महाराष्ट्र की शहरी राजनीति में भाजपा सबसे प्रभावशाली: अखिलेश शर्मा

288 नगर परिषदों और नगर पंचायत के लिए दो चरणों में चुनाव हुआ था। पहले चरण में 2 दिसंबर को 263 निकायों में मतदान हुआ था। बाकी 23 नगर परिषदों और कुछ खाली पदों पर 20 दिसंबर को वोटिंग हुई थी।

Last Modified:
Monday, 22 December, 2025
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महाराष्ट्र निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (NDA) को बंपर जीत हासिल हुई है। 288 सीटों (246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों) के रिजल्ट में महायुति को 207 सीटों पर जीत मिली। रविवार रात तक स्टेट इलेक्शन कमीशन ने फाइनल रिजल्ट जारी कर दिए है। इन परिणामों पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने भी अपनी राय दी।

उन्होंने एक्स पर लिखा, महाराष्ट्र में हुए नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा की अगुवाई वाली महायुति जिसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं, ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। इन नतीजों का राज्य की राजनीति पर आगे चलकर बड़ा असर पड़ सकता है।

कुल 288 नगर परिषदों और पंचायतों में से भाजपा ने अकेले 129 जगह जीत दर्ज की और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि महायुति ने मिलकर 215 नगरीय निकायों पर कब्जा किया। भाजपा के पार्षदों की संख्या 2017 के मुकाबले इस बार दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गई है, जिससे साफ है कि शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में उसका संगठन काफी मजबूत हुआ है।

दूसरी ओर, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का प्रदर्शन कमजोर रहा और महा विकास अघाड़ी को सिर्फ 51 निकायों में ही सफलता मिली। इन नतीजों से यह साफ संदेश मिलता है कि महाराष्ट्र की शहरी राजनीति में भाजपा अब भी सबसे प्रभावशाली ताकत बनी हुई है, जबकि विपक्ष को जनता का भरोसा वापस पाने के लिए नए नेतृत्व, बेहतर रणनीति और आपसी एकता पर गंभीरता से काम करना होगा।

आपको बता दें, महाराष्ट्र की 288 नगर परिषदों और नगर पंचायत के लिए दो चरणों में चुनाव हुआ था। पहले चरण में 2 दिसंबर को 263 निकायों में मतदान हुआ था। बाकी 23 नगर परिषदों और कुछ खाली पदों पर 20 दिसंबर को वोटिंग हुई थी।

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अरावली को बचाने के लिए एकजुट हों लोग: राणा यशवंत

अरावली पर्वतमाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से दिए गए जवाब के बाद देश के कई राज्यों में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है।

Last Modified:
Saturday, 20 December, 2025
rana yashwant..

अरावली पर्वतमाला एक बार फिर राजनीति, कानून और पर्यावरण संरक्षण के टकराव का बड़ा मुद्दा बन गई है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल जवाब के बाद राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में विरोध की आवाजें तेज हो गई हैं।

यह बहस अब सिर्फ कानूनी परिभाषाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसे पर्यावरण सुरक्षा और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने सोशल मीडिया के जरिए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा कि अरावली को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ चल रहे अभियान में हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। राणा यशवंत का कहना है कि यदि सौ मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को पहाड़ी मानने से बाहर कर दिया गया, तो इसका सीधा मतलब यह होगा कि अधिकांश इलाका कंक्रीट में बदल जाएगा।

इससे न केवल अरावली का प्राकृतिक अस्तित्व खत्म होगा, बल्कि उत्तर भारत के करोड़ों लोगों से उनका प्राकृतिक सुरक्षा कवच भी छिन जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली भूजल संरक्षण, जलवायु संतुलन और प्रदूषण रोकने में अहम भूमिका निभाती है।

यदि यहां अंधाधुंध निर्माण और खनन को छूट मिली, तो इसका असर हवा, पानी और इंसानी जीवन पर पड़ेगा। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। कुल मिलाकर अरावली का सवाल अब केवल कानूनी बहस नहीं, बल्कि जनआंदोलन का रूप लेता नजर आ रहा है।

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बांग्लादेश में हिंदू व्यक्ति की हत्या शर्मनाक: गौरव सावंत

हत्या के वक्त प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने 30 साल के दीपू चंद्र दास के शव को आग लगा दी।

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Saturday, 20 December, 2025
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बांग्लादेश में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच कट्टरपंथ का एक खौफनाक मामला सामने आया है। भारत विरोधी प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उसे पेड़ में बांधकर आग लगा दी गई।

इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार गौरव सावंत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और इसे शर्मनाक करार दिया। उन्होंने लिखा, बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति को पकड़ा गया, उसके कपड़े उतारे गए, बेरहमी से पीटा गया, पेड़ से लटकाया गया, फिर उसकी हत्या कर दी गई और बाद में जला दिया गया।

यह सब हज़ारों लोगों के सामने हुआ, सैकड़ों ने इसका वीडियो बनाया, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। यही उस तथाकथित ‘छात्र आंदोलन’ और ‘जेन ज़ी क्रांति’ का असली चेहरा है, जिसके लिए भारत तक में कई लोग भावुक हो रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक है।

आपको बता दें, बांग्लादेश के मयमनसिंह में इस्लाम का अपमान करने के आरोप में एक हिंदू व्यक्ति की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। हत्या के वक्त प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने 30 साल के दीपू चंद्र दास के शव को आग लगा दी।

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भारतीय सेना की उपयोगिता पर चर्चा बेमानी: अखिलेश शर्मा

पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत में पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि भारत के पास 12 से 15 लाख सैनिकों की थलसेना है, जबकि पाकिस्तान के पास करीब 5 से 6 लाख सैनिक हैं।

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Friday, 19 December, 2025
akhileshsharma

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भारत की सैन्य रणनीति को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा, बड़ी थलसेना का अब कोई खास अर्थ नहीं रह गया है। इतनी बड़ी सेना रखने की जरूरत पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण कह रहे हैं कि भारत को इतनी बड़ी सेना की आवश्यकता नहीं। सैनिकों को किसी अन्य उपयोगी कार्य में लगाया जाए। भारत के अपने पड़ोसियों से पाँच प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष युद्ध हो चुके हैं। ऐसे ख़तरनाक पड़ोसियों के बीच सेना की उपयोगिता पर चर्चा बेमानी है।

आपको बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत में पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि भारत के पास 12 से 15 लाख सैनिकों की थलसेना है, जबकि पाकिस्तान के पास करीब 5 से 6 लाख सैनिक हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का आमने-सामने का जमीनी युद्ध अब नहीं होगा, इसलिए इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

आगे उन्होंने कहा कि आज कोई भी देश उस तरह के पारंपरिक युद्ध की इजाजत नहीं देगा। ऐसे में 12 लाख की सेना बनाए रखने की जरूरत पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

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झारखंड की जीत और क्रिकेट का बदलता चेहरा: राजदीप सरदेसाई

टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 262 रन बनाए। इसके जवाब में हरियाणा की पूरी टीम 18.3 ओवर में 193 रन बनाकर सिमट गई। झारखंड ने 69 रन से मुकाबला जीता।

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Friday, 19 December, 2025
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सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 के फाइनल में हरियाणा को हराकर झारखंड ने अपना पहला सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का खिताब जीता। 2010-11 में विजय हजारे ट्रॉफी जीतने के बाद यह उनका मात्र दूसरा घरेलू खिताब है। ईशान किशन की कप्तानी में झारखंड ने कमाल का प्रदर्शन किया। इस जीत पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने लिखा, झारखंड को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीतते देखना बेहद खुशी की बात है। पिछले 20 सालों में भारतीय क्रिकेट में सबसे बड़ा बदलाव यह रहा है कि अब बड़े शहरों का दबदबा खत्म हो रहा है। इस बदलाव की शुरुआत एमएस धोनी से हुई थी (हालांकि उन्होंने दुख की बात है कि अपने घरेलू राज्य के लिए बहुत कम क्रिकेट खेला) और अब यह बदलाव पूरी तरह स्थापित हो चुका है।

झारखंड ने शानदार खेल दिखाया, खास तौर पर ईशान किशन की तारीफ़ बनती है। वहीं हरियाणा को भी पूरे सम्मान के साथ हार स्वीकार करनी पड़ी। दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा के सबसे बड़े क्रिकेटर कपिल देव खुद भी छोटे शहर से निकले पहले बड़े सितारों में से एक थे।

आपको बता दें, झारखंड को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता मिला। टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 262 रन बनाए। इसके जवाब में हरियाणा की पूरी टीम 18.3 ओवर में 193 रन बनाकर सिमट गई। झारखंड ने 69 रन से मुकाबला जीता।

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नाम नहीं, नतीजों से आंकी जाए योजनाएं: रजत शर्मा

हकीकत यह है कि कई जगह ग्राम प्रधानों ने इस योजना को अपनी मर्जी से निजी काम कराने का साधन बना लिया, और मनरेगा की वजह से खेती के लिए मजदूर भी कम मिलने लगे।

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Wednesday, 17 December, 2025
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ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सुनिश्चित कराने वाली मनरेगा योजना की जगह मोदी सरकार नया बिल ले आई है। मनरेगा को खत्म कर केंद्र सरकार नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने जा रही है। इसका नाम है, 'विकसित भारत-रोजगार गारंटी व आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी- जी राम जी। इस पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।

इस बीच वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा का कहना है कि किसी भी योजना को उसके नाम नहीं बल्कि नतीजों से आंकना होगा। उन्होंने अपने शो में कहा, किसी भी वेलफेयर योजना को परखने का सही पैमाना यह होना चाहिए कि उससे कितने लोगों को असली फायदा मिला, पैसा सही और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा या नहीं, और उसका सही इस्तेमाल हुआ या नहीं।

साथ ही यह भी देखना ज़रूरी है कि कल्याण करते-करते कोई ऐसे दुष्परिणाम तो नहीं आए, जिनसे किसी और को नुकसान हुआ हो। इसी कसौटी पर मनरेगा को भी तौलना चाहिए। अब तक इस योजना पर 11 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन क्या कोई साफ़-साफ़ बता सकता है कि 19 सालों में मनरेगा के तहत कौन-कौन से ठोस प्रोजेक्ट पूरे हुए?

हकीकत यह है कि कई जगह ग्राम प्रधानों ने इस योजना को अपनी मर्जी से निजी काम कराने का साधन बना लिया, और मनरेगा की वजह से खेती के लिए मजदूर भी कम मिलने लगे। ऐसे में योजना का नाम गांधी के नाम पर हो या राम के नाम पर, इससे फर्क नहीं पड़ता, असली सवाल यह है कि योजना में किए गए बदलावों से जनता को वाकई ज़्यादा फायदा हो रहा है या नहीं।

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कमज़ोर रुपया, मज़बूत भारत? अजय कुमार ने उठाया ये बड़ा सवाल

एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपया कमजोर होने के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है, जिससे उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है।

Last Modified:
Wednesday, 17 December, 2025
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भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है और कल कारोबार में 91.19 के नए निचले स्तर तक पहुंच गया। साल की शुरुआत से अब तक रुपया करीब 6% गिर चुका है। रूपये की इस गिरावट पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने चिंता व्यक्त की है और कुछ सवाल उठाये है।

उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट कर लिखा, पिछले 12 सालों में, यानी 2013 से 2025 के बीच, डॉलर के मुकाबले रुपये में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 2013 में जहां 1 डॉलर करीब 60 रुपये का था, वहीं 2025 में यह लगभग 90.5 रुपये तक पहुंच गया यानी करीब 30 रुपये की गिरावट।

इसके मुकाबले 1993 से 2013 के बीच पूरे 20 साल में रुपये ने डॉलर के सामने लगभग इतनी ही, यानी 30 रुपये की गिरावट दर्ज की थी। साफ़ है कि पिछले 12 सालों में रुपये की कमजोरी की रफ्तार पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा तेज़ रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि 1975 में 1 डॉलर करीब 9 रुपये में मिल जाता था, यानी बीते 50 सालों में डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 90 फीसदी तक गिर चुका है।

इसके बावजूद बढ़ती आबादी, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार होने और लगातार आर्थिक विकास के कारण भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है- वाकई हैरान करने वाली बात है। आपको बता दें, एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपया कमजोर होने के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है, जिससे उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है।

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क्या जिहादी ताकतों के कब्जे में बांग्लादेश: दीपक चौरसिया

आज दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि 1971 की हारी हुई ताकतें एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं। भेदभाव विरोधी आंदोलन की आड़ में लोगों को धोखा दिया गया।

Last Modified:
Wednesday, 17 December, 2025
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बांग्लादेश के विजय दिवस के अवसर पर देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चिंता जताई है कि वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में पराजित हुई ताकतें फिर से सक्रिय हो गई हैं। यह वही युद्ध था, जिसमें बांग्लादेश ने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी हासिल की थी।

उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, 1971 में जिन ताकतों ने हथियार डाल दिए थे, वही आज ‘लोकतंत्र’ और ‘आंदोलन’ का मुखौटा पहनकर फिर से सामने आ गई हैं।

विजय दिवस के मौके पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बंगबंधु का ज़िक्र करते हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नज़दीकियों पर कड़ा हमला किया। ऐसे में सवाल उठता है कि 1971 में पाकिस्तान की सेना की हार के बाद जिन ताकतों को पीछे धकेल दिया गया था, आज उन्हीं सोचों को संरक्षण कौन दे रहा है? क्या यही आज का नया बांग्लादेश है, या फिर जिहादी ताकतें धीरे-धीरे देश के हर कोने में अपनी पकड़ मज़बूत कर चुकी हैं?

आपको बता दें, शेख हसीना ने याद दिलाया कि अवामी लीग के नेतृत्व में नौ महीने तक चले संघर्ष के बाद 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को बड़े बलिदानों के साथ जीत मिली थी और पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा था।

आज दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि 1971 की हारी हुई ताकतें एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं। भेदभाव विरोधी आंदोलन की आड़ में लोगों को धोखा दिया गया, योजनाबद्ध हिंसा फैलाई गई और अवैध तरीके से सत्ता पर कब्जा किया गया।

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भारत-जॉर्डन रिश्तों की नई तस्वीर: रुबिका लियाकत ने कही ये बड़ी बात

भारत और जॉर्डन के रिश्तों में बढ़ती गर्मजोशी उस वक्त साफ नजर आई, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद गाड़ी चलाकर जॉर्डन म्यूजियम ले गए।

Last Modified:
Wednesday, 17 December, 2025
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भारत और जॉर्डन के द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ती निकटता मंगलवार को एक खास दृश्य के जरिए सामने आई, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद वाहन चलाकर जॉर्डन म्यूजियम ले गए। यह कदम न केवल व्यक्तिगत सम्मान का संकेत था, बल्कि दोनों देशों के बीच भरोसे और मित्रता की मजबूती को भी दर्शाता है।

इस मामले पर पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, इस तस्वीर में जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय खुद गाड़ी चला रहे हैं और उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे हैं।

क्राउन प्रिंस अल हुसैन पैग़म्बर मोहम्मद की 42वीं पीढ़ी के प्रत्यक्ष वंशज माने जाते हैं। इसके बावजूद यहां कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से यह माहौल बनाने की कोशिश करते हैं कि भारत मुसलमानों के लिए सुरक्षित नहीं है, जबकि हकीकत यह है कि दुनिया के मुस्लिम देश भारत के नेतृत्व और उसके बढ़ते वैश्विक कद को सम्मान के साथ देखते हैं।

एक प्रतिष्ठित मुस्लिम देश के नेता द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को दिया गया यह सम्मान, भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति दुनिया में मौजूद सम्मान को साफ़ तौर पर दिखाता है। यह सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं, बल्कि भारत के बढ़ते कद की कहानी है। जय हिंद। आपको बता दें, अम्मान के रस अल-ऐन इलाके में स्थित जॉर्डन म्यूजियम देश का सबसे बड़ा म्यूजियम है। इसमें जॉर्डन की कुछ सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया है।

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आतंकवाद एक बुराई है और इसका कोई धर्म नहीं: रजत शर्मा

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान हुई गोलीबारी ने दुनिया को झकझोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे आतंकवाद की अमानवीय मिसाल बताया।

Last Modified:
Monday, 15 December, 2025
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ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में रविवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब हनुक्का पर्व के दौरान बॉन्डी बीच पर अज्ञात हमलावरों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। इस भयावह हमले में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि कम से कम 29 लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।

घटना उस वक्त हुई, जब हनुक्का पर्व की पहली मोमबत्ती जलाने का कार्यक्रम चल रहा था। इस धार्मिक आयोजन में हजारों लोग शामिल थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अचानक राइफल से फायरिंग शुरू होते ही वहां भगदड़ मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

इसी दौरान मौजूद एक साहसी युवक ने हमलावर से राइफल छीनने की कोशिश की, जिससे कई लोगों को सुरक्षित निकलने का मौका मिल सका। इस हमले पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि निर्दोष लोगों की हत्या बेहद चौंकाने वाली है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह घटना कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए नरसंहार की याद दिलाती है। रजत शर्मा ने साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद एक बुराई है और इसका कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। स्थानीय प्रशासन ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और हमलावरों की तलाश जारी है।

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गौतम गंभीर व्हाइट बॉल क्रिकेट में एक बेहतरीन कोच: राजदीप सरदेसाई

इस मुकाबले में बुमराह ने 3 ओवर गेंदबाजी की और 17 रन देकर 2 सफलताएं प्राप्‍त कीं। इसके साथ ही बुमराह के टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट पूरे हुए।

Last Modified:
Wednesday, 10 December, 2025
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ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की तूफानी फिफ्टी (59*) के बाद भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के चलते टीम इंडिया ने कटक में खेले गए पहले टी20 मुकाबले में साउथ अफ्रीका को 101 रन से हराया। इस शानदार जीत के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने एक्स पर लिखा, जो लोग रेड बॉल क्रिकेट में नाकामी को लेकर गौतम गंभीर की आलोचना कर रहे थे, क्या वे यह मानेंगे कि वह व्हाइट बॉल क्रिकेट में एक बेहतरीन और सफल कोच साबित हो रहे हैं? प्रतिभा से भरपूर टी20 टीम का बदलाव (ट्रांजिशन) बेहद सहज और शानदार तरीके से हुआ है। क्या आप भी ऐसा नहीं मानते?

आपको बता दें, मुकाबले में जसप्रीत बुमराह ने 3 ओवर गेंदबाजी की और 17 रन देकर 2 सफलताएं प्राप्‍त कीं। इसके साथ ही बुमराह के टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट पूरे हुए। वह तीनों फॉर्मेट में 100 विकेट चटकाने वाले पहले भारतीय बॉलर बन गए है। इतना ही नहीं वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाले दुनिया के 5वें गेंदबाज बन गए हैं।

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