नोएडा स्थित शिव नादर स्कूल की छात्रा राधिका को यह प्रतिष्ठित सम्मान विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए अनुकूल खेलों को बढ़ावा देने में उनके अग्रणी योगदान के लिए दिया गया है।
नोएडा स्थित शिव नादर स्कूल की छात्रा राधिका ओझा को राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता समुदाय ट्रेलब्लेजर अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन युवाओं को दिया जाता है जिन्होंने समावेशी पहलों के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का काम किया है। राधिका को यह प्रतिष्ठित सम्मान विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए अनुकूल खेलों को बढ़ावा देने में उनके अग्रणी योगदान के लिए दिया गया है, जो बदलाव और उम्मीद की एक मिसाल बन चुका है।
बता दें कि कम्युनिटी ट्रेलब्लेजर अवॉर्ड ऐसे दूरदर्शी युवाओं को दिया जाता है जो पारंपरिक सीमाओं से आगे जाकर खेलों में समानता, पहुंच और सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं। राधिका का यह प्रयास दिखाता है कि युवाओं द्वारा शुरू किए गए जमीनी स्तर के अभियान भी देशभर में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पुरस्कार ग्रहण के अवसर पर राधिका ने कहा, ‘यह सम्मान उन लोगों के लिए है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है—दिव्यांग खिलाड़ी, जो हर दूसरे खिलाड़ी की तरह ही मंच और प्रोत्साहन के हकदार हैं। मैं STAIRS फाउंडेशन और चयन समिति की आभारी हूं कि उन्होंने बीते कुछ वर्षों की मेरी मेहनत को सराहा।’
राधिका का सफर उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व की मिसाल है। इंटरनेशनल बैकलॉरिएट जैसे कठिन शैक्षणिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ उन्होंने समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके कई अभियानों में ‘प्रोजेक्ट राहत’ खास तौर पर उल्लेखनीय है, जिसका उद्देश्य वंचित समुदायों के लिए टिकाऊ और सम्मानजनक आर्किटेक्चरल समाधान उपलब्ध कराना है। यह परियोजना राधिका के समावेशी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है और सुनिश्चित करती है कि दिव्यांगजन सहित सभी लोगों को गरिमापूर्ण और सुलभ बुनियादी सुविधाएं मिलें।
पिछले 3-4 वर्षों से दिव्यांग खिलाड़ियों की भागीदारी, संसाधनों की उपलब्धता और भावनात्मक सहयोग के लिए राधिका लगातार आवाज उठा रही हैं। वह इस धारणा को चुनौती देती हैं कि शारीरिक अक्षमता का मतलब योग्यता की कमी है। राधिका का कहना है, ‘हमारी सोच में बदलाव जरूरी है—दिव्यांगों के लिए खेलों को सामान्य खेलों की तरह ही देखा जाना चाहिए, कोई अलग चीज नहीं।’ उनका सपना है कि अनुकूल खेलों (adaptive sports) को मुख्यधारा में लाया जाए और इन्हें संस्थागत समर्थन और सामाजिक मान्यता प्राप्त हो।
राधिका आने वाले पांच वर्षों में देशभर में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक मजबूत और समावेशी खेल तंत्र विकसित करना चाहती हैं। उनका सपना है कि राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर ऐसी नीतियां बने जो समावेशिता को बढ़ावा दें, खेल संघ विशेष रूप से अनुकूल खेल कार्यक्रमों को प्राथमिकता दें, और समाज हर खिलाड़ी की प्रतिभा को उसकी क्षमता के आधार पर सराहे, न कि शारीरिक स्थिति के आधार पर। खेलों से आगे राधिका की रुचि खगोल विज्ञान और वैज्ञानिक खोज में भी है, जो उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को दर्शाता है।
जून 2009 में टीवी पत्रकार ब्रजेश गुप्ता का शव गोविंद नगर में खड़ी कार में कपड़े से लपेटा हुआ मिला था। शव पर कई चोटों के निशान थे।
कानपुर की एक अदालत ने 16 साल पुराने टीवी पत्रकार ब्रजेश गुप्ता की हत्या के मामले में चार लोगों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
सजा पाने वालों में पीड़ित की सहयोगी व टीवी एंकर कनिका ग्रोवर, उसके दो भाई सनी और मुन्नी और परिवार का मित्र सुरजीत सिंह उर्फ शंटी शामिल हैं।
जून 2009 में 26 वर्षीय ब्रजेश गुप्ता का शव गोविंद नगर में खड़ी कार में कपड़े से लपेटा हुआ मिला था। शव पर कई चोटों के निशान थे।
सरकारी वकील गौरेंद्र त्रिपाठी के अनुसार, अदालत ने नौ गवाहों की गवाही सुनने के बाद आरोपियों को दोषी पाया। कनिका और उसके भाइयों के साथ-साथ सुरजीत को भी आजीवन कारावास की सजा दी गई। साथ ही कनिका की मां अलका ग्रोवर और उसके चाचा राजीव कुमार को साक्ष्य नष्ट करने में मदद करने के लिए 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई।
निर्णय सुनाए जाने के बाद, जो छह लोग जमानत पर थे, उन्हें फौरन हिरासत में ले लिया गया।
मामला 14 जून 2009 का है, जब रतनलाल नगर के एक निवासी ने एक 'प्रेस' स्टिकर वाली कार को लंबे समय तक खड़ी देखा। कार खोलने पर पुलिस ने ब्रजेश का शव पाया।
ब्रजेश के भाई प्रभात कुमार ने बाद में गोविंद नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि ब्रजेश ने कहा था कि वह कनिका और अन्य को घर छोड़कर आएगा, लेकिन वह वापस नहीं आया। परिवार ने तलाश की और शव कार में पाया। उनकी लाइसेंसधारी बंदूक और सोने के गहने भी गायब थे।
गौरेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस जांच में पता चला कि कनिका और उसके परिवार को ब्रजेश से नाराजगी थी, क्योंकि उनका आरोप था कि ब्रजेश नियमित रूप से कनिका को परेशान करता था। सुरजीत को पहले गिरफ्तार किया गया, जिसने जुर्म कबूल किया और बाकी आरोपियों का पता लगाया। उसने बताया कि अपराध उनके घर में किया गया, बाद में शव को कपड़े में लपेटकर ब्रजेश की कार में रखा गया।
जिला सरकारी वकील दिलीप अवस्थी ने कहा कि कनिका के परिवार का यह भी मानना था कि ब्रजेश ने उनके पिता को झूठे केस में फंसाया, जिससे उनके गुस्से और बढ़ गए थे।
यही इसे लोगों के बीच अलग पहचान देती है। सूचना की तेज गति और वायरल होने वाले फेक न्यूज के समय में सच्चाई और प्रमाणिकता बनाए रखना मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती है।
उत्तराखंड में मंगलवार को दैनिक भास्कर एप का औपचारिक शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, योगगुरु बाबा रामदेव और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। अतिथियों ने बटन दबाकर एप को लॉन्च किया। सीएम धामी ने भास्कर को प्रदेश में इस नई शुरुआत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा- दैनिक भास्कर ने सच्ची और निष्पक्ष पत्रकारिता के दम पर मुकाम हासिल किया है।
उन्होंने बताया, दैनिक भास्कर एप के जरिए अब लोग रियल टाइम में खबरें पढ़ सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा- दैनिक भास्कर जापान के समाचार पत्र के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार है, ये जानकर उन्हें काफी खुशी हुई है।
सीएम धामी ने कहा कि कई बार सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी होता है। लेकिन उन्होंने दैनिक भास्कर की पारदर्शिता और विश्वसनीयता की सराहना की। उन्होंने कहा- यही इसे लोगों के बीच अलग पहचान देती है। उन्होंने कहा कि सूचना की तेज गति और वायरल होने वाले फेक न्यूज के समय में सच्चाई और प्रमाणिकता बनाए रखना मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती है।
इस कार्यक्रम में मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधि अपने अनुभव साझा करेंगे और विचारों का आदान-प्रदान कर समाज में वास्तविक बदलाव लाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
प्रयास JAC सोसाइटी और इंडिया हैबिटेट सेंटर (IHC) संयुक्त रूप से ‘सामाजिक क्षेत्र और मीडिया की भूमिका’ पर एक विशेष चर्चा का आयोजन कर रहे हैं। नई दिल्ली में लोधी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर के Casuarina Hall में 16 अक्टूबर की शाम 6:30 बजे से होने वाले इस कॉन्क्लेव में मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधि अपने अनुभव साझा करेंगे और विचारों का आदान-प्रदान कर समाज में वास्तविक बदलाव लाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के संगठनों (CSOs/NGOs) के बीच बेहतर सहयोग स्थापित करना और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है। कार्यक्रम में देश भर के वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया संस्थान और विभिन्न नागरिक सामाजिक संगठन हिस्सा लेंगे।
चर्चा का मुख्य फोकस यह समझना है कि मीडिया और CSOs मिलकर समाज के कमजोर वर्गों—जैसे बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों के मुद्दों को कैसे उजागर कर सकते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
प्रयास JAC सोसाइटी के संस्थापक व मेंटर आमोद कंठ, वरिष्ठ पत्रकार व प्रयास की गवर्निंग बॉडी के मेंबर अमिताभ श्रीवास्तव और इंडिया हैबिटेट सेंटर के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) के. जी सुरेश कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता शामिल होंगे। इस चर्चा में यह भी विचार किया जाएगा कि मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के संगठन मिलकर देश के विकास और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत कैसे कर सकते हैं।
प्रसून जोशी को यह पुरस्कार महान कलाकार किशोर कुमार की जन्मस्थली खंडवा में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
मध्य प्रदेश सरकार ने फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज गीतकार, कवि, लेखक और ऐडमैन प्रसून जोशी को राष्ट्रीय किशोर कुमार पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया है। फिल्मी गीत लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
प्रसून जोशी को यह पुरस्कार खंडवा में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। बता दें कि खंडवा महान कलाकार किशोर कुमार की जन्मस्थली है, जिन्हें भारतीय सिनेमा का ऑलराउंडर स्टार कहा जाता है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह में शामिल होकर किशोर कुमार से जुड़े किस्से सुनाए और उन्हें मध्य प्रदेश का ‘अनमोल रत्न’ बताया।
विजयवाड़ा उत्सव की सफलता के बाद श्रेयस मीडिया ने यह निर्णय लिया है कि वह बिहू, ओनम, गणेश चुतर्थी, पोंगल, लोहड़ी, दुर्गा पूजा और सक्रांति जैसे क्षेत्रीय त्योहारों को भी देशभर में बड़े स्तर पर मनाएगी।
श्रेयस मीडिया (Shreyas Media) द्वारा हाल ही में आयोजित विजयवाड़ा उत्सव (Vijayawada Utsav) न केवल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ, बल्कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा कार्निवल माना गया और इसने वैश्विक ध्यान भी आकर्षित किया। भारत, अमेरिका, कनाडा और UAE में 3,500 से ज्यादा मूवी प्रमोशन और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने वाले Shreyas Media ने इस उत्सव के जरिए लाखों लोगों को जोड़कर अपनी संगठन क्षमता और कलाकारी का प्रदर्शन किया। विजयवाड़ा उत्सव की सफलता के बाद कंपनी ने यह निर्णय लिया है कि वह बिहू, ओनम, गणेश चुतर्थी, पोंगल, लोहड़ी, दुर्गा पूजा और सक्रांति जैसे क्षेत्रीय त्योहारों को भी देशभर में बड़े कार्निवल के रूप में मनाएगी।
श्रेयस मीडिया (Shreyas Media) ने यह भी योजना बनाई है कि वह साल भर अराकू और गांदीकोटा जैसे पर्यटन स्थलों पर विदेशी कलाकारों के साथ समारोह आयोजित करे। इस सैंक्रांति, कृषि को नए आयाम देने के लिए कंपनी एक बड़े किसान उत्सव का आयोजन भी करने जा रही है। इसके अलावा, Visakhapatnam और Tirupati में नए साल और सैंक्रांति के जश्न का आयोजन विजयवाड़ा उत्सव की तरह होगा। विजयवाड़ा में भी दिवाली, नया साल और सैंक्रांति बड़े पैमाने पर मनाई जाएगी। कंपनी पूरे साल आंध्र प्रदेश में 30 बड़े संगीत समारोह आयोजित करेगी और अराकू कॉफी फेस्टिवल भी भव्य रूप से मनाया जाएगा।
Shreyas Media के संस्थापक Gandra Srinivas Rao ने कहा कि विजयवाड़ा उत्सव एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आयोजित किया गया और इसने कार्निवल क्षेत्र में कंपनी की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी बनाई। उन्होंने कहा कि भारत अपनी विविध संस्कृति और त्योहारों के लिए जाना जाता है। ऐसे कार्निवल आयोजित करके त्योहारों को मीठी यादों में बदला जा सकता है। यह प्लेटफॉर्म न केवल देश के लोगों को बल्कि विदेशियों को भी जोड़ता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
उन्होंने याद दिलाया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने विजयवाड़ा उत्सव की सफलता और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने पर खुशी व्यक्त की थी। विजयवाड़ा उत्सव को Society for Vibrant Vijayawada और आंध्र प्रदेश टूरिज्म के सहयोग से 22 सितंबर से 11 दिनों तक आयोजित किया गया। इस दौरान कुल 284 कार्यक्रम हुए और 3,000 से अधिक कलाकारों ने दर्शकों का मनोरंजन किया।
विजयवाड़ा की सड़कों को रंगीन बनाने के लिए 11 कॉन्सर्ट और 11 ड्रोन शो का आयोजन किया गया, साथ ही चार दिनों में भव्य आतिशबाजी का भी प्रदर्शन किया गया। इस उत्सव ने केवल तेलुगु लोगों को ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के लोगों को भी आकर्षित किया।
सामान्य दशहरा के अवसर पर विजयवाड़ा में लगभग 15 लाख लोग आते हैं, लेकिन विजयवाड़ा उत्सव के दौरान लगभग 50 लाख लोग पहुंचे। अनुमान है कि इस दौरान स्थानीय व्यापार लगभग 1,000 करोड़ रुपये का हुआ। 15 लाख से अधिक लोग उत्सव में शामिल हुए और 25,000 लोगों को सीधे या असल सीधे रोजगार मिला। विजयवाड़ा एक्सपो (Vijayawada Expo) में 600 स्टॉल लगाए गए।
Srinivas ने बताया कि अगले पांच साल में विजयवाड़ा उत्सव के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपये का व्यापार करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि राज्य सरकारें सहयोग करें तो Shreyas Media पूरे देश में ऐसे कार्निवल आयोजित करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रांड्स ऐसे कार्निवल को सपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने महा कुंभ मेले के विज्ञापन अधिकार भी हासिल किए और हजारों ब्रांड्स को करोड़ों लोगों के करीब लाया। Shreyas Media इसी सफलता को देशभर के कार्निवल में दोहरा सकता है।
दोनों पत्रकारों को 12 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना की दो महिला पत्रकारों की उस विशेष अनुमति याचिका पर तत्काल सुनवाई करने के लिए सहमति जताई, जिन्होंने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने और साझा करने के मामले में गिरफ्तारी का डर जताया है।
ये दोनों पत्रकार — पोगडदांडा रेवती, जो पल्स न्यूज की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और थन्वी यादव, जो उसी चैनल की रिपोर्टर हैं, सुप्रीम कोर्ट में तेलंगाना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने पहुंचीं, जिसमें सत्र न्यायालय के उस निर्देश को बरकरार रखा गया था जिसमें उन्हें पुलिस हिरासत में भेजने को कहा गया था।
दोनों को 12 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी। हालांकि सोमवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब उन्हें दोबारा गिरफ्तारी का डर सताने लगा है।
दोनों पत्रकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ से तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि सात महीने तक जमानत पर रहने के बाद अब उन्हें गिरफ्तारी और दफ्तर सील किए जाने का खतरा है, क्योंकि हाई कोर्ट ने पुलिस हिरासत का आदेश बरकरार रखा है।
इन दोनों पत्रकारों को कांग्रेस की राज्य सोशल मीडिया इकाई के प्रमुख की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं — अश्लील सामग्री प्रकाशित करने से लेकर संगठित अपराध और आपराधिक साज़िश रचने, नफरत फैलाने वाली अफवाहें फैलाने और शांति भंग करने तक के।
दिल्ली में शुक्रवार की शाम आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डॉ. महेंद्र मधुकर को यह सम्मान प्रदान किया।
साहित्यिक कृति 'वक्रतुण्ड' के लेखक डॉ. महेंद्र मधुकर को जागरण साहित्य सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया है। दिल्ली में शुक्रवार की शाम आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डॉ. महेंद्र मधुकर को यह सम्मान प्रदान किया।
उन्होंने डॉ. मधुकर को शाल ओढ़ाया, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट किया। इसके साथ ही उन्हें 11 लाख रुपये की सम्मान राशि भी दी गई।डॉ. मधुकर ने भी इस दौरान शाह को अपनी तीन पुस्तकें भेंट की तथा उनके कार्य की सराहना की।
इस दौरान डॉ. मधुकर ने धर्मवीर भारती की पंक्ति 'सृजन की थकन भूल जा देवता..' का जिक्र करते हुए कहा कि लेखक साहित्यकार के लिए रचना सृजन आत्मिक अभिव्यक्ति और आत्मा की संतुष्टि जैसा है।’
'वक्रतुण्ड' को पुरस्कृत करने का निर्णय जूरी ने सर्वसम्मति से किया। इस समिति में जाने-माने गीतकार और कवि प्रसून जोशी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी व वरिष्ठ साहित्यकार डा. शरण कुमार लिंबाले शामिल रहे।
बता दें कि इस पुस्तक को ‘राजकमल प्रकाशन’ ने पब्लिश किया है। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में शुरू किया गया यह पहला जागरण साहित्य सृजन सम्मान है। यह सम्मान उन लेखकों को दिया जाता है जिनकी कृति ने अपनी पठनीयता, गुणवत्ता और विषय की गहराई से वर्षभर पाठकों और समीक्षकों — दोनों का ध्यान आकर्षित किया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार द्वारा वित्तपोषित प्रसारक प्रसार भारती को BCCI की टीम को “टीम इंडिया” या “भारतीय राष्ट्रीय टीम” कहने से रोकने की मांग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार द्वारा वित्तपोषित प्रसारक प्रसार भारती, जो दूरदर्शन और आकाशवाणी संचालित करता है, को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की टीम को “टीम इंडिया” (Team India) या “भारतीय राष्ट्रीय टीम” (Indian National Team) कहने से रोकने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि प्रसार भारती द्वारा एक निजी टीम को भारतीय राष्ट्रीय टीम के रूप में पेश करना गलत प्रस्तुतीकरण (misrepresentation) है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अधिवक्ता रीपक कंसल द्वारा दायर इस याचिका को अदालत के समय की पूर्ण बर्बादी बताया।
कंसल ने अपनी याचिका में कहा था कि BCCI एक निजी संस्था है, जो तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत है। ऐसे में सार्वजनिक प्रसारकों द्वारा इसे “राष्ट्रीय टीम” के रूप में पेश करना गलत छवि बनाना है और इससे BCCI को अनुचित व्यावसायिक लाभ मिलता है। याचिका में दोहराया गया कि “प्रसार भारती द्वारा एक निजी टीम को राष्ट्रीय टीम के रूप में दिखाना भ्रामक है।”
याचिका के अनुसार, BCCI अपने आयोजनों और मैचों में भारत नाम, राष्ट्रीय ध्वज और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग करती है और दूरदर्शन व आकाशवाणी द्वारा इनके प्रसारण से Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act, 1950 तथा Flag Code of India, 2002 का उल्लंघन होता है, जो राष्ट्रीय नाम, झंडे और प्रतीकों के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। याचिका में कहा गया था, “किसी निजी संस्था द्वारा ‘India’ नाम का मनमाना उपयोग, बिना किसी वैधानिक अधिकार या अधिसूचना के, निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।”
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि BCCI द्वारा अपने आयोजनों में भारतीय ध्वज का उपयोग करना और सार्वजनिक प्रसारकों द्वारा उसका प्रसारण करना किसी कानून का उल्लंघन नहीं है।
पीठ ने टिप्पणी की, “आज कोई भी व्यक्ति निजी तौर पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। यदि आप अपने घर में झंडा फहराना चाहें तो क्या आपको रोका गया है? Emblems and Names Act, 1950 की धारा 3 का उल्लंघन कहां है? क्या आप यह कह रहे हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? यह टीम जो हर जगह जाकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है, आप कह रहे हैं कि यह भारत की टीम नहीं है? यदि यह ‘टीम इंडिया’ नहीं है तो बताइए क्यों नहीं है?”
न्यायाधीशों ने आगे कहा, “क्या आपको पता है कि खेलों का पूरा ढांचा कैसे काम करता है? क्या आपके अनुसार केवल वही टीम ‘भारत’ का प्रतिनिधित्व करेगी जिसे खेल मंत्रालय के अधिकारी चुनें? यह अदालत के समय की बर्बादी है। आपको इससे बेहतर जनहित याचिकाएं दाखिल करनी चाहिए। हम इसे खारिज करने के पक्ष में हैं।”
कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन मजबूती देने के उद्देश्य से अमर उजाला की ओर से भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव, एक्सपो व अवार्ड्स 2025 का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है। कैपेक्स के लिए क्रेडिट फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से मिलती है। केवल बैंकों को डिपॉजिट लेने की मंजूरी है।
ऐसे में वे संसाधनों को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। आज 2.5 मिलियन लैंडेबल मर्चेंट हैं। कैश भारपे पर दिखता है। हम पार्टनरशिप मॉडल पर काम कर रहे है। वे पैसे मुहैया करवा रहे हैं। वे ऋण मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
देश में एमएसएमई को ऋण मुहैया कराने के लिए बहुत बढ़िया इकोसिस्टम तैयार हुआ है। आज यदि किसी को मशीन खरीदना हो चाहे वह 20 लाख का हो तो लोन आसानी से उपलब्ध है। दुनिया पिछले 30-40 वर्षेों में पूरी तरह से बदल गई है।
ऐसा मैनुअल बैंकिंग से डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़ने से संभव हो पाया। सरकारी स्कीमों मुद्रा स्क्रीम, स्ट्रीट वेंटर स्कीमों के जरिए भी ऋण मुहैया कराने में मदद मिली है। हमें वेंचर कैपिटल को बढ़ाने की जरूरत है। हमें नई स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की जरूरत है चाहे वे सफल हों या नहीं। इसके लिए वेंचर कैपिटल को बढ़ाना पड़ेगा। यह हाई रिस्क कैपिटल है। इसके लिए इसके लिए बैंक आगे नहीं आते। इसे मुहैया कराने के लिए हमें कदम बढाने होंगे।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन को मजबूत करने के मकसद से अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
मरते दम तक एक एक्टर को स्टूटेंड बने रहना होता है। यह बात बिजनेस लीडर्स भी सीख सकते हैं। हमें जीना है तो हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठक सकते हैं। हमें सर्वाइव करना ही पडे़गा। हम बड़े शुक्रगुजार हैं कि हमें नरेंद्र मोदी जैसे लीडर मिले हैं। वे अमेरिका से टक्कर ले सकते हैं।
वे इसलिए ऐसा कर सकते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि हम किसी पर डिपेंड नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वोकल फॉर लोकल वाले का हमेशा समर्थन करना चाहिए। वोकल फॉर लोकल एमएसएमई क्षेत्र का भी मंत्र होना चाहिए। किसी चीज पर पर्दा डालो तो अलग-अलग धारणाएं बन जाती है। उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म पर कहा कि यह रिसर्च से बनी है।