संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति 24 नवंबर को बैठक करेगी, जिसमें भारत के मीडिया नियमों और ढांचे का आकलन किया जाएगा।
बैठक का मुख्य फोकस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के प्रस्ताव पर रहेगा, ताकि डिजिटल क्रिएटर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और अन्य ऑनलाइन कंटेंट निर्माता भी इसके दायरे में आएं और गलत सूचना (misinformation) को रोकने में मदद मिल सके।
प्रेस काउंसिल के अधिकारी प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी राय पेश करेंगे, जो प्रभावशाली डिजिटल आवाजों को पहली बार औपचारिक रूप से नियंत्रित करने का लक्ष्य रखते हैं। इसके अलावा, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की ओर से सबमिशन और साक्ष्य भी समिति में विचार के लिए रखे जाएंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सांसद बैठक में ऑनलाइन क्रिएटर्स की जवाबदेही, नियमों का पालन और निगरानी की जरूरत पर भी समीक्षा करेंगे, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैल रही गलत सूचनाओं पर काबू पाया जा सके।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इस मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि 'अश्लील' और अन्य अस्वीकार्य या अवैध डिजिटल कंटेंट क्या होगा। The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए तैयार किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव सभी डिजिटल कंटेंट- सोशल मीडिया, OTT स्ट्रीमिंग सर्विस और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म पर लागू होगा और इसमें 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट से लिए गए व्यापक प्रतिबंध शामिल हैं।
इस नोट को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वकील ने इस सप्ताह चल रहे मुकदमे में पक्षकारों को भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल पहले सरकार से कहा था कि ऑनलाइन कंटेंट के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।
IT Rules पहले से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देशित करते हैं कि वे अश्लील, पोर्नोग्राफिक, बाल उत्पीड़न, किसी की निजता का उल्लंघन, लिंग या जातीय आधार पर अपमानजनक या उत्पीड़न करने वाला, मनी लॉन्ड्रिंग या जुआ बढ़ावा देने वाला कंटेंट न दिखाएं। अब सरकार का प्रस्ताव अगर सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी पाता है, तो इसमें 'अश्लील डिजिटल कंटेंट' की स्पष्ट परिभाषा और नियमों के कोड ऑफ एथिक्स में बदलाव शामिल होगा। यह बदलाव IT Act की Section 67, केबल TV एक्ट और IPC के आधार पर होगा।
डिजिटल अधिकारों की वकील मिशी चौधरी ने The Hindu से कहा कि यह मूल रूप से केबल TV प्रोग्राम कोड को डिजिटल मीडिया में लागू करने जैसा है। उनका कहना है कि यह भारत में डिजिटल कंटेंट के लिए अब तक का सबसे व्यापक नियामक बदलाव होगा।
सिनेमैटोग्राफ एक्ट के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री को 'सार्वजनिक प्रदर्शन योग्य' होना चाहिए। यह शर्त केवल स्ट्रीमिंग सर्विस पर लागू होगी, सोशल मीडिया पर नहीं।
कोड ऑफ एथिक्स के तहत प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि कंटेंट में अश्लीलता, अपराध को बढ़ावा देने वाला संदेश, आपत्तिजनक या अपमानजनक दृश्य/शब्द, या किसी जातीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह का अपमान न हो। इसमें कुल 17 प्रकार के प्रतिबंध शामिल हैं।
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने IT Rules के कुछ नियमों पर रोक लगा रखी है और अब यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए है। मिशी चौधरी के अनुसार, नोट इन रोकी गई नियमावली को फिर से लागू करने की कोशिश करता है।
सरकार का प्रस्ताव यह भी कहता है कि कंटेंट के कोड का उल्लंघन हुआ या नहीं, इसका निर्णय 'कम्युनिटी स्टैंडर्ड टेस्ट' के आधार पर होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि क्या समकालीन सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से कंटेंट किसी की कामुक रुचि को भाता है या नहीं। साहित्यिक, वैज्ञानिक, कला या राजनीतिक मूल्य वाली सामग्री इस कोड से बाहर रहेगी।
यह प्रस्ताव कॉमेडियन समय रैना के विवादित जोक के बाद आया है, जब उनके YouTube चैनल का एक भाग सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि नियम तैयार करते समय अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन न हो, लेकिन उचित प्रतिबंध भी सुनिश्चित किए जाएं।म
यूट्यूब ने अपने सालाना YouTube Impact Summit में भारत के लिए कई बड़े ऐलान किए।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
यूट्यूब ने अपने सालाना YouTube Impact Summit में भारत के लिए कई बड़े ऐलान किए। यूट्यूब ने बताया कि वह भारत की क्रिएटिव इकॉनमी को मजबूत करने और डिजिटल वेलबीइंग बढ़ाने के लिए नए AI टूल्स, बड़ी साझेदारियां और नई सेफ्टी सुविधाएं ला रहा है।
एक नई रिपोर्ट में ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने बताया कि यूट्यूब के क्रिएटर इकोसिस्टम ने पिछले साल भारत की GDP में 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया और करीब 9.3 लाख लोगों को फुल-टाइम के बराबर रोजगार दिया।
इसी के साथ यूट्यूब ने Indian Institute of Creative Technology (IICT) और AIIMS के साथ नई पार्टनरशिप का ऐलान किया और कई नए AI टूल्स पेश किए, जिनका मकसद भारत में क्रिएटर्स और छात्रों के लिए और ज्यादा मौके बनाना है।
यूट्यूब इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर गुंजन सोनी ने कहा कि यूट्यूब का असर सिर्फ व्यूज़ तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों की आजीविका और आर्थिक विकास से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि 63% भारतीय क्रिएटर्स, जो यूट्यूब से कमाई करते हैं, कहते हैं कि यूट्यूब उनकी कमाई का मुख्य ज़रिया है। इसी वजह से यूट्यूब नई पार्टनरशिप कर रहा है और ऐसे AI टूल्स ला रहा है जो भारत के अगले दौर के डिजिटल उद्यमियों को ताकत देंगे।
कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यूट्यूब जैसी प्लेटफॉर्म जब महिलाओं और बच्चों को सही जानकारी, डिजिटल सुरक्षा और आर्थिक आज़ादी देते हैं तो यह डिजिटल इंडिया के मिशन को और मजबूत बनाता है।
आज भारत प्रतिभा का वैश्विक केंद्र बन रहा है और 98% भारतीय यूट्यूब का इस्तेमाल जानकारी और सीखने के लिए करते हैं। इसी को देखते हुए यूट्यूब ने कई नई पहलें शुरू कीं।
यूट्यूब नव-स्थापित Indian Institute of Creative Technologies (IICT) के साथ मिलकर छात्रों को AVGC-XR (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी) इंडस्ट्री के लिए तैयार करेगा। इसके तहत—
गूगल छात्रों के लिए वेबिनार, गेस्ट लेक्चर और वर्कशॉप आयोजित करेगा
“Create with AI” नाम का फंड शुरू किया जाएगा, जिससे छात्र और कलाकार फिल्म, एनीमेशन और गेमिंग में AI का उपयोग कर नए प्रोजेक्ट बना सकेंगे
IICT को अपना आधिकारिक यूट्यूब चैनल बढ़ाने में मदद दी जाएगी
IICT के CEO विश्वास देवोस्कर ने कहा कि भारत की क्रिएटिव इंडस्ट्री एक नए दौर में प्रवेश कर रही है और AI स्टोरीटेलिंग को बदल देगा।
AIIMS की कॉलेज ऑफ नर्सिंग के साथ मिलकर यूट्यूब अब प्रोफेशनल नर्सिंग कोर्सेज प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगा। इससे भारत भर के 5,000 से ज्यादा नर्सिंग छात्र और नर्सें- जैसे वाउंड केयर और हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल जैसे महत्वपूर्ण विषय सीख सकेंगे।
AIIMS की प्रिंसिपल डॉ. लता वेंकटेशन ने कहा कि डिजिटल लर्निंग से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को देशभर में पहुंचाया जा सकता है।
यूट्यूब ने अपना नया Conversational AI Tool लॉन्च किया है, जिसमें दर्शक वीडियो देखते हुए सवाल पूछ सकते हैं और तुरंत जवाब पा सकते हैं। यह फीचर अभी अंग्रेज़ी में उपलब्ध है और जल्द ही हिंदी में भी आएगा।
भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी वीडियो 2024 तक 300 अरब से ज्यादा बार देखी जा चुकी हैं। इसी को देखते हुए यूट्यूब ने—
First Aid Shelves को हिंदी और अंग्रेज़ी में और ज्यादा विषयों पर बढ़ाया है
Mindful Viewing फीचर लाया है, जिससे लोग Shorts पर स्क्रॉलिंग के लिए रोज़ की लिमिट सेट कर सकेंगे
18 साल से कम उम्र के यूज़र्स के लिए "Take a Break" रिमाइंडर पहले से ही ऑन रहते हैं
यूट्यूब के “Edit with AI” फीचर को अब सभी क्रिएटर्स के लिए लॉन्च कर दिया गया है। इससे लॉन्ग वीडियो एडिटिंग का समय काफी कम हो जाता है।
“Likeness Detection” तकनीक, जो AI से बदलकर बनाए गए गलत वीडियो का पता लगाने में मदद करती है, अब यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम के सभी क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध है।
गुंजन सोनी ने कहा कि भारत सिर्फ एक मार्केट नहीं, बल्कि दुनिया के लिए इनोवेशन और संस्कृति का बड़ा स्रोत है।
कुल मिलाकर, यूट्यूब ने इस समिट में साफ कर दिया कि वह भारत की क्रिएटर इकॉनमी को और मजबूत करने, डिजिटल वेलबीइंग बढ़ाने और लोगों तक भरोसेमंद जानकारी पहुंचाने के लिए लगातार निवेश कर रहा है।
केंद्रीय रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिंगापुर में हुए ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
केंद्रीय रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिंगापुर में हुए ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम (Bloomberg New Economy Forum) में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही अफवाहें, झूठी बातें और फेक कंटेंट समाज में भरोसा कमजोर कर रहे हैं।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज हर कोई इस बात को लेकर चिंतित है कि सोशल मीडिया का लोगों और संस्थानों के बीच भरोसे पर कितना असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'जब अफवाहें रोशनी की रफ्तार से फैल जाती हैं, तो यह पूरा माहौल खराब कर देती हैं। इसलिए जरूरी है कि सोशल मीडिया कंपनियां इस बात की जिम्मेदारी लें कि वे क्या पब्लिश कर रही हैं।'
सरकार के रुख पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत तकनीकी और नवाचार को बढ़ावा देते हुए संतुलित रेगुलेशन अपनाता है। उन्होंने कहा, 'हमारा डेटा प्रोटेक्शन एक्ट सिद्धांतों पर आधारित है, क्योंकि टेक्नोलॉजी हर कुछ महीनों में बदलती रहती है। ऐसे में बहुत सख्त नियम बनाने से नवाचार रुक सकता है। हम इनोवेशन और रेगुलेशन- दोनों पर ध्यान देते हैं, लेकिन थोड़ा झुकाव इनोवेशन की तरफ रखते हैं।'
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार इंडस्ट्री और सिविल सोसायटी के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि सही संतुलन बनाया जा सके। वैष्णव ने कहा, 'भारत में काम कर रही हर कंपनी को हमारे संविधान और कानूनों का पालन करना ही होगा। हर प्लेटफॉर्म को भी देश की सामाजिक संरचना और परिस्थितियों को समझना चाहिए।'
अंत में उन्होंने सभी बिजनेस लीडर्स को अगला New Economy Forum भारत में शामिल होने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, 'भारत आने वाले कई सालों तक तेज विकास और कम महंगाई वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। स्थिर नीतियां, आसान प्रक्रियाएं और बेहतर ग्रोथ किसी भी निवेशक के लिए आदर्श स्थिति है। अगले साल हम आपको दिल्ली में स्वागत करेंगे।'
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमित कसाना ने बताया कि न्यूज नेशन में अपनी भूमिका में वह डिजिटल एडिटर बिंदिया भट्ट को रिपोर्ट करेंगे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
वरिष्ठ पत्रकार अमित कसाना ने ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) से मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने यहां डिजिटल टीम में बतौर डिप्टी एडिटर जॉइन किया है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमित कसाना ने बताया कि न्यूज नेशन में अपनी भूमिका में वह डिजिटल एडिटर बिंदिया भट्ट को रिपोर्ट करेंगे। अमित कसाना इससे पहले न्यूज 24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी। यहां से उन्होंने कुछ दिनों पूर्व ही इस्तीफा दे दिया था, 17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
अमित कसाना ने वर्ष 2006 में दिल्ली से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी। कंटेंट प्लानिंग, विज़ुअल स्टोरीटेलिंग, ग्राउंड रिपोर्टिंग, और सोशल-फर्स्ट न्यूज़ पैकेजिंग में उनकी मजबूत पकड़ है।
दिल्ली में जन्मे अमित ने राजधानी से ही अपनी पढ़ाई की और कॉलेज में छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के निजी संस्थान से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। इससे पहले अमित कसाना हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूहों से भी जुड़े रहे हैं।
बेहद सरल स्वभाव वाले अमित डिजिटल कंटेंट पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। समाचार4मीडिया की ओर से अमित कसाना को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर न्यूज एंकर व 'आजतक' की मैनेजिंग एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) अंजना ओम कश्यप के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर न्यूज एंकर व 'आजतक' की मैनेजिंग एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) अंजना ओम कश्यप के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक ऐसे यूट्यूब चैनल पर स्थायी रोक लगा दी है जो डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल करके खुद को अंजना जैसा दिखा रहा था और फर्जी वीडियो फैलाता था।
क्या था मामला?
टीवी टुडे नेटवर्क और अंजना ओम कश्यप ने कोर्ट में केस दर्ज कर बताया कि “@AnajanaomKashya” नाम से चल रहा एक यूट्यूब चैनल उनकी फोटोज, वीडियो और आवाज का गलत इस्तेमाल कर रहा है। चैनल पर डाले गए कई वीडियो एडिटेड थे और उन्हें ऐसे दिखाया गया जैसे अंजना ने खुद बनाया हो या उसका समर्थन करती हों।
कोर्ट ने पहले 20 जून 2025 को आदेश देकर गूगल को यह फेक चैनल हटाने और उसका बेसिक सब्सक्राइबर डेटा देने को कहा था। गूगल ने कोर्ट के सभी निर्देश मान लिए थे।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस तेजस करिया ने कहा कि ऐसी फेक सामग्री बेहद खतरनाक होती है, खासकर जब किसी मशहूर पत्रकार का नाम इस्तेमाल किया जाए। इससे गलत जानकारी फैल सकती है और लोगों में भ्रम पैदा होता है।
कोर्ट ने कहा कि फेक चैनल ने अंजना की तस्वीरें और फेक वीडियो का गलत इस्तेमाल किया, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। इसलिए आरोपी (डिफेंडेंट नंबर 2) पर स्थायी रोक लगाना जरूरी है।
कोर्ट ने बताया कि यूट्यूब चैनल चलाने वाला व्यक्ति नोटिस मिलने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुआ, इसलिए उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई।
अंत में कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने केस का फैसला अंजना ओम कश्यप और टीवी टुडे नेटवर्क के पक्ष में सुनाया और फेक चैनल को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया। सभी लंबित आवेदन भी निपटा दिए गए।
वॉट्सऐप (WhatsApp) और उसकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) के बीच यूजर डेटा शेयरिंग का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
वॉट्सऐप (WhatsApp) और उसकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) के बीच यूजर डेटा शेयरिंग का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से पूछा है कि विज्ञापनों के लिए यूजर डेटा शेयर करने पर कौन-से प्राइवेसी नियम लागू होंगे।
यह कदम तब आया है जब NCLAT ने 4 नवंबर को दिए अपने फैसले में WhatsApp और Meta पर लगी पांच साल की पाबंदी हटा दी थी। हालांकि ₹213.14 करोड़ का जुर्माना और कई शर्तें पहले की तरह ही लागू हैं।
CCI का कहना है कि NCLAT के फैसले में 'यूजर की सहमति, पारदर्शिता और एक ही तरह की कंसेंट पॉलिसी' जैसे सिद्धांतों की बात की गई है। आयोग जानना चाहता है कि क्या ये नियम सभी तरह के डेटा पर लागू होते हैं, या फिर विज्ञापन के लिए इस्तेमाल होने वाले डेटा पर अलग तरीके से लागू होंगे।
यदि दोनों तरह के डेटा के लिए एक जैसा नियम माना जाता है, तो WhatsApp और Meta को अपने कंसेंट सिस्टम को बिल्कुल नए तरीके से बनाना पड़ सकता है।
NCLAT की बेंच, जिसमें चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और अरुण बरोका शामिल हैं, ने Meta और WhatsApp को जवाब देने का समय दिया है। मामला 2 दिसंबर को फिर सुना जाएगा। Meta और WhatsApp ने अलग से यह भी मांग की है कि 4 नवंबर के फैसले के कुछ गोपनीय हिस्से सार्वजनिक न किए जाएं।
बता दें कि यह विवाद 2021 में शुरू हुआ, जब WhatsApp ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी जारी की। नई पॉलिसी में Meta ग्रुप के साथ डेटा शेयरिंग अनिवार्य कर दी गई और यूजर को इससे बाहर निकलने का विकल्प नहीं दिया गया।
CCI ने इसे 'यूजर की आजादी छीनने वाला' कदम बताया और नवंबर 2024 में WhatsApp और Meta पर ₹213.14 करोड़ का जुर्माना लगाया। साथ ही पांच साल तक डेटा शेयरिंग पर रोक लगा दी। Meta और WhatsApp ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी और जनवरी 2025 में पाबंदी पर अस्थायी रोक लग गई।
4 नवंबर 2025 के अंतिम फैसले में NCLAT ने जुर्माना बरकरार रखा लेकिन विज्ञापन के लिए डेटा शेयरिंग पर लगी लंबी रोक हटाई। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यदि यूजर को साफ-साफ जानकारी दी जाए, ऑप्ट-इन/ऑप्ट-आउट का विकल्प मिले और डेटा इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता रखी जाए, तो पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
सुनवाई में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Meta) और मुकुल रोहतगी (WhatsApp) ने कहा कि NCLAT का आदेश बिल्कुल साफ है, और CCI बेवजह और अस्पष्ट मुद्दे उठा रहा है। उनका कहना था कि अगर CCI को आपत्ति है तो उसे 'रिव्यू' करना चाहिए, न कि 'क्लैरिफिकेशन' मांगना चाहिए।
इस लड़ाई का सीधा असर उन करोड़ों भारतीयों पर पड़ेगा जो WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं। यदि Meta और WhatsApp डेटा इंटीग्रेशन फिर से शुरू करते हैं, तो उन्हें पहले यूजर्स को ज्यादा साफ जानकारी देनी होगी और हर तरह के डेटा के लिए अलग-अलग सहमति लेनी होगी।
यानी मामला अभी खत्म नहीं हुआ है और आगे का फैसला यह तय करेगा कि WhatsApp भारत में कितनी हद तक यूजर डेटा Meta के विज्ञापन सिस्टम में इस्तेमाल कर पाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने लोगों को फर्जी निवेश, नौकरी के झांसे और अन्य ऑनलाइन स्कैम से बचने के लिए चेतावनी जारी की है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने लोगों को फर्जी निवेश, नौकरी के झांसे और अन्य ऑनलाइन स्कैम से बचने के लिए चेतावनी जारी की है।
गृह मंत्रालय के I4C (इंडियन सेंटर फॉर साइबर क्राइम) ने अपने एडवाइजरी में कहा है कि बहुत सारे फर्जी निवेश या नौकरी वाले विज्ञापनों में धोखेबाज लोग 'डीपफेक वीडियो' का इस्तेमाल करते हैं। इन वीडियो और विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले विश्वसनीय दिखने वाले दृश्य, झूठे दावे और प्रोफेशनल दिखने वाले ऑनलाइन पेज लोगों को भ्रमित करते हैं।
इसका परिणाम यह होता है कि लोग इन फर्जी विज्ञापनों में आकर अपना पैसा खो बैठते हैं और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होता है।
मंत्रालय ने कुछ साइबर फ्रॉड के हालिया मामले भी उजागर किए।
अहमदाबाद का 25 साल का मेडिकल प्रतिनिधि इंस्टाग्राम विज्ञापन में फंसकर 44 लाख रुपये का नुकसान उठा बैठा। वह एक टेलीग्राम ग्रुप में शामिल हुआ, जहां फ्रॉड करने वाले खुद को वित्तीय सलाहकार बता रहे थे। शुरुआत में ग्रुप में बढ़ते हुए मुनाफे दिखाए गए, लेकिन बाद में पूरी राशि गायब हो गई।
दिल्ली के अशोक विहार की 40 साल की महिला 21 लाख रुपये के स्टॉक ट्रेडिंग फ्रॉड की शिकार हुई। उसने एक फर्जी ऐप डाउनलोड किया, जो असली ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म जैसा दिखता था। शुरुआत में खाते में छोटे मुनाफे दिखाए गए, फिर वॉट्सऐप ग्रुप में निवेश की सलाह देकर तीन अलग-अलग बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कराया। जब उसने आगे निवेश करने से इनकार किया, तो ऐप से ब्लॉक कर दिया गया।
रोहिणी की एक छात्रा 1.4 लाख रुपये के कैशबैक फ्रॉड की शिकार हुई। QR कोड के झांसे में वह लगातार पैसा ट्रांसफर करती रही। मित्र ने चेताया, तो उसने साइबर फ्रॉड की शिकायत की और 40,000 रुपये वापस पाए, लेकिन कुल 1 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
गृह मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के वर्क-फ्रॉम-होम और निवेश स्कैम में पैटर्न अक्सर एक जैसा होता है: फर्जी विज्ञापन, सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल और पैसे को कई अकाउंट में तेजी से ट्रांसफर करना, ताकि रिकवरी मुश्किल हो जाए।
गृह मंत्रालय ने लोगों से कहा कि वे सतर्क रहें और अनचाही निवेश योजनाओं, कैशबैक ऑफर या पार्ट-टाइम नौकरी के संदेशों का जवाब न दें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत National Cyber Crime Reporting Portal (www.cybercrime.gov.in) या 1930 हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें।
मंत्रालय ने लोगों को सलाह दी कि सभी जानकारी केवल CYBERDOST के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से ही लें।
डिज्नी इस समय बड़ी मुसीबत में है और इसकी कीमत उसे हर दिन करीब 4 मिलियन डॉलर (लगभग 33 करोड़ रुपये) चुकानी पड़ रही है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
डिज्नी इस समय बड़ी मुसीबत में है और इसकी कीमत उसे हर दिन करीब 4 मिलियन डॉलर (लगभग 33 करोड़ रुपये) चुकानी पड़ रही है। दरअसल, YouTube TV और Disney के बीच चैनल प्रसारण समझौता (carriage agreement) 30 अक्टूबर को खत्म हो गया, जिसके बाद YouTube TV ने ESPN, ABC, FX, National Geographic जैसे डिज्नी के सभी प्रमुख चैनल अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिए हैं।
अमेरिका की निवेश, बैंकिंग सेवाएं, शेयर मार्केट, बीमा, फंड मैनेजमेंट और वित्तीय सलाह जैसी सेवाएं देने वाली कंपनी मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि इस ब्लैकआउट से डिज्नी को हर हफ्ते करीब 30 मिलियन डॉलर यानी करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसमें विज्ञापन राजस्व और पार्टनरशिप फीस दोनों शामिल हैं।
यह झगड़ा नया नहीं है, बस मैदान बदल गया है। डिज्नी चाहती है कि उसके चैनलों के लिए ज्यादा फीस दी जाए, क्योंकि ESPN और ABC अभी भी लाइव स्पोर्ट्स और प्राइमटाइम एंटरटेनमेंट के लिए अहम माने जाते हैं। वहीं, YouTube TV की मालिक कंपनी Alphabet (Google) का कहना है कि डिज्नी की मांगें पूरी करने से उसे सब्सक्रिप्शन रेट बढ़ाने पड़ेंगे, जिससे यूजर्स और अन्य ब्रॉडकास्टिंग पार्टनर्स दोनों में असंतोष पैदा होगा।
पहले के केबल टीवी जमाने में डिज्नी ब्लैकआउट झेल लेती थी, क्योंकि लोगों के पास विकल्प कम थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। YouTube TV अमेरिका की सबसे बड़ी लाइव टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस बन चुकी है, जिसके 90 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं। यानी अब ताकत कंटेंट कंपनियों से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथ में दिख रही है।
इस विवाद का वक्त भी डिज्नी के लिए बेहद खराब साबित हो रहा है। ESPN इस वक्त NFL, NBA, कॉलेज फुटबॉल और हॉकी सीजन के चरम पर है। चैनल बंद रहने से विज्ञापनदाताओं की पहुंच घट रही है। उधर, ABC चैनल का भी फॉल सीजन चल रहा है, जिससे उसे भी प्राइमटाइम स्लॉट के विज्ञापनों में बड़ा नुकसान हो रहा है।
बताया जा रहा है कि यदि यह विवाद अगले हफ्ते तक खिंच गया तो डिज्नी को कुल मिलाकर 60 मिलियन डॉलर से ज्यादा का घाटा झेलना पड़ सकता है।
Google की स्थिति कुछ मजबूत मानी जा रही है। उसने प्रभावित ग्राहकों को $20 का क्रेडिट देने की घोषणा की है, जो डिज्नी की मांगों को मानने से कहीं सस्ता विकल्प है। हालांकि कुछ यूजर्स ने इस क्रेडिट को छिपाने और क्लेम करने में मुश्किलें होने की शिकायत की है। फिर भी Google का दांव यह है कि दर्शक कुछ मैच मिस कर लेंगे, लेकिन बढ़े हुए मासिक चार्ज नहीं झेलेंगे।
डिज्नी के लिए यह विवाद उसके सीईओ बॉब आइगर के लिए एक और सिरदर्द बन गया है। पहले से ही कंपनी स्ट्रीमिंग बिजनेस में प्रॉफिट, री-स्ट्रक्चरिंग की लागत और ESPN के स्वतंत्र ऐप या साझेदारी मॉडल जैसे मुद्दों से जूझ रही है। YouTube TV पर अपने चैनल खोने से डिज्नी का असर कमजोर पड़ा है और हर बीतता दिन उसके विज्ञापन और कमाई दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद जल्दी सुलझ जाएगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष इसे लंबा नहीं खींचना चाहते, खासकर जब फुटबॉल सीजन जोरों पर है। लेकिन जब भी चैनल दोबारा शुरू होंगे, एक बात साफ रहेगी, अब टीवी की दुनिया में शो भले कंटेंट हो, लेकिन रिमोट अब डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स के हाथ में है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में कुमुद अहलावत ने बताया कि ‘जनतंत्र टीवी’ में जिम्मेदारी निभाने के साथ ही वह अपना मीडिया वेंचर भी संभालती
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
टीवी पत्रकार कुमुद अहलावत ने अब हिंदी न्यूज चैनल ‘जनतंत्र टीवी’ (Jantantra TV) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने इस चैनल की डिजिटल टीम में बतौर एडिटर जॉइन किया है।
कुमुद अहलावत इससे पहले ‘लल्लनटॉप’ (Lallantop) में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने इसी साल मई में इस्तीफा देकर अपना मीडिया वेंचर शुरू किया था। समाचार4मीडिया से बातचीत में कुमुद अहलावत ने बताया कि ‘जनतंत्र टीवी’ में जिम्मेदारी निभाने के साथ ही वह अपने वेंचर का कामकाज भी संभालती रहेंगी।
कुमुद अहलावत को लगभग दो दशक तक देश के कई बड़े न्यूज नेटवर्क्स के साथ काम करने का अनुभव है। वर्ष 2007 से टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में सक्रिय कुमुद ने ‘जी न्यूज’ (Zee News), ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) और ‘आजतक’ (AajTak) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
कुमुद अहलावत का सबसे लंबा और निर्णायक कार्यकाल ‘Zee News’ में रहा, जहां उन्होंने ट्रेनी से लेकर प्रोडक्शन हेड तक का सफर तय किया। ‘Zee’ की अपनी पारी के दौरान कुमुद ने वरिष्ठ टीवी संपादक सुधीर चौधरी के साथ ‘DNA’ जैसे शो का प्रोडक्शन संभाला। ‘DNA’ उस समय का सबसे चर्चित प्राइम टाइम शो रहा, जिसने राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा 'RJ रौनक का शो' और 'भाई vs भाई' (पूनावाला भाइयों की डिबेट सीरीज) जैसे फॉर्मेट भी इन्हीं के निर्देशन में तैयार हुए। ‘Zee’ के बाद इन्होंने ‘Times Now Navbharat’ में करीब 13 महीने काम किया, जहां 'सवाल पब्लिक का' जैसे डिबेट शो के प्रोडक्शन को संभाला, जो वरिष्ठ पत्रकार नाविका कुमार द्वारा होस्ट किया जाता था।
‘टाइम्स नेटवर्क’ के बाद कुमुद ने ‘आजतक’ जॉइन किया और सुधीर चौधरी के साथ दोबारा काम करते हुए प्राइम टाइम शो 'Black and White' की पूरी प्रोडक्शन जिम्मेदारी संभाली। कुमुद वर्ष 2024 में ‘Lallantop’ से जुड़ीं, जहां उन्होंने न केवल कंटेंट और शो का प्रोडक्शन लीड किया, बल्कि एंकरिंग से लेकर शिफ्ट लीड और इनपुट आउटपुट तालमेल तक की पूरी जिम्मेदारी निभाई। डिजिटल मीडिया में इस अनुभव ने उनके विज़न को और स्पष्ट किया। यहां से मई में उन्होंने बाय बोल दिया था और तब से अपने मीडिया वेंचर पर फोकस कर रही थीं।
समाचार4मीडिया की ओर से कुमुद अहलावत को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
एंटरटेनमेंट की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड अब एक नए क्षेत्र में कदम रख रही है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
एंटरटेनमेंट की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड अब एक नए क्षेत्र में कदम रख रही है। कंपनी ने ‘AstroVani by Balaji’ नाम से भारत का पहला प्रीमियम ज्योतिष ऐप लॉन्च किया है, जो आधुनिक अंदाज में ज्योतिष को लोगों के बेहद करीब लाने का प्रयास है।
कंपनी का कहना है कि यह ऐप परंपरा और तकनीक का मेल है, जो यूजर्स को व्यक्तिगत और भरोसेमंद अनुभव देता है। इसमें दैनिक राशिफल, जीवन से जुड़ी सलाह और अनुभवी ज्योतिषियों, न्यूमरोलॉजिस्ट्स और हस्तरेखाविदों से लाइव एक-टू-वन कंसल्टेशन की सुविधा उपलब्ध है। चाहे बात करियर की हो, रिश्तों की, सेहत की या परिवार की- AstroVani by Balaji हर सवाल का समाधान भरोसेमंद विशेषज्ञों से दिलाने का वादा करता है।
आज की युवा पीढ़ी के लिए डिजाइन किया गया यह ऐप पूरी तरह ऐड-फ्री है और इसकी सबसे बड़ी खूबी है यूजर की प्राइवेसी और ट्रस्ट पर इसका फोकस। इसे इस तरह तैयार किया गया है कि यह आधुनिक जीवनशैली में सहजता से फिट हो जाए- भरोसेमंद, सुंदर और उपयोग में आसान।
लॉन्च के मौके पर बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड की फाउंडर और जॉइंट एमडी एकता आर. कपूर ने कहा, “मैं हमेशा ज्योतिष की शक्ति में विश्वास रखती आई हूं। इसने मुझे जीवन के हर पड़ाव पर दिशा और दृष्टिकोण दिया है। AstroVani by Balaji मेरे दिल के बहुत करीब एक पहल है, जिसका मकसद है लोगों को भारत भर के बेहतरीन ज्योतिषियों से जोड़ना ताकि वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सही मार्गदर्शन पा सकें। मेरी इच्छा है कि यह ऐप हर उस व्यक्ति का साथी बने जो अपने जीवन में स्पष्टता और आत्मविश्वास की तलाश में है।”
बालाजी टेलीफिल्म्स के ग्रुप सीईओ और सीएफओ संजय द्विवेदी ने कहा, “AstroVani by Balaji के साथ हम अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के सफर को आगे बढ़ा रहे हैं। यह लॉन्च भारत की सांस्कृतिक गहराई को आधुनिक तकनीक की सुविधा से जोड़ता है। हमारा लक्ष्य है ऐसे डिजिटल प्रॉडक्ट्स तैयार करना जो सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में भी उपयोगी साबित हों।”
बालाजी टेलीफिल्म्स के चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर धवल शेट ने कहा, “हमारा विजन है भारत की सबसे भरोसेमंद परंपराओं में से एक ज्योतिष को एक आधुनिक, टेक-ड्रिवन तरीके से लोगों तक पहुँचाना। ऐप के हर हिस्से, चाहे वह डिजाइन हो या एक्सपर्ट ऑनबोर्डिंग, में भरोसे, सरलता और प्रासंगिकता का ध्यान रखा गया है। जैसे-जैसे हम ‘स्पिरिचुअलिटी-टेक’ के इस नए क्षेत्र में कदम बढ़ा रहे हैं, हमारा फोकस रहेगा कि AstroVani by Balaji एक ऐसा प्लेटफॉर्म बने जो परंपरा और आधुनिकता दोनों को संतुलित रखे।”
यह ऐप फिलहाल Android पर उपलब्ध है और जल्द ही iOS यूजर्स के लिए भी लॉन्च किया जाएगा। कंपनी चाहती है कि लोग इस ऐप के जरिए अपने आत्म-ज्ञान और संतुलन की नई यात्रा की शुरुआत करें।