असल में दिल्ली में सिर्फ 22 किलोमीटर के स्ट्रेच तक यमुना नदी है, यह वजीराबाद बैराज से शुरू होती है और ओखला बैराज तक जाती है। इसे कुल यमुना का सिर्फ 2 फीसदी माना जाता है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले यमुना के पानी पर सियासत तेज है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यमुना में अमोनिया का लेवल इतना बढ़ गया है कि प्यूरिफिकेशन प्लांट्स पूरी क्षमता से काम नहीं कर सकते। अगर रिपोर्ट्स की माने तो कुल प्रदूषण का 76 फीसदी अकेले दिल्ली से निकल रहा है। यानी कि अगर राजधानी में यमुना साफ हो जाएगी, 76 फीसदी काम भी पूरा हो जाएगा।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने भी अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली यमुना को इतना प्रदूषित करती है, जितना कोई और नहीं। देखिये दिल्ली ने नीचे की ओर पानी को कितना जहरीला बना दिया है। सच तो यह है- चुनाव के बाद यह बयान-बाजी का खेल खत्म हो जाएगा। मैंने 2002 में एक सिटी रिपोर्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। प्रदूषित यमुना तब भी एक कहानी थी।
आपको बता दें, असल में दिल्ली में सिर्फ 22 किलोमीटर के स्ट्रेच तक यमुना नदी है, यह वजीराबाद बैराज से शुरू होती है और ओखला बैराज तक जाती है। इसे कुल यमुना का सिर्फ 2 फीसदी माना जाता है। लेकिन यह दो फीसदी एरिया ही यमुना का सबसे प्रदूषित है।
There is absolutely no denying that Delhi pollutes the Yamuna like no other. Look at how much Delhi poisons the water downstream. Truth is - this chatter will end after the elections.
— Sanket Upadhyay (@sanket) January 30, 2025
P.S. -> I started my career as a city reporter in 2002. Polluted Yamuna was a story then too pic.twitter.com/ohKcv99a4p
डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है। स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं। सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। वहीं इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। इस बड़ी जीत के साथ सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर कहा कि अब लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी हो जाए। उन्होंने लिखा, लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए।
पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
आपको बता दें, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 लोकसभा के उपाध्यक्ष का उल्लेख है। अनुच्छेद 93 के मुताबिक, लोकसभा के सदस्य दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेंगे। अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा।
डिप्टी स्पीकर चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा लोकसभा स्पीकर का चुनाव करने के तुरंत बाद ही किया जाता है। लोकसभा अध्यक्ष ही उपाध्यक्ष के चुनाव तारीख तय करता है। डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है।स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए। पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) September 9, 2025
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया। भारत-नेपाल की 1,751 किमी लंबी सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया।
पिछले दो दिनों से नेपाल के कई इलाकों में तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। उग्र भीड़ ने कई सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एक जैसा ही पैटर्न दिखा। एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया। यह महज संयोग नहीं हो सकता। ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है।
आपको बता दें, हिंसक प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बीच भारत ने मंगलवार को बयान जारी कर अपने नागरिकों से सतर्क रहने और नेपाली अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल में रहने वाले भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी कदमों और दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एकसा ही पैटर्न दिखा --- एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया ---यह महज संयोग नहीं हो सकता ---- ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है ----
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 9, 2025
गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।
नेपाल में भारी हंगामे और हिंसक प्रदर्शनों के बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन को तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। यह फैसला सोमवार को हुई झड़पों में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा के घायल होने के बाद लिया गया, जिसमें मुख्य रूप से युवा (जेन-जेड) प्रदर्शनकारी शामिल थे।
संचार मंत्री प्रिथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया कि इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग के बाद यह निर्णय लिया गया, और अब फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब सहित सभी प्रमुख ऐप्स फिर से चालू हो चुके हैं। यह बैन 4 सितंबर को लगाया गया था, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को दबाना था। लेकिन इससे उल्टा असर हुआ।
युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और पूरे देश में सड़कों पर उतर आए। काठमांडू में संसद भवन के बाहर हजारों प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़त ली, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि न केवल सोशल मीडिया बैन हटाया जाए, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को हटाया जाए।
इस हिंसा में 19 मौतें हुईं, जिनमें ज्यादातर युवा थे, और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बैन हटना भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक सुधारों की शुरुआत है?
इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
जीएसटी की दरों में बदलाव की खबर इस हफ्ते सुर्खियों में रही। जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले कर ढांचों को खत्म कर दिया गया। जीएसटी दरों में हुए बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी बयानबाजी भी जारी है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अमर उजाला डिजिटल के साप्ताहिक कार्यक्रम 'खबरों के खिलाड़ी' में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
इस सियासत को मैं गलत नहीं मानता हूं। इस कदम का स्वागत कौन नहीं करेगा। असल बात ये है कि क्या इसका पूरा लाभ उपभोक्ता तक पहुंचेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देखिए, जिस रूसी तेल की वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है उसका लाभ कौन ले रहा है?
कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं और आम आदमी को पेट्रोल डीजल पर आज भी उतना ही पैसा देना पड़ रहा है। आपको बता दें, भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सबसे बड़ा कर सुधार कहा गया, लेकिन इसके लागू होने से पहले और बाद में यह सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया। यूपीए सरकार की पहल से लेकर एनडीए सरकार की लॉन्चिंग तक, इस पर लगातार राजनीतिक खींचतान चलती रही है।
इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर पाकिस्तान को उच्च स्तर के बाढ़-जल प्रवाह डाटा साझा कर रहा है। वो भी उसी समय जब इंडस वाटर ट्रीटी (IWT) निलंबित है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने लिखा, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को खुद से निरस्त करने का ऐलान किया था। भारत ने साफ कहा था कि जहाँ चाहेंगे, बाँध बनाएंगे, जब चाहेंगे पानी छोड़ेंगे और इस संबंध में पाकिस्तान के साथ कोई जानकारी साझा नहीं करेंगे। यह घोषणा इसी साल मई में की गई थी।
लेकिन अब, यानी सितंबर 2025 (सिर्फ तीन महीने बाद), भारत मानवीय आधार पर इंडस नदी में संभावित बाढ़ से होने वाले नुकसान की जानकारी पाकिस्तान को पहले से दे रहा है, ताकि पाकिस्तान की जनता को नुकसान न हो। वहीं, क्रिकेट को लेकर भारत का रुख भी दिलचस्प है। भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय सीरीज खेलने से इनकार कर दिया है, आतंकी हमलों को वजह बताते हुए।
लेकिन जब बात मल्टी-नेशन टूर्नामेंट की आती है, तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को तैयार रहता है। इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
और सबसे अहम सवाल -क्या हम, भारतीय नागरिक, सरकार के इस रुख के बारे में जान सकते हैं? आपको बता दें, MEA के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया, हमारे उच्चायोग और अन्य कूटनीतिक माध्यमों के जरिए जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान को बाढ़ से संबंधित डेटा उपलब्ध करा रहे हैं। यह कदम मानवीय आधार पर उठाया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने Indus Water Treaty, खुद से निरस्त करने का ऐलान किया। भारत ने दावा किया कि जहाँ चाहेगे, बंध बनायेंगे। जब चाहेंगे, पानी छोडेंगे। कोई जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा नहीं करेंगे। ये बाते इसी साल, मई में कही गई।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) September 5, 2025
अब, यानि सितंबर 2025 (3 महीने बाद),… https://t.co/HGIayKq5xl
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया। अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महान शिक्षाविद और देश के पूर्व राष्ट्रपति एस.राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया। लोक भवन में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने घोषणा की कि अब सभी शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना का लाभ शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी मिलेगा।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट करते हुए अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया।
अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। इस दायरे में शिक्षामित्र, अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किए गए हैं। मैं सचमुच भावुक हूँ, क्योंकि यह सुविधा लाखों परिवारों को निश्चिंतता और सुरक्षा प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का मैं हृदय से व्यक्तिगत आभार व्यक्त करता हूँ।
आपको बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित 81 शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्हाेंने बेसिक शिक्षा विभाग के 66 और माध्यमिक शिक्षा विभाग के 15 शिक्षकाे काे सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों की देहरी पर दिवाली से पहले ही दिवाली का दिया आलोकित कर दिया --अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी --- इस परिधि में शिक्षामित्र,अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किया गए हैं --- मैं भावुक हो रहा , यह सुविधा लाखों…
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 5, 2025
इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
केंद्र सरकार ने जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य (0%) कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बहुत अच्छी खबर -जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और रेयर मेडिसिन्स पर अब जीएसटी शून्य। पहले यह 12% था।
यह कदम पहले ही उठ जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। अगली चुनौती है कि ये दवाइयां हर जरूरतमंद तक उपलब्ध हों। सरकार के इस फैसले से देशभर में लाखों मरीजों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब इन महंगी दवाइयों की कीमतें कम होंगी और उपचार का आर्थिक बोझ कुछ हद तक घटेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि सिर्फ टैक्स में छूट काफी नहीं है। इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
Very good news: zero tax on life saving cancer drugs and rare medicines. From 12% to zero per cent. Well done @nsitharaman @narendramodi . Yes, should have happened much earlier (as should have NO GST on health and life insurance) but better later than never. Next challenge is…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 4, 2025
क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जोधपुर में शुक्रवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें भाजपा विश्व हिंदू परिषद स्वदेशी जागरण मंच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संस्कार भारत सेवा भारती मजदूर संगठन प्रमुख हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे। दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषयों पर निर्णायक सहमति बन सकती है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। बीजेपी ने अभी तक अपना नया अध्यक्ष तय नहीं किया है। क्या नड्डा जी इस बैठक में मोदी जी का संदेश लेकर गए हैं, या संघ से कोई कड़ा संदेश लेकर लौटेंगे? मोहन भागवत ने दिल्ली में साफ कर दिया था कि संघ को बीजेपी अध्यक्ष चुनना होता तो इतना समय नहीं लगता। मतलब साफ संदेश है कि हमारी दी हुई सलाह पर निर्णय बीजेपी को करना है। हमारी सलाह को माने या अपने मनमानी का फैसला ले, लेकिन अध्यक्ष को लेकर निर्णय ले।
अटकाने, लटकाने, भटकाने की जरूरत नहीं है। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के पास बीजेपी अध्यक्ष को लेकर 10 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तक का ही समय है। 9 सितंबर को उप राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा। उसके बाद 28 सितंबर के आसपास बिहार चुनाव की अधिसूचना लगने की संभावना है, ऐसे में सिर्फ 15-17 दिन का वक्त ही है जिसमें बीजेपी अपना नया अध्यक्ष चुन सकती है।
क्या नड्डा जी मोहन भागवत को यह संदेश देने गए हैं कि नया अध्यक्ष अब बिहार चुनाव के बाद मिलेगा, या यह भरोसा देकर लौटेंगे कि इसी सितंबर माह में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। नया अध्यक्ष बीजेपी को मिलना तय है, लेकिन क्या यह भी तय है कि नया अध्यक्ष संघ की पसंद का होगा?
मामला पेचीदा और फंसा हुआ है। क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा, किसके हित में होता है यह देखना बाकी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है।बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे।
— sameer chougaonkar (@semeerc) September 5, 2025
दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषय पर निर्णायक सहमति बन सकती है।जिसका असर…
आपको बता दें, हाल ही में राहुल गांधी के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देने का मामला सामने आया था। इसके विरोध में बीजेपी ने गुरुवार को 5 घंटे का बिहार बंद बुलाया था।
केरल कांग्रेस के एक ट्वीट ने बिहार में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। केरल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर बिहार की तुलना बीड़ी से करते हुए 'B से बिहार, B से बीड़ी' जिसके बाद बवाल मच गया। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, यूपी और बिहार के लोगों से नफरत सिर्फ डीएमके ही नहीं, कांग्रेस के नेता भी करते हैं। केरल कांग्रेस का यह ट्वीट देखिए B से बिहार, B से बीड़ी। इनकी सामंती सोच से बिहार के लोग सिर्फ बीडी पीते रहते हैं और टॉयलेट क्लीनर्स होते हैं।
आपको बता दें, हाल ही में राहुल गांधी के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को गाली देने का मामला सामने आया था। इसके विरोध में बीजेपी ने गुरुवार को 5 घंटे का बिहार बंद बुलाया था। जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के विवादों से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
यूपी और बिहार के लोगों से नफरत सिर्फ DMK ही नहीं, कांग्रेस के नेता भी करते हैं।
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 5, 2025
केरल कांग्रेस का यह ट्वीट देखिए B से बिहार, B से बीड़ी। इनकी सामंती सोच से बिहार के लोग सिर्फ बीडी पीते रहते हैं और टॉयलेट क्लीनर्स होते हैं।
ट्वीट पर बवाल होने के बाद इसे डीलीट किया गया है। pic.twitter.com/vpztLWGKSz
नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े 'वृहद साज़िश' मामले में गिरफ्तार प्रमुख कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दी हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, इन लड़कों की जमानत खारिज होने पर एक बड़ा वर्ग दुखी हो गया है। भयानक पीड़ा में है। सच भी है, देश के नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है। देश तोड़ने की इच्छा इन नौजवानों के मन में पनप रही थी।
इनके ऊपर राजद्रोह नहीं, देशद्रोह का आरोप है। देश विरोधी गतिविधि करने वाले को सबक अवश्य मिलना चाहिए। वैसे, एक तथ्य यह भी है कि, इनके वकील तारीख मांगने से अधिक टलवाने के लिए अर्जी लगाते रहे।
आपको बता दें, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायिक प्रक्रिया में हुई देरी और लंबे समय तक जेल में रहने का हवाला जमानत का स्वत: आधार नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार संविधान के तहत है, लेकिन वह साज़िश या हिंसा के लिए ढाल नहीं बन सकता।
इन लड़कों की जमानत खारिज होने पर एक बड़ा वर्ग दुखी हो गया है। भयानक पीड़ा में है। सच भी है, देश के नौजवान ऐसे लगातार जेल में रहें तो पीड़ा की बात है, लेकिन उमर खालिद, शरजील इमाम और दिल्ली दंगों के आरोपियों के कृत्य पर इस पीड़ा के बीच कम बात हो रही है। देश तोड़ने की इच्छा इन… pic.twitter.com/dmTzibYacR
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) September 2, 2025