केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। UAPA मामले में जमानत पर बाहर चल रहे कप्पन को शनिवार को कोच्चि पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। UAPA मामले में जमानत पर बाहर चल रहे कप्पन को शनिवार को कोच्चि पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ 10 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया। पुलिस का कहना है कि सभी पर गैरकानूनी सभा करने, सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध करने और पुलिस अधिकारियों से हाथापाई के आरोप लगाए गए हैं।
यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब कप्पन और अन्य लोग महाराष्ट्र एटीएस द्वारा रेजास एम. शीबा सिद्दीक की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। शीबा सिद्दीक के खिलाफ उनके कथित बयान को लेकर ऑपरेशन ‘सिंदूर’ मामले में केस दर्ज किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, यह प्रदर्शन रेजास सॉलिडैरिटी फोरम की ओर से आयोजित किया गया था। कप्पन ने हाईकोर्ट जंक्शन के पास सभा को संबोधित भी किया था। गिरफ्तार लोगों में अधिवक्ता प्रमोद पुज़्हंकरा, सी.पी. राशीद, साजिद खालिद, डॉ. हरी, भबुराज भगवती, अंबिका और मृदुला भवानी शामिल हैं।
पुलिस का कहना है कि करीब 30 लोगों की भीड़ ने बिना अनुमति सार्वजनिक स्थल पर माइक लगाकर नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे राहगीरों को परेशानी हुई। जब पुलिस ने उन्हें हटने के लिए कहा तो प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया, जिसके बाद बल प्रयोग करके उन्हें तितर-बितर किया गया।
इस मामले में एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 189(2), 190 और 285 के अलावा केरल पुलिस अधिनियम की धाराओं 118(e) और 117(e) के तहत दर्ज की गई है। आरोपों में अवैध जमावड़ा और सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
रेजास सिद्दीक, जो छात्र कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार हैं, को मई 2025 में नागपुर से गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन कागर (माओवादी विरोधी अभियान) के खिलाफ पोस्ट किए। इस मामले में उन पर UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है।
पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पहली बार अक्टूबर 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस रेप केस की कवरेज के लिए जा रहे थे। उन पर UAPA की धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। वर्तमान में वे उसी मामले में जमानत पर बाहर हैं।
38 वर्षीय सहदेव डे, जो स्थानीय न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक अंडमान’ के मालिक थे, का शव उत्तर अंडमान जिले के देशबंधु नगर स्थित एक खेत में इस साल 1 अप्रैल को मिला था। वह 29 मार्च से लापता थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने निर्देश दिया है कि उस पत्रकार के परिजनों को दो सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाए, जिसका जला हुआ शव 2 अप्रैल को उत्तर अंडमान जिले के दिगलिपुर में मिला था।
38 वर्षीय सहदेव डे, जो स्थानीय न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक अंडमान’ के मालिक थे, का शव उत्तर अंडमान जिले के देशबंधु नगर स्थित एक खेत में इस साल 1 अप्रैल को मिला था। वह 29 मार्च से लापता थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया है कि मृत पत्रकार के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।
NHRC ने अपने आदेश में कहा, “चूंकि उक्त पत्रकार की हत्या उस क्षेत्र में चल रही गैरकानूनी गतिविधियों की साहसिक रिपोर्टिंग के कारण हुई, आयोग इसे ऐसा मामला मानता है, जिसमें पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए।”
पुलिस ने बताया कि इस हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कंस्टीट्यूशन क्लब में होने जा रहे हिंदी संस्कृति के इस महाआयोजन में देश के कई चर्चित साहित्यकार, कवि, पत्रकार, कलाकार और चिंतक भाग लेंगे।
वर्षों से खबरों की दुनिया में अपनी गहरी दृष्टि और असरदार अंदाज के लिए पहचाने जाने-माने वाले वरिष्ठ टीवी पत्रकार राणा यशवंत 25 सितंबर 2025 को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में 'स्पंदन: हिंदी का अंतर्मन' नामक भव्य साहित्यिक-सांस्कृतिक संगोष्ठी का आयोजन करने जा रहे हैं। यह आयोजन हिंदी भाषा, समाज और उसकी संस्कृति के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन पर केंद्रित रहेगा।
कार्यक्रम में देश के कई चर्चित साहित्यकार, कवि, पत्रकार, कलाकार और चिंतक भाग लेंगे। इनमें पद्मभूषण राम बहादुर राय; प्रसिद्ध कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह; अभिनेता-निर्माता-निर्देशक डॉ. अन्नू कपूर; वरिष्ठ कथाकार नासिरा शर्मा; प्रख्यात शिक्षाविद् व व्यंजन विशेषज्ञ प्रो. पुष्पेश पंत; चर्चित शायर नवाज देवबंदी; सुप्रसिद्ध कवि व चिंतक बद्रीनारायण; दिग्गज कवि दिनेश कुशवाह; कवि व शायर आलोक श्रीवास्तव; कवि व उपन्यासकार नीलोत्पल मृणाल; प्रसिद्ध कथाकार गीताश्री; कवयित्री मणिका दुबे; कवि व लेखक यतीन्द्र मिश्र; कवि व शायर प्रताप सोमवंशी; कवि यतीश कुमार और कवयित्री अनामिका जैन ‘अंबर’ जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।
इस बारे में राणा यशवंत का कहना है, ‘हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, एक पुरानी और सम्पन्न संस्कृति भी है। यह अभिव्यक्ति के लिए शब्द ही नहीं देती बल्कि अचार, विचार, व्यवहार, सोच, संस्कार और पसंद सभी का सांचा भी गढ़ती है। इसी आधार पर एक पहचान का निर्माण होता है, इसे हिंदी समाज कहते हैं। एक परंपरा, परिवेश और संस्कृति में रचा-बसा विशाल समुदाय, भारत की बहुविध संस्कृति और बहुलताओं का मूल स्वर, प्राणवायु यही है।
मैंने ‘स्पंदन’ के लिए हिंदी को इसी अर्थ में हिंदी रखा है। ‘हिंदी’ की समृद्धि और विस्तार भारत की सबलता और समरसता के पोषक-तत्व हैं। साहित्य, सिनेमा, मीडिया (सोशल मीडिया समेत) सरकारों के प्रयास, प्रवासी हिंदी समाज और हिंदी के लोक (गीत, कला, पर्व आदि) जैसे माध्यमों की ‘हिंदी’ के विकास-विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
‘स्पंदन’ हिंदी समाज और उसकी संस्कृति के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करने का प्रयास है। समय के साथ आए दबावों और बदलावों पर भी गंभीर चर्चा सर्वथा आवश्यक है।
हिंदी जो एक सांस्कृतिक पहचान है, उसकी आत्मा हिंदी भाषा है। कई राजनीतिक कारणों से हिंदी को वह गति नहीं मिली जो मिलनी चाहिए। हाल ही में महाराष्ट्र में हिंदी विरोध सर्वथा अनुचित था। दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में हिंदी त्यक्त और तिरस्कृत रही है। डिजिटल दुनिया, निजी स्कूलों और बाहरी प्रभावों के कारण भी हिंदी के सामने कुछ गंभीर प्रश्न खड़े हुए हैं।
‘स्पंदन’ हिंदी भाषा, समाज और उसकी संस्कृति के प्रवाह, विस्तार और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करने का प्रयास है। ‘स्पंदन’, ‘हिंदी’ की उपलब्धि, संभावना और चुनौती पर परिचर्चा के साथ-साथ हिंदी समाज के ख़तरों पर विमर्श का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह मंच आपका है, हम सभी का है। आपके साथ, सहयोग और समर्थन के लिए ‘‘स्पंदन’ का निमंत्रण स्वीकार करें।’
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए व रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आप यहां देख सकते हैं।
डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया।
मीडिया और शैक्षिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, डॉ. बिकाश बनर्जी (Dr. Bikash Banerjee) का हाल ही में निधन हो गया है। डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया और कॉर्पोरेट मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ABP लिमिटेड में मार्केटिंग मैनेजर (1981-1996) के तौर पर की। इसके बाद उन्होंने Vibrant Media के CEO, Mid-Day Multimedia के COO, बिजनेस स्टैंडर्ड के वाइस प्रेजिडेंट और दैनिक भास्कर समूह के बिजनेस हेड जैसे अहम पदों पर काम किया। वर्ष 2009 में उन्होंने Repertoire Media Marketing Consultants की शुरुआत की और वर्ष 2016 तक मीडिया सेल्स, मार्केटिंग स्ट्रैटेजी और ट्रेनिंग में नेतृत्व प्रदान किया।
इसके साथ ही, डॉ. बनर्जी ने शैक्षिक क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दीं। पिछले 14 वर्षों से वे देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत रहे और युवाओं को मार्केटिंग, बिजनेस स्ट्रैटेजी और मीडिया के क्षेत्र में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कॉर्पोरेट आइडेंटिटी मैनेजमेंट में Ph.D. की, जिसमें उन्होंने भारतीय SMEs के लिए कॉर्पोरेट प्रैक्टिस और अकादमिक शोध को जोड़ने का काम किया।
डॉ. बनर्जी ने बोर्डरूम और क्लासरूम दोनों में एक अमिट छाप छोड़ी। समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. बनर्जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं।
iTV न्यूज नेटवर्क में एग्जिक्यूटिव एडिटर एवं इंडिया न्यूज (MP/CG) चैनल के हेड मनोज मनु को केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया है।
इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। यह समिति हिंदी भाषा को सरकारी कामकाज में बढ़ावा देने और आधिकारिक भाषा नीतियों को लागू करने में सलाह देती है। सरकार की ओर से जारी गजट अधिसूचना में मनोज मनु का नाम गैर-सरकारी सदस्यों की सूची में शामिल है। वह दूरसंचार विभाग द्वारा नामित सदस्यों में से एक हैं।
समिति का गठन 29 अगस्त 2025 को किया गया। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं। समिति का मुख्य काम संविधान और आधिकारिक भाषा अधिनियम के तहत हिंदी के प्रयोग को बढ़ाना है, खासकर दूरसंचार विभाग और उसके अधीनस्थ संगठनों में।
समाचार4मीडिया से बातचीत में मनोज मनु ने इस नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा कि वे हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान देंगे। बता दें कि यह नियुक्ति 18वीं लोकसभा के गठन के बाद समिति के पुनर्गठन का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इससे हिंदी को और मजबूती मिलेगी।
इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
फरीदाबाद स्थित मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज के विभाग स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज एंड ह्यूमैनिटीज में 10 सितंबर 2025 को यानी आज एक विशेष कार्यक्रम होगा। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की किताब ‘Harivansh’s Experiment with AD-Vocacy Journalism — From Ads to Action, Words to Change’ का विमोचन किया जाएगा। इसके साथ ही इस पर चर्चा का आयोजन भी किया जाएगा।
इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान "Advocacy Journalism" विषय पर एक संवाद सत्र भी होगा, जिसमें पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारियों और जनहित में विज्ञापन की भूमिका पर विचार रखे जाएंगे।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति और डीन भी मंच साझा करेंगे। इसके अलावा, डॉ. अनुराग बत्रा छात्रों और संकाय को “The Role of Public Service Advertising in Media as a Catalyst for Social Change” विषय पर 10 मिनट का संबोधन देंगे।
यह किताब हरिवंश जी के पत्रकारिता सफर को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने रिपोर्टिंग से आगे बढ़कर जनसरोकारों के मुद्दों को केंद्र में रखते हुए पत्रकारिता को एक सामाजिक बदलाव के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है।
कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए
कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत पत्रकारों को डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण में सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक नोट में कहा गया कि यह प्रशिक्षण इंफोसिस के CSR प्रोग्राम स्प्रिंगबोर्ड के तहत किया जाएगा और यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। यह समझौता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उपस्थिति में हुआ।
इंफोसिस के सीनियर वाइस-प्रेजिडेंट और हेड ऑफ एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड असेसमेंट, सतीशा बी. नंजप्पा ने कहा, “मीडिया एकैडमी को स्प्रिंगबोर्ड के डिजिटल कंटेंट तक पहुंच मिलेगी और पत्रकार सॉफ्ट स्किल्स, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीनतम तकनीकों की जानकारी से संबंधित लर्निंग कंटेंट से लाभान्वित हो सकेंगे। यह कार्यक्रम टियर 2 और टियर 3 शहरों के पत्रकारों की मदद करेगा।”
इस कार्यक्रम का लक्ष्य इस साल 150 पत्रकारों को प्रशिक्षित करना है और इसमें तीन दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा, जिसमें डिजिटल मीडिया स्किल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और पर्सनालिटी डेवलपमेंट कवर किया जाएगा। वहीं, एक बैच विशेष रूप से महिला पत्रकारों को प्रशिक्षित करने के लिए जेंडर बजट के तहत समर्पित होगा।
एकैडमी की चेयरपर्सन आयशा खानम ने कहा कि यह प्रशिक्षण पत्रकारों को तकनीकी विशेषज्ञता और स्टोरीटेलिंग की उस दक्षता से लैस करेगा, जो आज के तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में आवश्यक है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार और 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने द टेलीग्राफ के एडिटर और गिल्ड के वरिष्ठ सदस्य संकर्षण ठाकुर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। 63 वर्षीय ठाकुर का सोमवार को गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया।
गिल्ड ने शोक संदेश में ठाकुर को “एक सशक्त पत्रकार और लेखक” बताया और कहा कि वे अपनी निडर रिपोर्टिंग और पैनी लेखनी के लिए जाने जाते थे। एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, “संकर्षण ठाकुर का निधन भारतीय पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है। हालांकि, उनके लेखन और पेशेवर उत्कृष्टता की गूंज आगे भी बनी रहेगी और यह आने वाले पत्रकारों के लिए हमेशा एक मानक बनी रहेगी।”
दिग्गज पत्रकार जनार्दन ठाकुर के पुत्र संकर्षण ठाकुर ने भारतीय पत्रकारिता में अपनी अलग राह बनाई। उन्होंने कई चर्चित किताबें लिखीं, जिनमें The Brothers Bihari (लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पर आधारित), Subaltern Saheb: Bihar and the Making of Laloo Yadav और Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar शामिल हैं।
संकर्षण ठाकुर ने अपने करियर की शुरुआत Sunday मैगजीन से की और बाद में The Telegraph, The Indian Express और The Hindu से जुड़े। बाद में वे The Telegraph लौटे और इसके एडिटर बने। जमीनी रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध ठाकुर ने भारत की कई अहम घटनाओं को कवर किया, जिनमें कारगिल युद्ध, भोपाल गैस त्रासदी, 1984 के सिख विरोधी दंगे, इंदिरा गांधी की हत्या, कश्मीर और श्रीलंका के जटिल हालात, बिहार और पाकिस्तान की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां शामिल थीं।
पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए उन्हें 2001 में प्रेम भाटिया अवॉर्ड (राजनीतिक रिपोर्टिंग) और 2003 में अप्पन मेनन फैलोशिप से सम्मानित किया गया।
एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष आनंद नाथ, महासचिव रुबेन बनर्जी और कोषाध्यक्ष के. वी. प्रसाद ने इस संदेश पर हस्ताक्षर करते हुए संकर्षण ठाकुर को ऐसे पत्रकार के रूप में याद किया, जिनकी पेशेवर प्रतिबद्धता और लेखन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
Condolence Message on the Passing of Mr. Sankarshan Thakur pic.twitter.com/ig0j52g1BY
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) September 8, 2025
जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है।
जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 63 वर्षीय ठाकुर कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार थे। उन्हें पहले डेंगू हुआ, जिसके बाद फेफड़ों के कैंसर का पता चला। मेदांता अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया, लेकिन सर्जरी के 48 घंटे बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और अंततः उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
संकर्षण ठाकुर लंबे समय से द टेलीग्राफ से जुड़े रहे और वर्तमान में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे थे। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने गहरा दुख व्यक्त किया। चौबे ने ट्वीट में लिखा, “संकर्षण ठाकुर के निधन की खबर से बेहद आहत हूं। वे कई सालों से मेरे मित्र थे। उनका ज्ञान, गंभीरता और हाजिरजवाबी हमेशा याद रखी जाएगी। उनके द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लिखा गया मशहूर हेडलाइन—‘A man who has conscience on call’—हमेशा मेरी पसंदीदा रहेगी।”
Devastated to hear the news of @SankarshanT passing away. A friend for many years,his wit/ knowledge and gravity will be remembered for many years. His most famous and my favourite headline will always be on @NitishKumar “ A man who has conscience on call “. #RIP pic.twitter.com/Rb6CuNxRvX
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) September 8, 2025
राजनीतिक पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2001 में उन्हें ‘प्रेम भाटिया’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2003 में कश्मीर पर एक किताब पर काम करने के लिए उन्हें अप्पन मेनन फ़ेलोशिप भी मिली थी।
जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ (The Telegraph) के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 63 वर्षीय संकर्षण ठाकुर कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे।
संकर्षण ठाकुर को पहले डेंगू हुआ, फिर पता चला कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर था। उनका इलाज (ऑपरेशन) मेदांता अस्पताल में हुआ, लेकिन ऑपरेशन के 48 घंटे बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा, फिर भी उन्हें बचाया न जा सका।
संकर्षण ठाकुर करीब दो साल से इस पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। संकर्षण ठाकुर इससे पहले इस अखबार में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
संकर्षण ठाकुर को मीडिया में काम करने का करीब चार दशक का अनुभव था। संकर्षण ठाकुर ने वर्ष 1984 में ‘संडे’ मैगजीन के साथ मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी। पूर्व में वह ‘द टेलिग्राफ’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (Indian Express) में एसोसिएट एडिटर रह चुके थे। इसके अलावा वह बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर वर्ष 2004 में ‘तहलका’ साप्ताहिक की लॉन्चिंग टीम में भी शामिल रहे थे। इसके बाद वह ‘द टेलिग्राफ’ में वापस लौट आए थे।
संकर्षण ठाकुर ने बिहार और कश्मीर को व्यापक रूप से कवर किया था। राजनीतिक पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2001 में उन्हें ‘प्रेम भाटिया’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही वर्ष 2003 में कश्मीर पर एक किताब पर काम करने के लिए उन्हें अप्पन मेनन फ़ेलोशिप भी मिली थी।
संकर्षण ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर ‘The Making of Laloo Yadav, The Unmaking of Bihar’ नाम से किताब लिख चुके थे। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आत्मकथा ‘Single Man: The Life & Times of Nitish Kumar of Bihar’ भी लिखी है। इसके अलावा उन्होंने एक किताब ‘The Brothers Bihari’ में संयुक्त रूप से लालू यादव और नीतीश कुमार की बायोग्राफी लिखी है। उन्होंने कारगिल युद्ध, पाकिस्तान और उत्तर प्रदेश में ऑनर किलिंग (Honour Killing) पर मोनोग्राफ प्रकाशित किए थे।
मूल रूप से पटना के रहने वाले संकर्षण ठाकुर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘द हिंदू’ कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की। वह देश में संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild of India) के मेंबर भी थे।
इस दुखद समाचार के बाद मीडिया जगत, मित्रों और शुभचिंतकों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्राप्त हो।
दीवान अरुण नंदा ने लगभग 50 वर्षों तक रेडिफ्यूजन का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने एजेंसी की जिम्मेदारी छोड़ दी थी।
विज्ञापन जगत के दिग्गज और जानी-मानी विज्ञापन एजेंसी ‘रेडिफ्यूजन’ (Rediffusion) के पूर्व चेयरमैन दीवान अरुण नंदा का निधन हो गया है। वह 76 वर्ष के थे। दीवान अरुण नंदा ने लगभग 50 वर्षों तक रेडिफ्यूजन का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने एजेंसी की जिम्मेदारी छोड़ दी थी।
इसके बाद एजेंसी के बोर्ड की चेयरमैनशिप डॉ. संदीप गोयल को सौंपी गई थी, जिन्होंने कई वर्षों तक सीधे दीवान अरुण नंदा के अधीन काम किया था। बता दें कि दीवान अरुण नंदा 1966 में IIM-A के पहले बैच के पहले गोल्ड मेडलिस्ट रहे थे।
वह ‘हिंदुस्तान लीवर’ (Hindustan Lever) द्वारा भर्ती किए गए प्रबंधन प्रशिक्षुओं (मैनेजमेंट ट्रेनी) के पहले बैच में भी शामिल थे। इसके बाद वह वर्ष 1973 में ‘रेडिफ्यूजन’ की स्थापना के लिए उस समय की सबसे क्रिएटिव शॉप ‘एमसीएम’ (MCM) में चले गए।
दो बार ‘एडवर्टाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (AAAI) के प्रेजिडेंट और वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड हासिल कर चुके दीवान अरुण नंदा ‘एयर इंडिया‘, ‘एवररेडी‘, ‘किंगफिशर एयरलाइंस‘, ‘यस बैंक‘ समेत कई जानी-मानी कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रहे थे।
वर्ष 1983 से 1991 तक वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार रह चुके थे। इसके अलावा वह दो विज्ञापन दिग्गज के एशियन जॉइंट वेंचर ‘Dentsu Young & Rubicam’ के चेयरमैन भी रह चुके थे