प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इंडिया गेट की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया। इससे पर्यटक कर्तव्य पथ से ही इंडिया गेट देख रहे थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली में प्रदुषण के मुद्दे पर रविवार को बड़ी संख्या में लोग इंडिया गेट पर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने स्वच्छ हवा और पानी की मांग को लेकर कर्तव्य पथ पर प्रदर्शन किया। वहीं पुलिस ने शांति भंग होने की आशंका के चलते सुरक्षा बढ़ा दी और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त में भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, नागरिक जब साफ़ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार के लिए शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं, तो उन्हें ऐसा करने से क्यों रोका जा रहा है? बच्चों का स्वास्थ्य इस प्रदूषण संकट का सबसे गंभीर पहलू है, और उनके माता-पिता पूरी तरह अधिकार रखते हैं कि उन्हें अपने साथ प्रदर्शन में लाएँ।
फिर ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर विरोध जताने वाले लोगों को हिरासत में क्यों लिया जा रहा है? शांतिपूर्ण प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे कुचलना समाधान नहीं, बल्कि चिंता का कारण है।
आपको बता दें, इंडिया गेट के पास कर्तव्य पथ पर अर्ध सैनिक बल के साथ भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान भी मुस्तैद रहे। प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इंडिया गेट की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया। इससे पर्यटक कर्तव्य पथ से ही इंडिया गेट देख रहे थे।
Why should citizens protesting for the right to breathe now be denied their right to peaceful protest ? Children’s health is a key element of the air crisis - their parents are within their rights to bring them to the protests. Why are protesters being rounded up ? https://t.co/QnTdmc0fnO
— barkha dutt (@BDUTT) November 9, 2025
सवाल यह है कि क्या सरकार और स्थानीय प्रशासन इस प्रदूषण संकट से निपटने के लिए अधिक आक्रामक कदम उठाएंगे, या फिर यह मौसमी समस्या बनी रहेगी?
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दिल्ली-एनसीआर में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता और लोगों की बढ़ती परेशानियों के बीच स्वतंत्र पत्रकार संकेत उपाध्याय ने समाज की उदासीनता पर कड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर लिखा, पॉल्यूशन का समाधान उसी दिन मिलेगा, जब यह एक असली चुनावी मुद्दा बनेगा।
सच तो यह है कि हम इसकी परवाह ही नहीं करते। प्रदूषण से जुड़ी खबरों पर ऑनलाइन कोई ध्यान नहीं देता और प्रदूषण के समाधान लोगों को बोरिंग लगते हैं। ऐसे में फिर वही पुराना दोषारोपण का खेल चलता रहता है और सच यह है कि इसकी ज़िम्मेदारी भी हमने ही अपने ऊपर लाई है।
आपको बता दें, दिल्ली‑एनसीआर में वायु प्रदूषण फिर गंभीर रूप से उभरकर सामने आया है। हालिया आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, यानी हवा “खतरनाक” श्रेणी में है।
साथ ही, एक ऑनलाइन सर्वे में पाया गया है कि यहाँ का हर तीसरा परिवार प्रदूषण-कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। सवाल यह है कि क्या सरकार और स्थानीय प्रशासन इस प्रदूषण संकट से निपटने के लिए अधिक आक्रामक कदम उठाएंगे, या फिर यह मौसमी समस्या बनी रहेगी?
Pollution Solution will come - the day it becomes a poll issue. Honestly, you don’t care. Pollution stories get no traction online. Pollution solutions are considered boring subjects to discuss.
— Sanket Upadhyay (@sanket) November 7, 2025
So let us enjoy the blame game. We brought it upon ourselves.
इस ऐतिहासिक मतदान ने लगभग 20 वर्षों से सत्ता पर काबिज एनडीए और महागठबंधन के बीच ‘सुशासन बनाम सबको नौकरी’ की जंग को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है।
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बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को 121 सीटों पर लगभग 65 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग शांति से संपन्न होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने राज्य में बदले चुनावी माहौल की खुलकर प्रशंसा की है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, न गोली चली, न बूथ लुटा। जहाँ पहले चुनाव के दौरान बंदूक़ें और कट्टे आपस में बात करते थे, वहाँ केवल तू-तू मैं-मैं और गाड़ी पर गोबर तक ही बात सिमट गई। बिहार में आया यह परिवर्तन सकारात्मक है। इसके लिए चुनाव आयोग और पूरे प्रशासनिक तंत्र की प्रशंसा करनी होगी।
स्थानीय प्रशासन ने भी बताया कि अधिकांश बूथों पर प्रक्रिया बिना किसी गंभीर व्यवधान के पूरी हुई। विश्लेषकों का मानना है कि यदि आगे के चरण भी इसी तरह शांतिपूर्वक संपन्न होते हैं, तो यह बिहार की चुनावी संस्कृति में स्थायी बदलाव का संकेत हो सकता है। इस ऐतिहासिक मतदान ने लगभग 20 वर्षों से सत्ता पर काबिज एनडीए और महागठबंधन के बीच ‘सुशासन बनाम सबको नौकरी’ की जंग को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है।
न गोली चली, न बूथ लुटा। जहाँ पहले चुनाव के दौरान बंदूक़ें और कट्टे आपस में बात करते थे, वहाँ केवल तू-तू मैं-मैं और गाड़ी पर गोबर तक ही बात सिमट गई। बिहार में आया यह परिवर्तन सकारात्मक है। इसके लिए चुनाव आयोग और पूरे प्रशासनिक तंत्र की प्रशंसा करनी होगी।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) November 6, 2025
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गई हैं। कई यूज़र इसे तकनीकी समस्या मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे जानबूझकर फीड बाधित किए जाने की संभावना मानकर सवाल उठा रहे हैं।
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डीडी न्यूज़ के लोकप्रिय शो 'डिकोड' के एक एपिसोड ‘हाइड्रोजन बम फैक्ट चेक’ को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है। कई दर्शकों ने शिकायत की कि यूट्यूब पर यह कार्यक्रम बार-बार बफर, रुकावट और लैग के कारण ठीक से देखा ही नहीं जा सका। एक यूज़र ने सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या यह तकनीकी समस्या थी या कोई और कारण?
इस पर शो के एंकर सुधीर चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि 'डीडी न्यूज़' की तकनीकी टीम जांच कर रही है कि 'डिकोड' की फीड लगातार क्यों प्रभावित हो रही थी। चौधरी ने दावा किया कि जो प्रारंभिक रिपोर्ट उन्हें मिली है, वह 'हैरान कर देने वाली' है।
उन्होंने कहा, ये कोई साधारण तकनीकी खराबी है या फिर कोई षड्यंत्र, इसकी जांच चल रही है। जो शुरुआती जानकारी आई है, वह चौंकाने वाली है। जल्द ही पूरा खुलासा होगा। ये बड़ी खबर है। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गई हैं।
कई यूज़र इसे तकनीकी समस्या मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे जानबूझकर फीड बाधित किए जाने की संभावना मानकर सवाल उठा रहे हैं। सुधीर चौधरी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही वह इस पूरे मामले का विस्तृत खुलासा करेंगे, जिसके बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
DD News की टेक्निकल टीम जांच कर रही है कि DECODE की फीड लगातार प्रभावित क्यों हो रही है ? ये कोई तकनीकी खराबी है या कोई षड्यंत्र है ?
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) November 6, 2025
मेरे पास जो शुरुआती रिपोर्ट आई है वो हैरान करने वाली है।जल्द ही पूरा खुलासा होगा।ये बड़ी खबर है। https://t.co/rYpwIBLGbO
राहुल गांधी के मुताबिक कांग्रेस की जीत को हार में बदला गया। हरियाणा में सभी कांग्रेस की जीत बता रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं का भविष्य चुराया जा रहा है।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वोट चोरी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हरियाणा को लेकर सवाल उठाया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हरियाणा और कर्नाटक में वोट चोरी पकड़ी गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा के एग्जिट पोल में जीत मिल रही थी। उन्होंने कहा कि यह किसी क्षेत्र विशेष में नहीं हो रहा। राहुल ने कहा कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस आगे थी।
वहीं पत्रकार प्रणव सिरोही का कहना है कि कांग्रेस अभी भी लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर नहीं पा रही है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट करते हुए लिखा, वर्ष 2004 में भाजपा और कांग्रेस की सीटों में मामूली सा अंतर था और किसी तरह कांग्रेस सरकार बना ले गई।
भाजपा इस हार को पचा नहीं पाई और उसी ग्रंथि से जूझती रही। नतीजतन 2009 का चुनाव एक बड़े मार्जिन से हार गई। मगर उसके बाद पांच साल में पार्टी ने कोर्स करेक्शन करते हुए हार को पचाकर जीत का एपेटाइट तैयार करने पर ध्यान दिया और नतीजा 2014 में सबके सामने आ गया।
कांग्रेस के साथ समस्या यही है कि वह 2014 के बाद से हार से उबर ही नहीं पाई है और न कोई सबक सीखा और न ही सीखने के दूर-दूर तक कोई आसार दिख रहे हैं। आपको बता दें, राहुल गांधी के मुताबिक कांग्रेस की जीत को हार में बदला गया। हरियाणा में सभी कांग्रेस की जीत बता रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं का भविष्य चुराया जा रहा है।
वर्ष 2004 में भाजपा और कांग्रेस की सीटों में मामूली सा अंतर था और किसी तरह कांग्रेस सरकार बना ले गई। भाजपा इस हार को पचा नहीं पाई और उसी ग्रंथि से जूझती रही। नतीजतन 2009 का चुनाव एक बड़े मार्जिन से हार गई। मगर उसके बाद पांच साल में पार्टी ने कोर्स करेक्शन करते हुए हार को पचाकर… https://t.co/7GQfIuPQQL
— Pranav Sirohi (@pranavsirohi) November 5, 2025
हरियाणा की मतदाता सूची में जो 25,41,144 फर्जी मतदाता है, उनमें से 5.21 लाख डुप्लीकेट मतदाता, 93 हजार मतदाता गलत पते वाले और 19.26 लाख वोट एक ही नाम से कई जगहों पर दर्ज बल्क वोटर है।
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बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान के एक दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर से चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। हरियाणा की मतदाता सूची का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इनमें करीब 25 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े गए थे। यह सारी गड़बड़ियां भाजपा ने चुनाव आयोग की मिलीभगत से की थी। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी राय व्यक्त की हैं।
उन्होंने एक्स पर लिखा, राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप पर किसी की भी राय हो, लेकिन यह वाकई अजीब बात है कि आज के डिजिटल युग में भी मशीन से पढ़े जा सकने वाले मतदाता सूची (electoral rolls) सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराई जाती। क्या यही सबसे आसान तरीका नहीं है यह जानने का कि कहीं मतदाता सूची में फर्जी या दोहरे नाम तो नहीं हैं?
चुनाव आयोग को प्रक्रिया में लोगों का पूरा भरोसा कायम रखने के लिए अधिक पारदर्शी होना चाहिए, कम नहीं। सोचिए ,पारदर्शिता ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। आपको बता दें, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बताया कि हरियाणा की मतदाता सूची में जो 25,41,144 फर्जी मतदाता है, उनमें से 5.21 लाख डुप्लीकेट मतदाता, 93 हजार मतदाता गलत पते वाले और 19.26 लाख वोट एक ही नाम से कई जगहों पर दर्ज बल्क वोटर है।
My take: Whatever your view on @RahulGandhi ‘vote chori’ allegation, isn’t it bizarre that in this digital age machine readable electoral rolls are not made available? Isn’t that the easiest way to find out if there are fake or duplicate voters? ECI should surely be more…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 5, 2025
कुल 45,341 बूथ बनाए गए हैं, जहां 3 करोड़ 75 लाख से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। इनमें 122 महिला उम्मीदवार समेत कुल 1,314 प्रत्याशियों का भविष्य आज ईवीएम में कैद होगा।
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बिहार में आज लोकतंत्र का सबसे बड़ा जश्न मनाया जा रहा है। सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच पहले चरण की वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू होकर और शाम 6 बजे तक चलेगी। 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को सलेक्ट करेंगे। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर एक अपील की हैं।
उन्होंने लिखा, बिहार को शहाबुद्दीन जैसे कल और अनंत सिंह जैसे आज को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। हर बाहूबली हर अपराधी को हराना होगा। जाति की आड़ में गैंगस्टर बने शातिर बदमाशों को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाना होगा तभी सभी दलों को ये संदेश जाएगा कि साफ छवि वालों को टिकट दिए जाएं। क्या ये संभव है? आपको क्या लगता है?
आपको बता दें, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, अनंत सिंह, मैथिली ठाकुर और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा सहित नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों की किस्मत का फैसला पहले चरण में होगा। राज्यभर में कुल 45,341 बूथ बनाए गए हैं, जहां 3 करोड़ 75 लाख से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। इनमें 122 महिला उम्मीदवार समेत कुल 1,314 प्रत्याशियों का भविष्य आज ईवीएम में कैद होगा।
बिहार को शहाबुद्दीन जैसे कल और अनंत सिंह जैसे आज को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा..हर बाहूबली हर अपराधी को हराना होगा..जाति की आड़ में गैंगस्टर बने शातिर बदमाशों को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाना होगा..तभी सभी दलों को ये संदेश जाएगा कि साफ छवि वालों को टिकट दिए जाएं..क्या ये संभव…
— richa anirudh (@richaanirudh) November 5, 2025
पहले चरण की जिन 121 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें पिछली बार (2020) दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। एक ओर जहां महागठबंधन को 61 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
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बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 में 6 नवंबर को पहले चरण के लिए वोट पड़ेंगे। इस दौरान 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से ठीक पहले महागठबंधन के सीट बंटवारे पर तीखी टिप्पणी की है।
उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा कि अगर सीट बंटवारे का मक़सद वास्तव में महागठबंधन की जीत के अवसर बढ़ाना होता, तो यह सुनिश्चित किया जाता कि राजद और कांग्रेस को ऐसे निर्वाचन क्षेत्र मिलें जहां उनकी जीत की संभावनाएं सबसे अधिक हों ,कुछ पक्के वाले और कुछ ऐसे जहां मेहनत से जीत संभव हो।
शर्मा के मुताबिक, ऐसा निष्पक्ष मिश्रण दोनों दलों के लिए फ़ायदेमंद साबित होता, लेकिन हुआ उल्टा। कांग्रेस को परंपरागत रूप से हारने वाले क्षेत्रों की 'पोटली' थमा दी गई, जबकि राजद विजयी क्षेत्रों की 'गठरी' लेकर निकल पड़ा। उन्होंने व्यंग्य करते हुए लिखा, अगर महागठबंधन मेले में भटक गया होता, तो कोई उसे घर पहुंचा देता, लेकिन अब तो वह घर के भीतर ही भटक गया है। अब कैसे ठौर-ठिकाने आएगा?
आपको बता दें, पहले चरण की जिन 121 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें पिछली बार (2020) दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। एक ओर जहां महागठबंधन को 61 सीटों पर जीत हासिल हुई थी वहीं एनडीए 59 सीटों पर चुनाव जीत सका था।
अगर सीट बंटवारे का मक़सद महागठबंधन की जीत के अवसरों को बढ़ाना होता तो होना तो यह चाहिए था कि राजद और कांग्रेस को वे निर्वाचन क्षेत्र भी लड़ने के लिए मिलते, जहां उन की जीत की एकदम पक्की संभावनाएं हैं और वे सीटें भी दी जातीं, जहां मेहनत कर के वे जीत सकते थे। यह निष्पक्ष मिश्रण…
— Pankaj Sharma पंकज शर्मा (@Pankaj___Sharma) November 5, 2025
महागठबंधन की सरकार बनने पर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। 'माय बहन योजना' के तहत हर परिवार की महिला के खाते में ₹30 हजार रुपए भेजे जाएंगे।
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पटना में तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि अगर हमारी सरकार बनती है तो माई बहिन योजना के तहत एक साल की पूरी राशि 30 हजार रुपए एक साथ महिलाओं के खाते में भेजेंगे। माई बहिन योजना के तहत राजद ने महीने में ढाई हजार देने का वादा किया है। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी।
उन्होंने एक्स पर लिखा, पत्रकारों ने जब यह सवाल उठाया कि तेजस्वी यादव की रैलियों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है, तो उन्होंने पहले चरण का प्रचार खत्म होने से पहले ही कमाल का आइडिया लगा दिया। माई-बहन योजना के तहत पहले यह घोषणा की गई थी कि प्रदेश की हर महिला को ₹2,500 प्रति महीना दिया जाएगा, लेकिन इतनी रकम से बड़ा असर नहीं पड़ता।
इसलिए अब राष्ट्रीय जनता दल ने चतुराई दिखाते हुए घोषणा की है कि 14 जनवरी 2026 को हर महिला को एकमुश्त ₹30,000, यानी पूरे साल का पैसा, दिया जाएगा। अगर यही हिसाब पांच साल के लिए जोड़ दिया जाए तो यह राशि ₹1,50,000 बनती है।
राजनीति में आर्थिक गणित और चुनावी रणनीति का यह संगम वाकई दिलचस्प है। टोपी पहनाने का यह अंदाज़ वाकई लाजवाब है, श्रीमान जी। आपको बता दें, तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद 14 जनवरी 2026 को महिलाओं के बैंक खातों में यह राशि भेजी जाएगी।
पत्रकारों ने कहा कि @yadavtejashwi कि रैलियों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) November 4, 2025
तो भइया ने पहले चरण के प्रचार ख़त्म होने से पहले ही, ज़बरदस्त आईडिया लगाया।
गणित समझिए - माई बहन योजना के तहत घोषणा ये कि गई थी कि प्रदेश कि हर महिला को Rs. 2,500/- प्रति महीना दिया जायेगा।… https://t.co/5sYSFg9BM2
दिल्ली-एनसीआर का जानलेवा वायु प्रदूषण एक ऐसी सच्चाई है, जिससे हम अब तक पूरी तरह जागरूक नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि आज लगभग हर दूसरा व्यक्ति खांस रहा है या बीमार है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
पिछले कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) "गंभीर" श्रेणी में बना हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के इस स्तर का असर न केवल सांस और फेफड़ों पर बल्कि हृदय रोग, त्वचा और आंखों से जुड़ी समस्याओं पर भी पड़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने दिल्ली-एनसीआर में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता जताई है।
उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि 'दिल्ली-एनसीआर का जानलेवा वायु प्रदूषण एक ऐसी सच्चाई है, जिससे हम अब तक पूरी तरह जागरूक नहीं हो पाए हैं।' उन्होंने कहा कि आज लगभग हर दूसरा व्यक्ति खांस रहा है या बीमार है और यह केवल मौसमी फ्लू नहीं, बल्कि गंभीर प्रदूषण का असर है।
कौल ने सवाल उठाया कि आखिर राष्ट्रीय राजधानी की हवा को सुधारने की दिशा में ठोस और कट्टर कदम कौन उठाएगा। उन्होंने कहा कि अब हालात ऐसे हैं कि साधारण उपायों से समस्या का हल संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए व्यापक और सख़्त नीतिगत निर्णय लेने होंगे।
आपको बता दें, इस समय राजधानी में प्रदूषण पर राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से अस्थमा, एलर्जी, ब्रॉन्काइटिस, हृदय रोग और आंखों में जलन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं।
Deadly air pollution in Delhi NCR is a reality we haven’t yet woken up to even years later. Every other person I meet is coughing or unwell. It’s not just seasonal flu. Improving air quality in the National Capital will need radical measures. Question is who will take the call?
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 2, 2025
देश की बेटियों को ज़रा-सा सहारा और अवसर मिल जाए, तो वे कमाल कर सकती हैं, यह उन्होंने सिद्ध कर दिया है। लेकिन महिला क्रिकेट को अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।
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आईसीसी वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 51 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा कर दी है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने भी अपने शो में इस मुद्दे को लेकर बात की। उन्होंने कहा, महिला क्रिकेट में विश्व चैंपियनशिप एक रात में नहीं मिली।
एक समय था जब मिताली राज, अंजुम चोपड़ा और झूलन गोस्वामी जैसी खिलाड़ी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। उस समय खिलाड़ियों के लिए कोई सुविधाएँ नहीं थीं। मैच खेलने के लिए रेल के बिना पुष्टि वाले डिब्बों में यात्रा करनी पड़ती थी। अपने बिस्तर साथ ले जाने पड़ते थे। फर्श पर सोना पड़ता था। महिला क्रिकेटरों के साथ भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बी.सी.सी.आई.) का कोई वार्षिक अनुबंध नहीं होता था।
सन् 2005 में जब महिला क्रिकेट टीम उपविजेता रही, तो प्रत्येक खिलाड़ी को प्रति मैच 1000 रुपये मिले। आठ मैचों के कुल 8000 रुपये। और इस बार विश्व चैंपियनशिप जीतने पर बी.सी.सी.आई. ने महिला टीम को 51 करोड़ रुपये का इनाम दिया। अब बी.सी.सी.आई. से हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना जैसी ए-श्रेणी की खिलाड़ियों को 50 लाख रुपये की वार्षिक फीस मिलती है।
यह बदलाव केवल तीन वर्ष पहले आया, जब जय शाह ने पुरुष और महिला क्रिकेट टीम की मैच फीस के अंतर को समाप्त किया और वेतन समानता (पे पैरिटी) लागू की। अब महिला खिलाड़ियों को टेस्ट मैच के लिए 15 लाख रुपये, एक दिवसीय मैच के लिए 6 लाख रुपये और टी-20 मैच के लिए 3 लाख रुपये की फीस मिलती है।
कोचिंग, प्रशिक्षण और चिकित्सकीय सुविधाओं में पिछले पाँच वर्षों में महिला क्रिकेट में निवेश 16 गुना बढ़ा है। देश की बेटियों को ज़रा-सा सहारा और अवसर मिल जाए, तो वे कमाल कर सकती हैं, यह उन्होंने सिद्ध कर दिया है। लेकिन महिला क्रिकेट को अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। विश्व चैंपियनशिप तो केवल एक झांकी है, असली तस्वीर अभी बाकी है।
Women Cricket में World Championship एक रात में नहीं मिली. एक ज़माना था जब मिताली राज, अंजुम चोपड़ा, झूलन गोस्वामी जैसी players ने cricket खेलना शुरू किया था. उस ज़माने में players के लिए कोई facilities नहीं थी. मैच खेलने के लिए railway के unconfirmed compartments में travel करना… pic.twitter.com/DcqOMQlBrF
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) November 3, 2025