सुप्रीम कोर्ट ने ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं पर दोहरे कर यानी सर्विस टैक्स और एंटरटेनमेंट (लग्जरी) टैक्स की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन’ का कहना है कि इस तरह के शब्द अनावश्यक डर पैदा कर सकते हैं, स्थिति को गलत तरीके से पेश कर सकते हैं और सनसनीखेज पत्रकारिता का रूप ले सकते हैं।
भारत में हजारों जातियां हैं, इनमें से हरेक जाति को परिभाषित करना कठिन है। पिछली 2011 की जनगणना में तो बताया जाता है कि लोगों ने 25 लाख से अधिक जातियां उप जातियां लिखवा दी।
जाति जनगणना कराने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं है। सूत्रों के अनुसार सरकार ये फैसला कई फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए लिया है।
राहुल गांधी समेत सभी विपक्षी नेताओं ने इसके लिए उनके द्वारा बनाए गए दबाव की जीत बताया तो भाजपा ने आजादी के बाद पहली जातीय जनगणना कराने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।
देश का दुर्भाग्य है कि पूरा देश जातिगत समीकरणों की विचित्र प्रयोगशाला बना हुआ है। लेकिन जात को देखने वाली भारतीय राजनीति में नरेन्द्र मोदी को एक अपवाद के रूप में देखा जा रहा था।
मोदी कैबिनेट की बैठक में फैसला हुआ है कि केंद्र सरकार देश भर में जातिगत जनणना कराएगी यानि पूरे देश में किस जाति की कितनी आबादी है ये आंकड़े सरकार जुटाएगी।
यह कदम देश की शीर्ष मीडिया एजेंसियों और कुछ ब्रॉडकास्टर्स द्वारा कथित कार्टेलाइजेशन की जांच के तहत उठाया गया है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र के लिए नियामक ढांचे में बदलाव को लेकर ब्रॉडकास्टर्स के साथ चर्चा शुरू कर दी है
यह हलफनामा 28 फरवरी को TDSAT की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया गया, और अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।