चुनाव 2024: साल की पहली तिमाही में न्यूज चैनल्स को ऐड रेवेन्यू में 25-30% उछाल की उम्मीद

चुनाव शुरू होने साथ ही  न्यूज चैनल्स को दर्शकों की संख्या में बढ़त नजर आ  रही है, जिसके चलते ऐडवर्टाइजिंग इन्वेंट्री की मांग बढ़ गई है

Last Modified:
Monday, 22 April, 2024
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चहनीत कौर व सोनम सैनी, संवाददाता ।।

लोकसभा चुनाव 2024 सात चरण में संपन्न होंगे, जिसमें पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को संपन्न हुआ। चुनाव शुरू होने साथ ही  न्यूज चैनल्स को दर्शकों की संख्या में बढ़त नजर आ  रही है, जिसके चलते ऐडवर्टाइजिंग इन्वेंट्री की मांग बढ़ गई है और रेवेन्यू के आंकड़ों में महत्वपूर्ण उछाल आया है।

न्यूज इंडस्ट्री को पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में इस साल समान अवधि में ऐड रेवेन्यू में 25-30% की वृद्धि की उम्मीद है और पिछले साल की पहली छमाही की तुलना में इस साल की पहली छमाही में 15-20% की वृद्धि का अनुमान है। 

राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और एडवोकेसी ग्रुप सहित ऐडवर्टाइजर्स ने चुनावों के दौरान अपने ऐडवर्टाइजिंग एफर्ट्स को बढ़ा दिया है, जिससे यह टीवी न्यूज इंडस्ट्री के लिए एक मजबूत अवधि बन गई है।

TAM AdEx की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के चुनावों के दौरान, समग्र टीवी ऐडवर्टाइजिंग में न्यूज जॉनर की हिस्सेदारी 29% थी।

रेवेन्यू की उम्मीद

एनडीटीवी नेटवर्क (NDTV Network) के रेवेन्यू हेड मनदीप सिंह के अनुसार, चैनल को साल 2024 की पहली तिमाही में अपनी टॉप-लाइन पर 30% से अधिक की वृद्धि की उम्मीद है, जो इस साल मुख्य रूप से चुनाव के चलते पूरी होती दिख रही है। 

'भारत एक्सप्रेस' (Bharat Express) के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर वरुण कोहली ने साझा किया कि वे पिछले साल की अप्रैल से जून की तिमाही की तुलना में इस साल की तिमाही के रेवेन्यू में कम से कम एक तिहाई की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले साल की पहले तिमाही से तुलना करने पर कोहली को रेवेन्यू में 50% उछाल की उम्मीद है।  

'न्यूजएक्स' (NewsX) के मैनेजिंग एडिटर ऋषभ गुलाटी ने कहा, "यह देखना आश्वस्त करने वाला है कि जब महामारी या आम चुनाव जैसे राष्ट्रीय स्तर के क्षण आते हैं, तो दर्शक और ऐडवर्टाइजर्स दोनों टेलीविजन न्यूज के मौजूदा वैल्यू को पहचानते हैं।"

इसी तरह के विचार साझा करते हुए 'इंडिया डेली लाइव' न्यूज चैनल में ऐड सेल्स के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर जितेंद्र कुमार ने कहा कि पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में इस साल की पहली तिमाही में न्यूज चैनल के ऐड रेवेन्यू में 25-30% की वृद्धि की उम्मीद है, जिसका कारण लोकसभा चुनाव है।

उन्होंने कहा, "सभी न्यूज चैनल इस साल की पहली तिमाही में चुनाव की अवधि के कारण ग्रोथ का अनुभव कर रहे हैं। विशेष रूप से चुनाव के समय के दौरान, पहली छमाही में वृद्धि लगभग 20% होने की उम्मीद है।"

चैनल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले साल जुलाई में लॉन्च हुए 'इंडिया डेली लाइव' न्यूज चैनल का लक्ष्य पहली तिमाही में 3.5 से 4 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करना है। "हमारी प्राथमिक ताकत ग्रामीण बाजार में है। इसलिए, पहली तिमाही में, हमें 3.5 से 4 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त होने की संभावना है और पहली छमाही में, रेवेन्यू लगभग 9-10 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।"

एलारा कैपिटल के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट करण तौरानी के अनुसार, चुनाव के कारण न्यूज इंडस्ट्री में लगभग 5-6% की वृद्धि देखी जा रही है। टीवी न्यूज इंडस्ट्री का कारोबार लगभग 3000 करोड़ रुपये के करीब है और इसकी स्थिर स्टेट ग्रोथ लगभग 4-5% है।"

उन्होंने कहा कि जब चुनावी वर्ष आता है, तो आप लगभग 8-10% या यूं कहें कि 10% की वृद्धि देखते हैं। चुनाव पूरी इंडस्ट्री के लिए 150-200 करोड़ रुपये की बूस्ट प्रदान करता है। 

ऐड इन्वेंट्री पर प्रभाव

चुनावों के दौरान ऐडवर्टाइजिंग स्पेस की बढ़ती मांग के कारण उपलब्ध स्लॉट की कमी हो सकती है, विशेष रूप से प्राइम टाइम के दौरान व डिबेट और चुनाव जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के लाइव कवरेज के दौरान।

सिंह ने आगे कहा, “एफएमसीजी, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल हैंडसेट, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कैटेगरीज ने इस चुनावी सीजन में हमारे चैनल्स में वृद्धिशील वॉल्यूम को जोड़ा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि ऐड वॉल्यूम्स में 25-30% बढ़ जाएगी।''

भारत एक्सप्रेस के कोहली ने साझा किया कि नॉर्मल ऐडवर्टाजिंग डेज की तुलना में ऐड इन्वेंट्री 10-20% बढ़ जाती है। लेकिन उनका सुझाव है कि लगभग सभी न्यूज ब्रॉडकास्टर्स इस अवधि के लिए तैयार हैं और इसलिए, इन्वेंट्री का प्रबंधन वास्तव में कोई समस्या नहीं है।

ऐड रेट में उछाल

बढ़ती मांग के चलते ऐडवर्टाजिंग रेट्स हाई हो जाते हैं। इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया है कि चुनावों के दौरान, कुछ न्यूज चैनल ऐडवर्टाजिंग रेट में 50% से अधिक की वृद्धि करते हैं, जबकि कुछ तो 100% तक बढ़ा देते हैं। इसके अतिरिक्त, यह उल्लेखनीय है कि मतगणना के दिन इन्वेंट्री प्रीमियम दरों पर बेची जाती है और यह 200% तक बढ़ सकती है।

उदाहरण के लिए, एक प्रमुख हिंदी न्यूज चैनल जो आम तौर पर 5,000 रुपये में 10 सेकंड का स्लॉट बेचता है, अब उन्हें 75,000 रुपये से 80,000 रुपये में बेच रहा है। इसी तरह, एक अन्य हिंदी न्यूज चैनल जो 2,000 रुपये में ऐड स्लॉट बेचता है, अब उन्हें 50,000-60,000 रुपये में बेच रहा है। छोटे न्यूज चैनल, जो 1,000-1,500 रुपये में स्लॉट बेचते थे, अब उन्हें 20,000 रुपये में बेच रहे हैं।

हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' के साथ पहले बातचीत में जी ने साझा किया था कि उन्हें चुनाव अवधि के दौरान विज्ञापन दरों में 15-20% की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

मतदान, एग्जिट पोल, विशेष चुनाव नेतृत्व वाली पहल, मतगणना और सरकार गठन जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर एनडीटीवी को पर्याप्त प्रीमियम मिलता है। विशेष चुनाव कंटेंट और विशेष दिनों पर उनकी विज्ञापन दरें 3-4 गुना तक बढ़ गई है। 

एनडीटीवी की काउंटिंग डे की इन्वेंट्री भी काफी मजबूत है, क्योंकि इस चुनावी सीजन में ऐडवर्टाइजर्स की दिलचस्पी काफी आशाजनक है। सिंह ने कहा, हमारे ऐड रेट्स  हमारे नियमित चैनल दरों का 20-25 गुना होने की उम्मीद है।

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भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज वॉल्टर सलदान्हा का निधन ?>

चैत्र ऐडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड (अब लियो बर्नेट इंडिया) के संस्थापक वॉल्टर सलदान्हा का 28 दिसंबर को निधन हो गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 02 January, 2025
Last Modified:
Thursday, 02 January, 2025
WalterSaldanha87444

चैत्र ऐडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड (अब लियो बर्नेट इंडिया) के संस्थापक वॉल्टर सलदान्हा का 28 दिसंबर को निधन हो गया।

2001 में, उन्होंने एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड रिसर्च (AICAR बिजनेस स्कूल) की स्थापना की। उनका करियर 1947 में एक टाइपिस्ट के रूप में शुरू हुआ, उस समय वह अपनी 16वें जन्मदिन से कुछ महीने छोटे थे।

1951 में, उन्होंने जे वाल्टर थॉम्पसन (JWT इंडिया) नामक विज्ञापन एजेंसी में एक सीनियर अकाउंट एग्जिक्यूटिव के सेक्रेटरी के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने JWT में कई भूमिकाएं निभाईं और श्रीलंका में JWT के संचालन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1972 में, उन्होंने अपनी खुद की विज्ञापन एजेंसी चैत्र ऐडवरटाइजिंग शुरू करने का निर्णय लिया।

ब्रेंडन परेरा, जिन्होंने सलदान्हा के साथ मिलकर इस एजेंसी की स्थापना की थी, का निधन इसी साल जुलाई में हुआ था।

1983 तक, चैत्र ऐडवरटाइजिंग भारत की शीर्ष 10 विज्ञापन एजेंसियों में शामिल हो गई थी। 1990 के दशक के अंत में, चैत्र ऐडवरटाइजिंग का अधिग्रहण लियो बर्नेट द्वारा किया गया, जो दुनिया की अग्रणी विज्ञापन एजेंसियों में से एक है।

2001 में, उन्होंने एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड रिसर्च (AICAR बिजनेस स्कूल) की स्थापना की। वह एप्टेक लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य भी रहे।

उनका अंतिम संस्कार 3 जनवरी को बांद्रा वेस्ट स्थित सेंट थेरेसा चर्च में किया जाएगा। चर्च में दर्शन और प्रार्थना सभा के बाद, उन्हें सेंट एंड्रूज कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा।

वॉल्टर सलदान्हा का जीवन और उनका योगदान विज्ञापन जगत में हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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MIB ने OTT प्लेटफॉर्म्स को चेताया, नशीले पदार्थों के महिमामंडन पर लगाएं लगाम ?>

सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म्स को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे अपने कंटेंट में नशीले पदार्थों और साइकोट्रॉपिक ड्रग्स के उपयोग को बढ़ावा देने या उनके महिमामंडन से बचें।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 18 December, 2024
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Wednesday, 18 December, 2024
MIB

सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे अपने कंटेंट में नशीले पदार्थों और साइकोट्रॉपिक ड्रग्स के उपयोग को बढ़ावा देने या उनके महिमामंडन से बचें।

मंत्रालय की यह चेतावनी इस बात को लेकर आई है कि इस तरह का कंटेंट युवा दर्शकों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मंत्रालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को उनके "सामाजिक उत्तरदायित्व" की याद दिलाते हुए कहा है कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कंटेंट में किसी भी रूप में नशीले पदार्थों के सेवन को फैशनेबल या स्वीकार्य न दिखाया जाए।

मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि ऐसे कार्यक्रमों में जहां कहानी या पटकथा के हिस्से के तौर पर ड्रग्स का चित्रण होता है, वहां पब्लिक हेल्थ मैसेज और डिस्क्लेमर शामिल किए जाएं, ताकि दर्शकों को ड्रग्स के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जा सके।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अधिसूचित 'सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021' का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि किसी भी प्रकाशक को ऐसा कंटेंट प्रकाशित, प्रसारित या प्रदर्शित नहीं करना चाहिए, जो किसी कानून के तहत प्रतिबंधित हो या जिसे किसी अदालत ने अवैध घोषित किया हो।

मंत्रालय की ओर से जारी इस सलाह में कहा गया, “ऐसे चित्रण के गंभीर प्रभाव होते हैं, विशेषकर युवा और संवेदनशील दर्शकों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके द्वारा होस्ट किए गए कंटेंट में किसी भी रूप में नशीले पदार्थों के सेवन का महिमामंडन या प्रचार-प्रसार न हो। यदि किसी कहानी में ड्रग्स का उपयोग दिखाया गया है, तो उसे समाज में 'फैशनेबल' या 'स्वीकार्य' न दिखाया जाए।”

इसके साथ ही मंत्रालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को यह भी प्रोत्साहित किया है कि वे ऐसे कंटेंट, जैसे डॉक्यूमेंट्री फिल्में, का निर्माण और प्रचार करें जो नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों को उजागर करें। इसे उनके कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का हिस्सा बनाने की भी सलाह दी गई है।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों का पालन न करने पर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट की गहन जांच की जा सकती है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और मादक पदार्थ एवं साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस), 1985 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

गौरतलब है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लंबे समय से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निशाने पर हैं। सरकार इनके कंटेंट को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार कर रही है। हालांकि, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट निर्माताओं ने इस कदम का लगातार विरोध किया है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा बताया है।

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इमामी लिमिटेड पर भ्रामक विज्ञापन को लेकर लगा 15 लाख का जुर्माना ?>

नई दिल्ली के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इमामी लिमिटेड पर अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों के लिए 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 11 December, 2024
Last Modified:
Wednesday, 11 December, 2024
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नई दिल्ली के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इमामी लिमिटेड पर अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों के लिए 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला कंपनी की फेयरनेस क्रीम ‘फेयर एंड हैंडसम’ को लेकर है, जिसमें वादा किया गया था कि नियमित उपयोग से त्वचा का रंग गोरा हो जाएगा।

यह फैसला एक उपभोक्ता द्वारा 11 साल पहले दायर की गई शिकायत के बाद आया है। शिकायतकर्ता ने 2013 में 79 रुपये में यह क्रीम खरीदी थी। उनका आरोप था कि उत्पाद को पैकेजिंग पर दिए गए निर्देशों के अनुसार, दिन में दो बार साफ त्वचा पर लगाने के बावजूद क्रीम ने वादे के अनुसार कोई परिणाम नहीं दिया।

आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल के नेतृत्व में उपभोक्ता मंच ने क्रीम के दावों की जांच की। उन्होंने पाया कि उत्पाद की पैकेजिंग और विज्ञापनों में नियमित उपयोग से तीन सप्ताह में गोरेपन का दावा किया गया था। हालांकि, निर्देशों में यह नहीं बताया गया था कि परिणामों को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे संतुलित आहार, व्यायाम या स्वस्थ जीवनशैली की आवश्यकता हो सकती है।

इमामी ने अपनी दलील में कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित करने में असफल रहा कि उसने क्रीम को सही तरीके से इस्तेमाल किया। इसके अलावा, कंपनी ने यह अजीब दावा किया कि यह क्रीम 16 से 35 वर्ष की आयु के स्वस्थ पुरुषों के लिए बनाई गई है, जो कि पैकेजिंग पर कहीं उल्लेखित नहीं था।

मंच ने कंपनी की इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि उपभोक्ता को अधूरी जानकारी देकर दोष नहीं दिया जा सकता। "एक सामान्य उपभोक्ता यह मान सकता है कि सीमित निर्देशों का पालन करने से गोरेपन का वादा पूरा होगा," मंच ने कहा।

आयोग ने यह माना कि इमामी की विपणन रणनीति भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं की श्रेणी में आती है। इसके साथ ही कंपनी को ‘फेयर एंड हैंडसम’ से जुड़े सभी विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल्स को वापस लेने का आदेश दिया गया।

आयोग ने इमामी को दिल्ली राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में ₹14.5 लाख जमा करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, शिकायतकर्ता को ₹50,000 का मुआवजा और ₹10,000 कानूनी खर्च के रूप में दिए गए।

सजा के महत्व को रेखांकित करते हुए मंच ने कहा, "दंडात्मक क्षतिपूर्ति का उद्देश्य कंपनियों को अनुचित या भ्रामक व्यवहार से रोकना है। यह उन्हें गलत प्रथाओं को सुधारने और भविष्य में ऐसी गतिविधियों को दोहराने से बचाने की याद दिलाता है।"

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2028 तक भारत का विज्ञापन बाजार ₹1.58 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना: PwC रिपोर्ट ?>

PwC इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय एंटरटेनमेंट व मीडिया (E&M) इंडस्ट्री में आगामी वर्षों में शानदार वृद्धि देखने को मिलेगी।

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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PwC इंडिया की रिपोर्ट "Global Entertainment & Media Outlook 2024–28: India perspective" के अनुसार, भारतीय एंटरटेनमेंट व मीडिया (E&M) इंडस्ट्री में आगामी वर्षों में शानदार वृद्धि देखने को मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय एंटरटेनमेंट व मीडिया (E&M) इंडस्ट्री की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 8.3% रहने का अनुमान है और यह 2028 तक 3,65,000 करोड़ रुपये (19.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच सकता है। यह वृद्धि वैश्विक औसत 4.6% से कहीं अधिक होगी, जिससे भारत की स्थिति ग्लोबल एंटरटेनमेंट व मीडिया इंडस्ट्री में मजबूत बनी रहेगी।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आर्थिक चुनौतियों और भूराजनीतिक तनावों के बावजूद, ग्लोबल एंटरटेनमेंट व मीडिया इंडस्ट्री ने 2023 में 5.5% की वृद्धि दर्ज की। इस अवधि में ग्लोबल एंटरटेनमेंट व मीडिया इंडस्ट्री का राजस्व 13,891,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 17,359,000 करोड़ रुपये हो गया। अमेरिका वर्तमान में एंटरटेनमेंट व मीडिया बाजार में सबसे बड़े राजस्व उत्पन्न करने वाले देश के रूप में शीर्ष पर है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर और भारत नौवें स्थान पर है।

PwC इंडिया के चीफ डिजिटल ऑफिसर व TMT लीडर मनप्रीत सिंह अहूजा ने कहा, "भारत का एंटरटेनमेंट व मीडिया (E&M) सेक्टर एक बड़े बदलाव के कगार पर है। हमारी 'Global Entertainment & Media Outlook 2024-2028' रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल विज्ञापन, OTT प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन गेमिंग और जनरेटिव AI जैसे प्रमुख विकास के तत्व इस इंडस्ट्री के भविष्य को आकार दे रहे हैं। ये तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्र भारत को इनोवेशन और ग्रोथ में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित कर रहे हैं। जो कंपनियां तेजी से बदलते हुए बाजार के रुझानों के साथ अपने उत्पादों और सेवाओं में बदलाव करेंगी, वे उन अद्वितीय और बड़े अवसरों को अपने पक्ष में कर सकती हैं, जो इस तेजी से बदलते इंडस्ट्री में मौजूद हैं।''

भारत में बेहतर कनेक्टिविटी, बढ़ती विज्ञापन आय और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को लेकर अनुकूल सरकारी नीतियों के कारण, अगले पांच वर्षों में देश की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक रहने की संभावना है। देश की 91 करोड़ से अधिक मिलेनियल और जेन-Z जनसंख्या को दुनिया के सबसे सस्ते डेटा शुल्क का लाभ मिल रहा है। वर्तमान में भारत में 80 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन, 55 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स और 78 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। वास्तव में, भारतीय अपने मोबाइल फोन पर 78% समय एंटरटेनमेंट और मीडिया (E&M) से जुड़ी ऐप्स पर बिताते हैं। एंटरटेनमेंट और मीडिया क्षेत्र में भारत की मजबूत विकास दर का उपयोग करते हुए, भारत सरकार पहली WAVES समिट की मेजबानी करेगी, जिसका उद्देश्य साझेदारों के सहयोग और नवाचार के माध्यम से इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है।

भारत में बढ़ते उपभोग और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के साथ, विज्ञापन बाजार के 9.4% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 2023 के 1,01,000 करोड़ रुपये से 2028 तक 1,58,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है, जो वैश्विक औसत से 1.4 गुना अधिक है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा डिजिटल क्षेत्र (इंटरनेट विज्ञापन) से आएगा, जो 15.6% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 2023 के 41,000 करोड़ रुपये से 2028 तक 85,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इंटरनेट विज्ञापन की वर्ष दर वर्ष (YoY) वृद्धि, जो 2023 में 26.0% थी, 2024-2028 के पूरे अनुमानित अवधि के दौरान दो अंकों में बनी रहेगी और 2028 में यह 12.2% होने की उम्मीद है।

भारत में पारंपरिक टीवी विज्ञापन 2023 से 2028 के बीच 4.2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेगा, जबकि वैश्विक स्तर पर इसकी आय -1.6% की गिरावट दर्शाएगी। 2026 तक भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा टीवी विज्ञापन बाजार बनने की राह पर है। ​​​​​​

भारत में कुल ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स की आय 2023 में ₹16,480 करोड़ थी, जो 2028 तक 19.2% CAGR से बढ़कर ₹39,583 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

यदि वास्तविक पैसे के साथ गेमिंग (Real Money Gaming) को शामिल करें, तो 2023 में कुल गेमिंग और ईस्पोर्ट्स की आय ₹33,000 करोड़ (4 अरब डॉलर) थी और 2028 तक यह 14.5% CAGR से बढ़कर ₹66,000 करोड़ (8 अरब डॉलर) तक पहुंचने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर, वीडियो गेम्स और ईस्पोर्ट्स की आय 8.0% CAGR से बढ़ेगी।  

ओटीटी प्लेटफॉर्म 14.9% CAGR के साथ तीसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र होगा, जिससे भारत 2028 तक इस क्षेत्र में अग्रणी बन जाएगा। बुनियादी ढांचे में सुधार ने भारत के आउट-ऑफ-होम (OOH) विज्ञापन बाजार में भारी वृद्धि की है, जो 2023 में 12.9% बढ़ा। यह 7.6% CAGR से बढ़ता रहेगा।

वैश्विक स्तर पर प्रिंट विज्ञापन की आय में -2.6% CAGR की गिरावट के बावजूद, भारत का प्रिंट विज्ञापन बाजार 3% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे यह 2028 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्रिंट बाजार बन जाएगा। 

इंटरनेट विज्ञापन एशिया-प्रशांत क्षेत्र का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार बनकर उभरा है और वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर है। 2023 से 2028 के बीच इसमें 15.6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) होने की संभावना है।

कंपनियां नियामक अनुपालन को प्राथमिकता देकर और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ा सकती हैं और लक्षित विज्ञापन रणनीतियां लागू कर सकती हैं।

भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने 2023 में 20.9% की वृद्धि दर्ज की, जिससे इनका राजस्व ₹17,496 करोड़ तक पहुंच गया। 2028 तक यह दोगुना हो सकता है, जिसमें 14.9% की CAGR का अनुमान है। वहीं, ऑनलाइन गेमिंग और ईस्पोर्ट्स तेजी से बढ़ रहे हैं और 2028 तक एंटरटेनमेंट और मीडिया क्षेत्र (E&M) का 9% हिस्सा बनने की संभावना है।

अंत में, जनरेटिव एआई (GenAI) कंटेंट निर्माण, व्यक्तिगतकरण (personalisation) और मुद्रीकरण (monetisation) में क्रांति लाने वाला है। 2025 तक 70% से अधिक वैश्विक कंपनियों द्वारा इसे अपनाने की उम्मीद है। 

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कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर सख्ती, सरकार ने जारी किए नए दिशा-निर्देश ?>

सरकार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 14 November, 2024
Last Modified:
Thursday, 14 November, 2024
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सरकार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के तहत अब कोचिंग संस्थान ऐसे झूठे दावे नहीं कर सकेंगे, जिनमें 100% चयन या 100% नौकरी की गारंटी देने की बात की जाती है। इसके साथ ही, किसी भी सफल उम्मीदवार के नाम, फोटो या प्रशंसापत्र का उपयोग उनके लिखित सहमति के बिना विज्ञापनों में नहीं किया जा सकेगा। 

नए दिशा-निर्देश केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा तैयार किए गए हैं। CCPA ने यह कदम राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को मिली कई शिकायतों के आधार पर उठाया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया कि सरकार का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों को बंद करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उनके विज्ञापन उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन न करें। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कई कोचिंग सेंटर जानबूझकर छात्रों से महत्वपूर्ण जानकारी छुपाते हैं। इसलिए, इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से हमने कोचिंग उद्योग में शामिल लोगों को मार्गदर्शन प्रदान किया है।”

सीसीपीए अब तक नियमों का उल्लंघन करने वाले 54 कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी कर चुका है और लगभग ₹54.60 लाख का जुर्माना भी लगाया है। यह जुर्माना उन संस्थानों पर लगाया गया है जो भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से छात्रों को गुमराह कर रहे थे।

दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिंदु 

नए दिशा-निर्देशों के अंतर्गत कोचिंग संस्थानों को निम्नलिखित गलत दावे करने से प्रतिबंधित किया गया है:

- कोर्स की अवधि, शिक्षकों की योग्यता, फीस स्ट्रक्चर और रिफंड नीति के बारे में गलत जानकारी देना।

- चयन दर, परीक्षा रैंकिंग और 100% नौकरी की गारंटी या वेतन में वृद्धि की बात करना।
  
इन दिशा-निर्देशों में 'कोचिंग' को शैक्षिक सहायता, शिक्षा, मार्गदर्शन, अध्ययन कार्यक्रम और ट्यूशन के रूप में परिभाषित किया गया है, जबकि काउंसलिंग, खेल और रचनात्मक गतिविधियों को इससे बाहर रखा गया है।

सभी प्रकार के विज्ञापनों पर लागू होंगे ये दिशा-निर्देश

ये दिशा-निर्देश 'कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम' शीर्षक से जारी किए गए हैं और यह शैक्षिक सहायता, शिक्षा, मार्गदर्शन और ट्यूशन सेवाओं के सभी प्रकार के विज्ञापनों पर लागू होंगे। हालांकि, इसमें काउंसलिंग, खेल और रचनात्मक गतिविधियां शामिल नहीं हैं।

सरकार के इस कदम से कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन पारदर्शी और सटीक होने की उम्मीद है, ताकि छात्रों को गुमराह होने से बचाया जा सके।

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मद्रास हाई कोर्ट का फैसला: डॉक्टरों और अस्पतालों के मीडिया विज्ञापनों पर रोक नहीं ?>

खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि मीडिया से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह डॉक्टरों और अस्पतालों से संबंधित हर विज्ञापन की सत्यता की जांच कर सके।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 11 November, 2024
Last Modified:
Monday, 11 November, 2024
Madras-HC898

मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में डॉक्टरों और अस्पतालों द्वारा मीडिया में विज्ञापन देने पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया। यह फैसला एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता मंगैयारकरसी ने फर्जी डॉक्टरों, नकली दवाओं और चिकित्सा उपचारों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि डॉक्टरों और अस्पतालों से जुड़े विज्ञापन जनता को गुमराह कर रहे हैं और उनके लिए जोखिम भरे हो सकते हैं। याचिका में मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने से रोकने की अपील की गई थी। 

मुख्य न्यायाधीश केआर श्रीराम और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि मीडिया से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह डॉक्टरों और अस्पतालों से संबंधित हर विज्ञापन की सत्यता की जांच कर सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मेडिकल कमीशन के पास है। 

कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता ऐसी शिकायतों को मेडिकल कमीशन के सामने प्रस्तुत कर सकता है और यदि फर्जी अस्पताल या डॉक्टर इस तरह के भ्रामक विज्ञापन देते हैं, तो उनके खिलाफ पुलिस में भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। चूंकि आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहले से कानून मौजूद हैं, इसलिए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए मीडिया के खिलाफ कोई सामान्य आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।

 

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दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘ओट्स’ की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले विज्ञापन पर लगायी रोक ?>

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक स्वास्थ्य खाद्य ब्रैंड को ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया है जो ‘ओट्स’ की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 07 November, 2024
Last Modified:
Thursday, 07 November, 2024
Delhi HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक स्वास्थ्य खाद्य ब्रैंड को ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया है जो ‘ओट्स’ की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

यह आदेश मैरिको लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया। मैरिको ‘सफोला ओट्स’ के नाम से ओट्स बेचती है, जिसकी बाजार में मूल्य के आधार पर लगभग 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

मैरिको ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि प्रतिवादी ने अपने एक भ्रामक और अजीब विज्ञापन अभियान में नाश्ते के लिए ओट्स के उपयोग को 'घोटाला' बताया है और इसकी तुलना ‘चूना’ से की है, जो कि अपमानजनक है।

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि वादी को स्थगन का लाभ मिलना चाहिए, अन्यथा उसे अपूरणीय क्षति हो सकती है।

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक ऐसे सभी विज्ञापनों पर रोक लगा दी है।

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दैनिक भास्कर ने सार्थक दीवाली अभियान के तहत शुरू किया एक अनोखा कैंपेन ?>

दैनिक भास्कर समूह ने इस साल अपने वार्षिक सार्थक दीवाली अभियान के तहत एक अनोखा कैंपेन शुरू किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 29 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 29 October, 2024
DB7841

दैनिक भास्कर समूह ने इस साल अपने वार्षिक सार्थक दीवाली अभियान के तहत एक अनोखा कैंपेन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य है दीवाली का त्योहार उन लोगों के साथ मनाना जो अक्सर दूसरों की गिफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं होते। इस #SochBadlo #ListBadlo अभियान के जरिए, लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपनी खुशियां उन तक भी पहुंचाएं जिन्हें समाज में अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। 

इस अभियान में 'लिस्ट' का प्रतीकात्मक प्रयोग किया गया है, जो हमें याद दिलाता है कि हर किसी की खुशियों का ख्याल रखा जाए। इस अभियान को एक भावनात्मक फिल्म और प्रिंट विज्ञापनों के माध्यम से प्रचारित किया गया, जिसे वन ऐडवरटाइजिंग और रबर हॉर्न स्टूडियोज ने मिलकर तैयार किया है। 

कैंपेन का उद्देश्य है समुदाय में दयालुता के भाव को बढ़ावा देना और एक ऐसा प्रभाव पैदा करना जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाए। इसे सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है, जहां 5 दिनों में ही इंस्टाग्राम पर 7 मिलियन और यूट्यूब पर 3 मिलियन से अधिक व्यूज प्राप्त हुए हैं।

दैनिक भास्कर समूह के निदेशक गिरीश अग्रवाल का कहना है, “सार्थक दीवाली एक ऐसा पहल है जो दीवाली की खुशी को दूसरों के साथ बांटने का अवसर देता है। इस साल हमने इस कैंपेन के जरिए उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया है जो अक्सर समाज में उपेक्षित रह जाते हैं।”  

ब्रैंड और प्रोडक्ट मार्केटिंग के प्रमुख पवन पांडे ने बताया, “हमारा #SochBadlo #ListBadlo अभियान लोगों को प्रेरित करता है कि वे अपनी गिफ्ट लिस्ट में उन लोगों को भी शामिल करें जो किसी की सूची में नहीं हैं।” 

वन ऐडवरटाइजिंग एंड कम्युनिकेशन सर्विसेज़ लिमिटेड की निदेशक विभूति भट्ट का कहना है कि यह अभियान लोगों की सच्ची भावनाओं को उजागर करता है और दीपावली का संदेश पूरी ईमानदारी से पहुंचाता है।

दैनिक भास्कर समूह प्रिंट, रेडियो और डिजिटल मीडिया में 14 राज्यों में हिंदी, गुजराती और मराठी भाषाओं में उपस्थिति के साथ भारत का प्रमुख मीडिया समूह है। उनके प्रमुख प्रकाशन दैनिक भास्कर का विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े सर्कुलेशन का दर्जा है। 

इस दीवाली, सार्थक दीवाली का हिस्सा बनें और अपनी खुशियां उन लोगों के साथ बांटें जो अक्सर समाज में अनसुने और अनदेखे रह जाते हैं।

यहां देखें दैनिक भास्कर की सार्थक दीवाली वाली शॉर्ट फिल्म-

 

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फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई ?>

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 29 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 29 October, 2024
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फ्लिपकार्ट इंटरनेट (Flipkart Internet) ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है। बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म 'टॉफलर' (Tofler) की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने इस वित्त वर्ष में कुल 17,907.3 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो सालाना आधार पर लगभग 21% की वृद्धि है। इसके साथ ही, कंपनी का घाटा 41% घटकर 2,358 करोड़ रुपये पर आ गया।

यह लगातार दूसरा साल है जब फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 20% से अधिक वृद्धि दर्ज की है और घाटे में कमी आई है। वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने इस साल मार्केटप्लेस फीस से 3,734 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले वर्ष के 3,713.2 करोड़ रुपये से अधिक है। कलेक्शन सेवाओं से आय बढ़कर 1,225.8 करोड़ रुपये हो गई, जो पहले 1,114.3 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन से हुई आय ने विभिन्न मार्केट फीस को भी पीछे छोड़ दिया है।

फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करने के लक्ष्य के साथ, कंपनी की आय बढ़ी है और घाटा घटा है। संगठनात्मक पुनर्गठन के कारण कंपनी के संचालन खर्च भी कम हुए हैं, जो इसके मुनाफे में योगदान दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट का बाजार खंड मुख्य रूप से विक्रेताओं से कमीशन, विज्ञापन और अन्य सेवाओं की फीस से कमाई करता है।

 

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सरकारी विज्ञापनों में हो रहे धन के दुरुपयोग पर हाई कोर्ट की फटकार, समिति गठित करने का आदेश ?>

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सरकार को सरकारी विज्ञापनों में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है

Last Modified:
Monday, 28 October, 2024
Bombay HC

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सरकार को सरकारी विज्ञापनों में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है। इस समिति का गठन 14 दिसंबर तक किया जाना अनिवार्य है।

यह आदेश तब आया जब महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का पालन करने में असफल रही, जिसमें सरकारों को राजनीतिक पार्टियों के प्रचार के लिए सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से रोकने के लिए सख्त विज्ञापन नीति अपनाने की बात कही गई थी। 

सूत्रों के अनुसार, यह फैसला जस्टिस एमएस सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की पीठ ने सुनाया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को ऐसे अनैतिक कार्यों की रोकथाम के लिए समिति न होने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने इसे 'अनुचित' करार देते हुए कहा कि राज्य में ऐसी निगरानी समिति न होने का कोई ठोस कारण नहीं है। 

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 'कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक पार्टियों के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी विज्ञापन अभियान चलाना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है।

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