भारत में 25 से 35 लाख के बीच कंटेंट क्रिएटर्स हैं जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। लेकिन इतनी भीड़ के बावजूद एक छोटा-सा वर्ग है जो बाकियों से अलग नजर आता है।
शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत में 25 से 35 लाख के बीच कंटेंट क्रिएटर्स हैं जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। लेकिन इतनी भीड़ के बावजूद एक छोटा-सा वर्ग है जो बाकियों से अलग नजर आता है। ये वो क्रिएटर्स हैं जिनका संदेश स्पष्ट होता है, जो किसी खास विषय में माहिर होते हैं और अपने दर्शकों के साथ भरोसे का रिश्ता बनाते हैं। ऐसे क्रिएटर्स आज ब्रैंड्स का ध्यान खींच रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। बस इसलिए क्योंकि वे गुणवत्तापूर्ण, असरदार और ईमानदार कंटेंट बना रहे हैं।
आज जब इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग की दुनिया नकली आंकड़ों, फर्जी फॉलोअर्स और क्षणिक वायरल कंटेंट से भरी पड़ी है, तब ब्रैंड्स अब चुपचाप ऐसे क्रिएटर्स की ओर रुख कर रहे हैं जो असल मूल्य देते हैं, जो खास क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हैं, दर्शकों का भरोसा बनाए रखते हैं और अपने फॉलोअर्स से गहराई से जुड़ते हैं।
HashFame की पहली तिमाही की रिपोर्ट भी इसी बदलाव की पुष्टि करती है। इसमें बताया गया है कि नेहा नागर, अपूर्वा मुखिजा और साहिबा बाली जैसे क्रिएटर्स ब्रैंड की पहली पसंद बन रहे हैं। इसलिए नहीं कि वे सबसे ज्यादा शोर मचाते हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि वे लगातार, सुलझे हुए और रणनीतिक तरीके से अपने दर्शकों से जुड़ते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि टॉप 10 क्रिएटर्स में तीन समान खूबियां पाई गईं:
किसी खास विषय में विशेषज्ञता और उस पर भरोसेमंद पहचान,
अपने ऑडियंस के साथ लगातार और उच्च स्तर की एंगेजमेंट,
और कंटेंट व ब्रैंड के संदेश के बीच गहरा तालमेल।
उदाहरण के लिए—मिलेनियल्स और Gen-Z को ध्यान में रखकर मुखिजा का बोल्ड ह्यूमर, साहिबा बाली का वेलनेस फोकस्ड नैरेटिव या फिर अरविंद खर्रा का टेक्नोलॉजी पर स्पष्ट संवाद- इनका कंटेंट स्वाभाविक लगता है, थोपे हुए जैसा नहीं।
यहां तक कि मिड-टियर क्रिएटर्स जैसे विकीपीडिया और आशि अदानी, जिनके फॉलोअर्स की संख्या कम है, वे भी बड़े-बड़े “मेगा इन्फ्लुएंसर्स” की तुलना में ज्यादा एंगेजमेंट दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, नेहा नागर को 185 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल मिले, वहीं आशि अदानी को 40- इससे पता चलता है कि अब ब्रैंड्स तड़क-भड़क की बजाय ठोस और भरोसेमंद कंटेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं।
आइए नजर डालते हैं कुछ प्रमुख क्रिएटर्स की स्थिति पर
• Brand Interest: 185 • Followers: 2 मिलियन • Engagement: 1.61%
नेहा ने अपने करियर की शुरुआत IIFL Securities में एक वेल्थ मैनेजर के तौर पर की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान तब मिली जब उन्होंने पर्सनल फाइनेंस को आसान और रीटेबल तरीके (ऐसे कंटेंट, जो किसी आम इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी से मेल खाती हो) से समझाना शुरू किया। उन्होंने बजटिंग, टैक्स और पैसे बचाने जैसे जटिल वित्तीय विषयों को रोजमर्रा की भाषा में छोटे-छोटे वीडियोज के जरिए समझाया, जिससे उनकी दो मिलियन की ऑडियंस के बीच भरोसा बना।
बड़े ब्रैंड्स जैसे Kotak811, Indian Oil, HPCL, BPCLimited, Airtel India और L&T Finance उनके साथ काम कर रहे हैं, ताकि वे अपने फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को आम लोगों तक सहजता से पहुंचा सकें।
उनकी रील्स — जैसे “अगर ₹20,000 की इनकम में से ₹5,000 बचाते हैं, तो कितना बचता है?” विषयों को सरल, व्यावहारिक रूप में पेश करती हैं।
भले ही उनका एंगेजमेंट रेट 1.61% हो, जो सामान्यतः थोड़ा कम माना जाता है, लेकिन उनकी विषयवस्तु की गहराई, भरोसेमंद शैली और स्पष्ट फोकस के कारण उन्हें 185 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल्स मिलते हैं। यह दर्शाता है कि सिर्फ लाइक्स या व्यूज नहीं, बल्कि content की प्रासंगिकता और गुणवत्ता ज्यादा मायने रखती है।
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अपूर्वा मखीजा (@the.rebel.kid)
ब्रैंड इंटरेस्ट: 168 • फॉलोअर्स: 4.4 मिलियन • एंगेजमेंट: 15.34%
अपूर्वा ने खुद को Gen Z (नई पीढ़ी) के बेबाक और बिना फिल्टर वाले हास्य तथा पॉप-कल्चर पर तेज टिप्पणियों के लिए एक पहचान बना ली है।
उनका 15.34% का चौंका देने वाला एंगेजमेंट रेट दर्शाता है कि उनके फॉलोअर्स न सिर्फ उन्हें देखते हैं, बल्कि उनकी बातों पर गहराई से प्रतिक्रिया भी देते हैं। इसी वजह से उन्हें 168 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल्स मिल चुके हैं।
वह OnePlus, Netflix, Spotify, Google, Hotstar, Amazon, Maybelline, Meta, Nivea, Joy Skin Care जैसे कई बड़े ब्रैंड्स के साथ काम कर चुकी हैं।
चाहे बात ब्यूटी, फैशन की हो या सोशल कमेंट्री (समाज पर राय) की, उनका कंटेंट हमेशा खुला, बेबाक और लोगों को जोड़ने वाला होता है।
इसके अलावा उन्होंने Freakins ब्रैंड के साथ एक फैशन लाइन पर भी कोलैब किया है। हाल ही में उनके टीवी और फिल्मों में आने से उनकी पहुँच और बढ़ी है, लेकिन वे अब भी अपने बिना लाग-लपेट वाली आवाज के कारण अपने दर्शकों को बांधे रखती हैं।
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विष्णु कौशल (@thevishnukaushal)
ब्रैंड इंटरेस्ट: 103 • फॉलोअर्स: 2.1 मिलियन • एंगेजमेंट: 4.35%
विष्णु कौशल अपने कंटेंट के जरिए भारत के रोजमर्रा के जीवन पर आधारित हास्य को सांस्कृतिक कहानी कहने के अंदाज में पेश करते हैं। उनके मजेदार और लोगों से जुड़ने वाले (relatable) वीडियो और पोस्ट गूगल, एमेजॉन प्राइम, ब्लिंकिट, बेकिंगो, एयरटेल इंडिया, लिशियस फूड्स और स्प्राइट जैसे ब्रैंड्स को आकर्षित कर रहे हैं। बीते दो महीनों में उन्होंने इनमें से कई ब्रैंड्स के साथ कैंपेन पूरे किए हैं।
उनकी 4.35% की एंगेजमेंट दर यह दिखाती है कि उनका कंटेंट दर्शकों से गहराई से जुड़ता है और ब्रैंड्स के लिए यह दर्शाता है कि उनके जरिए जो कहानियां कही जाती हैं, वे असली और विश्वसनीय लगती हैं।
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प्राजक्ता कोली (@mostlysane)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 95 • फॉलोअर्स: 8.7 मिलियन • एंगेजमेंट: 4.96%
प्राजक्ता एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनकी कहानियों की शैली उनके दर्शकों के साथ समय के साथ विकसित हुई है। वो टाइम्स की टॉप 100 लिस्ट का हिस्सा रह चुकी हैं और उन्होंने गूगल, नेटफ्लिक्स, एमेजॉन, फिलिप्स, बाटा और वीनस जैसे ब्रैंड्स के साथ काम किया है।
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे सिर्फ स्केच या मजेदार वीडियो नहीं बनातीं, बल्कि अपने कंटेंट के जरिए संवाद शुरू करती हैं। उनके वीडियो में अक्सर कोई चैलेंज या "कॉल टू एक्शन" (यानि दर्शकों से कुछ करने की अपील) होता है, जिससे उनकी 8.7 मिलियन की विशाल ऑडियंस खुद को शामिल महसूस करती है।
अरविंद खरा (@techmasterco)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 77 • फॉलोअर्स: 4.6 मिलियन • एंगेजमेंट: 2.15%
अरविंद टेक-एक्सप्लेनर (तकनीकी समझाने वाले) कंटेंट की कैटेगरी में काम करते हैं। वो आसान और सभी को समझ आने वाली भाषा में गैजेट रिव्यू और ट्यूटोरियल बनाते हैं। सैमसंग, HP और शाओमी जैसे ब्रैंड्स उनके साथ अक्सर रिव्यू और “कैसे करें” (how-to) टाइप कंटेंट पर काम करते हैं।
उनके पास 4.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं और उनकी प्रेजेंटेशन (प्रस्तुति) की शैली साफ-सुथरी और स्पष्ट होती है। इसी वजह से वो ऐसे टेक-प्रेमी दर्शकों के बीच एक भरोसेमंद आवाज बन गए हैं, जो बिना किसी झंझट के, सीधी और साफ जानकारी चाहते हैं।
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पारुल गुलाटी (@gulati06)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 69 • फॉलोअर्स: 1.7 मिलियन • एंगेजमेंट रेट: 1.75%
पारुल गुलाटी एक ऐसी डिजिटल क्रिएटर हैं जो लाइफस्टाइल, एंटरटेनमेंट, फाइनेंस और सेल्फ-ग्रोथ जैसे विषयों का संयोजन अपने कंटेंट में पेश करती हैं। उन्होंने Veet India, Dot & Key, Nivea, Licious और ALT Balaji जैसे ब्रैंड्स के साथ काम किया है।
इसके अलावा, पारुल Nish Hair नाम की अपनी खुद की D2C (Direct-to-Consumer) हेयर एक्सटेंशन ब्रैंड की संस्थापक भी हैं। उन्होंने Shark Tank India शो में हिस्सा लिया था और ₹1 करोड़ की फंडिंग के बदले 2% इक्विटी दी थी।
उनकी यह उद्यमिता यात्रा (entrepreneurial journey) उनके व्यक्तित्व को और गहराई देती है, जिससे उनके दर्शक न केवल उनकी क्रिएटिविटी से बल्कि उनकी लगन और प्रेरणा से भी जुड़ाव महसूस करते हैं।
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साहिबा बाली (@sahibabali)
• ब्रैंड इंटरेस्ट (Brand Interest): 55 • फॉलोअर्स: 7.48 लाख • एंगेजमेंट रेट: 10.36%
साहिबा बाली का कंटेंट उनकी निजी जिंदगी के अनुभवों, वेलनेस रूटीन, फैशन, और आध्यात्मिक विचारों (spiritual reflections) को समेटे होता है। Zomato और पंजाब किंग्स (PBKS) जैसे ब्रैंड्स ने उनके साथ साझेदारी की है।
उनकी एंगेजमेंट रेट बहुत मजबूत है (10.36%), यानी उनके फॉलोअर्स उनकी पोस्ट्स पर एक्टिवली प्रतिक्रिया देते हैं और जुड़ाव महसूस करते हैं। उनका कंटेंट सच्चाई और विश्वसनीयता (authenticity) पर आधारित होता है, जिसकी वजह से ब्रैंड्स के साथ उनकी साझेदारी को दर्शक भरोसेमंद मानते हैं।
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 52 • फॉलोअर्स: 10 लाख • एंगेजमेंट रेट: 12.07%
विक्की छोटे-छोटे (bite-sized) मोटिवेशनल और एजुकेशनल वीडियो बनाते हैं। उनकी तेज, प्रभावी स्टोरीटेलिंग के चलते उन्होंने Airtel India और कई अन्य ब्रैंड्स के साथ शैक्षणिक, सेल्फ-हेल्प और कॉरपोरेट अभियानों में काम किया है।
वे जटिल विचारों को एक मिनट से कम समय में सरल और स्पष्ट रूप में समझा देते हैं, जिससे उनका कंटेंट थॉट लीडरशिप कैंपेन (Thought Leadership Campaigns) के लिए एकदम उपयुक्त बन जाता है।
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रवि गुप्ता (@shudhdesicomic)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 46 • फॉलोअर्स: 32 लाख • एंगेजमेंट रेट: 8.66%
रवि गुप्ता अपने कॉमेडी कंटेंट में भारतीय पारिवारिक और सामाजिक जीवन का तड़का लगाते हैं। उनके स्केच आम लोगों की ज़िंदगी से जुड़े होते हैं, जिससे लोग आसानी से जुड़ पाते हैं।
वह boAt, McDowell’s Soda, Uber, Zomato, Spinny, Vastrado, Housing.com, Amazon MX Player (जैसे “My Girlfriend is an Alien” कैंपेन), और Samsung India (Galaxy Z Fold7) जैसे बड़े ब्रैंड्स के साथ काम कर चुके हैं।
उनका ह्यूमर ऐसा है जो ब्रैंड्स के मैसेज को हल्के-फुल्के, मज़ेदार लेकिन सामाजिक रूप से प्रासंगिक अंदाज़ में पेश करता है, जिससे दर्शक न सिर्फ हँसते हैं बल्कि ब्रैंड की बात भी पकड़ लेते हैं।
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आशी अडानी (@aashiadani)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 40 • फॉलोअर्स: 2.88 लाख • एंगेजमेंट रेट: 5.40%
हालांकि आशी अडानी एक छोटी क्रिएटर हैं, लेकिन उनका कंटेंट साफ-सुथरा, भरोसेमंद और प्रभावशाली होता है। इसी कारण से उन्हें कई नामी ब्यूटी और लाइफस्टाइल ब्रैंड्स के साथ काम करने का मौका मिला है- जैसे Garnier, Lakmé, MAC, Myntra, Amazon, Maybelline, Kiro Beauty, MyGlamm, Nykaa, Clinique, Mamaearth, Dove, CeraVe आदि।
उनकी 5.4% की एंगेजमेंट रेट यह दिखाती है कि उनके फॉलोअर्स उनके कंटेंट से अच्छी तरह जुड़ते हैं। इस वजह से बुटीक और प्रीमियम ब्यूटी ब्रैंड्स उन्हें खास पसंद करते हैं, क्योंकि उनके जरिए ब्रैंड्स को भरोसेमंद और टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुंचने में मदद मिलती है।
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ये क्रिएटर्स क्यों हैं सबसे अलग
इन 10 क्रिएटर्स की कामयाबी के पीछे एक मजबूत फॉर्मूला है- वे अपने खास क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं (niche authority), अपनी ऑडियंस का भरोसा जीत चुके हैं (community trust), उनके कंटेंट में सच्चा जुड़ाव होता है (meaningful engagement), और वे अपनी आवाज और ब्रैंड की जरूरतों के बीच संतुलन बख़ूबी साधते हैं। ये ट्रेंड के पीछे नहीं भागते- बल्कि अपनी ऑडियंस से गहरा, टिकाऊ रिश्ता बनाते हैं।
चाहे वह नेहा की फाइनेंस की समझ हो, अपूर्वा की जेन जी से जुड़ने की क्षमता, या पारुल की एंटरप्रेन्योरशिप की असली झलक- हर क्रिएटर ने अपनी एक अलग जगह बना ली है। ये इस बात का प्रमाण हैं कि लगातार और सही टारगेट किया गया कंटेंट किसी भी तड़क-भड़क वाले एकबारगी वायरल कंटेंट से कहीं ज्यादा प्रभावशाली हो सकता है।
भारत में क्रिएटर इकोनॉमी की ताकत
BCG की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में डिजिटल क्रिएटर्स उपभोक्ताओं के $350–400 बिलियन के खर्च को प्रभावित करते हैं और यह आंकड़ा 2030 तक $1 ट्रिलियन को पार कर सकता है। भारत में इस समय करीब 20 से 25 लाख सक्रिय डिजिटल क्रिएटर्स हैं (जिनके 1000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं), लेकिन इनमें से केवल 8–10% ही अपने कंटेंट से सही मायनों में कमाई कर पा रहे हैं।
फिलहाल क्रिएटर इकोनॉमी की डायरेक्ट कमाई $20–25 बिलियन आंकी गई है, जो 2030 तक पांच गुना बढ़कर $100–125 बिलियन तक पहुंच सकती है।
शॉर्ट वीडियो और लोकप्रिय जॉनर
रिपोर्ट यह भी बताती है कि शॉर्ट फॉर्म वीडियो का बोलबाला है- कॉमेडी, फैशन, डेली सोप्स और फिल्में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले जॉनर हैं। ब्रैंड अब क्रिएटर-निर्देशित मार्केटिंग में निवेश को 1.5 से 3 गुना तक बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे यह साफ है कि अब कारोबार के मॉडल तेजी से बदल रहे हैं और क्रिएटर्स की अगुवाई में नए तरीके से ढल रहे हैं।
असली असर उन्हीं का है जो सच्चे हैं
भारत की मौजूदा क्रिएटर इकोनॉमी में असली प्रभावशाली वही हैं जो सबसे बड़े नहीं, बल्कि सबसे सच्चे हैं- जो अपनी कला को गंभीरता से लेते हैं, अपनी ऑडियंस को करीब रखते हैं। वे केवल व्यूज नहीं, बल्कि ध्यान खींचते हैं। केवल क्लिक नहीं, भरोसा कमाते हैं। और यही आज ब्रैंड्स को चाहिए- ऐसे लोग जो दिखावे से नहीं, ईमानदारी से काम करें।
आगे का रास्ता
आज के समय में ये जरूरी नहीं कि सबसे ज्यादा शोर मचाने वाला या सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाला ही सबसे असरदार हो। असली बात है- कौन सच्चा है? ब्रैंड्स अब इस बात को समझ रहे हैं। वे अब उन्हीं क्रिएटर्स पर भरोसा कर रहे हैं जो किसी मकसद के साथ आते हैं, जो अपनी ऑडियंस की नब्ज पहचानते हैं और जबरन कुछ बेचने की कोशिश नहीं करते। चाहे फाइनेंस हो, वेलनेस या टेक्नोलॉजी, जिन क्रिएटर्स की आवाज दिल से निकलती है और जो अपने दायरे में टिके रहते हैं, वही अब असली फर्क पैदा कर रहे हैं। और अगर ये रफ्तार बरकरार रही, तो आने वाले समय में भी यही सच्चे, जमीन से जुड़े क्रिएटर्स इंडस्ट्री को आगे ले जाते रहेंगे- हर एक सच्चे और सोच-समझकर किए गए ब्रैंड कोलैबरेशन के जरिए।
समीक्षा सिक्का इससे पहले चार साल से ज्यादा समय से ‘नेटवर्क18’ (Network18) में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
समीक्षा सिक्का को ‘एनडीटीवी डिजिटल’ (NDTV Digital) में रेवेन्यू हेड के पद पर नियुक्त किया गया है। समीक्षा ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट के जरिये खुद यह जानकारी शेयर की है।
लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘मुझे खुशी है कि मैं NDTV Digital में रेवेन्यू हेड के तौर पर नई भूमिका की शुरुआत कर रही हूं।’
समीक्षा सिक्का इससे पहले चार साल से ज्यादा समय से ‘नेटवर्क18’ (Network18) में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। वहां वह Moneycontrol.com, News18.com तथा Firstpost.com के लिए काम कर रही थीं।
समीक्षा डिजिटल सेल्स क्षेत्र की अनुभवी प्रोफेशनल हैं। उन्हें इंटीग्रेटेड सेलिंग, इन्वेंट्री और कंटेंट सेल्स में महारत हासिल है। पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स के साथ भी काम कर चुकी हैं।
गूगल को पेंसकी मीडिया कॉरपोरेशन (PMC) की ओर से एक नए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।
गूगल को पेंसकी मीडिया कॉरपोरेशन (PMC) की ओर से एक नए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। PMC के पास रोलिंग स्टोन, बिलबोर्ड, वैरायटी, हॉलीवुड रिपोर्टर, डेडलाइन, वाइब और आर्टफोरम जैसी मशहूर प्रकाशन संस्थाएं हैं। कंपनी का आरोप है कि गूगल ने उसकी पत्रकारिता सामग्री का बिना अनुमति उपयोग करके AI-जनित समरी (सारांश) तैयार की, जिससे उसकी वेबसाइट्स पर ट्रैफिक कम हो रहा है।
यह मुकदमा वॉशिंगटन डी.सी. की संघीय अदालत में दायर किया गया है और यह पहला मौका है जब किसी प्रमुख अमेरिकी पब्लिशर ने गूगल के “AI ओवरव्यूज” फीचर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यूज ऑर्गनाइजेशन ने तर्क दिया है कि ये नए AI समरी (जो सर्च रिजल्ट्स के शीर्ष पर दिखाई देते हैं), उनकी विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन से होने वाली आय को घटा रहे हैं क्योंकि इससे उनकी वेबसाइट्स पर क्लिक करने वाले यूजर्स की संख्या कम हो रही है।
पेंसकी मीडिया, जिसके बारे में बताया जाता है कि उसके प्लेटफॉर्म पर हर महीने 12 करोड़ ऑनलाइन विजिटर आते हैं, ने आरोप लगाया है कि गूगल प्रभावी रूप से पब्लिशर्स को इन AI समरीज में उनकी सामग्री के उपयोग के लिए सहमति देने पर मजबूर करता है। पेंसकी मीडिया के चेयरमैन जे पेंसकी को उद्धृत करते हुए कहा गया, “हम पर यह जिम्मेदारी है कि हम डिजिटल मीडिया के भविष्य के लिए सक्रिय रूप से लड़ें और उसकी अखंडता को बनाए रखें, जिन्हें गूगल की मौजूदा गतिविधियों से खतरा है।”
याचिका के अनुसार, गूगल यह सब करने के लिए सर्च मार्केट में अपनी प्रभुत्वशाली स्थिति का लाभ उठाता है। संघीय अदालत ने पिछले साल पाया था कि अमेरिका में गूगल की बाजार हिस्सेदारी लगभग 90% है।
कंपनी के मुकदमे में दावा किया है कि AI ओवरव्यूज अब लगभग 20% गूगल सर्च में दिखाई देते हैं, जो अन्यथा उसकी साइट्स पर ट्रैफिक भेजते। इसका नतीजा यह हुआ कि सर्च ट्रैफिक में गिरावट आई और 2024 के अंत से उसके एफिलिएट राजस्व में एक-तिहाई से अधिक की कमी आई है।
फरवरी में ऑनलाइन शिक्षा कंपनी चेग ने भी इसी तरह का मुकदमा दायर किया था। उसने आरोप लगाया था कि गूगल के AI ओवरव्यूज प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर रहे हैं और मौलिक सामग्री की मांग घटा रहे हैं।
अपने बचाव में, गूगल के प्रवक्ता जोस कास्टानेडा ने कहा कि AI ओवरव्यूज यूजर्स के लिए बेहतर अनुभव हैं और वास्तव में यह अधिक विविध वेबसाइट्स पर ट्रैफिक भेजते हैं।
कास्टानेडा ने कहा, “AI ओवरव्यूज के साथ लोग सर्च को अधिक उपयोगी पाते हैं और इसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जिससे सामग्री खोजे जाने के नए अवसर पैदा होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हम इन निराधार दावों के खिलाफ बचाव करेंगे।”
यह मुकदमा गूगल के लिए उस दुर्लभ एंटीट्रस्ट जीत के तुरंत बाद आया है, जिसमें यह फैसला दिया गया था कि कंपनी को अपना क्रोम ब्राउजर बेचना नहीं पड़ेगा।
हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
अमित शाह ने अपने संदेश में कहा कि हिंदी देश की विभिन्न बोलियों और भाषाओं के बीच सेतु का कार्य करती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूती देती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज हिंदी विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान की भाषा के रूप में भी तेजी से आगे बढ़ रही है।
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2025
देश की भाषाओं-बोलियों के बीच सेतु बनकर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाली हिंदी तकनीक, विज्ञान और अनुसंधान की भाषा बन रही है। आजादी के आंदोलन से लेकर आपातकाल के मुश्किल दिनों तक, हिंदी ने देशवासियों को एक सूत्र में बाँधने में अहम भूमिका निभाई… pic.twitter.com/4IU2wsEGmt
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी को भारत की संस्कृति, एकता और आत्मगौरव की भाषा बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी ने विविध बोलियों और भाषाओं के बीच हमेशा लोगों को जोड़ने का काम किया है।
दोनों नेताओं के संदेश इस बात को रेखांकित करते हैं कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की पहचान और एकजुटता का आधार है।
हिंदी दिवस की प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 14, 2025
हिंदी हमारी एकता का आधार और अस्मिता की प्रहरी है। समस्त भारतीयों को एक सूत्र में पिरोती हमारी परंपराओं की संवाहिका हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है।
आइए, हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग व वैश्विक प्रसार हेतु संकल्पित हों, इसके विकास… pic.twitter.com/tnYDZJ9uVY
यूट्यूब (YouTube) ने भारत के बाजार को ध्यान में रखते हुए नए विज्ञापन समाधान पेश किए हैं, जिनकी मदद से ब्रैंड्स (कंपनियां) क्रिएटर्स (यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स) के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे
यूट्यूब (YouTube) ने भारत के बाजार को ध्यान में रखते हुए नए विज्ञापन समाधान पेश किए हैं, जिनकी मदद से ब्रैंड्स (कंपनियां) क्रिएटर्स (यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स) के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे और अपने दर्शकों तक अधिक असरदार तरीके से पहुंच पाएंगे।
इस पहल का मुख्य हिस्सा है Creator Partnerships Hub, जो Google Ads के भीतर एक नया टूल है। इसकी मदद से ऐडवर्टाइजर सीधे क्रिएटर्स की पहचान कर सकते हैं और उनसे काम कर सकते हैं। अब ब्रैंड्स अपने विज्ञापन अभियानों में इन्फ्लुएंसर-आधारित कंटेंट शामिल कर पाएंगे, जिसे Partnership Ads कहा जा रहा है। इसका मकसद है ब्रैंड और क्रिएटर्स के बीच सहयोग को आसान बनाना और क्रिएटर-संचालित कहानियों (creator-driven storytelling) को विज्ञापन रणनीतियों का अहम हिस्सा बनाना।
यूट्यूब इंडिया की कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर गुंजन सोनी ने कहा कि प्लेटफॉर्म का बढ़ता पैमाना और एंगेजमेंट ऐडवर्टाइजर्स को एक अनोखा लाभ देता है। उन्होंने कहा, “यूट्यूब अब सिर्फ एक कंटेंट प्लेटफॉर्म नहीं है, यह वह जगह है जहां कम्युनिटी गहराई से जुड़ती है और जहां ब्रैंड्स भरोसा कायम कर सकते हैं, प्रामाणिक स्टोरीटेलिंग के जरिए।”
प्लेटफॉर्म ने पीक पॉइंट्स भी पेश किया है, जो जेमिनी-संचालित फीचर है। यह वीडियो के सबसे आकर्षक हिस्सों की पहचान करता है और ऐडवर्टाइजर्स को उन क्षणों में विज्ञापन लगाने का मौका देता है, जब दर्शकों का ध्यान सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा, यूट्यूब ने पुष्टि की कि मल्टी-लैंग्वेज ऑडियो विकल्प, जिसमें वीडियो डबिंग भी शामिल है, जल्द ही सभी क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध होगा। इससे भारत की विविध भाषाई पृष्ठभूमि वाले दर्शकों के लिए कंटेंट की पहुंच और भी बढ़ जाएगी।
भारत, यूट्यूब के सबसे बड़े और सबसे तेज़ी से बढ़ते बाजारों में से एक बना हुआ है। कंपनी के अनुसार, अब 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के यूजर्स प्रतिदिन औसतन 72 मिनट से अधिक समय प्लेटफॉर्म पर बिता रहे हैं। यूट्यूब शॉर्ट्स के मासिक लॉग-इन दर्शकों की संख्या 650 मिलियन को पार कर गई है और कनेक्टेड टीवी के दर्शक मध्य-2025 तक 75 मिलियन से ऊपर पहुंच गए हैं।
इन समाधानों को अपनाना पहले ही शुरू हो चुका है। इंश्योरेंस-टेक कंपनी ACKO ने यूट्यूब के फुल-स्टैक अप्रोच को CTV, शॉर्ट्स और डिमांड जेन में लागू करने के बाद साल-दर-साल 40% की वृद्धि दर्ज की। इसी तरह, मिंत्रा के बिग फैशन फेस्टिवल ने शॉर्ट्स फर्स्ट पोजीशन का उपयोग करके 1.9 करोड़ यूजर्सओं तक बहुत कम लागत पर पहुंच बनाई। वहीं, सेबामेड के क्रिएटर-आधारित अभियानों ने बिक्री में दो गुना बढ़ोतरी और ब्रैंड सर्च में वृद्धि दर्ज कराई।
NDTV की डिजिटल टीम से युवा पत्रकार आकाश पटेरिया ने इस्तीफा दे दिया है। आकाश पिछले दो साल से NDTV में जुड़े हुए थे और यहां उन्होंने डिजिटल टीम में बतौर मल्टीमीडिया प्रडयूसर काम किया।
NDTV की डिजिटल टीम से युवा पत्रकार आकाश पटेरिया ने इस्तीफा दे दिया है। आकाश पिछले दो साल से NDTV में जुड़े हुए थे और यहां उन्होंने डिजिटल टीम में बतौर मल्टीमीडिया प्रडयूसर काम किया। उनके पास पत्रकारिता का चार साल का अनुभव है।
आकाश राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर पैकेजिंग और एंकर वीडियो बनाने का काम करते रहे हैं।
मूलरूप से आकाश मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले हैं। उन्होंने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में AAFT यूनिवर्सिटी से टीवी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया।
पत्रकार आकाश पटेरिया ने NDTV को अलविदा कहकर रिपब्लिक मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। यहां उन्होंने बतौर सीनियर सब एडिटर पद संभाला है। आकाश अब रिपब्लिक भारत में डिजिटल टीम के लिए अपनी सेवाएं देंगे।
फेसबुक की पेरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए ₹213 करोड़ के जुर्माने को चुनौती दी है।
फेसबुक की पेरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए ₹213 करोड़ के जुर्माने को चुनौती दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के सामने तर्क दिया कि यह आदेश 'कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण और प्रतिस्पर्धा कानून के दायरे से बाहर' है।
नवंबर 2024 में, CCI (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) ने माना कि Meta की 2021 की पॉलिसी अपडेट, जिसमें उसने अपने अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स (जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp) के बीच डेटा शेयर करने की अनुमति दी थी, उसके मार्केट में दबदबे का दुरुपयोग है।
Meta की ओर से पेश होते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नियामक ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर गोपनीयता और डाटा-साझाकरण के मुद्दों पर कदम बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “CCI ने उस पहलू में दखल दिया है जिसका प्रतिस्पर्धा से कोई संबंध नहीं है। दुरुपयोगी प्रथा का प्लेटफॉर्म की डाटा गोपनीयता नीति से कोई लेना-देना नहीं है।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा कि CCI प्रभाव-आधारित विश्लेषण करने या किसी विशिष्ट प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथा की पहचान करने में विफल रहा।
इस साल जनवरी में, राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) ने अस्थायी रूप से CCI के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें WhatsApp को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए Meta के साथ यूजर्स डेटा साझा करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
नवंबर 2024 में, भारत के एंटीट्रस्ट नियामक ने WhatsApp की विवादास्पद 2021 की गोपनीयता पॉलिसी के माध्यम से बाजार प्रभुत्व के दुरुपयोग के लिए Meta पर लगभग ₹214 करोड़ ($25.4 मिलियन) का जुर्माना लगाया था।
यह दंड उन चिंताओं को दर्शाता था कि इस पॉलिसी ने अनुचित तरीके से यूजर्स को Meta के प्लेटफॉर्म्स पर अपना डेटा साझा करने के लिए बाध्य किया, जिससे उपभोक्ता गोपनीयता पर व्यवसाय और विज्ञापन लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई।
नीति वालिया ने कहा कि गूगल और यूट्यूब ऐसे पार्टनर बन सकते हैं जो व्यवसायों को बदलते हुए डिजिटल माहौल में यूजर्स को खोजने, समझने और उन्हें ग्राहकों में बदलने में मदद करते हैं।
e4m D2C Revolution Summit 2025 में गूगल इंडिया की हेड ऑफ कॉमर्स (मिड-मार्केट सेल्स) नीति वालिया ने ‘Google और YouTube के साथ मार्केटिंग पर पुनर्विचार करें’ शीर्षक से एक मुख्य भाषण दिया। फाउंडर्स और मार्केटर्स से बात करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गूगल और यूट्यूब ऐसे पार्टनर बन सकते हैं जो व्यवसायों को बदलते हुए डिजिटल माहौल में यूजर्स को खोजने, समझने और उन्हें ग्राहकों में बदलने में मदद करते हैं।
वालिया ने कहा, “शॉपिंग का व्यवहार बेहद अप्रत्याशित है।” उन्होंने समझाया कि यूजर्स लगातार “सर्चिंग, स्ट्रीमिंग, स्क्रोलिंग और शॉपिंग” कर रहे होते हैं, कई बार ये सब एक साथ करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि “भारत में 84% लोग रोजाना गूगल या यूट्यूब पर आते हैं, जो किसी भी अन्य प्लेटफॉर्म की तुलना में कहीं ज्यादा है।”
इसके बाद वालिया ने बताया कि सर्च भी बहुत तेजी से बदल रहा है। मल्टीमॉडल सर्च, AI ओवरव्यूज, AI मोड और गूगल लेंस व सर्कल टू सर्च जैसे विज़ुअल टूल्स की मदद से अब सर्च सिर्फ जानकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि बुद्धिमत्ता बन चुका है। उन्होंने कहा, “हर पांच विज़ुअल सर्च में से एक का मकसद सीधा खरीदारी से जुड़ा होता है।”
AI पर बोलते हुए वालिया ने इस बात पर जोर दिया कि यह यूजर्स की यात्रा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, “AI ओवरव्यूज लोगों को आपकी वेबसाइट पर हाई-क्वालिटी ट्रैफिक में बदलने में मदद कर रहे हैं।”
वालिया ने AI-संचालित विज्ञापन समाधानों (AI powered ad solutions) का भी जिक्र किया, जैसे Performance Max और हाल ही में लॉन्च किया गया Commerce Media Networks (CMN), जिनके जरिए D2C ब्रैंड्स अपनी रीच और सेल्स को क्यू-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (Flipkart, Myntra, Blinkit, Zepto और Swiggy Instamart) पर बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “RENEÉ Cosmetics ने गूगल ऐड्स पर ब्लिंकिट के साथ कॉमर्स मीडिया नेटवर्क का इस्तेमाल किया और 11.5% बिक्री बढ़ोतरी तथा प्रति ग्राहक लागत में 48% की कमी हासिल की, क्योंकि यूजर्स को बिना किसी रुकावट सीधे खरीद तक ले जाया गया।”
इसके बाद वालिया ने यूट्यूब के बढ़ते प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि “76% दर्शकों का मानना है कि यूट्यूब पर मौजूद क्रिएटर्स अन्य किसी भी प्लेटफॉर्म की तुलना में अधिक भरोसेमंद हैं” और लोग “यूट्यूब पर 9 करोड़ घंटे से ज्यादा शॉपिंग कंटेंट देखते हैं।”
उन्होंने कहा कि शॉपेबल कनेक्टेड टीवी ऐड्स, शॉपेबल मास्टहेड्स और क्रिएटर्स के साथ पार्टनरशिप ऐड्स जैसे इनोवेशन, ब्रैंड्स के प्रभाव और लेनदेन दोनों को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
अंत में, वालिया ने मार्केटर्स से AI-चालित अभियानों को अपनाने का आह्वान किया और दोहराया कि गूगल और यूट्यूब वहीं हैं जहां खोज शुरू होती है और निर्णय लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि शॉपिंग यात्राओं में 87% तक गूगल और यूट्यूब दोनों शामिल रहते हैं, जहां उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्होंने किसी नए ब्रांड, उत्पाद या रिटेलर की खोज की। वहीं, GenZ के मामले में, 89% जेन जेड अपनी शॉपिंग यात्राओं में गूगल का इस्तेमाल कर रहे हैं- सर्च करने ने, ब्राउज करने, आइडिया पाने, रिसर्च करने और/या खरीदारी करने में।
उन्होंने अपने सत्र का समापन करते हुए D2C ब्रैंड्स को सलाह दी कि सिर्फ बेहतर विज्ञापन न चलाएं, बल्कि बेहतर बिजनेस चलाएं।
यह कदम वैश्विक AI इकोसिस्टम में भारत की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करता है- एक मार्केट के रूप में भी और संभावित इन्फ्रास्ट्रक्चर बेस के रूप में भी।
ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI ने भारतीय डेटा सेंटर कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ शुरुआती बातचीत शुरू की है ताकि अपने महत्वाकांक्षी 500 बिलियन डॉलर के Stargate प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से भारत में लाने की संभावनाएं तलाश सके। यह कदम वैश्विक AI इकोसिस्टम में भारत की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करता है- एक मार्केट के रूप में भी और संभावित इन्फ्रास्ट्रक्चर बेस के रूप में भी।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, OpenAI ने Sify Technologies, Yotta Data Services, E2E Networks और CtrlS Datacenters जैसी कंपनियों से बातचीत शुरू की है। बताया जाता है कि ये चर्चाएं ऊर्जा उपलब्धता, विस्तार क्षमता और स्थान की उपयुक्तता जैसे पहलुओं पर केंद्रित हैं- जो गीगावाट-स्तरीय डेटा सुविधाओं के लिए बेहद जरूरी हैं, जिनका इस्तेमाल अगली पीढ़ी के AI मॉडल्स को ट्रेन करने में किया जाएगा।
समानांतर रूप से, रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी छह महीने से अधिक समय से बातचीत जारी है, जो गुजरात के जामनगर में अपने नए ऊर्जा परिसर के साथ एक विशाल डेटा सेंटर बना रही है। इस प्रोजेक्ट का पैमाना OpenAI की हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे एक मजबूत दावेदार बनाता है।
Stargate, जिसे जनवरी 2024 में SoftBank, Microsoft, Oracle और अन्य टेक दिग्गजों के सहयोग से 500 बिलियन डॉलर की संयुक्त पहल के रूप में शुरू किया गया था, का लक्ष्य हाइपरस्केल डेटा सेंटर बनाना है। ये सेंटर एडवांस्ड चिप्स और सतत ऊर्जा से संचालित होंगे। सैकड़ों हजारों GPUs को सपोर्ट करने के लिए डिजाइन की गई ये सुविधाएं OpenAI की दीर्घकालिक कंप्यूटिंग क्षमता सुनिश्चित करेंगी।
भारत के लिए, Stargate का हिस्सा बनना न केवल डिजिटल संप्रभुता को मजबूत करेगा बल्कि अरबों डॉलर का निवेश आकर्षित करेगा और देश की वैश्विक AI हब बनने की दिशा में तेजी लाएगा। हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं- जैसे बिजली आपूर्ति की स्थिरता, चिप्स की उपलब्धता और कूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर।
उम्मीद है कि सैम ऑल्टमैन इस महीने के अंत में भारत का दौरा करेंगे और संभवतः OpenAI की प्रतिबद्धता के पैमाने पर और जानकारी साझा करेंगे। अगर यह योजना साकार होती है, तो यह भारत को सुपरकंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर सकती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को गूगल LLC की स्वामित्व वाली यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वे उस रिट याचिका पर अपना जवाब दाखिल करें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को गूगल LLC की स्वामित्व वाली यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वे उस रिट याचिका पर अपना जवाब दाखिल करें, जिसमें यूट्यूब के कंटेंट क्रिएटर्स के साथ किए गए मोनेटाइजेशन एग्रीमेंट्स की वैधता को चुनौती दी गई है।
माननीय न्यायमूर्ति कमल खता के समक्ष हुई सुनवाई में अदालत ने यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार दोनों को 8 सितंबर तक अपना एफिडेविट-इन-रिप्लाई दाखिल करने का आदेश दिया। रेजॉइंडर 22 सितंबर तक दाखिल किए जाने हैं। मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की गई है।
यह याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी और अधिवक्ता योगेश प्रताप सिंह ने दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्लेटफॉर्म के एग्रीमेंट भारतीय कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 की धारा 25 का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि इनमें कंटेंट क्रिएटर्स को प्रत्यक्ष वित्तीय प्रतिफल नहीं दिया जाता और इस कारण इन्हें भारतीय कानून के तहत पंजीकृत और स्टांप किया जाना अनिवार्य है।
विवाद के केंद्र में यूट्यूब का “राइट टू मोनेटाइज” क्लॉज है, जिसके तहत प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं द्वारा बनाए गए कंटेंट पर विज्ञापन चला सकता है, लेकिन तब तक विज्ञापन राजस्व साझा करने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि क्रिएटर यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YPP) का हिस्सा न हो। सिंह के अनुसार, यह बड़ी संख्या में क्रिएटर्स के लिए “शून्य-प्रतिफल व्यवस्था” बनाता है, जिससे गंभीर अनुपालन चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
एडवोकेट आदित्य प्रताप, फाउंडर–आदित्य प्रताप लॉ ऑफिसेज, जो इस मामले में वाई.पी. सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया, “यूट्यूब का कॉन्ट्रैक्ट प्लेटफॉर्म को मेरे मुवक्किल के कंटेंट को मोनेटाइज करने का पूरा अधिकार देता है, लेकिन उसे किसी भुगतान का हकदार नहीं बनाता।”
उन्होंने कहा, “चूंकि ऐसा कॉन्ट्रैक्ट वित्तीय प्रतिफल से रहित है, यह धारा 25 के तहत शून्य है, जब तक कि इसे विलेख (डीड) के रूप में निष्पादित कर विधिवत पंजीकृत न किया जाए और लागू स्टांप ड्यूटी का भुगतान न किया जाए। यूट्यूब यह करने में विफल रहा है।”
याचिका में स्टांप्स कलेक्टर और पंजीकरण के महानिरीक्षक पर भी यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ऐसे एग्रीमेंट्स पर अनिवार्य पंजीकरण और स्टांप ड्यूटी की वसूली लागू करने में लापरवाही बरती है। सिंह के वकील का तर्क है कि भले ही यूट्यूब के क्रिएटर कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या लाखों में हो, राज्य सरकार के पास पहले से ही एक ऑनलाइन मैकेनिज्म तैनात करने की तकनीकी क्षमता मौजूद है, जिससे पंजीकरण और अनुपालन को सहज बनाया जा सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले का परिणाम भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
एक वरिष्ठ टेक्नोलॉजी वकील ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, “यह देश की क्रिएटर इकॉनमी के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि अदालतें ऐसे एग्रीमेंट्स के लिए, जिनमें प्रत्यक्ष प्रतिफल नहीं है, पंजीकरण और स्टांप ड्यूटी को अनिवार्य कर देती हैं, तो यूट्यूब, मेटा और अन्य प्लेटफॉर्म्स को अपने कॉन्ट्रैक्चुअल फ्रेमवर्क की समीक्षा करनी होगी और संभवतः मोनेटाइजेशन मॉडल्स में बदलाव करना होगा।”
एक अन्य डिजिटल पॉलिसी शोधकर्ता ने जोड़ा, “यह मामला सिर्फ यूट्यूब का नहीं है- यह भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में प्लेटफॉर्म गवर्नेंस, क्रिएटर अधिकार और कर-प्रणालियों के विकास को नया रूप दे सकता है।”
फिलहाल खबर लिखे जाने तक गूगल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन इसका इंतजार है।
इस मामले को क्रिएटर इकॉनमी, कानूनी और टेक-पॉलिसी इकोसिस्टम से जुड़े हितधारक करीबी नजर से देख रहे हैं, क्योंकि इसमें देश में प्लेटफॉर्म और क्रिएटर्स के संबंधों को फिर से परिभाषित करने की क्षमता है।
गौरतलब है कि यूट्यूब ने वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर विज्ञापन से 35 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व अर्जित किया था, जो क्रिएटर्स और रेगुलेटर्स दोनों के लिए इस मुद्दे के महत्व को दर्शाता है।
टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है
टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है कि ऐसी किसी भी संभावना पर विचार नहीं किया जा रहा है। मीडिया से बातचीत में वैष्णव ने कहा, “किसी भी पक्ष से इस तरह का कोई प्रस्ताव बिल्कुल नहीं आया है।”
मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच संबंधों में नरमी की संभावना को लेकर चर्चा हो रही है, जिससे बाइटडांस के शॉर्ट-वीडियो प्लेटफॉर्म की वापसी की अटकलों को बल मिला। पिछले महीने टिकटॉक की वेबसाइट कुछ ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क, जिनमें एयरटेल और वोडाफोन शामिल थे, पर कुछ समय के लिए फिर से एक्सेस हो गई थी, जिससे अटकलें और तेज हुईं।
टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था भारत
टिकटॉक जून 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंधित किए गए शुरुआती 59 चीनी ऐप्स में से एक था। इसे एप्पल के ऐप स्टोर और गूगल प्ले से हटा दिया गया था और जनवरी 2021 में केंद्र सरकार ने इस प्रतिबंध को स्थायी कर दिया। उस समय भारत टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था, जहां इसके 200 मिलियन से अधिक यूजर्स थे।
सरकार के 2020 के आदेश में बाइटडांस के अन्य ऐप्स जैसे हेलो और कैपकट को भी निलंबित कर दिया गया था, जबकि कंपनी ने आखिरकार जनवरी 2024 में ऐप स्टोर्स से हटाए जाने के बाद अपना म्यूजिक ऐप रेसो भी भारत में बंद कर दिया।
जब वैष्णव से पूछा गया कि क्या चीनी निवेशक भारतीय टेक सेक्टर में दोबारा प्रवेश कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “जैसा होगा देखा जाएगा। नीतियां सभी के साथ स्पष्ट रूप से साझा की जाएंगी। हम एक बहुत ही पारदर्शी देश हैं।”
2020 तक टेनसेंट, अलीबाबा, एंट फाइनेंशियल और शुनवेई कैपिटल जैसे चीनी दिग्गज भारतीय स्टार्टअप्स के सबसे बड़े निवेशकों में शामिल थे। ये निवेशक ई-कॉमर्स, फिनटेक, फूड डिलीवरी, मोबिलिटी और एडटेक जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को सहयोग देते थे। लेकिन अप्रैल 2020 में जारी प्रेस नोट 3 ने भारत की जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश के लिए पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी। इस नीति के कारण चीनी पूंजी का प्रवाह काफी धीमा हो गया और भारतीय स्टार्टअप्स को वैकल्पिक फंडिंग तलाशनी पड़ी या निकास की सुविधा देनी पड़ी।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में मिलकर काम कर सकते हैं, वैष्णव ने वैश्विक वैल्यू चेन की प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम वैश्विक वैल्यू चेन की इस वास्तविकता का सम्मान करते हैं और इस उद्योग के काम करने के तरीके का सम्मान करते हैं। इसलिए जहां कहीं भी मूल्य जुड़ता है, अंततः लाभ हमारे लोगों और हमारी इंडस्ट्री तक पहुंचना चाहिए।”
भारत और चीन की कई कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग में संयुक्त उद्यम, तकनीकी सहयोग और स्केल दक्षताओं को लेकर बातचीत कर रही हैं, ऐसे समय में जब ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिकी टैरिफ ने वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित किया है।