पंडित प्रदीप मिश्रा ने 16 से 22 फरवरी 2023 तक रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया है, जिसके चलते भोपाल-इंदौर हाईवे पर लंबा जाम लगा रहा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
मध्यप्रदेश में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव के चलते भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण एक महिला की जान चली गई।
पंडित प्रदीप मिश्रा के मुताबिक, यह चमत्कारी रुद्राक्ष आपके सारे कष्ट हर लेता है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने 16 से 22 फरवरी 2023 तक रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया है, जिसके चलते भोपाल-इंदौर हाईवे पर लंबा जाम लगा रहा। हाईवे पर वाहन रेंगते नजर आए। जबकि सीहोर से इंदौर की तरफ हाईवे पर 17 किलोमीटर और भोपाल की ओर हाईवे पर 10 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ था। इसी भीड़ और भगदड़ के चलते महाराष्ट्र के नासिक के मालेगांव से आई मंगला बाई (50) की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसे चक्कर आया और वह गिर पड़ी और उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने ट्वीट कर अपना गुस्सा प्रकट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, अगर पं. प्रदीप मिश्रा रूद्राक्ष न बांटें तो उनकी कथा में कितने लोग पहुंचेंगे? रुद्राक्ष के लिए उमड़ी भीड़ में यह भ्रम है कि जो रुद्राक्ष बांटा जा रहा है, उसे पानी में डालना है और उस पानी को पी जाना है। ऐसा करने से उनकी हर समस्या दूर हो जाएगी ! अंधविश्वास की हद है।
पंकज शर्मा के द्वारा किए गए ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
अगर पं. प्रदीप मिश्रा रूद्राक्ष न बांटें तो उनकी कथा में कितने लोग पहुंचेंगे? रुद्राक्ष के लिए उमड़ी भीड़ में यह भ्रम है कि जो रुद्राक्ष बांटा जा रहा है, उसे पानी में डालना है और उस पानी को पी जाना है. ऐसा करने से उनकी हर समस्या दूर हो जाएगी. अंधविश्वास की हद है.
— Pankaj Sharma पंकज शर्मा (@Pankaj___Sharma) February 16, 2023
हकीकत यह है कि कई जगह ग्राम प्रधानों ने इस योजना को अपनी मर्जी से निजी काम कराने का साधन बना लिया, और मनरेगा की वजह से खेती के लिए मजदूर भी कम मिलने लगे।
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Samachar4media Bureau
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सुनिश्चित कराने वाली मनरेगा योजना की जगह मोदी सरकार नया बिल ले आई है। मनरेगा को खत्म कर केंद्र सरकार नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने जा रही है। इसका नाम है, 'विकसित भारत-रोजगार गारंटी व आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी- जी राम जी। इस पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा का कहना है कि किसी भी योजना को उसके नाम नहीं बल्कि नतीजों से आंकना होगा। उन्होंने अपने शो में कहा, किसी भी वेलफेयर योजना को परखने का सही पैमाना यह होना चाहिए कि उससे कितने लोगों को असली फायदा मिला, पैसा सही और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा या नहीं, और उसका सही इस्तेमाल हुआ या नहीं।
साथ ही यह भी देखना ज़रूरी है कि कल्याण करते-करते कोई ऐसे दुष्परिणाम तो नहीं आए, जिनसे किसी और को नुकसान हुआ हो। इसी कसौटी पर मनरेगा को भी तौलना चाहिए। अब तक इस योजना पर 11 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन क्या कोई साफ़-साफ़ बता सकता है कि 19 सालों में मनरेगा के तहत कौन-कौन से ठोस प्रोजेक्ट पूरे हुए?
हकीकत यह है कि कई जगह ग्राम प्रधानों ने इस योजना को अपनी मर्जी से निजी काम कराने का साधन बना लिया, और मनरेगा की वजह से खेती के लिए मजदूर भी कम मिलने लगे। ऐसे में योजना का नाम गांधी के नाम पर हो या राम के नाम पर, इससे फर्क नहीं पड़ता, असली सवाल यह है कि योजना में किए गए बदलावों से जनता को वाकई ज़्यादा फायदा हो रहा है या नहीं।
किसी भी welfare scheme को जांचने का पैमाना ये होना चाहिए कि योजना से कितने लोगों का भला हुआ. क्या वाकई में पैसा genuine लोगों तक पहुंचा. क्या पैसे का सही इस्तेमाल हुआ. ये भी समझना चाहिए कि कल्याण करते-करते कोई ऐसे side effects तो नहीं हुए जिससे किसी का नुकसान हुआ. MGNREGA को भी… pic.twitter.com/MjJc1GItYP
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) December 16, 2025
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपया कमजोर होने के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है, जिससे उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है।
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भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है और कल कारोबार में 91.19 के नए निचले स्तर तक पहुंच गया। साल की शुरुआत से अब तक रुपया करीब 6% गिर चुका है। रूपये की इस गिरावट पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने चिंता व्यक्त की है और कुछ सवाल उठाये है।
उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट कर लिखा, पिछले 12 सालों में, यानी 2013 से 2025 के बीच, डॉलर के मुकाबले रुपये में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 2013 में जहां 1 डॉलर करीब 60 रुपये का था, वहीं 2025 में यह लगभग 90.5 रुपये तक पहुंच गया यानी करीब 30 रुपये की गिरावट।
इसके मुकाबले 1993 से 2013 के बीच पूरे 20 साल में रुपये ने डॉलर के सामने लगभग इतनी ही, यानी 30 रुपये की गिरावट दर्ज की थी। साफ़ है कि पिछले 12 सालों में रुपये की कमजोरी की रफ्तार पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा तेज़ रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि 1975 में 1 डॉलर करीब 9 रुपये में मिल जाता था, यानी बीते 50 सालों में डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 90 फीसदी तक गिर चुका है।
इसके बावजूद बढ़ती आबादी, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार होने और लगातार आर्थिक विकास के कारण भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है- वाकई हैरान करने वाली बात है। आपको बता दें, एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपया कमजोर होने के कारण विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है, जिससे उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी है।
नोट करने वाली बात :-
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) December 16, 2025
1. बीते 12 सालों में 2013 से 2025 के बीच डॉलर के मुक़ाबले रुपये ने अब तक कि सबसे बड़ी गिरावट देखी - Rs. 30/- कि गिरावट। From Rs. 60 to a dollar in 2013 to Rs. 90.5 to a Dollar in 2025
2. 1993 से 2013, यानि 20 साल में Rs. 30/- कि गिरावट रुपये ने डॉलर के… https://t.co/Ks62xi2ssJ
आज दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि 1971 की हारी हुई ताकतें एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं। भेदभाव विरोधी आंदोलन की आड़ में लोगों को धोखा दिया गया।
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बांग्लादेश के विजय दिवस के अवसर पर देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चिंता जताई है कि वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में पराजित हुई ताकतें फिर से सक्रिय हो गई हैं। यह वही युद्ध था, जिसमें बांग्लादेश ने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी हासिल की थी।
उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, 1971 में जिन ताकतों ने हथियार डाल दिए थे, वही आज ‘लोकतंत्र’ और ‘आंदोलन’ का मुखौटा पहनकर फिर से सामने आ गई हैं।
विजय दिवस के मौके पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बंगबंधु का ज़िक्र करते हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नज़दीकियों पर कड़ा हमला किया। ऐसे में सवाल उठता है कि 1971 में पाकिस्तान की सेना की हार के बाद जिन ताकतों को पीछे धकेल दिया गया था, आज उन्हीं सोचों को संरक्षण कौन दे रहा है? क्या यही आज का नया बांग्लादेश है, या फिर जिहादी ताकतें धीरे-धीरे देश के हर कोने में अपनी पकड़ मज़बूत कर चुकी हैं?
आपको बता दें, शेख हसीना ने याद दिलाया कि अवामी लीग के नेतृत्व में नौ महीने तक चले संघर्ष के बाद 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को बड़े बलिदानों के साथ जीत मिली थी और पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा था।
आज दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि 1971 की हारी हुई ताकतें एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं। भेदभाव विरोधी आंदोलन की आड़ में लोगों को धोखा दिया गया, योजनाबद्ध हिंसा फैलाई गई और अवैध तरीके से सत्ता पर कब्जा किया गया।
1971 में जिन ताकतों ने हथियार डाल दिए थे, आज वही ‘लोकतंत्र’ और ‘आंदोलन’ का मुखौटा पहनकर लौट आई हैं.
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) December 16, 2025
विजय दिवस पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बंगबंधु का जिक्र करते हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान की नई यारी पर तीखा हमला किया है. ऐसे में सवाल उठते हैं कि जिस
1971 में…
भारत और जॉर्डन के रिश्तों में बढ़ती गर्मजोशी उस वक्त साफ नजर आई, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद गाड़ी चलाकर जॉर्डन म्यूजियम ले गए।
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भारत और जॉर्डन के द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ती निकटता मंगलवार को एक खास दृश्य के जरिए सामने आई, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद वाहन चलाकर जॉर्डन म्यूजियम ले गए। यह कदम न केवल व्यक्तिगत सम्मान का संकेत था, बल्कि दोनों देशों के बीच भरोसे और मित्रता की मजबूती को भी दर्शाता है।
इस मामले पर पत्रकार और एंकर रुबिका लियाकत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, इस तस्वीर में जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय खुद गाड़ी चला रहे हैं और उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे हैं।
क्राउन प्रिंस अल हुसैन पैग़म्बर मोहम्मद की 42वीं पीढ़ी के प्रत्यक्ष वंशज माने जाते हैं। इसके बावजूद यहां कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से यह माहौल बनाने की कोशिश करते हैं कि भारत मुसलमानों के लिए सुरक्षित नहीं है, जबकि हकीकत यह है कि दुनिया के मुस्लिम देश भारत के नेतृत्व और उसके बढ़ते वैश्विक कद को सम्मान के साथ देखते हैं।
एक प्रतिष्ठित मुस्लिम देश के नेता द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को दिया गया यह सम्मान, भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति दुनिया में मौजूद सम्मान को साफ़ तौर पर दिखाता है। यह सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं, बल्कि भारत के बढ़ते कद की कहानी है। जय हिंद। आपको बता दें, अम्मान के रस अल-ऐन इलाके में स्थित जॉर्डन म्यूजियम देश का सबसे बड़ा म्यूजियम है। इसमें जॉर्डन की कुछ सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया है।
इस तस्वीर में जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय गाड़ी चला रहे हैं और बग़ल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे है…
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) December 16, 2025
क्राउन प्रिंस अल हुसैन, पैग़म्बर मोहम्मद ﷺ के 42वें पीढ़ी के प्रत्यक्ष वंशज हैं।
यहां का जाहिल ecosystem चीख़-चीख़ कर माहौल बनाने की अनगिनत… pic.twitter.com/icd8Ky4qDa
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान हुई गोलीबारी ने दुनिया को झकझोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे आतंकवाद की अमानवीय मिसाल बताया।
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ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में रविवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब हनुक्का पर्व के दौरान बॉन्डी बीच पर अज्ञात हमलावरों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। इस भयावह हमले में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि कम से कम 29 लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
घटना उस वक्त हुई, जब हनुक्का पर्व की पहली मोमबत्ती जलाने का कार्यक्रम चल रहा था। इस धार्मिक आयोजन में हजारों लोग शामिल थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अचानक राइफल से फायरिंग शुरू होते ही वहां भगदड़ मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
इसी दौरान मौजूद एक साहसी युवक ने हमलावर से राइफल छीनने की कोशिश की, जिससे कई लोगों को सुरक्षित निकलने का मौका मिल सका। इस हमले पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि निर्दोष लोगों की हत्या बेहद चौंकाने वाली है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह घटना कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए नरसंहार की याद दिलाती है। रजत शर्मा ने साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद एक बुराई है और इसका कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। स्थानीय प्रशासन ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और हमलावरों की तलाश जारी है।
The killing of innocent people celebrating Hanukkah festival at Bondi Beach near Sydney is shocking and deserves condemnation. It reminds us of the horrible massacre of tourists in Pahalgam, Kashmir. Terrorism is evil, it has no religion. My prayers are with those who have lost…
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) December 15, 2025
इस मुकाबले में बुमराह ने 3 ओवर गेंदबाजी की और 17 रन देकर 2 सफलताएं प्राप्त कीं। इसके साथ ही बुमराह के टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट पूरे हुए।
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ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की तूफानी फिफ्टी (59*) के बाद भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के चलते टीम इंडिया ने कटक में खेले गए पहले टी20 मुकाबले में साउथ अफ्रीका को 101 रन से हराया। इस शानदार जीत के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, जो लोग रेड बॉल क्रिकेट में नाकामी को लेकर गौतम गंभीर की आलोचना कर रहे थे, क्या वे यह मानेंगे कि वह व्हाइट बॉल क्रिकेट में एक बेहतरीन और सफल कोच साबित हो रहे हैं? प्रतिभा से भरपूर टी20 टीम का बदलाव (ट्रांजिशन) बेहद सहज और शानदार तरीके से हुआ है। क्या आप भी ऐसा नहीं मानते?
आपको बता दें, मुकाबले में जसप्रीत बुमराह ने 3 ओवर गेंदबाजी की और 17 रन देकर 2 सफलताएं प्राप्त कीं। इसके साथ ही बुमराह के टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट पूरे हुए। वह तीनों फॉर्मेट में 100 विकेट चटकाने वाले पहले भारतीय बॉलर बन गए है। इतना ही नहीं वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाले दुनिया के 5वें गेंदबाज बन गए हैं।
Cricket gyaan: for all those who have bashed @GautamGambhir for red ball failings, will they acknowledge that he is proving to be a white ball champion coach? The T 20 side, bursting with talent, seems to have made a remarkably smooth ‘transition’, no? #IGambhir
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 9, 2025
गोवा पुलिस ने कार्रवाई के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इंटरपोल ब्लू नोटिस जारी कराने की सिफारिश की थी। यह हादसा अरपोरा स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाम के नाइटक्लब में शनिवार रात हुआ।
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गोवा के एक नाइटक्लब में लगी भीषण आग के मामले में इंटरपोल ने क्लब के मालिक सौरभ और गौरव लूथरा के खिलाफ ब्लू नोटिस जारी किया है, ताकि उनका पता लगाया जा सके। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद से दोनों आरोपी देश छोड़कर फरार हो गए हैं।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाये। उन्होंने एक्स पर लिखा, जब ये लोग भारत में थे, तब उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया जा सका, और जब इंडिगो ने सबको परेशान कर दिया, तो वही कंपनी इन दोनों को देश के बाहर भेजने में कामयाब हो गई।
अब बस नोटिस पर नोटिस जारी होते रहें, नोटिस का खेल चलता रहे, कहने का मतलब यही है कि अब सिर्फ़ काग़ज़ी कार्रवाई हो रही है। आपको बता दें, गोवा पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इंटरपोल ब्लू नोटिस जारी कराने की सिफारिश की थी।
यह हादसा अरपोरा स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाम के नाइटक्लब में शनिवार रात हुआ था, जो पणजी से करीब 25 किलोमीटर दूर है। अधिकारियों के मुताबिक दोनों आरोपी थाईलैंड के फुकेत भाग गए हैं।
Failed to arrest them when they were in India. When Indigo failed one and all, it managed to export these two out of the country.
— Sanket Upadhyay (@sanket) December 9, 2025
अब कीजिए नोटिस नोटिस, करते रहिए नोटिस नोटिस, खेलिए नोटिस नोटिस, अल्हुवा नोटिस। https://t.co/aJQtXxh7Fo
इंडिगो ने कहा कि हमें इस घटना पर अफसोस है और अपने कस्टमर्स से माफी मांगते हैं। हम फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) फेज II की चुनौतियों के बारे में DGCA से बात कर रहे थे।
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राज्यसभा में सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि इंडिगो संकट उसके क्रू रोस्टरिंग और इंटरनल प्लानिंग सिस्टम में समस्याओं के कारण हुआ। इससे यात्रियों को काफी दिक्कतें हुईं। हम इसे हल्के में नहीं लेंगे। जांच जारी है। हम ऐसा एक्शन लेंगे जो दूसरों के लिए मिसाल बने। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी अपनी राय व्यक्त की है।
उन्होंने एक्स हैंडल से एक पोस्ट कर लिखा, सरकार को इसका आभास होना चाहिए कि इंडिगो मामले से उसकी भी भद्द पिटी है। इंडिगो अपनी एकाधिकारी वाली स्थिति का लाभ उठाकर सरकार को ब्लैकमेल करने के साथ लोगों को परेशानी करने में सफल रही। उसे कठोर दंड का भागीदार बनाया जाना चाहिए।
आपको बता दें, इंडिगो फ्लाइट संकट की बीच एयरलाइन ने DGCA की नोटिस का जवाब दिया है। इंडिगो ने कहा कि हमें इस घटना पर अफसोस है और अपने कस्टमर्स से माफी मांगते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) फेज II की चुनौतियों के बारे में DGCA से बात कर रहे थे। एयरलाइन के मुताबिक दिक्कतें दिसंबर की शुरुआत में शुरू हुईं, जब कुछ कारणों की वजह से ऑन-टाइम नेटवर्क परफॉर्मेंस कम हो गया।
सरकार को इसका आभास होना चाहिए कि इंडिगो मामले से उसकी भी भद्द पिटी है। इंडिगो अपनी एकाधिकारी वाली स्थिति का लाभ उठाकर सरकार को ब्लैकमेल करने के साथ लोगों को परेशानी करने में सफल रही। उसे कठोर दंड का भागीदार बनाया जाना चाहिए।
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) December 8, 2025
पीएम ने कहा कि बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।
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पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने एक घंटे की स्पीच में कहा, वंदे मातरम् अंग्रेजों को करारा जवाब था, ये नारा आज भी प्रेरणा दे रहा। आजादी के समय महात्मा गांधी को भी यह पसंद था। उन्हें यह गीत नेशनल एंथम के रूप में दिखता था।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी 'वंदे मातरम' गीत को लेकर अपनी यादें सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने एक्स पर लिखा, नर्सरी से कक्षा पांचवीं तक जिस स्कूल (गोरखपुर में) मैंने पढ़ाई की थी वहां स्कूल की छुट्टी होने के पहले एक घंटी बजती और सभी अपनी कक्षा में वन्दे मातरम् के लिये खड़े होकर राष्ट्रगीत गाते।
हर रोज ऐसा होता था तो तक़रीबन स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे को कंठस्थ था। आज वन्दे मातरम् पर चर्चा के दौरान जब कुछ सांसदों ने कहा कि भले ही पूरा गीत याद ना हो मगर भाव पता है तो मन में ख्याल आया की हर स्कूल में ऐसा किया जा सकता है। बचपन में जो गीत सिखाया जायेगा वो जीवन में कभी नहीं भूलेगा।
आपको बता दें, पीएम मोदी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। पीएम ने कहा कि बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।
नर्सरी से कक्षा पांचवीं तक जिस स्कूल (गोरखपुर में) मैंने पढ़ाई की थी वहां स्कूल की छुट्टी होने के पहले एक घंटी बजती और सभी अपनी कक्षा में वन्दे मातरम् के लिये खड़े होकर राष्ट्रगीत गाते. हर रोज ऐसा होता था तो तक़रीबन स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे को कंठस्थ था.
— Chitra Tripathi (@chitraaum) December 8, 2025
आज वन्दे मातरम् पर… pic.twitter.com/sOD923TDmK
पूर्णिमा का कहना है कि कई नजरिए और कहानियाँ दर्शकों तक पहुंचना जरूरी हैं। यह पॉडकास्ट हर शनिवार शाम 6 बजे प्रसारित होगा। दर्शकों में इसे लेकर उत्साह दिखाई दे रहा है।
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भारत 24 की प्राइम टाइम एंकर और जानी-मानी पत्रकार पूर्णिमा मिश्रा ने अपना नया पॉडकास्ट शुरू करने का ऐलान किया है, जिसका नाम होगा ‘Poornima Mishra Speaks’। एक्स पर साझा किए गए पोस्ट में उन्होंने लिखा कि कई मुद्दे, कहानियाँ और दृष्टिकोण ऐसे हैं, जिन्हें सीधे दर्शकों तक पहुंचना चाहिए।
इसी सोच के साथ वे यह नया पॉडकास्ट लेकर आ रही हैं। उन्होंने बताया कि इस पॉडकास्ट में राजनीति से लेकर सामाजिक मुद्दों तक हर वह विषय शामिल होगा, जो देश और समाज को प्रभावित करता है। पूर्णिमा ने कहा कि यह मंच उन सवालों को आवाज देगा, जो अक्सर अनसुने रह जाते हैं, और उन कहानियों को सामने लाएगा, जो लोगों को सोचने पर मजबूर करती हैं।
यह पॉडकास्ट हर शनिवार शाम 6 बजे उनके यूट्यूब चैनल पर आएगा और दर्शकों में इसे लेकर अभी से उत्साह देखने को मिल रहा है। पूर्णिमा मिश्रा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 17 साल का अनुभव है। पूर्व में वह ‘जी न्यूज‘ (Zee News) में भी लंबे समय तक कार्यरत रही हैं।
मूल रूप से आगरा की रहने वालीं पूर्णिमा मिश्रा की स्कूलिंग और ग्रेजुएशन वहीं से हुई है। उन्होंने आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली स्थित ‘एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (NRAI School of Mass Communication) से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से पूर्णिमा मिश्रा को उनके आगामी सफर के लिए अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं।
आप सबके साथ एक बहुत ख़ुशख़बरी साझा करना चाहती हूँ।
— Poornima Mishra (@poornima_mishra) December 5, 2025
मैं अपना खुद का पॉडकास्ट शुरू करने जा रही हूँ…क्योंकि बहुत-सी बातें… बहुत-सी कहानियाँ… और कई ऐसे नज़रिए हैं
जो आप तक पहुँचने चाहिए।
इस पॉडकास्ट में मैं बात करूँगी—
उन मुद्दों की, जो ज़रूरी हैं…
उन सवालों की, जो अनसुने रह जाते… pic.twitter.com/0oDoRwuED5