समिति के सदस्यों ने 'इंडिया इंटरनेशनल सेंटर' में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ ग्रहण की। इस दौरान पत्रकारिता की साख, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को फिर से मजबूत करने का संकल्प लिया गया
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
पिछले दिनों गठित ‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ (Editors Club Of India) की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की घोषणा कर दी गई है। समिति के सदस्यों ने दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ ग्रहण की। यह कार्यक्रम पत्रकारिता की साख, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को फिर से मजबूत करने के संकल्प का प्रतीक बना। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।

इस मौके पर ‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ के प्रेजिडेंट अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा, ‘आज पत्रकारिता राजनीतिक, तकनीकी और कारोबारी दबावों से गुजर रही है। ऐसे समय में एडिटर की भूमिका और जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। जब सूचना अनगिनत हो, भ्रम भी बढ़ता है। ऐसे समय में एडिटर सिर्फ खबर का नहीं, सत्य का संरक्षक होता है।’
इसके साथ ही उनका यह भी कहना था, ’यह संगठन एक मजबूत, निष्पक्ष और भरोसेमंद मंच बनेगा, जो एडिटर्स को तकनीकी, कानूनी और पेशेवर चुनौतियों में मदद देगा। हम किसी संस्था से लड़ने नहीं आए हैं, हम पत्रकारिता का भविष्य सुरक्षित करने आए हैं।’

शपथ ग्रहण के दौरान 32 सदस्यों को शामिल किया गया। 10 सदस्यीय नई कमेटी इस प्रकार हैं।
1-सीनियर वाइस प्रेजिडेंट – संजय गोस्वामी
2-जनरल सेक्रेटरी – डॉ. सुनील कौशिक
3-कोषाध्यक्ष – सतेन्द्र भाटी
4-संगठन सचिव – नरेश वशिष्ठ
5-वाइस प्रेजिडेंट– अरविंद सिंह
6-वाइस प्रेजिडेंट – आलोक कुमार द्विवेदी
7-ज्वाइंट सेक्रेटरी – पूनम मिश्रा
8-ज्वाइंट सेक्रेटरी – आशीष कुमार ध्यानी
9-एनआरआई/इंटरनेशनल कोऑर्डिनेटर – डॉ. चन्द्रसेन वर्मा
10-आईटी एवं डिजिटल हेड – संजय नारायण सिंह
इस मौके पर सीनियर वाइस प्रेजिडेंट संजय गोस्वामी ने कहा, ‘आज डिजिटल मीडिया, फेक न्यूज, राजनीतिक ध्रुवीकरण और विज्ञापन के दबावों ने एडिटर की भूमिका को मुश्किल बना दिया है। जानकारी ज्यादा है, लेकिन सत्य कम दिखाई देता है। इसलिए आज की परीक्षा सबसे कठिन है।’ उन्होंने एडिटर सेफ्टी, फेक न्यूज रोकथाम और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने की घोषणा की।
वहीं, जनरल सेक्रेटरी डॉ. सुनील कौशिक ने कहा कि संगठन का लक्ष्य पूरे देश के एडिटर्स को एक मंच पर लाना और पत्रकारिता को सम्मान व स्वतंत्रता दिलाना है। उन्होंने कहा, ‘हम संघर्ष से पीछे नहीं हटते, लेकिन हमारी प्राथमिकता सिर्फ सत्य की रक्षा करना है।’
ज्वाइंट सेक्रेटरी पूनम मिश्रा ने कहा कि महिला पत्रकारों के लिए सुरक्षा, सम्मान और नेतृत्व के अवसर सुनिश्चित करना संगठन की प्राथमिकता है। एक सुरक्षित महिला ही सबसे मजबूत पत्रकार होती है।
कार्यक्रम के अंत में एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया ने 10 राष्ट्रीय प्राथमिकताएं-एडिटर सेफ्टी, प्रेस फ्रीडम, नैतिक पत्रकारिता, फेक न्यूज के खिलाफ अभियान, डिजिटल स्किल डेवलपमेंट, महिला पत्रकार सशक्तिकरण, युवा एडिटर ट्रेनिंग, कानूनी सहायता, राष्ट्रीय संवाद विस्तार और मीडिया-पब्लिक रिलेशन में पारदर्शिता तय कीं।
इफको ने वर्ष 2025 के साहित्य सम्मान की घोषणा करते हुए वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा और युवा लेखिका अंकिता जैन को ग्रामीण-कृषि जीवन पर केंद्रित रचनात्मक योगदान के लिए सम्मानित किया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
नई दिल्ली में आयोजित एक गरिमामय समारोह में वर्ष 2025 के इफको साहित्य सम्मान और इफको युवा साहित्य सम्मान प्रदान किए गए। उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख सहकारी संस्था इफको द्वारा यह सम्मान ग्रामीण और कृषि जीवन को केंद्र में रखने वाले लेखन के लिए दिया जाता है।
इस वर्ष वरिष्ठ हिंदी कथाकार मैत्रेयी पुष्पा को इफको साहित्य सम्मान से नवाजा गया, जबकि युवा साहित्य सम्मान अंकिता जैन को उनकी चर्चित पुस्तक ओह रे! किसान के लिए प्रदान किया गया। सम्मान समारोह 30 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के कमानी सभागार में आयोजित हुआ, जहां इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने दोनों लेखिकाओं को सम्मानित किया।
मैत्रेयी पुष्पा का साहित्य ग्रामीण परिवेश, स्त्री जीवन और सामाजिक यथार्थ की गहरी पड़ताल के लिए जाना जाता है। बुंदेलखंड की पृष्ठभूमि से उपजे उनके उपन्यास और कहानियां हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखती हैं। निर्णायक समिति ने उनके व्यापक साहित्यिक अवदान और बदलते भारतीय समाज के यथार्थ को सशक्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए उन्हें चुना।
वहीं अंकिता जैन ने लेखन के साथ-साथ कृषि और सामाजिक सरोकारों को भी अपनी रचनाओं से जोड़ा है। ओह रे! किसान सहित उनकी पुस्तकों में समकालीन ग्रामीण संघर्षों और संवेदनाओं की स्पष्ट झलक मिलती है। इफको द्वारा 2011 से दिए जा रहे इस सम्मान के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकार को प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और ग्यारह लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाती है। समारोह में साहित्य, शिक्षा और कला जगत के अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
अपनी इस भूमिका में नवीन कुमार चैनल के पूरे प्रोडक्शन वर्कफ्लो की जिम्मेदारी संभालेंगे। वह यह सुनिश्चित करेंगे कि कंटेंट का निर्माण और प्रसारण बिना किसी रुकावट के और उच्च गुणवत्ता के साथ हो।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज इंडिया 24X7’ ने नवीन कुमार को अपना नया प्रोडक्शन हेड नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में नवीन कुमार चैनल के पूरे प्रोडक्शन वर्कफ्लो की जिम्मेदारी संभालेंगे। वह यह सुनिश्चित करेंगे कि कंटेंट का निर्माण और प्रसारण बिना किसी रुकावट के और उच्च गुणवत्ता के साथ हो।
नवीन कुमार को मीडिया इंडस्ट्री में काम करने का 20 साल से ज्यादा का अनुभव है। वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक डिजाइन, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, कैमरा और साउंड ऑपरेशंस जैसे क्षेत्रों में उनकी गहरी पकड़ है। बड़े प्रोजेक्ट्स और टीम मैनेजमेंट का उनका अनुभव चैनल की एडिटोरियल विजन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।
नवीन कुमार का प्रोफेशनल सफर काफी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने ‘द अमेजिंग स्पाइडरमैन’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘किंग कॉन्ग’ जैसी बड़ी फिल्मों के लिए काम किया है। वह अरिजीत सिंह, पापोन और टी.एन. कृष्णन जैसे नामी कलाकारों के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके साथ ही नवीन ने सोनी टीवी, ओला और नेक्सा जैसे बड़े ब्रैंड्स के लिए विज्ञापन फिल्में भी तैयार की हैं।
‘न्यूज इंडिया’ से पहले नवीन कुमार स्टार न्यूज, ईगल होम एंटरटेनमेंट और पेज 3 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े रहे हैं। यहां उन्होंने वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक डिजाइन और प्रोडक्शन मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो नवीन कुमार मुजफ्फरपुर के आरडीएस कॉलेज से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। इसके साथ ही उनके पास मल्टीमीडिया और एडिटिंग में डिप्लोमा भी है।
नवीन कुमार की नियुक्ति के बारे में इस मौके पर ‘न्यूज इंडिया’ के चेयरमैन शैलेन्द्र शर्मा (शालू) और सीईओ एवं एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत ने कहा, ‘हमें नवीन कुमार का अपनी टीम में स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। प्रोडक्शन के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव चैनल के लिए एक बड़ी ताकत साबित होगा। हमें पूरा भरोसा है कि वे हमारे कंटेंट को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाएंगे।’
जिस AI को कुछ साल पहले तक भविष्य की तकनीक माना जाता था, वह 2025 में मीडिया इंडस्ट्री की रोजमर्रा की प्रक्रिया में शामिल हो गया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
साल 2025 भारतीय मीडिया के इतिहास में एक ऐसे मोड़ के रूप में दर्ज हुआ, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं रहा, बल्कि न्यूजरूम, कंटेंट प्रोडक्शन और ऑडियंस एंगेजमेंट का सक्रिय हिस्सा बन गया। जिस AI को कुछ साल पहले तक भविष्य की तकनीक माना जाता था, वह 2025 में मीडिया इंडस्ट्री की रोजमर्रा की प्रक्रिया में शामिल हो गया। इसने काम को तेज, सस्ता और डेटा-आधारित बनाया, लेकिन साथ ही पत्रकारिता की विश्वसनीयता, रोजगार और नैतिकता को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े किए।
2025 में अधिकांश बड़े मीडिया हाउसेज ने AI टूल्स को न्यूजरूम के अलग-अलग स्तरों पर अपनाया। हेडलाइन सजेशन, ब्रेकिंग न्यूज अलर्ट, सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो सबटाइटल, ट्रांसलेशन और यहां तक कि शुरुआती ड्राफ्ट तैयार करने में AI का इस्तेमाल आम हो गया। इससे पत्रकारों का समय बचा और न्यूज साइकल पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गया।
जहां पहले एक खबर को तैयार करने, एडिट करने और पब्लिश करने में घंटों लगते थे, वहीं AI की मदद से यह प्रक्रिया मिनटों में पूरी होने लगी। डेटा जर्नलिज्म और ट्रेंड एनालिसिस में AI ने रिपोर्टर्स को यह समझने में मदद की कि किस खबर पर पाठकों की दिलचस्पी ज्यादा है और किस एंगल से स्टोरी पेश की जानी चाहिए।
AI की वजह से कंटेंट की मात्रा में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। 2025 में डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पहले से कहीं ज्यादा खबरें, वीडियो, रील्स और एक्सप्लेनर्स देखने को मिले। यह बदलाव दर्शकों के लिए विकल्पों की भरमार लेकर आया, लेकिन इसी के साथ कंटेंट की गुणवत्ता और गहराई पर सवाल भी उठे।
आलोचकों का मानना है कि AI-जनरेटेड या AI-असिस्टेड कंटेंट कई बार सतही होता है और उसमें जमीनी रिपोर्टिंग, मानवीय संवेदना और संदर्भ की कमी महसूस होती है। खासकर ब्रेकिंग न्यूज के दबाव में तथ्यात्मक गलतियों और आधी-अधूरी सूचनाओं के मामले भी सामने आए।
2025 में AI ने मीडिया के सामने एक नई चुनौती भी रखी—डीपफेक, सिंथेटिक वीडियो और फर्जी ऑडियो क्लिप्स। चुनावों और संवेदनशील राजनीतिक घटनाओं के दौरान AI-जनरेटेड फेक कंटेंट तेजी से वायरल हुआ, जिसने मीडिया की विश्वसनीयता को खतरे में डाला।
हालांकि इसी AI ने इस खतरे से लड़ने का रास्ता भी दिखाया। कई मीडिया संस्थानों ने AI-आधारित डीपफेक डिटेक्शन टूल्स अपनाए, जो वीडियो और ऑडियो की प्रामाणिकता जांचने में मदद करते हैं। फैक्ट-चेकिंग डेस्क पहले से ज्यादा टेक-सैवी हुई और गलत सूचनाओं को पकड़ने की गति भी बढ़ी।
AI के बढ़ते इस्तेमाल का सबसे बड़ा डर पत्रकारों की नौकरियों को लेकर रहा। 2025 में कई मीडिया संस्थानों ने कॉस्ट कटिंग के तहत सब-एडिटिंग, ट्रांसलेशन और कंटेंट रीपर्पजिंग जैसे कामों में AI का सहारा लिया, जिससे कुछ भूमिकाएं सीमित हुईं। लेकिन इसी के साथ नए रोल्स भी उभरे- AI एडिटर, डेटा जर्नलिस्ट, ऑडियंस एनालिस्ट और मीडिया ट्रेनर जैसे पदों की मांग बढ़ी। यह साफ हो गया कि AI पत्रकारों की जगह पूरी तरह नहीं ले रहा, बल्कि स्किल सेट बदल रहा है। जो पत्रकार तकनीक के साथ खुद को ढाल पाए, उनके लिए नए अवसर खुले।
2025 में मीडिया में AI के बढ़ते उपयोग ने नैतिकता से जुड़े गंभीर सवाल भी खड़े किए। क्या AI से लिखी खबरों को पाठकों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए? क्या एल्गोरिदम तय करेगा कि कौन सी खबर ज्यादा महत्वपूर्ण है? और क्या इससे एजेंडा संचालित पत्रकारिता को बढ़ावा मिलेगा?
कई मामलों में यह देखा गया कि एल्गोरिदम ऑडियंस एंगेजमेंट के नाम पर सनसनीखेज या ध्रुवीकरण वाली खबरों को प्राथमिकता देने लगे। इससे पत्रकारिता के मूल सिद्धांत- सार्वजनिक हित, संतुलन और जिम्मेदारी पर बहस तेज हुई।
2026 की ओर बढ़ते हुए यह स्पष्ट है कि AI मीडिया से हटने वाला नहीं है, बल्कि और गहराई से इसमें शामिल होगा। आने वाले समय में AI केवल सपोर्ट टूल नहीं, बल्कि रणनीतिक निर्णयों का हिस्सा बनेगा। कंटेंट प्लानिंग, ऑडियंस प्रेडिक्शन और पर्सनलाइज्ड न्यूज फीड में AI की भूमिका और मजबूत होगी।
हालांकि 2026 में यह भी उम्मीद की जा रही है कि AI के इस्तेमाल को लेकर रेगुलेशन और गाइडलाइंस ज्यादा स्पष्ट होंगी। मीडिया संगठनों पर यह दबाव बढ़ेगा कि वे पारदर्शिता बनाए रखें और यह स्पष्ट करें कि कहां और कैसे AI का उपयोग किया गया है।
AI के बढ़ते प्रभाव के बीच एक बात साफ होती जा रही है- ग्राउंड रिपोर्टिंग, खोजी पत्रकारिता और मानवीय कहानियों का महत्व और बढ़ेगा। AI डेटा प्रोसेस कर सकता है, लेकिन समाज की जटिलताओं, भावनाओं और नैतिक सवालों को समझने की क्षमता अभी भी इंसान के पास ही है।
2026 में वही मीडिया संस्थान आगे रहेंगे, जो AI को प्रतिस्थापन नहीं बल्कि सहयोगी के रूप में अपनाएंगे। टेक्नोलॉजी और इंसानी विवेक के संतुलन से ही भरोसेमंद पत्रकारिता संभव होगी।
2025 में मीडिया में AI की एंट्री न तो पूरी तरह वरदान साबित हुई और न ही पूरी तरह अभिशाप। इसने जहां काम को आसान और तेज बनाया, वहीं पत्रकारिता की आत्मा को लेकर नई बहसें भी खड़ी कीं। 2026 में मीडिया का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि AI का इस्तेमाल किस उद्देश्य और किस जिम्मेदारी के साथ किया जाता है।
अगर AI को पारदर्शिता, नैतिकता और सार्वजनिक हित के साथ जोड़ा गया, तो यह मीडिया को ज्यादा मजबूत और प्रभावी बना सकता है। लेकिन अगर इसे केवल मुनाफे और गति का साधन बनाया गया, तो भरोसे की कीमत चुकानी पड़ सकती है। मीडिया के लिए असली चुनौती तकनीक नहीं, बल्कि उसके सही इस्तेमाल की है।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस पुराने फैसले को पलट दिया है
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस पुराने फैसले को पलट दिया है, जिसमें Culver Max Entertainment की ओर से ओडिशा की फिनटेक कंपनी Rechargekit Fintech के खिलाफ दायर की गई दिवालिया याचिका खारिज कर दी गई थी। अब NCLAT ने इस मामले में दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है।
दरअसल, अप्रैल 2024 में NCLT ने यह कहकर याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि Culver Max ने याचिका दाखिल करते समय बोर्ड रिजॉल्यूशन या साफ तौर पर अधिकृत दस्तावेज पेश नहीं किए थे। इस फैसले के खिलाफ Culver Max ने NCLAT में अपील की और कहा कि तकनीकी कमी होने पर याचिकाकर्ता को उसे ठीक करने का मौका दिया जाना चाहिए था। NCLAT ने इस दलील से सहमति जताई और कहा कि सिर्फ तकनीकी खामियों के आधार पर याचिका खारिज करना सही नहीं है।
NCLAT की दो सदस्यीय बेंच ने स्पष्ट किया कि पहले तकनीकी कमियों को दूर करने का मौका दिया जाना चाहिए था। अब यह मामला NCLT की कटक बेंच को वापस भेज दिया गया है, जहां कमियां दूर होने के बाद याचिका पर दोबारा मेरिट के आधार पर सुनवाई होगी। ट्रिब्यूनल ने यह भी साफ किया कि उसका यह फैसला सिर्फ प्रक्रिया से जुड़ा है और दिवालिया दावे के असली मुद्दे पर कोई राय नहीं दी गई है।
इन विवादों ने न सिर्फ मीडिया के कामकाज और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए बल्कि प्रेस आजादी, तकनीकी मापदंड, सोशल प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी और कानूनी सीमाओं पर भी सामाजिक बहस छेड़ी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
भारतीय मीडिया इंडस्ट्री और डिजिटल कंटेंट जगत के लिए विवादों से भरा रहा। जहां एक ओर TRP माप प्रणाली को लेकर गंभीर आरोप और निर्णायकों में संशय पैदा हुआ, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया और डिजिटल कंटेंट पर FIRs, बैन और बहिष्कार की घटनाएं सुर्खियों में रहीं। इन विवादों ने न सिर्फ मीडिया के कामकाज और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए बल्कि प्रेस आजादी, तकनीकी मापदंड, सोशल प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी और कानूनी सीमाओं पर भी सामाजिक बहस छेड़ी।
TRP माप प्रणाली विवाद
स्कैम से पॉलिसी तक 2025 में मीडिया में TRP (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) विवाद की गूंज सबसे ज्यादा सुनाई दी।इस साल BARC India (Broadcast Audience Research Council) को लेकर गंभीर आरोप सामने आए कि एक कर्मचारी ने कथित रूप से टीवी रेटिंग को प्रभावित करने के लिए संवेदनशील डेटा का दुरुपयोग किया। एक मलयालम न्यूज चैनल ने आरोप लगाया कि BARC के एक कर्मचारी ने रेटिंग डेटा शेयर कर उसे बढ़ावा देने के लिए पेमेंट लिया, जिससे चैनल की TRP में अचानक वृद्धि दिखी। इस पर BARC ने एक स्वतंत्र फोरेंसिक ऑडिट नियुक्त किया और पूरी जांच शुरू की है। इसी मुद्दे ने लोकसभा में भी चर्चा पाई, जहां सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केरल पुलिस से FIR की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी, लेकिन किसी बड़े दंडात्मक कदम को इस स्तर पर नहीं बताया गया।
मीडिया इंडस्ट्री के अंदर भी TRP माप प्रणाली पर बहस तेज हुई, जिसमें सरकारी प्रस्ताव पर सवाल उठे कि क्या एक से ज्यादा रेटिंग एजेंसियों को अनुमति मिलनी चाहिए और क्या 'लैंडिंग पेज' दर्शकों को TRP में शामिल नहीं करना चाहिए। इन प्रस्तावों को लेकर ब्रॉडकास्टर्स ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं।
इन विवादों ने टीवी रेटिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया और विज्ञापन बाजार में भरोसे की टकराहट को उजागर किया।
2025 में डिजिटल मीडिया पर भी कई मामलों में FIR दर्ज और कानूनी कार्रवाई हुई। सबसे चर्चित विवादों में से एक था 'India’s Got Latent' शो से जुड़ा मामला। इस शो के एक एपिसोड में कुछ संक्षिप्त कंटेंट और मजाकिया टिप्पणियों के कारण सोशल मीडिया पर आलोचना हुई और महाराष्ट्र साइबर सेल ने Samay Raina समेत कुछ प्रसिद्ध YouTubers के खिलाफ FIR दर्ज की। बाद में कंटेंट को हटाया गया और विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, तथा देश भर में डिजिटल कंटेंट की सीमाओं और जिम्मेदारियों पर बहस शुरू हुई।
इसे लेकर यह बहस भी उठी कि डिजिटल क्रिएटर्स को किन नैतिक और कानूनी मानकों का पालन करना चाहिए, और क्या YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर सरकारी नियमन आवश्यक है।
एक अन्य मामला देहरादून में AI जनरेटेड वीडियो से जुड़ा था जिसमें एक पूर्व मुख्यमंत्री Harish Rawat को गलत और अपमानजनक तरीके से दिखाया गया वीडियो वायरल हुआ, जिस पर FIR दर्ज की गई। इस मामले में IT एक्ट और सार्वजनिक दुश्मनी फैलाने जैसी धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज हुआ।
ये FIRs न सिर्फ व्यक्तिगत गौरव और छवि से जुड़े मुद्दों को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि 2025 में AI द्वारा बनाये गए कंटेंट की सीमाओं को लेकर कानूनी चुनौतियाँ कैसे उत्पन्न हो रही हैं।
एक अन्य बड़ा विवाद प्रेस आजादी से जुड़ा रहा। 2025 में The Wire नामक स्वतंत्र समाचार वेबसाइट का देश में कुछ समय के लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया। यह प्रतिबंध उस खबर के बाद लगाया गया जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने भारत के एक विमान को मार गिराया, हालांकि बाद में यह सूचना विवादास्पद साबित हुई और मीडिया विवाद का केंद्र बनी। The Wire ने बताया कि इसे सरकार के आदेश पर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने प्रतिबंधित किया, जिससे प्रेस आजादी पर सवाल खड़े हुए। बाद में वेबसाइट पुनः सक्रिय कर दी गई।
जब The Wire ने सरकार के दो मंत्रालयों- MeitY (आईटी मंत्रालय) और MIB (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय) से पूछा कि वेबसाइट क्यों हटाई गई, तो जवाब में पता चला कि सरकार ने ब्लॉक करने का अनुरोध The Wire की एक खबर के आधार पर किया था। यह खबर पाकिस्तान द्वारा एक राफेल जेट गिराए जाने के दावे से जुड़ी थी, जिसे पहले CNN ने भी प्रकाशित किया था।
सरकार की ओर दिए गए जवाब में यह कहा गया कि तकनीकी कारणों की वजह से केवल उस एक खबर या वेब पेज को ब्लॉक करना संभव नहीं था। क्योंकि The Wire की वेबसाइट HTTPS पर चलती है, इसलिए टेलीकॉम कंपनियां किसी एक पेज को नहीं, बल्कि पूरी वेबसाइट को ही ब्लॉक कर सकती हैं। इसी वजह से पूरी साइट पर रोक लगाई गई थी, न कि सिर्फ उस विवादित खबर पर। यानी, सरकार का कहना है कि यह कंटेंट-विशेष कार्रवाई नहीं थी, बल्कि तकनीकी सीमा के कारण पूरी वेबसाइट ब्लॉक करनी पड़ी।
यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि 2025 में प्रेस आजादी, सरकारी नियंत्रण और सूचना की सटीकता के बीच का ताना-बाना किस तरह छानबीन और विवाद का विषय बना।
जहां मीडिया की सामग्री खुद विवादों में थी, वहीं सोशल मीडिया और दर्शकों ने भी कई चीजों का बायकॉट किया। 2025 में एशिया कप 2025 के प्रोमो को लेकर कुछ फैंस ने विरोध और बहिष्कार की बातें भी कीं, खासकर भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर कि क्या प्रोमो ठीक तरीके से प्रस्तुत किया गया। हालांकि यह मुख्य रूप से खेलों से जुड़ा विवाद था, पर सोशल मीडिया मीडिया आउटलेट्स की प्रस्तुति को लेकर भी आलोचना की।
प्रोमो में टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव, पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी को मैच खेलते हुए दर्शाया गया है और इसमें वीरेंद्र सहवाग भी थे। एशिया कप 2025 के प्रोमो के जरिए भारत बनाम पाकिस्तान मैच के रोमांच को फिर से बढ़ाने की कोशिश की गई थी। लेकिन पहलगाम हमले के बाद इस मैच को रद्द करने की मांग उठ रही थी, लेकिन फिर भी ये मैच हो रहा था। ऐसे में इस प्रोमो ने सोशल मीडिया पर फिर से तूफान खड़ा कर दिया।
इस प्रोमो पर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दीं। एक खेमा एशिया कप का बायकाट करने की बात कर रहे थे, तो दूसरा खेमा ब्रॉडकास्ट सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क की ही आलोचना कर रहे थे।
साल 2025 में मीडिया को लेकर एक बड़ा और संवेदनशील विवाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सामने आया। इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और संभावित सैन्य कार्रवाई को जिस तरह से कई न्यूज चैनलों ने दिखाया, उस पर गंभीर सवाल खड़े हुए।
कई टीवी चैनलों पर युद्ध जैसे हालात को सनसनीखेज ग्राफिक्स, स्टूडियो वॉर-मैप्स, एक्सक्लूसिव ब्रेकिंग और अपुष्ट सूचनाओं के जरिये प्रस्तुत किया गया। कुछ चैनलों ने तो बिना आधिकारिक पुष्टि के ही भारत-पाक युद्ध शुरू होने, एयर स्ट्राइक, सीमा पर जवाबी कार्रवाई जैसी सुर्खियाँ चला दीं। इससे न सिर्फ आम जनता में भ्रम की स्थिति बनी, बल्कि सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी इस तरह की रिपोर्टिंग को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक बताया।
इस कवरेज के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई पत्रकारों, मीडिया विश्लेषकों और आम दर्शकों ने आरोप लगाया कि कुछ चैनल TRP की दौड़ में जिम्मेदारी भूल गए और संवेदनशील सुरक्षा मामलों को 'तमाशा' बनाकर पेश किया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) को हस्तक्षेप करना पड़ा। सरकार ने सभी न्यूज चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस जारी कीं, जिनमें कहा गया कि:
सरकार की इन गाइडलाइंस के बाद कई चैनलों को अपनी कवरेज में बदलाव करना पड़ा और कुछ मामलों में चेतावनी भी जारी की गई। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया कि संकट और युद्ध जैसे हालात में मीडिया की भूमिका सूचना देने की है या सनसनी फैलाने की।
इन विवादों ने व्यापक रूप से मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए, फिर चाहे वह TRP माप प्रणाली हो, डिजिटल कंटेंट की जिम्मेदारी हो या सरकारी प्रतिबंध। 2025 में ये मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि मीडिया अब सिर्फ खबरों का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं, बल्कि विश्वसनीयता, नैतिकता और जवाबदेही के सवालों के केंद्र में है।
इस तरह की मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो लगता है कि 2025 का साल दर्शकों, पत्रकारों और सरकार के बीच समय के साथ बदलती तकनीक, मापदंड और कानूनी फ्रेमवर्क के बीच सामंजस्य की आवश्यकता को उजागर करने वाला रहा।
2025 में मीडिया विवाद केवल सुर्खियों का विषय नहीं रहे, बल्कि उन्होंने TRP, FIR, बैन और बायकॉट जैसे मुद्दों को सामने लाकर यह दिखाया कि आज की मीडिया दुनिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की अपेक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। इन विवादों ने मीडिया इंडस्ट्री को खुद जांचने, सुधारने और आगे बढ़ने का एक मौका दिया है, एक ऐसा मौका जो आने वाले वर्षों में मीडिया की भूमिका और दिशा को प्रभावित करेगा।
जयाबलन जयकुमार 64 साल के अनुभवी प्रोफेशनल हैं और फिल्म प्रोड्यूसर के तौर पर उन्हें करीब 20 साल का अनुभव है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
मीडिया वन ग्लोबल एंटरटेनमेंट लिमिटेड की 24 दिसंबर को हुई बोर्ड मीटिंग में एक अहम फैसला लिया गया। दरअसल, कंपनी के बोर्ड ने सर्वसम्मति से जयाबलन जयकुमार को कंपनी का अतिरिक्त डायरेक्टर (एग्जिक्यूटिव) नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। उनकी नियुक्ति 24 दिसंबर 2025 से प्रभावी हो गई है।
जयाबलन जयकुमार 64 साल के अनुभवी प्रोफेशनल हैं और फिल्म प्रोड्यूसर के तौर पर उन्हें करीब 20 साल का अनुभव है। कंपनी ने यह भी साफ किया है कि उनका बोर्ड के किसी अन्य डायरेक्टर से कोई पारिवारिक संबंध नहीं है।
कंपनी के अनुसार, जयाबलन जयकुमार पर सेबी या किसी अन्य नियामक संस्था की ओर से डायरेक्टर बनने पर कोई रोक नहीं है। कंपनी ने यह जानकारी सेबी के लिस्टिंग नियमों के तहत स्टॉक एक्सचेंज को दी गई है।
साल 2025 भारतीय और वैश्विक मीडिया इंडस्ट्री के लिए बेहद रोमांचक और उथल-पुथल भरा रहा। इस साल बड़ी कंपनियों ने भविष्य की मजबूती और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतिक हाथ मिलाए।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
साल 2025 भारतीय और वैश्विक मीडिया इंडस्ट्री के लिए बेहद रोमांचक और उथल-पुथल भरा रहा। इस साल बड़ी कंपनियों ने भविष्य की मजबूती और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीतिक हाथ मिलाए। टीवी, डिजिटल, ओटीटी और कंटेंट बिजनेस के क्षेत्र में जॉइंट वेंचर और मर्जर ने न सिर्फ कंपनियों के स्केल को बढ़ाया, बल्कि इंडस्ट्री की दिशा और रणनीति को भी नया आकार दिया।
कंपनियों ने अपनी पहुंच बढ़ाने, दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाने और डिजिटल बदलाव के दबाव का मुकाबला करने के लिए विभिन्न तरह के गठजोड़ किए। इस प्रक्रिया में कंटेंट लाइब्रेरी, तकनीकी प्लेटफॉर्म, विज्ञापन नेटवर्क और ब्रैंड वैल्यू को ध्यान में रखकर फैसले लिए गए, जिससे इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा और सहयोग का नया संतुलन बन पाया। परिणामस्वरूप, 2025 का साल मीडिया इंडस्ट्री के लिए बदलाव, अवसर और नए प्रारूपों के लिए आधारशिला साबित हुआ।
पूरी हो चुकी प्रमुख डील्स: जहां तस्वीर साफ रही
2025 की सबसे बड़ी और चर्चित मीडिया डील वाल्ट डिज्नी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच बना जॉइंट वेंचर रहा। डिज्नी ने भारत में अपने टीवी और डिजिटल बिजनेस को रिलायंस के साथ मिलाकर एक नई ताकत खड़ी की। स्टार इंडिया के चैनल्स, हॉस्टार और रिलायंस के वायकॉम18 नेटवर्क को एक छत के नीचे लाने का यह फैसला भारतीय मीडिया इतिहास के सबसे बड़े कंसॉलिडेशन में गिना गया।
इस जॉइंट वेंचर ने न सिर्फ टीवी और डिजिटल स्पेस में प्रतिस्पर्धा की परिभाषा बदली, बल्कि यह साफ संकेत दिया कि भारत में अकेले लड़ना अब वैश्विक कंपनियों के लिए आसान नहीं रहा। कंटेंट, स्पोर्ट्स राइट्स और टेक्नोलॉजी- तीनों मोर्चों पर स्केल ही असली ताकत बन चुका है।
मैडिसन मीडिया ने डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी HiveMinds का 100% अधिग्रहण पूरा कर लिया। इस डील के साथ HiveMinds पूरी तरह मैडिसन वर्ल्ड के नेटवर्क का हिस्सा बन गई। यह अधिग्रहण मैडिसन की डिजिटल और परफॉर्मेंस मार्केटिंग क्षमताओं को मजबूत करने की रणनीति का अहम हिस्सा माना गया।
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट ने डिजिटल मीडिया कंपनी पिंकविला का अधिग्रहण पूरा किया। इस कदम को कंटेंट-कॉमर्स और एंटरटेनमेंट आधारित कंज्यूमर इंगेजमेंट बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम माना गया। पिंकविला अब फ्लिपकार्ट के कंटेंट इकोसिस्टम का हिस्सा है।
सारेगमा ने Finnet Media का अधिग्रहण पूरा कर लिया, जिससे कंपनी का शॉर्ट-फॉर्म वीडियो और डिजिटल कंटेंट पोर्टफोलियो और मजबूत हुआ। यह डील खास तौर पर यंग डिजिटल ऑडियंस को ध्यान में रखकर की गई।
Yaap Digital ने GoZoop Online के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद GoZoop की डिजिटल और सोशल मीडिया क्षमताएं Yaap के नेटवर्क में समाहित हो गईं।
भारत की Connekkt Media ने हॉलीवुड की मार्केटिंग एजेंसी Mob Scene का अधिग्रहण पूरा किया। यह भारतीय एजेंसी द्वारा किया गया एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण माना गया, जिससे Connekkt की ग्लोबल मौजूदगी मजबूत हुई।
सैफायर मीडिया लिमिटेड ने 92.7 BIG FM रेडियो नेटवर्क का अधिग्रहण पूरा किया। इसके साथ ही रेडियो इंडस्ट्री में लंबे समय से चल रही अनिश्चितता का अंत हुआ।
वैश्विक ऐडवरटाइजिंग दिग्गज WPP ने डेटा कंपनी InfoSum का अधिग्रहण पूरा किया। यह डील कुकीलैस ऐडवर्टाइजिंग और डेटा कोलैबोरेशन के भविष्य को ध्यान में रखकर की गई।
नवंबर 2025 में Omnicom ने आधिकारिक तौर पर The Interpublic Group of Companies (IPG) के अधिग्रहण को पूरा करने की घोषणा की। सभी जरूरी रेगुलेटरी मंजूरियां मिलने और क्लोज़िंग कंडीशंस पूरी होने के बाद यह मेगा डील फाइनल हुई। इस अधिग्रहण के साथ Omnicom और IPG का संयोजन दुनिया की सबसे बड़ी मार्केटिंग और सेल्स कंपनी के रूप में उभरा।
भारत में 2025 की एक अहम लेकिन अपेक्षाकृत शांत डील NDTV द्वारा GoodTimes चैनल का अधिग्रहण रही। इस कदम को NDTV के न्यूज केंद्रित ब्रैंड से आगे बढ़कर लाइफस्टाइल और फीचर कंटेंट में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के तौर पर देखा गया। यह डील बताती है कि न्यूज नेटवर्क अब सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि दर्शकों के साथ लंबे समय तक जुड़ाव बनाने वाले कंटेंट सेगमेंट की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
A23 की पैरेंट कंपनी Head Digital ने Deltatech Gaming में 51% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। यह मेजॉरिटी स्टेक डील है, जिसमें ऑपरेशनल कंट्रोल Head Digital के पास गया, जबकि बाकी हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास बनी रही।
2025 में Sony Group ने मशहूर कॉमिक और एनिमेशन फ्रैंचाइजी Peanuts में बहुमत हिस्सेदारी हासिल की। Charlie Brown और Snoopy जैसे कैरेक्टर सिर्फ बच्चों के कंटेंट तक सीमित नहीं रहे, बल्कि ग्लोबल लाइसेंसिंग, मर्चेंडाइज और डिजिटल एक्सटेंशन का बड़ा बिजनेस बन चुके हैं।
इस डील ने साफ कर दिया कि आने वाले समय में IP ownership मीडिया कंपनियों के लिए सबसे बड़ा एसेट बनने जा रहा है, खासकर ऐसे दौर में जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स कंटेंट की लंबी उम्र और री-यूज वैल्यू पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
वैश्विक मीडिया मार्केट में निर्णायक सौदे
Havas ने स्वतंत्र मीडिया एजेंसी Kaimera का अधिग्रहण किया, जिससे कंपनी की स्ट्रैटेजिक और कंसल्टिंग क्षमताएं बढ़ीं। यह डील पूरी हो चुकी है और Kaimera अब Havas नेटवर्क का हिस्सा है।
Paramount Skydance ने The Free Press में रणनीतिक निवेश/साझेदारी की। यह पूर्ण अधिग्रहण नहीं बल्कि कंटेंट और ब्रैंड विस्तार को लेकर किया गया कदम है।
Hotel Designs ने SPACE मैगजीन का अधिग्रहण पूरा किया, जिससे डिजाइन और आर्किटेक्चर मीडिया स्पेस में इसका दायरा बढ़ा।
Netflix और Warner Bros. Discovery के बीच 2025 में कोई मर्जर या अधिग्रहण नहीं हुआ, लेकिन दोनों के बीच लाइसेंसिंग और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर रणनीतिक समझौते जरूर हुए। इसे डील की बजाय इंडस्ट्री की मजबूरी से जन्मी साझेदारी के तौर पर देखा गया।
वैश्विक स्तर पर 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा Warner Bros. Discovery और Paramount के संभावित जॉइंट वेंचर या अधिग्रहण को लेकर रही। कई दौर की बातचीत और संशोधित ऑफर के बावजूद यह डील किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सकी।
कंपनी के बड़े शेयरधारकों ने वैल्यूएशन और भविष्य की रणनीति को लेकर सवाल उठाए। यह मामला इस बात का उदाहरण बना कि आज के समय में सिर्फ कंटेंट लाइब्रेरी या ब्रैंड नेम ही काफी नहीं, बल्कि फाइनेंशियल स्ट्रक्चर और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ प्लान भी उतना ही अहम है।
2025 की टूटी डील्स ने कुछ बड़े सबक भी दिए। सबसे अहम कारण रहा कॉरपोरेट गवर्नेंस और कंट्रोल को लेकर असहमति। इसके अलावा रेगुलेटरी जांच, शेयरधारकों का दबाव और तेजी से बदलता बिजनेस मॉडल भी बड़ी रुकावट बने।
मीडिया इंडस्ट्री में अब फैसले सिर्फ भावनाओं या ब्रैंड वैल्यू पर नहीं बल्कि डेटा, सब्सक्रिप्शन ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी पर हो रहे हैं।
इस साल बने जॉइंट वेंचर्स यह दिखाते हैं कि कंटेंट, टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रीब्यूशन– तीनों में भारी निवेश की जरूरत है। अकेली कंपनियों के लिए यह बोझ उठाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में संसाधन साझा करना और जोखिम बांटना एक व्यावहारिक रास्ता बन चुका है।
2025 ने साफ संकेत दे दिया है कि आने वाले सालों में मीडिया इंडस्ट्री में कम लेकिन ज्यादा ताकतवर खिलाड़ी होंगे। जॉइंट वेंचर और कंसॉलिडेशन की रफ्तार धीमी नहीं पड़ेगी, लेकिन हर डील अब पहले से ज्यादा सख्त जांच और रणनीतिक सोच के साथ होगी।
YearEnder 2025 यह बताता है कि मीडिया की दुनिया में सिर्फ कंटेंट किंग नहीं है, बल्कि सही साझेदारी और सही समय पर लिया गया फैसला ही असली गेम-चेंजर बन रहा है।
वह सूरत से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। शैलेश त्रिवेदी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
देश के प्रमुख न्यूज नेटवर्क्स में शुमार ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) ने वरिष्ठ पत्रकार शैलेश त्रिवेदी को अपने हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ (India News) में गुजरात का ब्यूरो चीफ (इनपुट डिपार्टमेंट) नियुक्त किया है। वह सूरत से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे।
शैलेश त्रिवेदी को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘VTV News’, ‘ETV News’, ‘Gujarat Guardian Daily’, ‘Sandesh Daily’, ‘Gujarat Mitra’, ‘Navgujarat Times’, ‘Dhabkar’, ‘Gujarat Samachar’ और ‘Sandesh’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुके हैं।
इस नियुक्ति से पहले अखिल गुप्ता ‘अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ से जुड़े हुए थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
‘एनडीटीवी’ (NDTV) ने अखिल गुप्ता को चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) के पद पर नियुक्त किया है। अखिल गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (Linkedin) पर खुद यह जानकारी शेयर की है।
अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘सपने केवल प्रेरित नहीं करते, बल्कि एक्शन की भी मांग करते हैं। आज मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि मुझे एनडीटीवी, जो अब अडानी ग्रुप का हिस्सा है, का चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर नियुक्त किया गया है। यह पद मेरे करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, न केवल जिम्मेदारी के कारण बल्कि अडानी नेतृत्व ने मुझ पर जो भरोसा किया है, उसके कारण भी।
मुझे वित्तीय कार्यों का नेतृत्व करने का अवसर मिला है, जो एक ऐसी संस्था का हिस्सा है जो सार्वजनिक चर्चा और राष्ट्रीय संवाद को आकार देती है। पिवर, एयरटेल, इन्फ्राटेल, ज़ायडस और अडानी में 19 वर्षों के अनुभव के दौरान मुझे असाधारण लीडर्स से सीखने और जटिल व्यावसायिक परिस्थितियों को संभालने का अवसर मिला।’
यही नहीं, अखिल गुप्ता ने अपने पूर्व बॉस और मेंटर्स का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें मार्गदर्शन दिया, उनके दृष्टिकोण को आकार दिया और उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया।
इससे पहले अखिल गुप्ता अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में फाइनेंस कंट्रोलर (बिजनेस यूनिट) के रूप में तीन साल से अधिक समय तक काम कर चुके हैं।
इसके अलावा, उन्होंने ज़ायडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड, भारती इन्फ्राटेल लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड और पीवीआर लिमिटेड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों भी कार्य किया है।
2025 मीडिया इंडस्ट्री के लिए नेतृत्व और रणनीति के लिहाज से एक अहम मोड़ वाला साल रहा है। न्यूज व एंटरटेनमेंट से जुड़े प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में बड़े बदलाव देखने को मिले।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
2025 मीडिया इंडस्ट्री के लिए नेतृत्व और रणनीति के लिहाज से एक अहम मोड़ वाला साल रहा है। न्यूज, एंटरटेनमेंट व ऐडवर्टाइजिंग से जुड़े प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में बड़े बदलाव देखने को मिले। किसी स्थान पर अनुभव को महत्व देकर नेतृत्व पर भरोसा जताया गया, तो कहीं नए बदलावों और डिजिटल उन्मुख रणनीतियों के लिए नई भूमिका सौंपी गई। इस साल शीर्ष पदों में जो नियुक्तियां हुईं, वे न केवल चैनलों के संचालन को एक बेहतर दिशा दे रही हैं, बल्कि इन मीडिया संस्थानों के कंटेंट, व्युअरशिप और डिजिटल विस्तार की दिशा को भी एक नई आकार दे रही हैं।
2025 की शुरुआत ने मीडिया इंडस्ट्री में एक स्पष्ट संकेत दिया कि यह वर्ष नेतृत्व भूमिकाओं के बदलाव, बड़े पदों से इस्तीफों और नई नियुक्तियों का वर्ष रहेगा। वर्ष के पहले तीन महीनों में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (SPNI) ने कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियां कीं, जो कंपनी के कंटेंट और मार्केटिंग रणनीति को नए सिरे से आकार देने की दिशा में थीं। इस माह में राजरमन एस. को कंटें स्ट्रैटजी के हेड के रूप में नियुक्त किया गया, जिनके पास डिज्नी स्टार और वायकॉम18 समेत कई बड़े नेटवर्क्स का अनुभव रहा है, जिससे SPNI की कंटेंट योजना को एक नई दिशा मिल सके।
इसके साथ ही परिंदा सिंह को हिंदी मूवी और रीजनल क्लस्टर्स के लिएमार्केटिंग का हेड नियुक्त किया गया, जो एमेजॉन प्राइम वीडियो और स्टार टीवी नेटवर्क जैसी दिग्गज कंपनियों में काम कर चुकी हैं। इसी अवधि में अम्बेश तिवारी को किड्स एंड एनिमेशन के बिजनेस हेड का पद सौंपा गया, जो पहले वायकॉम18, जी और स्टार इंडिया में भी अहम भूमिकाओं में रह चुके हैं।
इस तिमाही में SPNI से SonyLiv के बिजनेस हेड दानिश खान ने 20 से अधिक वर्षों की सेवा के बाद कंपनी छोड़ने की घोषणा की, जो 31 मार्च 2026 को कंपनी से अलग हो जाएंगे। इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की बदलती रणनीति के संकेत के तौर पर भी देखा गया।
इंडिया टुडे ग्रुप के भीतर भी बड़ा लीडरशिप रीस्ट्रक्चर देखने को मिला, जिसमें सिद्धार्थ जराबी को ग्रुप एडिटर के रूप में आगे बढ़ाया गया और आलोक नायर को स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट के सीओओ की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इसके साथ ही सुप्रिय प्रसाद के नेतृत्व में इनपुट और एडिटोरियल टीमों के स्तर पर डिजिटल और एआई-फोकस्ड बदलावों की प्रक्रिया भी तेज की गई।
2025 की दूसरी तिमाही में, देश के शीर्ष न्यूज एंकर में शुमार सुधीर चौधरी ने आजतक से अलग होकरडीडी न्यूज में नई पारी की शुरुआत की। उन्होंने अप्रैल में आजतक को अलविदा कहा और मई महीने में ‘डिकोड’ नाम के नए प्राइम-टाइम शो के साथ डीडी न्यूज पर डेब्यू किया। इसे उनके करियर का एक बड़ा टर्निंग पॉइंट माना गया।
इसी अवधि में जियोस्टार ने एंटरटेनमेंट के रेवेन्यू हेड के तौर पर महेश शेट्टी की जिम्मेदारी सौंपी, जबकि साहिल चोपड़ा को कंज्यूमर मार्केटिंग के वाइस प्रेसिडेंट के पद पर प्रमोट किया गया। ये दोनों ही नियुक्तियां जियोस्टार के टीवी, डिजिटल और अंतरराष्ट्रीय विस्तार को मजबूत करने की रणनीति का अहम हिस्सा रहीं।
2025 के मध्य महीनों में SPNI और जी ग्रुप सहित कई बड़ी मीडिया कंपनियों में लीडरशिप फेरबदल जारी रहा। SPNI में नेटवर्क चैनल्स के लिए ऐड सेल्स के हेड संदीप मेहरोत्रा ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके जाने से विज्ञापन और चैनल सेल्स से जुड़े विभाग में एक बड़ी खाली जगह बनी।
वहीं सोहा डी. कुलकर्णी, जो फिक्शन प्रोग्रामिंग की वाइस प्रेसिडेंट और क्रिएटिव डायरेक्टर थीं, ने सोनी मराठी से विदाई ली। उन्होंने चैनल के साथ करीब साढ़े आठ साल तक काम किया।
इसी तिमाही में सम्राट घोष ने जी एंटरटेनमेंट में ईस्ट, नॉर्थ और प्रीमियम के चीफ क्लस्टर ऑफिसर का पद छोड़ दिया। इसे जी ग्रुप की रणनीतिक दिशा में बदलाव के संकेत के तौर पर देखा गया।
2025 के आखिरी तीन महीनों में भारतीय मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में ऐसे फैसले और नियुक्तियां देखने को मिलीं, जिन्होंने आने वाले वर्षों की दिशा तय करने का संकेत दिया। अक्टूबर से दिसंबर के बीच कई बड़े मीडिया समूहों ने अपने टॉप मैनेजमेंट और स्ट्रैटेजिक पदों पर बदलाव किए।
सबसे बड़ी खबर ओम्निकॉम और आईपीजी मीडिया ब्रैंड्स के ग्लोबल मर्जर के बाद भारत में नई लीडरशिप स्ट्रक्चर को लेकर सामने आई। इस मर्जर के तहत कार्तिक शर्मा को ओम्निकॉम मीडिया इंडिया का सीईओ नियुक्त किया गया। उनके साथ अमरदीप सिंह को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) की जिम्मेदारी दी गई, जबकि इंडस्ट्री के सीनियर लीडर शशि सिन्हा को स्ट्रैटेजिक एडवाइजर की भूमिका सौंपी गई। यह बदलाव मीडिया एजेंसी कारोबार में बड़े स्तर पर रीस्ट्रक्चरिंग का संकेत माना गया।
इसी दौरान पब्लिसिस ग्रुप इंडिया ने डिजिटल और परफॉर्मेंस मार्केटिंग पर अपना फोकस और मजबूत करते हुए अतीक काजी को परफॉर्मिक्स इंडिया का सीईओ नियुक्त किया। यह नियुक्ति डिजिटल विज्ञापन, डेटा और रिजल्ट संचालित मार्केटिंग के बढ़ते महत्व को दर्शाती है।
साल के अंतिम महीनों में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (SPNI) के भीतर भी कंटेंट और क्रिएटिव स्तर पर बदलाव जारी रहे। गौतम जैन को 'सोनी सब' में कंटेंट लीड की जिम्मेदारी दी गई, जबकि सुवनकर बनर्जी ने स्टूडियो नेक्स्ट में क्रिएटिव डायरेक्टर के रूप में कमान संभाली। इन नियुक्तियों को नेटवर्क के फिक्शन और ओरिजिनल कंटेंट को नई धार देने की कोशिश के तौर पर देखा गया।
जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) करण अभिषेक सिंह ने 15 महीने के कार्यकाल के बाद अक्टूबर में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जुलाई 2024 में सीईओ की जिम्मेदारी संभालने वाले करण अभिषेक ने अपने नेतृत्व में चैनल को रणनीतिक दिशा और नई ऊर्जा दी।
वहीं जी एंटरटेनमेंट से जुड़ी एक अहम लीडरशिप मूवमेंट के तहत आशीष सहगल, जो जी में चीफ ग्रोथ ऑफिसर की भूमिका में थे, ने कंपनी से विदाई ली और टाइम्स नेटवर्क में नई पारी शुरू की। उन्होंने वहां सीईओ – टाइम्स टीवी नेटवर्क और साथ ही चीफ ग्रोथ ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाली। इसे ब्रॉडकास्ट न्यूज स्पेस में एक बड़ा और रणनीतिक बदलाव माना गया।
साल के अंत में इंडस्ट्री संगठनों के स्तर पर भी बदलाव देखने को मिले। इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) का अध्यक्ष चुना गया। उनकी यह भूमिका टीवी और डिजिटल न्यूज इंडस्ट्री से जुड़े नीतिगत मुद्दों, रेगुलेशन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में अहम मानी जा रही है।
जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 3 नवंबर को हुई बैठक में रक्तिम दास को कंपनी का चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) और प्रमुख प्रबंधकीय पदाधिकारीनियुक्त करने की घोषणा की। उनकी नियुक्ति 4 नवंबर से प्रभावी मानी गई।
टीवी न्यूज की दुनिया के जाने-माने चेहरे और सीनियर न्यूज एंकर सुमित अवस्थी के बारे में भी दिसंबर के पहले हफ्ते में खबर आयी कि उन्होंने ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) जॉइन कर लिया है। उन्होंने इस नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ में बतौर सीनियर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया। सुमित अवस्थी ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में अपनी पारी को विराम देकर यहां पहुंचे। वह करीब ढाई साल से ‘एनडीटीवी इंडिया’ (NDTV India) में बतौर कंसल्टिंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
वहीं इस साल दिसंबर के पहले हफ्ते में यह भी खबर आयी कि वरिष्ठ पत्रकार पूजा सेठी ने देश के प्रमुख न्यूज नेटवर्क्स में शामिल ‘टाइम्स नेटवर्क’ (TIMES NETWORK) से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस साल मार्च में यहां मैनेजिंग एडिटर (डिजिटल) के पद पर जॉइन किया था। हालांकि अपने कदम के बारे में पूजा सेठी का कहना था कि वे समय आने पर वह इस बारे में बताएंगी। ‘टाइम्स नेटवर्क’ से पहले पूजा सेठी अक्टूबर 2022 से ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
वहीं, दिसंबर में एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव यह देखने को मिला कि वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज इंडिया’ (News India) में सीईओ और एडिटर-इन-चीफ के पद पर जॉइन किया। यह नियुक्ति यह दर्शाती है कि न्यूज चैनल ने खबरों का कवरेज, पत्रकारिता की गहराई और नेतृत्व रणनीति दोनों में बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है।