फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।
फ्लिपकार्ट इंटरनेट (Flipkart Internet) ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है। बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म 'टॉफलर' (Tofler) की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने इस वित्त वर्ष में कुल 17,907.3 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो सालाना आधार पर लगभग 21% की वृद्धि है। इसके साथ ही, कंपनी का घाटा 41% घटकर 2,358 करोड़ रुपये पर आ गया।
यह लगातार दूसरा साल है जब फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 20% से अधिक वृद्धि दर्ज की है और घाटे में कमी आई है। वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने इस साल मार्केटप्लेस फीस से 3,734 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले वर्ष के 3,713.2 करोड़ रुपये से अधिक है। कलेक्शन सेवाओं से आय बढ़कर 1,225.8 करोड़ रुपये हो गई, जो पहले 1,114.3 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन से हुई आय ने विभिन्न मार्केट फीस को भी पीछे छोड़ दिया है।
फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करने के लक्ष्य के साथ, कंपनी की आय बढ़ी है और घाटा घटा है। संगठनात्मक पुनर्गठन के कारण कंपनी के संचालन खर्च भी कम हुए हैं, जो इसके मुनाफे में योगदान दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट का बाजार खंड मुख्य रूप से विक्रेताओं से कमीशन, विज्ञापन और अन्य सेवाओं की फीस से कमाई करता है।
भारत की प्रमुख विज्ञापन एजेंसी Madison World की हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा अब अंतिम दौर में पहुंच गई है।
भारत की प्रमुख विज्ञापन एजेंसी Madison World की हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा अब अंतिम दौर में पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक, पेरिस स्थित एक ग्लोबल कम्युनिकेशन नेटवर्क की भारतीय शाखा Madison में करीब 70% हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत के आखिरी दौर में है। यह सौदा एजेंसी को करीब 1000 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन पर किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि Madison को खरीदने की दौड़ में दो फ्रेंच होल्डिंग कंपनियों की भारतीय इकाइयां शामिल हैं और इनमें से एक एजेंसी फिलहाल इस रेस में आगे चल रही है। इस डील की शर्तें और टाइमलाइन को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है, क्योंकि Madison के वर्षों पुराने क्लाइंट बेस और स्वतंत्र संचालन मॉडल को रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
यदि ये सौदा फाइनल होता है, तो यह भारत की स्वतंत्र विज्ञापन एजेंसियों के इतिहास में सबसे चर्चित अधिग्रहणों में से एक होगा।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विज्ञापन जगत में बड़े नेटवर्क समूहों द्वारा छोटी एजेंसियों के अधिग्रहण और मर्जर की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल क्षमताओं को मजबूत करना और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना है।
उदाहरण के लिए, 2023 में Havas Group ने PR Pundit का अधिग्रहण किया था, वहीं 2025 की शुरुआत में Liqvd Asia ने AdLift को 50 करोड़ रुपये में खरीदा था। 2023 में Pressman Advertising का Signpost India के साथ मर्ज भी इसी दिशा में बड़ा कदम था। इसके अलावा, 2024 में घोषित Omnicom और Interpublic Group के बीच 13.25 अरब डॉलर का संभावित विलय दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनी बनाने की तैयारी है।
1988 में सैम बलसारा द्वारा स्थापित Madison World ने मीडिया, क्रिएटिव, PR और डिजिटल जैसी सेवाओं में गहरी पकड़ बनाई है। इसके विभिन्न यूनिट्स मीडिया प्लानिंग से लेकर आउटडोर, मोबाइल, स्पोर्ट्स और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग तक में काम करते हैं। सैम बलसारा के साथ लारा बलसारा वाजिफदार (एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर) और विक्रम सक्सेना (ग्रुप CEO, Madison Media & OOH) कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में हैं।
सूत्रों के अनुसार, जो भी कंपनी Madison को खरीदेगी, वह न सिर्फ उसके प्रमुख क्लाइंट्स और सेवाओं तक पहुंच बनाएगी, बल्कि सैम बलसारा और विक्रम सक्सेना जैसे अनुभवी नेताओं का मार्गदर्शन भी पाएगी—जो भारत के विज्ञापन इंडस्ट्री की जमीनी समझ रखते हैं।
2024 Madison के लिए मिला-जुला साल रहा। जहां एक तरफ एजेंसी को गॉडरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का 700 करोड़ का खाता गंवाना पड़ा, वहीं दूसरी ओर Parag Milk Foods और NIC Ice Cream जैसे ब्रांडों को बरकरार रखने में सफलता मिली। साथ ही, भाजपा के साथ 2014 से चल रही साझेदारी के तहत 2024 के लोकसभा चुनावों की मीडिया प्लानिंग भी Madison ने ही की।
2025 में Samsonite India का मीडिया अकाउंट Madison Media Infinity को मिला, जिसमें टीवी, प्रिंट, सिनेमा, आउटडोर और डिजिटल शामिल हैं। हाल ही में National Payments Corporation of India (NPCI) ने भी Madison को अपनी मीडिया योजनाओं के लिए चुना है।
यह पहला मौका नहीं है जब Madison हिस्सेदारी बेचने की चर्चा में है। 2015 में भी WPP और Dentsu Aegis Media के साथ बातचीत हुई थी, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर सहमति न बनने पर डील रद्द हो गई थी। उस वक्त एजेंसी का मूल्यांकन 250-300 करोड़ रुपये के बीच था।
अब जब Madison का मूल्यांकन 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, तो देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार डील वाकई पूरी होती है या फिर इतिहास खुद को दोहराता है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार को दिए गए विज्ञापनों को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार को दिए गए विज्ञापनों को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष में बैठी भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए सुक्खू सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार ने इस अखबार को बिना किसी ठोस आधार के करोड़ों रुपये के विज्ञापन दिए, जबकि राज्य के लोगों ने शायद ही इस अखबार का नाम सुना हो।
भाजपा के आरोपों पर पलटवार में सुक्खू सरकार का जवाब
मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने भाजपा पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा खुद अपने कार्यकाल में आरएसएस और उससे जुड़ी संस्थाओं को करोड़ों रुपये के विज्ञापन दे चुकी है। उन्होंने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शासन में ऐसे पत्र-पत्रिकाओं को भी विज्ञापन दिए गए जिनका कोई ठिकाना नहीं था।
नरेश चौहान ने मीडिया के सामने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके मुताबिक:
ऑर्गनाइजर/पांचजन्य मंथली – ₹1.10 करोड़
भारत प्रकाशन, दिल्ली – ₹20.20 लाख
मातृ वंदना मंथली – ₹20.17 लाख
एबीवीपी शिमला मंथली – ₹17.64 लाख
विद्यार्थी निधि ट्रस्ट, मुंबई – ₹12.74 लाख
छात्र उद्घोष – ₹7.74 लाख
दीप कमल संदेश – ₹4.60 लाख
तरुण भारत मंथली, नागपुर – ₹31.93 लाख
नेशनल हेराल्ड पर उठे सवालों को बताया भ्रामक
नरेश चौहान ने बताया कि भाजपा द्वारा नेशनल हेराल्ड को लेकर फैलाई जा रही जानकारी पूरी तरह भ्रामक है। उन्होंने कहा कि यह अखबार नियमित रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित होता है और मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी प्रतियां आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अखबार को अब तक कुल ₹1.01 करोड़ के विज्ञापन दिए गए हैं, जबकि भाजपा ₹2.34 करोड़ का दावा कर रही है, जो कि गलत है।
जयराम और अनुराग ठाकुर के बयान से गरमाया मामला
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया था कि जिस अखबार की हिमाचल में कोई उपस्थिति नहीं, उसे कांग्रेस सरकार ने केवल राहुल गांधी से संबंध होने के कारण भारी विज्ञापन राशि दी। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इसे ‘कांग्रेस का एटीएम’ बताते हुए हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने अपने नेताओं पर ईडी की कार्रवाई से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया।
सीएम सुक्खू ने किया समर्थन
जब मीडिया ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने साफ कहा, “नेशनल हेराल्ड हमारा अपना अखबार है। हम इसमें विज्ञापन देते हैं और आगे भी देंगे। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है।”
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट
इस विवाद के बीच नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और सैम पित्रोदा समेत कई लोगों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है।
निष्कर्ष
नेशनल हेराल्ड को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग का बड़ा मुद्दा बन चुका है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और बयानबाज़ी और राजनीतिक टकराव बढ़ने की संभावना है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने लैक्मे ब्रैंड की हालिया सनस्क्रीन विज्ञापन पर अपनी प्रारंभिक राय देते हुए कहा कि यह विज्ञापन पहली नजर में प्रतिस्पर्धी उत्पादों की छवि को नुकसान पहुंचाता दिखता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के लैक्मे ब्रैंड की हालिया सनस्क्रीन विज्ञापन पर अपनी प्रारंभिक राय देते हुए कहा कि यह विज्ञापन पहली नजर में प्रतिस्पर्धी उत्पादों की छवि को नुकसान पहुंचाता दिखता है। यह टिप्पणी मामाअर्थ की मूल कंपनी होनासा कंज्यूमर लिमिटेड (Honasa Consumer Ltd.) द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई के दौरान की गई।
न्यायमूर्ति अमित बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने HUL को अपने पक्ष में जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। वहीं, होनासा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने कोर्ट से मांग की कि इस विज्ञापन को सभी प्लेटफॉर्म्स (प्रिंट, डिजिटल, सोशल मीडिया और आउटडोर विज्ञापन) से तुरंत हटाने का निर्देश दिया जाए।
विवाद की जड़ में है SPF 50 वाला प्रचार अभियान
यह विवाद लैक्मे सन एक्सपर्ट के प्रचार अभियान से जुड़ा है, जिसमें SPF 50 सनस्क्रीन को बढ़ावा देते हुए एक “SPF लाई डिटेक्टर टेस्ट” दिखाया गया है। विज्ञापन में यह संकेत दिया गया कि सनस्क्रीन की ऑनलाइन श्रेणी में कुछ “बेस्टसेलर” उत्पाद अपने SPF स्तर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। हालांकि किसी प्रतिस्पर्धी ब्रैंड का नाम नहीं लिया गया, लेकिन विज्ञापन में दिखाए गए दो बिना नाम के बोतलें मामाअर्थ के The Derma Co. और नायका की Dot & Key की पैकेजिंग से मिलती-जुलती प्रतीत हुईं।
HUL का दावा – प्रमाणित लैब टेस्ट से मिले परिणाम
HUL ने अपने बचाव में कहा कि उनका विज्ञापन इन-विवो टेस्टिंग पर आधारित है, जिसे सनस्क्रीन की गुणवत्ता जांचने का सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है। उन्होंने दावा किया कि लैक्मे सन एक्सपर्ट SPF 50 मानकों पर खरा उतरता है, जबकि कुछ प्रतिस्पर्धी उत्पादों में SPF स्तर 20 तक ही पाया गया।
ग़ज़ल अलघ का आरोप – फॉर्मूलेशन की नकल की गई
मामाअर्थ की को-फाउंडर ग़ज़ल अलघ ने सोशल मीडिया पर HUL पर कई उत्पादों की नकल करने का आरोप लगाया, इनमें सनस्क्रीन के अलावा मामाअर्थ का प्रमुख विटामिन C फेस वॉश और प्याज वाला शैम्पू शामिल हैं। उन्होंने एक स्लाइड पोस्ट की थी, जिसका शीर्षक था “OG vs Copy”, जिसमें उन्होंने लॉन्च टाइमलाइन के साथ उत्पादों की तुलना की थी। यह पोस्ट अब डिलीट कर दी गई है।
हालांकि एक अन्य पोस्ट अभी भी सार्वजनिक है, जिसमें उन्होंने लिखा: “भारतीय FMCG सेक्टर में लंबे समय से मजबूत प्रतिस्पर्धा की कमी रही है। हम गर्व के साथ इन परंपराओं को चुनौती देते हैं और बार-बार इन विरासत ब्रैंड्स को जगाते हैं।”
HUL ने भी किया पलटवार
सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि HUL ने भी होनासा के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है। कोर्ट ने इस क्रॉस-केस पर और जानकारी मांगी है और कहा है कि इस पर अलग से सुनवाई की जाएगी।
बाजार में बढ़ता टकराव
यह मामला देश के तेजी से बढ़ते स्किनकेयर और पर्सनल केयर बाजार में नए D2C ब्रैंड्स और पुराने FMCG दिग्गजों के बीच बढ़ते टकराव को दर्शाता है। जहां एक ओर नई कंपनियां इनोवेशन और डिजिटल पहुंच के दम पर बाज़ार में तेजी से पैर जमा रही हैं, वहीं पुरानी कंपनियों के लिए यह प्रतिस्पर्धा एक नई चुनौती बनकर उभर रही है।
IPL 2025 में विज्ञापन के मोर्चे पर जोरदार उछाल देखने को मिला है। TAM की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन टीवी पर ऐड वॉल्यूम में 7% की वृद्धि हुई है
IPL 2025 में विज्ञापन के मोर्चे पर जोरदार उछाल देखने को मिला है। TAM की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन टीवी पर ऐड वॉल्यूम (किसी मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों का कुल समय या स्थान, जो किसी तय अवधि में प्रसारित किया गया है।) में 7% की वृद्धि हुई है, जबकि ब्रैंड्स की संख्या में 21% का इजाफा हुआ है। यह तुलना पिछले सीजन यानी IPL 17 के मुकाबले से की गई है।
22 मार्च से 8 अप्रैल 2025 तक खेले गए 22 मैचों के आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट बताती है कि टीवी पर ऐड वॉल्यूम इंडेक्स IPL 17 में जहां 100 था, वहीं IPL 18 में यह बढ़कर 107 पहुंच गया, जो साफ तौर पर 7% की बढ़त दर्शाता है।
इस बार 55 से ज्यादा कैटेगरीज, 70 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स और 125 से ज्यादा ब्रैंड्स ने IPL 18 में अपनी जगह बनाई। पिछली बार की तुलना में कैटेगरीज की संख्या में भी 2% की बढ़ोतरी हुई है। ऐडवर्टाइजर्स की संख्या में 14% और ब्रैंड्स की संख्या में 21% की छलांग देखने को मिली है।
IPL 18 में विज्ञापन देने वालों में सबसे ऊपर माउथ फ्रेशनर की कैटेगरी रही, जिसका कुल शेयर 13% रहा। इसके बाद बिस्किट्स और ई-कॉमर्स दोनों 10%, कार्स 6% और कॉर्पोरेट-फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स 5% पर रहे।
IPL 17 में यह तस्वीर कुछ अलग थी। तब ई-कॉमर्स और गेमिंग सेक्टर का विज्ञापन शेयर 19% के साथ सबसे ऊपर था। इसके बाद फूड प्रोडक्ट्स 10%, माउथ फ्रेशनर 10%, स्मार्टफोन 5% और सिक्योरिटीज व शेयर ब्रोकिंग कंपनियां 5% पर थीं।
IPL 18 में 24 नई कैटेगरीज की एंट्री हुई, जिनमें बिस्किट्स, ई-कॉम ऑटो रेंटल सर्विसेज, रियल एस्टेट, फैशन रिटेल और टायर्स जैसी कैटेगरीज शामिल हैं।
वहीं 84 नए ब्रैंड्स इस सीजन नजर आए, जैसे कि Parle Platina Hide & Seek, Rajshree Silver Coated Elaichi, AMFI, Campa Energy Drink और Rapido Bike Taxi & Auto App।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि IPL 2025 सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि विज्ञापन की दुनिया में भी बदलाव और विस्तार का प्रतीक बनकर उभरा है।
जापान में आउटडोर ऐडवर्टाइजिंग सेक्टर में एक बड़ा कदम उठाते हुए MCDecaux ने अपने प्रीमियम डिजिटल ऐड स्पेस की ऑनलाइन (प्रोग्रामेटिक) खरीद की सुविधा शुरू कर रहा है।
जापान में आउटडोर ऐडवर्टाइजिंग सेक्टर में एक बड़ा कदम उठाते हुए MCDecaux ने अपने प्रीमियम डिजिटल ऐड स्पेस की ऑनलाइन (प्रोग्रामेटिक) खरीद की सुविधा शुरू कर रहा है। यानि अब ऐडवर्टाइजर्स डिजिटल स्क्रीन पर ऐड देने के लिए इसे एक स्वचालित और बेहद ही आसान तरीके से खरीद सकेंगे।
यह सेवा फिलहाल Kansai इंटरनेशनल एयरपोर्ट (KIX) और Osaka इंटरनेशनल एयरपोर्ट (ITAMI) के 55 डिजिटल स्क्रीन के साथ शुरू की गई है और इसे वैश्विक DOOH (Digital Out of Home) प्लेटफॉर्म VIOOH के जरिए खरीदा जा सकता है।
प्रोग्रामेटिक DOOH ऐडवर्टाइजर्स को अधिक नियंत्रण और पारदर्शिता प्रदान करेगा। वे समय, सप्ताह के दिन और यात्रियों की आवाजाही के आधार पर अपने ऐड को लाइव ब्रॉडकास्ट कर सकेंगे। इस साल की दूसरी तिमाही में जापान के 10 प्रमुख शहरों के स्ट्रीट फर्नीचर स्क्रीन भी इस इन्वेंट्री में शामिल किए जाएंगे।
KIX और ITAMI जैसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे व्यावसायिक और संपन्न यात्रियों को लक्षित करने के लिए एक प्रमुख स्थान हैं। हाल ही में किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, हवाई अड्डों पर ऐड ब्रैंड्स के लिए सबसे मूल्यवान माने जाते हैं। हवाई यात्रा में वृद्धि के साथ, ऐडवर्टाइजर अब अपने ब्रैंड की पहुंच को इन प्रभावशाली यात्रियों तक फिर से मजबूत कर सकते हैं।
MCDecaux के अध्यक्ष मालिक रूमान ने कहा, "हम जापान में प्रोग्रामेटिक DOOH बाजार में प्रवेश कर खुश हैं। KIX और ITAMI हवाई अड्डे न केवल घरेलू यात्रियों बल्कि एशियाई देशों से आने वाले इनबाउंड ट्रैवलर्स के लिए भी महत्वपूर्ण केंद्र हैं। प्रोग्रामेटिक DOOH के जरिए अब ऐडवर्टाइजर सही संदेश को सही समय पर सही दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।"
VIOOH के CEO जीन-क्रिस्टोफ कॉन्टी ने कहा, "हम पहले ही 26 बाजारों में प्रोग्रामेटिक DOOH सेवाएं उपलब्ध करा चुके हैं और अब जापान हमारा 27वां बाजार बन गया है। इस वर्ष के अंत तक हम जापान में और विस्तार करेंगे, जिससे स्थानीय और वैश्विक ऐडवर्टाइजर्स को नए संभावित ग्राहकों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।"
MCDecaux ने हाल के वर्षों में अपने डिजिटल आउटडोर ऐड नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया है। हवाई अड्डों के अलावा, जल्द ही जापान के Tokyo, Osaka, Nagoya, Sapporo, Sendai, Yokohama, Kawasaki, Hiroshima, Fukuoka और Kobe जैसे 10 बड़े शहरों में 180 डिजिटल स्क्रीन के साथ यह सेवा शुरू की जाएगी।
इसके साथ ही, MCDecaux का यह कदम जापान में OOH (Out of Home) ऐड उद्योग में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बढ़ती धोखाधड़ी को रोकने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त कदम उठाए हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बढ़ती धोखाधड़ी को रोकने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त कदम उठाए हैं। नए दिशानिर्देशों के तहत, SEBI के पास पंजीकृत ब्रोकर, निवेश सलाहकार और अन्य मध्यस्थों को गूगल और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देने से पहले अपनी पहचान सत्यापित करानी होगी। इस पहल का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और निवेशकों को ठगी से बचाना है।
SEBI के नए नियमों के अनुसार, सभी पंजीकृत मध्यस्थों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले SEBI के SI पोर्टल पर दर्ज उनके आधिकारिक ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर से ही पंजीकरण करना होगा। SEBI ने स्पष्ट किया, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर्स (Google और Meta) के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है कि SEBI के तहत पंजीकृत मध्यस्थों को विज्ञापन देने से पहले अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी।"
हाल के महीनों में यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व में ट्विटर), टेलीग्राम और गूगल प्ले स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए निवेश घोटाले तेजी से बढ़े हैं। कई स्कैमर्स गारंटीड रिटर्न, भ्रामक प्रशंसापत्र और फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग कोर्स के जरिए निवेशकों को ठग रहे थे। SEBI के इस नए कदम से ऐसे धोखेबाजों पर शिकंजा कसा जाएगा और सिर्फ प्रमाणित संस्थानों को ही वित्तीय सेवाओं का प्रचार करने की अनुमति मिलेगी।
SEBI की यह पहल डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP Act) के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसे 11 अगस्त 2023 को लागू किया गया था। यह कानून व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा, पारदर्शिता और पहचान सत्यापन को अनिवार्य बनाता है, ताकि डिजिटल माध्यमों में गलत उपयोग को रोका जा सके। SEBI के नए नियम इस कानून के उद्देश्यों को और मजबूत करेंगे, जिससे डिजिटल क्षेत्र में जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
भारत में हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल निवेश घोटाले सामने आए हैं। 2024 के अंत में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ था, जहां ठगों ने यूट्यूब के जरिए नकली निवेश योजनाओं का प्रचार किया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह, व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर फर्जी ट्रेडिंग कोर्स बेचकर लोगों को ठगा गया।
SEBI ने सभी पंजीकृत मध्यस्थों को 30 अप्रैल 2025 तक SEBI SI पोर्टल पर अपने संपर्क विवरण अपडेट करने का निर्देश दिया है। इस पहल के तहत केवल सत्यापित संस्थानों को ही ऑनलाइन प्रचार गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी, जिससे प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने प्रमुख विज्ञापन एजेंसियों के खिलाफ कीमतों में हेरफेर और बोलियों में धांधली के आरोपों की जांच शुरू कर दी है।
शांतनु डेविड, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने प्रमुख विज्ञापन एजेंसियों के खिलाफ कीमतों में हेरफेर (price-fixing) और बोलियों में धांधली (bid-rigging) के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। 18 मार्च 2025 को शुरू हुई इस छापेमारी में दिल्ली, मुंबई और गुरुग्राम सहित लगभग दस स्थानों को निशाना बनाया गया।
इन आरोपों के केंद्र में यह संदेह है कि एजेंसियों ने प्रसारकों के साथ मिलकर विज्ञापन दरों और छूट की प्रणाली में हेरफेर किया, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई।
एसकेवी लॉ ऑफिसेज (SKV Law Offices) के पार्टनर श्रेयष्ठ आर. शर्मा के अनुसार, इस मामले का मुख्य मुद्दा मूल्य निर्धारण में हेरफेर है, जहां एजेंसियों पर प्रसारकों के साथ मिलकर अपारदर्शी छूट संरचनाएं बनाने का संदेह है। "ऐसे व्यवहार प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3(3) का उल्लंघन कर सकते हैं, जो प्रतिस्पर्धा को प्रतिबंधित करने या बाजार मूल्य निर्धारण में हेरफेर करने वाले समझौतों पर रोक लगाता है," उन्होंने कहा। भारतीय प्रतिस्पर्धा कानून के तहत बोलियों में धांधली गंभीर अपराध है, जिसे अधिनियम की धारा 3(3)(d) के तहत स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि 13 मार्च 2025 तक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में 35 कार्टेल मामलों की जांच की है। कार्टेल जांच को मजबूत करने के लिए, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3(3) में संशोधन अधिनियम 2023 के तहत 'हब-एंड-स्पोक' तंत्र जोड़ा गया था।
CCI का इन मामलों को लेकर दृष्टिकोण हमेशा सख्त रहा है, जैसा कि एक्सेल क्रॉप केयर लिमिटेड बनाम CCI और वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड बनाम SSV कोल कैरियर्स प्राइवेट लिमिटेड जैसे मामलों में देखा गया। इन मामलों में बार-बार यह पाया गया है कि समन्वित बोलियां बिना प्रत्यक्ष साक्ष्य के भी बोलियों में धांधली को दर्शा सकती हैं। संदिग्ध बोलियों की प्रवृत्ति और निविदा से पहले हुई बैठकें भी प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण को साबित करने के लिए पर्याप्त मानी जाती हैं।
एकॉर्ड ज्यूरिस (Accord Juris) के मैनेजिंग पार्टनर अलय रजवी का कहना है कि मिलीभगत को साबित करना स्वाभाविक रूप से जटिल होता है, क्योंकि इसमें पक्षकारों के इरादे और सहमति को दर्शाने वाले प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य की आवश्यकता होती है। "यह जांच मीडिया खरीद संरचनाओं में बदलाव लाने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे एजेंसियां अधिक पारदर्शी प्रक्रियाएं अपनाएं और विज्ञापनदाता अपने हितों की रक्षा के लिए अधिक जानकारी की मांग करें," उन्होंने कहा। यह जांच 1-2 वर्षों तक चल सकती है, जो पक्षकारों के सहयोग और जब्त सामग्री की मात्रा पर निर्भर करेगा।
हालांकि, CCI ने अब तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है, जिससे जांच की सटीक प्रकृति पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।
इस मामले पर अलग राय देते हुए, डीएसके लीगल के पार्टनर अभिषेक सिंह बघेल का कहना है कि "इस मामले में बोलियों में धांधली का कोई आरोप नहीं है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह मामला विज्ञापन दरों और छूट तंत्र के निर्धारण से जुड़ा है।"
बोलियों में धांधली या समन्वित बोली वह प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रतिस्पर्धी आपसी सहमति से प्रतिस्पर्धा को कम करने या समाप्त करने के लिए मूल्य तय करते हैं, निविदा प्रक्रिया से हट जाते हैं, या केवल प्रतीकात्मक बोलियां लगाते हैं।
पी एंड ए लॉ ऑफिसेज की काउंसलर लग्न पांडा का कहना है कि प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौतों के कई रूप हो सकते हैं, जिनमें मूल्य निर्धारण में हेरफेर, बाजार का विभाजन और बोलियों में धांधली शामिल हैं। "यदि किसी बोली को प्रतिस्पर्धा को कम करने के इरादे से तैयार किया गया हो, तो इसे बोलियों में धांधली माना जा सकता है," उन्होंने कहा।
CCI के पास किसी कंपनी के प्रासंगिक कारोबार का 10% या उस समझौते के दौरान हुई तीन वर्षों की कुल लाभ राशि के बराबर जुर्माना लगाने का अधिकार है। इसके अलावा, इसमें शामिल व्यक्तियों पर भी उनकी कुल आय के 10% तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जैसे-जैसे यह जांच आगे बढ़ेगी, यह उद्योग में व्यापक नियामक निगरानी और सुधारों को जन्म दे सकती है। CCI का प्रतिस्पर्धी प्रक्रियाओं को संरक्षित करने का सख्त रुख दर्शाता है कि यह मामला भारतीय विज्ञापन जगत के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
ऐडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की अकादमी ने मुंबई में आयोजित ICAS ग्लोबल डायलॉग्स समिट के दौरान अपने 'ग्लोबल अड्डा' इवेंट में अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘AdNext: The AI Edition’ जारी की।
ऐडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की अकादमी ने मुंबई में आयोजित ICAS ग्लोबल डायलॉग्स समिट के दौरान अपने 'ग्लोबल अड्डा' इवेंट में अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘AdNext: The AI Edition’ जारी की। यह रिपोर्ट भारतीय बाजार पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए विज्ञापन इंडस्ट्री पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण समय पर आई है, जब AI ब्रैंड्स के उपभोक्ताओं से जुड़ने, कैंपेंस को अनुकूलित करने और अनुभवों को वैयक्तिकृत करने के तरीके को पूरी तरह से बदल रहा है।
इस शोध को डिजाइन टेक फर्म Parallel HQ द्वारा किया गया है। यह रिपोर्ट Google और Games 24X7 के सहयोग से तैयार की गई है और इसे Diageo, Hindustan Unilever, Mondelez, Nestle, Cipla Health, Coca-Cola, Colgate, Pepsico, P&G, Kenvue, Bajaj Auto और Dream Sports का समर्थन प्राप्त है। इस रिपोर्ट में डिजिटल इकोसिस्टम से जुड़े 27 से अधिक प्रमुख भारतीय प्रोफेशनल्स और विचारकों के दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, जिनमें ब्रैंड, एजेंसीज, कानूनी विशेषज्ञ, शिक्षाविद, नियामक और टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स शामिल हैं। प्राथमिक शोध, फोकस ग्रुप चर्चाओं, व्यक्तिगत साक्षात्कार, द्वितीयक शोध और राय लेखों के माध्यम से यह रिपोर्ट AI द्वारा विज्ञापन क्षेत्र में प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों की एक विस्तृत समझ प्रदान करती है।
रिपोर्ट चार प्रमुख क्षेत्रों का विश्लेषण करती है, जिससे विज्ञापन पर AI की बदलती भूमिका की व्यापक जानकारी मिलती है:
AI की धारणा: रिपोर्ट में AI को विज्ञापन में एकीकृत करने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि AI दक्षता और निजीकरण को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह भी है कि AI का वास्तविक सामर्थ्य मानवीय रचनात्मकता को प्रतिस्थापित करने में नहीं, बल्कि उसे और अधिक सक्षम बनाने में है, जिससे विज्ञापनदाता प्रभावी और गहन कहानियां तैयार कर सकते हैं।
इंडस्ट्री में AI को अपनाने की स्थिति: रिपोर्ट यह जांचती है कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों में AI को किस हद तक अपनाया जा रहा है। यह पाया गया कि डिजिटल-प्रथम (Digital-native) इंडस्ट्रीों में AI को उनके मुख्य संचालन में अधिक सहजता से शामिल किया जा रहा है, जबकि पारंपरिक (Legacy) सेक्टर AI को ग्राहक-केंद्रित अनुप्रयोगों के माध्यम से रचनात्मक रूप से एकीकृत करने के तरीके तलाश रहे हैं।
उपभोक्ता प्रभाव और गोपनीयता: यह भाग भारतीय उपभोक्ताओं की AI-संचालित तकनीकों के प्रति अनूठी स्वीकृति पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से विज्ञापन के क्षेत्र में। यह भारत को उन्नत AI विज्ञापन रणनीतियों के लिए एक संभावित टेस्टबेड के रूप में स्थापित करता है।
जिम्मेदार AI एकीकरण: रिपोर्ट इस तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में उचित नियंत्रण (Guardrails) की आवश्यकता को स्वीकार करती है और विज्ञापन में AI के विकास और तैनाती का मार्गदर्शन करने के लिए जिम्मेदार AI रूपरेखाओं और सिद्धांतों की वकालत करती है।
ASCI की सीईओ और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, "AI का आगमन भारतीय विज्ञापन इंडस्ट्री के लिए नवाचार करने और उपभोक्ताओं से अधिक अर्थपूर्ण तरीकों से जुड़ने का एक अभूतपूर्व अवसर प्रस्तुत करता है। हालांकि, इस शक्ति का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक किया जाना चाहिए, जिसमें पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और उपभोक्ताओं के साथ दीर्घकालिक विश्वास बनाए रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ‘AdNext – The AI Edition’ इस जटिलता को समझने और आगे का रास्ता तय करने के लिए एक संसाधन के रूप में कार्य करता है।"
Parallel के संस्थापक और सीईओ रॉबिन धनवानी ने कहा, "AI इंडस्ट्रीों को तेजी से बदल रहा है, और विज्ञापन इसका अपवाद नहीं है। एक डिजाइन स्टूडियो के रूप में, जो AI के भविष्य में रुचि रखता है, इस शोध का हिस्सा बनना एक रोमांचक अवसर था। यह समझने के लिए कि AI को कैसे अपनाया जा रहा है, इसका प्रभाव क्या है, और इससे जुड़े नियामकीय प्रश्न क्या हैं। ASCI ने हमेशा जिम्मेदार इंडस्ट्री प्रथाओं को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई है, और यह रिपोर्ट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में शामिल हैं:
रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि सभी प्रमुख हितधारकों को लगातार संवाद करने और अनुसंधान में निवेश करने की आवश्यकता है ताकि AI के प्रभाव के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके। इंडस्ट्री-व्यापी रूपरेखाओं को और अधिक परिष्कृत और परिशोधित करना अनिवार्य होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तकनीक व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों की समान रूप से सेवा करे।
ग्लोबल अड्डा इवेंट में रिपोर्ट जारी होने के बाद, Parallel HQ ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर एक प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में AI के भविष्य, नवाचार और जिम्मेदारी के संतुलन पर एक विचारशील पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। इस चर्चा में ख्यात वक्ताओं जैसे खैतान एंड कंपनी की तनु बनर्जी, गूगल के कुनाल गुहा, Games 24x7 के समीर चुग, Pipalmajik के चंद्रदीप मित्रा और BBB नेशनल प्रोग्राम्स की मैरी एंगल ने AI की सीमाओं को आगे बढ़ाने और जिम्मेदार प्रथाओं, डेटा गोपनीयता और उपभोक्ता विश्वास को सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाए रखने पर विचार साझा किए।
चर्चा में AI के मानवीय रचनात्मकता पर प्रभाव, जिम्मेदार विज्ञापन, और AI प्रथाओं को आकार देने में आत्म-नियामक निकायों की भूमिका पर भी चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त, CNBC TV18 की शिबानी घरात द्वारा संचालित एक विशेष बातचीत (Fireside Chat) में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अतिरिक्त सचिव श्री अभिषेक सिंह ने भारत में AI की वर्तमान स्थिति और विज्ञापन में इसकी बढ़ती भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने AI द्वारा व्यक्तिगत सामग्री, लक्ष्यीकरण और दर्शकों की सहभागिता में किए जा रहे परिवर्तनकारी प्रभावों पर भी चर्चा की।
यह कदम देश की शीर्ष मीडिया एजेंसियों और कुछ ब्रॉडकास्टर्स द्वारा कथित कार्टेलाइजेशन की जांच के तहत उठाया गया है।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवेन्जिलिस्ट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने इस सप्ताह की शुरुआत में की गई छापेमारी के दौरान प्रमुख इंडस्ट्री बॉडीज़- ऐडवरटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAAI), इंडियन सोसाइटी ऑफ ऐडवरटाइजर्स (ISA) और इंडियन ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के बीच हुई संचार से जुड़े सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। टॉप इंडस्ट्री सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट एक्सचेंज4मीडिया को इस बारे में जानकारी दी है।
यह कदम देश की शीर्ष मीडिया एजेंसियों और कुछ ब्रॉडकास्टर्स द्वारा कथित कार्टेलाइजेशन की जांच के तहत उठाया गया है।
सीनियर एजेंसी लीडर्स ने बताया, "तलाशी के बाद, CCI अधिकारियों ने AAAI, IBDF और ISA के बीच पिछले कुछ वर्षों की सभी संचार सामग्री जब्त कर ली है ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि क्या ये संस्थाएं कार्टेलाइजेशन, मूल्य निर्धारण की साजिश (प्राइस-फिक्सिंग) और बोलियों में हेरफेर (बिड-रिगिंग) जैसी प्रतिस्पर्धा विरोधी और अनुचित गतिविधियों में शामिल थीं।"
अब जांच में ईमेल्स, मूल्य निर्धारण समझौतों, आंतरिक बैठकों के रिकॉर्ड और समन्वित रेट कार्ड्स की गहराई से जांच की जाएगी ताकि प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार से जुड़े सबूतों का पता लगाया जा सके।
ऐड एजेंसियों पर विज्ञापन दरें फिक्स करने का आरोप
मीडिया एजेंसियों पर आरोप है कि वे ब्रॉडकास्टर्स के साथ मिलकर विज्ञापन दरें तय कर रही थीं और बोलियों में हेरफेर कर क्लाइंट्स से अधिक शुल्क वसूल रही थीं।
50 अधिकारी, 20 घंटे की तलाशी
ऐड इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, CCI ने इस कार्रवाई के लिए 50 से अधिक अधिकारियों को पांच टीमों में विभाजित किया, जिन्होंने पांच प्रमुख मीडिया एजेंसियों— GroupM, IPG, Dentsu, Publicis और Madison—के परिसरों पर छापे मारे। ये पांच एजेंसियां भारतीय विज्ञापन बाजार के दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करती हैं। हर एजेंसी में 8-10 अधिकारियों की टीमें तैनात की गईं, जिन्होंने 18-20 घंटे तक विस्तृत तलाशी अभियान चलाया।
सूत्रों के मुताबिक, "सीईओ और दूसरे सर्वोच्च अधिकारी से 8-10 घंटे तक गहन पूछताछ की गई और उनके विस्तृत बयान दर्ज किए गए। साथ ही, उन्होंने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यदि कोई झूठी या भ्रामक जानकारी दी गई, तो उस पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।"
दिल्ली और मुंबई में मंगलवार और बुधवार को 10 स्थानों पर की गई इस कार्रवाई ने पूरे मीडिया जगत को हिला कर रख दिया है।
1 लाख करोड़ रुपये का बाजार, IPL ऐड से भी जुड़े तार?
भारतीय विज्ञापन और मीडिया इंडस्ट्री इस हाई-प्रोफाइल मामले पर पैनी नजर बनाए हुए है, खासकर जब देश में विज्ञापन पर सालाना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होता है और इस रकम का प्रबंधन कुछ ही एजेंसी नेटवर्क्स द्वारा किया जाता है।
बड़े विज्ञापनदाता सालाना 1,000 करोड़ रुपये से 2,500 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं। यदि बोलियों में केवल 5% की भी हेरफेर होती है, तो इससे 50 करोड़ से 250 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है, जो वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में एक बहुत बड़ी रकम है।
इस छापेमारी का समय भी चर्चा में है, क्योंकि यह इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) विज्ञापन सीजन से ठीक पहले हुई है, जो कि 5,000 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यवसाय है।
कठोर दंड का प्रावधान
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत, CCI प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों के लिए कड़े दंड लगा सकता है। इसमें पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत टर्नओवर का 10% या कार्टेल की अवधि के दौरान हुए लाभ का तीन गुना तक का जुर्माना शामिल है, जो भी अधिक हो।
पिछले साल केंद्र सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन किया था, जिससे CCI को MNCs पर उनके वैश्विक टर्नओवर के आधार पर जुर्माना लगाने की अनुमति मिल गई है। पहले केवल संबंधित उत्पादों पर ही जुर्माना लगाया जाता था।
इसका मतलब यह है कि यदि कोई वैश्विक एजेंसी नेटवर्क प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसे अपने वैश्विक टर्नओवर के 10% या संबंधित उत्पाद के टर्नओवर के 30% तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
भारत की प्रमुख स्वतंत्र एजेंसियों का सालाना टर्नओवर 1,000 करोड़ से 3,500 करोड़ रुपये के बीच है, जबकि वैश्विक नेटवर्क्स का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचता है। इस हिसाब से, इन पर 100 करोड़ रुपये से लेकर 30,000 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसके अलावा, सीईओ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर भी पिछले तीन वित्तीय वर्षों की औसत आय का 10% तक का व्यक्तिगत जुर्माना लगाया जा सकता है, यदि वे प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं।
गौरतलब है कि CCI ने पहले भी गूगल इंडिया पर 950 करोड़ रुपये और मेटा इंडिया पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
आईपीएल 2025 (IPL 2025) की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं, वहीं इस बार एक बड़ा फैसला भी होने वाला है। दरअसल, यह फैसला आईपीएल के दौरान दिखाए जाने वाले तंबाकू और शराब के विज्ञापनों से जुड़ा हुआ है।
आईपीएल 2025 (IPL 2025) की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं, वहीं इस बार एक बड़ा फैसला भी होने वाला है। दरअसल, यह फैसला आईपीएल के दौरान दिखाए जाने वाले तंबाकू और शराब के विज्ञापनों से जुड़ा हुआ है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) 22 मार्च को इस मुद्दे पर अपनी APEX काउंसिल की बैठक आयोजित करेगा, जो उसी दिन होगी जिस दिन कोलकाता के ईडन गार्डन्स में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 का पहला मैच कोलकाता नाइट राइडर्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच खेला जाएगा।
बैठक के मुख्य एजेंडे में तंबाकू और क्रिप्टोकरेंसी ब्रैंड्स के साथ स्पॉन्सरशिप डील पर चर्चा के अलावा, क्रिकेट में शराब और तंबाकू विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों का अनुपालन भी शामिल होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय का सख्त रुख
स्वास्थ्य मंत्रालय ने तंबाकू और शराब से जुड़े विज्ञापनों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। यह मामला तब और गंभीर हुआ जब स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक अतुल गोयल ने 5 मार्च को आईपीएल चेयरमैन अरुण सिंह धूमल को एक पत्र लिखकर आईपीएल मैचों, संबंधित आयोजनों और राष्ट्रीय टेलीविजन प्रसारण के दौरान तंबाकू और शराब के सभी प्रकार के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की। इस पत्र में बीसीसीआई से आग्रह किया गया कि वह क्रिकेटर्स को तंबाकू और शराब उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करने से रोके।
गोयल के अनुसार, भारत गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) के बढ़ते संकट का सामना कर रहा है, जो हर साल 70% से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया, "तंबाकू और शराब का सेवन NCDs के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत तंबाकू से होने वाली मौतों में विश्व में दूसरे स्थान पर है, जहां हर साल करीब 14 लाख लोगों की जान जाती है, जबकि शराब भारत में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला साइकोएक्टिव पदार्थ है।"
बीसीसीआई के लिए कठिन फैसला
बीसीसीआई के लिए यह एक बड़ा फैसला हो सकता है, क्योंकि आईपीएल के दौरान तंबाकू और शराब कंपनियों के विज्ञापनों से बड़ी मात्रा में राजस्व आता है। हालांकि, यदि बोर्ड सरकार के निर्देशों के अनुरूप निर्णय लेता है, तो वह राज्य क्रिकेट संघों को इन ब्रैंड्स के साथ अपनी साझेदारी पर पुनर्विचार करने का निर्देश दे सकता है।
हालांकि, बीसीसीआई के पास मैचों के दौरान विज्ञापन अधिकारों पर सीधा नियंत्रण नहीं है, क्योंकि स्पॉन्सरशिप डील का प्रबंधन आमतौर पर आयोजन की मेजबानी करने वाले राज्य क्रिकेट संघों द्वारा किया जाता है। लेकिन सरकार के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, बीसीसीआई इन डील को लेकर कड़ा कदम उठा सकता है।
महिला वनडे विश्व कप 2025 पर भी होगी चर्चा
स्पॉन्सरशिप विवाद के अलावा, बीसीसीआई आगामी आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 पर भी विचार करेगा। इस एजेंडे में लोकल ऑर्गेनाइजिंग कमेटी (LOC) के गठन और टूर्नामेंट के लिए मेजबान स्थलों के चयन पर चर्चा शामिल है। यह महिला वनडे विश्व कप 2013 के बाद पहली बार भारत में आयोजित किया जाएगा, इसलिए बीसीसीआई इस आयोजन की सफल मेजबानी के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 22 मार्च की बैठक में बीसीसीआई तंबाकू और शराब के विज्ञापनों को लेकर क्या फैसला लेता है और इसका आईपीएल के स्पॉन्सरशिप मॉडल पर क्या असर पड़ता है।