कुछ चैनल्स की रेटिंग्स में संदिग्ध विसंगति को लेकर ब्रॉडकास्टर्स ने देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था 'ब्रॉडकास्टर ऑडियंस रिसर्च काउंसिल' (BARC) इंडिया को एक पत्र लिखा है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
कुछ चैनल्स की रेटिंग्स में संदिग्ध विसंगति को लेकर ब्रॉडकास्टर्स ने देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था 'ब्रॉडकास्टर ऑडियंस रिसर्च काउंसिल' (BARC) इंडिया को एक पत्र लिखा है। आठ जुलाई को ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन’ (NBA) के प्रेजिडेंट रजत शर्मा की ओर से बार्क इंडिया के चेयरमैन को लिखे गए इस लेटर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) की रेटिंग में असामान्य रूप से अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है, जबकि अन्य चैनल्स की रेटिंग में काफी कमी दिखाई गई है।
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बार्क इंडिया के चेयरमैन को लिखे इस लेटर में रजत शर्मा का कहना था, ‘आपके संज्ञान में यह मामला लाना चाहते हैं कि पिछले आठ हफ्ते और उससे भी ज्यादा समय से चैनल्स की रेटिंग्स सामान्य नहीं हैं। खासकर टीवी9 भारतवर्ष की रेटिंग काफी असामान्य है। इस मामले में हम टीवी9 भारतवर्ष की अभूतपूर्ण रेटिंग की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।’ न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की ओर से अंग्रेजी में लिखे गए इस लेटर को आप हूबहू यहां पढ़ सकते हैं।
1. After seeing an all-time high during lockdown, News viewership has been declining almost consistently on all parameters. From Wk 12 to Wk 25 News Time Spend (TSV) declined by 36%, this decline is consistent for all news channels except for TV9, which has actually increased by a huge 59%.
2. While TV news industry saw an unprecedented growth in Week 12/13, with maximum TSV, oddly TV9 has got its max TSV in Week 25, when most people are back to work and unlock has happened. More surprisingly it has higher contribution from Urban than Rural.
3. It is well known that legacy brands have an advantage during LIVE and fast unfolding news events of national importance. However, this week Chinese troops related news and Actor Sushant’s suicide which were the biggest in the recent 2 weeks have not given the legacy brands as much benefit as it has given to TV9 suddenly.
4. If we compare the viewing pattern of TV9’s common viewers of week 12 vis a vis Week 25, strangely viewers in Wk 12 spent 50 min on the channel (TSV) while in Wk 25 they have spent 71 min. This means that the same viewers are more interested in watching TV9 now than they did when they had all the time in hand during lockdown.
5. If we just compare viewer behaviour, New Viewers that added to TV9 in Week 12 had a time spend of 26 min however New Viewer who got added to the channel in Week 25 have a time spend of 36 minutes.
6. To reach a ranking position as high as no.2 even with landing channel support, brands have at least ranked 2 or 3 in reach. This example is phenomenal where channel is ranked no.7 in Weekly Reach in 000s, and yet No.1 in TSV and No.2 in Impressions. Other channels who have achieved this feat only recently, include R Bharat and News18 that touched no.3 on weekly reach parameter when they breached the ranking barrier.
7. BARC Rules on Landing on extraordinary surge may have missed 59 Ground interventions: TV9 Bharatvarsh is in landing on 59 headend find below state wise count. Were these tracked and trimmed from the output and in which manner? A similar table for Republic Bharat has been placed below to observe the scale of interventions in the genre, leading to subsequent unchecked rises.
8. The four big anchors on the channel are Nishant Chaturvedi, Sumaira Khan, Sameer Abbas and Dinesh Gautam. In all likelihood, they would not feature in any instant recall or Qual study. Therefore, no programming led loyalty factor can be attributed to this spike.
9. Compare GRPs below in absolute terms with its own sister channels in regional space. All have fallen in the two weeks, but TV9 Bharatvarsh has grown. So the advantage of network is also negated.
10. As per BARC’s BIO News, TV9 Bharatvarsh has very little On Location coverage.
11. It may be worthwhile to look at the track record of the organization and assess if any earlier instances of interventions or proven malpractices exist against it. The current floating WhatsApp’s raise serious suspicion.
12. Besides the Hindi genre, English has been suffering the same pattern of chaos. Many wild swings in single markets, compounded with the failure of a reach outlier picking mechanism, have made the data unusable. Republic TV continues to show exceptional Coverage in Chennai market, possibly because of an Out of Genre placement next to Tamil channels in gross violation of the law. How can an English speaking market be a single channel phenomenon? What is BARC’s plan to course correct?
एनबीए के अलावा अन्य तमाम ब्रॉडकास्टर्स ने भी बार्क इंडिया के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। ब्रॉडकास्टर्स की ओर से कहा गया है कि हर हफ्ते डाटा में छेड़छाड़ की जा रही है और ऐसा लगता है कि बार्क और ब्रॉडकास्टर पूरी तरह से मिलकर काम कर रहे हैं। ब्रॉडकास्टर की ओर से यह भी कहा गया है कि इस बारे में समस्या से अवगत कराए जाने के बावजूद हम बार्क के एक अधिकारी की ओर से न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट को इस तरह का अवांछित मेल किए जाने से हैरान हैं, जिसमें टीवी9 भारतवर्ष के वीकली डाटा की क्रेडिबिलिटी को सही ठहरा रहे हैं। बार्क इंडिया को लिखे लेटर में यह भी कहा गया है, ‘यह सर्वविदित है कि टीवी9 ग्रुप के तमाम चैनल्स पहले भी व्युअरशिप डाटा में हेरफेर करते हुए पकड़े गए हैं, ताकि उनकी रेटिंग बढ़ सके। इसके परिणामस्वरूप बार्क द्वारा उनके चैनल के डाटा को सस्पेंड भी किया गया था।’
इस लेटर में बार्क से मांग की गई है कि बार्क को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करानी चाहिए और डाटा में इस तरह के गलत आचरण में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे लोगों को बार्क से हटा देना चाहिए, जो इसकी विश्वसनीयता को ठेस पहुंचा रहे हैं। लेटर के अनुसार, बार्क में पिछले दिनों टॉप लेवल पर हुए बदलाव के बाद इस बात पर सहमति बनी थी कि पारदर्शिता के लिए और बार्क की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए इसकी टीम और सदस्यों की पूरी समीक्षा की जाएगी। लेकिन अभी तक इस संबंध में कुछ नहीं हुआ है, जिस वजह से डाटा में हेरफेर और भ्रष्टाचार की आशंका बनी रहती है।
रजत शर्मा की ओर से लिखे लेटर में कहा गया है, ‘मैं अवगत कराना चाहता हूं कि इस तरह के मामले से एनबीए बोर्ड सहमत नहीं है। एनबीए के सदस्य काफी धीरज से काम करते रहे हैं, लेकिन यह काफी समय से टूट रहा है। ऐसे में एनबीए के सदस्यों को बताया जाना चाहिए कि व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बार्क की क्या योजना है। पुरानी गलतियों को सुधारने और व्यवस्था में मौजूद लूप होल्स को ठीक करने के लिए क्या किया गया है। जहां तक हमने देखा है कि इस दिशा में कुछ नहीं किया गया है, जिससे यह बदतर हो गया है। इस तरह की स्थिति ज्यादा समय तक नहीं चल सकती है। इसके लिए हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।’
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान रिपोर्टिंग के अनुभव पर एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट में 'इंडिया टुडे' टीवी के मैनेजिंग एडिटर गौरव सावंत और भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता चारु प्रज्ञा ने चर्चा की।
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Samachar4media Bureau
'ऑपरेशन सिंदूर' के समय घटनाओं और खबरों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि जानकारी एकदम तेजी से और बड़े पैमाने पर आ रही थी। इस दौरान रिपोर्टिंग के अनुभव पर एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट (e4m NewsNext Summit) में 'इंडिया टुडे' टीवी के मैनेजिंग एडिटर गौरव सावंत और भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता चारु प्रज्ञा ने चर्चा की। उन्होंने इस दौरान जानकारी की सत्यता, न्यूजरूम के प्रोसेस और संकट के समय जानकारी जारी करने के तरीके पर बात की।
गौरव सावंत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को कवर करने के अपने अनुभव के बारे में बताया कि घटनाएं बहुत तेजी से हो रही थीं और जानकारी कई अलग-अलग स्रोतों से एक ही समय में आ रही थी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान से भी काफी जानकारी और विजुअल्स सामने आए। उनके मुताबिक, मुरिडके और बहावलपुर जैसे जगहों पर स्ट्राइक से जुड़े विजुअल्स सीमा पार से भी आए।
गौरव सावंत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में भारतीय न्यूजरूम बार-बार सरकार से जानकारी की पुष्टि करते थे। उन्होंने इस अवधि को जानकारी की अधिकता वाला समय बताया, जब कई जगहों से एक साथ इनपुट आ रहे थे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक जानकारी भी फैल रही थी।
उन्होंने बताया कि इंडिया टुडे टीवी और पूरे भारतीय मीडिया का प्रयास यही था कि जितनी हो सके जानकारी की पुष्टि की जाए और सिर्फ सत्यापित जानकारी ही प्रसारित की जाए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहुत सारी जानकारी, सही और गलत दोनों, फैल रही थी और न्यूजरूम का काम था सही तथ्यों को अनसत्यापित दावों से अलग करना।
ऑपरेशन के दौरान संपादकीय निर्णयों पर बात करते हुए सावंत ने कहा कि इंडिया टुडे टीवी का फोकस सबसे पहले खबर देने के बजाय सत्यापित तथ्य प्रसारित करने पर था। उन्होंने माना कि कवरेज में गलतियां हुईं और इन्हें सार्वजनिक रूप से ठीक किया गया। उन्होंने बताया कि 9 बजे के एंकर ने ऑन एयर जाकर गलती स्वीकार की और संगठन ने आंतरिक ऑडिट भी किया।
गौरव सावंत ने कहा, “हमारे लिए सबसे पहले खबर देना जरूरी नहीं है। हम थोड़ी देर से भी सही जानकारी देने में संतुष्ट हैं।”
उन्होंने बताया कि इसके बाद संगठन ने अपने सिस्टम्स की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इंडिया टुडे टीवी के पास एक फैक्ट-चेकिंग टीम है, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान दिन-रात काम कर रही थी और एक ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस टीम थी जो वायरल हो रही वीडियो और तस्वीरों की पुष्टि करती थी। इन टीमों ने हर जानकारी की जांच की, उसे प्रसारित करने से पहले।
गौरव सावंत ने ऑपरेशन के दौरान फैल रही जानबूझकर गलत और भ्रामक जानकारी पर भी बात की। उन्होंने कहा कि शत्रुतापूर्ण तत्वों द्वारा गलत जानकारी और विजुअल्स फैलाए जा रहे थे। उनके मुताबिक, जब भी कोई गलत जानकारी ऑन एयर हुई, तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए गए।
अंतरराष्ट्रीय कवरेज पर बात करते हुए गौरव सावंत ने कहा कि पश्चिमी मीडिया ने ऑपरेशन के दौरान अपने सरकार या रक्षा लबी के दृष्टिकोण को दिखाने वाले नैरेटिव पेश किए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कई पुष्टि हुई घटनाओं, जैसे विभिन्न जगहों पर स्ट्राइक, को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कवर नहीं किया और ध्यान केवल भारतीय पक्ष पर रहा। उन्होंने कहा कि भारतीय न्यूजरूम ने अपनी रिपोर्टिंग और सत्यापन पर भरोसा रखा, अंतरराष्ट्रीय कवरेज के बजाय।
सरकारी दृष्टिकोण से बात करते हुए चारु प्रज्ञा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में पत्रकारों से रिपोर्टिंग रोकने की मांग नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि सरकार मीडिया से ऐसे घटनाओं को रिपोर्ट करते समय विश्वसनीयता, जवाबदेही और गंभीरता की उम्मीद करती है। उनके मुताबिक, संकट के समय रिपोर्टिंग को केवल तेजी से खबर तोड़ने की दौड़ नहीं समझा जाना चाहिए।
चारु प्रज्ञा ने कहा कि जानकारी जारी करने में सतर्कता को छुपाने जैसा नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा, “सावधान रहना यह नहीं है कि आप कुछ छुपा रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी जानकारी में देरी होती है क्योंकि इसे सत्यापन और मंजूरी से गुजरना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति में जिम्मेदारी केवल पत्रकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक नेताओं और सोशल मीडिया पर सक्रिय नागरिकों तक भी फैलती है। उनके मुताबिक, प्रभावशाली पद पर रहने वाले व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयान विरोधी देशों में तेजी से फैल सकते हैं।
पिछले संघर्षों का जिक्र करते हुए प्रज्ञा ने कहा कि कारगिल युद्ध और 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान भारतीय टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित जानकारी से शत्रु पक्ष को लाभ हुआ। उन्होंने कहा कि इन्हीं उदाहरणों से यह समझ आता है कि ऐसी परिस्थितियों में सतर्क रहना कितना जरूरी है।
चारु प्रज्ञा ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान कुछ जानकारी तुरंत नहीं दी गई, भले ही पत्रकारों को वह मिल गई थी। उन्होंने कहा कि जानकारी तभी जारी की गई जब सरकार द्वारा आधिकारिक पुष्टि मिल गई।
सरकारी संचार की गति पर बात करते हुए चारु प्रज्ञा ने कहा कि युद्ध के समय निर्णय लेने की प्रक्रिया कई स्तरों के सत्यापन और मंजूरी से गुजरती है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जानकारी की गति में सुधार किया जा सकता है, लेकिन सटीकता हमेशा महत्वपूर्ण रहती है।
संस्थान की ओर से जारी इंटरनल मेल के अनुसार, इन कवायद का उद्देश्य एडिटोरियल गुणवत्ता को और मजबूत करना, क्रिएटिव इनोवेशन को बढ़ावा देना और नेटवर्क स्तर पर विजुअल पहचान को सशक्त करना है।
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Samachar4media Bureau
‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) ने अपने ग्रोथ प्लान और इंटरनल टैलेंट को नई पहचान देने के तहत लीडरशिप टीम में कई फेरबदल किए हैं। संस्थान की ओर से जारी इंटरनल मेल के अनुसार, इन बदलावों का उद्देश्य एडिटोरियल गुणवत्ता को और मजबूत करना, क्रिएटिव इनोवेशन को बढ़ावा देना और नेटवर्क स्तर पर विजुअल पहचान को सशक्त करना है।
इन बदलावों के तहत मोहम्मद सईद आउटपुट टीम के प्रमुख होंगे और सभी आउटपुट ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालेंगे। वह सीधे मैनेजिंग एडिटर को रिपोर्ट करेंगे। पिछले तीन वर्षों में मोहम्मद सईद ने कंटेंट कंट्रोल और टीम मैनेजमेंट में बेहतरीन नेतृत्व क्षमता दिखाई है। लीडरशिप ट्रांजिशन के दौरान उन्होंने आउटपुट टीम को कुशलता से संभाला और चैनल के एडिटोरियल स्टैंडर्ड को बनाए रखा है। उन्होंने क्रिएटिव एक्सीलेंस और ऑपरेशनल एफिशिएंसी के बीच संतुलन बनाए रखते हुए आउटपुट संचालन को सुचारु रूप से चलाया है।
सुधीर कुमार पांडेय को हेड ऑफ प्रोडक्शन नियुक्त किया गया है। वह प्रोडक्शन टीम का नेतृत्व करेंगे और ऑपरेशंस संभालेंगे। वह सीधे मैनेजिंग एडिटर को रिपोर्ट करेंगे। सुधीर कुमार पांडेय ने चैनल के विशिष्ट लुक और फील को गढ़ने और बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में प्रोडक्शन और प्रोग्रामिंग की गुणवत्ता लगातार बेहतर रही है। नेटवर्क के अन्य चैनलों के साथ उनके सहयोग ने एक समान विजुअल पहचान और ऑपरेशनल स्टैंडर्ड तैयार करने में मदद की है।
आशीष पांडेय को हेड ऑफ प्रोग्रामिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह चैनल की प्रोग्रामिंग स्ट्रैटेजी, खासकर चुनावी प्रोग्रामिंग का नेतृत्व करेंगे। वह मैनेजिंग एडिटर को रिपोर्ट करेंगे। आशीष पांडेय ने चैनल के प्रोग्रामिंग पोर्टफोलियो को सफलतापूर्वक संभाला है, जिसमें प्रमुख राजनीतिक शो, चुनाव कवरेज, कॉन्क्लेव और ‘&5’ तथा ‘दृश्यम’ जैसे सिग्नेचर प्रॉपर्टीज शामिल हैं। उनकी रणनीतिक सोच और मजबूत एडिटोरियल समझ के चलते दर्शकों से जुड़ने वाला प्रभावशाली कंटेंट तैयार हुआ है।
सिद्धार्थ त्रिपाठी को मौजूदा जिम्मेदारियों के साथ-साथ अब ‘नेक्स्ट 9’ प्लान के तहत चैनल की क्रिएटिव कंटेंट स्ट्रैटेजी और भविष्य के लिए तैयार प्रोग्राम्स के विकास का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सिद्धार्थ त्रिपाठी ने ‘सत्ता’ और ‘फिक्र आपकी’ जैसे फ्लैगशिप शो तैयार किए हैं, जिन्होंने चैनल की प्राइम टाइम पहचान को मजबूत किया है। उनकी क्रिएटिव सोच और अलग तरह के शो फॉर्मेट तैयार करने की क्षमता को देखते हुए उन्हें भविष्य की रणनीति में अहम भूमिका दी गई है। वह मैनेजिंग एडिटर को रिपोर्ट करेंगे।
मुकुल पुर्थी को ग्राफिक्स हेड के पद पर पदोन्नत किया गया है। इस भूमिका में वह चैनल के सभी ग्राफिक्स, लुक और फील तथा ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालेंगे और इंटरनल टीमों के साथ समन्वय करेंगे। वह नेटवर्क हेड–ग्राफिक्स को रिपोर्ट करेंगे और मैनेजिंग एडिटर को डॉटेड लाइन में रिपोर्टिंग करेंगे। मुकुल पुर्थी चैनल की विजुअल लैंग्वेज को नया आकार देने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। सीनियर विजुअलाइज़र के तौर पर उन्होंने इनोवेटिव ग्राफिक्स के जरिए कंटेंट को ज्यादा आकर्षक और इंटरएक्टिव बनाया है।
विशाल शिबोरा अब नेटवर्क स्तर पर ग्राफिक्स से जुड़े अहम प्रोजेक्ट्स पर फोकस करेंगे। इसके साथ ही उनकी टीम टीवी9 भारतवर्ष में नए इनिशिएटिव्स और बड़े आयोजनों से जुड़े कार्यों को संभालती रहेगी।
विशाल शिबोरा ने मुकुल पुर्थी के साथ मिलकर चैनल के ग्राफिक्स कंटेंट के विकास में अहम योगदान दिया है। अपनी नई भूमिका में विशाल नेटवर्क हेड–ग्राफिक्स को रिपोर्ट करेंगे।
इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने गोल्डन जुबली यानी 50 साल पूरे होने पर एक ऐतिहासिक पल दर्ज किया।
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इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने गोल्डन जुबली यानी 50 साल पूरे होने पर एक ऐतिहासिक पल दर्ज किया। शुक्रवार, 12 दिसंबर को ग्रुप की टॉप लीडरशिप ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एट्रियम में पहुंचकर सेरेमोनियल बेल रिंगिंग की रस्म निभाई। यह खास परंपरा ग्रुप की 50 साल की यात्रा का जश्न मनाने के लिए की गई।
इस मौके पर इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी, वाइस चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर कली पुरी, ग्रुप सीईओ दिनेश भाटिया और NSE के एमडी व सीईओ आशीष कुमार चौहान ने मिलकर घंटी बजाई। यह क्षण ग्रुप की पांच दशक की विरासत का बड़ा प्रतीक बना।
अरुण पुरी ने कहा कि किसी देश की ताकत उसकी वित्तीय मजबूती पर निर्भर करती है, और NSE जैसी संस्थाएं उस ताकत को बनाती हैं। वहीं इंडिया टुडे जैसी संस्थाएं सच, पारदर्शिता और भरोसे के साथ उसे सुरक्षित रखती हैं।
कली पुरी ने कहा कि 1975 से ही हमारा मिशन साफ था- देश को सच दिखाना, मुश्किल सवाल पूछना और भारत की असल तस्वीर को दर्ज करना। आज 50 साल बाद भी यह मिशन पहले से ज्यादा मजबूत है। अब हमारी पत्रकारिता डिजिटल है, जहां प्लेटफॉर्म कोई भी हो, ईमानदार कहानी और भरोसा सबसे कीमती चीज है।
पिछले 50 सालों में इंडिया टुडे ने भारत के बदलते समय को सबसे करीब से देखा- 11 प्रधानमंत्रियों, 15 सरकारों और 350 से ज्यादा चुनावों की रिपोर्टिंग की। बड़े घोटालों का खुलासा किया, उथल-पुथल के दौर में पत्रकारों ने जमीनी स्तर से रिपोर्टिंग की और भारत के एक उभरती वैश्विक ताकत बनने के सफर को दर्ज किया। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का इंटरव्यू भी इसी विरासत का हिस्सा है।
अपने 50 साल पूरे होने पर ग्रुप ने पांच खास फिल्में लॉन्च करने का ऐलान किया, जिनमें हर दशक की यात्रा को दिखाया गया है। कार्यक्रम में एक स्पेशल टीजर, ब्रैंड फिल्म और 50-साल का लोगो भी लॉन्च किया गया।
समारोह के अंत में पूरे ग्रुप ने इस बात को फिर दोहराया कि आने वाले सालों में भी इंडिया टुडे जनता तक सच्ची और जिम्मेदार पत्रकारिता पहुंचाता रहेगा।
अपनी इस भूमिका में वह चैनल की संपूर्ण न्यूज स्ट्रैटेजी और ऑपरेशंस की कमान संभालेंगे। सीएनएन-न्यूज18 की इनपुट, आउटपुट, प्रॉडक्शन और ऑफ प्लेटफॉर्म्स की सभी टीमें उन्हें रिपोर्ट करेंगी।
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अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘सीएनएन-न्यूज18’ (CNN-News18) ने वरिष्ठ पत्रकार और प्रमुख प्राइम-टाइम शो The Hard Facts के एंकर राहुल शिवशंकर को एडिटोरियल अफेयर्स डायरेक्टर नियुक्त किया है।
अपनी इस भूमिका में वह चैनल की संपूर्ण न्यूज स्ट्रैटेजी और ऑपरेशंस की कमान संभालेंगे।
सीएनएन-न्यूज18 की इनपुट, आउटपुट, प्रॉडक्शन और ऑफ प्लेटफॉर्म्स की सभी टीमें उन्हें रिपोर्ट करेंगी। नए बदलाव 15 दिसंबर से प्रभावी होंगे।
'नेटवर्क18' के चीफ कंटेंट ऑफिसर संतोष मेनन के अनुसार, 'राहुल शिवशंकर ने कई टीवी न्यूज रूम का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया है और मुझे पूरा विश्वास है कि वे सीएनएन न्यूज 18 एडिटोरियल अफेयर्स डायरेक्टर के रूप में इसके नेतृत्व को और मजबूत और विस्तारित करेंगे।'
देश के प्रतिष्ठित न्यूज ब्रॉडकास्टर्स ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) से अपील की है कि वे लैंडिंग पेज से जुड़ा प्रस्तावित बदलाव वापस लें।
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Samachar4media Bureau
देश के प्रतिष्ठित न्यूज ब्रॉडकास्टर्स ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) से अपील की है कि वे लैंडिंग पेज से जुड़ा प्रस्तावित बदलाव वापस लें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका कहना है कि यह बदलाव ऐसा तरीका वापस लाता है जिसे पहले ही तकनीकी कारणों से अस्वीकार किया जा चुका है और इससे चैनलों को नुकसान होगा क्योंकि पहली बार दर्शकों की सही संख्या को रेटिंग से हटा दिया जाएगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस अपील में NDTV, News18 और Times Now जैसे बड़े नेटवर्क शामिल हैं। उन्होंने MIB को लिखा कि यह प्रस्ताव पूरी तरह रद्द कर दिया जाए क्योंकि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उनके अनुसार, इस समय कोई प्रशासनिक बदलाव करना सही नहीं होगा और यह नियम कानून के नजरिए से टिकाऊ भी नहीं है।
इन ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि 2018 में TRAI ने इसी तरह की तकनीक को “अनुचित” बताते हुए खारिज किया था। उस समय कहा गया था कि इससे सही दर्शक आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि लैंडिंग पेज वैसे ही काम करता है जैसे सुपरमार्केट में खास जगह पर सामान रखना या अखबार में जैकेट ऐड। यह दर्शकों को पहला अनुभव देता है और उनकी पसंद सही तरीके से दिखाता है। अगर इसे रेटिंग से हटाया गया, तो TRP में गड़बड़ी होगी और छोटे चैनल्स को नुकसान होगा।
इस अपील में All India Digital Cable Federation (AIDCF) और कई छोटे चैनल्स ने भी समर्थन दिया है। विज्ञापन से होने वाली कमाई घट रही है, इसलिए इंडस्ट्री के बड़े और छोटे समूह मिलकर रेटिंग सिस्टम में बदलाव के खिलाफ खड़े हैं।
सहारा इंडिया टीवी नेटवर्क के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल कंपनी को TDSAT (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal) से दो बड़े झटके लगे हैं।
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Vikas Saxena
सहारा इंडिया टीवी नेटवर्क के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल कंपनी को TDSAT (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal) से दो बड़े झटके लगे हैं। ट्रिब्यूनल ने हाल ही में सहारा और उसके डिस्ट्रीब्यूटर ABS Media Services Pvt. Ltd. को दो अलग-अलग मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (MSO) कंपनियों- Konark IP Dossiers Pvt. Ltd. और Den New Broad Communication Pvt. Ltd. को मिलाकर 1.10 करोड़ रुपये से ज्यादा की बकाया प्लेसमेंट फीस दो महीने के भीतर चुकाने का आदेश दिया है।
इन दोनों फैसलों में TDSAT के सदस्य जस्टिस राम कृष्ण गौतम ने माना कि सहारा की ओर से पेश किया गया जवाब न केवल प्रक्रिया के हिसाब से गलत था, बल्कि उसमें अपने दावों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं थे।
Konark और Den, दोनों MSO कंपनियों ने TDSAT में याचिकाएं दायर कर कहा कि वे 2011 से सहारा के चैनल Sahara One और Filmy को अपने नेटवर्क पर चलाते आ रहे हैं। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि 2013 में ABS Media, जो सहारा का अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर है, के साथ एक नया एग्रीमेंट हुआ था। दोनों कंपनियों का आरोप था कि सहारा और ABS ने सालों तक प्लेसमेंट फीस का भुगतान नहीं किया, जबकि चैनल लगातार उनके नेटवर्क पर प्रसारित होते रहे। Konark ने ₹66,18,940 और Den ने ₹44,12,627 की वसूली की मांग की थी।
सहारा इंडिया TV नेटवर्क ने दोनों मामलों में लगभग एक जैसी दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि 2013 का एग्रीमेंट सहारा ने साइन नहीं किया है। साथ ही उनका कहना था कि केबल कंपनियों ने मनमाने ढंग से इनवॉइस भेज दिए हैं और उन्हें कोई डिमांड नोटिस भी प्राप्त नहीं हुआ। सहारा का यह भी दावा था कि उन पर कोई बकाया नहीं बनता।
लेकिन ट्रिब्यूनल में ये दलीलें टिक नहीं सकीं।
ट्रिब्यूनल ने पाया कि सहारा ने जो जवाब दाखिल किया, उसमें कई गंभीर प्रक्रियागत खामियां थीं। सबसे पहली बात, जवाब सहारा के अधिकृत प्रतिनिधि की बजाय एक लॉ फर्म की तरफ से दाखिल किया गया था। इसके अलावा जवाब में जरूरी वेरिफिकेशन क्लॉज पर हस्ताक्षर नहीं थे, जो सिविल प्रक्रिया संहिता का सीधा उल्लंघन है। सहारा की ओर से जो हलफनामा लगाया गया था, वह Trilogic Digital Media Ltd. नाम की एक दूसरी कंपनी के व्यक्ति ने दायर किया था, जिसका सहारा से कोई संबंध नहीं था। सबसे अहम बात यह रही कि सहारा का एक भी गवाह अदालत में क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन के लिए पेश नहीं हुआ, जिससे उनका पूरा पक्ष कमजोर पड़ गया।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि इन सभी खामियों के चलते सहारा का बचाव “कानूनी रूप से अस्वीकार्य” है, क्योंकि बिना सबूत किसी भी दावा या दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, दोनों MSO कंपनियों ने अपने दावों को सही ठहराने के लिए 2011 और 2013 के एग्रीमेंट, लेजर, इनवॉइस, ईमेल बातचीत, अधिकृत दस्तावेज और डिजिटल सबूतों के लिए Section 65B सर्टिफिकेट भी अदालत में जमा किए। सहारा की ओर से इन सबूतों का कोई प्रभावी विरोध नहीं किया गया। ABS Media, जो सहारा का डिस्ट्रीब्यूटर है, ने दोनों मामलों में कोई जवाब ही नहीं दिया और न ही सुनवाई में हिस्सा लिया, इसलिए ट्रिब्यूनल ने उसे एक्स-पार्टी माना।
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि भले ही सहारा ने 2013 के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर न किए हों, लेकिन ABS Media पहले भी सहारा की ओर से इसी तरह के एग्रीमेंट साइन करता रहा है। एग्रीमेंट में पहले जैसी ही शर्तें और फॉर्मैट होने की वजह से इसे वैध और बाध्यकारी माना गया।
पहले मामले में Konark IP Dossiers Pvt. Ltd. को ₹66,18,940 के साथ 9% साधारण ब्याज देने का आदेश दिया गया। दूसरे मामले में Den New Broad Communication Pvt. Ltd. को ₹44,12,627 के साथ 9% साधारण ब्याज चुकाने का निर्देश दिया गया। दोनों रकम सहारा और ABS Media को मिलकर चुकानी होंगी और इसके लिए दो महीने की समयसीमा तय की गई है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ऐसे मामलों में 9% ब्याज दर उचित मानी जाती है, क्योंकि पहले भी कई विवादों में यही दर लागू की गई है।
ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सहारा और ABS Media तय समयसीमा के भीतर भुगतान नहीं करते हैं, तो दोनों MSO कंपनियां कानूनी रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्वतंत्र होंगी।
केंद्र सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि क्या ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर को TRAI की निगरानी से हटाकर सीधे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के नियंत्रण में लाया जाए
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Samachar4media Bureau
देश में मीडिया रेगुलेशन का ढांचा अगले कुछ वर्षों में पूरी तरह बदल सकता है। 'स्टोरीबोर्ड18' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि क्या ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर को TRAI की निगरानी से हटाकर सीधे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के नियंत्रण में लाया जाए। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव फिलहाल उच्च स्तर पर समीक्षा में है और अगर सब कुछ तय योजना के अनुसार चलता है, तो 2026 के मध्य तक इसका क्रियान्वयन शुरू हो सकता है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रॉडकास्टर्स इस प्रस्ताव का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि ब्रॉडकास्टिंग को लंबे समय से टेलीकॉम की तरह रेगुलेट किया जा रहा है, जिससे इंडस्ट्री को नुकसान हुआ है। उनका तर्क है कि कंटेंट और संस्कृति से जुड़ा यह क्षेत्र टेलीकॉम ढांचे में फिट नहीं बैठता। सवाल यह है कि क्या सरकार TRAI एक्ट में संशोधन किए बिना सिर्फ एक नए नोटिफिकेशन के आधार पर ब्रॉडकास्टिंग को TRAI के दायरे से बाहर निकाल सकती है। अगर ऐसा हुआ तो संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रॉडकास्टिंग पर TRAI की पकड़ किसी अलग कानून से नहीं, बल्कि 1997 के TRAI एक्ट से आती है। 2004 में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर ब्रॉडकास्टिंग को TRAI के अधिकार क्षेत्र में जोड़ा था। ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसी नोटिफिकेशन को वापस लेकर ब्रॉडकास्टिंग को TRAI से हटाया भी जा सकता है। हालांकि, यह तरीका कानूनी रूप से जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि किसी भी पक्ष द्वारा इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
इंडस्ट्री जगत की नाराजगी हाल ही में तब और बढ़ गई, जब TRAI ने 10+2 एड कैप के उल्लंघन को लेकर 250 से ज्यादा ब्रॉडकास्टर्स को नोटिस भेज दिए, जबकि इस नियम पर दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से स्टे जारी है। ब्रॉडकास्टर्स का मानना है कि लगातार ऐसे फैसलों ने टीवी इंडस्ट्री को दबाव में डाल दिया है और अब जरूरत है कि ब्रॉडकास्टिंग की जिम्मेदारी पूरी तरह MIB को दी जाए।
यदि सरकार TRAI एक्ट की धारा 2 और 11 में संशोधन करती है, तो यह बदलाव पूरी तरह सुरक्षित और स्थायी माना जाएगा। इतिहास भी यही दिखाता है कि इस स्तर के बड़े रेगुलेटरी सुधार आमतौर पर संसद के जरिए ही किए जाते हैं। दूसरी ओर, सिर्फ नोटिफिकेशन के दम पर बदलाव करने का रास्ता तेज जरूर है, लेकिन इसमें कानूनी उलझनें ज्यादा हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है- फिल्म सर्टिफिकेशन से जुड़ा सरकारी नोटिफिकेशन रद्द किया गया, OTT के IT रूल्स अब भी अदालत में अटके हुए हैं, और केबल टीवी नियमों में बदलाव भी मुकदमों तक पहुंचे थे।
सरकार और इंडस्ट्री दोनों ही मानते हैं कि टीवी और OTT को अलग-अलग नियमों के तहत चलाना अब व्यावहारिक नहीं रह गया है। टीवी चैनल जहां एड कैप और रेट कंट्रोल जैसे सख्त नियमों से बंधे हैं, वहीं OTT प्लेटफॉर्म काफी हद तक लचीले दायरे में काम कर रहे हैं। दर्शक भी अब प्लेटफॉर्म से ज्यादा कंटेंट के आधार पर चुनाव कर रहे हैं। इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में, “हम एक ही दर्शक के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हमारी नियामकीय दुनिया अलग-अलग है।”
आने वाले महीनों में यह तय होगा कि सरकार कौन सा रास्ता चुनती है- संसदीय संशोधन का स्थायी समाधान या नोटिफिकेशन का त्वरित लेकिन जोखिम भरा तरीका। अगर बदलाव लागू होता है, तो यह 2000 के बाद भारत के मीडिया रेगुलेशन में सबसे बड़ा परिवर्तन साबित हो सकता है। इंडस्ट्री जगत की निगाहें अब इसी पर टिकी हैं।
सुमित अवस्थी इससे पहले ‘एनडीटीवी इंडिया’ से बतौर कंसल्टिंग एडिटर जुड़े हुए थे। यहां वह 'हम भारत के लोग' व ‘खबरों की खबर’ नाम से शो होस्ट करते थे।
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Samachar4media Bureau
टीवी न्यूज की दुनिया के जाने-माने चेहरे और सीनियर न्यूज एंकर सुमित अवस्थी के बारे में खबर है कि उन्होंने ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) जॉइन कर लिया है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के मुताबिक उन्होंने इस नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) में बतौर सीनियर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया है।
बता दें कि सुमित अवस्थी ने कुछ दिनों पहले ही ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह करीब ढाई साल से ‘एनडीटीवी इंडिया’ (NDTV India) में बतौर कंसल्टिंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे और 'हम भारत के लोग' व ‘खबरों की खबर’ नाम से शो होस्ट कर रहे थे।
सुमित अवस्थी को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब ढाई दशक का अनुभव है। ‘एनडीटीवी’ में जुलाई 2023 में अपनी पारी शुरू करने से पहले वह ‘एबीपी न्यूज’ में वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज व प्रॉडक्शन) के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। सुमित अवस्थी ने वर्ष 2018 में ‘एबीपी न्यूज’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘नेटवर्क18’ (Network 18) में डिप्टी मैनेजिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह ‘जी न्यूज’ (Zee News) में रेजिडेंट एडिटर भी रह चुके हैं।
सुमित अवस्थी करीब पांच साल तक ‘आजतक’ (Aaj Tak) में भी रह चुके हैं। यहां वह डिप्टी एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। सुमित राजनीति में अच्छी पकड़ और बेहतर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अब तक ‘दादा साहेब फाल्के एक्सीलेंस अवॉर्ड‘ और ‘माधव ज्योति अवॉर्ड‘ समेत प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) से भी नवाजा जा चुका है।
सुमित अवस्थी का जन्म लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ है। केंद्रीय विद्यालय, इंदौर से अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर में ही ‘होलकर साइंस कॉलेज’ से ग्रेजुएशन की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित ‘भारतीय विद्या भवन‘ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। समाचार4मीडिया की ओर से सुमित अवस्थी को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
राज टीवी नेटवर्क लिमिटेड के शेयरधारकों ने पोस्टल बैलट के जरिए दो नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स (स्वतंत्र निदेशक) की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
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Vikas Saxena
राज टीवी नेटवर्क लिमिटेड के शेयरधारकों ने पोस्टल बैलट के जरिए दो नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स (स्वतंत्र निदेशक) की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। कंपनी ने यह वोटिंग पूरी तरह से ऑनलाइन ई-वोटिंग के माध्यम से कराई, जिसमें फिजिकल बैलट भेजे नहीं गए।
कंपनी की पोस्टल बैलट प्रक्रिया 5 नवंबर 2025 से शुरू होकर 4 दिसंबर 2025 तक चली। कंपनी ने 5 नवंबर 2025 से 4 दिसंबर 2025 तक यह ई-वोटिंग प्रक्रिया चलायी थी। इस दौरान शेयरहोल्डर्स ने अपनी सहमति या असहमति सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से ही दर्ज कराई। इसके तहत शेयरधारकों ने दो विशेष प्रस्तावों पर मतदान किया:
पेचिमुथु उदयकुमार को अगले पांच साल के लिए कंपनी के नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करना।
इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट: 44 सदस्य, 4,84,46,037 शेयर (99.9995%)
विपक्ष में वोट: 4 सदस्य, 238 शेयर (0.0005%)
कृष्ण सिंह बालाजी सिंह को अगले पांच साल के लिए कंपनी के नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करना।
इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट: 44 सदस्य, 4,84,46,007 शेयर (99.9994%)
विपक्ष में वोट: 4 सदस्य, 268 शेयर (0.0006%)
राज टीवी नेटवर्क अब अपने बोर्ड में इन दो नए डायरेक्टर्स के साथ काम करेगा, जिनकी नियुक्ति 18 अक्टूबर 2025 से प्रभावी मानी जाएगी और यह पांच साल के लिए रहेगी।
कंपनी के स्क्रूटिनाइजर ने पुष्टि की कि दोनों प्रस्तावों को आवश्यक बहुमत के साथ पारित किया गया है और वोटिंग पूरी तरह से पारदर्शी और नियमों के अनुसार हुई। किसी भी वोट को अमान्य नहीं माना गया और जिन शेयरों पर वोटिंग अधिकार नहीं थे, उन्हें गिना नहीं गया। वोटिंग के परिणाम और स्क्रूटिनाइजर की रिपोर्ट कंपनी की वेबसाइट www.rajtvnet.in पर भी उपलब्ध कर दी गई है।
इस तरह राज टीवी नेटवर्क ने अपने बोर्ड को और मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
RT इंडिया की तैयारी पिछले कुछ समय से चल रही थी और इसकी कमान संभाल रहे हैं भारत के जाने-माने लीगल जर्नलिस्ट अशोक बागरिया।
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Samachar4media Bureau
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई दिल्ली के दौरे के दौरान आधिकारिक तौर पर RT (Russia Today) के इंडिया चैप्टर की शुरुआत कर दी। यह RT का अब तक का सबसे बड़ा विदेशी प्रोजेक्ट है। लॉन्च कार्यक्रम में भारत और रूस के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे। इसी के साथ दोनों देशों के मीडिया सहयोग का एक नया अध्याय शुरू हो गया।
RT इंडिया की तैयारी पिछले कुछ समय से चल रही थी और इसकी कमान संभाल रहे हैं भारत के जाने-माने लीगल जर्नलिस्ट अशोक बाग्रिया। वह पहले हिन्दुस्तान टाइम्स और CNN-News18 में लीगल एडिटर रह चुके हैं। बाग्रिया ने मॉस्को स्थित मुख्य टीम के साथ मिलकर भारत में RT का सबसे बड़ा ऑफिस तैयार किया है, जिसमें अत्याधुनिक स्टूडियो, एक आधुनिक न्यूजरूम और 100 से ज्यादा प्रोफेशनल्स की टीम शामिल होगी। इस नेटवर्क का मकसद भारतीय दर्शकों तक ग्लोबल न्यूज पहुंचाना है।
लॉन्च के दिन अशोक बाग्रिया ने रूस की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था स्बेरबैंक (Sberbank) के चेयरमैन और CEO हर्मन ग्रेफ के साथ बातचीत और इंटरव्यू किया। इसी दौरान ग्रेफ ने भारत में बैंक के विस्तार के लिए 100 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया। यह निवेश दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
RT इंडिया शुरुआत में रोज चार इंग्लिश न्यूज शो पेश करेगा, जिनमें भारत-रूस संबंधों, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और बदलती वैश्विक व्यवस्था पर खास फोकस रहेगा। रूस का मानना है कि इस चैनल के जरिए भारतीय दर्शकों को अंतरराष्ट्रीय मामलों पर एक अलग और नया नजरिया मिलेगा।
RT का भारत में आना ऐसे समय हुआ है जब यूक्रेन युद्ध के बाद इस सरकारी नेटवर्क को कई पश्चिमी देशों में बैन कर दिया गया था। ऐसे माहौल में भारत में RT की एंट्री रूस की नई रणनीति भी बताती है और दुनिया के सबसे बड़े मीडिया बाजारों में से एक में अपनी मौजूदगी मजबूत करने की कोशिश भी।
रूस के डिप्टी प्रधानमंत्री दिमित्री पेस्कोव ने इस लॉन्च को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “मैं शानदार RT टीम और इसके दर्शकों को भारत में प्रसारण शुरू करने पर बधाई देता हूं। कभी-कभी छोटी-छोटी तथाकथित लोकतंत्रों में ब्रॉडकास्ट का अधिकार खो देना बेहतर होता है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में शुरू करना उससे भी बेहतर।”