच्च गुणवत्ता वाली विश्वसनीय पत्रकारिता के मूल्यों और मुख्य पेशकशों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें स्थानीय और गहन समाचारों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इस कैंपेन के ब्रैंड एंबेसडर पंकज त्रिपाठी थे, जिनका हमारे मुख्य मार्केट्स (Core Markets) और हमारे ब्रैंड मूल्यों (लोकल और ट्रस्ट) के साथ बहुत मजबूत संबंध है।’
रेडियो बिजनेस के बारे में उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान रेवेन्यू साल दर साल (y-o-y) 35 प्रतिशत बढ़कर 1,122 मिलियन रुपये हो गया है। इस साल तमाम सेक्टर्स जैसे-रियल एस्टेट, एफएमसीजी, बैंकिंग, राज्य सरकार और लाइफ स्टाइल से ग्रोथ अच्छी देखी गई। वित्तीय वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में रेडियो डिवीजन से 303 मिलियन रुपये का रेवेन्यू आया, जो साल दर साल के आधार पर 9.2 प्रतिशत अधिक है। हाल ही में दरों में बढ़ोतरी के साथ हमें उम्मीद है कि रेडियो अच्छा प्रदर्शन करेगा।
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वरिष्ठ पत्रकार व ‘आउटलुक’ (Outlook) समूह में पूर्व ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रूबेन बनर्जी ने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है- ‘एडिटर मिसिंग: द मीडिया इन टुडे’ज इंडिया’ (Editor Missing: The Media in Today's India).
मिली जानकारी के मुताबिक, किताब 16 मई को लॉन्च की गई है, जिसका प्रकाशन हार्पर कॉलिन्स पब्लिकेशन ने किया है। 237 पेज की इस किताब की कीमत 599 रुपए रखी गई है।
किताब में बताया गया है कि भारत में कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्थान सिकुड़ता जा रहा है। विरोधाभासी विचारों के प्रति असहिष्णुता भी बढ़ रही है। असहमति का अधिकार, जो किसी भी लोकतंत्र का आधार होना चाहिए, गंभीर रूप से खतरे में है। ऐसा कहा जा रहा है कि हम एक अघोषित आपातकाल में हैं। किताब में बताया गया है कि जब भी सिस्टम पर आरोप-प्रत्यारोप लगता है, तो कैसे देश के अंदर चर्चाओं का बाजार गर्म हो जाता है, विशेष रूप से समाचार मीडिया में, जोकि तेजी से विभाजित और ध्रुवीकृत नजर आता है और अब यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
‘एडिटर मिसिंग…’ में, अनुभवी पत्रकार रूबेन बनर्जी ने भारतीय मीडिया की छवि को लेकर कई तरह की बातें की हैं, जिसको लेकर आज हर तरफ सिर्फ चर्चाएं ही होती हैं। मीडिया समाज का दर्पण है और इस दर्पण में कैसे उनके संपादकीय फैसलों को लेकर विवादित छवि पेश की गई है, उसके बारें में बनर्जी ने किताब में खुलकर चर्चा की है। किताब में उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है और बताया है कि कैसे तमाम संपादकों पर उनके द्वारा लिए फैसलों को लेकर दबाव बनाया जाता है, किस तरह से कई पॉवरफुल लोग उन्हें परेशान करते हैं और अंत में इन सबको लेकर कैसे एक संपादक को व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़ती है।
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पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) में करीब डेढ़ दशक पुरानी अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह 15 साल से अधिक समय से नोएडा ऑफिस में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। गिरीश उपाध्याय ने पत्रकारिता में अपने सफर की शुरुआत अब ‘दैनिक जागरण’ नोएडा से की है।
मूल रूप से जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले गिरीश उपाध्याय ने पत्रकारिता में अपना करियर प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में ‘यूनाइटेड भारत’ अखबार से शुरू किया था। यहां कुछ समय काम करने के बाद वह ‘‘आज’ अखबार से जुड़ गए।
हालांकि, यहां भी उनका सफर महज कुछ महीने ही रहा और वह यहां से अलविदा कहकर ‘अमर उजाला’ आ गए और तब से यहीं थे। इसके बाद अब वह ‘दैनिक जागरण‘ में आए हैं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो गिरीश उपाध्याय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से गिरीश उपाध्याय को उनके नए सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
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असम सरकार को 10 मई को एक साल पूरा हो गया है। ऐसे में असम सरकार ने अपना अखबार 'असम बार्ता' (असम की आवाज) लॉन्च किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ‘असम बार्ता’ अखबार के पहले अंक का उद्घाटन किया, जो राज्य के लोगों को सरकारी नीतियों और उनके कार्यान्वयन से अवगत कराएगा।
यह लॉन्च मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की पहली वर्षगांठ समारोह के साथ हुआ।
इस अखबार के पहले अंक का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘असम बार्ता चार भाषाओं, असमिया, अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली (आने वाले महीनों में) में प्रकाशित की जाएगी और विभिन्न पारंपरिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके व्यापक रूप से वितरित की जाएगी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘असम में आज के युवा हथियार नहीं उठा रहे हैं बल्कि अपने भले के लिए काम कर रहे हैं। जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, तो असम के युवाओं को इसका लाभ मिलेगा। वह दिन दूर नहीं जब पूर्वोत्तर की सभी राजधानियां रेलवे के माध्यम से जुड़ेंगे। वह दिन दूर नहीं जब असम बाढ़ मुक्त हो जाएगा।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा भारत तभी महान बन सकता है जब असम महान बन जाए। सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सीमाओं के पार मवेशियों की तस्करी को सफलतापूर्वक रोक दिया है। हमने देश में 60% से अधिक क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) को हटा दिया है। असम न केवल पूर्वोत्तर का बल्कि हमारे पूरे देश का स्वास्थ्य केंद्र बनेगा। ’
इस दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'असम सरकार ने नागरिकों से सीधे जुड़ने और लोगों को असम की विकास यात्रा के बारे में जानने का मौका देने के लिए अपना खुद का न्यूजलेटर शुरू करने का फैसला किया है।'
नागरिकों, बुद्धिजीवियों और स्वतंत्र पत्रकारों को न्यूजलेटर के माध्यम से असम सरकार को रचनात्मक सुझाव देने का अवसर मिलेगा। असम सरकार असम बरता की व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पहले चरण में, विभिन्न आधुनिक तकनीकों जैसे वॉट्सऐप, टेलीग्राम, ई-मेल, एसएमएस और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक करोड़ पाठकों तक पहुंचने का लक्ष्य सरकार ने रखा है।
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प्रिंट कंपनियों के सामने इन दिनों अखबारी कागज की कम उपलब्धता और ऊंचे दाम का संकट तो बना हुआ है, साथ ही अब छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक, प्लेट और डिस्ट्रीब्यूशन के दामों में भी काफी ज्यादा इजाफा हो गया है।
दैनिक भास्कर की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दो सालों में समुद्री मालभाड़ा की दरें भी चार गुना तक बढ़ गई हैं। नेचुरल गैस-कोयले की कीमतों में उछाल से भी अखबारी कागज मिलों पर दबाव बढ़ा है। इस सबके बावजूद, देश में आज भी अखबारों की कीमत दुनिया के प्रमुख देशों से बेहद कम है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में जहां अखबार करीब 7800 रुपए महीने की कीमत पर मिल रहे हैं, वहीं भारत में आज भी अखबारों की औसत कीमत लगभग 150 से 250 रुपए महीना है।
गौरतलब है कि आयातित अखबारी कागज के दाम 16 महीनों में 175% तक बढ़ चुके हैं। भारतीय कागज भी 110% तक महंगा हुआ है। जहां अखबार की लागत में 50 से 55% मूल्य कागज़ का होता है। वहीं छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक-प्लेट और डिस्ट्रीब्यूशन की वजह से लागत 10 से 15% और बढ़ जाती है। वहीं कोविड में अखबारों की विज्ञापनों से होने वाली आय भी कमजोर हुई है।
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3 मई को हर साल 'वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे' के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन पर पत्रकारिता में और ऊंचाई हासिल करने के लिए दैनिक भास्कर समूह ने 3 नई पहल की शुरुआत की है। पहले ये कि दैनिक भास्कर समूह अपने पत्रकार साथियों के लिए अगले साल से 'रमेश अग्रवाल जर्नलिज्म अवॉर्ड' शुरू करने जा रहा है।
भास्कर समूह के मुताबिक, उसकी सबसे बड़ी ताकत हैं उसके पत्रकार जो पूरी जानकारी व विश्लेषण पाठकों तक पहुंचाते हैं। भास्कर के साथियों को यह अवॉर्ड हर साल दिया जाएगा। इसके तहत जूरी ऐसी स्टोरीज चुनेगी, जो प्रेस की स्वतंत्रता दर्शाने वाली होंगी।
दैनिक भास्कर समूह ने दूसरी बड़ी पहल ये की है कि वह अगले एक साल में प्रिंट व डिजिटल में 50 महिला पत्रकारों की नियुक्त करेगा।
वहीं समूह की तीसरी पहल ये है कि वह ‘रमेश अग्रवाल जर्नलिज्म फेलोशिप प्रोग्राम’ शुरू कर रहा है। ग्रुप ने इस वार्षिक पत्रकारिता फेलोशिप की शुरुआत इसी साल से की है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।पिछले दिनों 'दैनिक जागरण' से इस्तीफा देने वाले पत्रकार सुशील कुमार सुधांशु ने अपनी नई पारी 'अमर उजाला' अखबार के साथ शुरू की है।
पिछले दिनों 'दैनिक जागरण' से इस्तीफा देने वाले पत्रकार सुशील कुमार सुधांशु ने अपनी नई पारी 'अमर उजाला' अखबार के साथ शुरू की है। उन्हें अखबार के नेशनल डेस्क पर वरिष्ठ उपसंपादक की भूमिका मिली है।
बता दें कि सुशील कुमार सुधांशु लगभग 16 साल से मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने 2005 में IIMM, दिल्ली से रेडियो और टीवी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा करने के बाद हरियाणा के हिसार स्थित 'गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी' से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उसके बाद 'श्री अधिकारी ब्रदर्स' के चैनल 'जनमत टीवी' से 2006 में पत्रकारिता की शुरुआत की।
सुशील कुमार सुधांशु ने उसके बाद 'लाइव इंडिया टीवी' में प्रोडक्शन में, 'श्री न्यूज' और 'समाचार प्लस' न्यूज चैनल में इनपुट (असाइनमेंट) डेस्क पर प्रोड्यूसर के पद पर अपनी सेवा दी। वर्ष 2017 में उन्होंने ‘दैनिक जागरण‘ से प्रिंट में अपना कदम रखा और वहां हरियाणा डेस्क पर सहप्रभारी के तौर पर करीब पांच साल तक कार्य किया। साथ ही वर्ष 2008 से 2019 तक वह आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) में असाइनमेंट बेस पर समाचार संपादक के तौर पर भी कार्यरत रहे हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से सुशील कुमार सुधांशु को नए सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।वह ‘दैनिक जागरण‘ नोएडा में करीब पांच साल से कार्यरत थे और हरियाणा डेस्क पर सह प्रभारी की भूमिका निभा रहे थे।
‘श्री अधिकारी ब्रदर्स’ के चैनल ‘जनमत टीवी’ से वर्ष 2006 में पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले सुशील कुमार सुधांशु ने ‘दैनिक जागरण‘ में लगभग पांच साल काम करने के बाद इस संस्थान को अलविदा कह दिया है। वह ‘दैनिक जागरण‘ नोएडा में हरियाणा डेस्क पर सह प्रभारी की भूमिका निभा रहे थे।
उन्होंने 2005 में IIMM, दिल्ली से रेडियो और टीवी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा करने के बाद हरियाणा के हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। ‘जनमत‘ से पहले उन्होंने ‘पंजाब केसरी‘ और ‘जनसत्ता‘ अखबार में ट्रेनिंग भी ली थी।
सुशील कुमार ‘दैनिक जागरण‘ से पहले ‘लाइव इंडिया‘ में प्रोडक्शन में, ‘श्री न्यूज‘ और ‘समाचार प्लस‘ न्यूज चैनल में इनपुट (असाइनमेंट) डेस्क पर प्रोड्यूसर के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साथ ही 2008 से 2019 तक उन्होंने आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) में असाइनमेंट बेस पर समाचार संपादक के तौर पर भी कार्य किया है। जल्द ही वह एक बड़े संस्थान के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे।
समाचार4मीडिया की ओर से सुशील सुधांशु को उनके नए सफर के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।