अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) ने अपनी सफलता का एक साल पूरा कर लिया है...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’
(Republic TV) ने अपनी सफलता का एक साल पूरा कर लिया है और यह
इस खुशी को नए अंदाज में सेलिब्रेट कर रहा है।
दरअसल, रिपब्लिक टीवी ने गैरलाभकारी संगठन 'चैरिटी ऐड फाउंडेशन' (CAF) इंडिया के साथ पार्टनरशिप
की है। इस पहल के जरिए चैनल विभिन्न सामाजिक बदलावों को लेकर चलाए जा रहे
अभियानों को सपोर्ट करेगा। इस पार्टनरशिप के द्वारा 'रिपब्लिक
टीवी' और 'सीएएफ' लोगों को समाज के लिए कुछ न कुछ करने के लिए प्रेरित करेंगे।
इस बारे में 'रिपब्लिक टीवी'
के एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी ने कहा, 'हम समाज
को सिर्फ देने में विश्वास नहीं रखते हैं, बल्कि हम लोगों को प्रेरित भी करना
चाहते हैं ताकि वे भी ऐसा ही करें। हम अपने देश के लोगों को यह अनुभव कराना चाहते
हैं कि समाज के लिए कुछ करने से कितनी खुशी और संतुष्टि मिलती है।'
इस बारे में 'रिपब्लिक टीवी'
के सीईओ विकास खनचंदानी ने कहा, 'न्यूज
ब्रैंड होने के नाते हम महसूस करते हैं कि हमें अपने प्लेटफॉर्म को ऐसे कामों में
लगाना चाहिए, जिससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। हम अपनी
पहली वर्षगांठ को इसी तरह मनाना चाहते हैं और इस पहल को बढ़ावा देने के लिए मीडिया
एसेट्स के रूप में हम दो करोड़ रुपये दे रहे हैं। एक न्यूज ब्रैंड के रूप में हम
अपनी व्यापक पहुंच का लाभ उठाना चाहते हैं। एक संस्कृति के रूप में, हम हमेशा एक उदार समाज रहे हैं, और हम यह बताना
चाहते हैं कि योगदान देने के कई सार्थक तरीके हैं।'
'सीएएफ' की सीईओ
मीनाक्षी बत्रा ने कहा, 'हम इस पार्टनरशिप से बहुत खुश हैं।
भारत की संस्कृति काफी पुरानी है और यह समाज को कुछ न कुछ देने की रही है। हम रिपब्लिक
टीवी के साथ मिलकर लोगों में जागरूता फैलाना चाहते हैं और उन्हें प्रोत्साहित
करना चाहते हैं कि वे मिलकर साथ आएं और समाज के लिए कुछ करें। इस काम में 'सीएएफ' की विशेषज्ञता और 'रिपब्लिक
टीवी' की पहुंच को मिलाकर हम इस अभियान को काफी दूर तक ले
जाना चाहते हैं।'
नेटवर्क ने अपनी पहल को आगे बढ़ाने के लिए सभी लोगों को
आमंत्रित किया है, जिनमें एनजीओ से लेकर कॉरपोरेट तक शामिल
हैं ताकि सभी लोग साथ मिलकर लोगों अथवा समाज में बेहतर बदलाव ला सकें।
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दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ईटानगर स्थित अपने आधिकारिक आवास में मंगलवार 19 जनवरी को मृत पाए गए।
दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ईटानगर स्थित अपने आधिकारिक आवास में मंगलवार 19 जनवरी को मृत पाए गए। वह 50 साल के थे।
दूरदर्शन के रीजनल न्यूज चैनल ‘डीडी न्यूज अरुणाचल’ ने ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी कि ईटानगर स्थित दूरदर्शन केंद्र में निदेशक (इंजीनियरिंग) और कार्यालय प्रमुख के. मोरंग की मृत्यु हो गई। मोरंग, 1995 में भारतीय प्रसारण इंजीनियरिंग सेवा में शामिल हुए थे और वह पिछले चार साल से स्थानीय दूरदर्शन केंद्र के प्रमुख थे।
Shri K Morang, Director of Engineering & Head of Office of DDK Itanagar passed away early this morning. He was only 50 years old. He joined IBES in 1995 & was heading DDK Itanagar for last 4 yrs. RNU DDK family is deeply sadden by the early demise of Shri K Morang. RIP ? pic.twitter.com/x6BwVYKr8b
— DD NEWS ARUNACHAL (@DDNewsArunachal) January 19, 2021
बुधवार को मोरंग के शव का पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनके मौत का सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है। वैसे आशंका जताई जा रही है कि मोरंग की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई होगी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अधिकारी की मौत के समय उनका परिवार साथ नहीं था। मोरंग ‘डीडी अरुणप्रभा’ चैनल की लॉन्चिंग टीम के मुख्य सदस्य थे।
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जम्मू-कश्मीर के जाने-माने पत्रकार और उर्दू अखबार ‘वादी की आवाज’ (Wadi ki Awaz) के मालिक और संपादक गुलाम नबी शैद (Ghulam Nabi Shaida) का निधन हो गया है। मंगलवार की रात उन्होंने श्रीनगर स्थित अपने आवास पर आखिरी सांस ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 70 वर्षीय शैद पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार में एक बेटी है। शैद की पत्नी का वर्ष 2015 में निधन हो गया था।
शैद के निधन पर मीडिया के साथ ही तमाम सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। ‘कश्मीर एडिटर्स गिल्ड’ (KEG) ने शैद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शैद को हमेशा उनमें काम और विनम्र स्वभाव के लिए जाना जाएगा।
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‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय’ (एमसीयू) और यूनिसेफ द्वारा आयोजित ‘जन-स्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता’ पर आधारित कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने विद्यार्थियों को बेहतर पत्रकारिता के गुर सिखाए। इस मौके पर प्रो. केजी सुरेश का कहना था, ‘स्वास्थ्य पत्रकारिता न केवल सामाजिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि पत्रकारिता का विद्यार्थी होने के नाते ये आपके करियर के लिए भी आवश्यक है। इसलिए आपका कर्त्तव्य बनता है कि आप फेक कंटेंट को बेनकाब करें।‘
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुरेश ने कहा कि आजकल कोरोना को लेकर बहुत फेक कंटेंट आ रहा है, जिससे सनसनी फैल रही है। इसलिए ऐसे मामलों में सरकारी पक्ष जानना बहुत जरूरी है। बिना तथ्यों को जांचे-परखे कभी भी खबरों को प्रकाशित/प्रसारित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी पक्ष के साथ ही खबरों को प्रकाशित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नकारात्मक खबरें छापने का दूरगामी परिणाम होता है, इसलिए हमें सकारात्मक खबरें छापना चाहिए। कोरोनाकाल में अफवाहें, अटकलें फैलाईं जा रही हैं, जो तेजी से बढ़ती जा रही हैं, पत्रकारिता के विद्यार्थी होने के नाते आपको साक्ष्य आधारित पत्रकारिता करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता की सराहना करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि आजकल सूचना के लिए लोगों की भूख बढ़ गई है, अत: हमारा कर्तव्य बनता है कि हम पाठकों तक विश्वसनीय खबरों को पहुंचाएं। प्रो.सुरेश ने कहा कि पत्रकारिता का मूल कार्य सिर्फ सूचित करना, शिक्षित करना ही नहीं है, बल्कि लोगों को प्रेरित करना भी है। हेल्थ रिपोर्टिंग का महत्व बताते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता को जिले स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने 29 जनवरी को पत्रकारों के लिए भी स्वास्थ्य पत्रकारिता पर कार्यशाला का आयोजन किए जाने की बात कही।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ पत्रकार संजय देव ने कहा कि कोरोनाकाल में खबरों की बाढ़ सी आ गई है लेकिन हमें तथ्यों की जांच-पड़ताल करके ही सही सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आशंकाएं एवं समाधान हर जगह से अलग-अलग आ रही हैं, हमें गंभीरता से इन्हें समझते हुए पत्रकारिता करनी चाहिए। हमारा फर्ज बनता है कि हम अफवाहों, अटकलों एवं भ्रमों का निवारण करें और समाज में एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें। स्वास्थ्य पत्रकारिता में डर का वातावरण न बनाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि हमें तथ्यों के दायरे में रहते हुए समाज में उपयोगी जानकारियों को पहुंचाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी ने विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप स्वास्थ्य पत्रकारिता करना चाहते हैं इसमें विशेषज्ञता का होना बहुत आवश्यक है। आपको इससे संबंधित कुछ जरूरी जानकारियों का पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच-परख, तथ्य, कौशल एक स्वास्थ्य पत्रकार के पास होना जरूरी है। स्वास्थ्य पत्रकारिता बिना सिद्धांतों के नहीं करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें वस्तुनिष्ठता, स्पष्टवादिता एवं परिशुद्धता का होना बहुत आवश्यक है। स्वास्थ्य पत्रकारिता को जिम्मेदारी की पत्रकारिता बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे समाज से हमदर्दी रखें, उनसे दूरी न बनाएं।
वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा कि हेल्थ रिपोर्टिंग में खतरा बहुत है, क्योंकि फेक न्यूज से किसी के जीवन को बचाने की जगह उसे मौत के मुंह में भी पहुंचाया जा सकता है। अत: पत्रकारिता के विद्यार्थियों को इससे बचते हुए तथ्यपरक पत्रकारिता करनी चाहिए, पाठकों तक विश्वसनीय एवं सही सूचनाओं को पहुंचाना चाहिए। स्वास्थ्य पत्रकारिता का काम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। उन्होंने विद्यार्थियों से समाज हित में कलम उठाकर स्वास्थ्य पत्रकारिता करने की बात कही।
कार्यशाला का समन्वय एवं संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लाल बहादुर ओझा ने किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, यूनिवर्सिटी कैंपस मेंटर डॉ. मणिकंठन नायर, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर अंकित पांडे, विश्वविद्यालय के जनसंचार, प्रबंधन एवं कंप्यूटर एवं अनुप्रयोग विभाग के साथ ही नोएडा, खंडवा एवं रीवा परिसर के विद्यार्थी भी ऑनलाइन उपस्थित थे।
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मणिपुर पुलिस ने स्थानीय न्यूज पोर्टल के दो संपादकों को रविवार की सुबह हिरासत में लिया और सोमवार को उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। दरअसल पुलिस ने इन दोनों पत्रकारों को राज्य के विद्रोही आंदोलन से जुड़े एक लेख के प्रकाशन को लेकर गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तार किए गए दोनों संपादकों की पहचान ‘द फ्रंटियर मणिपुर’ के कार्यकारी संपादक पोजेल चोबा और प्रधान संपादक धीरेन सदोकपम के रूप में की गई। दोनों को सोमवार की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे जमानत पर छोड़ दिया गया। इस दौरान दोनों पत्रकारों ने पुलिस को लिखित में दिया है कि वे ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स ऐसी खबर सामने आई कि इन दोनों पत्रकारों के खिलाफ IPC की धारा 124A (देशद्रोह), 120B (आपराधिक साजिश), 505B (राज्य के खिलाफ अपराध को प्रेरित करना), धारा 34 (सामान्य इरादे) और आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के खिलाफ 'अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट' यानी UAPA की धारा 39 लगाई गई, लेकिन अब पुलिस ने अपनी एफआईआर में ऐसी कोई भी धारा नहीं लगाने की बात कही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले को देख रहे इम्फाल वेस्ट के पुलिस अधीक्षक के. मेघाचंद्र सिंह के मुताबिक, एक गलत लेख प्रकाशित करने के मामले में पुलिस ने दो पत्रकारों को हिरासत में लिया था, लेकिन अब दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। इन पत्रकारों का 'द फ्रंटियर मणिपुर' नाम से एक फेसबुक वेब पेज है, जो पंजीकृत नहीं है और न ही इसका यहां कोई ऑफिस है। इन लोगों ने किसी अज्ञात व्यक्ति से वॉट्सऐप पर प्राप्त एक आर्टिकल को अपने वेब पोर्टल पर योगदानकर्ता के किसी भी प्रमाणीकरण के बिना प्रकाशित कर दिया। उस लेख में मणिपुर के विद्रोही संगठन से जुड़ी कई सारी गलत जानकारियां थीं। लेख में ऐसा कहा गया कि मणिपुर में विद्रोही आंदोलन भयावह हो रहा है और इस तरहसे लोगों में एक गलत संदेश गया, क्योंकि ऐसे बहुत से विद्रोही हैं जो मुख्यधारा में लौटे हैं।
वहीं बाद में ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से भी मुलाक़ात की और उनसे इस मामले में कुछ सहानुभूति दिखाने की अपील की, चूंकि ऐसी गलती पहली दफा हुई है और सभी बातों पर दिए गए क्लेरिफिकेशन को ध्यान में रखते हुए उन्हें रिहा किया गया है।
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महिला पत्रकार ने इसे लेकर महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
असम में एक महिला पत्रकार ने एक फिल्म निर्माता और एक्टर के खिलाफ मारपीट करने और अपशब्द कहने का आरोप लगाया है और इस मामले में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है। एक स्थानीय दैनिक से जुड़ी पत्रकार ने रविवार को एक मीडिया एजेंसी को बताया कि फिल्म निर्माता उमाशंकर झा और एक्टर उत्तम सिंह ने अपनी हिंदी फिल्म ‘सेवन सिस्टर्स एंड वन ब्रदर’ की घोषणा के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें वे हिस्सा लेने पहुंची हुईं थीं।
महिला ने दावा किया कि जब उन्होंने फिल्म से संबंधित कुछ सवाल पूछे, तो निर्माता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें अपशब्द भी कहे। महिला ने कहा कि कुछ समय बाद जब वह और एक फोटो-पत्रकार उनके पास गए औऱ उनके इस व्यवहार पर सवाल उठाया, तो उन्होंने साथी पत्रकार का हाथ खींच लिया और उसके साथ मारपीट की।
महिला पत्रकार ने इसे लेकर महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
वहीं, गुवाहाटी प्रेस क्लब (जीपीसी) ने एक बयान में घटना की निंदा की और पुलिस से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। जीपीसी के अध्यक्ष मनोज नाथ और महासचिव संजॉय रे ने कहा कि क्लब अपनी जांच में पुलिस को मदद देगा।
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इंक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले बृज रत्न अवॉर्ड समारोह के चौथे व पांचवें संस्करण का संयुक्त रूप से आयोजन किया जाएगा, जिसकी मुख्य अतिथि महामहिम यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल होंगी।
राज्यपाल से आगरा प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में शुक्रवार को इंक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर, सचिव अजय शर्मा, संयोजक बृजेश शर्मा, डॉ. रामनरेश शर्मा ने मुलाकात की। इस दौरान राज्यपाल ने बृज रत्न अवॉर्ड के लोगो का अनावरण भी किया। साथ ही बृज रत्न अवॉर्ड में आगमन की अपनी स्वीकृति प्रदान की और तिथि शीघ्र निर्धारित करने की बात कही।
बृज रत्न अवॉर्ड कला, साहित्य, अध्यात्म, संगीत, अभिनय, खेल और चिकित्सा सहित विभिन्न 12 क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है। विगत वर्ष कोरोना महामारी के चलते आयोजन स्थगित हो गया था। अब राज्यपाल के आगमन की स्वीकृति मिलने के बाद आयोजन की संभावित तिथि अगले माह के प्रथम सप्ताह में रहेगी।
कार्यक्रम को लेकर आयोजकों ने तेजी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। शीघ्र चयनित अवॉर्ड विजेताओं के नामों की भी घोषणा होगी। विगत वर्ष रत्न अवॉर्ड समारोह की उद्घोषणा उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने की थी।
शुक्रवार को आगरा के सर्किट हाउस में इंक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डावर से तकरीबन 30 मिनट चली वार्ता के दौरान महामहिम राज्यपाल ने बृज क्षेत्र के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की।
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उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में सड़क दुर्घटना में वीडियो पत्रकार प्रमोद कुमार का निधन हो गया, जिसके बाद गुरुवार देर शाम उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। वे करीब 38 साल के थे। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण और श्रीकांत शर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने प्रमोद कुमार के आकस्मिक निधन पर दुख जताया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रमोद कुमार के साथ काम कर चुके एक निजी पोर्टल के संचालक योगेश खत्री ने उनके छोटे भाई मनोज कुमार के हवाले से बताया, ‘बीती रात जब प्रमोद कुमार अपना काम समाप्त कर सौंख रोड स्थित अपने घर लौट रहे थे, तभी एक खंभे से उनका वाहन टकरा गया।’ हादसे में प्रमोद कुमार घायल हो गए और उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें ब्रेन हेमरेज होने की जानकारी दी और किसी बेहतर अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
उन्होंने बताया कि प्रमोद को उसी समय जयपुर के एसएमएस अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। गुरुवार को प्रमोद कुमार का परिवार उनका पार्थिव शरीर मथुरा ले आया, जहां देर शाम उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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अमेठी में पत्रकार कितने असुरक्षित हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छह दिन पहले कुछ दबंगों ने एक पत्रकार के घर में घुसकर उसे और घरवालों को लाठी-डंडों से पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। तब दबंगों ने अवैध असलहे से हवाई फायरिंग कर जान से मारने की धमकी भी दी थी। वहीं, अब एक बार फिर दबंगों ने बुधवार अलसुबह पत्रकार के घर के सामने खड़ी कार और बाइक को आग के हवाले कर दिया।
इस मामले की शिकायत किए जाने के 3 दिन बाद भी पुलिस ने इस पर कोई कार्यवाही नही की थी, लिहाजा दोबारा से यह मामला सामने में आया। पुलिस की लापरवाही के चलते मोहनगंज थाने के एसएचओ को हटा दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, यह मामला मोहनगंज कोतवाली क्षेत्र के फत्तेपुर गांव का है, जहां पिछले हफ्ते शुक्रवार को शाम 6 बजे रास्ते के विवाद में दबंगों ने पत्रकार अग्रिवेश मिश्र के घर में घुसकर परिजनों से मारपीट की थी। आरोप है कि दबंग दुर्गा प्रसाद, काशी प्रसाद और अन्य लोगों ने कुल्हाड़ी, डंडा के साथ अवैध असलहा से लैस होकर पत्रकार के घर में घुसकर हमला कर दिया। इसमें पत्रकार के साथ उनके परिजन कमला देवी, देवेन्द्र कुमार और राजकुमारी को गंभीर चोटें आईं। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया।
इस मामले में पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया था, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करती नजर आई। पुलिस के लापरवाह रवैये के चलते बुधवार अलसुबह दबंगों ने पत्रकार के घर के सामने खड़ी कार व बाइक को आग के हवाले कर दिया।
पत्रकार अग्रिवेश मिश्र ने बताया कि गांव के दुर्गा प्रसाद ने अन्य लोगों के साथ मिलकर हमारे घर पर हमला कर दिया था, जिसमें हमारी माता, भाई और बुआ को गंभीर चोटें आईं। दबंगों ने अवैध असलहे से हवाई फायरिंग भी की और हमारे परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में एसपी दिनेश सिंह ने लापरवाही बरतने पर मोहनगंज थाने के एसएचओ विश्वनाथ यादव को हटा दिया है।
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हेल्थ से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग करते समय अनावश्यक रूप से सनसनी फैलाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर पत्रकारिता जगत से जुड़े तमाम दिग्गजों ने चिंता जताई है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश का कहना है कि ऐसे मामलों पर संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
प्रो. केजी सुरेश ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय एवं यूनिसेफ द्वारा आयोजित द्वितीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत जनस्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता पर आधारित कार्यशाला में यह बात कही।
कार्यक्रम की अध्यक्ष करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य संचार बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। विश्वविद्यालय के पत्रकारिता पाठ्यक्रम में इस विषय को जल्द ही शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता चूंकि सीधे-सीधे जनस्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़ा विषय है, इसलिए इसमें लापरवाही नहीं बरती जा सकती। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की जिम्मेदारी सिर्फ पत्रकार की ही नहीं, बल्कि सरकार एवं एनजीओ की भी है। इसलिए सभी को अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह निभानी चाहिए।
यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी का कहना था कि आज के समय में साक्ष्यों पर आधारित पत्रकारिता बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 में बिना डाटा के बहुत रिपोर्टिंग हुई है और बिना साक्ष्य के तथ्य सोशल मीडिया में भी पहुंचे हैं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार संजय देव ने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार को पूर्वाग्रहों से बाहर निकलकर पत्रकारिता करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि स्वास्थ्य पत्रकारिता मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा विषय है, इसलिए इसे समझने की जरूरत है। संजय देव ने कहा कि पत्रकारों को सजग रहते हुए रिपोर्टिंग करनी चाहिए। पत्रकार को पाठक के लिए काम की बात को आसान भाषा में पहुंचाना चाहिए।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य सच के लिए एवं जीवन के लिए लिखना है, यदि ऐसा नहीं किया गया तो लोग अमृत को विष समझ लेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता करते समय पाठकों को संशय में नहीं रहने देना चाहिए।
कार्यक्रम का समन्वय सहायक प्राध्यापक लाल बहादुर ओझा ने किया। आभार प्रदर्शन मेंटर डॉ. मणिकंठन नायर द्वारा किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, जनसंचार, प्रबंधन, न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी विभाग के साथ ही खंडवा, नोएडा एवं रीवा परिसर के सभी शिक्षक, प्रड्यूसर, ट्यूटर व प्रोडक्शन असिस्टेंट आदि मौजूद थे।
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महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने संतोष यादव नामक एक पत्रकार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। यह मामला उत्तर प्रदेश के एटा जिले से सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एटा जिले के थाना कोतवाली नगर क्षेत्र के कचहरी रोड स्थित पुलिस कार्यालय पर कुछ समय पूर्व थाना मिरहची क्षेत्र की महिला ने पुलिस कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए अपने ऊपर मिट्टी का तेल छिड़ककर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। हालांकि, पुलिस ने महिला के इस प्रयास को विफल कर दिया था।
आरोप है कि आत्महत्या का प्रयास करने वाली महिला और उसके समर्थक पत्रकार संतोष यादव की गाड़ी में ही आए थे। पुलिस ने वह गाड़ी जब्त कर ली है।
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