साल 2021 अपने सफर के अंतिम पड़ाव पर है। साल 2021 ने न सिर्फ लोगों के जहन पर, बल्कि तमाम इंडस्ट्री पर भी गहरी नकारात्मक छाप छोड़ी है। ऐसे में पूरी दुनिया नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रही है। लोगों को इस साल से काफी उम्मीदें हैं।
मीडिया इंडस्ट्री की बात करें तो लोगों को वर्ष 2021 से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वर्ष 2020 की तरह ये साल भी ज्यादा बेहतर नहीं रहा। इस साल तमाम वरिष्ठ पत्रकारों को काल के क्रूर हाथों ने हमसे छीन लिया। आइए, एक नजर डालते हैं ऐसे ही वरिष्ठ पत्रकारों पर, जो कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी के साथ-साथ अन्य कारणों से इस साल दुनिया को अलविदा कह गए।
दिलीप अवस्थी: इस साल मार्च में दैनिक जागरण के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप अवस्थी का लखनऊ में निधन हो गया था। वह उम्र जनित तमाम समस्याओं से जूझ रहे थे। लखनऊ के मूल निवासी दिलीप अवस्थी को विभिन्न मीडिया संस्थानों में काम करने का 40 साल से ज्यादा का अनुभव था। उन्हें कुछ महीनों पूर्व ही ‘आउटलुक’ (Outlook) समूह में बतौर कंसल्टिंग एडिटर नियुक्त किया गया था।
दिलीप अवस्थी ने लखनऊ में ‘पॉयनियर’ अखबार के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। पूर्व में लगभग 13 साल तक वह ‘इंडिया टुडे’ के साथ जुड़े रहे थे। वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, लखनऊ में डिप्टी रेजिडेंट एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे।
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मोहन अय्यर: जाने-माने फिल्म पत्रकार और पीआरओ मोहन अय्यर (Mohan Ayyer) का इसी साल मार्च में निधन हो गया था। मोहन अय्यर कोरोनावायरस (कोविड-19) की चपेट में आ गए थे। इसके बाद उन्हें न्यूमोनिया हो गया और डायबिटीज भी थी।
इलाज के लिए मोहन अय्यर को मुंबई के भयंदर स्थित एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 मार्च 2021 को उन्होंने अंतिम सांस ली। 30 मार्च की सुबह उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। वह करीब 60 साल के थे। मोहन अय्यर के परिवार में पत्नी और एक बेटा है।
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रोहित सरदाना: वरिष्ठ पत्रकार और ‘आजतक’ के तेजतर्रार एंकर्स में शुमार रोहित सरदाना का इस साल 30 अप्रैल को निधन हो गया था। कोरोनावायरस (कोविड-19) की चपेट में आने के बाद उन्हें मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं। मूल रूप से हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले सरदाना ने अपनी माध्यमिक शिक्षा यहां के गीता निकेतन आवसीय विद्यालय से की। सरदाना मनोविज्ञान में स्नातक और गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से मासकॉम में पोस्ट ग्रेजुएट (परास्नातक) थे। न्यूज एंकर होने के साथ-साथ वे एक स्तंभकार भी थे। देश के चर्चित मुद्दों पर डिबेट शो के साथ-साथ वे उन पर अपनी कलम भी लगातार चलाते रहते थे।
मार्च 2002 से जुलाई 2003 तक सरदाना ने एक ट्रेनी कॉपी एडिटर के रूप में ईटीवी के साथ अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की थी। ट्रेनी कॉपी एडिटर के तौर पर सरदाना ने एंकरिंग, कापी राइटिंग, एडिटिंग, प्रॉडक्शन और पोस्ट-प्रॉडक्शन वर्क की बारिकियों को सीखा। साल 2003 से 2004 तक वे ‘सहारा समय’ में असिसटेंट प्रड्यूसर के तौर रहे, लेकिन 2004 में वे जी न्यूज में आ गए थे और खुद को एग्जिक्यूटिव एडिटर और एंकर के रूप में स्थापित किया। ‘ईटीवी’, ‘सहारा समय’ और ‘जी न्यूज’ के अतिरिक्त सरदाना ने ‘आकाशवाणी’ के लिए भी काम किया था। करियर के शुरुआत में उन्होंने कई अखबारों के लिए लेख भी लिखे थे। 2017 में ‘आजतक’ के साथ जुड़ गए थे।
हिंदी, अंग्रेजी और हरियाणवी के अतिरिक्त वे गुजराती भी जानते थे। पत्रकारिता में बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें बेस्ट न्यूज एंकर का ENBA अवॉर्ड, माधव ज्योति सम्मान, सैनसुई बेस्ट न्यूज प्रोग्राम अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका था।
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चंदन जायसवाल: कोरोना वायरस की वजह से पंजाब केसरी ग्रुप के ‘नवोदय टाइम्स’ के डिजिटल हेड चंदन जायसवाल का भी अप्रैल में निधन हो गया था। चंदन जायसवाल को कोरोना ने जब अपनी चपेट में ले लिया था, तब उनके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का लेवल बहुत ही कम रह गया था, जिसके बाद उन्हें नोएडा के भारद्वाज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहां 22 अप्रैल को दोपहर करीब डेढ़ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे करीब 40 वर्ष के थे।
चंदन जायसवाल बिहार के सिवान जिले के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटा है। चंदन जायसवाल पंजाब केसरी ग्रुप के साथ अक्टूबर, 2014 में जुड़े थे, जिसके बाद उनके नेतृत्व में ही ‘नवोदय टाइम्स’ डिजिटल की नींव रखी गई। इसके पहले वे ‘अमर उजाला’ डिजिटल में चीफ सब एडिटर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने मार्च, 2012 में 'अमर उजाला' जॉइन किया था। इसके पहले अगस्त, 2007 से फरवरी 2012 तक 'दैनिक जागरण' में विभिन्न पदों पर रहते हुए सीनियर सब एडिटर तक की अपनी पारी खेली।
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एम.ए.जोसफ: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार एम.ए. जोसफ का इस साल अप्रैल में हार्टअटैक से निधन हो गया। वे रायपुर में जाना-पहचाना नाम थे। लंबे समय से पत्रकारिता से जुड़े जोसफ ने कई अखबारों में अपनी सेवाएं दी। वे अपनी तेज-तर्रार पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। दैनिक ‘नवभारत’से लंबे अरसे तक वह जुड़े रहे। राज्य निर्माण आन्दोलन में भी अपनी लेखनी से अहम भूमिका निभाई।
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इंदु जैन: देश के बड़े मीडिया समूहों में शुमार ‘टाइम्स समूह’ (The Times Group) की चेयरपर्सन और देश की जानी-मानी मीडिया शख्सियत इंदु जैन का इस साल मई में निधन हो गया था। वह 84 वर्ष की थीं। इंदु जैन कई दिनों से कोरोना संक्रमण से जूझ रही थीं और अस्पताल में भर्ती थीं, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
इंदु जैन ‘द टाइम्स फाउंडेशन’ की अध्यक्ष थीं, जिसे उन्होंने स्थापित किया था। टाइम्स फाउंडेशन बाढ़, चक्रवात, भूकंप और महामारी जैसी आपदा राहत के लिए सामुदायिक सेवा, अनुसंधान फाउंडेशन और टाइम्स रिलीफ फंड चलाता है। वह भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की अध्यक्ष भी थीं, जो प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान करती है। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी आवाज उठाई। जनवरी 2016 में इंदु जैन को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
कई बार फोर्ब्स के सबसे अमीर शख्सियतों की लिस्ट में आ चुकीं इंदु जैन FICCI की महिला विंग (FLO) की फाउंडर प्रेजिडेंट भी थीं। अपनी मानवता और देश भर में कई चैरिटी के लिए पहचानी जाने वाली इंदु जैन ने मीडिया के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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शेष नारायण सिंह: मई में ही वरिष्ठ पत्रकार, कॉलमिस्ट और देश-विदेश के राजनीतिक व सामाजिक मुद्दों पर गहरी पकड़ रखने वाले शेष नारायण सिंह का कोरोनावायरस (कोविड-19) की चपेट में आकर निधन हो गया था। शेष नारायण सिंह कोविड-19 से जूझ रहे थे और उन्हें ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान शेष नारायण सिंह को प्लाज्मा भी दिया गया, लेकिन वह जिंदगी की ‘जंग’ हार गए और उनका निधन हो गया। शेष नारायण सिंह मूलत: सुल्तानपुर के रहने वाले थे।
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संत शरण अवस्थी: इसी साल मई में कोरोनावायरस (कोविड-19) की चपेट में आकर वरिष्ठ पत्रकार संत शरण अवस्थी का निधन हो गया था। कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने के कारण उन्हें कुछ दिनों पूर्व लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में भर्ती कराया गया था, जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
वह दैनिक जागरण, रांची, जमशेदपुर और लखनऊ में लंबे समय तक कार्यरत रहे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां और एक पुत्र है। संतू भैया के नाम से मशहूर संत शरण अवस्थी ‘नई दुनिया’ के मप्र-छग के संपादक सदगुरु शरण अवस्थी और अयोध्या ब्यूरो प्रमुख रमा शरण अवस्थी के बड़े भाई थे।
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राजकुमार केसवानी: जाने-माने पत्रकार राजकुमार केसवानी का इसी साल मई में निधन हो गया था। करीब 70 वर्षीय केसवानी कुछ समय पूर्व कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण की चपेट में आ गए थे और भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
गौरतलब है कि 1984 में भोपाल गैस कांड के छह माह पहले यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से गैस लीक होने की बात लिखकर सबसे पहले केसवानी ने ही चेताया था केसवानी यूनियन कार्बाइड भोपाल प्लांट के बारे में बहुत अधिक जानते थे। केसवानी ने ही प्लांट में सुरक्षा चूक की ओर ध्यान आकर्षित किया था। तीन दिसंबर 1984 को भोपाल में हुई इस भयानक त्रासदी में हजारों लोगों की जान चली गई थी और तमाम लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए थे।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केसवानी को तमाम पुरस्कारों से नवाजा गया था। इसमें 'बीडी गोयनका अवार्ड' (1985) और प्रतिष्ठित 'प्रेम भाटिया जर्नलिज्म अवार्ड' (2010) शामिल हैं। केसवानी स्वयं गैस पीड़ित होने के अलावा उन लोगों में से थे, जिन्होंने सबसे पहले यूनियन कार्बाइड पर मुकदमा किया।
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चंडीदत्त शुक्ल: वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक भास्कर, मुंबई में फीचर एडिटर चंडीदत्त शुक्ल का भी इस साल मई में निधन हो गया था। लंबे समय से वह मधुमेह से पीड़ित थे। कुछ दिनों पूर्व ही उन्हें लखनऊ पीजीआई में भर्ती कराया गया था, लेकिन जिस समय उनका निधन हुआ, वह अपने गृह जनपद गोंडा में घर पर रहकर ही अपना इलाज करवा रहे थे।
चंडीदत्त शुक्ल लखनऊ और जालंधर में पंच परमेश्वर और अमर उजाला में नौकरी करने के साथ ही दैनिक जागरण, नोएडा में लंबे समय तक चीफ सब एडिटर रहे थे। इसके बाद उन्होंने फोकस टीवी में हिंदी आउटपुट पर प्रड्यूसर/एडिटर स्क्रिप्ट की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने दूरदर्शन-नेशनल के साप्ताहिक कार्यक्रम कला परिक्रमा के लिए लंबे अरसे तक लिखा। इसके साथ ही वह कई सीरियल्स के लिए स्क्रिप्ट भी लिख चुके थे। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने कई सेलिब्रिटीज का इंटरव्यू भी किया था। उनके परिवार में पत्नी, बेटी और बेटा है।
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रवि शर्मा: जुलाई में 'न्यूज नेशन' (News Nation) चैनल में कार्यरत सीनियर एंकर रवि शर्मा का एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। 13 जुलाई की रात उनकी गाड़ी एक डिवाइडर से टकरा गई, जिसके बाद उन्हें नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
तब थाना सेक्टर 58 के थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया था कि 36 वर्षीय रवि शर्मा 13 जुलाई की रात अपनी होंडा सिटी कार से सेक्टर 62 के पास से जा रहे थे, कि तभी उनकी कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गयी। कार की गति तेज होने की वजह से कार सड़क के दोनों किनारे बने डिवाइडर से टकराती हुई काफी दूर तक घिसटती चली गई। सिंह ने बताया कि इस घटना में कार के परखच्चे उड़ गए। रवि शर्मा कार में बुरी तरह से फंस गए थे। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें कार से बाहर निकाला। उन्हें नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
रवि शर्मा क्राइम रिपोर्टिंग की दुनिया का बड़ा चेहरा थे। न्यूज नेशन में एडिटर (क्राइम) के तौर पर कार्यरत थे। वे रिपोर्टिंग के साथ-साथ क्राइम आधारित कई स्पेशल शोज की एंकरिंग करते थे। इससे पहले ‘इंडिया न्यूज’ में भी वे एडिटर (क्राइम) के तौर पर कार्यरत थे और बतौर एंकर ‘सलाखें’ नाम का क्राइम शो होस्ट करते थे। यहां वे करीब पांच साल तक रहे।
दीपक चौरसिया के ‘इंडिया न्यूज’ और फिर ‘न्यूज नेशन’ से जुड़ने के बाद कभी ‘आजतक’ की टीम में रहे रवि शर्मा भी पहले ‘इंडिया न्यूज’ और फिर ‘न्यूज नेशन’ आ गए थे। तमाम बड़ी क्राइम खबरें एक्सपोज करने और कई स्पेशल क्राइम शोज के लिए रवि शर्मा को जाना जाता रहेगा।
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अभिषेक त्यागी: गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में हुए एक सड़क हादसे में अगस्त के महीने में युवा पत्रकार अभिषेक त्यागी का निधन हो गया था। वह ‘नवभारत टाइम्स’ (NBT), नोएडा में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अभिषेक की इस हादसे से कुछ दिनों पहले ही सगाई हुई थी और परिजन उनकी शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे। इससे पहले ही काल के क्रूर हाथों ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया।
अभिषेक त्यागी मूलरूप से मेरठ के रहने वाले थे। वह गाजियाबाद में भी ‘नवभारत टाइम्स’ में काम कर चुके थे। जिस दिन हादसा हुआ, उस दिन काम खत्म करने के बाद अभिषेक त्यागी साहिबाबाद आए थे। इसी दौरान वह अज्ञात वाहन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल हालत में पुलिस ने अभिषेक को इलाज के लिए यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी मौत हो गई।
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चंदन मित्रा: वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा का इस साल सितंबर में दिल्ली में निधन हो गया था। करीब 65 वर्षीय चंदन मित्रा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। चंदन मित्रा ‘द पायनियर’ (The Pioneer) के संपादक भी थे, लेकिन इस साल जून में उन्होंने इस अखबार के प्रिंटर और पब्लिशर के पद से इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि चंदन मित्रा दो बार राज्यसभा सदस्य रहे थे। पहली बार वह अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक राज्यसभा सदस्य रहे, फिर भारतीय जनता पार्टी ने 2010 में उन्हें मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य बनाया था। इसके बाद वर्ष 2018 में चंदन मित्रा ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) जॉइन कर ली थी।
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रमन कश्यप: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की भी मौत हो गई थी। निघासन निवासी पत्रकार रमन कश्यप हिंसा के बाद से ही लापता थे। बाद में उनका शव बरामद हुआ था। परिजनों ने रमन कश्यप के निधन की पुष्टि करते हुए पोस्टमार्टम हाउस में शव की शिनाख्त की थी।
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आकाश भार्गव: रांची के जाने-माने पत्रकार आकाश भार्गव का इस साल अक्टूबर में निधन हो गया था। ‘न्यूज11 भारत’ (News11 Bharat) के वरिष्ठ पत्रकार आकाश भार्गव काफी समय से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे और दिल्ली स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलेरीज साइंसेज’ (ILBS) में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही उन्होंने अंतिम सांस ली। आकाश भार्गव के बेहतर इलाज के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके परिजनों को आर्थिक सहायता सौंपी थी।
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आनंद नेगी : इसी साल अक्टूबर में भारी बारिश के चलते अल्मोड़ा में नवनिर्मित मकान ढहने से मलबे में दबकर ‘क्रिएटिव न्यूज एक्सप्रेस’ (CNE) न्यूज पोर्टल के संवाददाता व वरिष्ठ पत्रकार आनंद नेगी की मौत हो गई थी। तहसील भिकियासैंण थाना भतरौजखान के तहत ग्राम रापड़ में हुए इस हादसे में उनके पोते और पोती की भी मौत हुई थी। जबकि नेगी की पत्नी को ग्रामीणों ने मलबे से सकुशल बाहर निकाल लिया था।
अमर उजाला के पूर्व उप संपादक आनंद नेगी सल्ट, भिकियासैंण व रानीखेत से लगातार बारिश की कवरेज कर रहे थे। अपनी मौत से एक दिन पहले तक उन्होंने बारिश से हुए नुकसान पर खबरें भी प्रेषित की थीं, लेकिन देर रात वह खुद इस आपदा की चपेट में आ गए। जिस वक्त यह घटना हुई, उस समय परिवार के सभी लोग सो रहे थे।
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सुरेंद्र मोहन तरुण: वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र मोहन तरुण का इस साल 18 नवंबर को निधन हो गया था। उनकी आयु 80 वर्ष से अधिक थी और वे अविवाहित थे। वह पिछले दो साल से बीमारी से जूझ रहे थे।उनके पारिवारिक मित्र ने मीडिया को बताया कि तरुण की तबीयत अचानक खराब हुई और उन्हें उनके गुलमोहर पार्क स्थित आवास से सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रास्ते में ले जाते समय ही उनका निधन हो गया।
सुरेंद्र मोहन कुछ वर्ष पहले समाचार एजेंसी ‘पीटीआई- भाषा’ से सेवानिवृत्त (रिटायर) हुए थे। इससे पहले वे हिंदी समाचार पत्र ‘वीर अर्जुन’ के साहित्य संपादक थे। सेवानिवृत्ति के बाद से तरुण सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते थे।
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सोमदत्त शास्त्री: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से नवंबर के महीने में देश के जाने-माने पत्रकारों में शुमार सोमदत्त शास्त्री के निधन की खबर सामने आई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सेवाएं दे चुके सोमदत्त शास्त्री ने 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े नौ बजे अंतिम सांस ली। सोमदत्त शास्त्री करीब चार साल पूर्व ‘दैनिक भास्कर’ से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद से वह ‘the beurocret world‘ नामक पत्रिका का संपादन कर रहे थे।
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जयशंकर शर्मा ‘नीरव’: वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर शर्मा ‘नीरव’ का 21 नवंबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। रायपुर प्रेस क्लब के मानद सदस्य जयशंकर शर्मा ने छत्तीसगढ़ स्थित अपने निवास पर आखिरी सांस ली। वह करीब 84 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक पुत्र और पांच बेटियां हैं। जयशंकर शर्मा ने शासकीय शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर पत्रकारिता को चुना था। वह लंबे समय तक रायपुर के दैनिक समाचार पत्र ‘महाकौशल’ में संपादक रहे। उन्होंने ‘संदेश बंधु टाइम्स’, ‘आज की जनधारा’, ‘प्रखर समाचार’ एवं ‘दण्डकारण्य समाचार’ पत्र में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई।
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विनोद दुआ: वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ इस साल चार दिसंबर को दुनिया को अलविदा कह गए। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। हालत ज्यादा गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में आईसीयू (ICU) में भर्ती कराया गया था, जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह करीब 67 साल के थे। विनोद दुआ की बेटी और जानी-मानी अभिनेत्री व कॉमेडियन मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पर इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि इसी साल जून में कोरोनावायरस (कोविड-19) की चपेट में आकर विनोद दुआ की पत्नी डॉ. पदमावती दुआ का निधन हो गया था। करीब 67 वर्षीय विनोद दुआ हिंदी पत्रकारिता में जाना-माना नाम थे। वह ‘दूरदर्शन’ और ‘एनडीटीवी’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। विनोद दुआ को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका समेत तमाम अवॉर्ड मिल चुके थे। पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2008 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने इस साल पूरे देश में जमकर कहर बरपाया। हर दिन देशभर में वायरस के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए जा रहे थे। इस बीच कई अन्य पत्रकार भी ऐसे रहे, जिनकी जान कोरोना की वजह से गई। लिस्ट लंबी होने की वजह से कई पत्रकारों का जिक्र कर पाना मुश्किल है।