BW बिजनेसवर्ल्ड ने हाल ही में अपनी नई अंक जारी किया है, जिसमें भारत में बदलती लग्जरी की परिभाषा और त्योहारी सीजन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण पर गहराई से विचार किया गया है।
BW बिजनेसवर्ल्ड ने हाल ही में अपनी नई अंक जारी किया है, जिसमें भारत में बदलती लग्जरी की परिभाषा और त्योहारी सीजन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण पर गहराई से विचार किया गया है। इस अंक में विशेष रूप से उन तरीकों पर प्रकाश डाला गया है जिनसे लग्जरी ब्रैंड्स उपभोक्ताओं की बदलती पसंद को ध्यान में रखते हुए खुद में बदलाव ला रहे हैं और टिकाऊ व तकनीकी समायोजन कर रहे हैं।
जिम्मेदार लग्जरी की ओर बढ़ता कदम
इस अंक में लग्जरी क्षेत्र में बढ़ती टिकाऊपन और तकनीकी विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो आज के जागरूक उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करता है। इस बदलाव से पता चलता है कि कैसे ब्रैंड्स उपभोक्ता की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए अपने उत्पादों में बदलाव कर रहे हैं।
कवर स्टोरी: आयुष्मान खुराना का खास इंटरव्यू
इस अंक की कवर स्टोरी में बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना शामिल हैं, जिन्होंने स्टाइल, लग्जरी और दर्शकों के साथ सार्थक संबंधों पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लग्जरी ब्रैंड्स को अपने ग्राहकों के साथ ठोस और सार्थक जुड़ाव बनाना चाहिए। इस सोच को कई इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने भी समर्थन दिया है और आने वाले रुझानों पर अपने विचार साझा किए हैं।
तकनीक और हाइपर-परसनलाइज्ड, टिकाऊ लग्जरी का नया चेहरा
इस अंक में यह भी बताया गया है कि अत्याधुनिक तकनीक लग्जरी सेक्टर में कैसे बदलाव ला रही है। ग्राहक अनुभव को और अधिक निजीकरण की ओर ले जाते हुए, तकनीक न केवल उपभोक्ताओं के लिए विशेष अनुभव देने में मददगार है, बल्कि यह ब्रैंड्स को उनकी टिकाऊ यात्रा में भी सहायक सिद्ध हो रही है। डेटा-ड्रिवन इनसाइट्स का उपयोग करके, लग्जरी ब्रैंड्स ऐसे अनूठे अनुभव बना रहे हैं जो ग्राहकों की व्यक्तिगत पसंद के अनुकूल हों, जिससे उनकी सफलता सुनिश्चित होती है।
सेकेंड-हैंड लग्जरी मार्केट का उभरता बाजार
इस अंक में एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिया गया है, जो भारत के लग्जरी बाजार में बड़ा बदलाव ला रहा है- सेकेंड-हैंड लग्जरी मार्केट। एक अनुमान के अनुसार, यह सेक्टर 2032 तक 1,556.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। खासकर जागरूक उपभोक्ता अब अधिक टिकाऊ विकल्प के तौर पर प्री-ओन्ड लग्जरी वस्तुओं को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे कई बड़े लग्जरी ब्रैंड्स भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
त्योहारी सीजन: आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्रोत
इस विशेष अंक में भारत के त्योहारी सीजन, खासकर दीवाली का आर्थिक प्रभाव भी विश्लेषण किया गया है। Flipkart और Amazon जैसे बड़े रिटेल ब्रैंड्स ने अक्टूबर से दिसंबर के बीच बिक्री में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि की उम्मीद जताई है। इसी तरह, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी त्योहारी छूट, नए मॉडल्स की लॉन्चिंग और उपभोक्ता मांग के कारण 15-20 प्रतिशत तक की बिक्री वृद्धि का अनुमान है।
ज्वेलरी बाजार में भी त्योहारी सीजन एक महत्वपूर्ण अवसर लेकर आता है, विशेष रूप से युवा ग्राहकों की बढ़ती रुचि के कारण। इस अवधि में सोने की खरीददारी को भी शुभ माना जाता है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
त्योहारी सीजन केवल आभूषण ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान और FMCG जैसे अन्य उद्योगों के लिए भी एक वरदान साबित होता है। खुदरा विक्रेता आकर्षक छूट और ऑफर्स के साथ उपभोक्ताओं को लुभाते हैं, जिससे बाजार में तेजी आती है। सांस्कृतिक उत्सवों और आर्थिक समृद्धि के बीच का यह गहरा संबंध आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अवधि में स्टॉक मार्केट में भी वृद्धि देखी जाती है, जो समृद्धि और शुभता से जुड़ा हुआ है।
BW Businessworld की यह नई अंक डिजिटल और प्रिंट दोनों प्रारूपों में उपलब्ध है। अधिक जानकारी और सभी खबरों को विस्तार से पढ़ने के लिए BW Businessworld की नवीनतम डिजिटल संस्करण पर क्लिक करें।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजदीप सरदेसाई ‘2024: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ नाम से एक नई किताब लेकर वापस आए हैं
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजदीप सरदेसाई ‘2024: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ नाम से एक नई किताब लेकर वापस आए हैं। यह किताब हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित की गई है।
2014 और 2019 चुनावों पर आधारित उनकी बेस्टसेलर किताबों की सफलता के बाद, सरदेसाई की यह नई किताब भारत के अब तक के सबसे अप्रत्याशित और विभाजनकारी चुनावों पर प्रकाश डालती है। प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध यह किताब भारत के 2024 के आम चुनाव की जटिल राजनीतिक तस्वीर को समझने के इच्छुक पाठकों के लिए एक जरूरी किताब है।
पर्दे के पीछे की राजनीति और महत्वपूर्ण घटनाओं का विश्लेषण
‘द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ में राजदीप सरदेसाई ने इस ऐतिहासिक चुनाव को आकार देने वाली ताकतों पर विस्तार से चर्चा की है। इस किताब में पर्दे के पीछे की राजनीति, हर मोड़ और घटनाक्रम का गहराई से विश्लेषण किया गया है। कोविड लॉकडाउन से लेकर अनुच्छेद 370 पर विवाद तक। हिंदुत्व के उदय से लेकर किसान आंदोलनों तक। सरदेसाई ने इस किताब में ऐसी ही कई घटनाओं का विश्लेषण किया है, जिन्होंने हाल के इतिहास में भारत के सबसे विवादास्पद चुनावों में से एक को प्रभावित किया।
बड़े सवालों का सामना
इस किताब में सरदेसाई ने कई बड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश की है, जैसे-
- बीजेपी का आत्मविश्वास भरा नारा “चार सौ पार” आखिर क्यों वोटों में नहीं बदल सका?
- राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने उम्मीदों को धता बताते हुए वापसी कैसे की?
- प्रवर्तन एजेंसियों और गौतम अडानी जैसे शक्तिशाली व्यक्तित्वों की इस राजनीतिक नाटक में क्या भूमिका रही?
मोदी-शाह की जोड़ी और मीडिया की भूमिका पर चर्चा
किताब में मोदी-शाह की जोड़ी, जिसे अब "जोडी नंबर वन" कहा जाता है, के राजनीतिक प्रभाव पर गहराई से चर्चा की गई है। साथ ही, मुख्यधारा मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें चुनाव चक्र के दौरान उभरे एकतरफा नैरेटिव की समीक्षा की गई है।
राजनीति और लोकतंत्र की गहरी पड़ताल
यह किताब महज राजनीतिक विश्लेषण से आगे बढ़ते हुए उन महत्वपूर्ण राज्यों को भी कवर करती है जहां अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिले। साथ ही, यह सवाल भी उठाती है कि क्या चुनावी प्रक्रिया उतनी स्वतंत्र और निष्पक्ष थी जितनी होनी चाहिए?
राजदीप सरदेसाई की बेजोड़ रिपोर्टिंग
सरदेसाई की ‘2024: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ भारत की इस राजनीतिक यात्रा को बारीकी से समझाती है। पहले दो बेस्टसेलर की तरह, यह किताब भी अंदरूनी कहानियों और चौंकाने वाले किस्सों से भरी हुई है। यह भारतीय लोकतंत्र की राजनीति और ताकत के समीकरण का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
बता दें कि यह किताब अब एमेजॉन और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है।
'बिजनेस टुडे' (Business Today) के एडिटर के पद से हाल ही में इस्तीफा देने वाले सौरव मजूमदार को लेकर अब एक बड़ी खबर आयी है।
'बिजनेस टुडे' (Business Today) के एडिटर के पद से हाल ही में इस्तीफा देने वाले सौरव मजूमदार को लेकर अब एक बड़ी खबर आयी है। दरअसल, अब वह 'फॉर्च्यून इंडिया' (Fortune India) के एडिटर-इन-चीफ के रूप में शामिल हो गए हैं। बता दें कि यह उनके लिए इस प्रकाशन के साथ दूसरी पारी होगी।
सौरव मजूमदार ने लिंक्डइन पर लिखा, "Fortune India में वापस आकर मुझे खुशी हो रही है और मैं इसे अगले स्तर तक ले जाने के लिए तैयार हूं।"
सौरव मजूमदार का करियर वित्तीय पत्रकारिता में तीन दशकों से अधिक का है और उन्होंने प्रमुख प्रकाशनों में वरिष्ठ संपादकीय भूमिकाएं निभाई हैं। वह वर्तमान में Business Today के संपादक थे, लेकिन पहले वह Fortune India और Forbes India के संपादक रहे हैं, जहां उन्होंने बिजनेस खबरों को गहरी समझ के साथ आकार दिया, विशेष रूप से कॉर्पोरेट और वित्तीय बाजारों पर।
संस्करण में अमेरिका में संभावित राजनीतिक बदलाव के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में आने वाले बदलावों पर व्यापक विश्लेषण किया गया है।
देश की प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना वार्षिक 'मोस्ट वैल्युएबल CEOs' (Most Valuable CEOs) विशेष संस्करण जारी किया है, जो वैश्विक राजनीतिक बदलावों और घरेलू परिवर्तनों के बीच कॉरपोरेट नेतृत्व की उत्कृष्टता पर गहरी दृष्टि प्रदान करता है।
इस संस्करण में तीन मुख्य विषयों पर चर्चा की गई है। इनमें अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की संभावित वापसी के भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव, दिवंगत डॉ. बिबेक देबरॉय को श्रद्धांजलि और भारत के सबसे मूल्यवान कॉरपोरेट लीडर्स का विस्तृत विश्लेषण शामिल हैं। कॉरपोरेट उत्कृष्टता के मूल्यांकन में कुल आय, टर्नओवर और प्रदर्शन में निरंतरता जैसे कड़े मापदंडों का उपयोग किया गया है।
कवर स्टोरी को TechSci Research के सहयोग से तैयार किया गया है, जिसमें उन भारतीय कॉरपोरेट लीडर्स को शामिल किया गया है जिन्होंने आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच उल्लेखनीय दृढ़ता और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया है। यह संस्करण पारंपरिक रैंकिंग के बजाय इन व्यापारिक नेताओं की विस्तृत प्रोफाइल प्रस्तुत करता है, जो सतत विकास और मूल्य निर्माण पर उनके दृष्टिकोण को उजागर करता है।
इसके अलावा, संस्करण में अमेरिका में संभावित राजनीतिक बदलाव के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में आने वाले बदलावों पर व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसमें खासतौर पर रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में व्यापार और विनियमनों के विस्तार के अनुरूप था और भारत की विकास गाथा से मेल खाता था।
एक दुखद पहलू के रूप में, यह अंक प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के हाल ही में दिवंगत अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय को भी श्रद्धांजलि देता है। इसमें उनके शिष्यों और विद्वान सहयोगियों की भावनात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से डॉ. देबरॉय की बौद्धिक विरासत का सम्मान किया गया है, जिसमें उनकी बहुआयामी योगदानों को विशेष रूप से दर्शाया गया है। वे एक बहुप्रतिभा विद्वान और BW बिजनेसवर्ल्ड के पूर्व स्तंभकार भी रहे हैं।
BW बिजनेसवर्ल्ड का यह नवीनतम संस्करण डिजिटल और प्रिंट दोनों प्रारूपों में उपलब्ध है। अधिक जानकारी और पूरी कहानियों के लिए BW बिजनेसवर्ल्ड का डिजिटल संस्करण यहां पढ़ें।
बहुप्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका 'बिजनेस टुडे' के संपादक सौरव मजूमदार ने इस प्रतिष्ठित प्रकाशन को अलविदा कह दिया है।
बहुप्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका 'बिजनेस टुडे' के संपादक सौरव मजूमदार ने इस प्रतिष्ठित प्रकाशन को अलविदा कह दिया है। मजूमदार ने अपने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए अपनी टीम का आभार जताया और पिछले तीन सालों में बनी “अनमोल” यादों को साझा किया।
सौरव मजूमदार ने लिंक्डइन पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि बिजनेस टुडे में अपने आखिरी दिनों में वह टीम और सहकर्मियों द्वारा मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि बिजनेस टुडे के संपादक के रूप में काम करना और ब्रांड को BT मल्टीवर्स में बदलने की रोमांचक यात्रा का हिस्सा बनना उनके लिए एक सौभाग्य की बात रही है। यहां बिताए गए तीन से अधिक वर्षों की यादें हमेशा उनके दिल में रहेंगी और उनके लिए यह अनमोल हैं।
तीन दशकों के समृद्ध करियर वाले सौरव मजूमदार का नाम वित्तीय पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रमुखता से लिया जाता है। 'बिजनेस टुडे' के संपादक के रूप में, उन्होंने कॉर्पोरेट और वित्तीय बाजारों पर गहरी जानकारी के साथ बिजनेस न्यूज को एक नई दिशा दी। इसके पहले, वह 'फॉर्च्यून इंडिया' और 'फोर्ब्स इंडिया' के संपादक भी रह चुके हैं, जहां उन्होंने बिजनेस पत्रकारिता में अपनी खास पहचान बनाई।
'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' में उन्होंने प्रमुख संपादकीय पहल का नेतृत्व किया और 'बिजनेस स्टैंडर्ड' कोलकाता के रेजिडेंट एडिटर के रूप में भी कई महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट घटनाओं को कवर किया। प्रिंट, डिजिटल, वीडियो और ऑनलाइन पत्रकारिता में महारत रखने वाले सौरव मजूमदार ने भारत के मीडिया क्षेत्र में अपनी विशेष जगह बनाई है।
'जन्मभूमि' पत्रिका के गोल्डन जुबली समारोह में ‘मीडिया की दिशा’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में 'तुगलक' पत्रिका के संपादक एस. गुरुमूर्ति ने सोशल मीडिया से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताई।
कोझिकोड में मंगलवार (5 नवंबर) को भारतीय जनता पार्टी के मुखपत्र 'जन्मभूमि' पत्रिका के गोल्डन जुबली समारोह में ‘मीडिया की दिशा’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में 'तुगलक' पत्रिका के संपादक एस. गुरुमूर्ति ने सोशल मीडिया से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताई। उन्होंने सरकारों, राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया से पैदा हो रहे खतरों के खिलाफ ठोस कदम उठाएं।
गुरुमूर्ति ने कहा कि प्रिंट और प्रसारण मीडिया को अब सोशल मीडिया द्वारा प्रभावित किया जा रहा है, जो कि समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने बिना निगरानी के सोशल मीडिया पर प्रकाशित हो रही समाचार सामग्रियों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, कुछ विदेशी फंडिंग वाले सोशल मीडिया मंच देश में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि प्रिंट मीडिया भी सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भर हो चुका है।
भारतीय मीडिया की यात्रा का उल्लेख
गुरुमूर्ति ने भारतीय मीडिया की विभिन्न समयावधियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे स्वतंत्रता-पूर्व, स्वतंत्रता-उपरांत, आपातकाल और उसके बाद की अवधि में मीडिया का स्वरूप बदला। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में शुरू हुई वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने देश में स्वतंत्र मीडिया को कमजोर किया।
सोशल मीडिया और गलत जानकारी का मुद्दा
सेमिनार का संचालन कर रहे एसएन कॉलेज, कन्नूर के प्रिंसिपल सी. पी. सतीश ने सोशल मीडिया के युग में गलत जानकारी के मुद्दे को उजागर किया। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सोशल मीडिया के विभिन्न ब्रांड्स के कारण भारतीय पत्रकारिता की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में गिरावट आई है। चंद्रशेखर ने कहा कि तकनीकी प्रगति ने मीडिया के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, खासकर जब देश में अब 90 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। इस बढ़ी हुई पहुंच के कारण गलत जानकारी तेजी से फैल रही है। उन्होंने आगाह किया, “अब देश में दंगे भड़काने के लिए हथियार या वाहन की जरूरत नहीं है, एक कंप्यूटर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ही काफी हैं।”
सेमिनार की अध्यक्षता जनमभूमि पत्रिका के संपादक के. एन. आर. नमबूथिरी ने की।
'ग्रेटर कश्मीर' के हेल्थ एडिटर व जेरोंटोलॉजी एक्सपर्ट डॉ. जुबैर सलीम को जेरियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (GOSI) के नॉर्थ इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया है।
'ग्रेटर कश्मीर' के हेल्थ एडिटर और प्रसिद्ध जेरियाट्रिक मेडिसिन व जेरोंटोलॉजी एक्सपर्ट डॉ. जुबैर सलीम को जेरियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (GOSI) के नॉर्थ इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल तीन वर्षों तक रहेगा।
इस भूमिका में, डॉ. सलीम जम्मू और कश्मीर में वरिष्ठ नागरिकों के हित में कई कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें कंटिन्यूस मेडिकल एजुकेशन (CME), जागरूकता अभियान और सामाजिक गतिविधियां शामिल होंगी। इन प्रयासों का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
डॉ. सलीम ने अब तक 35,000 से अधिक बुजुर्ग मरीजों का सफल इलाज किया है और कश्मीर में जेरियाट्रिक देखभाल में अग्रणी माने जाते हैं। उन्होंने घर-आधारित और टेलीहेल्थ सेवाओं को शुरू करके बुजुर्गों की देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
डॉ. सलीम मौल मौज फाउंडेशन के माध्यम से भी समाज के हाशिए पर रहने वाले और उपेक्षित बुजुर्गों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उनकी यह सेवाएं जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।
देश के जाने-माने साप्ताहिक अखबार (Weekly Tabloid) ‘ब्लिट्ज इंडिया’ (Blitz India) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर अमल करते हुए एक नई पहल करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ‘पंख’ फैलाए हैं।
देश के जाने-माने साप्ताहिक अखबार (Weekly Tabloid) ‘ब्लिट्ज इंडिया’ (Blitz India) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर अमल करते हुए एक नई पहल करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ‘पंख’ फैलाए हैं।
इस पहल के तहत ‘ब्लिट्ज इंडिया’ ने संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक छह भाषाओं- अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, अरबी, चाइनीज और रूसी में अपने पाठकों को भारतीय कंटेंट परोसना शुरू कर दिया है। इस साल 24 अगस्त से बाकायदा इसकी शुरुआत कर दी गई है।
भारतीय कंटेंट को अब हिंदी समेत सात भाषाओं में राष्ट्रीय व ग्लोबल पाठकों को उपलब्ध कराया जा रहा है। यानी आप इस अखबार की वेबसाइट पर जाकर इन सभी भाषाओं में कंटेंट पढ़ सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले यह अखबार हिंदी और अंग्रेजी के पाठकों के लिए ही कंटेंट देता था। इसके अलावा, इस अखबार के पहले से ही ऑनलाइन रूप में चार इंटरनेशनल एडिशन- यूएस (न्यूयॉर्क), यूके (लंदन), मिडिल ईस्ट (दुबई) और अफ्रीका (तंजानिया) हैं।
अखबार प्रबंधन का दावा है कि इस तरह की पहल करने वाला यह देश का इकलौता अखबार है जो विदेशी पाठकों को उन्हीं की भाषा में भारतीय कंटेंट उपलब्ध करा रहा है।
अखबार प्रबंधन के अनुसार, करीब दो महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मुंबई के ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी’ (INS) के आईएनएस टॉवर्स का उद्घाटन किया था, उस दौरान पीएम ने सुझाव देते हुए इच्छा जताई थी कि भारतीय कंटेंट को विदेशी पाठकों तक उनकी भाषाओं में पहुंचाना चाहिए, ताकि वे भी अपनी भाषा में हमारे देश के कंटेंट को आसानी से पढ़ सकें और हमारे यहां की घटनाओं व संस्कृति से अच्छी तरह रूबरू हो सकें। अखबार मैनेजमेंट ने पीएम के इसी सुझाव पर अमल करते हुए यह पहल शुरू कर दी है।
अखबार प्रबंधन का यह भी कहना है कि इसके साथ ही ‘ब्लिट्स इंडिया’ देश का ऐसा इकलौता अखबार है जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा मान्यता प्राप्त 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) को अपने प्रत्येक एडिशन में पब्लिश करता है। इन गोल का उद्देश्य एक समृद्ध, न्यायपूर्ण और सतत भविष्य की दिशा में कार्य करना है। ये लक्ष्य दुनिया भर की सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए बनाए गए हैं। अखबार के अनुसार, इन्हीं गोल पर चलकर विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सकता है।
प्रदीप शुक्ला इस अखबार के साथ करीब 20 साल से जुड़े थे और करीब दो साल से दिल्ली-एनसीआर के रेजिडेंट एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप शुक्ला ने हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस अखबार में करीब 20 साल से कार्यरत थे और करीब दो साल से दिल्ली-एनसीआर में बतौर रेजिडेंट एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह नोएडा स्थित कार्यालय से अपना कामकाज देख रहे थे।
समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रदीप शुक्ला ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। अपनी नई पारी के बारे में उनका कहना है कि वह कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं और जल्द ही इसके बारे में अपडेट देंगे। हालांकि, इस संस्थान से इस्तीफे के पीछे क्या वजह रही, इस बारे में उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
बता दें कि ‘दैनिक जागरण’ के साथ अपने अब तक के सफर में वह तमाम प्रमुख पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। पूर्व में वह इस अखबार में मुरादाबाद में संपादकीय प्रभारी, बरेली में न्यूज एडिटर, बनारस में एडिटर और झारखंड में रेजिडेंट एडिटर के पद पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में वह ‘अमर उजाला’ में भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
3 अक्टूबर को नवरात्रि की शुरुआत ने भारत के प्रिंट इंडस्ट्री को उत्साहित कर दिया है। नेशनल और रीजनल दोनों ही तरह के बड़े दैनिक अखबारों ने विज्ञापनों में भारी उछाल दर्ज किया है।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, ग्रुप एडिटोरियल इवैंजलिस्ट एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।
3 अक्टूबर को नवरात्रि की शुरुआत ने भारत के प्रिंट इंडस्ट्री को उत्साहित कर दिया है। नेशनल और रीजनल दोनों ही तरह के बड़े दैनिक अखबारों ने विज्ञापनों में भारी उछाल दर्ज किया है। इंडस्ट्री के अधिकारियों ने 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि बाकी के लिए, यह मौसम फिलहाल शांत है।
शनिवार को 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने कई पूर्ण-पृष्ठ विज्ञापनों के कारण 76 पृष्ठों का प्रकाशन किया। शुक्रवार और रविवार को उनके संस्करणों में भी 44 पृष्ठ थे। बिजनेस हेड्स ने कहा कि इन दिनों विज्ञापन बड़े पैमाने पर सप्ताहांत (वीकेंड्स) की ओर स्थानांतरित हो गए हैं।
बीसीसीएल ग्रुप के रिस्पॉन्स प्रेजिडेंट सुरिंदर सिंह चावला ने कहा, "नवरात्रि हमारे लिए अब तक एक मजबूत सीजन रहा है। जैसा कि हमारी करेंट बुकिंग्स हैं, हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दशहरा तक और भी विज्ञापन मिलेंगे।" समूह के हिंदी और मराठी अखबार 'नवभारत टाइम्स' और 'महाराष्ट्र टाइम्स' ने भी नवरात्रि के दौरान कई विज्ञापन प्राप्त किए।
हिन्दुस्तान टाइम्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजीव बेओत्रा ने कहा, "हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ-साथ नवरात्रि प्रिंट मीडिया के लिए एक अच्छा सीजन है। हमें विज्ञापनदाताओं से बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।"
दैनिक भास्कर के लिए भी यह त्योहारी सीजन बेहतरीन साबित हो रहा है। दैनिक भास्कर के चीफ कॉर्पोरेट सेल्स एंड मार्केटिंग ऑफिसर सत्यजीत सेनगुप्ता ने कहा, "नवरात्रि सीजन हमारे वार्षिक राजस्व का 15-20% हिस्सा होता है। इस साल हम सभी फेस्टिव कैटेगरी को बड़े पैमाने पर अखबारों में विज्ञापन करते हुए देख रहे हैं। हमें पिछले साल के मुकाबले दोहरे अंकों की वृद्धि की उम्मीद है।"
ज्वेलरी, ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, उपकरण और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स ने त्योहारी सीजन की शुभता का फायदा उठाते हुए विज्ञापन में बढ़त बनाई है। उम्मीद है कि दशहरा तक इन विज्ञापनों में और इजाफा होगा।
कुछ पब्लिशर्स ने 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि कुछ अंग्रेजी व रीजनल अखबारों के लिए यह सीजन चुनौतीपूर्ण रहा। उनके विज्ञापन राजस्व में अपेक्षाओं से काफी कमी आई है। इंडस्ट्री जगत ने बताया कि वे नवरात्रि के विज्ञापनों से 20-25% वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे, जो आमतौर पर त्योहार से 1-2 सप्ताह पहले अखबारों में आने लगती है। लेकिन मौजूदा बुकिंग के आधार पर यह वृद्धि केवल 5-10% तक ही सीमित रही है।
पब्लिशर्स का कहना है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति में थोड़ा सुधार हो सकता है, लेकिन उम्मीदों या पिछले साल के आंकड़ों से मेल खाने की संभावना नहीं है।"
'मलयाला मनोरमा' के मार्केटिंग व ऐड सेल्स के वाइस प्रेजिडेंट वर्गीस चांडी ने कहा, "केरल जैसे राज्यों में नवरात्रि कोई बड़ा त्यौहार नहीं है। ऐसे राज्यों में प्रकाशकों की उम्मीदें दिवाली से जुड़ी हैं, जो महीने के अंत में है।"
विज्ञापन एजेंसियां आमतौर पर इस त्योहारी सीजन की गहमा-गहमी को याद कर रही हैं, जो उन्हें हर साल व्यस्त रखती थी।
Tgthr के सीईओ राहुल वेंगलिल ने कहा, "सामान्यत: खरीदारी के लिए बेहतरीन समय 2-3 सप्ताह का ही समय होता है। नवरात्रि के विज्ञापन तीन हफ्ते पहले ही शुरू हो जाने चाहिए थे और इस समय दिवाली कैम्पेंस शुरू हो जाने चाहिए थे। लेकिन हम अभी भी विज्ञापनों की उस बाढ़ का इंतजार कर रहे हैं, जो आमतौर पर त्योहारों के उत्साह को दर्शाती है।"
हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों के विज्ञापन अभियान, खासकर महाराष्ट्र जैसे चुनावी राज्यों में, इस अवधि में कई अखबारों को आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं।
हर त्योहारी सीजन में रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, शिक्षा, रिटेल, ज्वेलरी, FMCG और BFSI जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विज्ञापन का बजट बढ़ जाता है। इस साल जब पूरा त्योहारी सीजन एक ही महीने में सिमट गया है, प्रिंट मीडिया में विज्ञापन की गति अब भी धीमी है।
उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव, विश्वसनीय पाठक डेटा की कमी और साल भर विवेकाधीन खर्च - ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा दी जाने वाली आसान EMI की वजह से - विज्ञापनदाताओं की अख़बारों में घटती दिलचस्पी के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे कारकों में से हैं।
विज्ञापनदाताओं का कहना है कि इसके अलावा, कमजोर होते उपभोक्ता के सेंटीमेंट्स, उच्च मुद्रास्फीति और व्यापक बेरोजगारी बड़ी चिंताएं हैं। अधिकांश लोग आवश्यक वस्तुओं से अधिक खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए, हम अभी सावधानी से खर्च कर रहे हैं।"
कई ब्रैंड लीडर्स ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान पहले ही बहुत पैसा खर्च कर दिया है। इसलिए, उनका त्यौहारी बजट पिछले साल जितना बड़ा नहीं है। महाराष्ट्र जैसे चुनावी राज्यों में, कुछ सरकारी कैम्पेंस ने स्थिति को बचाया है।
PMAR के अनुसार, प्रिंट मीडिया के विज्ञापन राजस्व में 4% की वृद्धि दर्ज की गई, फिर भी यह कोविड-पूर्व के अपने उच्चतम स्तर 20,045 करोड़ रुपये से पीछे रह गया और 2023 के लिए 19,250 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
प्रिंट मीडिया के कुल विज्ञापन खर्च (AdEx) में हिस्सा कम हो रहा है। 2014 में, प्रिंट मीडिया का कुल विज्ञापन खर्च में 41% हिस्सा था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, इस हिस्सेदारी में और दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
क्रिसिल की जुलाई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में क्षेत्रीय प्रिंट मीडिया कंपनियों का विज्ञापन राजस्व 8-9% तक बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) के लिए उनकी वृद्धि की भविष्यवाणी 13-15% थी, यानी वास्तविक वृद्धि अपेक्षा से कम हो सकती है।
नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में दो अक्टूबर 2024 की शाम को आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण जी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
जाने-माने पत्रकार और ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी की किताब ‘समाचारों की बिसात पर’ और इस अखबार के कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा की किताब ‘जमीनी और क्षेत्रीय पत्रकारिता की ताकत’ का दो अक्टूबर को दिल्ली में विमोचन हुआ।
नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में दो अक्टूबर 2024 की शाम को आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण जी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
‘समाचारों की बिसात पर’ आशुतोष चतुर्वेदी के लिखे गए 81 आलेखों का संग्रह है, जबकि ‘जमीनी और क्षेत्रीय पत्रकारिता की ताकत’ में प्रभात खबर के अब तक के सफर की प्रमुख घटनाओं को जगह दी गई है। इन दोनों किताबों को ‘प्रभात प्रकाशन’ ने पब्लिश किया है।
इस मौके पर आशुतोष चतुर्वेदी ने पत्रकारिता की चुनौतियों पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि फेक न्यूज के दौर में अखबार की विश्वसनीयता बनाए रखना बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने ‘प्रभात खबर’ की सामाजिक पत्रकारिता की परंपरा को रेखांकित करते हुए बताया कि कैसे अखबार ने झारखंड के कई गांवों को गोद लेकर उनमें सकारात्मक बदलाव किए। सोशल मीडिया के विस्तार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति संपादक की भूमिका में है, जिससे खबरों की सच्चाई और निष्पक्षता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने अपने संबोधन का अंत गुलजार की कविता की पंक्तियों से किया, जो पुस्तकों के प्रति लोगों की घटती रुचि पर चिंतन करती हैं।
‘प्रभात खबर’ के कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि अखबार ने हमेशा ‘सच है तो छपेगा’ के सिद्धांत को अपनाया है और जनसरोकार से जुड़ी पत्रकारिता की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘प्रभात खबर’ ने स्थानीय नायकों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अखबार ने न सिर्फ सच को सामने लाने का काम किया है, बल्कि उन मुद्दों को उठाया है जो समाज और आम जनता से सीधे जुड़े हैं।
वहीं, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने अशुतोष चतुर्वेदी और अनुज कुमार सिन्हा की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ‘प्रभात खबर’ की जमीनी स्तर पर सामाजिक मुद्दों को उजागर करने और सकारात्मक बदलाव लाने की सराहना की। हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि आज के डिजिटल युग में जब गलत सूचनाओं का प्रचार-प्रसार बढ़ गया है, अखबारों की विश्वसनीयता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जिम्मेदार और निष्पक्ष पत्रकारिता की भूमिका पर जोर दिया, जो समाज को सही दिशा में प्रेरित करती है।
'प्रभात प्रकाशन' के प्रभात कुमार और पीयूष कुमार भी मंच पर मौजूद थे। इस कार्यक्रम में ‘प्रभात खबर’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर आरके दत्ता, CFO आलोक पोद्दार, वाइस प्रेजिडेंट विजय बहादुर, कॉरपोरेट संपादक विनय भूषण और प्रभात खबर डॉट कॉम के संपादक जनार्दन पांडे समेत पत्रकारिता जगत के तमाम जाने-माने नाम मौजूद रहे।