शेमारू एंटरटेनमेंट ने एक नया हिंदी एंटरटेनमेंट चैनल लॉन्च किया है
शेमारू एंटरटेनमेंट ने एक नया हिंदी एंटरटेनमेंट चैनल लॉन्च किया है, जिसका नाम है 'चुंबक टीवी' लॉन्च किया है।
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, चैनल भारत के युवाओं का एंटरटेनमेंट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। चैनल पर इंटरनेशनल डब किए शोज, नए जमाने के क्रिएटिव कंटेंट, बेहतरीन एनीमेशन शोज प्रसारित किए जाएंगे। मस्ती व खुशी चाहने वाले युवाओं के लिए यह चैनल अल्टीमेट सोर्स बनने का प्रयास करेगा।
चुंबक टीवी का उद्देश्य दर्शकों को बहुत ही ज्यादा मनोरंजक कंटेंट दिखाना है, जो इसके प्रोग्राम्स के सार को कैप्चर करते हुए इसकी टैगलाइन 'मस्त है' के साथ जुड़ सके। इसका कंटेंट ऐसे दर्शकों के लिए तैयार किया गया है, जो अपने प्रियजनों के साथ देख सकें और इसका आनंद ले सकें। चैनल के कंटेंट स्लेट में 'गॉब्लिन' (Goblin) जैसे लोकप्रिय के-ड्रामा, 'जंगल बुक' और 'वीर-द रोबोट बॉय' जैसी पसंदीदा सीरीज के साथ-साथ नए जमाने के क्रिएटर्स के लिए आकर्षक कंटेंट और कई रोमांचक शो शामिल हैं।
शेमारू के सीओओ अर्घ्य चक्रवर्ती ने कहा कि चुंबक टीवी को लॉन्च करना हमारे लिए एक और मील का पत्थर है, क्योंकि हम बी2सी स्पेस में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहे हैं। अपने मौजूदा चैनलों की सफलता को देखते हुए हमें विश्वास है कि 'चुंबक टीवी' भी हिट साबित होगा। हमारा लक्ष्य इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है और मार्केट में अग्रणी बने रहना है।
2 अगस्त 2025 से चैनल पर शुरू हो रहा है एक बेहद दमदार और खोजी शो- 'स्पेशल टास्क', जिसकी मेजबानी करेंगे प्रतिष्ठित व पुरस्कार विजेता पत्रकार जगविंदर पटियाल।
एबीपी न्यूज टेलीविजन पर 2 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है एक बेहद दमदार और खोजी शो- 'स्पेशल टास्क', जिसकी मेजबानी करेंगे प्रतिष्ठित व पुरस्कार विजेता पत्रकार जगविंदर पटियाल। हर शनिवार रात 8 बजे प्रसारित होने वाला यह शो सिर्फ कहानियां नहीं सुनाएगा, बल्कि आम लोगों के अनकहे संघर्षों को सामने लाएगा, सिस्टम की खामियों को उजागर करेगा और उन सच्चाइयों को जनता के सामने रखेगा जिन पर देशव्यापी बहस की जरूरत है।
'स्पेशल टास्क' का मकसद उन मुद्दों की तह तक पहुंचना है जिन्हें अक्सर मुख्यधारा मीडिया में नजरअंदाज कर दिया जाता है। एबीपी न्यूज की यह पेशकश जमीनी स्तर पर की गई गहन रिपोर्टिंग और चश्मदीद गवाहियों के जरिए कड़वी सच्चाइयों को सामने लाती है। इसके पहले सीजन का शीर्षक है ऑपरेशन बीटा, जिसमें तीन एक घंटे के एपिसोड होंगे– हर एक कड़ी समाज से जुड़े बेहद संवेदनशील और गंभीर मुद्दों को निर्भीकता से उजागर करेगी। भूले-बिसरे समुदायों की पीड़ा से लेकर संस्थागत लापरवाहियों तक, इस सीरीज का हर हिस्सा दर्शकों को सोचने और सवाल उठाने के लिए मजबूर करेगा।
इस शो की सबसे बड़ी ताक़त हैं जगविंदर पटियाल, जिनके पास 27 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव है। युद्धग्रस्त इलाकों से लेकर राजनीतिक संकट और प्राकृतिक आपदाओं तक, उन्होंने हर मौके पर फील्ड से बेखौफ और गहन रिपोर्टिंग की है। उन्हें रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार और बलराज साहनी राष्ट्रीय सम्मान जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिल चुके हैं। उनकी रिपोर्टिंग की तीव्रता और सच्चाई से जुड़ाव ही 'स्पेशल टास्क' को एक प्रामाणिक और प्रभावशाली शो बनाता है।
चैनल के मुताबिक, 'स्पेशल टास्क' केवल एक शो नहीं, बल्कि एक पत्रकारिता मिशन है- ऐसा मिशन जो दबे हुए सवालों को उजागर करे, सत्ता से जवाब मांगे, और उन सच्चाइयों को सामने लाए जिन पर पर्दा डाल दिया गया है। यह शो बोलने से वंचित लोगों की आवाज बनेगा, सच्ची और साहसी पत्रकारिता के जरिए जमीनी हकीकतों को देश के सामने रखेगा और हर एपिसोड के साथ एक सार्थक संवाद को जन्म देगा।
7 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने जा रहे इस खास कार्यक्रम में जोश, उद्देश्य और बदलाव की नई लहर देखने को मिलेगी। इस पहल का आयोजन iTV नेटवर्क द्वारा किया जा रहा है और इसे 'न्यूजX' प्रस्तुत कर रहा है।
"जब महिलाएं उठती हैं, तो देश बदलते हैं और इस बदलाव की शुरुआत होती है 'We Women Want' से।" भारत के सबसे सशक्त महिला मंचों में से एक 'We Women Want Conclave & Shakti Awards 2025' इस वर्ष फिर से राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बनने जा रहा है। 7 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने जा रहे इस खास कार्यक्रम में जोश, उद्देश्य और बदलाव की नई लहर देखने को मिलेगी। इस पहल का आयोजन iTV नेटवर्क द्वारा किया जा रहा है और इसे 'न्यूजX' प्रस्तुत कर रहा है।
यह कॉन्क्लेव 'We Women Want' नामक लोकप्रिय साप्ताहिक कार्यक्रम का विस्तार है, जो गैर-लाभकारी पहल के रूप में महिला मुद्दों को केंद्र में रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह मंच उन महिलाओं को सम्मानित करता है जिन्होंने व्यक्तिगत संघर्षों को अपनी ताकत बनाया और समाज में बदलाव की मिसाल कायम की।
'We Women Want' ने हमेशा समकालीन भारतीय महिलाओं की चुनौतियों को उठाया है, चाहे बात ग्रामीण और शहरी इलाकों में माहवारी स्वच्छता की हो या पालन-पोषण से जुड़े मानसिक और सामाजिक दबावों की, कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की हो या पुलिस, सेना, चिकित्सा जैसी वर्दीधारी सेवाओं में महिलाओं के अनुभवों की। इस मंच ने महिला ऑटोचालकों, ऐसिड अटैक सर्वाइवर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और समुदाय की नेताओं को भी जगह दी है- हर आवाज में एक कहानी रही है हिम्मत की, हौसले की।
यह सिर्फ एक शो नहीं बल्कि एक आंदोलन बन चुका है, जो मुंबई जैसे मेट्रो शहरों से लेकर उत्तराखंड के पहाड़ों और भोपाल के दिल तक जा पहुंचा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह भारत की क्षेत्रीय विविधता को समेटते हुए हर महिला की आवाज को सुनने और सम्मान देने का प्रयास करता है।
इस आयोजन का एक प्रमुख आकर्षण है शक्ति अवॉर्ड्स, जो उन महिलाओं को सम्मानित करता है जिन्होंने विषम परिस्थितियों से लड़ते हुए अपने क्षेत्र में मिसाल कायम की है। यह पुरस्कार iTV नेटवर्क द्वारा शुरू किए गए थे और इन्हें अर्पित किया गया है श्रीमती शक्ति रानी शर्मा (पूर्व महापौर, अंबाला व iTV फाउंडेशन की ट्रस्टी) की स्मृति में।
अब तक ये सम्मान नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, देवेंद्र फडणवीस, किरण बेदी, आतिशी समेत कई प्रमुख नेताओं के हाथों प्रदान किए जा चुके हैं। 2025 का संस्करण इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन महिलाओं को सम्मानित करेगा जो फिल्म, राजनीति, सेना, चिकित्सा, फैशन, प्रशासन, उद्यमिता, समाजसेवा और बदलाव लाने वाले आंदोलनों की प्रतिनिधि हैं।ें
इस बार कॉन्क्लेव में कई विचारोत्तेजक विषयों पर पैनल चर्चाएं भी होंगी जैसे—
नेतृत्व में महिलाएं,
बेटियों की परवरिश,
‘ओजेम्पिक’ लेना या नहीं लेना,
औरत और आयुर्वेद,
बॉडी पॉजिटिविटी,
मां और करियर का संतुलन,
वर्दी में महिलाएं,
उम्र को सम्मान से जीना,
साउथ इंडिया की महिला लीडर्स,
नॉर्थईस्ट की आवाज,
और कई अन्य।
कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि होंगे केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और विशिष्ट अतिथि होंगी दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता। डॉ. शशि थरूर बतौर मुख्य वक्ता इस आयोजन की शोभा बढ़ाएंगे।
इस मंच पर जिन दिग्गजों की उपस्थिति देखने को मिलेगी उनमें शामिल हैं, एकता कपूर, दीया मिर्जा, शबाना आजमी, नेहा धूपिया, सुजैन खान, हरसिमरत कौर बादल, प्रियंका चतुर्वेदी, निमरत कौर, ऋतु बेरी, Lt Gen. साधना सक्सेना नायर और कई अन्य प्रसिद्ध चेहरे।
इसके साथ ही इस बार 'ड्रोन दीदी' और 'लखपति दीदी' जैसी जमीनी स्तर की प्रेरणादायक महिलाओं को भी मंच मिलेगा- जैसे नीरज, विमला कुमारी, सीमा, मनीषा कुमारी, उषा, नीरज देवी, लता शर्मा, और ललिता।
iTV नेटवर्क की चेयरपर्सन और 'We Women Want' की निर्माता डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने इस पहल के पीछे की सोच साझा करते हुए कहा, "जब हमने ये शो शुरू किया था, तो हमारा मकसद था एक ऐसा मंच तैयार करना जहां महिलाएं खुलकर बोल सकें और उन्हें बिना जज किए सुना जाए। आज ये शो एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है। शक्ति अवॉर्ड्स और कॉन्क्लेव के जरिए हम असली मुद्दों को उजागर कर रहे हैं, साहस का उत्सव मना रहे हैं और जमी जमाई सोच को चुनौती दे रहे हैं।"
iTV नेटवर्क के सीईओ अभय ओझा ने कहा, "2025 का संस्करण ये दिखाता है कि जब उद्देश्य से जुड़ी कहानियों को रणनीतिक तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो उसका प्रभाव बहुत व्यापक हो सकता है। यह iTV नेटवर्क को न सिर्फ एक मीडिया प्लेटफॉर्म बल्कि एक सामाजिक बदलाव के वाहक के रूप में स्थापित करता है।"
'We Women Want' अब iTV नेटवर्क के सोशल इंपैक्ट मीडिया पोर्टफोलियो को मजबूती देने के साथ-साथ एक सशक्त डिजिटल आंदोलन की नींव भी रख रहा है। 'न्यूजX' की राष्ट्रव्यापी पहुंच और iTV के संपादकीय बल के सहारे यह मंच आज की भारतीय महिलाओं की एक असली, प्रामाणिक आवाज बनता जा रहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों से संबंधित नीतिगत दिशा-निर्देशों में प्रस्तावित संशोधनों पर प्रतिक्रिया और टिप्पणियां भेजने की समयसीमा को आगे बढ़ा दिया है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों से संबंधित नीतिगत दिशा-निर्देशों में प्रस्तावित संशोधनों पर प्रतिक्रिया और टिप्पणियां भेजने की समयसीमा को आगे बढ़ा दिया है।
29 जुलाई 2025 को जारी एक आधिकारिक नोटिस में मंत्रालय ने कहा है कि वर्तमान में उपयोग में आ रही दर्शक मापन तकनीक भारत के टेलीविजन दर्शकों की जटिलता और विविधता को पूरी तरह नहीं दर्शा पाती। इसी आधार पर मंत्रालय ने देश की टीवी रेटिंग प्रणाली (TRP सिस्टम) में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव रखा है।
अब संशोधनों पर प्रतिक्रिया भेजने की नई अंतिम तिथि 1 सितंबर 2025 तय की गई है।
यह निर्णय इस उद्देश्य के तहत लिया गया है कि प्रस्तावित बदलावों पर अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और सभी हितधारकों से व्यापक फीडबैक प्राप्त हो। गौरतलब है कि इस प्रक्रिया के तहत 2 जुलाई 2025 को एक प्रारंभिक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें प्रतिक्रिया देने की 30 दिन की समयसीमा तय की गई थी।
वर्तमान समीक्षा के दायरे में वे नीतिगत दिशा-निर्देश आते हैं, जिनके तहत भारत में टेलीविजन ऑडियंस मापन और रेटिंग की प्रक्रिया संचालित होती है। यह क्षेत्र ब्रॉडकास्टिंग व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसी भी प्रकार का बदलाव सीधे तौर पर व्युअरशिप डेटा की संग्रहण और प्रस्तुति की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
टीवी व्युअरशिप तेजी से डिजिटल की ओर बढ़ रही है। अब सवाल यह नहीं कि नया ऑडियंस मीजरमेंट सिस्टम चाहिए या नहीं, बल्कि यह है कि इसकी लागत कौन उठाएगा और क्या यह इंडस्ट्री का भरोसा दोबारा जीत सकेगा?
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत में टीवी व्युअरशिप के बदलते दौर में अब बहस यह नहीं रही कि नया ऑडियंस मीजरमेंट सिस्टम चाहिए या नहीं। सवाल अब यह है कि इसकी कीमत कितनी होगी, इसे फंड कौन करेगा और क्या यह भरोसा दोबारा हासिल कर पाएगा?
BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) की सीमाओं को लेकर बढ़ती आलोचना के बीच, मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग जगत के एक्सपर्ट अब एक साझा सोच की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं कि नई, आधुनिक ऑडियंस मीजरमेंट प्रणाली बनाना तकनीकी रूप से संभव भी है और आर्थिक रूप से समझदारी भरा कदम भी, बस शर्त ये है कि इसे सही तरीके से लागू किया जाए।
BARC की पुरानी व्यवस्था की कमियों को दूर करने वाला नया ऑडियंस मीजरमेंट सिस्टम बनाने में जरूर भारी निवेश की जरूरत होगी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस पर आने वाली लागत 300 करोड़ से 500 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।
Media Care Brand Solutions के डायरेक्टर यासिन हमिदानी के मुताबिक, “भारत में एक भरोसेमंद टीवी रेटिंग्स सिस्टम बनाने के लिए शुरुआती निवेश 300 से 500 करोड़ के बीच हो सकता है, लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग, एआई आधारित मॉडलिंग और रियल-टाइम इंफ्रास्ट्रक्चर लंबे समय में लागत की भरपाई कर सकते हैं।”
एक अन्य इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने, नाम न छापने की शर्त पर, बताया कि यह अनुमानित बजट (जो 500 करोड़ रुपये तक हो सकता है) हार्डवेयर (जैसे पीपल मीटर और राउटर), फील्ड फोर्स की तैनाती, देशव्यापी पैनल मेंटेनेंस, रीयल टाइम डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम और थर्ड-पार्टी ऑडिट व डेटा सुरक्षा जैसे अनुपालन ढांचे को कवर करेगा।
हालांकि, यासिन हमिदानी का मानना है कि दीर्घकाल में इस व्यवस्था की लागत-कुशलता सबसे बड़ा लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा, “एक बार स्केल हो जाने पर, क्लाउड आधारित सिस्टम और एआई एकीकृत मॉडल स्थायी लागत को काफी हद तक घटा देते हैं। असली चुनौती खर्च नहीं, बल्कि परस्पर तालमेल और वैधता है।”
यह विचार कई स्टेकहोल्डर्स के साथ गूंजता है। एक ब्रैंड एक्सपर्ट ने कहा, “असल में तकनीक तो पहले से मौजूद है। जो चीज सबसे महंगी है, वो है सहमति। हर ब्रॉडकास्टर, एजेंसी और ऐडवर्टाइजर को साथ लाना सबसे मुश्किल हिस्सा है। यदि पैनल डिजाइन, डेटा उपयोग और मेथडोलॉजी को लेकर पारदर्शिता पर सहमति नहीं बनती, तो पूरी कोशिश असफल हो जाती है।”
भारत में फिलहाल 230 मिलियन से अधिक टीवी घर हैं, लेकिन केवल लगभग 58,000 पीपल-मीटर लगे हैं, जो कुल टीवी घरों का महज 0.025% प्रतिनिधित्व करते हैं। इन मीटरों का संचालन केवल BARC करता है, जो पिछले एक दशक से टीवी रेटिंग्स का एकमात्र स्रोत बना हुआ है। उपभोक्ता व्यवहार में भारी बदलाव के बावजूद BARC का पैनल 2018 के बाद से गंभीर रूप से अपडेट नहीं हुआ।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने खुद जुलाई 2025 में माना कि वर्तमान व्यवस्था अपर्याप्त है। यह स्मार्ट टीवी, ओटीटी प्लेटफॉर्म और मोबाइल डिवाइसेज पर होने वाली व्युअरशिप को दर्ज नहीं करती, जबकि आज के दौर में यही दर्शकों का बड़ा हिस्सा हैं।
इसका नतीजा है जिसे ऐडवर्टाइजर और ब्रॉडकास्टर "रेटिंग गैप" कहते हैं यानी वह डेटा गैप जो असल उपभोक्ता व्यवहार और मीडिया बजट की योजना के बीच मौजूद है। Pitch Madison Advertising Report 2025 के अनुसार, भारत में टीवी का ऐडवर्टाइजिंग शेयर 30% से नीचे गिर गया है, जबकि डिजिटल 50% के पार पहुंच गया है।
एक बड़ा बदलाव जो सामने आ रहा है, वह यह है कि ऐडवर्टाइजर वैकल्पिक रेटिंग्स प्रोवाइडर की स्थापना के लिए फंडिंग में हिस्सेदारी करने को तैयार हैं।
Jumboking की मार्केटिंग हेड सयंतनी दास के अनुसार, “यदि नया सिस्टम क्रॉस-प्लैटफॉर्म सटीकता और पारदर्शिता दे सके, तो भारतीय ब्रैंड्स और ऐडवर्टाइजर इसके लिए फंडिंग या समर्थन देने के लिए तैयार हैं।”
उद्योग से जुड़े कई लोगों का मानना है कि यदि कुछ शर्तें पूरी की जाएं तो ऐडवर्टाइजर इस पहल का समर्थन करेंगे। इनमें शामिल हैं:
वैश्विक मीडिया वैलिडेशन फर्मों से थर्ड-पार्टी ऑडिट
ऐडवर्टाइजर्स, एजेंसियों और ब्रॉडकास्टर्स की समान भागीदारी वाला निष्पक्ष गवर्नेंस
पायलट स्टडीज के जरिए सिस्टम की विश्वसनीयता और अभियानों से तालमेल का परीक्षण
टीवी, मोबाइल और ओटीटी पर डिवाइस-अज्ञेय (device-agnostic) रीयल टाइम मापन
और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वतंत्र बेंचमार्किंग
एक ब्रैंड एक्सपर्ट ने कहा, “मुद्दा हमेशा यह रहा है कि खर्च कौन करेगा और किसके हितों की रक्षा होगी। असली बाधा लागत नहीं है, बल्कि भरोसे की कमी है।”
उनका यह भी मानना था कि सबसे उपयुक्त फंडिंग मॉडल संभवतः बड़ी मीडिया एजेंसियों के जरिए आएगा जो ऐडवर्टाइजर्स की ओर से एग्रीगेटर की भूमिका निभा सकें—जैसे कि AAAI या MRUC मॉडल। “ऐसी संस्था चाहिए जहां हर स्टेकहोल्डर को अपनी आवाज और वीटो का अधिकार महसूस हो।”
भारत का मौजूदा टीवी रेटिंग्स ढांचा सिर्फ तकनीकी ही नहीं, बल्कि संरचनात्मक बाधाओं से भी जूझ रहा है। 2014 की "Policy Guidelines for Television Rating Agencies" के अनुच्छेदों ने BARC के एकाधिकार को संरक्षित किया था, जिससे नए खिलाड़ियों की एंट्री सीमित हो गई।
हालांकि, जुलाई 2025 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्ट संशोधन में इस स्थिति को बदलने की कोशिश की गई है। इसमें:
अनुच्छेद 1.4 में ढील दी गई है ताकि ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी और हितों के टकराव से बचाव हो सके
अनुच्छेद 1.5 और 1.7 को हटाया गया है जो नए एंट्रेंट्स के लिए रुकावट थे
एकाधिक एजेंसियों को प्रोत्साहन दिया गया है ताकि नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले
कवरेज को CTV, मोबाइल और OTT तक बढ़ाया गया है
ब्रॉडकास्टर्स और ऐडवर्टाइजर्स जैसे अन्य स्टेकहोल्डर्स को नियंत्रित निगरानी के तहत निवेश की अनुमति दी गई है
ऑडियंस मापन को आधुनिक बनाने के लिए रिटर्न-पाथ डेटा और कनेक्टेड डिवाइसेज के साथ बेहतर इंटीग्रेशन भी जरूरी है। एंड्रॉइड सेट-टॉप बॉक्स इस दिशा में अहम हैं, लेकिन इनकी कीमत अब भी बड़ी बाधा है।
केबल इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ व्यक्ति ने बताया कि उच्च इंपोर्ट ड्यूटी के कारण ये बॉक्स 3,500 से 4,000 रुपये के बीच महंगे पड़ते हैं।
“यदि इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाए या टैक्स इंसेंटिव दिए जाएं, तो इनका अपनाया जाना तेज हो सकता है,” उन्होंने कहा।
एक अन्य एक्सपर्ट के मुताबिक, चूंकि MSO और DTH प्लेटफॉर्म करीब 10 करोड़ घरों तक पहुंचते हैं, यदि डेटा प्राइवेसी और प्राइसिंग को संतुलित किया जाए तो यहीं से रीयल टाइम डेटा एकत्र करना पूरी तरह संभव है।
हालांकि MIB का ड्राफ्ट पॉलिसी सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन कुछ कानूनी अस्पष्टताएं अब भी मौजूद हैं।
Singhania & Co. के पार्टनर रोहित जैन ने चेताया कि अनुच्छेद 1.4 की व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति बन सकती है।
उनके अनुसार, “भले ही अनुच्छेद हटा दिए जाएं, लेकिन रेगुलेशन की भावना बनी रहनी चाहिए। हितों के टकराव से हर कीमत पर बचना होगा।”
अंततः, भारत में टीवी रेटिंग्स का भविष्य केवल लागत या तकनीक पर नहीं, बल्कि संरेखण (alignment) पर निर्भर करेगा।
सभी एक्सपर्ट्स की एक राय थी कि यदि नया सिस्टम सफल होना है तो:
यह सांख्यिकीय रूप से प्रतिनिधिक होना चाहिए, कम से कम 70,000 घरों का पैनल शामिल हो
क्षेत्र, भाषा और सामाजिक-आर्थिक वर्गों में संतुलन हो
रीयल टाइम डेटा, डिवाइस क्रॉस-अट्रिब्यूशन और मीडिया प्लानिंग टूल्स के साथ एपीआई इंटीग्रेशन हो
और मजबूत फ्रॉड डिटेक्शन व डेटा सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाएं
Jumboking की सयंतनी दास ने कहा, “यदि आपका सिस्टम जमीनी सच्चाई को प्रतिबिंबित नहीं करता, तो वह ऐडवर्टाइजिंग खर्चों को प्रभावित नहीं कर पाएगा। ब्रैंड्स ऐसी इनसाइट चाहते हैं जिन पर वे कार्रवाई कर सकें और जिनमें वे यकीन कर सकें।”
भारत के पास तकनीक है, निवेश की क्षमता है—अब जरूरत है तो सिर्फ सामूहिक इच्छाशक्ति की।
2 अगस्त को सार्वजनिक सुझावों की 30-दिनी विंडो बंद होते ही, MIB के ये ड्राफ्ट सुधार भारत में पारदर्शी, आधुनिक और मल्टी-प्लैटफॉर्म ऑडियंस मीजरमेंट के नए युग की राह खोल सकते हैं।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) ने हाल ही में एक विशिष्ट पैनल चर्चा “Decoding the TN Playbook – Growth, Granularity & the Power of Regional Love” का आयोजन किया
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) ने हाल ही में एक विशिष्ट पैनल चर्चा “Decoding the TN Playbook – Growth, Granularity & the Power of Regional Love” का आयोजन किया, जिसमें Nippon Paint India, Thalappakatti Hotels, KTV Health Foods (Sunland) और खुद Zee के चीफ ग्रोथ ऑफिसर आशीष सहगल जैसे दिग्गज मार्केटिंग लीडर्स ने हिस्सा लिया। इस चर्चा का संचालन R.K. Swamy Media Group के वाइस प्रेजिडेंट के. सत्यनारायण ने किया। इस सत्र का उद्देश्य था यह दिखाना कि किस तरह तमिलनाडु की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मीडिया परिदृश्य को स्थानीय ब्रैंड अपने नेतृत्व की रणनीतियों में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं- Zee के व्यापक प्लेटफॉर्म्स के सहयोग से।
चर्चा की शुरुआत Sunland के अरविंद नायडू ने की, जिन्होंने बताया कि कैसे उनकी एडिबल-ऑयल ब्रैंड स्थानीय मुहावरों और सीरियल कलाकारों के माध्यम से ओम्नी-चैनल कैंपेन बनाती है। उन्होंने कहा कि Zee के टेलीविजन नेटवर्क ने भरोसे का आधार बनाने में मदद की है, जबकि डिजिटल सहयोगों के जरिए जिले-स्तर पर अत्यधिक लक्षित जुड़ाव संभव हो पाया है। उन्होंने खासतौर से यह उल्लेख किया कि तमिल संस्कृति में गहराई से जुड़ी कहानियों (जैसे कि Zee धारावाहिकों के कलाकारों के साथ विशेष कुकिंग एपिसोड) की मदद से Sunland ने तमिलनाडु में सनफ्लावर ऑयल सेगमेंट में अपनी अग्रणी स्थिति को और भी मजबूत किया है।
Nippon Paint India के हरि हर सुधन ने जापान के टोक्यो से चेन्नई तक के अपने ब्रैंड के सफर की बात करते हुए बताया कि Pongal जैसे त्योहारों और Jallikattu जैसे पारंपरिक आयोजनों के इर्द-गिर्द बनाए गए सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक अभियानों में Zee की भूमिका निर्णायक रही है। उन्होंने कहा कि Zee के तमिल-विशेष चैनलों के जरिए ब्रैंड 98 प्रतिशत दर्शकों तक बिना अपने संदेश को कमजोर किए पहुँच बना सकता है और स्थानीय दर्शकों से सच्चे मायनों में जुड़ सकता है।
Thalappakatti Hotels के ए. सेंथिल कुमार ने अपने ब्रैंड की छह दशकों से अधिक की विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “Be Tamil, Feel Tamil, Act Tamil” केवल नारा नहीं, बल्कि व्यवसाय की आत्मा है। उन्होंने बताया कि कैसे Zee के क्षेत्रीय चैनलों ने मदुरै के रसोईघरों से लेकर तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में उनकी बिरयानी श्रृंखला की लोकप्रियता को फैलाने में सहयोग किया। उन्होंने अपने ब्रैंड के ₹1,400 करोड़ मूल्यांकन का श्रेय Zee के ऑडियंस डेटा से मिली गहरी समझ को दिया, जिसने कंटेंट और वितरण दोनों की रणनीति गढ़ने में मदद की।
Zee के Chief Growth Office आशीष सहगल ने कहा, “हमारा हाइपर-लोकल कहानी कहने का प्रयास केवल भाषा तक सीमित नहीं है, यह क्षेत्रीय पहचान की हर बारीकी को समझने का प्रयास है। उन्नत विश्लेषण और Zee के मल्टी-स्क्रीन इकोसिस्टम के जरिए हम ब्रैंड्स को उपभोक्ताओं की आकांक्षाएं पहचानने और भविष्य की प्रवृत्तियों को आकार देने में समर्थ बनाते हैं।”
इस पैनल चर्चा का समापन इस साझा स्वीकारोक्ति के साथ हुआ कि तमिलनाडु जैसे राज्य में सफलता पाने के लिए सांस्कृतिक सूक्ष्मताओं की गहरी समझ, विविध मीडिया का समावेश और ऐसा सहयोगी जरूरी है, जिसके प्लेटफॉर्म्स हर घर तक संदेश को प्रभावी ढंग से पहुंचा सकें।
डिजिटल और प्रिंट सब्सक्रिप्शन को बढ़ाने के साथ-साथ 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' और 'साहित्य आजतक' जैसे प्रमुख आयोजनों से राजस्व अर्जित करने की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।
इंडिया टुडे ग्रुप में अजय मिश्रा को असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (कंज्यूमर रेवेन्यू) के पद पर प्रमोट किया गया है। यह जानकारी उन्होंने हाल ही में एक लिंक्डइन अपडेट के जरिए साझा की। इस नई और विस्तृत भूमिका में अजय अब ग्रुप के सभी पब्लिशिंग ब्रैंड्स के लिए कंज्यूमर रेवेन्यू रणनीतियों का नेतृत्व करेंगे। इसमें डिजिटल और प्रिंट सब्सक्रिप्शन को बढ़ाने के साथ-साथ 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' और 'साहित्य आजतक' जैसे प्रमुख आयोजनों से राजस्व अर्जित करने की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।
इसके अलावा, वे सीआरएम (कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट) और कस्टमर केयर से जुड़ी जिम्मेदारियां भी संभालेंगे, ताकि सब्सक्राइबर अनुभव को और बेहतर बनाया जा सके। डिजिटल परफॉर्मेंस मार्केटिंग और रेवेन्यू ऑप्टिमाइजेशन में उनकी विशेषज्ञता के लिए पहचाने जाने वाले अजय मिश्रा ने इंडिया टुडे ग्रुप के सब्सक्रिप्शन और एंगेजमेंट मॉडल्स को प्रभावी ढंग से नया रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब वे एक "सब्सक्राइबर-फर्स्ट" दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने, डिजिटल ग्रोथ को गति देने और ऑडियंस एंगेजमेंट को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे, जिससे ग्रुप की बिजनेस और कंज्यूमर-फोकस्ड नेतृत्व की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।
गौरतलब है कि अजय मिश्रा फरवरी 2014 में इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े थे।
नोएडा के टीवी स्टूडियो में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ने मौलाना साजिद रशीदी को थप्पड़ मारा। मौलाना ने सपा सांसद डिंपल यादव को लेकर बयान दिया था।
नोएडा के सेक्टर‑126 में एक निजी टीवी चैनल के स्टूडियो में समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने मौलाना साजिद रशीदी को थप्पड़ मार दिया। विवाद तब शुरू हुआ जब मौलाना साजिद रशीदी ने टीवी डिबेट में समाजवादी सांसद डिंपल यादव की पहनावे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, मस्जिद में बिना सिर ढके बैठना 'इस्लामिक मर्यादा के खिलाफ' है। सपा युवा नेता मोहित नागर तथा अन्य कार्यकर्ताओं ने मौलाना को थप्पड़ मारा, क्योंकि वे इस टिप्पणी से गुस्से में थे। लखनऊ के विभूतिखंड थाना में सपा महिला विंग व नेता प्रवेश यादव की शिकायत पर BNS की धाराओं 79, 196, 197, 299, 352, 353 तथा IT Act की धारा 67 के अंतर्गत तहरीर दी गई है। आपको बता दें, भाजपा नेताओं और NDA सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन करते हुए इस टिप्पणी को महिलाओं और सांसद का अपमान बताया और सपा नेतृत्व के विरोध में आवाज उठाई।
नोएडा में मौलाना साजिद रशीदी को सपा कार्यकर्ता ने मारा थप्पड़
— आदित्य तिवारी / Aditya Tiwari (@aditytiwarilive) July 29, 2025
निजी चैनल के स्टूडियो में हुआ हमला, वीडियो वायरल
सपा नेता मोहित नागर ने जड़ा थप्पड़, भड़क उठे समर्थक
डिंपल यादव पर आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में कार्रवाई
मामला सेक्टर-126 थाना क्षेत्र का#Noida #SajidRashidi… pic.twitter.com/KprDdaws35
जब एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन को तथ्यों के सामने झुकना पड़ा, तो यह साफ़ संदेश जाता है कि भारतीय मीडिया में भी निष्पक्ष, निर्भीक और प्रमाणिक पत्रकारिता आज भी ज़िंदा है।
7 जून 2025 को अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार The Washington Post ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें दावा किया गया कि भारत के कई न्यूज़ चैनलों ने इस संवेदनशील विषय पर 'गैर-जिम्मेदाराना' रिपोर्टिंग की। रिपोर्ट में विशेष रूप से TV9 भारतवर्ष का नाम लेते हुए आरोप लगाया गया कि चैनल ने 'तथ्यों से भटकते हुए' भ्रामक समाचार प्रस्तुत किए।
TV9 भारतवर्ष ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह तथ्यहीन बताते हुए Washington Post को कानूनी नोटिस भेजा। चैनल ने अपनी रिपोर्टिंग के तथ्य, वीडियो फुटेज और प्रमाणों के साथ स्पष्ट किया कि उन्होंने पत्रकारिता के सभी मानकों का पालन किया था। इस कानूनी और तथ्यात्मक चुनौती के बाद, वॉशिंगटन पोस्ट ने न केवल गलती मानी, बल्कि TV9 भारतवर्ष से माफ़ी मांगते हुए यह वाक्य लिखा, 'We regret the error' और साथ ही, अपनी वेबसाइट से TV9 भारतवर्ष का नाम पूरी तरह हटा दिया।
TV9 भारतवर्ष ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, जब हम कहते हैं फिक्र आपकी, परवाह देश की, तो हम सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि पत्रकारिता की प्रतिबद्धता निभाते हैं। हमारी फिक्र तथ्यों की है, परवाह देश की छवि और जनता के विश्वास की है।
यह बयान सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि एक बड़ी सच्चाई की ओर इशारा करता है। सत्य को उजागर करना TV9 भारतवर्ष की प्रतिज्ञा और प्रतिबद्धता है। इस विवाद का समाधान केवल एक चैनल की प्रतिष्ठा की बहाली नहीं है, बल्कि यह भारतीय पत्रकारिता की एक बड़ी वैश्विक जीत है। जब एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन को तथ्यों के सामने झुकना पड़ा, तो यह साफ़ संदेश जाता है कि भारतीय मीडिया में भी निष्पक्ष, निर्भीक और प्रमाणिक पत्रकारिता आज भी ज़िंदा है।
TV9 न्यूज नेटवर्क में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने अपने चर्चित शो ‘&5’ के नए सीजन की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट के जरिए इस सुपरहिट शो की अगली पारी का संकेत दिया
TV9 न्यूज नेटवर्क में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने अपने चर्चित शो ‘&5’ के नए सीजन की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट के जरिए इस सुपरहिट शो की अगली पारी का संकेत दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि नया सीजन “नई कसावट, सजावट और तरावट” के साथ लौटने वाला है।
हेमंत शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि ‘&5’ की कामयाबी उसके “पंचतत्व” में छिपी है- सत्य, साहस, सहजता, सार्थकता और सरोकार। यही पांच तत्व इस शो की आत्मा हैं, जो न सिर्फ इसे अलग पहचान देते हैं बल्कि दर्शकों के दिलों में इसकी जगह भी बनाते हैं।
उन्होंने गर्व के साथ इस बात का भी जिक्र किया कि भारत के प्रधानमंत्री तक इस शो में मेहमान बन चुके हैं, जो इसकी साख और विश्वसनीयता का प्रमाण है। राजनीति से लेकर साहित्य, संगीत, कला, खेल, रक्षा, समाज, सत्ता, विचार, अध्यात्म और अनुसंधान तक – हर क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों ने इस मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
हेमंत शर्मा ने साफ किया कि शो बनाने का उद्देश्य किसी से मुकाबला करना नहीं, बल्कि दर्शकों का भरोसा जीतना है। उनका कहना है कि यही भरोसा अब और बड़ा होने जा रहा है और TV9 भारतवर्ष तथा ‘&5’ मिलकर इसे एक नई ऊंचाई देने जा रहे हैं।
पोस्ट के अंत में उन्होंने लिखा- “इंतजार अब खत्म ही है…”, जिससे संकेत मिलता है कि ‘&5’ का नया सीजन जल्द ही ऑन-एयर होने वाला है।
दर्शकों को अब एक बार फिर उस मंच का इंतजार है, जिसने संवाद की गरिमा और गहराई दोनों को एक साथ मंच पर लाकर रखा।
NDTV Profit ने इन परछाइयों से आंखें फेरने की बजाय उन्हें उजागर करने का फैसला किया। इन छिपे हुए कोनों पर रोशनी डालने और यह दिखाने की जिम्मेदारी ली कि असलियत में पर्दे के पीछे क्या चल रहा है।
हर वह निवेशक जो भारत की विकासगाथा पर भरोसा करता है, यह मानकर चलता है कि शेयर बाजार पारदर्शी है और सुरक्षित भी। लेकिन चमकते टिकर, बड़ी-बड़ी बातों और मुनाफे के सुनहरे वादों के पीछे कुछ परछाइयां भी होती हैं- ऐसे जालसाज जो नए भारत की महत्वाकांक्षाओं और भरोसे का फायदा उठाने को तैयार बैठे हैं।
NDTV Profit ने इन परछाइयों से आंखें फेरने की बजाय उन्हें उजागर करने का फैसला किया। इन छिपे हुए कोनों पर रोशनी डालने और यह दिखाने की जिम्मेदारी ली कि असलियत में पर्दे के पीछे क्या चल रहा है। इसी सोच से ‘Spot the Scam’ की शुरुआत हुई- एक ऐसा वादा जो बाजार की निगरानी करेगा, उसके शोर-शराबे से परे सच्चाई तक पहुंचेगा और उन निवेशकों के साथ खड़ा रहेगा जो ईमानदारी से ट्रेड करते हैं।
कार्यक्रम की पहली ही जांच में यह साबित हो गया कि यह पहल कितनी जरूरी थी। दिल्ली की एक फर्म 'Trade Dost' ने 13 जुलाई को एक प्रमुख हिंदी अखबार में पूरे फ्रंट पेज पर विज्ञापन देकर दावा किया कि वह इंट्राडे ट्रेडिंग में 500 गुना मार्जिन, कैरी फॉरवर्ड में 60 गुना मार्जिन, शून्य ब्रोकरेज, फौरन जमा-निकासी और बिना किसी दस्तावेज के ट्रेडिंग अकाउंट मुहैया करा रही है। इन सभी दावों को लेकर SEBI से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
NDTV Profit की खोजी पत्रकारिता टीम ने इसकी तह तक जाकर सच्चाई सामने लाई। रिपोर्ट के प्रसारण के कुछ ही दिनों के भीतर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को Trade Dost और ऐसी अन्य कंपनियों से दूर रहने की चेतावनी दी। जल्द ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उस अखबार को नोटिस भेजा, जिसने यह अवैध विज्ञापन प्रकाशित किया था।
NDTV Profit की मैनेजिंग एडिटर तमन्ना इनामदार ने इस मुहिम को कुछ यूं बयान किया- “जैसे-जैसे भारत के बाजारों में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ठगों के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं- कभी AI का सहारा, कभी फिशिंग अटैक और हर बार कुछ और शातिर तरकीबें। हमारी भूमिका सिर्फ रिपोर्टिंग की नहीं, बल्कि पर्दाफाश करने की है। हम खुलासे करते रहेंगे, लोगों को जागरूक करते रहेंगे, और उन निवेशकों के साथ खड़े रहेंगे जो भरोसे के साथ बाजार में आते हैं।”
‘Spot the Scam’ NDTV Profit की ओर से एक ऐसा संकल्प है जो निवेशकों के आत्मविश्वास को मजबूत बनाए, ताकि वे बिना किसी डर के बाजार में अपने सपनों को साकार कर सकें। यह ऐसा बाजार बनाने की दिशा में एक पहल है, जहां हर ईमानदार सपना खुले मन से पनप सके- विश्वास के साथ, निर्भयता के साथ।