2004 में युद्ध रिपोर्टिंग के दौरान अपने दोनों पैर खो देने वाले ब्रिटिश पत्रकार फ्रैंक गार्डनर को LOT पोलिश एयरलाइंस की फ्लाइट में अपमानजनक और भेदभावपूर्ण अनुभव का सामना करना पड़ा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
2004 में युद्ध रिपोर्टिंग के दौरान अपने दोनों पैर खो देने वाले ब्रिटिश पत्रकार फ्रैंक गार्डनर को LOT पोलिश एयरलाइंस की फ्लाइट में अपमानजनक और भेदभावपूर्ण अनुभव का सामना करना पड़ा। वारसॉ से लौटते समय, जब गार्डनर को शौचालय जाने की जरूरत पड़ी, तो उन्हें क्रू ने बताया कि विमान में व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं है। इसके बाद, मजबूरी में गार्डनर को फ्लाइट के केबिन में फर्श पर रेंगते हुए शौचालय तक जाना पड़ा।
बीबीसी के अनुभवी संवाददाता फ्रैंक गार्डनर ने अपनी इस तकलीफदेह घटना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा किया। उन्होंने लिखा, "वर्ष 2024 में भी मुझे शौचालय जाने के लिए LOT पोलिश एयरलाइंस के फर्श पर रेंगना पड़ा क्योंकि उनके पास ऑनबोर्ड व्हीलचेयर नहीं थी। यह एयरलाइन की नीति है। अगर आप चलने में असमर्थ हैं, तो यह पूर्ण रूप से भेदभाव है।"
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फ्लाइट क्रू ने पूरी घटना के दौरान उनकी मदद की और माफी मांगी, लेकिन गार्डनर का कहना था कि यह एयरलाइन की समस्या है, न कि क्रू की। उन्होंने आगे लिखा, "मैं अब इस एयरलाइन से तब तक यात्रा नहीं करूंगा जब तक यह 21वीं सदी में कदम नहीं रख लेती।"
Wow. It’s 2024 and I’ve just had to crawl along the floor of this LOT Polish airline to get to the toilet during a flight back from Warsaw as “we don’t have onboard wheelchairs. It’s airline policy”. If you’re disabled and you can’t walk this is just discriminatory. pic.twitter.com/aFuxo89DR5
— Frank Gardner (@FrankRGardner) September 30, 2024
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर गुस्सा जाहिर किया। एक यूजर ने लिखा, "हे भगवान, यह बेहद भयानक है। क्रू ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, लेकिन आपको रेंगना पड़ा, यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है।"
good lord, Frank, that's horrendous. At least the crew did their best, but just astonishing that you had to crawl.
— Kate (@katebevan) September 30, 2024
एक अन्य यूजर ने कहा, "यह बिल्कुल अपमानजनक है। कैसे एक एयरलाइन इस दौर में भी विकलांग व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार कर सकती है?"
Absolutely DISGRACEFUL. So sorry, how can an airline in this day & age can treat a disabled person like that? Beggars beyond belief!
— Snuggles (@Heather12379754) October 1, 2024
कुछ लोगों ने फ्रैंक गार्डनर को यूरोपीय कानून के तहत भेदभाव का मामला दर्ज करने की सलाह भी दी। एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, "क्या एक फोल्डेबल व्हीलचेयर रखना इतना मुश्किल है? अगर विमान में आपात स्थिति हो जाती तो क्या होता?"
Absolutely DISGRACEFUL. So sorry, how can an airline in this day & age can treat a disabled person like that? Beggars beyond belief!
— Snuggles (@Heather12379754) October 1, 2024
बता दें कि 2004 में, जब फ्रैंक गार्डनर सऊदी अरब के रियाद में एक खबर कवर कर रहे थे, तब अल-कायदा के आतंकवादियों ने उन पर हमला किया, जिसमें उन्होंने अपने दोनो पैर खो दिए गए और इसके बाद वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए।
पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं। खबरें छपने से पहले सेंसरशिप लगाई जा रही है और बिना किसी नोटिस के मीडिया पर दबाव बनाया जा रहा है।
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Samachar4media Bureau
पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं। खबरें छपने से पहले सेंसरशिप लगाई जा रही है और बिना किसी नोटिस के मीडिया पर दबाव बनाया जा रहा है। इस पर इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) ने गंभीर चिंता जताई है।
पत्रकारों पर बढ़ते हमले और दिक्कतें
IFJ ने कहा कि पाकिस्तान में पत्रकारों के खिलाफ हत्या, झूठे मुकदमे और वेतन न मिलने जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। अंग्रेजी अखबार Dawn की रिपोर्ट में यह स्थिति उजागर हुई है। IFJ ने इसे 'मीडिया के लिए गहरी संकट की स्थिति' बताया।
पेरिस में PFUJ ने IFJ से की बैठक
पेरिस में एक विशेष बैठक में Pakistan Federal Union of Journalists (PFUJ) के प्रतिनिधियों ने IFJ के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। PFUJ के महासचिव शौकत महमूद और सदस्य तारीक उस्मानी और वसीम शहजाद कादरी ने बताया कि Prevention of Electronic Crimes Act (PECA) का दुरुपयोग हो रहा है और पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे बनाए जा रहे हैं। उन्हें धमकाया जाता है, खबरें रोक दी जाती हैं और नौकरी से निकाला जाता है। कई महीनों तक वेतन न मिलने की वजह से मीडिया इंडस्ट्री बर्बाद हो रही है।
पाकिस्तानी सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग
IFJ ने पाकिस्तानी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप करने की अपील की है, अन्यथा वे संयुक्त राष्ट्र (UN) से मदद लेने पर विचार करेंगे। PFUJ ने भी पत्रकारों के खिलाफ दर्ज राजनीतिक मामलों को वापस लेने और हमलों में शामिल दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 'छुपी हुई सेंसरशिप' लोकतंत्र के खिलाफ है।
सैकड़ों पत्रकार बेरोजगार, वेतन लंबित
आज पाकिस्तान में सैकड़ों पत्रकार बेरोजगार हैं और उनके वेतन लंबित हैं। IFJ ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से कहा कि मीडिया कर्मियों के खिलाफ यह 'आर्थिक हत्या' तुरंत रोकी जाए। उन्होंने PFUJ के साथ एकजुटता जताई और कहा कि यह मुद्दा उनके अगले कांग्रेस में प्रमुख एजेंडा होगा। PFUJ के प्रमुख राणा मोहम्मद अजीम को मिली मौत की धमकियों पर भी चिंता जताई गई।
पत्रकारों की सुरक्षा और वेतन की गारंटी जरूरी
दुनियाभर के संगठनों की नजर इस मुद्दे पर है। पाकिस्तान को पत्रकारों की सुरक्षा और समय पर वेतन सुनिश्चित करना होगा, वरना मीडिया की विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। कुल मिलाकर, पाकिस्तान में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है, जिससे देश के लोकतंत्र को नुकसान पहुंच रहा है।
वैश्विक दबाव बना सकता है IFJ का समर्थन
यह संकट केवल पत्रकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता के लिए भी खतरा है। सेंसरशिप सच को छुपाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। IFJ का समर्थन वैश्विक दबाव पैदा कर सकता है, जैसा श्रीलंका और बांग्लादेश में देखा गया है।
अमेरिका के व्हाइट हाउस ने शुक्रवार (31 अक्टूबर 2025) को एक नया नियम जारी किया है
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Samachar4media Bureau
अमेरिका के व्हाइट हाउस ने शुक्रवार (31 अक्टूबर 2025) को एक नया नियम जारी किया है, जिसके तहत अब मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लेविट और अन्य वरिष्ठ कम्युनिकेशन अधिकारियों के दफ्तर में बिना अपॉइंटमेंट के जाने की इजाजत नहीं होगी। यह पाबंदी वेस्ट विंग के उस हिस्से पर लागू की गई है जो ओवल ऑफिस के पास स्थित है।
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) की ओर से जारी मेमोरेंडम में कहा गया है कि पत्रकार अब 'रूम 140' यानी 'अपर प्रेस' में बिना पूर्व अनुमति के नहीं जा सकेंगे। काउंसिल का कहना है कि यह कदम संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा के लिए उठाया गया है और यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू होगा।
यह फैसला उस पाबंदी के बाद आया है जो इस महीने की शुरुआत में रक्षा विभाग (Pentagon) में पत्रकारों पर लगाई गई थी। उस निर्णय के बाद दर्जनों पत्रकारों को अपने ऑफिस खाली करने पड़े और उन्होंने अपने प्रेस कार्ड लौटा दिए थे।
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने कहा कि अब व्हाइट हाउस कम्युनिकेशन टीम के पास नियमित रूप से गोपनीय जानकारी रहती है, इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे क्षेत्रों में केवल अपॉइंटमेंट वाले पत्रकार ही जाएं।
पहले पत्रकारों को 'रूम 140' में बिना अपॉइंटमेंट के जाने की अनुमति थी। यह कमरा ओवल ऑफिस से कुछ ही दूरी पर है, जहां पत्रकार अक्सर प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लेविट, उनके डिप्टी स्टीवन च्यॉन्ग और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करने जाते थे।
स्टीवन च्यॉन्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि 'कुछ पत्रकार हमारे ऑफिस के वीडियो और ऑडियो गुप्त रूप से रिकॉर्ड करते हुए पकड़े गए, उन्होंने संवेदनशील जानकारी की तस्वीरें भी लीं।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ रिपोर्टर प्रतिबंधित इलाकों में घुस जाते हैं या निजी बैठकों के दौरान चोरी-छिपे सुनने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने आगे लिखा, 'कई बार कैबिनेट सचिव निजी मुलाकात के लिए हमारे ऑफिस आते हैं, लेकिन बाहर रिपोर्टर घात लगाकर खड़े रहते हैं।'
हालांकि, पत्रकार अब भी व्हाइट हाउस के उस हिस्से तक पहुंच सकते हैं जहां जूनियर प्रवक्ता काम करते हैं।
व्हाइट हाउस को कवर करने वाले पत्रकारों का संगठन व्हाइट हाउस कॉरेस्पॉन्डेंट्स एसोसिएशन (WHCA) ने इस फैसले का विरोध किया है। संगठन की अध्यक्ष वीजिया जियांग ने कहा, 'हम व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन क्षेत्र में पत्रकारों की पहुंच सीमित करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करते हैं। यह पारदर्शिता और जवाबदेही को कमजोर करेगा।'
गौरतलब है कि 1993 में बिल क्लिंटन प्रशासन ने भी ऐसा ही कदम उठाया था, लेकिन जब पत्रकारों और संगठनों ने विरोध किया, तो वह निर्णय वापस लेना पड़ा।
ट्रंप प्रशासन ने भी कुछ महीने पहले रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस और ब्लूमबर्ग न्यूज को राष्ट्रपति कवरेज के स्थायी ‘पूल’ से हटा दिया था, हालांकि उन्हें कभी-कभी कवरेज की अनुमति दी जाती है।
रक्षा विभाग में भी सख्ती के संकेत
व्हाइट हाउस के इस कदम से कुछ हफ्ते पहले रक्षा विभाग (Pentagon) ने भी प्रेस एक्सेस पर नए नियम लागू किए थे। अब वहां पत्रकारों को अपने क्रेडेंशियल बनाए रखने के लिए नए नियमों पर हस्ताक्षर करने होंगे, वरना उनकी एंट्री और प्रेस वर्कस्पेस तक पहुंच रद्द की जा सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रॉयटर्स समेत करीब 30 मीडिया संस्थानों ने इस नीति पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता और स्वतंत्र रिपोर्टिंग की क्षमता के खिलाफ है।
पेंटागन की नीति के तहत पत्रकारों को यह स्वीकार करना होगा कि यदि वे विभाग के कर्मचारियों से गोपनीय या कुछ गैर-गोपनीय जानकारी मांगेंगे, तो उन्हें 'सुरक्षा जोखिम' घोषित किया जा सकता है और उनके प्रेस पास रद्द किए जा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे टिकटॉक पर अंतिम समझौते पर गुरुवार को हस्ताक्षर कर सकते हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे टिकटॉक (TikTok) पर अंतिम समझौते पर गुरुवार यानी 30 अक्टूबर को हस्ताक्षर कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इस सौदे के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से “प्रारंभिक मंजूरी” मिल गई है। ट्रंप इस हफ्ते अपने एशिया दौरे के दौरान दक्षिण कोरिया में शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं।
ट्रंप ने अपने बयान में कनाडा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, “कनाडा लंबे समय से हमारा नुकसान कर रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मैं कनाडा के प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं करना चाहता।”
ट्रंप यह बयान उस समय दे रहे थे जब वे मलेशिया से जापान की ओर एयर फोर्स वन से यात्रा कर रहे थे। माना जा रहा है कि उनके इस दौरे के दौरान टिकटॉक समझौते और एशियाई व्यापार मुद्दों पर चर्चा मुख्य फोकस में रहेंगे।
सोशल मीडिया पर अब असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो गया है- डीपफेक, फर्जी खबरें और नकली आवाजें आम हो चुकी हैं। इसी पर रोक लगाने के लिए चीन सरकार ने इन्फ्लुएंसर्स पर सख्त नियम लागू किए हैं।
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आज के समय में सोशल मीडिया पर यह समझना मुश्किल हो गया है कि जो कुछ हम देख रहे हैं, वह असली है या नकली। डीपफेक वीडियो, फर्जी खबरें और मशहूर लोगों की नकली आवाजें अब इतनी आम हो गई हैं कि इंटरनेट पर सच्चाई और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो गया है।
इसी समस्या पर काबू पाने के लिए चीन सरकार ने अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। नए नियमों के मुताबिक, अब चीन में कोई भी कंटेंट क्रिएटर यदि AI से बना वीडियो या पोस्ट डालता है, तो उसे साफ तौर पर यह लिखना होगा कि उसका कंटेंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से तैयार किया गया है। सरकार का कहना है कि इस कदम से फेक न्यूज, कॉपीराइट उल्लंघन और अफवाहों को रोका जा सकेगा।
चीन की साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CAC) के मुताबिक, अब कंटेंट बनाने वालों को हर उस पोस्ट या वीडियो पर स्पष्ट जानकारी देनी होगी जिसमें AI का इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सर्विस प्रोवाइडर्स को ऐसे सभी कंटेंट का रिकॉर्ड छह महीने तक रखना होगा।
यदि कोई व्यक्ति अपने वीडियो से AI लेबल हटाता है या उसमें छेड़छाड़ करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। CAC ने बताया कि यह नियम उनके नए अभियान “Qinglang” (साफ और उज्जवल इंटरनेट) का हिस्सा है, जिसका मकसद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को फेक और भ्रामक सामग्री से मुक्त करना है।
AI के तेजी से फैलाव के बाद इस तरह के नियमों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है। यूरोपीय संघ (EU) ने हाल ही में AI एक्ट लागू किया है, जिसमें AI से बने कंटेंट पर स्पष्ट लेबल लगाना जरूरी है। इसी तरह अमेरिका और ब्रिटेन भी इस दिशा में अपने कानून तैयार कर रहे हैं।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ लेबल लगाना काफी नहीं है। उनका मानना है कि लाइव वीडियो, रियल-टाइम वॉइस कॉल और स्ट्रीमिंग कंटेंट में AI की पहचान करना मुश्किल है, क्योंकि वॉटरमार्क या मेटाडेटा को आसानी से बदला या हटाया जा सकता है।
भारत में फिलहाल AI से जुड़ा कोई सख्त कानून नहीं है, लेकिन सरकार ने इसके लिए कुछ फ्रेमवर्क जारी किए हैं, जैसे National Strategy for AI (2018), Principles for Responsible AI (2021) और Operationalising Principles for Responsible AI। इनका उद्देश्य जवाबदेह और पारदर्शी AI विकास को बढ़ावा देना है।
भले ये कानून जितने सख्त नहीं हैं, लेकिन इन्हें भारत में AI के जिम्मेदार इस्तेमाल की दिशा में उठाए गए शुरुआती कदमों के तौर पर देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर, चीन का यह नया नियम इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाले समय में दुनिया भर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर AI कंटेंट की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर सख्ती बढ़ने वाली है।
वॉर्नर ब्रदर्स डिस्कवरी ने अपने लिए नए खरीदार की तलाश कर रही है। लेकिन इस खबर के बीच जापानी कंपनी सोनी ग्रुप ने साफ कर दिया है कि वह इस खरीदारी की दौड़ का हिस्सा नहीं बनेगी।
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मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बड़ी हलचल तब मच गई, जब वॉर्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros. Discovery) ने घोषणा की कि कंपनी अपने लिए नए खरीदार की तलाश कर रही है। लेकिन इस खबर के बीच अब जापानी कंपनी सोनी ग्रुप ने साफ कर दिया है कि वह इस खरीदारी की दौड़ का हिस्सा नहीं बनेगी।
सोनी के सीईओ हिरोकी टोटोकी ने निक्केई एशिया से बातचीत में कहा कि फिलहाल कंपनी अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी किसी बड़ी डील या अधिग्रहण (acquisition) की योजना नहीं बना रही है। उन्होंने कहा कि सोनी का ध्यान इस समय "ग्रोथ मार्केट्स" यानी तेजी से बढ़ते बाजारों पर है, खासतौर पर ऐनिमी प्रॉडक्शन (Anime Production) के क्षेत्र में।
टोटोकी ने बताया कि वॉर्नर ब्रदर्स डिस्कवरी जैसी कंपनी को खरीदने से अभी सोनी को कोई बड़ा मुनाफा मिलने की संभावना नहीं दिखती। इसके बजाय, कंपनी का फोकस नए बाजारों में मौलिक (original) और रचनात्मक प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने पर है।
उन्होंने कहा, “अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री में इस वक्त बड़े सौदे करने की हमारी कोई इच्छा नहीं है। सिर्फ स्टूडियो जोड़ने से मुनाफा नहीं बढ़ता। सोनी पिक्चर्स एक ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जहां सिर्फ बड़े आकार से फायदा हो। हम अपनी अलग पहचान बनाकर आगे बढ़ सकते हैं।”
सीईओ टोटोकी ने आगे कहा, “दुनियाभर में ऐनिमी का बाजार अभी तेजी से उभर रहा है और आने वाले समय में यह दो अंकों की दर से बढ़ेगा। हम इसी तरह के ग्रोथ मार्केट्स पर ध्यान दे रहे हैं और ऐसे सहयोगी रिश्ते बनाना चाहते हैं जो मौलिक काम को बढ़ावा दें।”
वहीं, वॉर्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के प्रेजिडेंट व सीईओ डेविड जासलव ने पहले ही बताया था कि कंपनी को दो अलग-अलग संस्थाओं- (वॉर्नर ब्रदर्स और डिस्कवरी ग्लोबल) में बांटने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि बदलते मीडिया परिदृश्य में कंपनी टिक सके।
जासलव ने कहा था, “हमारे पास एक मजबूत पोर्टफोलियो है, और इसका मूल्य अब बाजार में ज्यादा पहचाना जा रहा है। कई कंपनियों से रुचि जताने के बाद हमने अपनी संपत्तियों की वास्तविक क्षमता का पता लगाने के लिए सभी संभावनाओं की समीक्षा शुरू की है।”
रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई सौदा होता है तो इसका असर सिर्फ फिल्मों और टीवी पर ही नहीं बल्कि गेम डेवलपमेंट स्टूडियोज पर भी पड़ेगा। इनमें Batman: Arkham बनाने वाला Rocksteady Studios, Hogwarts Legacy के लिए मशहूर Avalanche Software, और Mortal Kombat तथा Injustice सीरीज बनाने वाला NetherRealm Studios शामिल हैं।
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी यह तय नहीं है कि कोई डील वाकई में होगी या नहीं। अंतिम फैसला कंपनी के शेयरधारकों और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मंजूरी पर निर्भर करेगा।
एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी X (पूर्व में ट्विटर) में बड़े स्तर पर एक और झटका लगा है। कंपनी के विज्ञापन प्रमुख जॉन निट्टी (John Nitti) ने महज 10 महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया है।
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एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी X (पूर्व में ट्विटर) में बड़े स्तर पर एक और झटका लगा है। कंपनी के विज्ञापन प्रमुख जॉन निट्टी (John Nitti) ने महज 10 महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया है।
संभावित CEO उत्तराधिकारी माने जा रहे थे निट्टी
जॉन निट्टी को X में ग्लोबल हेड ऑफ रेवेन्यू ऑपरेशंस और ऐडवर्टाइजिंग इनोवेशन के रूप में नियुक्त किया गया था। कंपनी की पूर्व सीईओ लिंडा याकारिनो के जुलाई में इस्तीफा देने के बाद, निट्टी को उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था।
उनका इस्तीफा मस्क की कंपनी में लगातार हो रहे टॉप लेवल एग्जिक्यूटिव्स के बाहर जाने की कड़ी में एक और नाम जोड़ता है।
कई वरिष्ठ अधिकारी पहले ही छोड़ चुके हैं कंपनी
निट्टी से पहले, X के मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) महमूद रेजा बंकी ने अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले, मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI के CFO और जनरल काउंसिल दोनों ने भी गर्मियों के दौरान पद छोड़ा था।
लगातार हो रहे ये इस्तीफे कंपनी के अंदर बढ़ते असंतोष और अस्थिर माहौल की ओर इशारा करते हैं।
अचानक फैसलों से बढ़ी नाराजगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई वरिष्ठ अधिकारियों को मस्क की अचानक रणनीतिक बदलावों और एकतरफा फैसलों से नाराजगी है। बताया जा रहा है कि मस्क ने हाल ही में विज्ञापनों से हैशटैग हटाने का निर्णय भी बिना अपनी ऐड टीम से चर्चा किए ले लिया था, जिससे टीम के भीतर असंतोष और बढ़ गया।
विज्ञापन विभाग पर बढ़ा दबाव
एलन मस्क इन दिनों अपनी कंपनी के AI प्रोजेक्ट्स में अरबों डॉलर झोंक रहे हैं ताकि OpenAI और DeepMind जैसी कंपनियों से मुकाबला कर सकें।
इस बीच, विज्ञापन विभाग पर दबाव लगातार बढ़ रहा है क्योंकि X की ज्यादातर कमाई विज्ञापन से ही होती है।
हालांकि, 2023 के अंत में मस्क ने कुछ ब्रैंड्स से विवाद के बाद कहा था कि जो नहीं चाहें, वो “Go f* yourself**” कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद Disney जैसी बड़ी कंपनियां बाद में प्लेटफॉर्म पर लौट आईं।
फिर भी, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई ब्रैंड्स खुद को मजबूर महसूस करते हैं क्योंकि X ने Shell और Pinterest जैसी कंपनियों पर विज्ञापन बंद करने के आरोप में मुकदमे भी दर्ज किए हैं।
लंबे समय से विज्ञापन जगत में रहे हैं निट्टी
जॉन निट्टी इससे पहले करीब 9 साल तक Verizon में काम कर चुके हैं और उससे पहले American Express में भी लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनके जाने से X के विज्ञापन विभाग में एक बार फिर नेतृत्व का खालीपन पैदा हो गया है।
न्यूजीलैंड में अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल सीमित करने वाला बिल संसद में पेश करेगी।
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न्यूजीलैंड में अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल सीमित करने वाला बिल संसद में पेश करेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऑनलाइन मौजूदगी के दौरान बच्चे किसी तरह के नुकसान से बच सकें।
इस प्रस्तावित कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उम्र की पुष्टि (age verification) प्रक्रिया लागू करनी होगी। यह ऑस्ट्रेलिया में 2024 में पास हुए दुनिया के पहले किशोर सोशल मीडिया बैन कानून की तरह होगा।
इस बिल को मई में राष्ट्रीय पार्टी की सांसद कैथरीन वेड ने सदन में सदस्य बिल के रूप में पेश किया था। गुरुवार को इसे संसद में पेश करने के लिए चुना गया। हालांकि, राष्ट्रीय पार्टी के सदस्यों ने इसका समर्थन किया है, लेकिन उनके गठबंधन साझेदारों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया कि वे बिल का समर्थन करेंगे या नहीं।
सदस्यों के बिल किसी भी सांसद द्वारा पेश किए जा सकते हैं जो कैबिनेट में नहीं है। इन्हें एक औपचारिक लॉटरी प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किया जाता है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बिल कब संसद में पेश होगा।
न्यूजीलैंड की एक संसदीय समिति सोशल मीडिया के बच्चों पर प्रभाव और सरकार, व्यवसाय एवं समाज की जिम्मेदारियों पर अध्ययन कर रही है। इस समिति की रिपोर्ट 2026 की शुरुआत में आने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने लगातार कहा है कि किशोरों में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, जिसमें गलत जानकारी, धमकियां और शरीर की छवि को लेकर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं।
हालांकि, नागरिक स्वतंत्रता संगठन PILLAR ने कहा कि यह बिल बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित नहीं रखेगा। इसके बजाय यह गोपनीयता के गंभीर जोखिम पैदा करेगा और न्यूजीलैंडवासियों की ऑनलाइन आजादी को सीमित करेगा। PILLAR के कार्यकारी निदेशक नाथन सियुली ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के साथ मेल खाना जिम्मेदार दिख सकता है, लेकिन यह नीतिगत दृष्टि से आलसी काम है।”
'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' (CPJ) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इजरायल पर दबाव बनाए ताकि गाजा में पत्रकारों के प्रवेश पर लगी पाबंदी तुरंत हटाई जा सके।
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पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठन 'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' (CPJ) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इजरायल पर दबाव बनाए ताकि गाजा में पत्रकारों के प्रवेश पर लगी पाबंदी तुरंत हटाई जा सके। यह अपील ऐसे समय आई है जब इजरायल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर जवाब देने के लिए 30 दिन का और समय दे दिया है।
इजरायल सरकार ने अदालत से इस रोक की वैधता पर फैसला टालने की मांग की थी। यह सुनवाई साल 2025 में पहले ही तीन बार टाली जा चुकी थी। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को गाजा में प्रवेश से लगातार रोका जा रहा है।
CPJ की सीईओ जोडी गिन्सबर्ग ने कहा, 'दो साल से पत्रकारों को गाजा में स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं दी गई है। अब और इंतजार अस्वीकार्य है। हम इजरायली सरकार के और देरी करने के अनुरोध को खारिज करते हैं और मांग करते हैं कि तुरंत और बिना किसी प्रतिबंध के मीडिया को गाजा में प्रवेश दिया जाए। पत्रकारों को अभी गाजा में जाने का अधिकार है, न कि एक महीने बाद। जनता के जानने का अधिकार रोका नहीं जा सकता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस रोक को स्थायी बनने नहीं देना चाहिए।'
सुनवाई के दौरान राज्य के अटॉर्नी ने अदालत में माना कि 'स्थिति बदल गई है,' लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार को अपना रुख दोबारा तय करने में एक और महीने का समय चाहिए। उन्होंने बताया कि इजरायल जल्द ही पत्रकारों के लिए सीमित 'आईडीएफ एस्कॉर्ट' यात्राएं शुरू करने की योजना बना रहा है, जो उस 'पीली रेखा' तक होंगी जहां इस महीने की शुरुआत में युद्धविराम के दौरान सेना पीछे हटी थी।
हालांकि, ये एस्कॉर्ट यात्राएं बेहद सीमित और सेना के सख्त नियंत्रण में होती हैं। पत्रकारों को सिर्फ कुछ घंटों के लिए गाजा ले जाया जाता है, खास स्थान दिखाए जाते हैं और उन्हें स्थानीय फिलिस्तीनियों से स्वतंत्र रूप से बात करने की अनुमति नहीं होती। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के विपरीत है, जो स्वतंत्र मीडिया पहुंच को अनिवार्य मानते हैं। सेना के साथ जाने की ऐसी यात्राएं पत्रकारिता की स्वतंत्रता नहीं देतीं, बल्कि उन्हें एक प्रचार उपकरण में बदल देती हैं।
फॉरेन प्रेस एसोसिएशन (FPA) की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील गिलियड शेअर (Gilead Sher) ने अदालत में कहा कि इजरायल को कई बार युद्धविराम के दौरान या संघर्ष कम होने पर इस प्रतिबंध की समीक्षा का मौका मिला, लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर 'कोई तत्परता' नहीं दिखाई है। अब तक केवल आठ FPA पत्रकारों को ही IDF के साथ गाजा ले जाने की अनुमति दी गई है।
CPJ ने 5 अक्टूबर को FPA की दूसरी याचिका के समर्थन में एक एमिकस ब्रीफ (amicus brief) दाखिल किया था, जिसमें गाजा में पत्रकारों के स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रवेश की मांग की गई थी। अदालत ने इस दस्तावेज को स्वीकार कर लिया है और इसे अगली सुनवाई में विचार के लिए रखा जाएगा।
अंत में CPJ ने फिर दोहराया कि इजरायल को पत्रकारों पर लगी रोक तुरंत हटानी चाहिए और एक पारदर्शी व निष्पक्ष प्रणाली बनानी चाहिए ताकि सभी पत्रकार गाजा में सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर युद्धविराम कराने वाले देशों से अपील की कि गाजा में स्वतंत्र मीडिया की पहुंच सुनिश्चित करना इजरायल के लिए अनिवार्य शर्त होनी चाहिए, बिना सेंसरशिप और बिना डर के।
ब्रिटिश टेलीविजन के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कार्यक्रम को AI प्रेजेंटर ने होस्ट किया।
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ब्रिटेन के 'चैनल 4' ने इतिहास रच दिया है। इस टीवी चैनल ने पहली बार अपने एक करंट अफेयर्स प्रोग्राम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल किया। यह एपिसोड सोमवार को प्रसारित हुआ, जिसमें उभरती तकनीकों के असर पर चर्चा की गई।
बताया जा रहा है कि ब्रिटिश टेलीविजन के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कार्यक्रम को AI प्रेजेंटर ने होस्ट किया। हालांकि, 'चैनल 4' में न्यूज एंड करंट अफेयर्स की हेड लुइसा कॉम्पटन (Louisa Compton) ने साफ किया कि फिलहाल इसे नियमित तौर पर इस्तेमाल करने की कोई योजना नहीं है।
‘डिस्पैचेज’ शो में दिखा AI एंकर
'चैनल 4' के लंबे समय से चल रहे करंट अफेयर्स शो Dispatches के नए एपिसोड में इस AI प्रेजेंटर का इस्तेमाल किया गया। इस फैसले के पीछे मकसद था यह समझना कि डिजिटल युग में भरोसे और असली जानकारी की अहमियत पर AI का क्या असर पड़ रहा है।
कॉम्पटन ने कहा कि 'चैनल 4' हमेशा प्रीमियम और फैक्ट-चेक्ड जर्नलिज्म पर ध्यान देता है, जो काम AI नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयोग दिखाता है कि AI तकनीक कितनी ‘डिसरप्टिव’ हो सकती है और कैसे यह बिना जांचे-परखे कंटेंट से दर्शकों को भ्रमित कर सकती है।
विभिन्न इंडस्ट्रीज में AI के असर पर केंद्रित रहा एपिसोड
एपिसोड का नाम था 'Will AI Take My Job?' यानी 'क्या AI मेरी नौकरी ले लेगा?' इसमें लॉ, म्यूजिक, फैशन और मेडिकल जैसे कई इंडस्ट्रीज पर AI के प्रभाव की पड़ताल की गई। कार्यक्रम के आखिर में यह खुलासा किया गया कि शो की एंकर ‘आइशा गबान’ (Aisha Gaban) असल में एक इंसान नहीं, बल्कि पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा बनाई गई AI होस्ट थी।
उन्होंने खुद दर्शकों से कहा, 'आपमें से कुछ ने शायद अंदाजा लगाया होगा कि मैं असल में मौजूद नहीं हूं। मैं इस स्टोरी को कवर करने के लिए कहीं नहीं गई थी। मेरी आवाज और चेहरा, दोनों AI की मदद से तैयार किए गए हैं।'
AI एंकर का इस्तेमाल नया नहीं
शो में यह भी बताया गया कि ब्रिटेन के करीब तीन-चौथाई बॉस अब अपने दफ्तरों में ऐसे कामों के लिए AI टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जो पहले इंसान किया करते थे। वैसे टीवी पर AI प्रेजेंटर का इस्तेमाल पहली बार नहीं हुआ है। चीन और भारत जैसे देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी Xinhua ने साल 2018 में एक डिजिटल न्यूज एंकर पेश किया था, जो उनके असली एंकर की AI प्रतिकृति थी और उसी की तरह खबरें पढ़ता था। वहीं भारत में भी कई न्यूज चैनल्स पर इस तरह AI न्यूज एंकर ने खबरें पढ़ी हैं।
इटली के शीर्ष खोजी पत्रकारों में से एक सिगफ्रीडो रानूची (Sigfrido Ranucci) के घर के बाहर गुरुवार देर रात बम धमाका हुआ।
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Samachar4media Bureau
इटली के शीर्ष खोजी पत्रकारों में से एक सिगफ्रीडो रानूची (Sigfrido Ranucci) के घर के बाहर गुरुवार देर रात बम धमाका हुआ। इस धमाके में उनके परिवार की दो कारें क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद पत्रकारों और नेताओं ने रानूची के समर्थन में एकजुटता जताई है।
सिगफ्रीडो रानूची, जो सरकारी चैनल RAI के साप्ताहिक खोजी शो 'Report' के एंकर हैं, लंबे समय से पुलिस सुरक्षा में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें और उनके न्यूज रूम को लगातार धमकियां मिलती रहती हैं, जिनमें गोलियां भेजना भी शामिल है।
रानूची ने बताया कि लगभग एक किलो वजनी बम उनके घर के बाहर गेट के पास लगाया गया था। यह इलाका कैंपो अस्कोलानो (Campo Ascolano) है, जो रोम से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। धमाका रात 10:17 बजे हुआ, यानी लगभग 20 मिनट बाद जब वे घर लौटे थे। विस्फोट में उनकी और उनकी बेटी की कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
रानूची ने कहा, 'सौभाग्य से कोई घायल नहीं हुआ। बस काफी तेज झटका महसूस हुआ।'
इतालवी न्यूज एजेंसी ANSA के मुताबिक, इस मामले में माफिया जैसी कार्यशैली अपनाने के आरोपों के साथ आपराधिक क्षति के मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
इस सप्ताह की शुरुआत में पत्रकार संगठन FNSI ने बताया था कि 2025 की पहली छमाही में 81 पत्रकारों को धमकी या हिंसा का सामना करना पड़ा, जिनमें 16 मामलों में शारीरिक हमले शामिल थे। यह संख्या 2024 की इसी अवधि में दर्ज 46 मामलों से कहीं ज्यादा है।
प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि 'यह एक गंभीर धमकी की घटना है। सूचना की स्वतंत्रता और निष्पक्षता हमारे लोकतंत्र की मूल आत्मा है, और हम इसकी रक्षा करते रहेंगे।'
गृह मंत्री माटेयो पियांटेदोसी (Matteo Piantedosi) ने घोषणा की कि रानूची की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी और उन्हें एक बख्तरबंद (armoured) कार भी दी जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (International Federation of Journalists) ने इस बम हमले को 'बेहद चिंताजनक' बताया, क्योंकि यह माल्टा में भ्रष्टाचार विरोधी पत्रकार डेफनी कारोआना गलीजिया (Daphne Caruana Galizia) की हत्या की बरसी के आसपास हुआ है। संगठन ने कहा, 'हम इस हमले की सख्त निंदा करते हैं। यह मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। हम मांग करते हैं कि पूरी जांच कर अपराधियों को सजा दी जाए।'
'Report' कार्यक्रम, जो इटली का सबसे प्रसिद्ध खोजी शो माना जाता है, अक्सर सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल उठाता रहा है। शो पर प्रधानमंत्री मेलोनी के कई सहयोगियों — जिनमें वित्त मंत्री जियानकार्लो जियोर्जेटी, उद्योग मंत्री अडोल्फो उर्सो और उनके चीफ ऑफ स्टाफ गैटानो कापुती शामिल हैं, ने पहले मुकदमे भी दायर किए थे।