पाकिस्तान के कई सेलेब्रिटीज के अकाउंट व यूट्यूब चैनल्स फिर हुए बैन

भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है।

Last Modified:
Thursday, 03 July, 2025
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भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है। बुधवार, 2 जुलाई को कुछ अकाउंट्स भारत में अस्थायी रूप से दिखने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार ने आपात समीक्षा बैठक के बाद इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को फिर से ब्लॉक कर दिया।

करीब दो महीने पहले, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और इसके साथ ही पाकिस्तान से जुड़े हजारों सोशल मीडिया अकाउंट्स, यूट्यूब चैनल्स और न्यूज प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया था। इनमें लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों जैसे सबा कमर, मावरा होकेन, अहद रजा मीर, युमना जैदी और क्रिकेटर्स शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर जैसे नाम शामिल थे।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को अचानक इन अकाउंट्स को भारत में फिर से एक्सेस किया जा सका, जिसके बाद केंद्र सरकार ने तुरंत नोटिस लिया और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई और समीक्षा के बाद फिर से कड़ा कदम उठाया और 18,000 से अधिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स को दोबारा बैन कर दिया। इसमें इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद चैनल और प्रोफाइल शामिल हैं।

सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह कदम देश की डिजिटल सुरक्षा और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

केवल सेलेब्रिटीज ही नहीं, बल्कि ‘हम टीवी’, ‘हर पल जियो’ और ‘ARY डिजिटल’ जैसे पाकिस्तानी न्यूज और एंटरटेनमेंट चैनलों के यूट्यूब व सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में दोबारा ब्लॉक कर दिया गया है।

22 अप्रैल के आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस अभियान में PoK में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक संबंध सीमित किए, बल्कि सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया था।

हालांकि, 10 मई को सीजफायर के बाद सीमाओं पर स्थिति सामान्य है, लेकिन डिजिटल मोर्चे पर भारत सख्त रुख बनाए हुए है। यह दोबारा लगाया गया प्रतिबंध इस बात का संकेत है कि सरकार पाकिस्तान से जुड़े किसी भी सांस्कृतिक या सूचना माध्यम को लेकर कोई ढील देने के मूड में नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत सरकार डिजिटल सीमाओं की निगरानी में पूरी तरह सतर्क है, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं।

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गूगल के एल्गोरिदम में बदलाव से लड़खड़ाई डिजिटल मीडिया, ट्रैफिक में भारी गिरावट

गूगल के ताजा कोर अपडेट ने भारतीय डिजिटल पब्लिशिंग इकोसिस्टम को एक बड़ा झटका दिया है। इस अपडेट के लागू होते ही कई भारतीय न्यूज वेबसाइट्स की वेब ट्रैफिक में भारी गिरावट दर्ज की गई है

Last Modified:
Wednesday, 16 July, 2025
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कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

गूगल के ताजा कोर अपडेट ने भारतीय डिजिटल पब्लिशिंग इकोसिस्टम को एक बड़ा झटका दिया है। इस अपडेट के लागू होते ही कई भारतीय न्यूज वेबसाइट्स की वेब ट्रैफिक में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिनमें से कुछ ने पहले दो हफ्तों में ही 50% तक की गिरावट की रिपोर्ट की है। 30 जून से शुरू हुए इस अपडेट के बाद सर्च इंजन रिजल्ट पेज (SERP) में व्यापक फेरबदल देखा गया है। कुछ को अचानक ट्रैफिक और रैंकिंग में बढ़त मिली, जबकि कई अन्य की उपस्थिति रातोंरात गायब हो गई।

इस जलजले का असर सिर्फ मीडिया तक सीमित नहीं है। ई-कॉमर्स और बैंकिंग-फाइनेंशियल-इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर की वेबसाइट्स भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। पीडी लैब.मी (pdlab.me) द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक, यह अपडेट प्लेटफॉर्म डिपेंडेंसी और सर्च इंजन अपडेट्स की अपारदर्शिता को लेकर नई चिंताएं खड़ी कर रहा है।

22 वेबसाइट्स में से 80% पर नकारात्मक असर

PDlab.me के फाउंडर संदीप अमर के अनुसार, “पहले दो हफ्तों में 22 वेबसाइट्स के व्यापक विश्लेषण से स्पष्ट हुआ है कि जून 2025 के कोर अपडेट का असर बड़े पैमाने पर पड़ा है। इनमें से लगभग 80% साइट्स को नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ा, जिनमें से अधिकांश ने 20 से 50% तक ट्रैफिक में गिरावट देखी है।”

हालांकि गूगल ने यह अपडेट आधिकारिक रूप से 30 जून को जारी किया, लेकिन इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि सर्च रैंकिंग में अस्थिरता जून के तीसरे हफ्ते से ही शुरू हो गई थी। 16 से 18 जून के बीच SEO ट्रैकर्स ने मार्च कोर अपडेट के बाद सबसे अधिक उतार-चढ़ाव दर्ज किया।

एक वरिष्ठ मीडिया कार्यकारी ने कहा, “हर बार जब कोई कोर अपडेट आता है, तो हम 3-4 हफ्तों के अनिश्चित काल के लिए तैयार हो जाते हैं। रैंकिंग डगमगाती है, ट्रैफिक बेतहाशा घटता-बढ़ता है और इसका असर हर बार अलग होता है- कुछ को फायदा होता है, तो कुछ को बड़ा नुकसान।”

AI-Mode और 'जीरो-क्लिक' के कारण अनिश्चितता और बढ़ी

डिजिटल विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 3 से 4 हफ्तों में यह अस्थिरता कुछ हद तक थम सकती है, लेकिन कुछ चेतावनी भी दे रहे हैं कि इसके झटके Q2 तक महसूस हो सकते हैं। एक प्रमुख डिजिटल एजेंसी के SEO स्ट्रैटेजिस्ट के अनुसार, “हमने पहले देखा है कि जब एक से अधिक अपडेट या एक्सपेरिमेंटल फीचर एकसाथ रोल आउट होते हैं, तो रैंकिंग की अस्थिरता कई महीनों तक बनी रहती है।” उन्होंने ‘AI-mode’ नामक एक अन्य गूगल अपडेट की ओर भी इशारा किया।

इस अनिश्चितता ने ब्रैंड मार्केटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स के बीच चिंता बढ़ा दी है, खासकर ऐसे समय में जब त्योहारों का सीजन नजदीक है। एक मार्केटर ने कहा, “जब ऑर्गेनिक पहुंच ही भरोसेमंद न हो, तो फेस्टिव बजट प्लान करना बेहद कठिन हो जाता है।”

गूगल से इस कोर अपडेट के प्रभावों को लेकर पूछे गए विस्तृत सवालों पर जवाब न्यूज लिखे जाने तक नहीं मिला था।

तीन तरह के ट्रैफिक पैटर्न सामने आए

पहले के अपडेट्स के विपरीत, जहां ट्रैफिक में गिरावट आमतौर पर एकसमान होती थी, इस बार तीन अलग-अलग पैटर्न देखने को मिले हैं:

  1. ऐसे ब्रैंड्स जिन्होंने पहले दिन से ट्रैफिक खोया और लगातार गिरते गए।

  2. जिन साइट्स को शुरुआत में ट्रैफिक में उछाल मिला लेकिन फिर अचानक भारी गिरावट आई — यह कोर अपडेट्स में कम ही देखा गया है।

  3. और सबसे अलग, SERP में एक असाधारण आक्रामकता से पुनर्संरेखण (readjustment) हो रहा है।

‘Googlequake’ जैसा असर

तीसरे पक्ष के टूल SEMrush Sensor के अनुसार, पिछले 30 दिनों में न्यूज वेबसाइट्स के लिए SERP वोलैटिलिटी का स्कोर 10 में से 9.4 दर्ज किया गया — जिसे उन्होंने "Googlequake" नाम दिया है। उदाहरण के लिए, India Today और ESPN साइट्स अमेरिका में शीर्ष 6 न्यूज साइट्स में शामिल हो गईं, जबकि एक सप्ताह पहले वे क्रमशः 6वें और 5वें स्थान पर थीं।

पब्लिशर्स का मानना है, “ये अपडेट जीरो-क्लिक युग और AI कंपनियों की चुनौती से निपटने के लिए यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने की दिशा में होते हैं। लेकिन पब्लिशर्स के लिए ये अपडेट लगभग हमेशा ट्रैफिक गिरने के साथ शुरू होते हैं। चीजें समय के साथ स्थिर हो सकती हैं, लेकिन यह कभी भी निश्चित नहीं होता। अगर कोई साइट इस बार बच गई, तो अगली बार उसकी बारी हो सकती है — यह अब एक एल्गोरिदमिक भाग्य का खेल बन चुका है।”

एक अंग्रेजी अखबार के डिजिटल हेड ने कहा कि यह परिवर्तन गूगल के AI ओवरव्यू और जीरो-क्लिक व्यवहार से जुड़ी पृष्ठभूमि समायोजन का संकेत देता है।

AI युग में यूजर एक्सपीरियंस और चुनौती

वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत में डिजिटल विज्ञापनों से गूगल ने ₹31,000 करोड़ से अधिक की कमाई की — यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में उसका वर्चस्व कायम है। कुल डिजिटल विज्ञापन राजस्व में इसका लगभग 70% हिस्सा है, जिससे वह ब्रैंड्स और पब्लिशर्स दोनों के लिए एक मुख्य माध्यम बना हुआ है।

इसमें बड़ी हिस्सेदारी कंटेंट आधारित प्लेटफॉर्म्स की है, जिनमें न्यूज वेबसाइट्स प्रमुख भूमिका निभाती हैं। लेकिन रैंकिंग अस्थिरता, जीरो-क्लिक सर्चेज और AI-ड्रिवन ब्राउजर्स के बढ़ते असर के चलते यह मॉडल अब सवालों के घेरे में आ रहा है।

AI आधारित प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने से जीरो-क्लिक युग तेजी से आगे बढ़ रहा है, जहां यूजर को सीधे सर्च पेज पर जवाब मिल जाता है — वेबसाइट पर क्लिक करने की जरूरत ही नहीं रहती। इससे SEO आधारित ट्रैफिक को खतरा है, जो कि गूगल के रेवेन्यू मॉडल की नींव है। वहीं, कुछ AI कंपनियां अपने ब्राउजर्स भी लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं, जिससे सर्च स्पेस और अधिक विखंडित हो सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि घटिया, AI-जनित कंटेंट की बाढ़ यूजर ट्रस्ट को नुकसान पहुंचा सकती है और सर्च परिणामों की विश्वसनीयता को भी कम कर सकती है — इससे गूगल की लंबे समय से चली आ रही लीडरशिप और रेवेन्यू मॉडल दोनों को चुनौती मिल सकती है। जून 2025 कोर अपडेट के बाद कई पब्लिशर्स को Google Search Console में “भ्रामक सामग्री” (misleading content) के नोटिफिकेशन मिल रहे हैं।

इसके अलावा, जिन वेबसाइट्स की आंतरिक संरचना कमजोर, कंटेंट पुराना, या यूजर एंगेजमेंट कमजोर है — उनमें ट्रैफिक गिरावट सबसे अधिक रही है।

यह बदलाव, इंडस्ट्री लीडर्स के अनुसार, गूगल के कंटेंट की प्रामाणिकता और सच्चाई पर बढ़ते जोर को दर्शाता है।

विशेषज्ञों की सलाह: वादे और हकीकत में न हो अंतर

विशेषज्ञों का सुझाव है कि पब्लिशर्स को अपनी हेडलाइंस को लेख की सामग्री से पूरी तरह मेल खाते बनाना चाहिए।

PDlab.me के संदीप अमर कहते हैं, “हेडलाइन में जो वादा किया गया है, अगर वह लेख में नहीं निभाया गया, तो अब उसे और सख्ती से देखा जा रहा है। कंटेंट क्रिएटर्स को अपने पाठकों के प्रति ईमानदार और मददगार होना होगा, क्योंकि गूगल की मैनुअल रिव्यू प्रक्रिया अब भ्रामक कंटेंट की पहचान कर उस पर दंड लगा रही है।”

वह चेतावनी देते हैं कि इस स्तर की अस्थिरता को संभालने के लिए धैर्य और रणनीतिक योजना आवश्यक है, खासकर ब्रैंड स्टेकहोल्डर्स के लिए, जिनकी SEO की समझ सीमित होती है और वे त्वरित समाधान की अपेक्षा रखते हैं।

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इस बड़े पद पर ‘मनीकंट्रोल’ की टीम में शामिल हुए रोहित गांधी

‘मनीकंट्रोल’ से जुड़ने से पहले रोहित गांधी ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ (HT Digital Streams) में डिजिटल बिजनेस के रेवेन्यू हेड के तौर पर कार्यरत थे, जहां उन्होंने करीब दो साल तक अपनी सेवाएं दीं।

Last Modified:
Tuesday, 15 July, 2025
Rohit Gandhi

डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म ‘मनीकंट्रोल’ (moneycontrol.com) ने रोहित गांधी को वाइस प्रेजिडेंट और रेवेन्यू हेड के पद पर नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में वह इस प्लेटफॉर्म के लिए डिस्प्ले एडवरटाइजिंग, ब्रैंडेड कंटेंट, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज (IP) और वीडियो इनिशिएटिव्स की जिम्मेदारी संभालेंगे।

रोहित गांधी को ऐड सेल्स और बिजनेस डेवलपमेंट का लंबा अनुभव है। ‘मनीकंट्रोल’ से जुड़ने से पहले रोहित गांधी ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ (HT Digital Streams) में डिजिटल बिजनेस के रेवेन्यू हेड के तौर पर कार्यरत थे, जहां उन्होंने करीब दो साल तक अपनी सेवाएं दीं।

रोहित गांधी इससे पहले भी कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में लीडरशिप भूमिकाएं निभा चुके हैं। इनमें MX Player, नेटवर्क18 डिजिटल (CNBCTV18.com और मनीकंट्रोल), कॉन्डे नास्ट इंडिया, द हिन्दू ग्रुप (KSL डिजिटल), टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड, Rediff.com और Bloomberg UTV जैसे जाने-माने नाम शामिल हैं।

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एक्स पर अब ब्लू टिक लेना हुआ सस्ता : 48% तक सस्ता हुआ प्रीमियम प्लान

कंपनी का यह फैसला भारत जैसे बड़े इंटरनेट मार्केट में X की पहुंच को बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

Last Modified:
Tuesday, 15 July, 2025
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) ने भारत में अपने यूजर्स के लिए एक बड़ी राहत दी है। कंपनी ने अपने प्रीमियम सब्सक्रिप्शन प्लान्स की कीमतों में 47 फीसदी तक की भारी कटौती की है। यह बदलाव X के तीनों बेसिक, प्रीमियम और प्रीमियम+ पर लागू होगा। अब यूजर्स को बेसिक प्लान सिर्फ 170 रुपये प्रति माह में मिलेगा, जबकि प्रीमियम प्लान 470 रुपये और प्रीमियम+ प्लान 3,000 रुपये प्रति माह में उपलब्ध होगा।

मोबाइल यूजर्स के लिए प्रीमियम अकाउंट का मासिक शुल्क पहले 900 रुपये था, जिसे अब 470 रुपये कर दिया गया है, यानी करीब 48% की कटौती हुई है। प्रीमियम प्लस सब्सक्रिप्शन की कीमत भी मोबाइल पर 5,100 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये कर दी गई है, यानी करीब 41% की कमी हुई है।

वेब पर प्रीमियम सब्सक्रिप्शन अब 650 रुपये से घटकर 427 रुपये में मिलेगा, जो कि 34% सस्ता है। प्रीमियम प्लस अकाउंट अब वेब पर 3,470 रुपये की जगह 2,570 रुपये में मिलेगा। आपको बता दें, कंपनी का यह फैसला भारत जैसे बड़े इंटरनेट मार्केट में X की पहुंच को बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

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न्यूज, एंटरटेनमेंट व स्पोर्ट्स के साथ Bajarbattu Media की लॉन्चिंग

स्पोर्ट्स व एंटरटेनमेंट ब्रैंड LegaXy के लॉन्च के बाद अब इसकी संस्थापक टीम ने डिजिटल कंटेंट स्पेस में कदम रखते हुए Bajarbattu Media की शुरुआत की है।

Last Modified:
Monday, 14 July, 2025
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स्पोर्ट्स व एंटरटेनमेंट ब्रैंड LegaXy के लॉन्च के बाद अब इसकी संस्थापक टीम ने डिजिटल कंटेंट स्पेस में कदम रखते हुए Bajarbattu Media की शुरुआत की है। यह एक नई पीढ़ी की डिजिटल मीडिया कंपनी है, जो विभिन्न विषयों में मौलिक और आकर्षक कंटेंट तैयार करेगी।

Bajarbattu Media को एक आधुनिक infotainment पावरहाउस के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, जिसका उद्देश्य शक्तिशाली कहानी कहने की कला को उन्नत डिजिटल फॉर्मेट्स के साथ जोड़कर भारतीय दर्शकों को जानकारी देना, उन्हें जोड़े रखना और उनका मनोरंजन करना है।

इस कंपनी का कंटेंट मुख्य रूप से यूट्यूब पर प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लिए कंपनी ने तीन अलग-अलग चैनलों की शुरुआत की है। Bajarbattu Duniya ऐसा चैनल है जो समसामयिक मामलों और वैश्विक राजनीति पर केंद्रित है, जहां दुनिया भर की घटनाओं पर गहराई से विश्लेषण और तेज टिप्पणियां देखने को मिलेंगी। Bajarbattu Entertainment चैनल पॉप कल्चर, व्यंग्य और ट्रेंडिंग विषयों पर आधारित है, जो ताजगी और चुटीले अंदाज में दर्शकों का मनोरंजन करेगा। वहीं Bajarbattu Sports चैनल खेल जगत की उन कहानियों और विश्लेषणों को सामने लाएगा जो केवल स्कोरबोर्ड तक सीमित नहीं हैं।

Bajarbattu Media का लक्ष्य है डिजिटल युग के दर्शकों को प्रासंगिक, सूचनात्मक और मनोरंजक कंटेंट से जोड़ना- एक ऐसे अंदाज में जो न केवल नया हो बल्कि असरदार भी हो।

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ब्रैंडेड कटेंट से कहीं आगे निकले सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर निर्मित कंटेंट: Kantar रिपोर्ट

डिजिटल दर्शकों का ध्यान खींचने की दौड़ में इंफ्लुएंसर-निर्देशित कंटेंट ने ब्रैंड द्वारा बनाए गए पारंपरिक कंटेंट से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।

Last Modified:
Friday, 11 July, 2025
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शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

डिजिटल दर्शकों का ध्यान खींचने की दौड़ में इंफ्लुएंसर निर्देशित कंटेंट ने ब्रैंड द्वारा बनाए गए पारंपरिक कंटेंट से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। Kantar के India Context Lab की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दर्शक औसतन 17.8 सेकंड तक इंफ्लुएंसर कंटेंट देखते हैं, जबकि ब्रैंड-निर्मित कंटेंट को सिर्फ 7.9 सेकंड में स्किप कर दिया जाता है। यानी, इंफ्लुएंसर कंटेंट दर्शकों का ध्यान 2.2 गुना ज्यादा देर तक खींचे रखता है, जो आज के भरे-पूरे डिजिटल परिदृश्य में इंफ्लुएंसर मार्केटिंग को एक निर्णायक बढ़त देता है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इंफ्लुएंसर कंटेंट की दृश्यता अवधि (visibility duration) ब्रैंड-निर्मित कंटेंट की तुलना में 1.4 गुना ज्यादा होती है। यह आंकड़े उन ब्रैंड्स और विज्ञापनदाताओं के लिए खास मायने रखते हैं, जो खासकर मोबाइल-फर्स्ट कैंपेन के जरिए गहन जुड़ाव और कहानी कहने की क्षमता को प्राथमिकता देते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि इंफ्लुएंसर एक्टिवेशन दर्शकों को बांधे रखने में कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हो रहे हैं। जहां ब्रैंड द्वारा निर्मित कंटेंट को कुछ ही सेकंड में स्किप कर दिया जाता है, वहीं इंफ्लुएंसर के कंटेंट दर्शकों को लंबे समय तक रोके रखते हैं, जिससे न केवल मैसेज को बेहतर ढंग से पहुंचाने का मौका मिलता है, बल्कि प्रोडक्ट डिस्कवरी के लिए भी अतिरिक्त समय मिलता है। 

हालांकि, बेहतर स्किप टाइम और विजिबिलिटी के बावजूद इन्फ्लुएंसर विज्ञापन टॉप-फनल मेट्रिक्स (जैसे ब्रैंड अवेयरनेस और मैसेज एसोसिएशन) में अभी भी पारंपरिक डिजिटल विज्ञापन से पीछे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन्फ्लुएंसर कंटेंट ब्रैंड अवेयरनेस में सिर्फ 3% की बढ़ोतरी करता है और मैसेज एसोसिएशन में 2% की, वहीं पारंपरिक डिजिटल कंटेंट इन दोनों मेट्रिक्स में 8% की बढ़त दर्ज करते हैं।

लेकिन ‘मिड-टू-लोअर फनल’ के स्तर पर इंफ्लुएंसर कैंपेन मजबूत साबित होते हैं। ये कैंपेन ब्रैंड विशेषताओं की पहचान में 10% (जबकि डिजिटल विज्ञापन में 7%) और खरीदारी की मंशा में 7% (जबकि डिजिटल विज्ञापन में 6%) की बढ़ोतरी लाते हैं।

हालांकि, दीर्घकालिक ब्रैंड निर्माण के नजरिए से देखें तो सिर्फ 7% इंफ्लुएंसर-केंद्रित कैंपेन ही ऐसे होते हैं जो शीर्ष 30% विज्ञापनों में जगह बना पाते हैं, जबकि सामान्य डिजिटल विज्ञापनों के मामले में यह आंकड़ा 32% है।

इसके बावजूद, इंफ्लुएंसर कंटेंट की ज्यादा एंगेजमेंट का बड़ा कारण दर्शकों का भरोसा है। Kantar की एक वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि 67% लोग इंफ्लुएंसर की सिफारिशों पर पारंपरिक कंटेंट की तुलना में ज्यादा भरोसा करते हैं। वहीं 26% लोगों ने कहा कि वे इंफ्लुएंसर की सलाह पसंद करते हैं लेकिन सतर्क रहते हैं। केवल 4% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें पारंपरिक विज्ञापन पर ज्यादा भरोसा है।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि भले ही इंफ्लुएंसर मार्केटिंग अभी दीर्घकालिक ब्रैंड वैल्यू निर्माण में पूरी तरह से सक्षम न हो, लेकिन यूजर अटेंशन और शॉर्ट-टर्म एंगेजमेंट के लिहाज से यह विज्ञापनदाताओं के लिए एक मजबूत रणनीति के रूप में उभर रही है।

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एलन मस्क ने पेश किया xAI का लेटेस्ट मॉडल Grok 4, जानिए इसकी खासियत

जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है।

Last Modified:
Thursday, 10 July, 2025
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जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है। आज X (पूर्व ट्विटर) पर एक लाइवस्ट्रीम के जरिए Grok 4 लॉन्च किया गया, जो उन्नत रीजनिंग, कोड जनरेशन, मीम इंटरप्रिटेशन और रियल टाइम डेटा इंटीग्रेशन जैसी क्षमताओं का वादा करता है।

दिलचस्प बात यह है कि Grok 4 ने वर्जन 3.5 को पूरी तरह स्किप करते हुए सीधे इस नए एडवांस्ड रूप में छलांग लगाई है। इसे xAI के Colossus Supercomputer पर ट्रेन किया गया है। मस्क का दावा है कि यह “वैज्ञानिक स्तर” की सोच रखने वाला मॉडल है और इसने पहले ही Google के Gemini 2.5 Pro और OpenAI के o3 को Humanity’s Last Exam और ARC-AGI-2 जैसे रीजनिंग बेंचमार्क्स में पछाड़ दिया है। सीधे शब्दों में कहें तो, Grok 4 केवल बातचीत करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने, कोड लिखने और शायद आपकी स्ट्रैटेजी प्रेजेंटेशन में मीम डालने के लिए भी बना है।

Grok 4 की मल्टीमोडल क्षमताएं और भी मजबूत हुई हैं। यह अब टेक्स्ट, इमेज और भविष्य में शायद वीडियो भी समझ और जनरेट कर सकता है। इसमें मीम्स को पढ़ने और बनाने की भी क्षमता है, जो मस्क के उस विश्वास को दर्शाता है कि “मीम आज के जमाने के हाइरोग्लिफिक्स (चित्रलिपि) हैं।” इसके अलावा Grok 4 में एक persistent personality फीचर जोड़ा गया है, जिससे यह पहले के संवादों को याद रख सकता है और ज्यादा पर्सनलाइज्ड जवाब दे सकता है। साथ ही, इसमें DeepSearch के जरिए वेब और X से रियल-टाइम डेटा एक्सेस की सुविधा भी है।

इस नए संस्करण में सबसे चर्चित चीज है $300 प्रति माह वाला “SuperGrok Heavy” टियर, जिसमें इसके सबसे शक्तिशाली multi-agent model तक जल्दी पहुंच और विस्तृत क्षमताएं मिलती हैं। यह कीमत शायद कुछ विज्ञापनदाताओं को परेशान कर सकती है, लेकिन यह मस्क की xAI की प्रीमियम पोजिशनिंग को लेकर आत्मविश्वास दिखाती है।

9 जुलाई 2025 तक जहां Perplexity $14 अरब के वैल्यूएशन के साथ अपनी योजनाएं बना रहा है और OpenAI अपने ब्राउजर रूपी ट्रोजन हॉर्स पर काम कर रहा है, वहीं मस्क की xAI भी पीछे नहीं है। Grok को सीधे X प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करके xAI खुद को सिर्फ एक और चैटबॉट नहीं, बल्कि AI रीजनिंग, पॉप-कल्चर ट्रेंड्स और सोशल बातचीत के बीच एक सक्रिय सेतु के रूप में पेश कर रहा है।

हालांकि, इस राह में चुनौतियां भी हैं। हाल ही में Grok पर कुछ विवादास्पद और यहूदी विरोधी कंटेंट सामने आया था, जिसके बाद xAI को तत्काल सुधार और स्पष्टीकरण देने पड़े। मस्क की ‘कम सेंसरशिप’ की पॉलिसी कुछ लोगों को पसंद आ सकती है, लेकिन ब्रैंड सुरक्षा और कंटेंट विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं, जिस पर विज्ञापनदाता और मीडिया प्लानर कड़ी नजर रखेंगे।

जहां OpenAI का ब्राउजर एक प्रोऐक्टिव कंसीयर्ज बनना चाहता है और Perplexity का Comet एक सौम्य एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट की तरह है, वहीं Grok 4 उस पार्टी गेस्ट की तरह लगता है जो कभी आपका कोड फिक्स कर सकता है तो कभी पेपे मीम और साजिशों वाले जोक्स छोड़ सकता है।

AI की दुनिया में जहां पहले से ही ओवरलॉर्ड्स, मल्टीटास्कर और कैओस एजेंट भरे पड़े हैं, वहां Grok 4 एक जोरदार घोषणा है कि ये रेस केवल IQ पॉइंट्स और बेंचमार्क्स की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, सांस्कृतिक समझ और मीम-लिटरेसी की भी है। 

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सट्टा ऐप्स के प्रमोशन में शामिल 29 सेलिब्रिटी ED की जांच के घेरे में, मनी लॉन्ड्रिंग का शक

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

Last Modified:
Thursday, 10 July, 2025
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें लोकप्रिय फिल्मीं सितारे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और टीवी पर्सनैलिटीज शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच की जद में जिन नामों का उल्लेख किया गया है, उनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, हर्षा साई और श्रीमुखी जैसी हस्तियां शामिल हैं।

यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका आधार हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में दर्ज की गई कई प्राथमिकियां (FIRs) हैं। ED का आरोप है कि इन हस्तियों ने ऐसे सट्टा प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया, जो गेमिंग ऐप्स के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर रहे थे और फर्जी प्रमोशनल कैंपेन चला रहे थे।

हालांकि, कई सेलेब्रिटी ने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने इन ऐप्स को सामान्य गेमिंग ऐप्स समझकर प्रमोट किया था। वहीं कुछ का यह भी दावा है कि उन्होंने नैतिक कारणों से इन ब्रांड्स के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद, ठगी के शिकार लोगों की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। एक पीड़ित ने तो ₹3 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति होने की बात कही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन प्रमोशनों से आम लोग गंभीर नुकसान उठा रहे हैं।

ED फिलहाल इन सेलेब्रिटी के वित्तीय दस्तावेजों, एंडोर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट्स, सोशल मीडिया कैंपेन और प्रमोशनल गतिविधियों की जांच कर रही है। साथ ही, कथित आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब कर मनी ट्रेल यानी "अपराध से अर्जित आय" की कड़ियां खंगाली जा रही हैं। हालांकि, अब तक किसी पर कोई आपराधिक आरोप नहीं तय किए गए हैं, लेकिन इनकी भूमिका ने डिजिटल स्पेस में गैरकानूनी विज्ञापन और प्रभावशाली मार्केटिंग के बीच की धुंधली सीमाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।

यह मामला भारतीय नियामकों के सामने डिजिटल गेमिंग और प्रमोशनल कंटेंट पर नियंत्रण को लेकर आ रही नई चुनौतियों को उजागर करता है। जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रभावशाली हस्तियां किसी ऐप या सेवा का प्रचार करती हैं, तो दर्शकों और उपभोक्ताओं पर उसका असर गहरा होता है और ऐसे में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।

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15 जुलाई से बदल जाएंगे YouTube के नियम: अब कम मेहनत, ऑटोमेटेड व AI जनित कंटेंट पर रोक

YouTube 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है।

Last Modified:
Wednesday, 09 July, 2025
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यू-ट्यूब (YouTube) 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इस नई पॉलिसी के तहत ऐसे कंटेंट पर सख्ती बरती जाएगी जो कम मेहनत से, बड़े पैमाने पर, या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए तैयार किए गए हैं। YouTube का यह कदम उन क्रिएटर्स को प्रोत्साहन देने के लिए है जो मौलिक और रूपांतरकारी कंटेंट बनाते हैं, जबकि ऐसे चैनलों की कमाई बंद की जाएगी जो केवल ऑटोमेटेड या दोहराए जाने वाले फॉर्मेट्स से विज्ञापन से पैसा कमाने की कोशिश करते हैं।

किन्हें होगा नुकसान?

नई पॉलिसी के तहत ऐसे YouTube चैनल जो बाहरी कंटेंट को बहुत ही मामूली बदलावों के साथ इस्तेमाल करते हैं, AI जनित आवाजों का उपयोग करते हैं लेकिन उसमें मानव टिप्पणी या विश्लेषण नहीं जोड़ते, या फिर एक जैसे वीडियो की लगातार बनी रहने वाली कंपाइलेशन लिस्ट डालते हैं- उन्हें YouTube Partner Program (YPP) से बाहर कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि जो चैनल केवल स्लाइडशो, जनरल वॉयस-ओवर लिस्ट्स या AI से बनी स्क्रिप्ट्स पोस्ट कर रहे हैं, वे एक झटके में डिमॉनेटाइज हो सकते हैं।

क्या करना होगा मोनेटाइज बने रहने के लिए?

YouTube का साफ कहना है कि जो क्रिएटर्स दूसरे का कंटेंट इस्तेमाल करते हैं, उन्हें उसमें ‘मायने रखने वाला’ कमेंट्री या एजुकेशनल वैल्यू जोड़नी होगी।

  • उदाहरण के लिए, रिएक्शन वीडियो में सिर्फ क्लिप चलाना काफी नहीं होगा- क्रिएटर की खुद की राय या विश्लेषण स्पष्ट तौर पर दिखना चाहिए।

  • ट्यूटोरियल और व्लॉग्स में भी मौलिकता जरूरी होगी; सिर्फ पब्लिक फुटेज को फिर से पैक कर देना या टेक्स्ट-टू-स्पीच सिस्टम पर निर्भर रहना अब मान्य नहीं होगा।

योग्यता की पुरानी शर्तें रहेंगी बरकरार

हालांकि YPP में शामिल होने के लिए पुराने मानदंड यथावत रहेंगे, यानी कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स और बीते 12 महीनों में 4,000 पब्लिक वॉच ऑवर्स या पिछले 90 दिनों में 1 करोड़ वैध Shorts व्यूज। लेकिन अब YouTube इन नियमों के पालन की जांच के लिए और अधिक सख्त मैन्युअल व AI-आधारित समीक्षा करेगा।

अगर कोई चैनल इन नए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे YPP से हटा दिया जाएगा, और दोबारा आवेदन करने की इजाजत तभी मिलेगी जब वह उल्लंघनों को ठीक कर ले।

क्यों उठाया गया यह कदम?

YouTube इस वक्त ऐसी AI-जनित वीडियोज और फेसलेस चैनलों की बाढ़ से जूझ रहा है, जो सिर्फ एल्गोरिदम को चकमा देकर तेजी से पैसे कमाने के मकसद से बनाए गए हैं। ऐसे में YouTube अब दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाना और अपने रिकमेंडेशन इंजन में भरोसा बहाल करना चाहता है।

क्रिएटर्स के लिए चेतावनी और मौका

इस पॉलिसी बदलाव के साथ YouTube एक स्पष्ट संदेश दे रहा है- अब मौलिकता कोई विकल्प नहीं, बल्कि प्रवेश की अनिवार्य शर्त है।
क्रिएटर्स को दो टूक फैसला लेना होगा: या तो वे अपने कंटेंट में रचनात्मकता और व्यक्तिगत पहचान निवेश करें, या फिर मोनेटाइजेशन की दुनिया से बाहर हो जाएं।

इस बदलाव को एक चेतावनी के साथ-साथ एक अवसर भी माना जा रहा है, जहां असली मेहनत और मौलिक सोच रखने वाले क्रिएटर्स को आगे बढ़ने का नया रास्ता मिलेगा।

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ट्रंप मीडिया ने लॉन्च किया TV स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म 'Truth+'

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है।

Last Modified:
Tuesday, 08 July, 2025
Truth+

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है। इस प्लेटफॉर्म पर कंजर्वेटिव न्यूज चैनल Newsmax को भी शामिल किया गया है, जिससे कंपनी के अंतरराष्ट्रीय विस्तार को बल मिलेगा।

Truth+ अब iOS, Android, वेब, और कनेक्टेड टीवी प्लेटफॉर्म्स जैसे Apple TV, Android TV, Amazon Fire TV और Roku पर उपलब्ध है। इस लॉन्च के साथ, उपयोगकर्ता अब Truth ऐप्स के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग चैनल्स और ऑन-डिमांड वीडियो कंटेंट का लाभ ले सकते हैं।

Trump Media, जो पहले से ही Truth Social नामक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का संचालन करती है, अब मीडिया, तकनीक और फिनटेक के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कंपनी के मुख्य शेयरधारक हैं।

Trump Media के सीईओ और चेयरमैन डेविन नुन्स ने लॉन्च के मौके पर कहा, “हम Truth+ को अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में इतनी तेजी से लॉन्च कर पाने को लेकर उत्साहित हैं और निकट भविष्य में इसे सभी डिवाइसेज और ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम विशेष रूप से Newsmax को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिन्होंने हमारे साथ साझेदारी की जिससे इस नेटवर्क की यूनिक प्रोग्रामिंग नए मार्केट्स में पहुंच सकेगी। आज की जटिल वैश्विक चुनौतियों पर ताजे नजरिए की जरूरत साफ दिखाई देती है और हमारा मकसद 'वोक' मीडिया जगत को एक सशक्त और ईमानदार विकल्प देना है।”

Truth+ ऐप्स दुनियाभर में प्रासंगिक ऐप स्टोर्स से डाउनलोड किए जा सकते हैं।

कंपनी ने जून के आखिर में Truth+ प्लेटफॉर्म का बीटा टेस्ट शुरू किया था और अब भी विभिन्न मार्केट्स में इसका विस्तार करते हुए यूजर फीडबैक जुटा रही है।

सिर्फ Truth Social और Truth+ तक सीमित न रहते हुए, Trump Media ने अब फाइनेंशियल सर्विसेस और फिनटेक ब्रांड ‘Truth.Fi’ की भी घोषणा की है, जो राष्ट्रपति ट्रंप की “America First” इन्वेस्टमेंट थ्योरी से प्रेरित होगा।

मार्केट की प्रतिक्रिया की बात करें तो Trump Media and Technology Group के शेयर सोमवार सुबह 0.6% बढ़कर $19.06 पर पहुंच गए, जबकि Newsmax के शेयर 2.6% गिरकर $14.65 पर ट्रेड कर रहे थे।

इस लॉन्च के साथ ट्रंप मीडिया ने डिजिटल कंटेंट, फिनटेक और वैश्विक न्यूज इकोसिस्टम में अपने प्रभाव का दायरा और बड़ा कर लिया है।

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जानी-मानी एंकर नेहा खन्ना ने जॉइन किया Times Internet, इस भूमिका में आएंगी नजर

जानी-मानी टीवी पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है।

Last Modified:
Monday, 07 July, 2025
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प्रसिद्ध टेलीविजन पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने Times Internet (जो कि Times of India का डिजिटल वर्टिकल है) में सीनियर एंकर और एडिटोरियल एडवाइजर के रूप में जॉइन किया है। विदेश नीति पर गहरी समझ रखने वाली नेहा खन्ना अब भारत के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अखबार के डिजिटल मंच पर विदेश मामलों और भू-राजनीति पर आधारित एक दैनिक शो की मेजबानी करेंगी।

Times Internet से पहले नेहा खन्ना TV9 नेटवर्क का हिस्सा थीं, जहां उन्होंने लोकप्रिय प्राइमटाइम शो 'Global Lens' को होस्ट किया। इससे पहले वे WION पर भी मुख्य एंकर रहीं और वहां उन्होंने अपने नाम से साप्ताहिक शो 'Inside South Asia with Neha Khanna' को प्रस्तुत किया। उन्होंने कई अन्य टीवी नेटवर्क्स में भी वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं।

खन्ना ने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत NDTV से की थी, जहां उन्होंने 13 वर्षों तक काम किया। वहीं से उन्होंने रिपोर्टिंग की बुनियादी ट्रेनिंग ली और NDTV के प्रमुख शो ‘The Buck Stops Here–Weekend Edition’ समेत कई प्राइम टाइम कार्यक्रमों की एंकरिंग की।

करीब दो दशक लंबे पत्रकारिता करियर में नेहा खन्ना ने विधि, राजनीति, चुनाव, सामाजिक-आर्थिक मुद्दे, विदेश नीति, लैंगिक असमानता और मानवाधिकार जैसे विषयों पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। इस दौरान उन्होंने भारत और विदेश के कई शीर्ष नेताओं और प्रभावशाली हस्तियों का साक्षात्कार लिया है।

2024 में, खन्ना को प्रतिष्ठित जेफरसन फेलोशिप के लिए चुना गया था, जो हवाई स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर द्वारा प्रदान की जाती है। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, ताइवान और फिलीपींस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने हाल ही में इजराइल-हमास युद्ध और फिलिस्तीन संकट की रिपोर्टिंग की है और इस क्षेत्र के अहम पक्षकारों का साक्षात्कार भी लिया। 2024 की शुरुआत में वह इजराइल गई थीं, हमास द्वारा हमला किए गए इलाकों का दौरा किया और 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों के पीड़ितों से बात की।

नेहा खन्ना संयुक्त राष्ट्र की RAF फेलो, अमेरिका के इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) की फेलो, चेवेनिंग स्कॉलर, और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया यूथ डायलॉग की एलुमनस भी रह चुकी हैं। उन्हें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और इजराइल के प्रमुख मीडिया हाउस इंटरव्यू के लिए बुला चुके हैं।

2009 में, उन्होंने बीबीसी (लंदन) के Parliamentary Programmes टीम के साथ इंटर्नशिप की थी और BBC Radio 4 के प्रमुख शो ‘Today in Parliament’ के लिए काम किया था।

शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो, खन्ना ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से Hansard Research Scholars Programme in Democracy and Public Policy पूरा किया है। उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से रेडियो और टेलीविजन पत्रकारिता की पढ़ाई की है और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक किया है।

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