मीडिया में सरकारी विज्ञापन खर्च को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े, पढ़ें ये रिपोर्ट

आठ दिसंबर 2017 को तत्कालीन डीएवीपी, फील्ड प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत और नाटक प्रभाग (एसएंडडीडी) को एकीकृत करके ‘BOC’ का गठन किया गया था।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Friday, 11 February, 2022
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Friday, 11 February, 2022
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के तहत आने वाले ‘ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन’ (पूर्व में ‘विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय) ने वर्ष 2021-22 में 10 फरवरी तक प्रिंट, टीवी और रेडियो प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों पर 118.48 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में ‘BOC’ ने 5,608 पब्लिकेशंस पर 96.39 करोड़ रुपये, 168 टीवी चैनल्स पर 8.13 करोड़ रुपये और 368 रेडियो स्टेशनों पर 13.96 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

तुलनात्मक रूप से देखें तो 2020-21 में तीन माध्यमों पर ‘BOC’ द्वारा कुल सरकारी विज्ञापन 329.38 करोड़ रुपये था। इसमें 5,211 पब्लिकेशंस पर 197.49 करोड़ रुपये, 317 टीवी चैनल्स पर 69.81 करोड़ रुपये और 378 रेडियो स्टेशनों पर 62.08 करोड़ रुपये शामिल हैं।

वहीं, वर्ष 2019-20 में विज्ञापनों पर कुल 452.03 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें 5,326 पब्लिकेशंस पर 295.05 करोड़ रुपये, 270 टीवी चैनल्स पर 98.69 करोड़ रुपये और 350 रेडियो स्टेशनों पर 58.29 करोड़ रुपये खर्च किए गए। दिलचस्प बात यह है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ‘BOC’ ने विज्ञापनों पर 772.77 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें 5,631 पब्लिकेशंस पर 429.55 करोड़ रुपये, 298 टीवी चैनल्स पर 149.96 करोड़ रुपये और 325 रेडियो स्टेशनों पर 193.26 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

2017-18 में सरकार का कुल विज्ञापन खर्च 922.12 करोड़ रुपये था। इसमें 6,782 पब्लिकेशंस पर 636.09 करोड़ रुपये, 265 टीवी चैनल्स पर 153.02 करोड़ रुपये और 273 रेडियो स्टेशनों पर 133.01 करोड़ रुपये शामिल हैं।

ऐसे में पिछले पांच वर्षों में बीओसी ने पब्लिकेशंस पर 1654.57 करोड़ रुपये, टीवी चैनल्स पर 479.61 करोड़ रुपये और रेडियो पर 460.6 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कुल मिलाकर वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक विज्ञापनों पर बीओसी द्वारा 2,594.78 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। गौरतलब है कि ‘BOC’ 2017-18 से अब तक सोशल मीडिया पर विज्ञापनों के लिए 7.20 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।

बता दें कि आठ दिसंबर 2017 को तत्कालीन डीएवीपी, फील्ड प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत और नाटक प्रभाग (एसएंडडीडी) को एकीकृत करके ‘BOC’ का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कम्युनिकेशन को लेकर सभी तरह की मदद करना है। यह मीडिया स्ट्रैटेजी पर सरकार के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।

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IN10 मीडिया नेटवर्क ने ऐड सेल्स को मैनेज करने के लिए इस कंपनी को किया हायर

IN10 मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ऐड सेल्स को मैनेज करने के लिए एक बाहरी एजेंसी को हायर किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 22 November, 2023
Last Modified:
Wednesday, 22 November, 2023
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IN10 मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ऐड सेल्स को मैनेज करने के लिए एक बाहरी एजेंसी को हायर किया है। हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को इंडस्ट्री के उच्च पदस्थ सूत्रों से यह जानकारी मिली है। सूत्रों के मुताबिक, मीडिया कंपनी ने अपने हिंदी जरनल एंटरटेनमेंट चैनल 'नज़ारा' (Nazara) और 'इशारा' (Ishara) के ऐड सेल्स को सेनेट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को आउटसोर्स किया है।   

'एक्सचेंज4मीडिया' ने इस खबर पर कमेंट के लिए IN10 मीडिया नेटवर्क और सेनेट मीडिया से संपर्क किया, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

सेनेट मीडिया एक स्वतंत्र रूप से मीडिया नॉलेज प्रोसेस यूनिट, कंसल्टिंग हाउस, डिस्ट्रीब्यूशन एडवाइजरीज, रेवेन्यू प्रोसेस बिल्डिंग सेल्स और मार्केटिंग कंपनी है। एजेंसी की मुख्य जिम्मेदारी, जैसा कि इसकी वेबसाइट पर बताया गया है, डिजिटल मार्केटिंग, क्रिएटिव प्रॉडक्शंस और फाइनेंसर्स के लिए स्टोरी लाइन के अतिरिक्त, प्लेटफॉर्म पर ऐड सेल्स है।

 इस खबर से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि IN10 ने केवल कंसल्टिंग और एडवाइजिंग के उद्देश्य से एजेंसी को अपने साथ जोड़ा है।

IN10 मीडिया नेटवर्क के विभिन्न जॉनर्स में कई चैनल हैं, जिनमें 'एपिक' (इन्फोटेनमेंट चैनल), 'शोबॉक्स' (म्यूजिक चैनल), 'फिल्मची भोजपुरी' (भोजपुरी मूवी चैनल), 'गुब्बारे' (किड्स चैनल) और दो जनरल एंटरटेनमेंट चैनल 'इशारा' और 'नज़रा' शामिल हैं।

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भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ‘पतंजलि आयुर्वेद’ को फटकारा, दी ये चेतावनी

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि वह भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए।

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Published - Wednesday, 22 November, 2023
Last Modified:
Wednesday, 22 November, 2023
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भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की ‘पतंजलि आयुर्वेद’ को कड़ी फटकार लगाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने चेतावनी देते हुए ‘पतंजलि आयुर्वेद’ से कहा है कि वह आधुनिक दवाओं और टीकों के खिलाफ कोई गलत दावा न करे।

‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि यदि पतंजलि द्वारा यह गलत दावा किया गया कि उसके प्रॉडक्ट कुछ बीमारियों को ठीक कर सकते हैं, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट नहीं दिए जाएं। इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस न बनाने की हिदायत भी दी गई।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि वह भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए। दरअसल, अपनी याचिका में ‘आईएमए’ का कहना था कि पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए हैं, जो एलोपैथी को नीचा दिखाते हैं।  साथ ही इनमें कुछ बीमारियों के इलाज को लेकर झूठे दावे किए गए हैं।

‘आईएमए’ द्वारा दायर याचिका के अनुसार, पतंजलि ने पिछले साल जुलाई में एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें कहा गया था, ‘एलोपैथी को लेकर फार्मा और मेडिकल इंडस्ट्री द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों से खुद को और देश को बचाएं। अब इस मामले में पांच फरवरी 2024 को अगली सुनवाई होगी।

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एलन मस्क को इस तरह की पोस्ट करना पड़ा भारी, एपल-डिज्नी ने X पर रोके विज्ञापन

एपल, डिज्नी और आईबीएम जैसी कंपनियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (X) पर विज्ञापन रोक दिए हैं।

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Published - Saturday, 18 November, 2023
Last Modified:
Saturday, 18 November, 2023
Elon Musk

एपल, डिज्नी और आईबीएम जैसी कंपनियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (X) पर विज्ञापन रोक दिए हैं। इन कंपनियों ने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि X के मालिक एलन मस्क ने हाल ही में यहूदी समुदायों पर गोरे लोगों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट पर सहमति जताई थी।

दरअसल, मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष और विश्व स्तर पर यहूदी विरोधी भावना के बढ़ते उदाहरणों के बीच एलन मस्क की पोस्ट यहूदी समुदायों पर खराब रोशनी डालती प्रतीत हुई है, जोकि अब वायरल हो गई है। 

एलन मस्क ने उस पोस्ट पर अपनी सहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि यहूदी लोग श्वेत लोगों के प्रति "द्वंद्वात्मक घृणा" रखते हैं। इस पर मस्क ने जवाब दिया, 'आपने बिल्कुल सच कहा है।' एलन मस्क के इसी जवाब पर अब विवाद खड़ा हो गया है। लिहाजा एपल और डिज्नी ने एक्स पर अपने विज्ञापन रोक दिए हैं।

इसके अलावा व्हाइट हाउस ने भी एलन मस्क को चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस ने मस्क के जवाब को "अस्वीकार्य" कृत्य बताया और कहा कि उनका जवाब यहूदी समुदायों को खतरे में डालता है।

वहीं, प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले 163 यहूदी नेताओं, एक्टिविस्ट और शिक्षाविदों के एक गठबंधन ने भी मस्क के हालिया व्यवहार के जवाब में इस हफ्ते एक बयान जारी किया था, जिसमें डिज्नी, एपल और एमेजॉन जैसी कंपनियों से अपने विज्ञापन खर्च के माध्यम से एक्स को फंडिंग बंद करने का आह्वान किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी, पैरामाउंट ग्लोबल और लायंस गेट एंटरटेनमेंट कंपनी भी X पर अपने विज्ञापन को रोकने का फैसला किया है। कंपनी के प्रवक्ताओं ने इसकी पुष्टि की है। इसके अलावा कॉमकास्ट के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह वह रीयल-टाइम मैसेजिंग सर्विस पर अपने ऑनलाइन ऐडवर्टाइजिंग कैंपन को रोक रही है।

वहीं, IBM के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी एक्स पर अपने ऑनलाइन ऐडवर्टाइजिंग कैंपेन तुरंत रोक दी है। IBM में हेट स्पीच और भेदभाव के लिए शून्य सहिष्णुता है।

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‘ग्रीनवॉशिंग’ पर लगाम लगाने के लिए ASCI ने दिशानिर्देशों का प्रस्ताव किया जारी

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने कंपनियों द्वारा खुद को भ्रामक रूप से पर्यावरण अनुकूल दिखाने यानी ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिए गुरुवार को विभिन्न दिशानिर्देशों का प्रस्ताव रखा।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Friday, 17 November, 2023
Last Modified:
Friday, 17 November, 2023
ASCI

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने कंपनियों द्वारा खुद को भ्रामक रूप से पर्यावरण अनुकूल दिखाने यानी ग्रीनवॉशिंग से बचने के लिए गुरुवार को विभिन्न दिशानिर्देशों का प्रस्ताव रखा।

ASCI इस संबंध में नौ-सूत्रीय मसौदा लेकर आई है। ASCI ने एक बयान में कहा कि इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य ग्रीनवॉशिंग की जांच करना है।

बता दें कि ग्रीनवॉशिंग विज्ञापन या मार्केटिंग का एक ऐसा रूप है जिसमें लोगों को भ्रामक रूप से यह समझाने की कोशिश की जाती है कि किसी संगठन के उत्पाद, उद्देश्य और नीतियां पर्यावरण के अनुकूल हैं।

ASCI की सीईओ व सेक्रेट्री-जनरल मनीषा कपूर ने बयान में कहा कि ग्रीनवॉशिंग पर रोक लगाने संबंधी दिशानिर्देशों का उद्देश्य उपभोक्ता हित में विज्ञापन में पारदर्शिता और प्रामाणिकता की संस्कृति को बढ़ावा देना और उन्हें जानकारी-परक निर्णय लेने में मदद करना है।

इसमें कहा गया है कि पर्यावरण संबंधी दावे विज्ञापनों, विपणन सामग्री, ब्रैंडिंग (व्यवसाय और व्यापारिक नामों सहित), पैकेजिंग पर या उपभोक्ताओं को प्रदान की गई अन्य जानकारी में दिखाई दे सकते हैं।

प्रस्तावित दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगर किसी उत्पाद को लेकर यह दावा किया जा रहा हो कि उसका कोई पर्यावरणीय प्रभाव नहीं है या सिर्फ सकारात्मक प्रभाव है तो उस दावे के समर्थन में उच्च-स्तरीय पुष्टि की जरूरत होगी।

कपूर ने कहा कि इस मसौदे पर 31 दिसंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।

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वॉट्सऐप स्टेटस व चैनल पर जल्द दिखाई दे सकते हैं विज्ञापन

वॉट्सऐप भी इंस्टाग्राम स्टोरीज जैसे स्टेटस फीचर की तरह अपने प्लेटफॉर्म पर ऐड की सुविधा शुरू कर सकती है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 09 November, 2023
Last Modified:
Thursday, 09 November, 2023
Whatsapp

वॉट्सऐप भी इंस्टाग्राम स्टोरीज जैसे स्टेटस फीचर की तरह अपने प्लेटफॉर्म पर ऐड की सुविधा शुरू कर सकती है। वॉट्सऐप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैथकार्ट ने कहा कि ऐड वॉट्सऐप पर बनाए गए नए चैनल के फीचर और स्टेटस मैसेज पर दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, यह सुविधा कब शुरू होगी इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। 

कथित तौर पर कैथकार्ट ने ब्राजीलियन मीडिया को बताया कि वॉट्सऐप के इनबॉक्स में या मैसेजिंग एक्सपीरियंस में विज्ञापन नहीं होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि चैनल लोगों से सब्सक्रिप्शन चार्ज ले सकते हैं और एडमिन अपने चैनल के भीतर विज्ञापनों को बढ़ावा दे सकते हैं।

बता दें कि वॉट्सऐप ने ऐप में विज्ञापन देने के तरीकों पर 2018 में शुरुआत की थी। 

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पॉलिटिकल ऐडवर्टाइजर्स को जेनरेटिव AI फीचर्स का उपयोग करने से रोकेगी Meta

फेसबुक की स्वामित्व वाली टेक कंपनी मेटा (Meta) पॉलिटिकल कैंपेन और ऐडवर्टाइजर्स को अपने जेनरेटिव AI फीचर्स का उपयोग करने से रोकेगी

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Published - Tuesday, 07 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 07 November, 2023
Meta

फेसबुक की स्वामित्व वाली टेक कंपनी मेटा (Meta) पॉलिटिकल कैंपेन और ऐडवर्टाइजर्स को अपने जेनरेटिव AI फीचर्स का उपयोग करने से रोकेगी। यह कदम चुनाव के दौरान गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया है।

मेटा के विज्ञापन मानक ऐसी सामग्री वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाते हैं जिन्हें कंपनी के तथ्य-जांच भागीदारों द्वारा चिह्नित किया गया है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट (AI) पर विशेष रूप से कोई नियम नहीं है।

मेटा ने कहा कि जैसा कि हम ऐड्स मैनेजर में नए जेनरेटिव एआई ऐड्स क्रिएशन टूल्स का लगातार टेस्ट कर रहे हैं, तो वहीं ऐटवर्टाइजर्स ऐसे कैंपेन्स चला रहे हैं, जो हाउसिंग, एम्प्लॉयमेंट या क्रेडिट या सामाजिक मुद्दें, चुनाव या राजनीति, या स्वास्थ्य, फार्मास्युटिकल्स या फाइनेंशियल सर्विसेज से संबंधित ऐड्स हैं और इन्हें वर्तमान में जेनरेटिव एआई फीचर्स का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। 

उन्होंने आगे कहा कि हमारा मानना है कि यह दृष्टिकोण हमें संभावित जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने और विनियमित उद्योगों में संभावित संवेदनशील विषयों से संबंधित विज्ञापनों में जेनरेटिव एआई के उपयोग के लिए सही सुरक्षा उपाय बनाने की अनुमति देगा। 

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Zee मीडिया में यूनिफाइड सेल्स डिविजन का नेतृत्व करेंगी मोना जैन

जी मीडिया (Zee Media) ने एक यूनिफाइड सेल्स डिविजन बनाने की घोषणा की है, जिसमें डिजिटल (डायरेक्ट रेवेन्यू) और लीनियर सेल्स फंक्शन को एकीकृत करने का निर्णय लिया गया है।

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Published - Thursday, 02 November, 2023
Last Modified:
Thursday, 02 November, 2023
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जी मीडिया (Zee Media) ने एक यूनिफाइड सेल्स डिविजन बनाने की घोषणा की है, जिसमें डिजिटल (डायरेक्ट रेवेन्यू) और लीनियर सेल्स फंक्शन को एकीकृत करने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि इस डिविजन का नेतृत्व सीनियर लीडर्स मोना जैन करेंगी।

इस रणनीतिक समेकन का उद्देश्य क्लाइंट्स की विविध आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण बनाना है और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए सेल्स डिविजन को बढ़ावा देकर तालमेल बनाना है, जिसके परिणाम से बेहतर कवरेज होगी, मजबूत सहयोग बनेगा और ग्राहक को संतुष्टि प्रदान की जा सकेगी।

अपनी नई भूमिका को लेकर मोना जैन ने कहा कि मैं इस यूनिफाइड सेल्स डिविजन का नेतृत्व करने के लिए वास्तव में सम्मानित मससूस कर रही हूं, लिहाजा उत्साहित हूं। हमारा मिशन अपने क्लाइंट्स को बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए दोनों सर्वश्रेष्ठ डिपार्टमेंट- डिजिटल और लीनियर सेल्स को एक साथ लाना है। अपनी एकजुट टीम और अटूट प्रतिबद्धता के साथ, हम ऐडवर्टाइजिंग में उत्कृष्टता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार हैं।

यूनिफाइड सेल्स डिविजन डिजिटल और टेलीविजन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर फैली इनोवेटिव ऐडवर्टाइजिंग स्ट्रैटजीस की पेशकश करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए ट्रेनिंग सेशन और वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी, ताकि टीम के सदस्यों के पास अपनी भूमिकाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन हों।

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जानिए, पॉलिटिकल कैंपेंस के लिए Meta क्यों बनती जा रही पहली पसंद

नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बीच पॉलिटिकल पार्टियां अपना प्रचार प्रसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं, विशेषकर डिजिटल माध्यमों पर।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 25 October, 2023
Last Modified:
Wednesday, 25 October, 2023
Meta

तंजिला शेख, कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।

नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं। इस बीच पॉलिटिकल पार्टियां अपना प्रचार प्रसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं, विशेषकर डिजिटल माध्यमों पर। शोध से पता चला है कि मेटा ने खुद को इन पार्टियों के लिए एक साथ कई कैंपेन चलाने और लाखों लोगों तक पहुंच बनाने के लिए एक खुद को तैयार किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मेटा पर एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते देखा जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस ने भी मेटा पर अब ज्यादा निवेश किया है।

पॉलिटिकल कैंपेन के लिए एक मंच के तौर पर मेटा पर अंतर्दृष्टि साझा करते हुए ग्रेप्स की को-फाउंडर और सीईओ श्रद्धा अग्रवाल कहती हैं कि पॉलिटिकल पार्टियों द्वारा मेटा, या सामान्य रूप से डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता देना, पारंपरिक माध्यमों को खारिज करना नहीं है, बल्कि विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य और ऑनलाइन जुड़ाव के बढ़ते महत्व के लिए एक यह रणनीतिक कदम है।

नंबर का खेल

डेटा हमें बताते हैं कि 5,17,32,025 रुपये के साथ मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा निवेश किया किया जाने वाला राज्य है, इसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना हैं। जहां भाजपा ने लगभग 6 करोड़ रुपये का निवेश किया है, वहीं कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के लिए सबसे अधिक निवेश वाले कैपेंस पर अब तक 2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

बीजेपी के कैंपेन में छत्तीसगढ़िया चौपाल, करप्शनाथ, एमपी के मन में मोदी और नहीं सहेगा राजस्थान शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक की दर्शक संख्या प्रति दिन 1 मिलियन तक है। पार्टी जनसंपर्क एमपी (Jansampark MP) में भी काफी निवेश कर रही है।

कांग्रेस के जिन कैंपेंस ने हमारा ध्यान खींचा, उनमें काका अभी जिंदा है और भूपेश है तो भरोसा है शामिल हैं।

मेटा क्यों? 

एक्सचेंज4मीडिया ने LS डिजिटल में क्रिएटिव, सोशल मीडिया और डिजाइन के सीसीओ और सीनियर वाइस प्रेजिडेंट मनेश स्वामी से पूछा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में मेटा पॉलिटिकल कैंपेंस के लिए पसंदीदा क्यों है। “इस समय सबसे प्रासंगिक मंच कौन सा है? जवाब में उन्होंने कहा कि मेटा के प्रॉडक्ट्स हैं। पहले इंस्टाग्राम  और फिर इसके बाद फेसबुक। अधिकतम दर्शक अभी भी फेसबुक पर सक्रिय हैं, और यह एक 'विशाल' मंच है।

यदि आप देखें, तो यह मंच बातचीत और बहस को लेकर अधिक है। मुझे नहीं पता कि यह किसी भी बड़े ब्रैंडिंग कम्युनिकेशन के लिए अभी भी कैसे प्रासंगिक है। मैंने हाल के दिनों में वहां से कोई बड़ा ब्रैंडिंग कम्युनिकेशन निकलते नहीं देखा है। इक्विटी कम होती जा रही है और जो ब्रैंड बढ़ रहे हैं, वे इस पर विचार भी नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, मेटा अपने नए टूल और ऐड मैनेजर्स के साथ लगातार कुछ नया कर रहा है, यह एक मीडिया-अनुकूल मंच है। 

रीच को लेकर अपने विचार साझा करते हुए स्वामी ने कहा कि मेटा के साथ मैं हाइपरलोकल जा सकता हूं, यहां तक कि बीटा टेस्टिंग भी चल रही है। इसीलिए प्रमुख पॉलिटिकल ब्रैंड वहां जाना पसंद कर रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म की डेटा पारदर्शिता भी बहुत दिलचस्प है। मैं डेमोग्राफिक्स आधार पर बहुत ही विशिष्ट दर्शकों को टार्गेट कर सकता हूं।  

इसी तरह से श्रद्धा अग्रवाल ने भी कहा कि इंटरनेट की रीच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और सोशल मीडिया के उपयोग का भी इस्तेमाल बढ़ा है। मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पॉलिटिकल पॉर्टियों के लिए अपने संदेश फैलाने और वोटर्स बेस के आधार पर विशेषकर युवा पीढ़ी के वोटर्स के साथ जुड़े रहने के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरे हैं। जैसे-जैसे अधिकांश लोग न्यूज, इनफॉर्मेशन और एंटरटेनमेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर रहे हैं, वैसे-वैसे पॉलिटिकल पार्टीज भी अपनी आउटरीच स्ट्रैटजी को स्वीकार करने की जरूरतों को पहचान रही हैं।  

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‘IAA’ के इंडिया चैप्टर की नई मैनेजिंग कमेटी गठित, सदस्यों में शामिल हैं ये नाम

‘एबीपी नेटवर्क’ के सीईओ और दूसरी बार ‘IAA’ के इंडिया चैप्टर के प्रेजिडेंट चुने गए अविनाश पांडेय की अध्यक्षता में गठित मैनेजिंग कमेटी की पहली बैठक के दौरान सदस्यों के नामों पर लिया गया फैसला

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 17 October, 2023
Last Modified:
Tuesday, 17 October, 2023
IAA

‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपनी प्रबंध समिति (मैनेजिंग कमेटी) के सदस्यों की घोषणा की है।

‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ और दूसरी बार ‘IAA’ के इंडिया चैप्टर के प्रेजिडेंट चुने गए अविनाश पांडेय की अध्यक्षता में गठित मैनेजिंग कमेटी की पहली बैठक के दौरान इन सदस्यों के नामों पर फैसला लिया गया।

इस मौके पर अविनाश पांडेय का कहना था, ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन के इंडिया चैप्टर में विज्ञापन एजेंसियों, मीडिया, मीडियाटेक और एडवर्टाजर्स जैसे इंडस्ट्री जगत के तमाम दिग्गज शामिल हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे दिग्गजों का सपोर्ट प्राप्त है। IAA इंडिया अच्छे सामाजिक बदलावों के लिए नई पहल लेकर आएगा।’

वहीं, ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ के इंडिया चैप्टर के वाइस प्रेजिडेंट अभिषेक करनानी का कहना है, ‘मुझे इंडस्ट्री लीडर्स की एक विविधतापूर्ण टीम का हिस्सा बनकर बहुत खुशी हो रही है, जो आने वाले वर्ष में इंडिया चैप्टर का नेतृत्व करेंगे। हम जिस भी क्षेत्र से जुड़े हैं उसमें उत्कृष्टता के ईकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर की मैनेजिंग कमेटी में शामिल नाम इस प्रकार हैं। 

Rahul Johri, President -Business South Asia, Zee Entertainment Enterprises Ltd.

Neeraj Roy, Founder, Hungama Digital Media Entertainment Pvt. Ltd.

Pradeep Dwivedi, Group CEO, EROS Media World PLC

Kranti Gada, Founder, neOwn

Nina Elavia Jaipuria , Head - Hindi Mass Entertainment & Kids TV Network, Viacom18 Media Pvt. Ltd.

I Venkat, Director, EENADU

Ramesh Narayan, Founder, Canco Advertising Pvt. Ltd.

Neena Dasgupta, CEO & Founder, The Salt Inc Consulting & CEO, Aidem Ventures

Rana Barua, Chief Executive Officer, Havas Group India

Partha Sinha, President , The Times of India Group

Dr. Bhaskar Das, Chairperson, IdeateLabs,

Mitrajit Bhattacharya, Founder & President, The Horologists

Sam Balsara, Chairman & Managing Director, Madison Communications Pvt. Ltd.

Alok Jalan, Managing Director, Laqshya Media Group

Rajeev Beotra, Executive Director, HT Media Ltd

Rani Reddy, Director, Indira Television Ltd.

Monica Nayyar Patnaik, Managing Director, Sambad Group

Neha Barjatya, Marketing Director for Platforms and Devices, Google India

P N Mahadevan, Corporate Advisor, Netcon Technologies

Arun Srinivas, Head - Ads Business, Meta India

Gauravjeet Singh, Head- Agency Business, Meta India

Ashok Venkatramani, Founder, Intelligent Insights Pvt Ltd

Rajiv Dubey, Head of Media, Dabur India

Jai Krishnan, CEO, Samsonite

Kunal Lalani, MD, Crayons Advertising. Ltd.

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सोशल मीडिया न्यूज चैनल्स को अब मिलेंगे सरकारी विज्ञापन, हरियाणा सरकार ने नीति को दी मंजूरी

हरियाणा मंत्रिमंडल ने सरकार की विकासात्मक नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया न्यूज चैनल व सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ के लिए विज्ञापन नीति को मंजूरी दे दी

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 12 October, 2023
Last Modified:
Thursday, 12 October, 2023
Social Media

हरियाणा मंत्रिमंडल ने सरकार की विकासात्मक नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया न्यूज चैनल और सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ के लिए विज्ञापन नीति को बुधवार को मंजूरी दे दी।

आधिकारिक बयान में कहा गया कि हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को मंजूरी देने का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

बता दें कि वर्ष 2007 और 2020 की मौजूदा विज्ञापन नीतियां प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइट तक ही सीमित थीं।

बयान में कहा गया कि सोशल मीडिया न्यूज चैनल और सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ को शामिल करने का फैसला ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया मंचों की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

नई नीति के तहत सोशल मीडिया न्यूज चैनल को उनके फॉलोअर्स और सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की संख्या को ध्यान में रखते हुए पैनल में शामिल करने के लिए 5 कैटेगरीज बनाई गई हैं। इन कैटेगरीज के अनुसार सोशल मीडिया न्यूज चैनल्स को सूचीबद्ध किया जाएगा।

विज्ञापन देने के बाद सोशल मीडिया न्यूज चैनल्स को विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक विज्ञापन रखना होगा, लेकिन अगर वह सोशल मीडिया चैनल प्रायोजित सोशल मीडिया कंटेंट को 5 प्रतिशत सब्स्क्राइबर्स तक नहीं पहुंचा पाएगा, तो विज्ञापनों दरों में कटौती कर दी जाएगी। इसके अलावा योजित कंटेंट सरकारी योजनाओं, सेवाओं, उपलब्धियों और अन्य नीतिगत पहलुओं पर आधारित होगी।

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