क्योंकि जब इंसान का विवेक मर जाता है, तो वह सही-ग़लत, पाप-पुण्य और यश-अपयश का ही नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व का भी अंतर खो देता है।
नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल और जनविद्रोह की गूंज भारत में भी सुनाई दे रही है। सोशल मीडिया पर कुछ वर्ग भारत को श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल की स्थिति से जोड़कर अराजक माहौल की आशंका जता रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की बुनियादी तासीर और मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं इसे ऐसे हालात से दूर रखती हैं।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, नेपाल के हालात का हवाला देकर भारत में भी वैसी स्थिति की आशंका जताई जा रही है, मानो यहाँ किसी भी वक्त ऐसा हो सकता है।
लेकिन इस देश की बुनियादी तासीर, जहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी सब साथ रहते हैं कुछ और ही है। अगर भारत को श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसा मानकर डर फैलाया जा रहा है, तो सवाल उठता है कि जब नेहरू से मोदी तक कोई भी प्रधानमंत्री लुटेरा नहीं निकला, फिर भी ऐसा डर दिखाया जा रहा है तो यह स्थिति सच हो ही जानी चाहिए।
अलग-अलग दलों के सांसद तमाम मतभेदों के बावजूद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की बात रखने के लिए दुनिया के देशों का दौरा करते हैं, जिसकी मिसाल दी जाती है, फिर भी अगर भारत को नेपाल जैसा बताया जा रहा है तो यह देश तबाह हो जाना चाहिए। जब भारत का फॉरेक्स 700 बिलियन डॉलर है, GDP दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और 6.2% विकास दर के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, तब भी अगर इसे लंका-बांग्लादेश-नेपाल जैसा कहा जा रहा है, तो यह आज ही हो जाना चाहिए।
अगर भारत फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट, जेट इंजन, 24 मैक की रफ़्तार वाली मिसाइल और स्पेस साइंस में दुनिया को चौंका रहा है, तब भी अगर इसे नेपाल बताया जा रहा है तो बेहतर है कि आज ही हो जाए। अ
गर शंकराचार्य से लेकर विवेकानंद और कृष्णमूर्ति तक की संस्कृति अधोगति को प्राप्त हो चुकी है, तो यहाँ वैसा ही होना चाहिए जैसा कुछ लोग कह रहे हैं। क्योंकि जब इंसान का विवेक मर जाता है, तो वह सही-ग़लत, पाप-पुण्य और यश-अपयश का ही नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व का भी अंतर खो देता है।
नेपाल के हालात का हवाला देकर भारत में ऐसी स्थिति की आशंका से कुछ लोग भर गए हैं. ऐसा कि - बस अब यहाँ किसी भी वक्त वैसा हो सकता है! मैं इस देश के मिज़ाज की बुनियादी तासीर - उसमे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,पारसी सब हैं- को थोड़ा बहुत तो समझता ही हूँ.
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) September 12, 2025
- अगर भारत - श्रीलंका,बांग्लादेश…
हर झूठ का मुकाबला करना है। एकता के मंत्र को जीना है। हमें व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी बनकर रहना होगा।
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत की एक पोस्ट को लेकर विवाद गरमा गया है। उन्होंने नेपाल में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए कहा था कि भारत में भी ऐसी चिंगारी भड़क सकती है, मगर यहां लोग महात्मा गांधी की विचारधारा में विश्वास करते हैं, इसी वजह से मोदी सरकार टिकी हुई है। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने चिंता जताई है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, नेपाल की आपदा को भारत में अपने लिए अवसर बनाने की कोशिश एक वर्ग ने शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट देखें जा सकते है, जिसमें भारत को भी अराजक बनाने के सपने और संकल्प की मंशा दिख रही है। सतर्क रहना होगा। आग लगाकर उस पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश शुरू हो गयी है।
संजय राऊत अकेले नहीं है। हर गली मोहल्ले में छुपे हुए संजय राऊत है। इन्हें ठीक से पहचानना होगा। एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। एकता के इस मंत्र को हमें कभी भी कमजोर नहीं पड़ने देना है। हर झूठ का मुकाबला करना है। एकता के मंत्र को जीना है। हमें व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी बनकर रहना होगा।
नेपाल की आपदा को भारत में अपने लिए अवसर बनाने की कोशिश एक वर्ग ने शुरू कर दी है।सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट देखें जा सकते है, जिसमें भारत को भी अराजक बनाने के सपने और संकल्प की मंशा दिख रही है।
— sameer chougaonkar (@semeerc) September 12, 2025
सतर्क रहना होगा।आग लगाकर उस पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश शुरू हो गयी है।
संजय…
किर्क अमेरिकी राजनीति में ध्रुवीकरण करने वाले कंजरवेटिव चेहरों में गिने जाते थे और युवा वर्ग में उनकी बड़ी पहुंच थी। उनकी हत्या को लेकर अमेरिका में कड़ी निंदा हो रही है।
अमेरिका के यूटा राज्य में मंगलवार को कंज़र्वेटिव एक्टिविस्ट और Turning Point USA के सह-संस्थापक चार्ली किर्क की एक विश्वविद्यालय कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना तब हुई जब किर्क Utah Valley University में “American Comeback Tour” के तहत छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, चार्ली किर्क की अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद करते हुए की गई हत्या बताती है कि दुनिया में तथाकथित दक्षिणपंथ के विरुद्ध नव वामपंथ ने कितनी घृणा पैदा किया है। किर्क अमेरिका के कंजर्वेटिव एक्टिविस्ट और मीडिया पर्सनालिटी थे। किर्क ने 18 साल की उम्र में टर्निंग पॉइंट USA नाम का संगठन बनाया था।
समूह ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी में तेजी से लोकप्रियता हासिल की और यह देश के सबसे बड़े कंजर्वेटिव आंदोलन के रूप में विकसित हुआ। उन्होंने ट्रंप के इनर सर्किल में तेजी से अपनी पहचान बनाई थी। राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान जुलाई 2024 में पेंसिल बनिया में डोनाल्ड ट्रंप पर भी इसी तरह हत्या हुई थी लेकिन गोली उनके कान से लगाती हुई निकल गई थी और वह बच गए।
यानी वह भी संयोग से ही बचे थे अन्यथा हत्यारे ने उन्हें समाप्त कर ही डाला था। प्रश्न है कि यह नम पेंट आखिर है क्या? यह सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से पूरी दुनिया में अजीब किस्म का अभियान चला रहे हैं , भूमिका निभा रहे हैं और इसमें आज बड़े-बड़े उद्योगपति, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मालिक,अलग-अलग देशों की पार्टियां , नेता शामिल हैं।
लगता है जैसे ये किसी भी देश के अंदर वैसे नेता को जीने नहीं देंगे जो अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, राष्ट्रवाद आदि के आधार पर सोचता और काम करता हो। आपको बता दें, किर्क अमेरिकी राजनीति में ध्रुवीकरण करने वाले कंजरवेटिव चेहरों में गिने जाते थे और युवा वर्ग में उनकी बड़ी पहुंच थी। उनकी हत्या को लेकर अमेरिका में कड़ी निंदा हो रही है और पुलिस-एफबीआई ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है।
चार्ली किर्क की अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद करते हुए की गई हत्या बताती है कि दुनिया में तथाकथित दक्षिणपंथ के विरुद्ध नव वामपंथ ने कितनी घृणा पैदा किया है। किर्क अमेरिका के कंजर्वेटिव एक्टिविस्ट और मीडिया पर्सनालिटी थे। किर्क ने 18 साल की उम्र में टर्निंग…
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) September 11, 2025
नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए।
नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है क्योंकि देशभर में फैला जनाक्रोश हिंसक रूप ले चुका है। काठमांडू से लेकर पोखरा तक भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई से नाराज़ युवा सड़कों पर उतर आए। खास तौर पर सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध ने इस गुस्से को और भड़का दिया।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपने मन की बात कही। उन्होंने लिखा, नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए। यही कारण है कि आज़ादी के बाद से हमारे यहाँ स्थिरता रही है जबकि पड़ोसी देशों में उथलपुथल होती रही है।
आपको बता दें, असल में यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया का नहीं बल्कि लंबे समय से चले आ रहे भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और युवाओं की हताशा का नतीजा है। नेपाल का यह ‘Gen-Z मूवमेंट’ देश के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकता हैं।
नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए. यही कारण है कि आज़ादी के बाद से हमारे यहाँ स्थिरता रही है जबकि पड़ोसी देशों में उथलपुथल होती रही है.
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) September 10, 2025
सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के प्रस्ताव के बाद Gen-Z का एक गुट बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग लेकर सेना मुख्यालय पहुंचा।
नेपाल में भ्रष्टाचार और इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ Gen-Z के हिंसक प्रदर्शनों के बाद सेना ने सुरक्षा संभाली है। कर्फ्यू लगा दिया गया है और सड़कों पर सेना गश्त कर रही है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला समूह के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, नेपाल की दुर्दशा के लिये वो कम्युनिस्ट -माओवादी नेता ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं जिन्हें 1990 से मार्क्सवादी विचारधारा के उभार के दौर में जनता ने मुक्ति का मसीहा माना और एक एक करके सबको सत्ता सौंपी लेकिन अपने निजी स्वार्थों में उलझ कर वो न देश को स्थिर सरकार दे सके न लोकतंत्र बचा सके।
आगे उन्होंने लिखा, 1990 के बाद मैं काठमांडू समेत नेपाल के दूरदराज़ इलाक़ों में भी गया। नेपाली कांग्रेस की लोकप्रियता घट चुकी थी कम्युनिस्ट विकल्प बन रहे थे।लेकिन मनमोहन अधिकारी माधव नेपाल प्रचंड बाबूराम भट्टराई केपी शर्मा ओली के सारे वामपंथी प्रयोगों की विफलता ने नेपाल को अंधे कुएँ में धकेल दिया।
आपको बता दें, सेना की मध्यस्थता के बाद Gen-Z प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों की बैठक में अंतरिम सरकार के गठन पर सहमति बन गई है। इसमें नेपाल की पूर्व एवं प्रथम महिला न्यायाधीश सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव है।
1990 के बाद मैं काठमांडू समेत नेपाल के दूरदराज़ इलाक़ों में भी गया ।नेपाली कांग्रेस की लोकप्रियता घट चुकी थी कम्युनिस्ट विकल्प बन रहे थे।लेकिन मनमोहन अधिकारी माधव नेपाल प्रचंड बाबूराम भट्टराई केपी शर्मा ओली के सारे वामपंथी प्रयोगों की विफलता ने नेपाल को अंधे कुएँ में धकेल दिया। https://t.co/yepDqDUiYL
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) September 10, 2025
डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है। स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं। सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। वहीं इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। इस बड़ी जीत के साथ सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर कहा कि अब लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी हो जाए। उन्होंने लिखा, लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए।
पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
आपको बता दें, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 लोकसभा के उपाध्यक्ष का उल्लेख है। अनुच्छेद 93 के मुताबिक, लोकसभा के सदस्य दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेंगे। अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा।
डिप्टी स्पीकर चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा लोकसभा स्पीकर का चुनाव करने के तुरंत बाद ही किया जाता है। लोकसभा अध्यक्ष ही उपाध्यक्ष के चुनाव तारीख तय करता है। डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है।स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए। पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) September 9, 2025
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया। भारत-नेपाल की 1,751 किमी लंबी सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया।
पिछले दो दिनों से नेपाल के कई इलाकों में तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। उग्र भीड़ ने कई सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एक जैसा ही पैटर्न दिखा। एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया। यह महज संयोग नहीं हो सकता। ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है।
आपको बता दें, हिंसक प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बीच भारत ने मंगलवार को बयान जारी कर अपने नागरिकों से सतर्क रहने और नेपाली अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल में रहने वाले भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी कदमों और दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एकसा ही पैटर्न दिखा --- एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया ---यह महज संयोग नहीं हो सकता ---- ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है ----
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 9, 2025
गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।
नेपाल में भारी हंगामे और हिंसक प्रदर्शनों के बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन को तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। यह फैसला सोमवार को हुई झड़पों में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा के घायल होने के बाद लिया गया, जिसमें मुख्य रूप से युवा (जेन-जेड) प्रदर्शनकारी शामिल थे।
संचार मंत्री प्रिथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया कि इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग के बाद यह निर्णय लिया गया, और अब फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब सहित सभी प्रमुख ऐप्स फिर से चालू हो चुके हैं। यह बैन 4 सितंबर को लगाया गया था, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को दबाना था। लेकिन इससे उल्टा असर हुआ।
युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और पूरे देश में सड़कों पर उतर आए। काठमांडू में संसद भवन के बाहर हजारों प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़त ली, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि न केवल सोशल मीडिया बैन हटाया जाए, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को हटाया जाए।
इस हिंसा में 19 मौतें हुईं, जिनमें ज्यादातर युवा थे, और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बैन हटना भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक सुधारों की शुरुआत है?
इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
जीएसटी की दरों में बदलाव की खबर इस हफ्ते सुर्खियों में रही। जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले कर ढांचों को खत्म कर दिया गया। जीएसटी दरों में हुए बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी बयानबाजी भी जारी है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अमर उजाला डिजिटल के साप्ताहिक कार्यक्रम 'खबरों के खिलाड़ी' में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
इस सियासत को मैं गलत नहीं मानता हूं। इस कदम का स्वागत कौन नहीं करेगा। असल बात ये है कि क्या इसका पूरा लाभ उपभोक्ता तक पहुंचेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देखिए, जिस रूसी तेल की वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है उसका लाभ कौन ले रहा है?
कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं और आम आदमी को पेट्रोल डीजल पर आज भी उतना ही पैसा देना पड़ रहा है। आपको बता दें, भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सबसे बड़ा कर सुधार कहा गया, लेकिन इसके लागू होने से पहले और बाद में यह सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया। यूपीए सरकार की पहल से लेकर एनडीए सरकार की लॉन्चिंग तक, इस पर लगातार राजनीतिक खींचतान चलती रही है।
इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर पाकिस्तान को उच्च स्तर के बाढ़-जल प्रवाह डाटा साझा कर रहा है। वो भी उसी समय जब इंडस वाटर ट्रीटी (IWT) निलंबित है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने लिखा, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को खुद से निरस्त करने का ऐलान किया था। भारत ने साफ कहा था कि जहाँ चाहेंगे, बाँध बनाएंगे, जब चाहेंगे पानी छोड़ेंगे और इस संबंध में पाकिस्तान के साथ कोई जानकारी साझा नहीं करेंगे। यह घोषणा इसी साल मई में की गई थी।
लेकिन अब, यानी सितंबर 2025 (सिर्फ तीन महीने बाद), भारत मानवीय आधार पर इंडस नदी में संभावित बाढ़ से होने वाले नुकसान की जानकारी पाकिस्तान को पहले से दे रहा है, ताकि पाकिस्तान की जनता को नुकसान न हो। वहीं, क्रिकेट को लेकर भारत का रुख भी दिलचस्प है। भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय सीरीज खेलने से इनकार कर दिया है, आतंकी हमलों को वजह बताते हुए।
लेकिन जब बात मल्टी-नेशन टूर्नामेंट की आती है, तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को तैयार रहता है। इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
और सबसे अहम सवाल -क्या हम, भारतीय नागरिक, सरकार के इस रुख के बारे में जान सकते हैं? आपको बता दें, MEA के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया, हमारे उच्चायोग और अन्य कूटनीतिक माध्यमों के जरिए जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान को बाढ़ से संबंधित डेटा उपलब्ध करा रहे हैं। यह कदम मानवीय आधार पर उठाया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने Indus Water Treaty, खुद से निरस्त करने का ऐलान किया। भारत ने दावा किया कि जहाँ चाहेगे, बंध बनायेंगे। जब चाहेंगे, पानी छोडेंगे। कोई जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा नहीं करेंगे। ये बाते इसी साल, मई में कही गई।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) September 5, 2025
अब, यानि सितंबर 2025 (3 महीने बाद),… https://t.co/HGIayKq5xl
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया। अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महान शिक्षाविद और देश के पूर्व राष्ट्रपति एस.राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया। लोक भवन में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने घोषणा की कि अब सभी शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना का लाभ शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी मिलेगा।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट करते हुए अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया।
अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। इस दायरे में शिक्षामित्र, अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किए गए हैं। मैं सचमुच भावुक हूँ, क्योंकि यह सुविधा लाखों परिवारों को निश्चिंतता और सुरक्षा प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का मैं हृदय से व्यक्तिगत आभार व्यक्त करता हूँ।
आपको बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित 81 शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्हाेंने बेसिक शिक्षा विभाग के 66 और माध्यमिक शिक्षा विभाग के 15 शिक्षकाे काे सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों की देहरी पर दिवाली से पहले ही दिवाली का दिया आलोकित कर दिया --अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी --- इस परिधि में शिक्षामित्र,अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किया गए हैं --- मैं भावुक हो रहा , यह सुविधा लाखों…
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 5, 2025