यदि आप यूट्यूब पर काम करते हैं या शुरुआत करने की सोच रहे हैं, तो AI का इस्तेमाल करें, लेकिन मददगार टूल की तरह, न कि मुख्य निर्माता की तरह।
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Vikas Saxena
विकास सक्सेना, डिप्टी न्यूज एडिटर, समाचार4मीडिया ।।
यूट्यूब (YouTube) ने हाल ही में AI‑जनरेटेड कंटेंट को लेकर अपनी पॉलिसीज में बदलाव की घोषणा की है। जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दखल वीडियो कंटेंट की स्क्रिप्ट, आवाज और विजुअल क्रिएशन में बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यह सवाल भी गहराता जा रहा है कि जो कंटेंट हम देख रहे हैं वह असली है या AI से बना हुआ। इसी बढ़ती चिंता को देखते हुए YouTube ने तय किया कि अब प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता और ऑथेंटिसिटी को प्राथमिकता दी जाएगी।
AI कंटेंट पर क्या कहती है नई पॉलिसी
YouTube की नई पॉलिसी के अनुसार, यदि कोई वीडियो AI की मदद से बना है, चाहे वो AI से जनरेट की गई आवाज हो, चेहरा हो या स्क्रिप्ट, तो उसे स्पष्ट रूप से डिस्क्लोज करना जरूरी है। यानी यदि आप किसी का चेहरा या आवाज AI से बनाकर दिखा रहे हैं, तो आपको बताना पड़ेगा कि यह असली नहीं है। यदि आप ऐसा नहीं करते, तो YouTube उस वीडियो को डिमॉनेटाइज (कमाई बंद) कर सकता है, या फिर प्लेटफॉर्म से हटा भी सकता है।
AI से कंटेंट बनाना, आसान लेकिन जोखिम भरा
AI टूल्स ने वीडियो बनाना बेहद आसान बना दिया है। अब एक ही इंसान स्क्रिप्ट लिख सकता है, वॉइसओवर कर सकता है और वीडियो एडिटिंग भी AI से करा सकता है। लेकिन ऐसी क्रिएशन में असलीपन यानी ऑथेंटिसिटी की कमी हो जाती है। दर्शकों को भी लगने लगा है कि ये वीडियो रोबोट जैसे हैं, जिनमें न तो भाव होता है और न ही ह्यूमन टच।
क्रिएटर्स की बढ़ीं मुश्किलें
इस पालिसी के लागू होते ही सोशल मीडिया पर कई यूट्यूब क्रिएटर्स ने चिंता जताई है। कई छोटे चैनलों की कमाई अचानक बंद कर दी गई क्योंकि उनका कंटेंट "AI जनित" पाया गया। जिन क्रिएटर्स ने AI से स्क्रिप्ट बनवाई, आवाज डब करवाई या विजुअल्स जनरेट किए, उन्हें अब स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है कि उन्होंने कहां और कैसे AI का उपयोग किया।
AI का दायरा और खतरे
आजकल कई यूट्यूब वीडियो ऐसे हैं जिनमें आवाज, आइडिया, विजुअल और यहां तक कि पूरी स्क्रिप्ट भी AI जनरेटेड होती है। इससे वीडियो बनाने में समय और पैसा दोनों की बचत होती है। लेकिन इससे एक समस्या भी खड़ी हो गई है और वह कंटेंट की विश्वसनीयता। कई बार लोग असली चेहरों और आवाजों को AI से बदलकर भ्रम फैलाते हैं, जिससे गलत सूचना (misinformation) का खतरा बढ़ता है।
जानिए, क्या है Google और YouTube की मंशा
YouTube इस बदलाव को एक सुरक्षा कवच की तरह देख रहा है। उसका कहना है कि वह क्रिएटर्स को पूरी छूट देता है कि वे AI का टूल की तरह इस्तेमाल करें- यानी रिसर्च, स्क्रिप्ट ड्राफ्टिंग या एडिटिंग में। लेकिन यदि आप AI को कंटेंट का मुख्य स्त्रोत बना देंगे, तो आपको बताना पड़ेगा। प्लेटफॉर्म की कोशिश है कि दर्शकों को साफ-साफ पता हो कि वह जो देख रहे हैं वह इंसानी दिमाग की रचना है या मशीन से निकला आउटपुट।
फायदा: टैलेंटेड क्रिएटर्स को बढ़ावा
इस पॉलिसी का एक सकारात्मक पहलू भी है। YouTube का कहना है कि जो क्रिएटर्स ओरिजिनल और ऑथेंटिक कंटेंट बनाएंगे, उन्हें ज्यादा प्रमोशन मिलेगा, ज्यादा व्यूज मिलेंगे और ज्यादा कमाई भी होगी। यानी जिनमें असली टैलेंट है और जो AI का इस्तेमाल सिर्फ सहायक टूल की तरह करते हैं, उनके लिए YouTube एक बेहतर प्लेटफॉर्म बनेगा।
क्या करें क्रिएटर्स?
AI का उपयोग गलत नहीं है, लेकिन पूरी तरह उस पर निर्भर रहना अब नुकसानदायक साबित हो सकता है। YouTube की पॉलिसी का मकसद क्रिएटर्स को डराना नहीं है, बल्कि दर्शकों को ईमानदार और पारदर्शी जानकारी देना है। जो लोग सच्चे दिल से क्रिएटिव कंटेंट बना रहे हैं, उनके लिए यह पॉलिसी एक मौका है, क्योंकि अब भीड़ में उनकी पहचान और निखरेगी।
यदि आप यूट्यूब पर काम करते हैं या शुरुआत करने की सोच रहे हैं, तो AI का इस्तेमाल करें, लेकिन मददगार टूल की तरह, न कि मुख्य निर्माता की तरह। और सबसे जरूरी बात यह कि जो भी AI का उपयोग करें, उसे ट्रांसपेरेंट रखें। यही आज की डिजिटल क्रिएटिव दुनिया का असली मंत्र है।
इसी साल मार्च में CBI ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया कि रिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि सुशांत को रिया ने आत्महत्या के लिए उकसाया था।
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Samachar4media Bureau
सुशांत सिंह राजपूत के निधन को 5 साल हो चुके हैं। इसी साल मार्च में इस मामले में CBI की जांच पूरी हुई। CBI की क्लोजर रिपोर्ट से अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को राहत मिली है। क्लोजर रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत ने खुदकुशी की है और इसमे रिया चक्रवर्ती और उसके परिवार को पूरी तरह से क्लीनचिट दी गई है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, तो पांच साल बाद, सुशांत सिंह राजपूत मामले में मार्च में दायर की गई सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट का विवरण आखिरकार सामने आ गया है। मैं जो प्रश्न पूछता हूं : रिया चक्रवर्ती और उसके परिवार को उनके खोए हुए पांच साल कौन लौटाएगा। दुख की बात है कि मीडिया के उस हिस्से में से कोई भी, जिसने उनके खिलाफ गलत तरीके से प्रचार किया था, माफी मांगेगा, नहीं?
आपको बता दें, 14 जून 2020 को सुशांत के निधन के बाद उनके परिवार ने रिया और उनके परिवार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सुशांत को आत्महत्या करने के लिए उकसाया था और उन्हें धमकी दी थी। 5 साल चले केस के बाद इसी साल मार्च में CBI ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया कि रिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि सुशांत को रिया ने आत्महत्या के लिए उकसाया था।
So five years on, details of CBI closure report filed in March in Sushant Singh Rajput case are finally out. The qs I ask: who will give back Rhea Chakraborty and her family the five years they lost. Sadly NO ONE in the section of media which ran a witch-hunt against her will…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 24, 2025
फायरिंग में 250 TLP कार्यकर्ताओं की मौत का दावा किया गया है। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों के हमलों में 48 पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई है।
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Samachar4media Bureau
पाकिस्तान में कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के द्वारा चलाए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा हुई है। इस दौरान TLP कार्यकर्ताओं पर भी फायरिंग हुई है और खुद टीएलपी चीफ साद रिजवी को गोली लगने की खबर है। सूत्रों का कहना है कि टीएलपी चीफ मौलाना साद रिजवी को 3 गोली मारी गई हैं।
इस मामले पर पत्रकार गौरव सावंत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, अल्लाह के नाम पर गोलीबारी बंद करो इस्लाम के नाम पर गोलीबारी बंद करो। आपकी मां के दूध का सम्मान करते हुए गोलीबारी बंद करो। साद रिजवी ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों से लगातार अपील की जब उन्होंने हमले में मुरिदके, लाहौर में तहरीक-ए-लब्बैक के अनुयायियों पर अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या की।
आपको बता दें, गाजा के शांति प्लान के खिलाफ पाकिस्तान की कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक यानी TLP ने जोरदार प्रदर्शन शुरू किया। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच जमकर खूनखराबा हुआ। अब ये मामला पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।
'In the name of Allah stop shooting
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) October 14, 2025
In the name of Islam stop shooting
Respectfully your mother's milk & stop shooting' Saad Rizvi kept pleading with Pakistan security forces as they indiscriminately shot/ killed Tehreek-e-Labbaik followers in Muridke, Lahore in pre dawn attack. https://t.co/hOH42NVDn2
बिहार चुनाव का 2020 के आधार से आकलन नहीं होगा , क्योंकि तब चिराग की पार्टी 137 सीटों पर लड़ कर 33 सीटों पर जदयू को सीधे नुकसान पहुंचा दिया था।
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बिहार चुनाव की घोषणा हो गई है। कैंडिडेट अब अपना नामांकन भी भरने लगे हैं। एनडीए ने सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी है। इधर महागठबंधन में अब तक सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है। सवाल तो अब यह भी उठ रहे हैं कि क्या राजद और कांग्रेस का साथ भी बरकरार रहेगा?
इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, बिहार चुनाव का 2020 के आधार से आकलन नहीं होगा , क्योंकि तब चिराग की पार्टी 137 सीटों पर लड़ कर 33 सीटों पर जदयू को सीधे नुकसान पहुंचा दिया था। उस कारण राजद गठबंधन को इतनी सीटें और वोट आ गये। इस बार ऐसी स्थिति नहीं है।
सूत्रों की माने तो राजद सर्वाधिक 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जबकि कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ेगी। अन्य घटक दलों को उनकी ताकत और जनाधार के आधार पर सीटें आवंटित की जाएंगी। राजद-कांग्रेस के अलावा भाकपा माले 19, वीआईपी 15, सीपीआईएम 6 और सीपीआई चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
बिहार चुनाव का 2020 के आधार से आकलन नहीं होगा , क्योंकि तब चिराग की पार्टी 137 सीटों पर लड़ कर 33 सीटों पर जदयू को सीधे नुकसान पहुंचा दिया था। उस कारण राजद गठबंधन को इतनी सीटें और वोट आ गये। इस बार ऐसी स्थिति नहीं है। https://t.co/iFLwdE8hVG
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) October 14, 2025
गंभीर ने कहा कि राणा सिर्फ 23 साल के हैं और ऐसे युवा खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना गलत है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी गौतम गंभीर के बयान से सहमति दिखाई है।
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भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने युवा क्रिकेटर हर्षित राणा के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन पर सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना की कड़ी निंदा की है। गंभीर ने कहा कि राणा सिर्फ 23 साल के हैं और ऐसे युवा खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना गलत है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी गौतम गंभीर के बयान से सहमति दिखाई है। उन्होंने एक्स पर लिखा, यूट्यूब चैनल का इस्तेमाल करके किसी युवा खिलाड़ी को निशाना बनाना बहुत आसान है, सिर्फ वायरल होने के लिए। खिलाड़ियों का मूल्यांकन उनके प्रदर्शन से करें, न कि बकवास अटकलों से।
आपको बता दें, हर्षित राणा T20 एशिया कप 2025 के दौरान अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए T20I और ODI दोनों टीमों में चुना गया है। जसप्रीत बुमराह को आराम दिए जाने की वजह से राणा को मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा और अर्शदीप सिंह के साथ वनडे टीम में जगह मिली है।
Cricket gyaan: Well said birthday boy and India coach @GautamGambhir ? : very easy to use a You Tube channel to target a young player only to go viral. Judge players by performance, not on idle speculation. https://t.co/iAxDto4G4m
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 14, 2025
लालू यादव जी को दुविधा तो तब होती होगी जब वो अपनी बेटी मीसा का चेहरा देखते होंगे। क्यों रखा था वो नाम? ताकि वो जीवनभर उस संकल्प को याद रखें कि कांग्रेस को उखाड़ फेंकना है।
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राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) घोटाले में आरोप तय करने की अनुमति दे दी है। यह फैसला लालू यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि अभी बिहार में विधानसभा चुनाव होना है।
इस मामले पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, आज गरीब-गुरबा का जो नेता है, उसका परिवार बिहार के सबसे अमीर परिवारों में से एक है।
रही बात चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद अदालती कार्रवाई की, तो मैं चुनौती देकर पूछना चाहता हूं कोई छह महीने बता दीजिए जब किसी न किसी राज्य का चुनाव न हो रहा हो। लालू जी जेल गए 1997 में, तब जनता दल की सरकार थी यानी उनकी खुद की पार्टी की सरकार थी।
उन्होंने इसका आरोप लगाया कांग्रेस पार्टी पर। उसके बाद भी लालू यादव जी चुनाव लड़ने के योग्य हो जाते, अगर यूपीए सरकार में राहुल गांधी ने वो पर्चा न फाड़ा होता। और लालू यादव जी को दुविधा तो तब होती होगी जब वो अपनी बेटी मीसा का चेहरा देखते होंगे। क्यों रखा था वो नाम?
ताकि वो जीवनभर उस संकल्प को याद रखें कि कांग्रेस को उखाड़ फेंकना है। मगर आज जब इमरजेंसी के 50 साल पूरे हुए, तो एक शब्द नहीं निकला। यानि लालू जी की समस्त समस्याओं की जड़ कांग्रेस और आरोप भाजपा एनडीए पर लगाते हैं।
आज गरीब-गुरबा का जो नेता है, उसका परिवार बिहार के सबसे अमीर परिवारों में से एक है।
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) October 13, 2025
रही बात चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद अदालती कार्रवाई की, तो मैं चुनौती देकर पूछना चाहता हूं कोई छह महीने बता दीजिए जब किसी न किसी राज्य का चुनाव न हो रहा हो।
लालू जी जेल गए 1997 में, तब… pic.twitter.com/5N085YvWhW
इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा युद्ध के खत्म होने का एलान किया है और इजरायल से अनुरोध किया है कि वह अपनी सैन्य सफलता को क्षेत्र में शांति लाने में इस्तेमाल करे।
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गाजा में हमास ने सोमवार को तय कार्यक्रम के मुताबिक 20 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया। रिहा हुए ये लोग इजरायल पहुंच गए हैं। बदले में इजरायल ने भी फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शुरू कर दी है। इजरायल को करीब दो हजार कैदी रिहा करने हैं।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ़ की। उन्होंने एक्स पर लिखा, डॉनल्ड ट्रंप के बारे में चाहे जो भी कहा जाए, लेकिन शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करनी होगी। वे वैसे युद्धों को भी रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं जिनमें उनकी सरकार की भूमिका नहीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि ग़ज़ा समझौता और बंधकों की रिहाई ट्रंप की एक बड़ी सफलता है।
आपको बता दें, इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा युद्ध के खत्म होने का एलान किया है और इजरायल से अनुरोध किया है कि वह अपनी सैन्य सफलता को क्षेत्र में शांति लाने में इस्तेमाल करे। गाजा में बंधकों के रिहा होते ही तेल अवीव के होस्टेज स्क्वेयर पर जश्न शुरू हो गया।
डॉनल्ड ट्रंप के बारे में चाहे जो भी कहा जाए, लेकिन शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करनी होगी। वे वैसे युद्धों को भी रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं जिनमें उनकी सरकार की भूमिका नहीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि ग़ज़ा समझौता और बंधकों की रिहाई ट्रंप की एक बड़ी सफलता है।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) October 13, 2025
'YouTube इंडिया' की प्रबंध निदेशक गुंजन सोनी ने कहा कि भारत का क्रिएटर इकोनॉमी वीडियो कॉमर्स के अगले युग को परिभाषित कर रही है। शॉपिंग से जुड़ा वॉच टाइम 250% से अधिक बढ़ चुका है।
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YouTube ने भारत में अपने शॉपिंग अनुभव को और सशक्त बनाने के लिए नए मर्चेंट पार्टनर्स, एडवांस्ड AI टैगिंग टूल्स और क्रिएटर-ब्रांड सहयोग कार्यक्रमों की घोषणा की है। कंपनी ने बताया कि उसने अपने YouTube Shopping Affiliate Program का विस्तार करते हुए भारत के दो प्रमुख ब्यूटी और लाइफस्टाइल रिटेलर Nykaa और Purplle को जोड़ा है।
यह कदम ऐसे समय आया है जब भारत में शॉपिंग से जुड़ा वॉच टाइम पिछले साल की तुलना में 250% से अधिक बढ़ चुका है और 200 मिलियन से ज्यादा यूजर्स शॉपिंग कंटेंट खोज रहे हैं। YouTube इंडिया की प्रबंध निदेशक गुंजन सोनी ने कहा कि भारत का क्रिएटर इकोनॉमी वीडियो कॉमर्स के अगले युग को परिभाषित कर रही है।
उन्होंने कहा, हम अपने सफल कंटेंट-ड्रिवन शॉपिंग मॉडल को अब एक संपूर्ण मोनेटाइजेशन इकोसिस्टम में बदल रहे हैं। अब क्रिएटर्स Flipkart और Myntra के अलावा Nykaa और Purplle के प्रोडक्ट भी टैग कर सकेंगे। YouTube के अनुसार, भारत में 89% ब्यूटी शॉपर्स कहते हैं कि प्लेटफॉर्म उन्हें बेहतर खरीद निर्णय लेने में मदद करता है।
कंपनी Nykaa के साथ मिलकर नए ब्यूटी और लाइफस्टाइल क्रिएटर्स की खोज और मेंटरिंग के लिए एक नया कार्यक्रम भी शुरू करेगी। Flipkart और Myntra दोनों ने YouTube के साथ साझेदारी को रचनात्मकता और कॉमर्स के संगम के रूप में सराहा है। कंपनियों का कहना है कि यह साझेदारी भारत में सोशल-लेड कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव को और मजबूत बनाएगी।
फेसबुक व इंस्टाग्राम के स्वामित्व वाली कंपनी Meta ने घोषणा की कि अब Meta AI-पावर्ड Reels ट्रांसलेशन फीचर हिंदी और पुर्तगाली का समर्थन करता है।
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Samachar4media Bureau
इंस्टाग्राम रील्स अब मनोरंजन का एक प्रमुख माध्यम बन चुकी हैं। सोचिए यदि आप किसी भी क्रिएटर की रील्स अपनी भाषा में देख सकें। फेसबुक व इंस्टाग्राम के स्वामित्व वाली कंपनी मेटा (Meta) ने अपने AI-पावर्ड Reels ट्रांसलेशन फीचर को और बढ़ा दिया है। अब इसमें हिंदी और पुर्तगाली भाषा का भी समर्थन मिलेगा। इससे पहले इसमें केवल अंग्रेजी और स्पेनिश का सपोर्ट उपलब्ध था।
इस फीचर को इस साल अगस्त में पेश किया गया था और यह बिना किसी अतिरिक्त कदम के Reels को अलग-अलग भाषाओं में अनुवादित कर सकता है।
यह अपडेट उन क्रिएटर्स के लिए भी मददगार है जो अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं और व्यापक दर्शकों से जुड़ना चाहते हैं। Meta ने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि यह फीचर “आपकी अपनी आवाज़ की ध्वनि और लहजे का उपयोग करता है ताकि यह पूरी तरह से आपका लगे”, और लिप-सिंकिंग मुंह की हिलती-डुलती हरकतों को अनुवादित ऑडियो से मेल करती है।
Instagram हेड Adam Mosseri ने एक वीडियो में कहा, “Instagram पर अधिकांश वीडियो ऐसी भाषा में हैं जिसे आप नहीं बोलते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उनमें रुचि नहीं रखते।” इसके बाद उन्होंने इस फीचर का डेमो देते हुए हिंदी, स्पेनिश और पुर्तगाली में बात की। यह फीचर सभी Instagram पब्लिक अकाउंट्स और 1,000 से अधिक फॉलोअर्स वाले Facebook क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध है। क्रिएटर्स इसे ऑन या ऑफ कर सकते हैं और जब चाहें इन ट्रांसलेशन्स को रिव्यू या हटाने का विकल्प भी रखते हैं।
YouTube के ऑटो डबिंग फीचर के विपरीत, जिसे केवल क्रिएटर बंद कर सकता है, Meta में क्रिएटर्स और दर्शक दोनों तय कर सकते हैं कि वे Reel को अपनी मूल भाषा में देखना चाहते हैं या अनुवाद करना चाहते हैं। यह विकल्प देखने के लिए Reel के तीन-डॉट मेन्यू में जाएँ, ऑडियो और भाषा सेटिंग्स चुनें और “Don’t translate” विकल्प पर टैप करें।
क्रिएटर्स के लिए, Meta ने कहा कि Facebook और Instagram क्रिएटर्स Reels अपलोड करते समय नया “Translate your voice with Meta AI” विकल्प देखेंगे। इसका उपयोग यह तय करने के लिए भी किया जा सकता है कि वे लिप-सिंकिंग सक्षम करना चाहते हैं या नहीं।
जब क्रिएटर्स ट्रांसलेटेड Reel प्रकाशित करेंगे, तो उन्हें भाषा के अनुसार उनके व्यूज़ का विवरण मिलेगा, जिससे उन्हें समझने में मदद मिलेगी कि अनुवाद कैसे प्रदर्शन कर रहे हैं। Meta के अनुसार यह फीचर सबसे अच्छी तरह से फेस-टू-कैमरा वीडियो में काम करता है, जहां मुंह ढका नहीं है और यह दो स्पीकर्स तक के लिए अनुवाद कर सकता है।
कूटनीति शायद किताबों तक सीमित है और वास्तविक राजनीति में इसका कोई स्थान नहीं है, फिर भी वहां मौजूद पुरुष पत्रकारों और सहकर्मियों को इस मुद्दे पर तालिबान से सवाल करना चाहिए था।
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Samachar4media Bureau
भारत यात्रा पर आए तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को नहीं बुलाया गया। इस पर विदेश मंत्रालय कवर करने वाली महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया और विदेश मंत्रालय के मंच पर नाराजगी जाहिर की है। देश की वरिष्ठ महिला पत्रकार बरखा दत्त ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर इसे गलत करार दिया।
उन्होंने लिखा, आज तालिबान की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से महिला पत्रकारों को नहीं बुलाया गया। हालांकि साझा मूल्यों की कूटनीति शायद किताबों तक सीमित है और वास्तविक राजनीति में इसका कोई स्थान नहीं है, फिर भी वहां मौजूद पुरुष पत्रकारों और सहकर्मियों को इस मुद्दे पर तालिबान से सवाल करना चाहिए था।
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि सरकार को उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस दूतावास के बाहर आयोजित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए था, ताकि कम से कम भारत में पेशेवर समान अवसर सुनिश्चित हो सके। आपको बता दें, इससे पहले सुबह मुत्ताकी की विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक हुई थी तथा उसके बाद दोपहर में यह प्रेस वार्ता हुई।
हालांकि, अफगानिस्तान से रिश्ते सुधार रहे विदेश मंत्रालय ने इस प्रकरण पर छुप्पी साध ली है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस पर कोई आश्चर्य प्रकट नहीं किया। वे इसे तालिबान की फितरत मान रहे हैं।
Women journalists were evidently not called for the Taliban press conference today - while shared values diplomacy may be a thing for the textbooks and not for realpolitik- surely the male reporters and colleagues present at an all male press conference could have questioned the…
— barkha dutt (@BDUTT) October 10, 2025
उन्होंने कहा, अपराधी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल कर आवाज़ों की नकल, पहचान की क्लोनिंग और असली जैसे वीडियो बना रहे हैं जो लोगों को भ्रमित कर सकते हैं।
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Samachar4media Bureau
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को खुलासा किया कि उनके कई डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनका उद्देश्य जनता को गुमराह करना और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना है। मुंबई में आयोजित 6वें ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्री की बढ़ती घटनाएँ डिजिटल भरोसे और सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता को दर्शाती हैं।
सीतारमण ने कहा, धोखाधड़ी की नई पीढ़ी अब फायरवॉल तोड़ने की नहीं, बल्कि भरोसा तोड़ने की कोशिश कर रही है। अपराधी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल कर आवाज़ों की नकल, पहचान की क्लोनिंग और असली जैसे वीडियो बना रहे हैं जो लोगों को भ्रमित कर सकते हैं। उन्होंने निवेशकों को निशाना बनाने वाले ऐसे फर्जीवाड़ों से निपटने के लिए बाजार नियामक संस्थाओं और भुगतान प्राधिकरणों की नई पहलों का स्वागत किया।