नए जमाने की नई विसंगतियों का आईना है वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पांडे का ये व्यंग्य संग्रह

पिछले पांच-एक साल में एक नई बात हुई है। अपन लोग बात-बात पर आहत होने लगे हैं। आहत हैं इसलिए आक्रामक भी हो गए हैं

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 03 February, 2020
Last Modified:
Monday, 03 February, 2020
PIYUSH PANDEY


प्रभात रंजन, वरिष्ठ लेखक।।

पिछले पांच-एक साल में एक नई बात हुई है। अपन लोग बात-बात पर आहत होने लगे हैं। आहत हैं इसलिए आक्रामक भी हो गए हैं। इस चक्कर में दूसरों को आहत करना अपना शगल हो गया है। लेकिन जब आहत होने और आहत करने का अहम काम सामान्य लोग करने लगे हैं तो व्यंग्य लेखक क्या करेगा? जवाब इतना आसान नहीं है, फिर भी कुछ और करे या ना करे अपनी ऐसी-तैसी करने का हक तो उसे है। ये अलग बात है कि किसी समझदार और संवेदनशील आदमी (जो लेखक भी है) की दुर्गति कराते हुए लेखक, पाठक और समाज को वहां लाकर खड़ा कर देता है, जहां से वह अपना पतन साफ-साफ देख सके।

इस हिसाब से ‘कबीरा बैठा डिबेट में’ हमारी मौजूदा सामूहिक सोच का आख्यान है। लगे हाथ, इस सोच का व्याकरण समझने की कोशिश है। ये इत्तेफाक भर है कि पीयूष पांडे ने अपने समाज की मानसिक हालत समझने-समझाने के लिए टीवी की पृष्ठभूमि चुनी है। हालांकि ये सच है कि जो कुछ टीवी की बहस में घटित हो रहा है, कमोबेश वहीं सड़क, संसद और घर के ड्राइंग रूम में भी हो रहा है। हां, ये जरूर है कि पीयूष पांडे ने कई वर्षों तक टेलिविजन में काम करते हुए उसकी कार्य पद्धति और ज्ञान तंत्र को करीब से देखा है। इसलिए जब वो टीवी और उसकी बहस की असंगति को सामने लाते हैं तो सब कुछ प्रमाणिक लगता है।

किताब के पहले ही व्यंग्य ‘कबीरा बैठा डिबेट में’ एक जगह वह लिखते हैं, “‘समझदार’ पैनलिस्ट खोजना गूंगे की आवाज खोजने जैसा मुश्किल है। अव्वल तो न्यूज चैनल पर भद्द पिटवाने समझदार आते नहीं। यदा-कदा घेर घारकर उन्हें स्टूडियो लाया भी जाए तो दस मिनट बाद वो समझदार नहीं रहते। सर्वज्ञानी एंकर उन्हें मूर्ख साबित कर दूसरे समझदार के शिकार के लिए बढ़ जाता है।”

हालांकि, लेखक का उद्देश्य ये बताना नहीं है कि सच दिखाने का दावा करने वाले टीवी चैनलों में सचमुच कितना मानसिक दिवालियापन व्याप्त है। उसका मकसद तो अपनी या अपने जैसे हर संवेदनशील और समझदार आदमी की मौजूदा समाज में हैसियत बताना है। इसलिए वो हिंदी भाषा के सबसे बड़े व्यंग्यकार कबीर को टीवी की बहस में ठेल देते हैं। कबीर के साथ टीवी की बहस शुरू होती है, और इससे गुजरता हुआ पाठक लोटपोट हो जाता है।

टीवी के महाज्ञानी एंकर के सामने कबीर की एक नहीं चलती। अनुभव और ज्ञान का कवच काम नहीं आता। अगर कोई कसर बाकी है तो गेस्ट के तौर पर आए पंडित और मुल्ला पूरी कर देते हैं। डिबेट शो में बैठे दर्शक भी कबीर पर हमला करने के लिए तैयार हो जाते हैं। कबीर से आहत लोगों को बड़े संजोग से मौका मिला और सबने अपनी भड़ास निकाल ली। कबीर का जो होना था सो हुआ। साथ में दो बातें और हुईं। पहला ये कि शो जम गया। साबित हुआ कि मूर्खता का अपना अर्थशास्त्र है, इसलिए इस दौर में उसकी जबरदस्त मांग है। दूसरी ये कि मूर्खता के आगे समझदारी आज कमजोर और बेबस है।

कबीर की दुर्गति पर हंसते-हंसते ये सवाल जरूर दिमाग में आता है कि हम कहां से चले थे और कहां आ गए हैं। इस निष्कर्ष पर लाकर लेखक एक दुख के साथ पाठक को छोड़ देता है। हालांकि बात कबीर से आगे भी जाती है और हमारे नए किस्म के समाज की नई असंगतियों तक जाती है। ये समाज न सिर्फ आहत है, बल्कि इस पर एक अलग तरह की बदहवासी छाई हुई है। दिलचस्प बात ये है कि इस बदहवासी को न्यू नॉर्मल साबित करने की कोशिश हो रही है।

पीयूष पांडे की नजर स्कूल के पीटीएम में गए मां-बाप पर भी है और थोड़ी तोंद निकलने से परेशान हो रहे आदमी पर भी। सभी के पास अपनी महत्वकांक्षाएं हैं और अजब-गजब तर्क। लेखक बारीकी से उस समाज को देख रहा है, जिसके पास ज्ञान का असीम भंडार जमा हो गया है, लेकिन उसने बुनियादी सोच-समझ से तौबा कर लिया है। इसके बाद तुर्रा ये कि वो बात-बात पर आहत हो जाता है। फिर, मरने-मारने पर उतारू हो जाता है। यकीनन लेखक जिस समाज का चित्र खींचता है वहां एक दुर्घटना हो रही है, लेकिन पीयूष पांडे के व्यंग्य की खूबसूरती ये है कि वहां सब कुछ सामान्य तरीके से सामने आता है। किताब पढ़ते हुए पहले हंसी आती है फिर कोफ्त होती है। आखिर में एक टीस रह जाती है।

पीयूष के पास विषयों की कमी नहीं है और कहने का अपना अंदाज है। जंगलश्री के इंतजार में नाम से लिखे व्यंग्य में एक जगह वो लिखते हैं-‘शेर को यूं चुनाव-वुनाव की जरूरत नहीं है। शेर शेर होता है। वो जहां खड़ा हो जाए, वहीं से जंगलराज शुरू होता है। लेकिन, बीते दिनों डेमोक्रेसी के हल्ले में शेर ने जंगल में भी डेमोक्रेसी की स्थापना कर दी थी। शेर यूं तो झपट्टा मारकर सब छीन सकता है, लेकिन जंगल में अब डेमोक्रेसी थी तो शेर नहीं चाहता था कि ऐसा कोई भी काम किया जाए, जो डेमोक्रेसी के खिलाफ हो।’

मिलावट का स्वर्ण काल व्यंग्य की शुरुआत ही दिलचस्प सच्चाई के साथ होती है। वो लिखते हैं, ‘ये मिलावट का स्वर्णकाल है। जित देखिए तित मिलावट। लोग आधुनिकता और विकास का नारा लगाते हुए मिलावट के स्वर्णकाल को एंजॉय कर रहे हैं। मिलावट ही सत्य है। कभी सौभाग्य से शुद्ध माल के दर्शन हो जाएं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं कि फैशन के इस युग में 100 फीसदी टंच माल कहां से आ गया? हाल यह है कि दिल्ली के ज्यादातर लोगों को अगर पूरी तरह शुद्ध हवा मिल जाए तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है।’ आदत ही नहीं है।

व्यंग्य लेखन की दुनिया में इन दिनों जो सन्नाटा पसरा है, उसे देखते हुए ‘कबीरा बैठा डिबेट में’ एक उपलब्धि की तरह है। पहले की अपनी दो किताबों ‘छिछोरेबाजी का रिजोल्यूशन’ और ‘धंधे मातरम्’ से जो प्रतिमान उन्होंने बनाया है, अब उससे आगे निकल गए हैं। इस मुश्किल समय में व्यंग्य लिखने के लिए भी पीयूष पांडे अलग से बधाई के पात्र हैं।

‘कबीरा बैठा डिबेट में’

लेखक: पीयूष पांडे

प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन

मूल्य: 250/

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78वीं वर्षगांठ पर 'पाञ्चजन्य' कर रहा 'बात भारत की अष्टायाम' कार्यक्रम ?>

राष्ट्रीय पत्रिका 'पाञ्चजन्य' की स्थापना की 78वीं वर्षगांठ मकर संक्रांति के अवसर पर मनाई जा रही है।

Last Modified:
Monday, 13 January, 2025
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राष्ट्रीय पत्रिका 'पाञ्चजन्य' की स्थापना की 78वीं वर्षगांठ मकर संक्रांति के अवसर पर मनाई जा रही है। इसका आयोजन दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित दि अशोका होटल में 'बात भारत की अष्टायाम' नाम से किया जा रहा है। 

कार्यक्रम की शुरुआत 14 जनवरी (मंगलवार) को सुबह 11 बजे से होगी। अतिथियों के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व अन्य उपस्थित रहेंगे। 

उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्रांति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में ‘पाञ्चजन्य’ साप्ताहिक का अवतरण हुआ था।

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भरतनाट्यम की परंपरा और भावनाओं का संगम 'नृत्यधारा- द्वितीय' ?>

आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय में भरतनाट्यम की गहन अध्यात्मिकता, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण का भव्य प्रदर्शन हुआ।

Last Modified:
Monday, 13 January, 2025
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आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय में भरतनाट्यम की गहन अध्यात्मिकता, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण का भव्य प्रदर्शन हुआ। यह आयोजन लिटिल थिएटर ग्रुप (LTG) ऑडिटोरियम में गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा के निर्देशन में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में भरतनाट्यम की पारंपरिक शैली को गुरु के.एन. दंडयुधापाणि पिल्लई की विधा के आधार पर प्रस्तुत किया गया। पुष्पांजलि, ध्यान श्लोकम, शिवाष्टकम, और तुलसीदास जी के भजन पर आधारित भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

प्रत्येक प्रस्तुति में नृत्य, भाव, और ताल का उत्कृष्ट समन्वय देखने को मिला। शिवाष्टकम में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों और तुलसीदास के भजन श्री राम चंद्र पर आधारित नृत्य ने भावनात्मक गहराई के साथ दर्शकों को छुआ।

गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, "नृत्यधारा – द्वितीय भरतनाट्यम की शाश्वत सुंदरता और समर्पण का उत्सव है। हमारा उद्देश्य इस परंपरा को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को प्रेरित करना है।"

यह आयोजन भरतनाट्यम की समृद्ध परंपरा और उसकी अद्वितीय सुंदरता का एक जीवंत उत्सव बनकर उभरा।

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‘है दिल की बात’ पुस्तक के विमोचन में शामिल हुए उपेन्द्र राय ?>

अगर इस दुनिया में कवि न होते तो यह पूरी तरह रसविहीन होती। कवि भावनाओं की दुनिया का शासक होता है, जो दिल और मन के जरिए लोगों के बीच प्रेम और मानवता का संचार करता है।

Last Modified:
Monday, 13 January, 2025
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गाजियाबाद के हिन्दी भवन में आयोजित ‘है दिल की बात’ पुस्तक विमोचन और ‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ के आयोजन में हिन्दी साहित्य से जुड़े दिग्गजों का समागम हुआ। इस भव्य कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर कवि और कविताओं के महत्व पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री बालेश्वर त्यागी, वरिष्ठ साहित्यकार और गौर ग्रुप के संस्थापक डॉ. बी.एल. गौड़, और महाकवित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर लोकप्रिय कवि मृत्युंजय साधक के ग़ज़ल संग्रह “दिल की बात” का विमोचन हुआ।

‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ में अतिथियों का माला, अंगवस्त्रम्, और मोमेंटो देकर भव्य स्वागत किया गया। अपने संबोधन में सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, अगर इस दुनिया में कवि न होते तो यह पूरी तरह रसविहीन होती। कवि भावनाओं की दुनिया का शासक होता है, जो दिल और मन के जरिए लोगों के बीच प्रेम और मानवता का संचार करता है।

 

इस हिंसावादी दौर में कवि सिखाता है कि प्रेम में हारना भी एक बड़ी जीत होती है। सीएमडी उपेन्द्र राय ने बताया, सच्चे कवि के भीतर अद्भुत विनम्रता होती है। उनका मन न तो जीतने में रस लेता है और न ही हारने में। कवि सिर्फ यह सोचता है कि आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान कैसे लाई जाए। उनकी सोच दुनिया से अलग होती है। जहां आम लोग कठोर भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वहीं कवि उसका उत्तर मखमली शब्दों से देता है। कवि अंधकार को दूर कर दिलों में प्रेम जगाने का प्रयास करता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कवि असली और नकली जीवन के बीच पुल का काम करता है। उन्होंने कहा, हमारा असली चेहरा वही है, जो जन्म से पहले का होता है या मृत्यु के बाद होता है। यह दुनिया हमें जो नकली चेहरा देती है, कवि उसे पार कर असलियत तक पहुंचता है और समाज को रास्ता दिखाता है।

मृत्युंजय साधक की पुस्तक “दिल की बात” की प्रशंसा करते हुए सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, इस पुस्तक की कविताएं दिल को गहराई तक छूने वाली हैं। कुछ पंक्तियां खासतौर पर मेरे मन को भा गईं "हर हृदय में एक सा शक्ति पीर हूं, जोड़ दे जो सबको वही जंजीर हूं।"

इन शब्दों में अनुभव और ज्ञान का सागर समाहित है। सच्चा ज्ञान वही है, जो अनुभव से प्राप्त हो। कवि का ज्ञान उसकी कलम से निकलता है, जो उसके जीवन का सार होता है। अपने संबोधन का समापन उन्होंने मृत्युंजय साधक की एक और प्रेरणादायक पंक्ति पढ़ने के साथ किया "डर गया हो मौत से जो, वह मरा रह जाएगा।"

‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ ने कविता की ताकत और उसके समाज में योगदान को रेखांकित किया। सीएमडी उपेन्द्र राय के विचारों ने इस कार्यक्रम को एक यादगार साहित्यिक आयोजन बना दिया।

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अलविदा डॉ. हरीश भल्ला, अब कौन सुनाएगा ‘अनसुने किस्से’ ?>

‘इंडिया न्यूज’ चैनल पर उनका शो ‘एक कहानी विद डॉ. हरीश भल्ला काफी लोकप्रिय रहा। इस शो के माध्यम से उन्होंने तमाम पुराने किस्सों को नए अंदाज में लोगों के सामने पेश किया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 11 January, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 January, 2025
Dr Harish Bhalla

दिल्ली के सांस्कृतिक सम्राट के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ. हरीश भल्ला का 10 जनवरी 2025 की रात निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा 11 जनवरी को मुंबई के विले पार्ले पश्चिम स्थित वाघजीभाई वाडी श्मशान गृह (पवन हंस क्रेमेटोरियम) में संपन्न हुई।

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा में जन्मे डॉ. भल्ला ने इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की। दिल्ली में चिकित्सक और नशामुक्ति विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ-साथ, वे कला, संस्कृति, संगीत और थिएटर के प्रति अपने जुनून के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, उन्होंने इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारतीय कला और शिल्प, पारंपरिक कला, लोककथाओं, शास्त्रीय संगीत और मध्यकालीन प्रदर्शन और दृश्य कलाओं के प्रचार-प्रसार में समर्पित थी।

डॉ. भल्ला ने अपने जन्मस्थान और कर्मभूमि के प्रति गहरा प्रेम प्रदर्शित करते हुए एमजीएम एलुमनी ग्लोबल फाउंडेशन की स्थापना की, जो इंदौर के पूर्व छात्रों और शिक्षकों को एकजुट करता है। उन्होंने मालवा मित्र मंडल और मध्य प्रदेश फाउंडेशन के माध्यम से मालवा और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सामाजिक स्वास्थ्य परियोजनाओं में उनकी सक्रियता उल्लेखनीय थी, विशेषकर नशामुक्ति, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा और तंबाकू सेवन के खिलाफ उनके अभियानों में। उनकी पहल 'राहत' के तहत मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इसके अलावा, उन्होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर कीं और भारत में अंध विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किए।

कला और संस्कृति के क्षेत्र में, डॉ. भल्ला ने कई प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच प्रदान किया, विशेषकर उन कलाकारों को जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में कोई संरक्षक नहीं पाया। उनकी बहन, प्रसिद्ध गायिका शुभा मुद्गल के साथ मिलकर, उन्होंने इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन के माध्यम से कई कलाकारों को प्रोत्साहित किया और स्वर्ण युग के भूले-बिसरे कलाकारों को सम्मानित किया।

डॉ. हरीश भल्ला जाने-माने किस्सागो और संस्कृतिकर्मी थे। उनके घर पर कलाकारों का जमावड़ा होता रहता था। अनेक कलाकारों को उन्होंने निकट से देखा। उनकी किस्सा सुनाने की शैली भी विलक्षण थी। ‘इंडिया न्यूज’ चैनल पर उनका शो ‘एक कहानी विद डॉ. हरीश भल्ला काफी लोकप्रिय रहा। इस शो के माध्यम से उन्होंने तमाम पुराने किस्सों को नए अंदाज में लोगों के सामने पेश किया।

डॉ. हरीश भल्ला का जीवन समाज सेवा, कला, संस्कृति और चिकित्सा के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उनकी सरलता, सकारात्मक दृष्टिकोण और बहुआयामी व्यक्तित्व के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।

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'ब्रह्मकुमारीज स्वर्णिम भारत ज्ञानकुंभ’ कार्यक्रम में शामिल हुए उपेन्द्र राय ?>

इतिहास के हिसाब से सनातन धर्म करीब करीब 11,000 साल पुराना धर्म है। सनातन धर्म के सामने कई धर्म पैदा हुए। बौद्ध, जैन या कोई धर्म हो, यह धर्म भारत भूमि से पैदा हुए।

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Published - Saturday, 11 January, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 January, 2025
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ब्रह्माकुमारीज द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के बस कुंभ मेला क्षेत्र में आयोजित विशेष कार्यक्रम ‘स्वर्णिम भारत ज्ञानकुंभ’ में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने शिरकत की। प्रयागराज में ‘ब्रह्मकुमारीज स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ 2025’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर 7 कुंभ मेला क्षेत्र बजरंगदास मार्ग प्रयागराज में हुआ।

कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेन्द्र राय ने शिरकत की। इस दौरान ब्रह्मकुमारीज बहनों ने अंगवस्त्र देकर उनका स्वागत किया। इस कार्यक्रम में चैतन्य देवियों की झांकी होलोग्राफिक डिस्प्ले, लेजर शो आदि चीजें हुईं, जो प्रयागराज कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की बेहतरी के लिए लगाया गया।

इस दौरान भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि हिंदू धर्म से उदार धर्म पृथ्वी पर अब तक कोई भी नहीं हुआ है। हालांकि हमारे मन को थोड़ा हताशा निराशा हुई, कोई संप्रदाय या उपधर्म आ गया, लेकिन हमने किसी को फांसी पर नहीं चढ़ाया। हमने उसको गले लगाया और सम्मान दिया।

असहमत रहते हुए भी उसे सहमति दिखाई। शंकराचार्य भगवान बुद्ध के बहुत विरोधी थे, लेकिन शंकराचार्य ने बुद्ध के बारे में जो विमर्श और चीजें लिखी हैं शायद वैसा विरोधी स्वभाव का होते हुए भी किसी दूसरे ने ऐसा नहीं लिखा। इतिहास के हिसाब से सनातन धर्म करीब करीब 11,000 साल पुराना धर्म है।

सनातन धर्म के सामने कई धर्म पैदा हुए। बौद्ध, जैन या कोई धर्म हो, यह धर्म भारत भूमि से पैदा हुए। इस्लाम 1400 साल पुराना धर्म है, इसी तरह से ढाई हजार- 3000 साल पुराना धर्म है यहूदी। यह सभी धर्म स्वर्ग नरक की सीढ़ियों तक जाकर फंस गए, लेकिन पूरी पृथ्वी पर सनातन धर्म ही केवल मोक्ष की बात करता है।

इसके पीछे भी बड़ा कारण था, क्योंकि सनातन धर्म को जो समय और गहराई मिली, वैसी समय की गहराई और लंबाई किसी और धर्म को नहीं मिली। जिन धर्म का उदय हुआ है उन्हें गहराई में जाकर देखें तो वह सभी सनातन धर्म के हिस्से हैं।

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महाकुंभ में इंडिया न्यूज ने साधु-संतों का महामंच सजाया, बही भक्ति की रसधारा ?>

रविंद्र पुरी ने महाकुंभ के इतिहास से लेकर सनातन के त्याग पर चर्चा की। साथ ही अखाड़ों के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की बात कही। डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा और राणा यशवंत मौजूद रहे।

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Published - Saturday, 11 January, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 January, 2025
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प्रयागराज की पावन धरती पर संगम की जलधारा के करीब महाकुंभ में इंडिया न्यूज ने साधु-संतों का विशाल महामंच सजाया। 'महाकुंभ का महामंच' कार्यक्रम में सनातन धर्म से जुड़े अखाड़ों के तमाम साधु-संत शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने दीप प्रज्वलित कर की। इस दौरान द संडे गार्डियन फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा और इंडिया न्यूज के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत मौजूद रहे।

साधु संतों के साथ कई राजनीति और बॉलीवुड हस्तियों ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की। रविंद्र पुरी ने महाकुंभ के इतिहास से लेकर सनातन के त्याग पर चर्चा की। साथ ही अखाड़ों के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की बात कही। निर्मल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर साक्षी महाराज ने मंच से कहा, मोदी-योगी राज ही सनातन युग है। तो बालकानंद गिरी ने कहा, सनातन को नहीं मानने वाले विवेकहीन हैं।

वहीं प्रेमानंद महाराज बोले, हिंदुओं को 4 बच्चे पैदा करने चाहिए। निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर महंत राजू दास ने चुनावी हिंदुओं पर तीखे तंज कसे। साथ ही बोले, 'सिर्फ सनातन धर्म है, बाकी दूसरा कोई धर्म नहीं है'। इसके अलावा ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म करने को लेकर सरकार को घेरा। साथ ही गौ रक्षा पर कानून बनाने की बात कही। इतना ही नहीं वो बोले, जब राम मंदिर पूरा बनेगा तभी वहां दर्शन को जाऊंगा।

वहीं संगीतकार अनु मलिक ने मंच से कहा, मां सरस्वती की कृपा से ही वो म्यूजिक डायरेक्टर बने। भजन गायक कन्हैया मित्तल ने सीएम योगी आदित्यनाथ के 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा दोहराया। साथ ही बांग्लादेश के हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया।

सिंगर स्वाति मिश्रा ने 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' 'आए गए रघुनंदन सजवादो द्वार-द्वार' गाने से समा बांध दिया। सिंगर कल्पना पटवारी ने भी 'बम बम बोल रहा है काशी' गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन गायक सूर्य प्रकाश दुबे ने सुरों से संगम तट को भाव विभोर कर दिया। एक्टर सिद्धार्थ और अभिषेक निगम ने भी मंच से सनातन का संदेश देते हुए उनके लिए सनातन का क्या महत्व है ये बताया।

एक्ट्रेस अदा शर्मा ने महाकुंभ में शिव तांडव स्तोत्रम पर अपनी लाइव प्रस्तुति दी। साथ ही बताया कि वो सनातनी हैं, वेजिटेरियन हैं। भगवान शिव पर उनकी गहरी आस्था है। सतुआ बाबा, आचार्य महामंडलेश्वर आनंद अखाड़ा बालकानंद महाराज, अग्नि अखाड़े के सचिव संपूर्णानंद महाराज, अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद सरस्वती ने भी इस महाआयोजन में शिरकत की। इस तरह महाकुंभ के महामंच में धर्म, आध्यात्म और विश्व की चुनौतियों के बारे में गहन मंथन किया गया।

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भारत एक्सप्रेस के मेगा कॉन्क्लेव में शामिल हुए उप्र के दोनों उपमुख्यमंत्री ?>

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में महाकुंभ के महत्व और आयोजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने सनातन धर्म की महानता पर भी प्रकाश डाला।

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Published - Saturday, 11 January, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 January, 2025
mahakumbh2025

भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क ने महाकुंभनगर प्रयागराज में ‘महाकुंभ: माहात्म्य पर महामंथन’ कॉन्क्लेव आयोजित किया। इस मेगा कॉन्क्लेव में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के अलावा विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख, साधु-संत और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

कार्यक्रम का उद्घाटन भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने किया। भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में महाकुंभ के महत्व और आयोजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने सनातन धर्म की महानता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दुनिया के तीन लाख धर्मों में केवल सनातन धर्म ही मोक्ष की बात करता है।

उपेन्द्र राय ने कहा, पृथ्वी पर धर्म और समुदायों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इनको समझना मुश्किल है, लेकिन सनातन की लंबाई और गहराई इतनी है कि वो अन्य धर्मों से बहुत ऊपर है। बाकी मत मजहब स्वर्ग और नरक की सीढ़ी तक आकर ही फंस जाते हैं, हमारा सनातन धर्म इकलौता है, जो मोक्ष की बात करता है।

ये बात सबको नोट करनी चाहिए कि पूरी दुनिया के 3 लाख छोटे-बड़े धर्मों में एक सनातन ही है जो मोक्ष की बात करता है। मोक्ष का मतलब इच्छा-अनिच्छा के पार निकल जाना। यहां तक कि स्वर्ग में निवास करने वाले देवताओं ने भी प्रभु से प्रार्थना की है कि हे प्रभु… हमें मोक्ष प्रदान कीजिए, क्योंकि मोक्ष पाना बड़ा मुश्किल होता है। पृथ्वी लोक में भी जीते-जी मोक्ष पाने वाले गिने चुने ही होंगे। मीराबाई हों, संत कबीर हों, रैदास हों, सप्तऋषि हों या अन्य महर्षि हैं, उनका नाम ऐसे सत्पुरुषों में आता है।

उपेन्द्र राय ने यह भी कहा, हिंदू अनुयायियों से ज्यादा उदार दुनिया में कोई धर्म नहीं है, और गंगा का पानी अमृत समान है। उन्होंने महाकुंभ में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया और बताया कि इस बार महाकुंभ के आयोजन में तकनीकी सुधारों को ध्यान में रखते हुए बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्‍होंने कहा, प्रयागराज में अब तक के सबसे भव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

उपेन्द्र राय ने महाकुंभ की तैयारी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया और कहा, महाकुंभ में 40-50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।  इस आयोजन में अत्यधिक मात्रा में श्रद्धालु और संतजन शामिल होंगे, और सरकार ने इस आयोजन के लिए बेहतरीन व्यवस्था की है। उन्होंने इस अवसर पर महाकुंभ के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि यह संसार का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। कई बड़े देशों और महाद्वीपों जितने लोग तो इन दो महीनों के दौरान यहां जुटेंगे। जो इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

अपने समापन उद्बोधन में उपेन्द्र राय ने महाकुंभ के वैश्विक महत्व पर जोर देते हुए इसे विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम बताया। उन्होंने कहा, इन 45 दिनों के दौरान, यहां जुटने वाले लोगों की संख्या कई देशों और महाद्वीपों की आबादी से अधिक हो जाएगी, जिससे यह घटना एक अद्वितीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटना बन जाएगी।

भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से एक सवाल पूछा, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री मोदी, जो पहले से ही देश का नेतृत्व करने में उत्कृष्ट हैं, ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी के प्रस्ताव पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रयागराज, जो पहले से ही ओलंपिक से भी बड़े पैमाने पर आयोजन की मेजबानी कर रहा है, इस तरह के प्रतिष्ठित प्रयास के लिए एक मजबूत दावेदार हो सकता है।

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हैप्पी बर्थडे गौरव बनर्जी: मीडिया इंडस्ट्री में आपका सफर सफलता का प्रेरक उदाहरण है ?>

‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ के एमडी और सीईओ गौरव बनर्जी का 12 जनवरी को जन्मदिन है। चूंकि इस साल 12 जनवरी को रविवार है, इसलिए हम यह आर्टिकल उनके जन्मदिन से एक दिन पहले प्रकाशित कर रहे हैं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 11 January, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 January, 2025
Gaurav Banerjee

पिछले साल के मध्य में मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में यह चर्चा जोरों पर थी कि ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) का नया सीईओ कौन होगा? तमाम कयासों के बीच ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ ने इस शीर्ष पद के लिए इंडस्ट्री के सबसे योग्य और कुशल लीडर को चुना, एक ऐसा व्यक्ति जिसे कंटेंट की गहरी समझ है, सभी प्रकार के कंटेंट फॉर्मेट्स का अनुभव है, बड़े पैमाने पर काम करने का अनुभव है, व्यवसाय की अच्छी समझ है और अन्य वरिष्ठ लीडर्स व उनके पूर्ववर्ती की तुलना में अपेक्षाकृत युवा है।

गौरव बनर्जी को ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ का सीईओ नियुक्त करना संभवतः वर्ष 2024 में मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में सबसे शानदार नियुक्तियों में से एक थी। उनकी नियुक्ति ने ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ को एक नई ऊर्जा और उत्साह से भर दिया।

आज ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ गौरव बनर्जी पर एक बार फिर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि वह अपने जीवन का एक साल और पूरा करने जा रहे हैं। दरअसल, 12 जनवरी को गौरव बनर्जी का जन्मदिन है। चूंकि इस साल 12 जनवरी को रविवार है, इसलिए हम यह आर्टिकल उनके जन्मदिन से एक दिन पहले www.samachar4media.com पर प्रकाशित कर रहे हैं।

बता दें कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में गौरव बनर्जी का इतने बड़े पद तक पहुंचना एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी से कम नहीं है। गौरव बनर्जी उन चुनिंदा मीडिया शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने पत्रकारिता से शुरुआत कर एक बड़े कॉरपोरेट समूह का नेतृत्व करने तक का सफर तय किया। दो दशक से अधिक के अपने करियर में उन्होंने पत्रकार के रूप में अपनी शुरुआत की, डिज़्नी स्टार में अपनी अहम भूमिका निभाई और अब सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया का नेतृत्व करते हुए अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। उनका यह सफर मीडिया इंडस्ट्री में सफलता का एक प्रेरक उदाहरण है।

कंटेंट स्ट्रैटेजी में खास विशेषज्ञता के साथ गौरव बनर्जी के पास क्रिएटिव विजन को दीर्घकालिक व्यावसायिक सफलता में बदलने की अद्वितीय क्षमता है। डिज्नी+हॉटस्टार में कंटेंट हेड के रूप में उन्होंने ऐसे कंटेंट का पोर्टफोलियो तैयार किया जो न केवल हिंदी भाषी ऑडियंस, बल्कि रीजनल मार्केट्स को भी आकर्षित करता था। उन्होंने ‘स्टार जलसा’ और ‘स्टार प्रवाह’ जैसे रीजनल चैनल्स को न सिर्फ सफलतापूर्वक लॉन्च किया, बल्कि उन्हें बेहतर तरीके से मैनेज भी किया, जिसकी बदौलत ये चैनल्स शीघ्र ही मार्केट में अग्रणी बन गए। मार्केट में नए अवसरों के प्रति उनकी पैनी नजर ने न केवल नेटवर्क के विस्तार में मदद की, बल्कि वित्तीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की।

‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ में अपनी चार महीने के कार्यकाल में ही गौरव बनर्जी ने कंपनी के विजन को आगे बढ़ाया है, ऑपरेशंस को बेहतर किया है और साथ ही मार्केट में उसकी स्थिति को मजबूत किया है। शुरुआती सफलताएं हासिल हुई हैं और श्रेष्ठ आना तो अभी बाकी है। गौरव बनर्जी लगातार सही कदम उठा रहे हैं और सोनी इंडिया को बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार कर रहे हैं।

कहने का तात्पर्य है कि इस छोटी सी अवधि में ही उन्होंने सोनी के लिए मील का पत्थर तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें चैनल की व्युअरशिप में उल्लेखनीय वृद्धि, वर्ष 2024 से 2031 तक एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के सभी टूर्नामेंट्स के प्रसारण के अधिकार हासिल करना और ‘सीआईडी’ ​​जैसे जाने-माने टीवी शो को टेलीविजन पर वापस लाना शामिल है।

काम के अलावा गौरव बनर्जी को क्रिकेट बहुत पसंद है। वह फिल्म प्रेमी भी हैं, जो विभिन्न जॉनर और सिनेमाई शैलियों में गहरी रुचि रखते हैं। खास बात है कि इस साल उनके जन्मदिन यानी 12 जनवरी को रविवार है। हम आशा करते हैं कि उन्हें वीकेंड पर भरपूर क्रिकेट और सिनेमाई जादू देखने का मौका मिले। जन्मदिन मुबारक हो, गौरव!

‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ का एमडी और सीईओ बनने के बाद गौरव बनर्जी ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को जो पहला इंटरव्यू दिया था, उसे आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

गौरव बनर्जी और ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ का सबसे बेहतरीन समय अभी आना बाकी है। गौरव के नेतृत्व में, जो कि लोगों को प्राथमिकता देते हैं और खुद सक्रिय रूप से काम में शामिल रहते हैं, ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ को आगे बढ़ने और सफलता हासिल करने का पूरा अवसर है। उनकी यह नेतृत्व शैली कंपनी को मजबूती से आगे ले जाएगी

आपको बता दें कि एकमात्र अन्य लीडर जो पत्रकारिता से बड़े लीडर और बेहद सफल मीडिया सीईओ और एंटरप्रिन्योर के रूप में परिवर्तित हुए हैं, वह हैं उदय शंकर, जो अब जियो डिज्नी के वाइस चेयरमैन हैं और भारतीय मीडिया के सबसे सफल लीडर्स में से एक माने जाते हैं।

उदय शंकर और गौरव बनर्जी ने साथ में काम किया है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गौरव बनर्जी ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ का नेतृत्व कैसे करते हैं, जबकि उदय शंकर जियो डिज्नी को वाइस चेयरमैन के रूप में स्थिर और विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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आयरलैंड में 15 जनवरी को मनेगा बहुभाषी विश्व हिंदी दिवस समारोह: अखिलेश मिश्र ?>

समाचार4मीडिया से बातचीत में आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र ने बताया कि आयरलैंड में भारतीय राजदूतावास द्वारा विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में यह आयोजन किया जा रहा है।

विकास सक्सेना by
Published - Friday, 10 January, 2025
Last Modified:
Friday, 10 January, 2025
Akhilesh Mishra

आयरलैंड में भारतीय राजदूतावास द्वारा विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में बहुभाषी और सर्वसमावेशी समारोह का आयोजन 15 जनवरी 2025 को किया जा रहा है। समाचार4मीडिया से बातचीत में आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र ने बताया कि पिछले वर्ष माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संदेश से प्रेरित होकर भारतीय दूतावास,  डबलिन और आयरलैंड में भारतीय समुदाय ने 18 भारतीय भाषाओं (बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली,  मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी,  संस्कृत, संथाली, सिंधी,  तमिल, तेलुगु और उर्दू) की भागीदारी के साथ एक अभूतपूर्व बहुभाषी साहित्यिक कार्यक्रम से विश्व हिंदी दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में लोगों ने हिंदी अनुवाद के साथ अपनी मूल भाषा में कविताएं सुनाईं।

यह अपनी तरह का पहला आयोजन था, जिसमें आयरलैंड में भारतीय समुदाय की क्षेत्रीय और भाषाई विविधता की सर्वाधिक व्यापक भागीदारी थी। समुदाय में जबरदस्त उत्साह था। सभी गैर-हिंदी भाषियों ने हिंदी बोलने और अपनी-अपनी भाषाई विरासत के बारे में हिंदी में बोलने का  उत्साह पूर्वक प्रयास किया। इस कार्यक्रम में इतनी रुचि थी कि कई प्रतिभागी दूर के अन्य काउंटियों से डबलिन आए।

इस आयोजन को सफल बनाने में भारतीय समुदाय के जबरदस्त समर्थन की सराहना करते हुए अखिलेश मिश्र ने देश की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता में एकता की भावना सुदृढ़ करने और क्षेत्रीय आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों की चर्चा की और काशी-तमिल संगम की पहल का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं के सामने मुख्य चुनौती बोलने वालों की संख्या बढ़ाने से संबंधित नहीं है, बल्कि भारतीय भाषाओं के माध्यम से जनता की क्रियात्मक क्षमता की वृद्धि और उनका आर्थिक सशक्तीकरण है। इसमें सबसे बड़ी बाधा अंग्रेजी-शिक्षित वर्ग के समक्ष स्थानीय भाषाओं के उपयोगकर्ताओं में हीन भावना है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, मोदी जी हिंदी, तमिल, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से बड़े गर्व के साथ बोलते हैं, जिससे भारतीय भाषाओं की गरिमा और लोकप्रियता की विश्व भर में वृद्धि हुई है।

इसके साथ ही अखिलेश मिश्र का यह भी कहना था कि भारत में भी और विदेशों में भी, सामान्यतया हिंदी के कार्यक्रम कुछ हिंदी बोलने और लिखने वालों तक ही सीमित रह जाते है। संभवतः जैसा बहुभाषी आयोजन आयरलैंड में भारतीय राजदूतावास करता है, वह अभूतपूर्व प्रयास है!

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प्रसिद्ध फैशन ब्रैंड ‘फैबइंडिया’ को नई ऊंचाइंयों पर पहुंचाने वालीं बिम बिसेल का निधन ?>

‘फैबइंडिया’ ने सोशल मीडिया पर शेयर पोस्ट में बिम बिसेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने एक असाधारण जीवन जिया है, जिसकी अमिट छाप हम सबों के जीवन में सदैव बनी रहेगी।

Last Modified:
Friday, 10 January, 2025
Bim Bissell

भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की संरक्षक और फैबइंडिया (FabIndia) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली प्रमुख शख्सियत बिमला नंदा बिसेल का गुरुवार को निधन हो गया। वह बिम बिसेल (Bim Bissell) नाम से मशहूर थीं। बिसेल करीब 92 वर्ष की थीं और लंबे समय से बीमार चल रही थीं।

वह प्रसिद्ध फैशन ब्रैंड फैबइंडिया की सह-संस्थापक थीं और उन्होंने भारतीय बुनाई और पारंपरिक कपड़ों को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। बिम के परिवार में उनके बेटे फैबइंडिया के चेयरमैन विलियम नंदा बिसेल और बेटी मॉनसून हैं।

बिम बिसेल वर्ष 1958 में फैबइंडिया से एक सलाहकार के रूप में जुड़ीं। उस समय इसे उनके पति जॉन बिसेल संचालित कर रहे थे। बिम ने बाजार की बदलती जरूरतों को समझते हुए फैबइंडिया के बिजनेस में कई नए प्रयोग किए। उनके नेतृत्व और विजन ने इस ब्रैंड को क्षेत्रीय वस्त्रों और भारतीय पारंपरिक कपड़ों की पहचान के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित किया।

बिम बिसेल ने अपने जीवन में सिर्फ वस्त्रों तक सीमित न रहते हुए हस्तशिल्प, फर्नीचर और डिजाइन की दुनिया में भी काफी काम किया। वर्ष 1992 में उन्होंने उद्योगिनी नामक एक एनजीओ की स्थापना की, जो भारत में भूमिहीन और वंचित महिलाओं के साथ काम करता है।

‘फैबइंडिया’ ने सोशल मीडिया पर शेयर पोस्ट में बिम बिसेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने एक असाधारण जीवन जिया है, जिसकी अमिट छाप हम सबों के जीवन में सदैव बनी रहेगी।

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