दास प्रथा भले ही गुज़रे जमाने की बात हो गई हो, लेकिन रेलवे में यह अब भी मौजूद है...
‘दास प्रथा’ भले
ही गुजरे जमाने की बात हो गई, लेकिन कुछ जगहों पर शायद यह आज भी मौजूद है। न्यूज
पोर्टल ‘आज का खबरी’ (aajkakhabri.com) ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया कि पुणे के रेलवे स्टेशन में आज
भी इस प्रथा के अंतर्गत कर्मियों का शोषण किया जा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
ट्रेनिंग के बजाए करवाते थे अफसरों की चाकरी, रेलकर्मी की मौत!
पुणे: दास प्रथा भले ही गुज़रे जमाने की बात हो गई हो,
लेकिन रेलवे में यह अब भी मौजूद है। यहां कर्मचारियों को वो सब करने
के लिए मजबूर किया जाता है, जिसका उनके ड्यूटी मैन्युअल से
कोई नाता नहीं। अगर कोई कर्मचारी इसके खिलाफ आवाज उठाता है, तो
उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। हाल ही में इस प्रथा के चलते ब्रिजेश कुमार
नामक रेलकर्मी की मौत हो गई। आरोपों के मुताबिक ट्रेनिंग पर आए ब्रिजेश से मंडल
रेल अधिकारी (डीआरएम) के बंगले की चाकरी करवाई जा रही थी।
मूलरूप से बिहार निवासी ब्रिजेश ट्रैक मैन की ट्रेनिंग के लिए पुणे
आया था। लेकिन ट्रेनिंग के अलावा उससे दूसरे काम ज्यादा करवाए जाते थे, मृतक ने अपने परिजनों से
कई बार इसका जिक्र भी किया था। ब्रिजेश की प्रताड़ना का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता
है कि वो नौकरी छोड़ने का मन भी बना चुका था, मगर पारिवारिक
मज़बूरियों के चलते ऐसा नहीं कर सका।
खाना भी नहीं खाने दिया
जानकारी के मुताबिक, 29 मार्च को ब्रिजेश सहित कुछ कर्मचारियों को संगम
पार्क स्थित डीआरएम आवास लाया गया। यहां उनसे मोटी-मोटी लकड़ियों को दीवार के दूसरी
तरफ फेंकने आदि काम करवाए जा रहे थे, तभी ब्रिजेश की तबीयत
ख़राब हो गई। साथी कर्मचारी उसे रेलवे अस्पताल लेकर गए, जहां
से दवाइयां देकर उसे वापस काम पर भेज दिया गया। हालांकि ब्रिजेश की तबीयत सुधरने
के बजाए बिगड़ती गई और उसने 13 अप्रैल को हड़पसर स्थित नोबल
अस्पताल में दम तोड़ दिया। ब्रिजेश के एक सहकर्मी
ने बताया कि उन्हें ट्रेनिंग के तुरंत बाद काम पर लगा दिया गया था, ब्रिजेश को तो खाना खाने का समय भी नहीं मिला था। पीड़ित पक्ष का कहना है
कि डॉक्टरों ने मौत की वजह भूखे पेट अत्यधिक भारी काम करना बताई थी, हालांकि नोबल अस्पताल के अनुसार, मौत एक्यूट
पैन्क्रियाटाइटिस और कई मल्टी ऑर्गन फेलियर से हुई। बहरहाल मौत की वजह चाहे जो भी
हो, लेकिन इतना साफ़ है कि ब्रिजेश और अन्य कर्मचारियों को
नियम विरुद्ध काम करवाकर प्रताड़ित किया जा रहा था।
‘काम तो करना ही होगा’
ट्रेनिंग पर आने वालों को सीमेंट के बोरे ढोने से लेकर हर तरह से
छोटे-बड़े काम करवाए जाते हैं, अधिकांश कर्मचारी ख़ामोशी से इसके लिए तैयार भी हो जाते हैं, क्योंकि वे अपनी नौकरी से हाथ धोना नहीं चाहते। ब्रिजेश के साथ ट्रेनिंग
ले रहे एक कर्मचारी के मुताबिक, “वरिष्ठ अधिकारियों के
स्पष्ट निर्देश हैं कि जो कहा जाएगा करना होगा। हमसे नौकरों की तरह काम करवाया
जाता है। अधिकारी अपनी ज़रूरतों के हिसाब से हमारा इस्तेमाल करते हैं।”
रेलवे का इनकार
पुणे मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज झवर ने आरोपों से इंकार करते हुए
कहा, “किसी भी कर्मचारी से इस
तरह काम नहीं कराया जा सकता। जहां तक बात ब्रिजेश कुमार की है, तो उसे डीआरएम निवास लाया ही नहीं गया।”
पर पुख्ता हैं सबूत
रेलवे भले ही पूरे मामले से पल्ला झाड़ रहा हो, लेकिन कई कर्मचारियों ने
इस बात की पुष्टि की है कि ब्रिजेश और अन्य कर्मियों को घटना वाले दिन डीआरएम आवास
पर काम करवाने लाया गया था। आज का खबरी के पास इस बातचीत की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
कर्मचारियों का यहां तक कहना है कि इंकार करने पर उन्हें न सिर्फ धमकी दी गई बल्कि
यह भी कहा गया कि ये तो महज़ शुरुआत है।
सब जानते हैं अफसर
पुणे रेल मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर
बताया कि रेलवे में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। खासकर निचले
स्तर के कर्मचारियों को अफसरों के घरों में नौकर की तरह काम करवाया जाता है।
कागजों पर कुछ दर्शाया जाता है और हकीकत कुछ और होती है। दिल्ली-मुंबई में बैठे
वरिष्ठ अधिकारी भी इस दास प्रथा से वाकिफ हैं, लेकिन कुछ नहीं करते क्योंकि वे खुद भी किसी न किसी
रूप में इसका हिस्सा हैं।
कैसे चलेगा घर?
ब्रिजेश घर में एकलौता कमाने वाला था, उसकी मौत के बाद परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट आ
गया है। ब्रिजेश के दो छोटे भाई हैं। बेटे की मौत के बाद से मां सदमे में है और
भाइयों का रो-रोकर बुरा हाल है। वैसे तो नियमानुसार ब्रिजेश के भाई को नौकरी मिलनी
चाहिए, लेकिन वो प्रशिक्षण अवधि
में था, इसलिए इस पर संशय बना हुआ है। हालांकि इस संबंध में
मनोज झवर ने कहा, ब्रिजेश की मौत ऑन ड्यूटी नहीं हुई है,
फिर भी रेलवे उसके परिवार की सहायता के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
कैसे सुरक्षित होगा सफ़र?
एक तरफ रेलमंत्री सफ़र को सुरक्षित बनाने पर जोर दे रहे हैं और दूसरी
तरफ उन कर्मचारियों से वरिष्ठ अधिकारियों के घर की चाकरी करवाई जा रही है, जिन पर सफ़र को सुरक्षित
बनाने की ज़िम्मेदारी है। ब्रिजेश ट्रैक मैन की ट्रेनिंग के लिए पुणे आया था। ट्रैक
मैन सुरक्षित रेल सफ़र की महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि ट्रैक
की देखरेख का ज़िम्मा उसी पर होता है। ऐसे में सवाल उठाना लाज़मी है कि क्या रेलवे
वास्तव में सुरक्षित सफ़र के प्रति गंभीर है? यदि सरकार रेलवे
में बदलाव चाहती है, तो उसे सबसे पहले इस दास प्रथा को ख़त्म
करना होगा।
होनी चाहिए जांच
रेलवे प्रवासी ग्रुप की अध्यक्ष हर्षा शाह ने इस संबंध में कहा, अगर आरोप सही हैं,
तो यह बेहद गंभीर मामला है। सेंट्रल रेलवे को इसकी निष्पक्ष जांच
करवानी चाहिए। डीआरएम हो या कोई अन्य अधिकारी किसी को भी इस तरह कर्मचारियों से
काम करवाने का अधिकार नहीं है।
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कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन मजबूती देने के उद्देश्य से अमर उजाला की ओर से भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव, एक्सपो व अवार्ड्स 2025 का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है। कैपेक्स के लिए क्रेडिट फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से मिलती है। केवल बैंकों को डिपॉजिट लेने की मंजूरी है।
ऐसे में वे संसाधनों को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। आज 2.5 मिलियन लैंडेबल मर्चेंट हैं। कैश भारपे पर दिखता है। हम पार्टनरशिप मॉडल पर काम कर रहे है। वे पैसे मुहैया करवा रहे हैं। वे ऋण मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
देश में एमएसएमई को ऋण मुहैया कराने के लिए बहुत बढ़िया इकोसिस्टम तैयार हुआ है। आज यदि किसी को मशीन खरीदना हो चाहे वह 20 लाख का हो तो लोन आसानी से उपलब्ध है। दुनिया पिछले 30-40 वर्षेों में पूरी तरह से बदल गई है।
ऐसा मैनुअल बैंकिंग से डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़ने से संभव हो पाया। सरकारी स्कीमों मुद्रा स्क्रीम, स्ट्रीट वेंटर स्कीमों के जरिए भी ऋण मुहैया कराने में मदद मिली है। हमें वेंचर कैपिटल को बढ़ाने की जरूरत है। हमें नई स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की जरूरत है चाहे वे सफल हों या नहीं। इसके लिए वेंचर कैपिटल को बढ़ाना पड़ेगा। यह हाई रिस्क कैपिटल है। इसके लिए इसके लिए बैंक आगे नहीं आते। इसे मुहैया कराने के लिए हमें कदम बढाने होंगे।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन को मजबूत करने के मकसद से अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
मरते दम तक एक एक्टर को स्टूटेंड बने रहना होता है। यह बात बिजनेस लीडर्स भी सीख सकते हैं। हमें जीना है तो हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठक सकते हैं। हमें सर्वाइव करना ही पडे़गा। हम बड़े शुक्रगुजार हैं कि हमें नरेंद्र मोदी जैसे लीडर मिले हैं। वे अमेरिका से टक्कर ले सकते हैं।
वे इसलिए ऐसा कर सकते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि हम किसी पर डिपेंड नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वोकल फॉर लोकल वाले का हमेशा समर्थन करना चाहिए। वोकल फॉर लोकल एमएसएमई क्षेत्र का भी मंत्र होना चाहिए। किसी चीज पर पर्दा डालो तो अलग-अलग धारणाएं बन जाती है। उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म पर कहा कि यह रिसर्च से बनी है।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमनें मौजूद उद्योगों से सुझाव मांगे। उन्होंने बहुत सारे सुझाव दिए। वे खुश नहीं रहेंगे तो नए रास्ते नहीं खुलेंगे।
अमर उजाला एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। यहां उन्होंने अमर उजाला की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा, 'समाचार के क्षेत्र के अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में काम करना अमर उजाला की कार्य संस्कृति बन गई है।
इसके लिए पूरे समूह को बहुत बधाई। सभी को बहुत शुभकामनाएं।' उन्होंने कहा, देवभूमि उत्तराखंड (पूर्व प्रधानमंत्री) अटल बिहारी वाजपेयी के समय में नया राज्य बना। 2003 में मिले एक पैकेज के बाद राज्य में बुनियादी संरचनाओं का निर्माण शुरू हुआ।
इसमें उद्योगों का अहम योगदान रहा। पहले रोजगार के बहुत कम अवसर थे। पर वाजपेयी के समय में औद्योगीकरण का नया दौर शुरू हुआ। बाद में नीतियों में कई बदलाव किए गए। धामी ने अमर उजाला के मंच पर विजेताओं को अवार्ड भी प्रदान किए, जिसमें बरेली की वानरेती क्राफ्ट्स को सिल्वर अवार्ड, गाजियाबाद की ब्रेनटेक इंजीनियर्स को गोल्ड अवार्ड और डीके फिल्म्स को ब्रॉन्ज अवार्ड से सम्मानित किया गया।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि जिस शक्ति के साथ स्वदेशी अपनाने के लिए अपील की है, उससे देश को बहुत फायदा मिलेगा।
अमर उजाला की ओर से आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा भी पहुंचे। एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में छोटे और मंझोले उद्योगों का विस्तार हो रहा है। अजय टम्टा ने कहा कि परिवहन क्षेत्र के विस्तार और स्वदेशी अपनाने से देश की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान राज्य मंत्री अजय टम्टा ने अमर उजाला एमएसएमई फॉर भारत अवार्ड के विजेताओं को भी सम्मानित किया। टम्टा ने कहा कि पीएम ने जिस शक्ति के साथ स्वदेशी अपनाने के लिए अपील की है, उससे देश को बहुत फायदा मिलेगा। आज छोटे-छोटे उत्पाद घर-घर तक पहुंच रहे हैं।
आज छोटे-छोटे उद्योग लगाने के क्षमतावान लोग थे उन्हें पहले कठिनाइयां होती थी। आज महिला समूहों को 15 लाख रुपये तक के लोन दिए जा रह हैं। देश में स्वदेशी मेले का कार्यक्रम चल रहा है। अमर उजाला का एमएसएमई फॉर भारत एक बहुत अच्छा आयोजन है।
अमर उजाला के एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए अनुराग सिंघी ने इंस्पायरिंग एमएसएमई सत्र दौरान एसमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित किया।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाने और 'वोकल फॉर लोकल' के विजन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अमर उजाला नई दिल्ली के भारत मंडपम में एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव, एक्सपो व एवं अवार्ड्स 2025 का आयोजन किया।
इस समारोह में उद्योग, मनोरंजन और एमएसएमई जगत की कई हस्तियां शामिल हुईं। अमर उजाला के एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मूर सिंघी एवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर अनुराग सिंघी ने इंस्पायरिंग एमएसएमई सत्र दौरान एसमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित किया।
360 वन वेल्थ की हेड ऑफ स्ट्रेटेजी आरती रामकृष्णन ने कार्यक्रम के दौरान अपने विचार साझा किए। आरती रामकृष्णन ने कहा कि देश के एमएसएमई क्षेत्र में विभिन्न मोर्चों पर कई तरह के सुधार हो रहे हैं। तकनीक का क्षेत्र हो या अनुकूल सरकारी नीतियों का- बीते वर्षों में एमएसएमई के लिहाज बड़े सकारात्मक बदलाव हुए हैं। सिंघी ने कहा कि आज के युवा उद्यमियों को रतन टाटा जैसे महान उद्यमी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर वे अपने उद्यम और देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आकार दे सकेंगे।
बेंगलुरु पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शांति भंग करने वाले पोस्ट करने वालों के खिलाफ 37 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया।
बेंगलुरु पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शांति भंग करने वाले पोस्ट करने वालों के खिलाफ 37 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कंटेंट कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने, झूठी जानकारी देने, मानहानि करने या ऐसा कोई प्रलोभक मैसेज था जो सार्वजनिक शांति भंग कर सकता था।
बेंगलुरु सिटी के पुलिस कमिश्नर कार्यालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, आरोपियों द्वारा साझा किए गए 41 सोशल मीडिया अकाउंट और 19 आपत्तिजनक पोस्ट्स को विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से हटा दिया गया है।
शहर की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल्स- जो सभी थानों से संचालित होती हैं, ऑनलाइन ऐसे कंटेंट पर नजर रख रही हैं जो तनाव भड़का सकता है या गलत जानकारी फैला सकता है। नियमित निगरानी के दौरान अधिकारियों ने कई ऐसे पोस्ट्स की पहचान की, जिनके आधार पर कानूनी कार्रवाई की गई।
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी अविश्वसनीय या भड़काऊ कंटेंट का समर्थन, शेयर या समर्थन न करें। नागरिकों से कहा गया है कि कोई भी जानकारी साझा करने या उस पर टिप्पणी करने से पहले उसकी सत्यता जरूर जांचें।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, "जो लोग झूठी या भड़काऊ जानकारी फैलाकर कानून का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
कंपनी की चेयरपर्सन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद शुक्ला और एनएसई की एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट पार्वती मूर्ति उपस्थित रहीं। साथ ही कंपनी के प्रमुख नेतृत्व टीम के सदस्य भी मौजूद थे।
बीएजी कन्वर्जेंस लिमिटेड (डिजिटल न्यूज और कंटेंट इनोवेशन के प्रमुख खिलाड़ी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इमर्ज प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक डेब्यू किया। बीएजी कन्वर्जेंस के शेयर आईपीओ मूल्य के मुकाबले 16% प्रीमियम पर डेब्यू हुए। शेयर एनएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर 87 रुपये के इश्यू मूल्य के खिलाफ 101 रुपये पर लिस्टेड हुए।
इस समारोह में कंपनी की चेयरपर्सन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद शुक्ला और एनएसई की एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट पार्वती मूर्ति उपस्थित रहीं। साथ ही कंपनी के प्रमुख नेतृत्व टीम के सदस्य भी मौजूद थे। अपने संबोधन में अनुराधा प्रसाद शुक्ला ने कंपनी की यात्रा पर प्रकाश डाला, जो स्थापना से लेकर डिजिटल मीडिया की शक्तिशाली कंपनी बनने तक की है। बीएजी कन्वर्जेंस ने न्यूज, इन्फोटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स जैसे कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है।
कंपनी की मजबूत डिजिटल उपस्थिति 23 भारतीय राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों और अमेरिका, ब्रिटेन, मिडिल ईस्ट तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैली हुई है। टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी के माध्यम से कंटेंट क्रिएशन को नया रूप दे रही कंपनी के प्लेटफॉर्म्स वैश्विक स्तर पर 60 मिलियन से अधिक दर्शकों तक पहुंचते हैं। समारोह में चीफ बिजनेस ऑफिसर एंड ग्रुप एडिटर सुषांत मोहन ने होस्ट की भूमिका निभाई।
समारोह में नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स चंदन के. जैन और अर्शित आनंद, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजेंद्र नेगी, ग्रुप सीएफओ अजय जैन, चीफ बिजनेस ऑफिसर सुशांत एस. मोहन, सीएफओ सुभोध गुप्ता, कंपनी सेक्रेटरी कृति जैन, संजीव कुमार, अमित सेठी, मानक गुप्ता तथा कंपनी एडवाइजर्स संजीव के. दुबे, शशि शेखर मिश्रा और अनामिका सूद भी उपस्थित रहे।
नेटफ्लिक्स इंडिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नॉलजी (IICT) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के साथ मिलकर एक नई साझेदारी की है।
नेटफ्लिक्स इंडिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नॉलजी (IICT) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के साथ मिलकर एक नई साझेदारी की है। इसका मकसद भारत में छात्रों को एवीजीसी-एक्सआर (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी) क्षेत्र में प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करना है। इस समझौते पर हस्ताक्षर फिक्की फ्रेम्स 2025 के दौरान किए गए।
संयुक्त बयान में कहा गया कि इस पहल के तहत नेटफ्लिक्स अपने क्रिएटिव इक्विटी फंड के माध्यम से IICT के साथ सहयोग में चयनित छात्रों को छात्रवृत्ति देगा। यह फंड मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में उन प्रतिभाओं के लिए बनाया गया है, जिन्हें अब तक कम मौके मिले हैं।
नेटफ्लिक्स, IICT की तीन प्रमुख परिषदों — शोध एवं विकास परिषद, अकादमिक परिषद और उद्योग विकास परिषद में भी हिस्सा लेगा। इन परिषदों में शिक्षा, उद्योग और नीति से जुड़े विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया जाएगा ताकि भारत के एवीजीसी-एक्सआर सेक्टर को नई दिशा मिल सके।
इस सहयोग के साथ नेटफ्लिक्स इंडिया अब एनवीडिया, गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और एडोबी जैसी कंपनियों की कतार में शामिल हो गया है, जिन्होंने मई में वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंटरटेनमेंट समिट के दौरान IICT के साथ साझेदारी की थी।
नेटफ्लिक्स इंडिया की ग्लोबल अफेयर्स डायरेक्टर महिमा कौल ने कहा, “मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में कौशल विकास और समान अवसर बढ़ाने के हमारे प्रयासों के तहत यह सहयोग भारत सरकार की एवीजीसी सेक्टर को मजबूत करने की दृष्टि के अनुरूप है।”
नेटफ्लिक्स, IICT को पाठ्यक्रम विकसित करने में मदद करेगा और उद्योग के विशेषज्ञों को छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस पहल के तहत वर्कशॉप, मास्टरक्लास और गेस्ट लेक्चर आयोजित किए जाएंगे ताकि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और वैश्विक स्तर का प्रशिक्षण मिल सके।
यहां भारत की कहानी महत्वाकांक्षा, पुनर्निर्माण और दृढ़ता की वैश्विक विमर्श के केंद्र में रखी जाएगी और इसके केंद्र में एक नया संकल्प है। यह एक नए भारत की कहानी है।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 वैश्विक संवाद के एक ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित करेगा, जिसमें हमारे समय के कुछ सबसे प्रभावशाली नेताओं की उपस्थिति होगी। इनमें शामिल हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरासूरिया, यूनाइटेड किंगडम के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट।
यह एक दुर्लभ अवसर होगा जब दो वर्तमान प्रधानमंत्री और दो पूर्व प्रधानमंत्री एक ही मंच पर होंगे जो इस समिट की महत्ता और विश्व स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है। यह समिट 17 और 18 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी और यह वैश्विक विमर्श का एक महत्वपूर्ण मंच बनेगी।
एक ऐसे समय में जब दुनिया अस्थिरता, अनिश्चितता और गहन परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, यह समिट उन नेताओं, विचारकों, नवप्रवर्तकों और सांस्कृतिक प्रतीकों को एक साथ लाएगी जो हमारे युग के सबसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। भू-राजनीति से लेकर प्रौद्योगिकी तक, पारिस्थितिकी से लेकर संस्कृति तक, अर्थव्यवस्थाओं की संरचना से लेकर समाजों की कल्पना तक, एनडीटीवी वर्ल्ड समिट का उद्देश्य केवल विश्लेषण करना नहीं, बल्कि पुनर्कल्पना, पुनर्निर्माण और नवीनीकरण की दिशा में बढ़ना है।
2025 संस्करण का थीम ‘एज ऑफ द अननोन: रिस्क. रिज़ॉल्व. रिन्युअल.’ (अज्ञात की कगार: जोखिम. संकल्प. नवीनीकरण.) इस ऐतिहासिक क्षण के सार को दर्शाता है। यह एक निमंत्रण है। अनिश्चितता का सामना कल्पना के साथ करने का, संकल्प को प्रतिक्रिया नहीं बल्कि उद्देश्यपूर्ण इरादा मानने का, और नवीनीकरण को अतीत में लौटने के बजाय भविष्य के सृजन के रूप में अपनाने का।
इस समिट की गंभीरता को और भी बढ़ाता है इसमें शामिल होने वाले प्रतिभागियों का दायरा। दो वर्तमान और दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ दुनिया भर से आने वाले नेताओं, उद्योगपतियों, नवाचारकर्ताओं, सांस्कृतिक हस्तियों और नैतिक विचारकों की एक सशक्त टोली इसमें शामिल होगी। ये सभी मिलकर प्रभाव और कल्पना की एक सामूहिक ध्वनि बनाते हैं। जो राजनीति, अर्थशास्त्र और समाज के नए आयामों को आकार दे रहे हैं। इनकी उपस्थिति इस समिट की उस भूमिका को रेखांकित करती है जहां वर्तमान वास्तविकताएं भविष्य की संभावनाओं से मिलती हैं।
एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा, एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 प्रभाव का एक संगम है, जहां विचार, कल्पना और इरादा मिलते हैं। दो वर्तमान और दो पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति, साथ ही वैश्विक नेताओं और परिवर्तनकर्ताओं की एक विस्तृत श्रृंखला, इस समिट की तात्कालिकता और महत्व को दर्शाती है।
यह भारत की उस केंद्रीय भूमिका को भी प्रतिबिंबित करती है जो वह आज दुनिया की बातचीत के केंद्र में निभा रहा है और एक साझा भविष्य के निर्माण में योगदान दे रहा है। जब दुनिया विरोधाभास और रचनात्मकता, थकान और पुनरुत्थान के बीच झूल रही है, तब एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 एक ऐसे मंच के रूप में खड़ा होगा जो सामंजस्य, संभावना और दूरदृष्टि का प्रतीक बनेगा। यह वह स्थान होगा जहां समाप्त होती निश्चितताओं का सामना किया जाएगा और कल के विचारों को आकार दिया जाएगा।
यहां भारत की कहानी महत्वाकांक्षा, पुनर्निर्माण और दृढ़ता की वैश्विक विमर्श के केंद्र में रखी जाएगी और इसके केंद्र में एक नया संकल्प है। यह एक नए भारत की कहानी है, जिसे नए एनडीटीवी के माध्यम से बताया जा रहा है। एक ऐसा नेटवर्क जो अपने समय के अनुरूप पुनर्कल्पित हुआ है, जो सार्थक संवादों का मंच तैयार कर रहा है, भारत की आवाज़ को वैश्विक स्तर पर और बुलंद कर रहा है, और ऐसे विचारों को दिशा दे रहा है जो हमारे साझा भविष्य को पुनः परिभाषित करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पूर्व यह मेगा इवेंट राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया जगत के प्रमुख हस्तियों का समागम बना। भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेंद्र राय के साथ बिहार के दिग्गजों ने किया विमर्श।
‘भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क’ (Bharat Express News Network) ने सोमवार को पटना में 'नए भारत की बात, बिहार के साथ' कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने बिहार के डीजीपी विनय कुमार के साथ दीप प्रज्वलन कर किया। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पूर्व यह मेगा इवेंट राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया जगत के प्रमुख हस्तियों का समागम बना।
कॉन्क्लेव की शुरुआत में चैनल के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने इसे चैनल की स्थापना के बाद पटना में पहला बड़ा आयोजन बताते हुए कहा कि भारत एक्सप्रेस ने बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक लगभग हर जिले में अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं। उपेंद्र राय ने पत्रकारिता की बदलती भूमिका, सोशल मीडिया की ताकत और तकनीकी क्रांति पर गहन विचार व्यक्त किए, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश साबित हुए।
पत्रकारिता का महत्व: 1787 में स्थापित हुआ यह चौथा स्तंभ:
उपेंद्र राय ने पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए इसका ऐतिहासिक संदर्भ प्रस्तुत किया। उन्होंने ब्रिटिश विचारक एवं सांसद एडमंड बर्क का जिक्र करते हुए कहा कि 1787 में ब्रिटिश संसद के समक्ष बर्क ने पहली बार प्रस्ताव रखा था कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका निरंकुश न हो जाएं, इसके लिए चौथे खंभे की स्थापना आवश्यक है। उपेंद्र राय ने स्पष्ट किया कि ब्रिटिश साम्राज्य के वैश्विक प्रभुत्व के दौर में यह विचार तुरंत स्वीकार्य हो गया, जिससे प्रेस को कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के साथ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मान्यता मिली। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका पर नजर रखने के लिए चौथे खंभे के रूप में प्रेस की स्थापना की गई थी। प्रेस की यही भूमिका आज भी उतनी ही अहम है और इस पर गंभीर चर्चा जरूरी है कि पत्रकारिता कितनी जिम्मेदार होनी चाहिए।’
उपेंद्र राय ने यह भी उल्लेख किया कि आज दुनिया के हर देश में प्रेस की यह भूमिका अहम बनी हुई है, जो सत्ता के तीनों स्तंभों पर नजर रखने का दायित्व निभाती है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य कभी नहीं बदलना चाहिए-यह लोकतंत्र की रक्षा का माध्यम है। इस ऐतिहासिक संदर्भ से उन्होंने युवा पीढ़ी को प्रेरित किया कि वे इस जिम्मेदारी को समझें और निभाएं।
पत्रकारिता के साधनों में परिवर्तन: प्रिंट से सोशल मीडिया तक का सफर:
उपेंद्र राय ने पत्रकारिता के साधनों में आए क्रमिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समय के साथ पत्रकारिता के माध्यम लगातार विकसित होते रहे हैं। उन्होंने बताया, ’पत्रकारिता के साधन समय के साथ लगातार बदलते रहे हैं। प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक से डिजिटल और अब डिजिटल से आगे बढ़कर सोशल मीडिया सबसे शक्तिशाली माध्यम बन चुका है।’
भारत एक्सप्रेस की तीव्र प्रगति का जिक्र करते हुए उपेंद्र राय ने कहा कि चैनल को बहुत कम समय में देश के प्रमुख प्लेटफॉर्म्स जैसे डीडी फ्रीडिश, टाटा प्ले, डिश टीवी, डी2एच, एयरटेल और जियो टीवी पर स्थान मिल चुका है। यह उपलब्धि न केवल चैनल की विश्वसनीयता को दर्शाती है, बल्कि डिजिटल युग में पत्रकारिता की पहुंच को भी रेखांकित करती है।
उपेंद्र राय ने जोर दिया कि ये बदलाव पत्रकारिता को अधिक समावेशी और त्वरित बनाने वाले हैं, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्होंने कॉन्क्लेव के संदर्भ में कहा कि बिहार जैसे राज्य में, जहां चुनावी माहौल गर्म है, पत्रकारिता को सच्चाई और संतुलन का दर्पण बनना होगा।
उपेंद्र राय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत एक्सप्रेस की पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सत्ता के तीनों स्तंभों पर नजर रखना और लोकतंत्र के चौथे खंभे की जिम्मेदारी निभाना है, जो तकनीकी बदलावों के बावजूद अपरिवर्तनीय रहेगा. इस संबोधन से उपस्थित राजनीतिक नेताओं और छात्रों में उत्साह का संचार हुआ।
सोशल मीडिया की असीम ताकत: मोबाइल फोन-हर हाथ का हथियार:
कॉन्क्लेव के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए उपेंद्र राय ने सोशल मीडिया को पत्रकारिता का सबसे शक्तिशाली हथियार बताया। उन्होंने कहा, ’सोशल मीडिया ने आपलोगों को एक अजीब सी ताकत दी है। इसके लिए आपको किसी न्यूज रूम की जरूरत नहीं है। किसी अप्रूवल की जरूरत नहीं है। आपके हाथ में मौजूद मोबाइल आपका सबसे बड़ा हथियार है।बस आपको उस पर अपनी बात रखनी आनी चाहिए।’
उपेंद्र राय ने स्पष्ट किया कि 25 वर्ष पूर्व सूचना प्रसार के साधन सीमित थे, लेकिन आज सोशल मीडिया ने हर व्यक्ति को तत्काल अपनी समस्याओं को व्यापक स्तर पर पहुंचाने की क्षमता प्रदान कर दी है। उन्होंने मणिपुर घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि दो महिलाओं के साथ हुई अमानवीय घटना पर एक फेसबुक पोस्ट ने राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा कर दिया। मुख्यधारा का मीडिया उस समय पीछे रह गया, लेकिन सोशल मीडिया ने संसद का विशेष सत्र बुलवाया और 35,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती कराई।
उन्होंने कहा, ’मुख्यधारा मीडिया उस समय पीछे रह गया, लेकिन सोशल मीडिया ने लोगों की उम्मीदों और भरोसे को नई ऊंचाई दी।’ उन्होंने मुख्यधारा मीडिया की सीमाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब यह सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने में असमर्थ है, जबकि सोशल मीडिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जितने लोगों के हाथों में मोबाइल फोन हैं, उतने ही इसके लिए कार्यरत हैं। उपेंद्र राय ने छात्रों को सलाह दी कि वे इस ताकत का सदुपयोग करें और अपनी आवाज को मजबूत बनाएं’
तकनीक के जरिए जीवन को सरल बनाना और समय की बचत:
उपेंद्र राय ने तकनीकी क्रांति पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि तकनीक हमेशा दो उद्देश्यों की पूर्ति करती है—लोगों का जीवन सरल बनाना और समय की बचत. उन्होंने चैटजीपीटी जैसे आधुनिक टूल्स का उदाहरण दिया, जो रिसर्च या ड्राफ्टिंग का कार्य कुछ ही सेकंडों में पूरा कर देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, ’तकनीक हमेशा दो काम करती है, लोगों का जीवन आसान बनाना और समय बचाना।’ इस संदर्भ में उन्होंने पत्रकारिता के भविष्य पर विचार व्यक्त किए कि डिजिटल टूल्स न केवल गति प्रदान करते हैं, बल्कि सटीकता भी सुनिश्चित करते हैं।
उपेंद्र राय ने कॉन्क्लेव के मंच से बिहार के डीजीपी विनय कुमार के साथ राज्य की कानून-व्यवस्था, नए कानूनों और हालिया संशोधनों पर चर्चा की, जहां तकनीक की भूमिका को उजागर किया। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव 2025 के संदर्भ में तकनीक पत्रकारिता को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बना सकती है। उपेंद्र राय ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे इन टूल्स का उपयोग सकारात्मक परिवर्तन के लिए करें, न कि अफवाहों के प्रसार के लिए। यह विचार-विमर्श कॉन्क्लेव को एक गहन बौद्धिक मंच के रूप में स्थापित करता है।
बिहार कॉन्क्लेव का महत्व: नए भारत की बात बिहार के साथ: उपेंद्र राय ने कॉन्क्लेव के थीम 'नए भारत की बात, बिहार के साथ' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन बिहार के विकास और चुनावी परिदृश्य को नए आयाम देगा। उन्होंने कहा कि भारत एक्सप्रेस का यह प्रयास बिहार को राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बनाने का है। उन्होंने अपने समापन उद्गार में दोहराया कि पत्रकारिता की जिम्मेदारी लोकतंत्र को मजबूत रखना है, और सोशल मीडिया इस दिशा में नया आयुध प्रदान करता है।
उपेंद्र राय ने छात्रों से अपील की कि वे पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को अपनाएं और बिहार के निर्माण में योगदान दें। यह कॉन्क्लेव न केवल राजनीतिक चर्चा का मंच बना, बल्कि पत्रकारिता के भविष्य पर गंभीर बहस को भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, सम्राट चौधरी, सीपीआई-एमल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सैयद शाहनवाज़ हुसैन, कैबिनेट मंत्री डॉ. अशोक चौधरी और जन शक्ति जनता दल के प्रमुख तेज प्रताप यादव सहित विभिन्न राजनेताओं की उपस्थिति और योगदान की सराहना की।
इस कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां आप यहां देख सकते हैं।