देश में विज्ञापनों पर नजर रखने वाली सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी ‘एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) ने वर्चुअल डिजिटल एसेट के लिए गाइडलाइन जारी कर की हैं
देश में विज्ञापनों पर नजर रखने वाली सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी ‘एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) ने वर्चुअल डिजिटल एसेट के लिए गाइडलाइन जारी कर की हैं। बता दें कि इस नई गाइडलाइन के तहत, क्रिप्टो विज्ञापनों को ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर निवेश से जुड़े जोखिमों की जानकारी देनी होगी।
गाइडलाइंस को सरकार व अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किया गया और ये गाइडलाइंस 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी। विज्ञापनों के लिए नई गाइडलाइंस को लेकर लंबे समय से सरकार के साथ चर्चा की जा रही थी।
‘जी बिजनेस’ की एक मुताबिक, ASCI ने नई गाइडलाइन के तहत कहा है कि क्रिप्टो विज्ञापनों के साथ रिस्क की जानकारी दी जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ग्राहकों को किसी भी तरह के भ्रामक दावों से दूर रखा जाए। साथ ही मुनाफे के बढ़ा-चढ़ाकर किए जाने वाले दावों से भी सचेत किया जा सके।
क्या है गाइडलाइंस?
1 अप्रैल 2022 से सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट-संबंधी विज्ञापनों पर लागू होंगी। VDA प्रॉडक्ट्स और VDA एक्सचेंजों या VDA की विशेषता वाले सभी विज्ञापनों में निम्नलिखित अस्वीकरण होना चाहिए। साफ लिखना होगा क्रिप्टो और NFT अनरेगुलेटेड प्रॉडक्ट हैं और भारी जोखिम हो सकता है।
VDA प्रॉडक्ट और सर्विसेज के विज्ञापनों में ‘करेंसी’, ‘सिक्योरिटीज’, ‘कस्टोडियन’ और ‘डिपॉजिटरी’ शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उपभोक्ता इन शर्तों को रेगुलेटेड प्रॉडक्ट के साथ जोड़ते हैं।
कॉस्ट कितनी होगी इसकी साफ-साफ जानकारी देनी होगी। विज्ञापन कौन दे रहा है इसकी साफ जानकारी देनी होगी। सेलिब्रिटीज को विज्ञापन से पहले जोखिम को समझना होगा।
विज्ञापनों में दी गई जानकारी उस सूचना या चेतावनियों का खंडन नहीं करेगी, जो रेगुलेटेड संस्थाएं समय-समय पर VDA प्रॉडक्ट के मार्केटिंग के लिए ग्राहकों को बताती हैं।
VDA प्रॉडक्ट की कॉस्ट या प्रॉफिट के बारे में साफ स्पष्ट जानकारी देनी होगी। विज्ञापनों में स्पष्ट, सटीक, पर्याप्त और अपडेट जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, 'Zero Cost' में उन सभी कॉस्ट को शामिल करना होगा, जिससे उपभोक्ता को ऑफर या ट्रांजैक्शन से संबंधित पूरी जानकारी मिल सके।
पिछले प्रदर्शन की जानकारी किसी भी आंशिक या पक्षपातपूर्ण तरीके से नहीं दी जा सकेगी। 12 महीने से कम की अवधि के लिए रिटर्न शामिल नहीं किया जाएगा।
VDA प्रॉडक्ट के हर विज्ञापन में स्पष्ट रूप से विज्ञापनदाता का नाम होना चाहिए और उनसे संपर्क करने का एक आसान तरीका (फोन नंबर या ईमेल) दिया जाना चाहिए। यह जानकारी इस तरह से प्रस्तुत की जानी चाहिए कि उपभोक्ता आसानी से समझ सके।
किसी भी विज्ञापन में ऐसे बयान नहीं होंगे जो भविष्य में मुनाफे में वृद्धि का वादा या गारंटी देते हों।
VDA प्रॉडक्ट की तुलना किसी दूसरी रेगुलेटेड एसेट से नहीं की जा सकती है।
एक जोखिम भरी श्रेणी है, VDA विज्ञापनों में दिखाई देने वाली मशहूर हस्तियों या प्रमुख हस्तियों को यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उन्होंने विज्ञापन में दिए गए बयानों और दावों के बारे में अपना उचित परिश्रम किया है, ताकि उपभोक्ताओं को गुमराह न किया जा सके।
आगामी आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के टीवी और डिजिटल दोनों के ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर 'डिज्नी स्टार' ने अपने साथ फिलहाल आठ स्पॉन्सर्स जोड़ लिए हैं।
किक्रेट का रोमांच और इससे होने वाली मोटी कमाई का जादू स्टेडिम से टीवी और अब टीवी से निकलकर ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के सिर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में आगामी आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के टीवी और डिजिटल दोनों के ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर 'डिज्नी स्टार' (Disney एtar ) ने अपने साथ फिलहाल आठ स्पॉन्सर्स जोड़ लिए हैं।
महिंद्रा SUVs एंड ट्रैक्टर्स co-powered के तौर पर बोर्ड के साथ जुड़े हैं, जबकि बुकिंग.कॉम, लुइस फिलिप, किंगफिशर, सर्फ एक्सेल, थम्स अप, ब्लैक एंड व्हाइट और MRF डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए associate sponsors हैं।
बता दें कि 26 सितंबर को, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने प्रमुख टूर्नामेंट के लिए आधिकारिक तौर पर एक ऐड कैंपेन जारी किया था, जिसमें डिज्नी+ हॉटस्टार पर आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप की मुफ्त स्ट्रीमिंग की घोषणा की गई था। इस ऐड में, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने स्पॉन्सर्स के नामों का भी अनावरण किया था।
ऐड में कपिल देव को शामिल किया गया है। इसमें वेस्टर्न स्टाइल ड्रामा दिखाया जाता है, जो बताता है कि दर्शक आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप का मजा बिल्कुल फ्री में उठा सकते हैं और वह भी डेटा सेवर मोड के साथ और यह सुनिश्चित करते हुए दिखाया गया कि दर्शकों को कम डेटा का उपभोग करते हुए बेहतर क्वॉलिटी मिलेगी।
जैसा कि पहले ही हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने यह जानकारी दी थी कि ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर को टीवी के लिए दो और स्पॉन्सरशिप मिली हैं, जोकि इंडसइंड बैंक और एमिरेट्स नाम से हैं। फोनपे, महिंद्रा ऑटो, कोक, मास्टरकार्ड और हिन्दुस्तान यूनिलीवर व अन्य बड़े ब्रैंड्स हैं, जो टूर्नामेंट के स्पॉन्सर्स के रूप में शामिल हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, 50 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स ने टूर्नामेंट के लिए साइन किया है और ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर अभी भी अन्य ऐडवर्टाइजर्स के साथ बातचीत कर रहा है।
डिज्नी + हॉटस्टार पर को-प्रजेटिंग के लिए ब्रॉडकास्टर ने 150 करोड़ रुपये का मूल्य निर्धारित किया है और पॉवर्ड बाइ स्पॉन्सर्स की कीमत 75 करोड़ रुपये है। वहीं एसोसिएट स्पॉन्सरशिप की कीमत 40 करोड़ रुपये है।
आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप (ODI World Cup 2023) के 13वें एडिशन का आगाज 5 अक्टूबर से भारत में हो रहा है। 2023 का यह पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप 5 अक्टूबर को 2019 के फाइनल वर्ल्ड कप के रिपीट टेलीकास्ट के साथ शुरू होगा। 5 सितंबर को अहमदाबाद में खेले जाने वाले पहले मैच में इंग्लैंड का सामना न्यूजीलैंड से होगा।10 विश्व स्तरीय स्थानों पर, 46 दिनों में 48 मैच खेले जाएंगे और 19 नवंबर को फाइनल होगा।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' की मीडिया कमेटी ने 14 पत्रकारों/एंकर्स द्वारा होस्ट किए जाने वाले शो अथवा इवेंट्स में अपने प्रतिनिधियों को न भेजने का फैसला लिया है।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (I.N.D.I.A) द्वारा 14 प्रमुख टीवी एंकरों के खिलाफ जारी बहिष्कार नोटिस का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बता दें कि ‘I.N.D.I.A’ की मीडिया कमेटी ने पिछले दिनों ही इन पत्रकारों/एंकर्स द्वारा होस्ट किए जाने वाले शो अथवा इवेंट्स में अपने प्रतिनिधियों को न भेजने का फैसला लिया है।
इस मामले में अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबर मिली है कि 'I.N.D.I.A' गठबंधन में शामिल 11 मुख्यमंत्री कुछ टीवी चैनल्स पर विज्ञापन बंद करने पर विचार कर रहे हैं, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे (चैनल्स) भाजपा समर्थक हैं।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को समर्पित एक सोशल मीडिया फैन पेज के अनुसार, ‘योजना इन चैनल्स पर आर्थिक रूप से प्रहार करने की है।’ इस फैन पेज में कहा गया है, ‘इन चैनल्स को भाजपा के प्रवक्ताओं को आमंत्रित करके भाजपा का एजेंडा चलाने दें और भाजपा शासित राज्यों द्वारा दिए गए विज्ञापनों से अर्जित धन से भी अपना चैनल चलाने दें।’
वहीं, इस तरह की खबरें सामने आने के बाद ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन’ (NBDA) ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताने के साथ ही चिंता व्यक्त की है।
'दि ऐडवरटाइजिंग क्लब' (The Advertising Club ) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रबंध समिति (Managing Committee) की घोषणा कर दी है
'दि ऐडवरटाइजिंग क्लब' (The Advertising Club ) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रबंध समिति (Managing Committee) की घोषणा कर दी है। 69वीं वार्षिक आम बैठक में हवास इंडिया के ग्रुप सीईओ राणा बरुआ को निकाय का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।
बरुआ ने पार्थ सिन्हा की जगह ली है, जो तत्काल तौर पर पूर्व अध्यक्ष के रूप में प्रबंध समिति के सदस्य बने रहेंगे।
अपनी नियुक्ति को लेकर 'दि ऐडवर्टाइजिंग क्लब' के अध्यक्ष राणा बरुआ ने कहा कि लगभग 70 साल पुरानी प्रतिष्ठित संस्था दि एड क्लब में अध्यक्ष के रूप में काम करना सम्मान की बात है, जिसकी विरासत उत्कृष्टता के प्रति इसकी अटूट प्रतिबद्धता में निहित है और हमारी इंडस्ट्री के लिए प्रेरणा का प्रतीक है। हमारा मिशन बहुत बड़ा है। हमारी नई प्रबंधन टीम, जोकि विभिन्न क्षेत्रों के विविध लीडर्स का मिश्रण है और अब असीमित संभावनाओं व अवसरों की यात्रा पर है। साथ मिलकर, हम सार्थक पहल करेंगे, जो हमें इंडस्ट्री में नई प्रतिभाओं को आकर्षित करने, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने, विविधता, समानता और समावेशन को आगे बढ़ाने व प्रगतिशील गठबंधनों और बातचीत को बढ़ावा देने में सक्षम बनाएगी।
निम्न सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए और वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए ऐडवर्टाइजिंग क्लब के पदाधिकारी हैं -
राणा बरुआ - अध्यक्ष
धीरज सिन्हा - उपाध्यक्ष
डॉ. भास्कर दास - सचिव
शशि सिन्हा - संयुक्त. सचिव
मित्रजीत भट्टाचार्य - कोषाध्यक्ष
प्रबंध समिति के सदस्यों में निम्न लीडर्स भी शामिल हैं, जो तालमेल बढ़ाने और विज्ञापन क्लब सभी इनीशिएटिव्स की सफलता सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे:
अविनाश कौल
मैल्कॉम राफेल
प्रशांत कुमार
पुनिता अरुमुगम
शुभ्रांशु सिंह
सोनिया हुरिया
सुब्रमण्येश्वर संयम
इसके अलावा, यहां देखें को-ऑप्टेड इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स की सूची:
अजय कक्कड़
प्रदीप द्विवेदी
विक्रम सखूजा
नीचे उन लीडर्स की सूची दी गई, जो विशेष आमंत्रित सदस्य हैं और अपनी विशेषज्ञता और संबंधित उद्योग क्षेत्रों की गहरी समझ के माध्यम से 'दि ऐडवर्टाइजिंग क्लब' को अपना योगदान प्रदान करेंंगे:
अजय चांदवानी
आलोक लाल
अनुषा शेट्टी
लुलु राघवन
मंशा टंडन
निशा नारायणन
राज नायक
सत्यनारायण राघवन
विकास खानचंदानी
इस अभियान को आगे बढ़ाने में प्रसार भारती, दूरदर्शन और आकाशवाणी मदद करेंगे
केंद्र सरकार स्वतंत्रता दिवस से पहले 'मेरी माटी मेरा देश' (Meri Maati Mera Desh) अभियान शुरू करने जा रही है। इस बारे में सूचना प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है, ‘यह अभियान 'हर घर तिरंगा' अभियान से कहीं अलग और अधिक महत्वाकांक्षी है। 'हर घर तिरंगा' अभियान जारी रहेगा, लेकिन यह उस अभियान से अलग स्तर का है।’
इस अभियान के मार्केटिंग बजट के बारे में अपूर्व चंद्रा का कहना है, ‘यह आजादी का 75वां वर्ष है और हम इसके लिए सशुल्क विज्ञापन (paid advertising) नहीं करना चाहते हैं। यह एक सामाजिक अभियान है और हम चाहते हैं कि हर भारतीय इसका हिस्सा बने। इसलिए, 'हर घर तिरंगा' अभियान की तरह हम इसके लिए किसी तरह के बजट पर विचार नहीं कर रहे हैं।’
वहीं, ‘प्रसार भारती’ के सीईओ गौरव द्विवेदी का कहना है, ‘प्रसार भारती, दूरदर्शन और आकाशवाणी इस अभियान को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से मदद करेंगे। हम अपने रेडियो और ब्रॉडकास्ट चैनल्स का इस्तेमाल कर इस अभियान को देश के हर कोने तक ले जाने का प्रयास करेंगे।’
इस अभियान के तहत, नागरिक मातृभूमि भारत की 'मिट्टी' को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। इसके तहत अमर बलिदानियों की स्मृति में देश भर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और देश की लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख भी स्थापित किए जाएंगे। इस अभियान के तहत देश भर में ‘अमृत कलश यात्रा’ भी निकाली जाएगी। देश भर से 7500 कलशों में मिट्टी और पौधे लेकर ये ‘अमृत कलश यात्रा’ दिल्ली पहुचेंगी। गांवों की मिट्टी से दिल्ली में एक बड़ा उद्यान तैयार किया जाएगा, जिसमें देश के सभी हिस्सों के पौधों को रोपा जाएगा।
इस वित्तीय वर्ष प्रिंट मीडिया सेक्टर का विज्ञापन राजस्व 13-15% बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है।
इस वित्तीय वर्ष प्रिंट मीडिया सेक्टर का विज्ञापन राजस्व 13-15% बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा किए प्रिंट मीडिया कंपनियों के एनालेसिस के मुताबिक, प्रमुख क्षेत्रों में कॉरपोरेट्स द्वारा विज्ञापन पर अधिक खर्च और आगामी राज्यों व आम चुनावों के मद्देनजर सरकारी विज्ञापन खर्च में बढ़ोतरी से भारतीय प्रिंट मीडिया क्षेत्र के राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि अखबारी कागज की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ, इस वित्तीय वर्ष में सेक्टर की प्रॉफिटिबिलिटी 1,000 बेसिस पॉइंट (बीपीएस) बढ़कर 14.5% हो जाएगी। सेक्टर के राजस्व का 40% से अधिक का हिसाब-किताब यही दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2021 में महामारी के दौरान सेक्टर का राजस्व (विज्ञापनों और सब्सक्रिप्शंस के बीच 70:30 का विभाजन) 40% तक कम हो गया था। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022 और 2023 में इसमें क्रमशः 25% और 15% की उछाल देखी गई, क्योंकि आर्थिक सुधार के कारण दबी हुई डिमांड ने विज्ञापन खर्च को बढ़ावा दिया।
क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर नवीन वैद्यनाथन ने कहा कि घरेलू स्तर पर अधिक डिमांड किए जाने वाले कंज्युमर गुड्स, खुदरा, कपड़े और फैशन ज्वैलरी के साथ नए ऑटोमोबाइल की लॉन्चिंग, उच्च शिक्षा के लिए बढ़ती प्राथमिकता, ऑनलाइन शॉपिंग और बढ़ते रियल एस्टेट सेल्स– ऐसे सेक्टर्स हैं, जो प्रिंट मीडिया के विज्ञापन राजस्व में लगभग दो-तिहाई योगदान देते हैं। ये विज्ञापन राजस्व में वृद्धि की गति को जारी रखेंगे। आगामी चुनावों के मद्देनजर सरकार द्वारा अधिक विज्ञापन खर्च, जो सेक्टर के कुल विज्ञापन का पांचवां हिस्सा योगदान में देता है, भी ग्रोथ को बढ़ावा देगा। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि विज्ञापन राजस्व 15-17% तक बढ़ेगा, जो इस वित्तीय वर्ष में लगभग महामारी-पूर्व स्तर तक पहुंच जाएगा।
निरंतर सुधार भारत में प्रिंट मीडिया की स्थायी लोकप्रियता को इंगित करता है। इसे लो कवर प्राइजेस, होम डिलीवरी की सुविधा, मूल और विश्वसनीय सामग्री प्रदान करने की क्षमता और अच्छी पढ़ने की आदतों से लाभ मिलता है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में सब्स्क्रिप्शन राजस्व में 8-10% की वृद्धि से पता चलता है कि पाठकों का एक बड़ा हिस्सा फिजिकल अखबार को ही प्राथमिकता देता रहा है।
इस वित्तीय वर्ष में, सब्सक्रिप्शन राजस्व 5-7% बढ़ने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण कवर की कीमतों में मध्यम संशोधन है। इसके अतिरिक्त, प्रिंट मीडिया कंपनियों, विशेष रूप से अंग्रेजी अखबारों ने प्रीमियम डिजिटल कंटेंट की मोनेटाइजिंग शुरू कर दी है, जिसमें अच्छा रुझान देखा जा रहा है। अंग्रेजी अखबारों की स्थानीय अखबारों की तुलना में डिजिटल प्रतिस्पर्धा ज्यादा है। अखबारों के प्रॉडक्शन के लिए प्रमुख कच्चे माल, अखबारी कागज की बढ़ती जरूरतों की वजह से प्रिंट मीडिया कंपनियों के सब्सक्रिप्शन ग्रोथ पर असर पड़ा है, जिसका प्रभाव इसकी प्रॉफिटिबिलिटी पर भी दिखा है। भारत अपनी कुल अखबारी कागजी आवश्यकता का आधे से अधिक आयात करता है और रूस, एक प्रमुख स्रोत है। रूस फरवरी 2022 से यूक्रेन के साथ युद्ध में व्यस्त है। संघर्ष तेज होने के कारण रसद गतिरोध के बीच माल ढुलाई दरें बढ़ गईं, जिसका प्रभाव पिछले वित्तीय वर्ष में अखबारी कागज की कीमतों पर भी पड़ा।
क्रिसिल रेटिंग्स के टीम लीडर रौनक अग्रवाल ने कहा कि अखबारी कागज की कीमतों में भारी उछाल से पिछले वित्त वर्ष में प्रिंट मीडिया कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 850 बीपीएस घटकर 4.5% रह गया है, फिर भले ही राजस्व में वृद्धि हुई हो। हालांकि, बीते कुछ महीनों में अखबारी कागज की कीमतों में गिरावट आई है, जोकि पिछले वित्तीय वर्ष के शिखर से 15-20% तक कम हुआ है और यह वैश्विक मांग में कमी और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों में कमी के कारण हुआ है। इससे, राजस्व वृद्धि के साथ, पिछले वित्तीय वर्ष के निम्न आधार पर इस वित्तीय वर्ष में मार्जिन 1,000 बीपीएस बढ़कर 14.5% हो जाना चाहिए। वित्तीय वर्ष के बीच में मार्जिन सही रहना चाहिए, लेकिन अतीत के 20% से अधिक के स्टेट मार्जिन से यह नीचे रहेगा। फिलहाल अखबारी कागज की कीमतों में किसी भी महत्वपूर्ण वृद्धि या सेक्टर की ग्रोथ और प्रॉफिटिबिलिटी को प्रभावित करने वाले व्यापक आर्थिक कारकों पर नजर रहेगी।
समेरा खान इनोवेशन कंसल्टेंट के रूप में शामिल होने के बाद 'स्केयरक्रो M&C साची' (Scarecrow M&C Saatchi ) की क्रिएटिव स्ट्रेटेजी व प्लानिंग पहल का नेतृत्व करेंगी
ऐडवर्टाइजिंग एजेंसी 'स्केयरक्रो M&C साची' (Scarecrow M&C Saatchi) से समेरा खान के जुड़ने की खबर है। वह यहां इनोवेशन कंसल्टेंट के रूप में शामिल हुईं हैं। वह 'स्केयरक्रो M&C साची' की क्रिएटिव स्ट्रेटेजी व प्लानिंग पहल का नेतृत्व करेंगी।
एजेंसी ने कहा कि वह अपने साथ ऐड एजेंसी के प्रति गहन समझ और विश्वस्तरीय अनुभव लायी हैं।
मेनलाइन, डिजिटल और प्लानिंग में विविध अनुभव रखने वाली समेरा को 17 वर्षों से ज्यादा का अनुभव है और उनका एक प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड है। उन्होंने UAE, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों में काम किया है, जहां उन्होंने 21Ogilvy, DraftFCB, Havas और Dentsu Webchutney जैसी एजेंसियों के साथ EVP-स्ट्रेटेजी और B2B बिजनेस हेड के रूप में कार्य किया है।
अपनी इस यात्रा के बीच में उन्होंने मुख्य ऐडवर्टाइजिंग से डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग की ओर रुख किया। ऐसा करने के बाद, उन्होंने रेड बुल, फ्लिपकार्ट, वोडाफोन, एयरटेल, शॉपर्स स्टॉप, बैक्सटर, टीच फॉर इंडिया और कई यूनिलीवर ब्रैंड्स के लिए काम किया।
सामेरा ने मुंबई के जेवियर्स कॉलेज और मायामी एड स्कूल में अतिरिक्त प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है। वर्तमान में, उन्होंने MICA, अहमदाबाद में इंटरैक्टिव कंसेप्चुअलाइजेशन, डिजिटल मार्केटिंग, UX/UI, कंज्युमर बिहेवियर और क्रिएटिव स्ट्रेटेजी में अपना योगदान दिया है।
इस मौके पर सामेरा ने कहा, 'मुझे स्केयरक्रो के विस्तार के मिशन का नेतृत्व करने में खुशी हो रही है। एजेंसी की मानवीय अंतर्दृष्टि, संस्कृति और प्रौद्योगिकी की सहज समझ नवाचार के नेतृत्व वाले विकास के अगले चरण के लिए एकदम सही आधार के रूप में कार्य करती है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए मौजूदा सरकार ने बड़ा ऑफर दिया है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए मौजूदा सरकार ने बड़ा ऑफर दिया है। राजस्थान सरकार ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को 10 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक के विज्ञापन देने का निर्णय किया है।
सूचना और जनसंपर्क विभाग (डीआईपीआर) द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर 10,000 से अधिक फॉलोअर्स वाला कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति 10,000 रुपए से पांच लाख रुपए प्रति माह तक के विज्ञापन दिए जा सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि डीआईपीआर जल्द ही ऐसे प्रभावशाली लोगों का पैनल बनाएगा और प्रक्रिया एक या दो सप्ताह में शुरू हो जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीआईपीआर ने फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर प्रभावशाली लोगों के लिए चार श्रेणियां बनाई गई हैं, जिसमें फॉलोअर्स के छह महीने के इतिहास का मूल्यांकन किया जा रहा है। हर श्रेणी में पोस्ट व वीडियो की संख्या अलग-अलग निर्धारित की गई है।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के अलावा प्रतिष्ठित व्यक्तियों व सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स विभागीय समिति की अनुशंषा पर बिना किसी कैटेगिरी व दरों को ध्यान में रखते हुए 5 लाख रुपए तक का विज्ञापन मिलेगा।
फॉलोअर्स या सब्सक्राइबर्स की चार श्रेणियां
फेसबुक व इंस्टाग्राम रील के कितने पैसे?
ट्विटर पर कितने पैसे मिलेंगे?
एमफ्लुएंसर के सीईओ भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया एजेंसी आईएएनएस को बताया कि कंपनी का आधिकारिक बयान है कि अगला चुनाव सोशल मीडिया के जरिए लड़ा जाएगा। सिंह ने कहा कि यह कोई नई घटना नहीं है। 2014 और 2019 का चुनाव भी सोशल मीडिया के जरिए लड़ा गया था। अब, 2024 में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आईटी सेल के बाद, आप आने वाले वर्षों में पार्टियों के भीतर एक अलग 'इंफ्लुएंसर सेल' देख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले राजनीतिक दल बॉलीवुड सितारों, टीवी हस्तियों और खिलाड़ियों को शामिल करते थे और वे चुनाव के दौरान प्रचार करते थे। यही बात अब सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स पर भी लागू हो गई है। इसका मुख्य कारण उनका फॉलोअर बेस और दर्शक हैं। उन्होंने कहा कि न केवल राजस्थान में कांग्रेस सरकार बल्कि भाजपा भी बड़ी संख्या में ऑनलाइन फॉलोअर्स वाले हास्य कलाकारों, भजन गायकों, फूड व्लॉगर्स, नर्तकों और इंफ्लुएंसरों को लुभाने की योजना बना रही है।
सिंह ने कहा कि उद्देश्य अगले साल के लोकसभा चुनाव अभियान के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनावों में बढ़त हासिल करना है। उन्होंने कहा कि भाजपा मौजूदा वैचारिक सहानुभूति रखने वालों से परे, सार्वजनिक पहुंच वाले सोशल मीडिया आइकनों को लुभाने और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए गए कार्यों को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
सिंह ने कहा कि आज हर पार्टी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के साथ जुड़ना चाहती है क्योंकि अधिकांश युवा आबादी अब टीवी चैनल की बजाय सोशल मीडिया पर रील्स या यूट्यूब वीडियो या ओटीटी देखने में अधिक समय बिता रही है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल इन इंफ्लुएंसर के माध्यम से बड़े पैमाने पर दर्शकों, खासकर युवा आबादी तक पहुंचना चाहते हैं।
सिंह ने कहा कि भारत में 24 करोड़ से ज्यादा लोग इंस्टाग्राम और 25.2 करोड़ से ज्यादा यूट्यूब इस्तेमाल करते हैं। एक औसत भारतीय प्रतिदिन लगभग 2.36 घंटे सोशल मीडिया पर बिताता है। सिंह ने कहा, "सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के साथ जुड़ना कम समय में इतने बड़े दर्शकों तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है और इसलिए प्रवृत्ति में यह बदलाव आया है।
ग्लोबल ऐडवर्टाइजिंग व मार्केटिंग टेक्नोलॉजी कंपनी CitrusAd ने रिटेल मीडिया की वर्तमान और भविष्य की स्थिति पर रिटेलर्स और ब्रैंड्स की विस्तार से ग्लोबल स्टडी की है
आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी डिजिटल परिदृश्य में, रिटेलर्स और ब्रैंड्स को अपने लक्षित दर्शकों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने और उनके साथ जुड़ने में तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस जटिल वातावरण को नेविगेट करने के लिए कंज्यूमर मीडिया की आदतों, वरीयताओं और प्रवृत्तियों को समझना महत्वपूर्ण है। लिहाजा ग्लोबल ऐडवर्टाइजिंग व मार्केटिंग टेक्नोलॉजी कंपनी CitrusAd ने रिटेल मीडिया की वर्तमान और भविष्य की स्थिति पर रिटेलर्स और ब्रैंड्स की विस्तार से ग्लोबल स्टडी की है। बता दें कि CitrusAd की पैरेंट कंपनी Epsilon है। इस शोध में उसका पार्टनर रहा Phronesis Partners.
इस शोध के तहत जनवरी 2023 और मार्च 2023 के बीच 12 देशों में 689 मध्यम से लेकर बड़े आकार के ब्रैंड्स और रिटेलर्स का सर्वे किया गया।
सर्वे में रिटेल मीडिया के बारे में ब्रैंड्स और रिटेलर्स की धारणा और उनके दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझाने की मांग की गई और इसके अलावा, उत्तरदाताओं को यह साझा करने को कहा गया कि रिटेल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रमुख मानदंडों के साथ-साथ रिटेल मीडिया स्ट्रैटजी क्या है और ऑफर में उन्होंने क्या कदम उठाए हैं या फिर उठाने जा रहे हैं।
स्डटी के निष्कर्ष में शामिल प्रमुख बातें :
- विखंडन (fragmentation) से निराश ब्रैंड्स और रिटेलर्स: स्टडी के प्रमुख निष्कर्ष महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डालते हैं कि रिटेलर्स और ब्रैंड्स को अपनी मीडिया स्ट्रैटजी को परिशोधित करते समय विचार करने की आवश्यकता है। उत्तरदाताओं ने रिटेल मीडिया के निष्फल शीर्ष चालकों के रूप में असंगत टार्गेट और चैनलों/ कार्यनीतियों में अलग-अलग रिपोर्टिंग की पहचान की, जिसकी कीमत खरीदारों को चुकानी पड़ती है।
- 64% उत्तरदाता इस बात से सहमत हैं कि कई टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स के साथ रिटेल मीडिया नेटवर्क का दुकानदारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
एप्सिलॉन के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर जो डोरान ने कहा, "रिटेल मीडिया के आवेश में कंज्यूमर एक्सपीरियंस को अकसर अनदेखा कर दिया जाता है।" उन्होंने कहा, "हम नए ऑफर्स को लेकर प्रचार में इतने फंस जाते हैं कि हम इस तथ्य को अनदेखा कर देते हैं कि विखंडन (fragmentation) कमजोर विज्ञापन अनुभव और निराश खरीदारों को लीड करने लग जाता है। हमारा मानना है कि चैनलों पर अलग-अलग खरीदारों को मैसेज भेजने पर ध्यान केंद्रित करने वाले समाधान बेहतर प्रदर्शन देते हैं। ब्रैंड्स मौजूदा और संभावित इन-मार्केट शॉपर्स से बात करना चाहते हैं। रिटेलर्स को उन कन्वर्सेंशंस को बड़े पैमाने पर ले जाना चाहिए और चैनलों के माध्यम से सुगम बनाना चाहिए, जो कंज्यूमर जर्नी में कहीं भी इन-मार्केट शॉपर्स तक पहुंच सकें। इसलिए, जब हम इंडिविजुअल शॉपर्स को विज्ञापन के केंद्र में रखते हैं, तो हर कोई जीत जाता है।"
इसके अलावा, सर्वे में पाया गया कि:
- रिटेलर ओपन वेब (ऑफ़-साइट रिटेल मीडिया) पर शॉपर्स तक पहुंचने की क्षमता का दोहन नहीं कर रहे हैं: रिटेल मीडिया मॉनेटाइजेशन के लिए केवल 37% रिटेलर्स ऑफ-साइट का उपयोग कर रहे हैं और 42% ब्रैंड्स ने ऑडियंस टार्गेट कस्टमाइजेशन/एक्यूरेंसी को ही ऑफ-साइट रिटेल मीडिया को अपनाने में आने वाली सबसे बड़ी बाधा के रूप में पहचाना है।
- ब्रैंड्स और रिटेलर्स दोनों द्वारा पहचानी जाने वाली शीर्ष प्राथमिकताओं में ऐडवर्टाइजर्स के अनुभव को बढ़ाना और इन्वेंट्री को अनुकूलित करना शामिल है। सभी उत्तरदाताओं में से 76% मानते हैं कि ऐडवर्टाइजर्स के अनुभव की क्वॉलिटी उनके ऑर्गनाइजेशन के लिए रिटेल मीडिया का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
- जबकि 75% मानते हैं कि उपलब्ध इन्वेंट्री की मात्रा सबसे महत्वपूर्ण है।
कर्नाटक में 10 मई को मतदान है और सोमवार यानी आज शाम पांच बजे तक प्रचार थम जाएगा। इसके पहले निर्वाचन आयोग ने रविवार को एडवाइजरी जारी की है
कर्नाटक में 10 मई को मतदान है और सोमवार यानी आज शाम पांच बजे तक प्रचार थम जाएगा। इसके पहले निर्वाचन आयोग ने रविवार को एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार चुनाव के दिन और एक दिन पहले मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से मंजूरी के बिना प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराएगा।
जारी एडवाइजरी में निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को शिष्ट तरीके से प्रचार अभियान करने पर जोर दिया है। आयोग ने कहा कि आपत्तिजनक और भ्रामक प्रकृति के विज्ञापन पूरी चुनाव प्रक्रिया को दूषित करते हैं।
चुनाव आयोग ने अखबारों के संपादकों को भी एक अलग पत्र लिखा है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के पत्रकारिता आचरण के मानदंड उनके समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते हैं। आयोग ने कर्नाटक के समाचार पत्रों के संपादकों को लिखे एक पत्र में कहा, 'यदि जिम्मेदारी से इनकार किया जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से पहले ही बता दिया जाए।'
राजनीतिक दलों को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या कोई अन्य संगठन अथवा व्यक्ति मतदान के दिन और इससे एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं कराएगा, जब तक कि राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री उनके द्वारा राज्य/जिले की एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणित न करा ली जाए।’
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया के एक वर्ग को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था।
केंद्र सरकार ने जुए और सट्टेबाजी से संबंधित विज्ञापनों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इस कवायद के तहत केंद्र ने मंगलवार को सभी राज्य सरकारों से जुए और सट्टेबाजी से संबंधित उन विज्ञापनों पर रोक लगाने का आग्रह किया है, जो देशभर में होर्डिंग्स और ऑटो-रिक्शा पर दिखाई देते हैं।
इस बाबत सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है, जिसमें जुए और सट्टेबाजी मंचों से जुड़े होर्डिंग, बैनर और ऑटो-रिक्शा पर दिखने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए उचित कार्रवाई करने को कहा है।
चंद्रा ने कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापन भ्रामक हैं, और ये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 के तहत विज्ञापन संहिता और प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के अनुरूप नहीं दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि सट्टेबाजी और जुआ देश के ज्यादातर हिस्सों में अवैध है, इसलिए वे उपभोक्ताओं, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए वित्तीय और सामाजिक आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं।
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनल, डिजिटल समाचार प्रकाशकों और ओटीटी मंचों को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था। जुए और सट्टेबाजी मंचों के विज्ञापन मीडिया के एक वर्ग- प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन में दिखाई देने के बाद सरकार को यह परामर्श जारी करना पड़ा था, लेकिन मंंत्रालय के पास कई राज्यों में सट्टेबाजी को लेकर होर्डिंग और बैनर लगाए जाने के मामले सामने आए हैं।