कहीं से नहीं लगता कि आने वाला साल किसी भी तरह से मीडिया सेक्टर के लिए बुरा हो सकता है। अच्छा सोचिए, अच्छा होगा।
जहां तक बात है कि वर्ष 2023 मीडिया के लिए कैसा रहेगा, इसके संबंध में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
साल 2022 खबरों के लिहाज से कई मायनों में अलग रहा और नए रास्ते भी बनाता दिखा। वैसे तो हर साल ही क्यों, हर दिन खबरों के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
वर्ष 2020 की शुरुआत में जब वुहान, चाइना से आती महामारी की खबरों को अखबारों में लिखा व टीवी चैनल्स में दिखाया जा रहा था तो इसे अधिकांश लोगों ने सामान्य खबर ही समझा।
इस परिभाषा के मुताबिक देश का मीडिया आज दुनिया में सबसे ज्यादा हिम्मती और आजाद होना चाहिए। लेकिन ‘विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ में भारत लगातार नीचे गिरता जा रहा है।
वर्ष 2022 को यदि हम मीडिया की दृष्टि से देखें तो मैं ऐसा समझता हूं कि यह सामान्य रहा। असामान्य नहीं था। सामान्य इसलिए था, क्योंकि मीडिया की जो भारत में जरूरत है, उस दृष्टि से कोई नई पहल नहीं हुई है।
न्यूज चैनल्स पर होने वाली टेलिविजन डिबेट किसी की जिंदगी भी बर्बाद कर सकती हैं, ये हमने साल 2022 में देखा। मुझे लगता है कि मीडिया के माथे पर लगा ये कलंक साल की सबसे बड़ी खबर है।
2022 बीतते-बीतते देश के सबसे तेजी से बढ़ते उद्योग घराने अडानी समूह ने एनडीटीवी को खरीद लिया। अचानक कुछ ऐसे स्वर कर्कश राग गाने लगे कि अब भारत से पत्रकारिता पूरी तरह से खत्म हो गई।
साल 2022 में हम सभी के मन में एक सवाल था कि कोरोना के बाद की पत्रकारिता कैसी होगी? असल में इस सवाल का जवाब कोरोना काल में हुई पत्रकारिता में ही छिपा हुआ था।
पत्रकारिता का पेशा सदैव चुनौतीपूर्ण रहा है। कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। शायद आने वाल कल में और अधिक चुनौतियां होंगी।