विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल ऑनलाइन जुए पर लगाम लगाएगा बल्कि युवाओं को प्रतिस्पर्धात्मक ई-स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक खेलों की ओर भी आकर्षित करेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 अब कानून बन गया है। इस नए कानून के तहत देश में ऑनलाइन मनी गेमिंग (Real Money Games) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार का उद्देश्य इस कानून के जरिए ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है, ताकि ऑनलाइन गेमिंग का स्वरूप मनोरंजन और खेल तक ही सीमित रहे, न कि जुए या सट्टेबाजी तक।
कानून लागू होने से पहले ही प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने अपनी मनी गेमिंग सेवाएं बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। देश में करीब 25 करोड़ से अधिक यूजर्स वाली कंपनी विन्जो (WinZO) ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए 22 अगस्त से अपनी मनी गेमिंग सेवाएं बंद करने की घोषणा की है।
वहीं, ड्रीम-11, रमी सर्कस जैसी बड़ी कंपनियां भी अपने प्लेटफॉर्म से मनी गेम्स हटाने में जुट गई हैं। भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार एशिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। ऐसे में कंपनियां पूरी तरह से पीछे हटने के बजाय नए कानून के अनुरूप खुद को ढालने की तैयारी कर रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले समय में गेमिंग कंपनियां भारतीय पारंपरिक खेलों और सोशल इंटरएक्टिव गेम्स को प्लेटफॉर्म पर शामिल करने पर जोर देंगी। नए कानून के तहत ई-स्पोर्ट्स को औपचारिक मान्यता और प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जिससे भारत में गेमिंग इंडस्ट्री को एक नया और स्वस्थ स्वरूप मिल सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल ऑनलाइन जुए पर लगाम लगाएगा बल्कि युवाओं को प्रतिस्पर्धात्मक ई-स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक खेलों की ओर भी आकर्षित करेगा।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा आज जिनके खिलाफ पूरा वातावरण नफरती बनाने का प्रयास किया जा रहा है, अगर उस दौर में देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था डूब गई होती।
रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' के मंच पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने अपने विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा, दुनिया में टैरिफ को लेकर संघर्ष का दौर चल रहा है और भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। समस्याएं क्या हैं और उनसे बाहर कैसे निकला जाए, इसे लेकर चिंताएं हैं। भारत में भी बदलाव का दौर है और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
मई 1998 का पोखरण परीक्षण, जिसके बाद भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगे। उस समय जितने भी सो-कॉल्ड इंटेलेक्चुअल थे, उन्होंने कहा कि इस सरकार ने भारत को बर्बादी की कगार पर ला दिया है।क्यों? क्योंकि उस जमाने में न हमारे पास फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर था, न हमारे पास फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर था और न ही कोई भारत में एक डॉलर निवेश करने को तैयार था।
दो साल से भी कम समय में, मार्च 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन 5 दिन की भारत यात्रा पर आए, आखिर ऐसा क्या बदला था उस दो साल के समय में?जब उस दौर में हम उस स्थिति से निकलकर यह स्थान स्थापित कर सके, तो आज तो हमारी स्थिति में बहुत बड़ा अंतर है।
क्योंकि हर चुनौती एक छुपी हुई नई संभावना भी लेकर आती है, और आपदा को अवसर में बदलने की कला तो हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को आती है, और मैंने प्रमाण सहित बताया कि पहले भी हम यह दिखा चुके हैं। अब आज के विश्व के परिदृश्य और उसमें भारत की संभावनाओं को जरा ध्यान से देखिए।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा आज जिनके खिलाफ पूरा वातावरण नफरती बनाने का प्रयास किया जा रहा है, अगर उस दौर में देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था डूब गई होती मगर सभी ने मिलकर काम किया। उसके बाद सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काम किया क्योंकि अब पैसे आ रहे थे।
दुनिया में टैरिफ को लेकर संघर्ष का दौर चल रहा है और भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। समस्याएं क्या हैं और उनसे बाहर कैसे निकला जाए, इसे लेकर चिंताएं हैं। भारत में भी बदलाव का दौर है और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। मई 1998 का पोखरण परीक्षण, जिसके बाद भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगे। उस… pic.twitter.com/7WTLYDDFy6
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) August 22, 2025
इस कदम से भारत को उच्च तकनीक तक सीधी पहुंच मिलेगी, जिससे भविष्य में लड़ाकू विमानों का डिज़ाइन, उत्पादन और रखरखाव देश में ही संभव होगा।
भारत अपने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि अब भारत इन विमानों के इंजन भी देश में ही बनाएगा। इसके लिए भारत ने फ्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी सफरान के साथ साझेदारी की है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ रक्षा पत्रकार गौरव सावंत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और सरकार के इस निर्णय की तारीफ़ की।
उन्होंने लिखा, 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए सफ़रान इंजन का चयन करना एक बेहद सराहनीय निर्णय है, क्योंकि यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बड़ी मजबूती देगा। फ्रांस ऐतिहासिक रूप से भारत का विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार रहा है। यहां तक कि 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद भी जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए, तब फ्रांस ने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
यही नहीं, मिराज लड़ाकू विमानों ने भारतीय वायुसेना की क्षमता को लंबे समय तक मजबूती प्रदान की। इसके विपरीत, उस दौर में प्रतिबंधों के चलते भारतीय नौसेना के सी हैरियर फाइटर जेट और सी किंग हेलीकॉप्टर पूरी तरह ग्राउंड हो गए थे, जबकि एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के लिए जीई-404 इंजन की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
आज भी जीई-404 इंजन की सप्लाई उतनी सुचारु नहीं है, ऐसे में फ्रांस के साथ सफ़रान इंजन पर सहयोग भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। आपको बता दें, इस कदम से भारत को उच्च तकनीक तक सीधी पहुंच मिलेगी, जिससे भविष्य में लड़ाकू विमानों का डिज़ाइन, उत्पादन और रखरखाव देश में ही संभव होगा। साथ ही, यह साझेदारी भारत और फ्रांस के बीच लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक और रक्षा सहयोग को और मज़बूती देगी।
Good decision to go with Safaran engine for 5th Generation Fighter Jets.
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) August 22, 2025
* Big push for Atmanirbhar Bharat in Defence.
* France has historically been a reliable strategic partner.
* Even after Pokhran nuclear tests, France imposed no `sanctions' on India
* Mirages served IAF well https://t.co/TaLr42jvRz
हम भारतीय सामान को अपने बाजार में और स्वागत करेंगे। भारत की आईटी, सॉफ्टवेयर और बायोमेडिसिन में ताकत है, जबकि चीन इलेक्ट्रॉनिक्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नई ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ रहा है।
चीन के राजदूत शू फीहोंग ने भारत के साथ मजबूत दोस्ती और सहयोग की वकालत करते हुए अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ को 'गुंडागर्दी' करार दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया और और भी बढ़ाने की धमकी दी है, जिसका चीन पुरजोर विरोध करता है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, कूटनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता न मित्र और न ही शत्रु। अगर कुछ स्थायी है तो वह है केवल अपना हित। वह चीन जो गलवान संघर्ष के बाद शत्रु की भूमिका में आ गया था, अब उससे रिश्ते सामान्य हो रहे हैं। वह अमेरिका जो चीन से संघर्ष के समय मित्र दिख रहा था, अब उससे रिश्ते कड़वे हो गए।
आपको बता दें, फीहोंग ने भारतीय सामान को चीनी बाजार में और जगह देने का वादा किया। उन्होंने कहा, हम भारतीय सामान को अपने बाजार में और स्वागत करेंगे। भारत की आईटी, सॉफ्टवेयर और बायोमेडिसिन में ताकत है, जबकि चीन इलेक्ट्रॉनिक्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नई ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है।
कूटनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता न मित्र और न ही शत्रु। अगर कुछ स्थायी है तो वह है केवल अपना हित। वह चीन जो गलवान संघर्ष के बाद शत्रु की भूमिका में आ गया था, अब उससे रिश्ते सामान्य हो रहे हैं। वह अमेरिका जो चीन से संघर्ष के समय मित्र दिख रहा था, अब उससे रिश्ते कड़वे हो गए।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) August 22, 2025
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर 'डिकोड' उन महान आत्माओं को नमन करता है जिन्होंने हमें इस दुनिया में लाया, हमारे जीवन को सँवारा और हमें आज वह बनाया जो हम हैं।
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस हर साल 21 अगस्त को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य समाज में बुज़ुर्गों के योगदान को सम्मान देना और उनकी समस्याओं पर जागरूकता फैलाना है। यह दिवस पहली बार 1988 में अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की पहल पर शुरू हुआ था। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने भी अपने शो 'डिकोड' में इस पर चर्चा की।
उन्होंने एक संदेश देते हुए कहा, विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर 'डिकोड' उन महान आत्माओं को नमन करता है जिन्होंने हमें इस दुनिया में लाया, हमारे जीवन को सँवारा और हमें आज वह बनाया जो हम हैं। लेकिन क्या हम उन्हें उतना लौटा पाए हैं, जितना उन्होंने हमें दिया? दुर्भाग्य से जवाब ‘नहीं’ है।
आज हमारे बुज़ुर्ग उपेक्षा, अकेलेपन और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, खासकर इस तेजी से डिजिटल होती दुनिया में। 'Decode 4 Dada Dadi' केवल हमारे बड़ों को श्रद्धांजलि ही नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आईना है जो हमें याद दिलाता है कि हमें उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभानी होंगी।
इस अवसर पर आप भी अपने दादा-दादी या परिवार के बुज़ुर्गों के लिए एक छोटा-सा वीडियो बनाकर हमें भेजें, जिसे हम रीपोस्ट करेंगे। आइए, इस विशेष दिन पर अपने दादा-दादी के साथ खड़े हों, क्योंकि वही हमारी असली जड़ और हमारी सबसे बड़ी ताक़त हैं।
DECODE STANDS WITH DADA DADI
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) August 21, 2025
On World Senior Citizens Day, #Decode salutes those who led us into this world and made us what we are today. But have we been able to give them back what they gave us? No. Sadly, senior citizens today face neglect, loneliness, insecurity and… pic.twitter.com/W8lXtt4eKo
सीएम रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह हमला उनका नहीं बल्कि जनता की सेवा के संकल्प पर हमला है और इससे उनका हौसला और मज़बूत होगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार को जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान हमला हुआ। राजकोट, गुजरात का रहने वाला 41 वर्षीय व्यक्ति शिकायतकर्ता बनकर पहुंचा और अचानक सीएम पर थप्पड़ मारने व बाल खींचने की कोशिश की।
इस मामले पर एंकर और पत्रकार रुबिका लियाकत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपना रोष प्रकट किया। उन्होंने लिखा, एक मुख्यमंत्री जो खुलकर जनता से संवाद करती हैं। लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनती हैं। अपने निवास पर जन सुनवाई करती हैं। और बेरोकटोक आम जनता से मिलतीं है। उन पर इस तरह का हमला असल में आम लोग और सीएम के बीच दूरी बनाने की कोशिश है।
क्या ये दिल्ली के लोगों पर सबसे बड़ा हमला नहीं है? आपको बता दें, सीएम रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह हमला उनका नहीं बल्कि जनता की सेवा के संकल्प पर हमला है और इससे उनका हौसला और मज़बूत होगा। घटना के बाद मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं। फिलहाल उनकी सुरक्षा बढ़ाने और उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा कवर देने की तैयारी की जा रही है।
एक मुख्यमंत्री जो खुलकर जनता से संवाद करती हैं। लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनती हैं। अपने निवास पर जन सुनवाई करती हैं। और बेरोकटोक आम जनता से मिलतीं है। उनपर इस तरह का हमला असल में आम लोग और सीएम के बीच दूरी बनाने की कोशिश है। क्या ये दिल्ली के लोगों पर सबसे बड़ा हमला नहीं…
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) August 20, 2025
विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक का दुरुपयोग संभावित है, खासकर एजेंसियों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति को देखते हुए।
केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार और गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे नेताओं पर सख़्ती के लिए बड़ा क़दम उठाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसके तहत यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री 30 दिनों से अधिक जेल में रहता है, तो उसे स्वतः पद से हटाना अनिवार्य होगा। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, पहली नज़र में तो ऐसा कोई क़ानून बुरा नहीं लगता, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई मुख्यमंत्री, मंत्री, या प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल चला जाता है तो उसे तुरंत अपने पद से हटा दिया जाए। यह तो ठीक और तार्किक लगता है।लेकिन असली समस्या यह है कि पिछले दस सालों में ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल सिर्फ़ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ़ किया गया है।
विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गिरफ़्तार किया जाता है, जबकि बीजेपी के मंत्री या जो नेता बीजेपी में शामिल हो जाते हैं, उन्हें अचानक ‘साफ़-सुथरा’ बता दिया जाता है।
ऐसे में अगर इतना सख़्त क़ानून बनाया जाएगा और उसका इस्तेमाल सिर्फ़ चुन-चुनकर विपक्ष के ख़िलाफ़ किया जाएगा, तो यह न्याय नहीं बल्कि तानाशाही होगी। यानी असली राजनीतिक सफाई नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा विरोधियों को कुचलने का हथियार बन जाएगा।
आपको बात दें, विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक का दुरुपयोग संभावित है, खासकर एजेंसियों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति को देखते हुए और इसकी प्रक्रिया न्यायपालिका और लोकतांत्रिक सुरक्षा तंत्र को कमजोर कर सकती है।
Prima facie, no one should have a serious problem with a law that ensures corrupt CMs, ministers, (even PM) who are jailed are stripped of their portfolios as the new criminal amendment bill in parliament proposes. Problem is that in last decade ED and central agencies have been…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 20, 2025
चंद्रबाबू नायडू या पवन कल्याण न्यायमूर्ति रेड्डी को संयुक्त आंध्र के होने के आधार पर समर्थन दे देंगे कम से कम इस समय तो इसकी संभावना क्षीण है।
विपक्षी INDIA ब्लॉक ने सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 19 अगस्त को इसका औपचारिक ऐलान किया और कहा कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, ऐसा लगता है विपक्ष के लिए किसी राजनीतिक दल के नेता या ऐसे किसी राजनीतिक नाम पर सहमति बनाना कठिन था। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जगदीप धनखड़ के विरुद्ध अपनी नेत्री मार्गरेट अल्वा को खड़ा किया था।
इस बार भी कई नाम पर चर्चा की सूचना थी जिनमें तमिलनाडु के तिरुचि शिवा, अन्नादुरई से लेकर अन्य नाम थे। सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय एवं गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहने के बाद उच्चतम न्यायालय में भी न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। मूलतः आंध्र प्रदेश के हैं इसलिए शायद विपक्ष की कोशिश भाजपा के उसे राज्य के साझेदारों के सामने दुविधा उत्पन्न करने की है।
जगनमोहन रेड्डी ने सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की पार्टियों का व्यवहार इस चुनाव में महत्वपूर्ण हो गया है। चंद्रबाबू नायडू या पवन कल्याण न्यायमूर्ति रेड्डी को संयुक्त आंध्र के होने के आधार पर समर्थन दे देंगे कम से कम इस समय तो इसकी संभावना क्षीण है। बावजूद उनके रुख पर पूरे देश की दृष्टि टिकी है।
आपको बता दें, तेलंगाना के निवासी न्यायमूर्ति रेड्डी देश के प्रतिष्ठित विधिवेत्ता माने जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें सबसे चर्चित नंदिनी सुन्दर बनाम छत्तीसगढ़ मामला है, जिसमें राज्य समर्थित सलवा जुडूम को असंवैधानिक घोषित किया गया था।
न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी आई एन डी आई ए गठबंधन की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। इस तरह उपराष्ट्रपति पद का चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति भी सुदर्शन रेड्डी के बीच होगा। ऐसा लगता है कि आई एन डी आई में किसी राजनीतिक दल…
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) August 19, 2025
किसी भी गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन के लिए यह असाधारण उपलब्धि मानी जाएगी, क्योंकि यह न केवल उसकी संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है।
एनडीए (NDA) ने अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को नामित किया है। आगामी 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होना है, जिसमें राधाकृष्णन 'NDA' के उम्मीदवार होंगे। सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से 'RSS' से जुड़े हुए माने जाते हैं। वे तमिलनाडु के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने संघ की विचारधारा के साथ खुद को जोड़ा और उसे जमीनी स्तर तक पहुँचाने का काम किया।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए शताब्दी वर्ष गर्व का विषय होने जा रहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए उसका शताब्दी वर्ष (2025) वास्तव में गर्व का अवसर है।
आज देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च संवैधानिक व कार्यकारी पदों पर संघ के स्वयंसेवक विराजमान हैं। अब कुछ ही दिनों में जब उपराष्ट्रपति पद पर भी एक स्वयंसेवक (सी.पी. राधाकृष्णन) आसीन होंगे, तो यह संघ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। किसी भी गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन के लिए यह असाधारण उपलब्धि मानी जाएगी, क्योंकि यह न केवल उसकी संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि समाज में उसकी स्वीकार्यता और प्रभाव को भी प्रमाणित करती है।
आपको बता दें, तमिलनाडु जैसे राज्य में, जहाँ परंपरागत रूप से द्रविड़ राजनीति का वर्चस्व रहा है, राधाकृष्णन का 'RSS पृष्ठभूमि वाला चेहरा' होना भाजपा के लिए महत्त्वपूर्ण रहा। वे दो बार कोयंबटूर से सांसद चुने गए और राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी पहचान संघनिष्ठ नेता की रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए अपने शताब्दी वर्ष में यह गर्व का विषय होगा कि देश के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री , गृहमंत्री ,रक्षामंत्री,लोकसभा अध्यक्ष पद पर उसके अपने स्वयंसेवक हैं और अब कुछ दिन बाद उपराष्ट्रपति के पद पर भी उसका एक स्वयंसेवक विराजमान होगा --- किसी भी गैर राजनीतिक… pic.twitter.com/Rh4jdN8Izx
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) August 18, 2025
यह ठीक काम किया। लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं।
17 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय राजमार्ग-709A (मेरठ–करनाल खंड) के भुनी टोल प्लाज़ा पर टोल कर्मचारियों द्वारा सेना के जवानों के साथ की गई बदसलूकी के मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सख़्त कार्रवाई की है। NHAI ने टोल संचालित करने वाली कंपनी धर्म सिंह एंड कंपनी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने 'NHAI' के इस कदम की सराहना की। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह ठीक काम किया। लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं और उस पर कुछ नहीं किया जाता। उससे अपराधिक प्रवृत्ति के टोलकर्मियों का मन बढ़ता है।
आपको बता दें, NHAI ने इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों पर लोगों को सुरक्षित और निर्बाध यात्रा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कपिल सिंह पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में शामिल थे। वह छुट्टी पर घर आए थे और 18 अगस्त से उन्हें ड्यूटी जॉइन करनी थी। इसीलिए वह दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट से श्रीनगर के लिए फ्लाइट पकड़ने जा रहे थे।
यह ठीक काम किया @NHAI_Official लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं और उस पर कुछ नहीं किया जाता। उससे अपराधिक प्रवृत्ति के टोलकर्मियों का मन बढ़ता है। @nitin_gadkari https://t.co/Wi1ZKFHFyv
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) August 18, 2025
इस एक्ट में यह प्रावधान था कि अगर आपको लगता है कि आपके आस-पास कोई बांग्लादेशी व्यक्ति रह रहा है तो उसकी जिम्मेदारी नहीं है यह साबित करना कि वह भारत का नागरिक नहीं है।
Special Intensive Revision (SIR) के तहत मतदाता सूची को साफ़ करने की प्रक्रिया राजनीतिक रूप से गरमाई हुई है। दरअसल बंगाल बीजेपी ने 'No SIR, No Vote' अभियान शुरू किया, आरोप लगाते हुए कि TMC 'SIR' में बाधा डाल रही है और यह चुनाव की पारदर्शिता के लिए खतरा है।
इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में कहा कि आज घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। उन्होंने कहा, भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन ये अधिकार घुसपैठियों को नहीं है।
लेकिन आज इन्हीं घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। जब भी हम घुसपैठिया बोलते हैं तो इंडी गठबंधन वाले इसे सीधा मुसलमानों से जोड़ देते हैं। इनकी इसी सोच के कारण देश का भी नुकसान हो रहा है और मुसलमानों का भी। रही बात घुसपैठ की, तो घुसपैठियों के आने की व्यवस्था 1983 में इंदिरा जी की सरकार के समय शुरू होती है, जब एक कानून लाया गया था IMDT एक्ट।
इस एक्ट में यह प्रावधान था कि अगर आपको लगता है कि आपके आस-पास कोई बांग्लादेशी व्यक्ति रह रहा है तो उसकी जिम्मेदारी नहीं है यह साबित करना कि वह भारत का नागरिक नहीं है, बल्कि अगर आपको शिकायत है तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप साबित करें कि वह बांग्लादेश का नागरिक है।
इस एक्ट के खिलाफ हमारे नेता सर्वानंद सोनोवाल सुप्रीम कोर्ट गए और 2006 में, इनकी सरकार के समय, इसे रद्द किया गया।बतौर गृह राज्य मंत्री, श्रीप्रकाश जायसवाल का 2006 का बयान है कि भारत में ढाई से तीन करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। इसके अलावा, 2012 में मुंबई के आजाद मैदान में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम आया था या नहीं? जयपुर ब्लास्ट में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम आया था या नहीं?इसीलिए, जब हमारी सरकार आई और जांच की बात की, NRC लाने की बात की, तो ये लोग धरने पर बैठ गए।
अब S.I.R का उद्देश्य भी सही वोटर की जांच करना है, लेकिन घुसपैठिया तो साइड इफेक्ट में अपने आप सामने आ रहा है। इसीलिए मैं कहता हूं कि विपक्ष का एकमात्र एजेंडा है कि 'कोई सूरत बदलना मेरा मकसद नहीं है, मेरा मकसद है हंगामा होना चाहिए।'
भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन ये अधिकार घुसपैठियों को नहीं है। लेकिन आज इन्हीं घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। जब भी हम घुसपैठिया बोलते हैं तो इंडी गठबंधन वाले इसे सीधा मुसलमानों से जोड़ देते हैं। इनकी इसी सोच के कारण देश का भी नुकसान हो… pic.twitter.com/ANKm1YlKne
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) August 18, 2025