भारतीय न्यूजरूम्स के लिए Google ने लॉन्च की AI Skills Academy, जानें क्या है उद्देश्य

गूगल ने भारत में अपनी AI Skills Academy की शुरुआत की है, जिसका मकसद पत्रकारों और न्यूजरूम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के व्यावहारिक इस्तेमाल की ट्रेनिंग देना है।

Last Modified:
Monday, 28 July, 2025
Google7845


गूगल ने भारत में अपनी AI Skills Academy की शुरुआत की है, जिसका मकसद पत्रकारों और न्यूजरूम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के व्यावहारिक इस्तेमाल की ट्रेनिंग देना है। यह पहल Google News Initiative का हिस्सा है और इसका उद्देश्य संपादकीय टीमों को ऐसे टूल्स और वर्कफ्लो से लैस करना है जो रिपोर्टिंग, रिसर्च, ट्रांसलेशन, ट्रांसक्रिप्शन और फैक्ट वेरिफिकेशन जैसे कार्यों को बेहतर बना सकें।

यह पहल ऐसे समय पर आई है जब भारतीय न्यूजरूम सीमित संसाधनों और तेजी से बदलती डिजिटल खपत की आदतों के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती से जूझ रहे हैं। गूगल का प्रस्ताव सीधा है: AI वह सारा बुनियादी काम कर सकती है, जिससे पत्रकारों को कहानी कहने और प्रभाव बनाने पर ज्यादा ध्यान देने का मौका मिल सके।

AI Skills Academy देशभर के मीडिया संगठनों में हैंड्स-ऑन वर्कशॉप्स और डिजाइन स्प्रिंट्स आयोजित करेगी, जहां पत्रकारों को सिखाया जाएगा कि कैसे वे AI टूल्स को जिम्मेदारी के साथ अपने रोजमर्रा के काम में शामिल करें। इसमें गूगल के अपने टूल्स जैसे Pinpoint और Fact Check Explorer शामिल होंगे, साथ ही जनरेटिव AI मॉडल्स का इस्तेमाल सार-संक्षेप तैयार करने, स्थानीय भाषाओं में अनुवाद और डेटा प्रोसेसिंग के लिए कैसे किया जाए, इस पर भी व्यापक प्रशिक्षण मिलेगा।

इस घोषणा के जरिए गूगल ने भारत के न्यूज इकोसिस्टम के प्रति अपने व्यापक योगदान को आगे बढ़ाया है। पिछले एक साल में गूगल ने 60,000 से ज्यादा पत्रकारों और पत्रकारिता के छात्रों को ट्रेनिंग दी है, फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क को सपोर्ट किया है और लोकल पब्लिशर्स के साथ मिलकर रेवेन्यू बढ़ाने की पहलें की हैं। लेकिन AI Skills Academy एक नया मोड़ दर्शाता है, अब फोकस केवल क्षमताओं के निर्माण से आगे बढ़कर उनके वास्तविक इस्तेमाल की ओर बढ़ रहा है।

मीडिया व मार्केटिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए यह ट्रेंड ध्यान देने लायक है। जैसे-जैसे न्यूजरूम कंटेंट प्रोडक्शन और ऑडियंस इनसाइट्स के लिए AI टूल्स अपनाते हैं, पत्रकारिता और ब्रैंड स्टोरीटेलिंग के बीच की दूरी घट सकती है। स्थानीय भाषाओं में पर्सनलाइजेशन, तेज टर्नअराउंड और अधिक इंटरएक्टिव फॉर्मेट्स जैसे प्रयोग अब दूर की बात नहीं।

एक सीनियर डिजिटल पब्लिशर ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया, “यह केवल पत्रकारों की चुनौती नहीं है। जो भी कंटेंट इकोसिस्टम का हिस्सा है- चाहे मार्केटर हो (एजेंसी हो या कोई प्लेटफॉर्म) उसे यह समझना जरूरी है कि AI किस तरह से कहानियों को बनाने, जांचने और पेश करने के तरीकों को बदल रहा है।”

यह पहल भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में चल रहे एक बड़े बदलाव से भी जुड़ी हुई है। MeitY के IndiaAI Mission, बढ़ते टेक बजट और गूगल जैसी निजी पहलों के जरिए ऐसा आधार तैयार हो रहा है, जिससे मीडिया को AI-सक्षम बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती है- AI का जिम्मेदार और नैतिक उपयोग। गूगल का कहना है कि उसकी अकादमी एथिकल AI को प्राथमिकता देती है और बायस, मिसइन्फॉर्मेशन और तथ्यों से भटके हुए कंटेंट से बचने के लिए गाइडलाइंस भी लागू की गई हैं। लेकिन क्या ये मानक हाई-प्रेशर न्यूजरूम्स में बड़े पैमाने पर कायम रह पाएंगे, यह अभी देखने की बात है।

फिर भी, संदेश साफ है: जनरेटिव AI अब आधिकारिक रूप से भारतीय न्यूजरूम में प्रवेश कर चुका है। और अगर पत्रकार AI की मदद से बेहतर कहानियां गढ़ने की ट्रेनिंग ले रहे हैं, तो मार्केटिंग की दुनिया को भी अब ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

'Elon Musk' की कंपनी xAI ने लॉन्च किया Grok 4.1 : जानें क्यों है ख़ास

एलन मस्क की एआई कंपनी xAI ने अपना नया एआई मॉडल Grok 4.1 लॉन्च किया है। यह मॉडल पहले से ज्यादा समझदार, भावनात्मक रूप से संवेदनशील और रचनात्मक जवाब देने में सक्षम है।

Last Modified:
Wednesday, 19 November, 2025
grok4.1

एलन मस्क की कंपनी xAI ने अपने नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल Grok 4.1 को जारी कर दिया है। यह मॉडल Grok 4 का उन्नत संस्करण है, जो जुलाई में लॉन्च हुआ था। कंपनी का दावा है कि नए वर्जन में बेहतर इमोशनल इंटेलिजेंस, उन्नत क्रिएटिव राइटिंग, और कम हल्यूसिनेशन (गलत जानकारी) की क्षमता है।

xAI के अनुसार, Grok 4.1 ने अपने आंतरिक टेस्ट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, और कुछ मानकों पर यह Google Gemini 2.5 Pro और Claude 4.5 Sonnet जैसे मॉडलों से आगे निकला है। दिलचस्प बात यह है कि Grok 4.1 को 1 से 14 नवंबर के बीच “साइलेंट” रूप से रिलीज़ किया गया था, जहाँ उपयोगकर्ताओं को बिना बताए नए मॉडल के जवाब दिखाए गए।

65% उपयोगकर्ताओं ने इसके उत्तरों को पुराने मॉडल से बेहतर पाया। नया मॉडल अब Grok.com, X (पूर्व में Twitter), और इसके Android और iOS ऐप्स पर सभी के लिए उपलब्ध है। कंपनी के मुताबिक, Grok 4.1 ने EQ-Bench टेस्ट में 1585 का स्कोर किया, जो इसे GPT-5 और अन्य प्रमुख एआई मॉडलों से आगे रखता है।

यह अब उपयोगकर्ता के सवालों के भावनात्मक पहलुओं को भी समझकर जवाब देता है। इसके अलावा, रचनात्मक लेखन में भी इसने 1708.6 का स्कोर किया है, जिससे यह सोशल मीडिया पोस्ट, कहानियों और क्रिएटिव कंटेंट लिखने में और बेहतर साबित हुआ है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

एआई और चिप टेक्नोलॉजी में 'Samsung' करेगी 310 अरब डॉलर का निवेश

दक्षिण कोरिया की टेक दिग्गज कंपनी सैमसंग ने अगले पांच वर्षों में 310 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की है। यह निवेश मुख्य रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर उद्योग को मजबूत बनाने पर केंद्रित होगा।

Last Modified:
Tuesday, 18 November, 2025
samsung

दक्षिण कोरियाई बहुराष्ट्रीय समूह 'Samsung' घोषणा की है कि वह आने वाले पांच वर्षों में 310 अरब डॉलर का निवेश करेगी। यह कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा निवेश है, जो मुख्य रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी के विकास के लिए किया जा रहा है।

सैमसंग की प्रमुख इकाई 'Samsung Electronics' पहले से ही दुनिया की शीर्ष मेमोरी चिप निर्माता कंपनियों में से एक है, जो एआई उद्योग को आवश्यक हार्डवेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराती है। इस निवेश के तहत कंपनी 'Pyeongtaek Plant 5' नामक एक नई सेमीकंडक्टर फैक्ट्री बनाएगी, जो 2028 तक संचालन में आएगी।

यह प्लांट वैश्विक चिप सप्लाई चेन और दक्षिण कोरिया के घरेलू चिप इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, 'Samsung SDS', जो कंपनी का आईटी और लॉजिस्टिक्स डिवीजन है, दक्षिण कोरिया के 'South Jeolla' और 'Gumi' क्षेत्रों में दो नए एआई डेटा सेंटर्स स्थापित करेगा।

साथ ही, 'Samsung SDI' इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए नेक्स्ट-जनरेशन बैटरियों, जिनमें ऑल-सॉलिड-स्टेट बैटरी शामिल है, के उत्पादन पर काम करेगी। सैमसंग का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब दक्षिण कोरियाई सरकार ने एआई पर अपने खर्च को तीन गुना करने की घोषणा की है। राष्ट्रपति ली जे म्यंग ने देश को अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की शीर्ष तीन एआई शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Google करेगा 40 अरब डॉलर का निवेश: टेक्सास बनेगा AI का नया हब

गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने टेक्सास में 40 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। यह कंपनी का किसी एक अमेरिकी राज्य में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।

Last Modified:
Monday, 17 November, 2025
googlepolicy

गूगल ने अमेरिका के टेक्सास राज्य में अपने सबसे बड़े निवेश की घोषणा की है। कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई ने बताया कि गूगल 40 अरब डॉलर का निवेश करेगा, जिसके तहत तीन नए डेटा सेंटर कैंपस बनाए जाएंगे। इस परियोजना का उद्देश्य गूगल के क्लाउड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालन को और अधिक शक्तिशाली बनाना है।

टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने इस पहल को 'भविष्य में निवेश' बताते हुए कहा, टेक्सास अब एआई विकास का केंद्र बन चुका है, जहाँ नवाचार और ऊर्जा एक साथ बढ़ रहे हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अमेरिका एआई क्रांति में अग्रणी बना रहे और टेक्सास इसका केंद्र है।

सुंदर पिचाई ने कहा कि यह निवेश न केवल हज़ारों नौकरियाँ पैदा करेगा, बल्कि कॉलेज छात्रों और इलेक्ट्रिकल अप्रेंटिसेस के लिए स्किल ट्रेनिंग के अवसर भी प्रदान करेगा। इस योजना में 30 मिलियन डॉलर का एनर्जी इंपैक्ट फंड भी शामिल है, जो स्थानीय समुदायों और स्कूलों में ऊर्जा-संबंधी परियोजनाओं को समर्थन देगा।

इसके अलावा, गूगल 1,700 से अधिक इलेक्ट्रिकल अप्रेंटिसेस को प्रशिक्षित करेगा ताकि टेक्सास का टैलेंट पूल एआई और डेटा इंडस्ट्री की बढ़ती मांगों को पूरा कर सके। माना जा रहा है कि यह निवेश टेक्सास की छवि को एक टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली और ऊर्जा-समृद्ध राज्य के रूप में और मजबूत करेगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

MeitY ने अंतिम DPDP नियम जारी कर देश का पहला डेटा सुरक्षा कानून किया लागू

केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन ऐक्ट के लिए अंतिम नियम जारी कर दिए हैं।

Last Modified:
Saturday, 15 November, 2025
Meity78

केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन ऐक्ट के लिए अंतिम नियम जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही भारत में डेटा सुरक्षा कानून पूरी तरह लागू होने की दिशा में आगे बढ़ गया है। जनवरी 2025 में जारी ड्राफ्ट पर जनता से मिले सुझावों के बाद अब सरकार ने वे आधिकारिक नियम जारी किए हैं, जिनके आधार पर कंपनियां लोगों का व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा करेंगी, उसे प्रोसेस करेंगी और सुरक्षित रखेंगी।

लागू करने की प्रक्रिया एक साथ नहीं होगी। कुछ शुरुआती नियम, जैसे गवर्नेंस से जुड़े पॉइंट्स और बोर्ड की नियुक्तियों वाले प्रावधान, तुरंत लागू हो गए हैं। वहीं कंसेंट मैनेजर्स (Consent Managers) की रजिस्ट्री एक साल बाद शुरू होगी। बाकी बड़े ऑपरेशनल नियमों को लागू करने के लिए सरकार ने 18 महीने का ट्रांजिशन पीरियड रखा है, ताकि कंपनियों को अपनी नीतियों में बदलाव करने, सिस्टम अपडेट करने और ऑडिट की तैयारी करने का समय मिल सके।

नए नियमों के मुताबिक, जो भी संगठन लोगों का व्यक्तिगत डेटा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अब स्पष्ट और अलग नोटिस देना होगा जिसमें साफ लिखा हो कि कौन सी जानकारी ली जा रही है और किस उद्देश्य के लिए। इसके साथ ही यूजर को अपनी सहमति वापस लेने या शिकायत दर्ज करने के आसान विकल्प भी देने होंगे। डेटा रखने की अवधि पर भी सख्त नियम हैं- कुछ मामलों में लंबे समय तक निष्क्रिय रहने पर कंपनियों को डेटा हटाना होगा और पहले से यूजर को इसकी जानकारी देनी होगी।

सुरक्षा पर भी कड़े प्रावधान रखे गए हैं। अब प्लेटफॉर्म को एन्क्रिप्शन, कंट्रोल्ड एक्सेस और लॉग रिकॉर्ड रखने जैसे सुरक्षा उपाय अनिवार्य रूप से लागू करने होंगे। अगर किसी तरह की डेटा चोरी या उल्लंघन होता है, तो कंपनियों को तुरंत प्रभावित लोगों और डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड दोनों को इसकी जानकारी देनी होगी, साथ ही तय समय सीमा में पूरा रिपोर्ट भी देना होगा। बच्चों के डेटा को प्रोसेस करने के लिए कंपनियों को पैरेंट्स की वेरिफाइड अनुमति जरूरी होगी।

जो संगठन सिग्निफिकेंट डेटा फिड्यूशियरी की श्रेणी में आएंगे, उन्हें और अधिक कड़े मानकों का पालन करना होगा। इनमें हर साल ऑडिट, इम्पैक्ट असेसमेंट और डेटा लोकलाइजेशन व एल्गोरिदमिक सेफगार्ड जैसी अतिरिक्त शर्तें शामिल होंगी।

इन नियमों के लागू होने के साथ, भारत अब डेटा गवर्नेंस के एक नए और व्यवस्थित दौर में कदम रख चुका है। इससे कंपनियों की जिम्मेदारियां साफ होंगी और आम लोगों के डेटा की सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होगी।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

WhatsApp ला रहा नया Chat Clearing फीचर: स्टोरेज मैनेजमेंट होगा आसान

WhatsApp अपने नए बीटा वर्जन में एक उन्नत चैट क्लियरिंग फीचर टेस्ट कर रहा है, जिसके बाद यूजर्स फोटो, वीडियो, डॉक्यूमेंट और मैसेज को अलग-अलग चुनकर डिलीट कर सकेंगे।

Last Modified:
Friday, 14 November, 2025
WhatsApp

WhatsApp ने यूजर्स के चैट और स्टोरेज मैनेजमेंट को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। WabetaInfo की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी एंड्रॉइड 2.25.34.5 बीटा वर्जन में एक नया Chat Clearing फीचर टेस्ट कर रही है।

यह फीचर यूजर्स को किसी विशेष चैट में मौजूद फोटो, वीडियो, टेक्स्ट मैसेज और डॉक्यूमेंट को अलग-अलग कैटेगरी में चुनकर हटाने की सुविधा देगा, जिससे चैट क्लीनअप पहले से कहीं आसान हो जाएगा। नए फीचर में एक बॉटम-शीट इंटरफेस शामिल किया गया है।

इसमें मैसेज हटाने से पहले यूजर देख पाएगा कि वह वास्तव में क्या डिलीट करने जा रहा है। इससे पूरी चैट मिटाने के बजाय सिर्फ ज़रूरी फाइलें या मैसेज हटाना संभव होगा। खास बात यह है कि इसमें रियल-टाइम स्टोरेज डिस्प्ले भी दिखाई देगा, जो बताएगा कि डिलीट करने के बाद कितनी मेमोरी खाली होगी।

यह सुविधा ग्रुप चैट्स के लिए बेहद उपयोगी होगी, जहां बड़े वीडियो और ऑडियो फाइलें जल्दी स्पेस घेर लेती हैं। नए अपडेट में स्टार वाले मैसेज को मैनेज करना भी सरल हो गया है। यदि कोई यूजर पूरी चैट क्लियर करना चाहता है लेकिन स्टार किए गए खास मैसेज या फाइलों को बचाना चाहता है, तो व्हाट्सऐप एक अतिरिक्त प्रॉम्प्ट दिखाएगा जिससे यूजर चुन सकेगा कि स्टार्ड आइटम्स को रखना है या हटाना।

इसके अलावा 'Clear Chat' विकल्प को भी आसान लोकेशन देकर चैट इंफो स्क्रीन के नीचे शिफ्ट किया गया है, जैसा कि iOS पर लंबे समय से मौजूद है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

'Meta' ने पेश किया 'Omnilingual ASR', दुनिया का पहला AI स्पीच मॉडल

मेटा ने नया Omnilingual ASR मॉडल लॉन्च किया है, जो 1600 से अधिक भाषाओं और बोलियों को पहचानने में सक्षम है। यह AI स्पीच तकनीक को उन लोगों तक भी पहुंचाएगा, जो सिर्फ अपनी स्थानीय भाषाएं बोलते हैं।

Last Modified:
Thursday, 13 November, 2025
metaaimodel

मार्क जुकरबर्ग की कंपनी Meta ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए Omnilingual ASR (ऑम्नीलिंगुअल ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन) मॉडल लॉन्च किया है। यह मॉडल भाषा और एआई के संयोजन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला माना जा रहा है क्योंकि यह उन उपयोगकर्ताओं को भी आवाज़ आधारित AI सुविधाओं से जोड़ देगा, जो अंग्रेजी जैसी प्रमुख भाषाएं नहीं बोलते।

मेटा का दावा है कि यह दुनिया का पहला AI स्पीच मॉडल है जो 1600 से अधिक भाषाओं और बोलियों को समझने और पहचानने में सक्षम है। विशेष बात यह है कि इनमें 500 से अधिक दुर्लभ और कम संसाधन वाली भाषाएं शामिल हैं। ऐसी भाषाएं जिनके डिजिटल रिकॉर्ड भी बहुत कम उपलब्ध हैं।

अब उपयोगकर्ता अब अपनी स्थानीय भाषा या बोली में AI से बात कर सकेंगे। ग्रामीण और क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले भी तकनीक का समान रूप से लाभ उठा पाएंगे। AI उनके सवालों के जवाब उनकी ही भाषा में देगा। यह मॉडल छत्तीसगढ़ी, अवधी, तमिल, बंगला और कई प्राचीन बोलियों को भी पहचानता है।

AI स्पीच तकनीक की पहुंच कई गुना बढ़ जाएगी। Meta का यह नया मॉडल एक मल्टीलिंगुअल ढांचे पर आधारित है। पारंपरिक AI मॉडल किसी एक भाषा के बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित किए जाते हैं, जबकि दुर्लभ भाषाओं के लिए डेटा उपलब्ध नहीं होता। लेकिन Meta ने ऐसे एल्गोरिदम का उपयोग किया है जो भाषाओं के बीच समान पैटर्न ढूंढकर बेहद कम डेटा में भी सीख सके।

यह सिस्टम एक ही मॉडल में सभी भाषाओं को प्रोसेस करता है और विभिन्न भाषाई इनपुट पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है। इससे यह उन उपयोगकर्ताओं के लिए भी उपयोगी बनता है जो अपनी मातृभाषा में ही AI का उपयोग करना पसंद करते हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

YouTube ने लॉन्च किया नया ‘Ask’ बटन : AI से पूछ सकेंगे वीडियो से जुड़े सवाल

YouTube ने दर्शकों के लिए एक नया ‘Ask’ बटन फीचर शुरू किया है, जो Google Gemini AI द्वारा संचालित है। इस फीचर से यूजर्स वीडियो से संबंधित सवाल पूछ सकते हैं, उसका सारांश ले सकते हैं।

Last Modified:
Wednesday, 12 November, 2025
youtube

वीडियो प्लेटफॉर्म YouTube लगातार अपने यूजर्स के अनुभव को और बेहतर बनाने में जुटा हुआ है। अब कंपनी ने एक नया AI-आधारित फीचर ‘Ask’ बटन लॉन्च किया है, जो Google Gemini AI की मदद से काम करेगा। यह फीचर दर्शकों को किसी भी वीडियो के कंटेंट के साथ सीधे इंटरैक्ट करने का मौका देता है।

‘Ask’ बटन की मदद से यूजर्स वीडियो के बारे में सवाल पूछ सकते हैं, उसका सारांश (Summary) जान सकते हैं, मुख्य बिंदुओं पर चर्चा कर सकते हैं, और यहां तक कि वीडियो पर आधारित क्विज़ में भी हिस्सा ले सकते हैं। यह बटन फिलहाल वीडियो प्लेयर के नीचे, “Share” और “Download” ऑप्शन के बीच देखा जा सकता है।

फीचर फिलहाल iPhone, Android और Windows पर उपलब्ध है। जैसे ही यूजर ‘Ask’ बटन पर क्लिक करते हैं, एक पॉप-अप चैट विंडो खुलती है। इसमें यूजर अपने सवाल टाइप कर सकते हैं या फिर सुझाए गए प्रॉम्प्ट जैसे “Summarise this video” या “Show related topics” को चुन सकते हैं।

AI इसके जवाब Large Language Models (LLMs) की मदद से देता है, जो बिल्कुल इंसान जैसी प्राकृतिक भाषा में उत्तर तैयार करता है। YouTube ने पुष्टि की है कि यह फीचर 18 वर्ष से अधिक उम्र के यूजर्स के लिए अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध है। वर्तमान में यह फीचर अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड और भारत के दर्शकों के लिए रोलआउट किया जा चुका है और इसे प्रीमियम व नॉन-प्रीमियम दोनों यूजर्स एक्सेस कर सकते हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Apple 2026 में लॉन्च करेगा अपना पहला OLED MacBook Pro: होंगे ये बड़े बदलाव

एप्पल 2026 के अंत तक अपना पहला OLED पैनल वाला MacBook Pro पेश करने की तैयारी में है। नए मॉडल्स में M6 Pro और M6 Max चिप, पतले बेज़ल और बदला हुआ डिजाइन मिलेगा।

Last Modified:
Tuesday, 11 November, 2025
applemakbook

टेक दिग्गज Apple अपने MacBook Pro लाइनअप में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी 2026 के आखिरी महीनों में अपना पहला OLED डिस्प्ले वाला MacBook Pro लॉन्च कर सकती है। यह बदलाव MacBook लाइन में वर्षों बाद सबसे बड़ी तकनीकी शिफ्ट माना जा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आने वाला OLED MacBook Pro एप्पल के अगले-जनरेशन चिपसेट M6 Pro और M6 Max के साथ पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Apple इन मॉडल्स में पतले बेज़ल, हल्का चेचिस और संभवतः इंबिल्ट 5G सपोर्ट भी जोड़ सकता है। यह बदलाव 2021 के बाद MacBook Pro में आने वाला सबसे बड़ा डिजाइन अपडेट होगा।

डायनामिक आइलैंड नॉच की जगह कोई नया डिजाइन एलीमेंट आ सकता है। हालांकि, MacBook Pro के बेस मॉडल में बदलाव की उम्मीद नहीं है। इस समय Apple 14-इंच M5 चिप वाले बेस मॉडल के अलावा 14-इंच और 16-इंच मॉडल बेचता है, जो M4 Pro और M4 Max चिपसेट से लैस हैं।

कंपनी MacBook Air, Mac Mini और Mac Studio को भी रिडिज़ाइन कर सकती है, और इन्हें भी OLED पैनल के साथ पेश किया जा सकता है। OLED पैनल मिनी-LED के मुकाबले बेहतर कॉन्ट्रास्ट, ज्यादा ब्राइटनेस और ऊर्जा की बचत जैसे फायदे प्रदान करते हैं।

इसके अलावा ये रंगों को अधिक सटीकता से प्रदर्शित करते हैं और बैटरी लाइफ में सुधार लाते हैं। इसी वजह से Apple अपनी पूरी प्रोडक्ट लाइन को धीरे-धीरे OLED पर ट्रांज़िशन कर रहा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

WhatsApp अब Arattai यूजर्स को भी भेज सकेगा मैसेज, जानें पूरा मामला

भारत के लोकल मैसेजिंग ऐप Arattai की बढ़ती लोकप्रियता के बीच WhatsApp अब क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म मैसेजिंग टेस्ट कर रहा है। अब WhatsApp से ही Arattai यूज़र्स को मैसेज भेजा जाएगा।

Last Modified:
Saturday, 08 November, 2025
WhatsAppArattai

भारतीय मैसेजिंग ऐप Arattai, जिसे चेन्नई स्थित Zoho ने विकसित किया है, अब WhatsApp के लिए एक गंभीर प्रतियोगी बनता जा रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में अचानक बढ़ी डाउनलोड्स ने ऐप को सुर्खियों में ला दिया है। Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू लंबे समय से मैसेजिंग ऐप्स में इंटरऑपरेबिलिटी यानी क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म संवाद का समर्थन करते आए हैं। ठीक वैसे ही जैसे UPI हर ऐप पर सहजता से चलता है।

अब लग रहा है कि WhatsApp भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। WaBetaInfo की रिपोर्ट के अनुसार, WhatsApp एक नया फीचर टेस्ट कर रहा है, जिससे यूज़र्स अन्य मैसेजिंग ऐप्स जिनमें Arattai भी शामिल है के यूज़र्स को सीधे WhatsApp से मैसेज भेज सकेंगे।

यह फीचर फिलहाल यूरोप के बीटा टेस्टर्स के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसके विस्तार की संभावना बनी हुई है। सितंबर में, श्रीधर वेंबू ने मैसेजिंग प्रोटोकॉल को मानकीकृत करने की मांग की थी। वर्तमान में WhatsApp केवल BirdyChat नामक एक थर्ड-पार्टी ऐप को सपोर्ट कर रहा है।

साथ ही डेवलपर्स को WhatsApp की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के बराबर सुरक्षा मानकों को पूरा करना पड़ता है। Arattai में अभी E2E एन्क्रिप्शन नहीं है, लेकिन कंपनी जल्द ही यह फीचर जोड़ने की तैयारी कर रही है। फिलहाल यह फीचर यूरोप तक ही सीमित है, और इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि इसे भारत में कब लागू किया जाएगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Apple और Google के बीच $1 बिलियन की बड़ी डील तय: जानें पूरा मामला

Apple reportedly Google की पैरेंट कंपनी Alphabet को हर साल $1 बिलियन देगा ताकि वह Gemini AI मॉडल का इस्तेमाल कर सके। यह डील Siri के अब तक के सबसे बड़े अपग्रेड का आधार बनेगी।

Last Modified:
Friday, 07 November, 2025
googleappledeal

टेक जगत की दो दिग्गज कंपनियों Apple और Google के बीच एक ऐतिहासिक एआई साझेदारी लगभग तय मानी जा रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, Apple करीब $1 बिलियन प्रति वर्ष Google को भुगतान करने पर सहमत है ताकि कंपनी अपने उन्नत 1.2 ट्रिलियन पैरामीटर वाले Gemini AI मॉडल तक पहुंच प्राप्त कर सके।

यह साझेदारी Apple के वॉयस असिस्टेंट Siri के बड़े ओवरहॉल का हिस्सा है, जो कई वर्षों से आलोचना झेल रहा है। Apple का लक्ष्य Siri को एक अधिक समझदार, संदर्भ-आधारित और जटिल कार्य पूरा करने में सक्षम एआई असिस्टेंट में बदलना है। रिपोर्ट के मुताबिक, Apple ने Gemini पर निर्णय लेने से पहले OpenAI के ChatGPT और Anthropic के Claude जैसे कई थर्ड-पार्टी एआई मॉडल का परीक्षण किया था।

हालांकि, यह कदम अस्थायी है क्योंकि Apple 2026 के अंत तक अपना खुद का 1 ट्रिलियन पैरामीटर वाला क्लाउड-आधारित मॉडल तैयार करने पर काम कर रहा है। Gemini का उपयोग Siri के summarizer और planner जैसे फ़ंक्शन को संभालने के लिए किया जाएगा, जबकि बाकी फीचर्स Apple के इन-हाउस एआई सिस्टम पर चलेंगे।

खास बात यह है कि यह मॉडल Apple के Private Cloud Compute सर्वर पर चलेगा, जिससे यूज़र डेटा Google की सिस्टम से पूरी तरह अलग रहेगा। एप्पल का यह कदम उसकी बड़ी रणनीति Apple Intelligence का हिस्सा है, जिसके तहत एआई को उसके पूरे इकोसिस्टम में गहराई से जोड़ा जाएगा। कंपनी जल्द ही Siri की नई क्षमताओं को दिखाने के लिए एक स्मार्ट डिस्प्ले और अन्य नई डिवाइसेज़ भी पेश कर सकती है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए