मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई ‘एमसीयू’ की महापरिषद की बैठक। कुलपति प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश ने पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी l
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
'माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय' (MCU), भोपाल में ‘राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय’ की स्थापना की जाएगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई ‘एमसीयू’ की महापरिषद की बैठक में यह जानकारी दी गई।
कुलपति प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश ने मंत्रालय में आयोजित महापरिषद को पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी l वहीं, मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में केंद्रीय स्टूडियो, डिजिटल मीडिया लैब, सिनेमा अध्ययन और भाषा लैब समेत भारतीय भाषाओं पर केन्द्रित पृथक विभागों तथा भरतमुनि शोध पीठ की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। जनवरी 2018 के बाद हुई महापरिषद की बैठक में पूर्व वर्षों के बजट अनुमान, लेखों एवं अंकेक्षण प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया। विभिन्न प्रबंधकीय विषयों पर भी निर्णय लिए गए।
बताया गया कि एशिया के पहले और देश के सबसे बड़े पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किया गया है। ‘इंडिया टुडे’ और ‘द वीक’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं द्वारा विश्वविद्यालय को देश के प्रथम 10 शिक्षण संस्थानों में शामिल किया गया है।
62 वर्ष होगी सेवानिवृत्ति की आयु: महापरिषद ने विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के लिए सातवां वेतनमान लागू करने की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की। साथ ही एक जनवरी 2016 से लागू किए गए 7वें वेतनमान के आधार पर सभी शिक्षकों को ऐरियर का भुगतान करने की स्वीकृति भी दी गई। संविदा पर कार्यरत शिक्षकों के नियमितिकरण पर भी सहमति हुई। महापरिषद ने अधि-वार्षिकी आयु को 60 से 62 वर्ष किए जाने पर भी अनुमोदन प्रदान किया। बैठक में विश्वविद्यालय के नवीन परिसरों की भी जानकारी दी गई।
रेडियो कर्मवीर की स्थापना और पी.एचडी पाठ्यक्रम में सीट वृद्धि का अनुमोदन: बैठक में विश्वविद्यालय के बिशनखेड़ी स्थित नवीन परिसर में विद्यार्थियों के व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए रेडियो कर्मवीर की स्थापना को भी स्वीकृति प्रदान की गई। साथ ही शोध पुस्तक लेखन, पी.एचडी पाठ्यक्रम में सीट वृद्धि संबंधी प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई।
विश्वविद्यालय ने देश-विदेश की प्रतिष्ठित अकादमिक संस्थाओं से किए एमओयू: बताया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा कंसोर्टियम फॉर एज्यूकेशनल कम्यूनिकेशन, यू.एन. पॉपुलेशन फंड, महात्मा गांधी कॉलेज ऑफ कम्यूनिकेशन कोजीकोड केरल, मीडिया एण्ड इंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल नई दिल्ली तथा अन्य विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एम.ओ.यू. किए गए।
बैठक से पहले मुख्यमंत्री का अंगवस्त्रम एवं प्रतीक-चिन्ह भेंट कर अभिवादन किया गया। बैठक में सांसद इंदौर शंकर लालवानी, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.जी. सुरेश, सचिव जनसंपर्क विवेक पोरवाल, दादा लखमीचंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स रोहतक के कुलपति गजेन्द्र सिंह चौहान, वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव, अतुल तारे, द इंडिया टुडे ग्रुप के एग्जिक्यूटिव एडिटर सईद अंसारी, चैनल हेड बंसल न्यूज शरद द्विवेदी, इनाडु ग्रुप के रविकांती श्रीनिवास, बेंगलुरु की डॉ. नंदिनी लक्ष्मीकांता, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन एंड जर्नलिज्म अहमदाबाद के शिरीष काषिकर तथा अन्य सदस्य उपस्थित थे।
अमर उजाला के ‘हरियाणा संवाद’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के विकास मॉडल, सुधारों और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात की। आम लोगों में सरकार को लेकर भरोसा बढ़ा है।
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अमर उजाला की ओर से बुधवार को गुरुग्राम के होटल क्राउन प्लाजा में ‘हरियाणा संवाद’ का आयोजन किया गया। ‘हरियाणा स्वर्णिम शताब्दी की ओर’ विषय पर आधारित इस संवाद में देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कई जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के पहले सत्र ‘विकसित हरियाणा, स्वर्णिम भविष्य का दृष्टिकोण’ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने मंच से राज्य के विकास, नीतिगत सुधारों और भविष्य की योजनाओं को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते वर्षों में शासन की कार्यशैली में बड़ा बदलाव आया है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समय से सुधारों की नींव रखी गई, जिससे योजनाएं सीधे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचीं और लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़े।
सीएम सैनी ने कहा कि पहले सरकारों की घोषणाएं कागजों तक सीमित रह जाती थीं, लेकिन अब योजनाएं जमीन पर दिखाई देती हैं। महिला, किसान, युवा और गरीब सभी वर्गों को इनका लाभ मिला है। उन्होंने बताया कि आज लोगों को यह महसूस होने लगा है कि सरकार वास्तव में उनकी है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दुष्प्रचार के जरिए भ्रम फैलाने की कोशिश की गई, लेकिन समय के साथ सच्चाई सामने आ रही है। उन्होंने दावा किया कि आने वाले वर्षों में जनता तथ्यों के आधार पर निर्णय लेगी। नौकरियों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बिना पर्ची और बिना खर्चे के युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा निभाया है।
आचार संहिता के बावजूद योजनाबद्ध तरीके से नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई और हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। उन्होंने भरोसा जताया कि विकास और पारदर्शिता की यह नीति आगे भी जारी रहेगी।
इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में टाइम्स ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन ने कहा कि भू-राजनीतिक बदलावों के बीच भारत एक स्थिर, निर्णायक और भविष्य उन्मुख शक्ति के रूप में उभर रहा है।
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इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में अपने मुख्य संबोधन के दौरान टाइम्स ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन ने भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और वैश्विक रणनीतिक भूमिका को रेखांकित किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रमुख नेताओं और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकारों की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि आज की दुनिया केवल आपस में जुड़ी हुई नहीं है, बल्कि तेजी से परस्पर निर्भर और प्रतिस्पर्धात्मक भी हो रही है।
विनीत जैन ने कहा कि इस बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरा है, जो न केवल स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय कर रहा है। उन्होंने कहा कि ताजा जीडीपी आंकड़े यह साबित करते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
उन्होंने भारत की आर्थिक मजबूती के पीछे संरचनात्मक सुधारों, विनिर्माण क्षेत्र की गति, मजबूत वित्तीय प्रणाली, तेजी से विकसित हो रहे बुनियादी ढांचे और सशक्त उद्यमशीलता को प्रमुख कारण बताया। साथ ही उन्होंने संरक्षणवादी टैरिफ, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसे वैश्विक दबावों का जिक्र करते हुए कहा कि इन सबके बावजूद भारत ने स्पष्टता और दृढ़ संकल्प के साथ अपनी आर्थिक दिशा बनाए रखी है।
विनीत जैन ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को इसकी बड़ी ताकत बताया, जो देश को सभी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा कि आर्थिक दूरदर्शिता और भू-राजनीतिक समझ का संयोजन ही आने वाले समय की वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित करेगा, और भारत इस भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार है।
इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क और परिवहन क्षेत्र से जुड़े कई बड़े फैसलों की घोषणा की। दिल्ली–गुरुग्राम के बीच जाम खत्म करने के लिए 6 लेन टनल बनेगी।
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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन सेक्टर को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली–गुरुग्राम के बीच लगने वाले भीषण जाम से राहत दिलाने के लिए सरकार ने 6 लेन की अत्याधुनिक टनल बनाने का फैसला लिया है।
इस परियोजना के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है और जल्द ही काम शुरू होगा। यह टनल तालकटोरा रोड से गुरुग्राम के बाहर तक निकलेगी।नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे का काम पूरा हो चुका है और अगले 15 दिनों में इसे पूरी तरह खोल दिया जाएगा।
इसके बाद दिल्ली से देहरादून का सफर महज 2 घंटे में पूरा हो सकेगा। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण में भी बड़ी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि बेहतर हाइवे और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से पर्यटन, व्यापार, उद्योग और कृषि को जबरदस्त बढ़ावा मिला है।
भारतमाला परियोजना पूरी हो चुकी है और अब देशभर में ग्रीन एक्सप्रेसवे विकसित किए जा रहे हैं। गडकरी ने बताया कि अटल टनल के जरिए लद्दाख–लेह को सालभर कनेक्टिविटी मिली है, जबकि देश में 8 नई टनलों पर काम जारी है। जोजिला टनल का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और श्रीनगर क्षेत्र में कुल 36 टनल बनाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे नेटवर्क के विस्तार से लॉजिस्टिक्स लागत 16 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई है। सरकार का लक्ष्य दिसंबर तक रोजाना 60 किलोमीटर सड़क निर्माण का है। साथ ही घटिया काम करने वाले ठेकेदारों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।
परंपरागत पत्रकारिता और नए मीडिया के बीच बहुत अंतर आ चुका है। प्रिंट और टीवी मीडिया गहरे दबाव में हैं। ओटीटी, यू-ट्यूब चैनल और एआई आधारित न्यूज एग्रीगेटर ही चर्चा में हैं।
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प्रो.संजय द्विवेदी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जन संचार विभाग के अध्यक्ष और भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक।
2025 का साल डिजिटल ट्रांसफारमेशन के लिए जाना जाएगा। एआई के आगमन ने इन तीव्र परिर्वतनों की आहट दी है। न्यूजरूम में एआई की आमद ने बहुत कुछ बदल दिया है। मीडिया में एआई के बढ़ते प्रयोगों को यह साल दर्ज कर रहा है। पत्रकारों के एक वर्ग में इस परिदृश्य को लेकर गहरी चिंताएं हैं। परंपरागत पत्रकारिता और नए मीडिया के बीच बहुत अंतर आ चुका है।
प्रिंट और टीवी मीडिया गहरे दबाव में हैं। सोशल मीडिया, ओटीटी, यू-ट्यूब चैनल और एआई आधारित न्यूज एग्रीगेटर ही चर्चा में हैं। क्या रहेगा और क्या बचेगा, कहना मुश्किल है। इस साल के आंकड़े बताते हैं कि प्रिंट के पाठक और विज्ञापन दोनों घटे हैं।
2025 में रील,शॉर्ट्स, क्लिक- बेट ने आज की पत्रकारिता को ढंक लिया है। गहराई, शोध और संदर्भ पर केंद्रित पत्रकारिता सहमी हुई नजर आई। व्याख्या, विश्लेषण के दिन ठहरे से नजर आए। हां, ये पॉडकास्ट के दिन हैं, इसमें दो राय नहीं है। क्या चलेगा, क्या नहीं कह नहीं सकते। कुछ भी वायरल हो सकता है।
तथ्य और नैतिकता के मुद्दे लगभग लुप्त होते दिखे। हमारे जैसे मीडिया शिक्षकों के लिए चुनौती है कि वे विद्यार्थियों को किस मीडिया के लिए तैयार करें। मैं लंबे समय से मूल्य आधारित और समाधान परक पत्रकारिता की पैरवी करता रहा हूं। इस वक्त मुझे एल्गोरिदम पर केंद्रित कंटेट क्रिएशन से जूझना होगा।
इस समय पत्रकारिता का वैचारिक और दार्शनिक आधार तथा नए बाजार के मूल्य आमने-सामने हैं। जाहिर है नया साल-2026 इन सवालों के सही और ठोस उत्तरों का साल बनेगा। चीजें ठहरेंगीं और विकल्प सामने आएंगें। मुझे लगता है तथ्यात्मक, संतुलित और जनता के सवालों को उठाने वाली पत्रकारिता की जरूरत तो बनी रहनी चाहिए।
इस हाहाकार में सरकारी नियमन आएंगें और आने भी चाहिए। एआई के साथ एक संतुलित रिश्ता और सहअस्तित्व कायम होगा, इसमें दो राय नहीं है। संभव है कि सारे रूटीन काम एआई के जिम्मे चले जाएं किंतु पत्रकारिता और विचार का क्षेत्र बचा ही रहेगा।
एआई अंततः एक टूल की तरह हमारा सेवक बनकर काम करेगा, ऐसी उम्मीद 2026 से करनी चाहिए। यह साल तय करेगा कि हम बाजार के अनुचर बनेंगें या समाज के मार्गदर्शक। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा जो पत्रकारिता को संभावनाओं का साल बनाएगा। ऐसे में भारतीय पत्रकारिता के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी भी है। मीडिया संपादकों- प्रबंधकों का विवेक सही मायने में कसौटी पर है।
( यह लेखक के निजी विचार हैं )
यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। इस कदम के साथ ही मार्च 2025 के राज्य बजट में की गई घोषणा को अब औपचारिक रूप मिल गया है।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने वरिष्ठ मीडिया कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें दी जाने वाली सम्मान निधि की मासिक राशि 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दी है। जनसंपर्क विभाग की संशोधित अधिसूचना 1 दिसंबर 2025 को छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित हो चुकी है।
यह बढ़ोतरी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। इस कदम से मार्च 2025 के राज्य बजट में की गई घोषणा को अब औपचारिक रूप मिल गया है, जब वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने निधि दोगुनी करने का ऐलान किया था।
अधिसूचना में वरिष्ठ मीडिया कर्मी सम्मान निधि नियम-2019 के नियम 4 और 7 में संशोधन किया गया है। आदेश राज्यपाल के नाम से जारी हुआ है और जनसंपर्क सचिव रोहित यादव ने इसे प्रमाणित किया है।
पत्रकार संगठनों ने इस फैसले को वरिष्ठ मीडिया कर्मियों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया है। माना जा रहा है कि प्रदेश के तमाम पात्र पत्रकारों को अब बढ़ी हुई राशि का लाभ जल्द मिलना शुरू हो जाएगा।
श्वेता सिंह की टीम को बिहार चुनाव की ग्राउंड कवरेज, जिसमें उनकी पदयात्रा शामिल थी, के लिए इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से यह सम्मान मिला है।
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हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ (AajTak) की प्रोग्रामिंग हेड और ‘गुड न्यूज़ टुडे’ (Good News Today) की मैनेजिंग एडिटर श्वेता सिंह ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने अपनी टीम को इंडिया टुडे ग्रुप का प्रतिष्ठित चेयरमैन अवॉर्ड मिलने पर खुशी जताई है। ग्रुप के 50वें वर्ष के जश्न के बीच यह पोस्ट वायरल हो रही है।
श्वेता सिंह ने फेसबुक पर लिखा, ‘अभी से पांव के छाले ना देखो, अभी यारों सफ़र की इब्तिदा है।’ उन्होंने आगे लिखा, ’इंडिया टुडे ग्रुप के 50वें साल में दो दशक से ज्यादा समय से इस ग्रुप का हिस्सा होने पर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। पिछले एक साल की शानदार परफॉर्मेंस के लिए मेरी टीम को चेयरमैन अवॉर्ड मिलने पर बहुत खुशी है। बिहार चुनाव कवरेज के लिए 'पदयात्रा' में मैं तो चली, लेकिन पसीना मेरी पूरी टीम ने बहाया।’
बता दें कि इंडिया टुडे ग्रुप अपने 50 वर्ष पूरे होने पर ऐसे आंतरिक सम्मानों के जरिये एंप्लॉयीज की मेहनत को सराह रहा है। यह अवॉर्ड चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रदान किया जाता है। अवॉर्ड में ट्रॉफी, सर्टिफिकेट और राशि शामिल होती है।
श्वेता सिंह लंबे समय से ग्रुप से जुड़ी हुई हैं और स्पेशल प्रोग्रामिंग में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से श्वेता सिंह की टीम को बिहार चुनाव की ग्राउंड कवरेज, जिसमें उनकी पदयात्रा शामिल थी, के लिए यह सम्मान मिला है।
श्वेता सिंह की इस फेसबुक पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं।
कार्यक्रम में ‘पहल’ के प्रकाशन से जुड़े विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पी. शशिकला, विभागाध्यक्ष और शिक्षकगण भी उपस्थित रहे।
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‘बांग्लादेश विजय दिवस’ की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के प्रायोगिक पत्र ‘पहल’ के बांग्लादेश विशेषांक का लोकार्पण विश्वविद्यालय परिसर स्थित भारत रत्न लता मंगेश्कर सभागार में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर बीबीसी के पूर्व वरिष्ठ पत्रकार सलमान रावी, बंगाली एसोसिएशन कालीबाड़ी के महासचिव सलिल चटर्जी और विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय मनोहर तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। कुलगुरु प्रो. तिवारी ने अध्ययनशीलता और प्रयोगधर्मिता को पत्रकारिता की बुनियाद बताते हुए कहा कि बांग्लादेश का अनुभव यह सिखाता है कि जब लोकतांत्रिक विकल्प कमजोर पड़ते हैं, तब आतंकवाद अपनों को भी नहीं बख्शता।
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि पत्रकारिता को केवल सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायी हस्तक्षेप के रूप में देखें। बीबीसी के पूर्व वरिष्ठ संवाददाता सलमान रावी ने कहा कि आज पत्रकारिता का सबसे बड़ा संकट सतही और सरोकार-विहीन कंटेंट की बाढ़ है। ऐसे समय में शोध, संदर्भ और गहराई ही पत्रकार की विश्वसनीयता तय करेगी।
सलिल चटर्जी ने बांग्लादेश के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद की उम्मीदें कैसे धीरे-धीरे कट्टरता में बदलीं। उन्होंने वहां बंगाली समुदाय के साथ हो रहे अन्याय पर चिंता जताई। कार्यक्रम में ‘पहल’ के प्रकाशन से जुड़े विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पी. शशिकला, विभागाध्यक्ष और शिक्षकगण भी उपस्थित रहे। संचालन महक पवानी और मानसी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन शांतनु सिंह ने प्रस्तुत किया।
आईटीवी नेटवर्क का सालाना राजनीतिक कॉन्क्लेव ‘इंडिया न्यूज़ मंच’ एक बार फिर लौट रहा है। नौवें संस्करण में देश की राजनीति से जुड़े बड़े चेहरे, नीति निर्माता और सांसद एक मंच पर नजर आएंगे।
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आईटीवी नेटवर्क का प्रतिष्ठित राजनीतिक कॉन्क्लेव ‘इंडिया न्यूज़ मंच’ एक बार फिर देश की सियासत के केंद्र में चर्चा का मंच बनने जा रहा है। यह मंच भारत की प्रभावशाली आवाज़ों, नीति निर्माताओं और राजनीतिक नेतृत्व को एक साथ लाकर समसामयिक राष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीर संवाद और विचार-विमर्श के लिए जाना जाता है।
‘इंडिया न्यूज़ मंच’ का यह नौवां संस्करण 16 और 17 दिसंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। इस बार आयोजन स्थल दिल्ली के जनपथ स्थित होटल इम्पीरियल को चुना गया है। दो दिवसीय इस मेगा कॉन्क्लेव का सीधा प्रसारण आईटीवी नेटवर्क के सभी चैनलों पर किया जाएगा, जिसमें इंडिया न्यूज़, न्यूज़एक्स और नेटवर्क के क्षेत्रीय चैनल शामिल होंगे।
आयोजन में देश की राजनीति से जुड़ी बड़ी हस्तियां एक ही मंच पर दिखाई देंगी। जानकारी के अनुसार, इस बार के मंच पर 9 केंद्रीय मंत्री, 3 मुख्यमंत्री और 17 से अधिक सांसद शिरकत करेंगे। इसके अलावा, कुल 20 से ज्यादा सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें राजनीति, शासन, सुधार और देश की भविष्य की दिशा जैसे अहम विषयों पर चर्चा होगी।
‘इंडिया न्यूज़ मंच’ को राष्ट्रीय विमर्श का अहम मंच माना जाता है, जहां गहन पैनल चर्चाएं और आमने-सामने के साक्षात्कार दर्शकों को देश की राजनीति को समझने का अवसर देते हैं। इससे पहले जुलाई 2024 में आयोजित मंच में कई केंद्रीय मंत्री, सांसद और प्रमुख राजनीतिक नेता शामिल हुए थे। इस बार भी यह कॉन्क्लेव राष्ट्रीय मुद्दों पर सार्थक संवाद का केंद्र बनने जा रहा है।
उद्योग रिपोर्टों में बताया गया है कि टीवी के कुल स्क्रीन-काउंट 2024 में लगभग 190 मिलियन के स्तर पर था और 2026 तक इसे 214 मिलियन तक पहुँचने का प्रोजेक्शन दिया गया।
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Samachar4media Bureau
आलोक मेहता, पद्मश्री, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक।
दिल्ली-मुंबई में कई प्रभावशाली लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि अब कौन टीवी देखता है या कौन अख़बार या किताब पढ़ता है? खासकर बड़े सरकारी अफ़सर और कुछ ज़मीन की सच्चाई से कटे हुए कॉर्पोरेट प्रबंधकों को मैंने भी यह कहते सुना-देखा है। मैं उनसे असहमत रहता हूँ। मेरे जमीनी अनुभव के बजाय कोई सरकार या अधिकृत कॉर्पोरेट मार्केटिंग के तथ्य को ही विश्वास करना चाहे तो अधिकृत आँकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि 2025 की आवाज़ है। टीवी अभी जिंदा है, 230 मिलियन घरों और 900 मिलियन दर्शक इससे जुड़े हुए हैं।
तभी तो विश्व के शीर्ष नेताओं में से एक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत यात्रा के एक दिन पहले भारत के टीवी न्यूज़ चैनल आज तक और इंडिया टुडे को इंटरव्यू दिया। वैसे 2002 में भी उन्होंने भारत के टीवी चैनल एनडीटीवी (विष्णु सोम) और 2007 में भारतीय दूरदर्शन के लिए (राघव बहल को) इंटरव्यू दिए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम भारत के अधिकांश न्यूज़ चैनल प्रसारित करते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नेशनल और रीजनल टीवी चैनल्स को इतने अधिक इंटरव्यू दिए, जो एक रिकॉर्ड है। फिर वह न्यूज़ चैनल्स के इवेंट्स में अपनी बातें लगातार रखते हैं। जनता पर सीधे संवाद का इससे अच्छा तरीका और कुछ नहीं हो सकता।
सरकारी और कॉर्पोरेट प्रबंधकों को इस तथ्य पर भी विचार करना चाहिए कि मीडिया और इंटरटेनमेंट सेक्टर की बढ़ती आय 2.5 लाख करोड़ से बढ़कर 2.7 लाख करोड़ रुपये इस बात का संकेत देती है कि आर्थिक मॉडल बदला पर मजबूत बना हुआ है। उसी समय, प्रिंट मीडिया ने भी 2025 की पहली छमाही में 2.77% सर्कुलेशन में वृद्धि दिखाकर लाभ दिया कि भरोसा अभी भी मौजूद है।
इन सब के बीच सबसे बड़ा खतरा और अवसर दोनों डिजिटल में हैं। जहाँ नियम, टेक्नोलॉजी और नागरिक-साक्षरता यह तय करेंगे कि अगला दशक मीडिया-स्वास्थ्य और लोकतंत्र के लिए सकारात्मक बनेगा या नहीं। वर्ष 2025 ने मीडिया-इकोसिस्टम के उस परिवर्तन को और स्पष्ट कर दिया जिसे कई लोग पिछले दशक से देख रहे थे। एक ओर पारंपरिक टेलीविजन (टीवी) की पहुँच और भरोसेमंदता बरकरार है, दूसरी ओर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ओटीटी, सोशल मीडिया, न्यूज़ ऐप्स भी दर्शक और विज्ञापन की कमाई खींच रहे हैं। यही द्वैत न केवल दर्शक-व्यवहार बदलता है बल्कि मीडिया हाउसों के राजस्व, विज्ञापन मॉडल और नियंत्रण के स्वरूप को भी बदल रहा है।
उद्योग रिपोर्टों में बताया गया है कि टीवी के कुल स्क्रीन-काउंट 2024 में लगभग 190 मिलियन के स्तर पर था और 2026 तक इसे 214 मिलियन तक पहुँचने का प्रोजेक्शन दिया गया। इस वृद्धि से अनुमानित नई खरीद हर साल कई करोड़ स्क्रीन-वृद्धि के अनुरूप दिखती है। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार 2025 में भारत में लगभग 230 मिलियन हाउसहोल्ड्स टीवी-नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और कुल दर्शकों की पहुँच लगभग 900 मिलियन तक बताई गई है।
यानी टीवी की बेस-लाइन्स पहुँच विशाल है। यह ग्रामीण-अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक जानकारी पहुँचाने का सबसे किफ़ायती और प्रभावी माध्यम बना हुआ है। खासकर जहाँ इंटरनेट-पेनिट्रेशन या ब्रॉडबैंड-गति सीमित है। यह ऊँचा दर्शक-आधार टीवी को विशेषकर समाचार और राज्य/क्षेत्रीय सूचनाओं के लिए एक निर्णायक माध्यम बनाता है, भले ही युवा दर्शक अधिकतर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जा रहे हों। टीवी की पारंपरिक सामग्री न्यूज़ बुलेटिन, क्षेत्रीय सीरियल्स, धार्मिक और ग्रामीण कार्यक्रम अभी भी उस जनसमूह को सबसे पहले पहुँचाती है जिसका डिजिटल पहुँच सापेक्ष कम है।
बड़े लोग भूल जाते हैं कि मोबाइल फोन देश के गरीब वर्ग तक पहुँचा है। बताते हैं कि 100 करोड़ मोबाइल सेट लोगों के पास हैं। लेकिन दिल्ली-मुंबई में सब्ज़ी-फल बेचने वाले या रिक्शा चालक या घरों में काम करने वाली महिलाएँ मोबाइल फोन सामान्यतः घर-परिवार या काम की बात करने-सुनने के लिए करती हैं, उस पर न्यूज़ या उससे जुड़े प्रोग्राम नहीं देखतीं। बच्चों की पढ़ाई में कुछ सहायक है।
इसी तरह विश्वास करना कठिन लग सकता है पर एबीसी सर्कुलेशन के प्रामाणिक आँकड़ों के अनुसार जनवरी-जून 2025 ऑडिट-पीरियड में दैनिक अख़बारों की औसत-क्वालिफ़ाइंग-सेल्स 29,744,148 (29.74 मिलियन) प्रतियाँ रहीं, जो कि जुलाई-दिसंबर 2024 के 28,941,876 (28.94 मिलियन) से 2.77% (लगभग 8.02 लाख प्रतियाँ) की वृद्धि थी।
इस वृद्धि का कारण कई क्षेत्रों में पाठक आज भी स्थानीय खबर, -सूचना, रोज़गार-सूचना और क्षेत्रीय भाषा की रिपोर्टिंग के लिए अख़बार पर भरोसा रखते हैं। कस्बों और गाँवों में ही नहीं, महानगरों में भी सामान्य लोग अख़बारों को विश्वसनीय और उपयोगी मानते हैं। हाँ, पाठकों या दर्शकों की बदलती रुचियों और उपयोगिता को प्राथमिकता ही सफलता देता है।
राहुल गांधी जैसे नेता डिजिटल क्रांति के भरोसे हैं। याद कीजिए राहुल गांधी ने केवल अर्नब गोस्वामी को एक टीवी इंटरव्यू दिया। फिर केवल डिजिटल यूट्यूब चैनल कर्ली टेल्स (ट्रैवल फूड इत्यादि के लिए प्रसिद्ध) को इंटरव्यू दिया। हाँ, भाषण प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे और मीडिया कर्मियों की जातियों, मालिकों के नाम पूछकर अपमानित करते रहे। बहरहाल, उनका शौक बॉक्सिंग रहा है। इसी तरह उन्हें मांसाहार प्रिय है। भारत में अब भी शाकाहारी और धर्मप्राण आबादी की संख्या सर्वाधिक है। वह पारंपरिक मीडिया से अधिक जुड़ी हुई है।
यों डिजिटल पर नई पीढ़ी का समाचार देखना/पढ़ना बढ़ा है, पर भरोसा घट रहा है। रॉयटर्स इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट्स के अनुसार डिजिटल-न्यूज़ की पहुँच विशेषकर शहरी तथा युवा-वर्ग में व्यापक है, पर फेक-न्यूज़ और हेट-स्पीच का खतरा साथ में बढ़ रहा है। सोशल-मीडिया, मैसेजिंग-ऐप्स और वायरल वीडियो के माध्यम से ग़लत सूचनाएँ तेज़ी से फैलती हैं।
मैसेजिंग-ग्रुप्स (जैसे वॉट्सऐप): निजी/चैनल मैसेजिंग में वायरल अफवाहें सहजता से फैलती हैं—मॉडरेशन-ऐंड-टेकडाउन जैसी कार्रवाई अक्सर लागू नहीं होती। 2025 तक एआई-सक्षम ऑडियो/वीडियो एडिटिंग ने धोखे और गलत पहचान की घटनाएँ बढ़ा दी हैं। उनके लिए नियमों में -विशेष प्रावधान की कमी चिंता का मुद्दा है।
अब नियंत्रित कंटेंट और सत्यापन डिटेक्शन, ऑटोमेटेड सत्यापन टूल और स्टैंडर्ड-मेट्रिक्स की आवश्यकता बढ़ेगी। वर्तमान नियम इन नए जोखिमों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। क़ानूनी संतुलन जैसे-जैसे डिजिटल पर नियंत्रण बढ़ेगा, अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता और सेंसरशिप के बीच संतुलन करना होगा। नियमन के पारदर्शी और अपील-मेकैनिज़्म बेहद आवश्यक होंगे।
( यह लेखक के निजी विचार हैं )
चुनाव परिणामों की घोषणा पीसीआई के मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा और उनकी टीम ने रविवार शाम प्रेस क्लब के लॉन में तमाम पत्रकारों की मौजूदगी में की।
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Samachar4media Bureau
पत्रकारों के प्रमुख संगठन ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (PCI) ने अपने इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोटी को क्लब की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना है। 13 दिसंबर को हुए इस चुनाव को ‘PCI’ के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में संगीता बरुआ पिशारोटी ने 1,019 वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। उनके मुकाबले अतुल मिश्रा को 129 और अरुण शर्मा को 89 वोट मिले। पिशारोटी के पैनल ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए पदाधिकारियों और प्रबंध समिति की सभी सीटों पर जीत हासिल की और 21-0 से क्लीन स्वीप किया।
महासचिव पद के लिए अफजल इमाम ने 948 वोट प्राप्त कर ज्ञान प्रकाश (290 वोट) को पराजित किया। उपाध्यक्ष पद पर जतिन गांधी ने 1,029 वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रह्लाद सिंह राजपूत को 900 से अधिक मतों के अंतर से हराया। वहीं कोषाध्यक्ष पद पर अदिति राजपूत और संयुक्त सचिव पद पर पी.आर. सुनील निर्विरोध चुने गए।
16 सदस्यीय प्रबंध समिति का गठन
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की 16 सदस्यीय प्रबंध समिति के चुनाव में नीरज कुमार 932 वोटों के साथ शीर्ष स्थान पर रहे। उनके बाद अभिषेक कुमार सिंह (911), जहानवी सेन (903), अशोक कौशिक (892), कल्लोल भट्टाचार्य (882), प्रवीण जैन (878), अग्रज प्रताप सिंह (865), मनोज शर्मा (861), न्यानीमा बसु (851), पीबी सुरेश (838), वीपी पांडे (833), प्रेम बहुखंडी (831), स्नेहा भूरा (829), जावेद अख्तर (823), रेजाउल हसन लस्कर (781) और सुनील कुमार (780) को प्रबंध समिति का सदस्य चुना गया।
चुनाव परिणामों की घोषणा पीसीआई के मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा और उनकी टीम ने रविवार शाम प्रेस क्लब के लॉन में तमाम पत्रकारों की मौजूदगी में की।
परिणाम घोषित होने के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष संगीता बरुआ पिशारोटी ने कहा कि यह जीत प्रेस क्लब के सदस्यों के उस विश्वास को दर्शाती है, जो उनके पैनल की सोच और स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा जिम्मेदार पत्रकारिता के मूल्यों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर है।
पीसीआई के निवर्तमान अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने क्लब के सदस्यों का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नई टीम प्रेस क्लब को और अधिक समावेशी, उत्तरदायी और समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाएगी।
वहीं, निवर्तमान महासचिव नीरज ठाकुर ने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया हमेशा देश और विदेश के पत्रकारों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था रहा है। क्लब की पहली महिला अध्यक्ष का चुनाव न केवल प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह समानता, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति पीसीआई की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।