‘लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं’

लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं, यह कहना है संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक, डॉ. त्लालेंग मोफ़ोकेंग का।

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Friday, 27 June, 2025
Gender equality


शोभा शुक्ला, सिटीजन न्यूज़ सर्विस।।

लैंगिक समानता और मानवाधिकार अविभाज्य, आधारभूत और बिना शर्त हैं, यह कहना है संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक, डॉ. त्लालेंग मोफ़ोकेंग का। यदि सतत विकास लक्ष्यों पर सबके लिए खरा उतरना है तो हमें सभी लक्ष्यों पर खरा उतरना होगा। यदि सरकारें चंद लक्ष्यों की ओर कार्य करेंगी और बाक़ी को नज़रअंदाज़ करेंगी, तो हम सभी लक्ष्यों पर असफल होंगे क्योंकि सतत विकास लक्ष्य तो एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

आईपीपीएफ की डॉ. हरज्योत खोसा ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, समाज के हाशिए पर रह रहे समुदाय के लोगों ने सबसे अधिक त्रासदी झेली क्योंकि वह स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और जेंडर न्याय संबंधित सभी तरह की सेवाओं से वंचित हो गए थे। कोविड के दौरान महिला हिंसा बढ़ रही थी। यदि हम समाज के हाशिए पर रह रहे लोगों को स्वास्थ्य व्यवस्था को परिवर्तित और सुधारने में शामिल करेंगे तो ही वह जेंडर न्याय और मानवाधिकार के मापदंडों ने अनुकूल बन सकेगी। वह 78वें विश्व स्वास्थ्य असेंबली के दौरान जिनेवा में आयोजित एक विशेष सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस सत्र को आयोजित करने में ग्लोबल सेंटर फॉर हेल्थ डिप्लोमेसी एंड इंक्लूज़न, सीएनएस, आईपीपीएफ, आदि संगठनों का योगदान रहा।

क्या स्वास्थ्य प्रणाली जेंडर संवेदनशील है? डॉ. हरज्योत खोसा ने कहा कि यह विवेचना करनी चाहिए कि क्या हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था जेंडर संवेदनशील है? क्या वह सिर्फ़ 'पारंपरिक रूप से सही' शादीशुदा महिला और पुरुष के लिए संवेदनशील है और बाक़ी विभिन्न जेंडर के लोगों के लिए या जिन्होंने शादी या बच्चे न करने का निर्णय लिए है, उनके लिए भी संवेदनशील है? स्वास्थ्य व्यवस्था में भी पित्तरात्मकता व्याप्त है इसीलिए इसका ईमानदारी से मूल्यांकन कर के इसको सुधारने की ज़रूरत है जिससे कि कोई भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।

डोमिनिकन रिपब्लिक के डॉ. एलिज़र लपोट्स एब्रो जो हेल्थ हॉरिज़न्स से जुड़े हैं, ने कहा कि उनके मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इसलिए मना कर दी जाती है क्योंकि या तो वह स्थानीय भाषा नहीं बोलतीं या फिर उनके पास नागरिकता के पूरे दस्तावेज़ नहीं हैं। डॉ. एलिज़र के एक महिला मरीज़ को सर्वाइकल कैंसर का इलाज सरकारी अस्पताल में मना हो गया क्योंकि उसको स्थानीय भाषा नहीं आती थी। जब, अनुवादक साथ गया तो सरकारी अस्पताल ने कहा कि नागरिकता के दस्तावेज़ के बिना कैंसर का इलाज नहीं मिलेगा।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज या यूएचसी का क्या मायने हैं यदि हम भेदभाव करेंगे और जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को नहीं देंगे?

पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल के बाबा आए ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली मृत्यु में से 13% सिर्फ़ असुरक्षित गर्भपात के कारण होती हैं। दो-तिहाई स्वास्थ्य-कर्मी महिला हैं पर कई देशों की कानून और व्यवस्था ने सुरक्षित गर्भपात पर प्रतिबंध लगा रखा है।

लेप्रोसी (कुष्ठ रोग), जेंडर न्याय, मानवाधिकार और सतत विकास: लेप्रोसी या कुष्ठ रोग, जिसे "हैनसेन रोग" के नाम से भी जाना जाता है, एक पुरानी बीमारी है जो सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही है और कलंक तथा गलत धारणाओं में लिपटी हुई है। यह एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो माइको-बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के कारण होता है।

कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (बहु-औषधि चिकित्सा) से संभव है। रोग की गंभीरता को देखते हुए यह इलाज 1 से लेकर 2 वर्षों तक चल सकता है। लेकिन अगर इस रोग का शुरुआती चरण में पता नहीं लगाया जाता और इलाज नहीं किया जाता है, तो प्रभावित व्यक्ति में स्थायी विकलांगता और विकृति हो सकती है, जिनके चलते समुदाय में ऐसे व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति भेदभाव व्याप्त होता है। यदि कुष्ठ रोग की जल्दी जांच हो, सही इलाज बिना-विलंब मिले, तो शारीरिक विकृति भी नहीं होती और सही इलाज शुरू होने के 72 घंटे बाद से रोग फैलना भी बंद हो जाता है।

तब क्यों कुष्ठ रोगियों को भेदभाव और शोषण झेलना पड़ता है? कुष्ठ रोग का इलाज पूरा कर चुकी सुश्री माया रनवाड़े जो एसोसिएशन फॉर पीपल अफेक्टेड बाय लेप्रोसी की अध्यक्ष हैं, ने कहा कि कुष्ठ रोग से गुज़र चुकी लड़कियों और महिलाओं को अनेक गुणा अधिक शोषण और भेदभाव झेलना पड़ता है। इसी शोषण और भेदभाव के कारण लोग स्वास्थ्य सेवा से लाभान्वित नहीं हो पाते।

माया रनवाड़े का कहना है कि कुष्ठ रोग से प्रभावित महिलाओं को अनेक संघर्ष करने पड़ते हैं। पित्तरात्मक सामाजिक व्यवस्था के कारण उनको अधिक झेलना पड़ता है। कार्यस्थल तक पर पुरुषों की तुलना में उनको कम दिहाड़ी या दैनिक आय मिलती है। यदि कुष्ठ रोग से प्रभावित महिलाओं की ज़िंदगी सुधारनी है तो जेंडर-आधारिक अन्याय भी समाप्त करने होंगे।

भारत में एचआईवी के साथ जीवित लोगों के संगठन (नेशनल कोएलिशन ऑफ़ पीपल लिविंग विथ एचआईवी इन इंडिया) की सह-संस्थापिका और पूर्व अध्यक्ष दक्षा पटेल ने सराहा कि भारत सरकार ने एचआईवी के साथ जीवित लाखों लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मुहैया करवायी हैं, अनेक सरकारी एचआईवी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों के कारण लोग स्वस्थ और भरपूर जीवन जी पा रहे हैं। परंतु उनकी अपील है कि एचआईवी के साथ जीवित लोगों को भी सरकारी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं के तहत लाभार्थी बनाया जाये जिससे कि एचआईवी के अलावा अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी उन्हें सम्मान और अधिकार स्वरूप समय से मिल सकें।

अफगानिस्तान में मानवाधिकार और मानवीय संकट के खतरे सभी के लिए गहरा रहे हैं, लेकिन महिलाओं समेत जेंडर विविध लोगों की स्थिति और भी गंभीर है। उन्हें तालिबान अधिकारियों से हिंसा, और यहां तक कि मौत, का भी गंभीर खतरा है।

अफ़ग़ानी महिलाओं की स्थिति भी बहुत दयनीय है। अफ़गानिस्तान की एक समलैंगिक महिला परवीन ने अपनी हृदय विदारक कहानी सुनाते हुए कहा कि उन्हें लगातार उत्पीड़न और जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।

वह मार्च 2025 का एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था जब परवीन और उनकी प्रेमिका मरियम ने एक ट्रांसजेंडर दोस्त मावे के साथ अफ़ग़ानिस्तान छोड़ के ईरान जाने की कोशिश की। लेकिन मामला उलट गया। तालिबान ने मरियम और मावे को पकड़ कर हिरासत में ले लिया और तब से वे कैद में हैं। सौभाग्य से परवीन हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच से गुजरने में सफल रही क्योंकि उसका भाई उसके पुरुष संरक्षक के रूप में उसे अनुमति देने हेतु हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गया। जब तक तालिबान परवीन की तलाश में हवाई अड्डे पर पहुंचे, तब तक उसका विमान उड़ान भर चुका था।

तालिबान परवीन की तलाश कर रहे हैं। लेकिन वह अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प है क्योंकि वह नहीं चाहती कि भविष्य में किसी अन्य जेंडर विविध व्यक्ति को तकलीफ़ उठानी पड़े।

परवीन के सहयोगी नेमत सादत हैं, जो रोशनिया (जेंडर विविध अफ़गानों की सहायता के लिए समर्पित एक नेटवर्क है) के अध्यक्ष हैं। नेमत उन पहले अफ़गानों में से एक हैं जिन्होंने 2013 में खुले तौर पर अपने समलैंगिक होने की बात स्वीकार की थी और जेंडर विविध लोगों के अधिकारों के लिए अभियान चलाया।

नेमत ने बताया "हमारे पास 1,000 से ज़्यादा जेंडर विविध लोगों की सूची है जो अभी भी अफ़गानिस्तान में रह रहे हैं। आज तक हमने 265 लोगों को पश्चिमी देशों और ओमान में सुरक्षित पहुचाने में मदद की है और हमें उम्मीद है कि परवीन भी सुरक्षित जगह पर पहुँच जाएँगी, हालाँकि अभी उनका भविष्य बहुत अनिश्चित लग रहा है।"

दक्षिण सूडान में चल रही लड़ाई और कलह ने जेंडर विविध समुदाय, एचआईवी के साथ जीवित लोगों, यौनकर्मी, और विकलांग व्यक्ति जैसे हाशिए पर रह रहे लोगों को आघात पहुंचाया है। उन्हें शारीरिक हिंसा, घरेलू हिंसा और यौन शोषण का सामना करना पड़ रहा है।

दक्षिण सूडान में महिला अधिकारों पर कार्यरत और डबल्यूईसीएसएस की अध्यक्ष रेचल अडाऊ के अनुसार साउथ सूडान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली टूट रही है। मातृ और बाल स्वास्थ्य सेवाएं बहुत बुरी स्थिति में हैं। संक्रामक रोगों का जोखिम भी बढ़ गया है। अभी दक्षिण सूडान में नदी के दूषित पानी के कारण हैजा का प्रकोप फैला हुआ है। नदी के किनारे रहने वाले लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। संघर्ष के कारण खाद्य असुरक्षा होने से युवतियों तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण और एनीमिया अधिक है। लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर भी बहुत अधिक है। इन सबके परिणामस्वरूप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी पैदा हो रही हैं।

दक्षिण सूडान में दो न्यायिक प्रणालियाँ हैं - संविधान और प्रथागत पारंपरिक कानून। परंपरा के अनुसार, पुरुष ही कमाते हैं। महिलाओं के पास संसाधनों तक पहुंच नहीं है, निर्णय लेने की पहुंच नहीं है, नेतृत्व में उनकी कोई आवाज़ नहीं है क्योंकि उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है। संविधान के अनुसार दक्षिण सूडान में सभी महिलाओं को समान अधिकार हैं, लेकिन वे कानूनों के खराब क्रियान्वयन के कारण उनका प्रयोग करने में असमर्थ हैं। उदाहरण के लिए, भले ही उनके पास संपत्ति रखने का कानूनी अधिकार है , लेकिन अक्सर उन्हें इस अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। साथ ही महिला हिंसा के अपराधियों को सज़ा नहीं मिलती।

क्या सरकारें अगले माह जेंडर न्याय और स्वास्थ्य अधिकार पर ठोस निर्णय लेंगी? जुलाई 2025 में भारत समेत दुनिया के सभी देश, संयुक्त राष्ट्र उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम में सतत विकास लक्ष्यों पर हुई प्रगति का मूल्यांकन करेंगे - इनमें जेंडर और स्वास्थ्य से संबंधित लक्ष्य प्रमुख हैं। आशा है कि सभी सरकारें, मानवाधिकार के पक्ष्य में ठोस निर्णय लेंगी।

(शोभा शुक्ला, सीएनएस (सिटीज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका-संपादिका हैं और लखनऊ-स्थित लोरेटो कॉलेज की भौतिकी विज्ञान की सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका हैं। उनको ‘एक्स’ पर पढ़ें: @Shobha1Shukla)

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‘इमका अवॉर्ड्स’ के लिए आवेदन शुरू, चार जनवरी तक कर सकते हैं अप्लाई

आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन (IIMCAA) ने दसवें ‘इमका अवॉर्ड्स’ के लिए ऑनलाइन आवेदन लेना शुरू कर दिया है।

Last Modified:
Tuesday, 25 November, 2025
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आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन (IIMCAA) ने दसवें ‘इमका अवॉर्ड्स’ के लिए ऑनलाइन आवेदन लेना शुरू कर दिया है। इस बार खास बात यह है कि यह अवॉर्ड सिर्फ IIMC के पूर्व छात्रों के लिए नहीं, बल्कि सभी मीडिया प्रोफेशनल्स, यानी Non-IIMCians के लिए भी खुले हैं।

जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, चार जनवरी तक एंट्री भेजी जा सकती हैं। 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2025 के दौरान अखबार, टीवी, रेडियो, डिजिटल में रिपोर्टिंग और विज्ञापन या जनसंपर्क के अभियानों के आधार पर कुल 13 कैटेगरी में आवेदन किया जा सकता है।

IIMCAA ने बताया कि इन अवॉर्ड्स का मकसद मीडिया और कम्युनिकेशन के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को सम्मान देना और उनके बीच बेहतर जुड़ाव बनाना है। इस बार 2026 एडिशन तक पहुंचने पर संगठन ने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।

कब तक के काम होंगे शामिल?

IIMCAA Awards 2026 में 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2025 के बीच किए गए कामों को शामिल किया जाएगा।

कुल 13 कैटेगरी- 10 में कैश प्राइज

अवॉर्ड्स में कुल 13 कैटेगरी हैं। इनमें से 10 कैटेगरी में कैश प्राइज + ट्रॉफी + सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि बाकी 3 कैटेगरी में ट्रॉफी और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।

मुख्य कैटेगरी में Journalist of the Year, Agriculture Reporter, PR Person, Ad Person, Producer, Indian Language Reporter आदि शामिल हैं।

इस बार नियमों में दो बड़े बदलाव

IIMCAA ने इस साल दो अहम बदलाव किए हैं—

  1. अब एक की जगह 3 न्यूज/शो/कैम्पेन जमा करने होंगे।

  2. लिखित निबंध की जगह अब वीडियो फॉर्मेट में एस्से अपलोड करना होगा।

शॉर्टलिस्टिंग और रिजल्ट

एंट्रीज की स्क्रीनिंग एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल द्वारा की जाएगी। विजेताओं की घोषणा 28 फरवरी 2026 को दिल्ली में होने वाले Connections Meet में की जाएगा।

एंट्रीज

आवेदक केवल IIMCAA वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म भरकर अपना काम जमा कर सकते हैं।

आखिरी तारीख 

अवॉर्ड्स में शामिल होने के लिए एंट्री जमा करने की अंतिम तारीख 4 जनवरी 2026 रखी गई है।

नियम व शर्तों के साथ अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें-

https://iimcaa.org/iimcaa-awards-submission-2026/

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प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश 56वें आईएफएफआई गोवा में सम्मानित

उन्हें यह सम्मान “क्रिएटिव मेकर्स ऑफ टुमारो (सीएमओटी)” के ग्रेट ग्रैंड जूरी का सदस्य रहने के लिए दिया गया।

Last Modified:
Tuesday, 25 November, 2025
Pro. K G Suresh

वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया शिक्षाविद् प्रो. (डॉ.) के जी सुरेश को गोवा में चल रहे 56वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में सोमवार को प्रकाश मगदूम, प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम तथा अजय नागभूषण, संयुक्त सचिव (फिल्म्स), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान “क्रिएटिव मेकर्स ऑफ टुमारो (सीएमओटी)” के ग्रेट ग्रैंड जूरी का सदस्य रहने के लिए दिया गया।

सीएमओटी दुनिया में युवा फिल्मकारों के लिए अपनी तरह का इकलौता मंच है। इस मौके पर ‘भारत पर्यावास केंद्र’ (इंडिया हैबिटेट सेंटर) के निदेशक के रूप में कार्यरत प्रो.सुरेश ने कहा कि सीएमओटी युवा फिल्मकारों को अपनी प्रतिभा और क्षमता साबित करने के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि चयनित सभी पांच फिल्मों ने सोशल मीडिया पोस्ट को वायरल करने के प्रति युवाओं के जुनून के नकारात्मक परिणामों को उजागर किया है और युवा फिल्मकारों द्वारा इस विषय के संवेदनशील चित्रण पर उन्होंने खुशी जताई।

प्रो. सुरेश इससे पहले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों तथा इस प्रतिष्ठित महोत्सव के इंडियन पैनोरमा खंड की जूरी में भी रह चुके हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए उन्होंने सिनेमा अध्ययन विभाग की स्थापना की थी। आईआईएमसी के महानिदेशक रहते हुए उन्होंने पुणे के एफटीआईआई के साथ मिलकर सिनेमेटोग्राफी, अभिनय, निर्देशन आदि में संयुक्त कार्यशालाओं का आयोजन किया था। वे पुणे के फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान तथा कोलकाता के सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की संचालन परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।

वर्तमान में वे रोहतक के दादा लखमी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य हैं। इसके अलावा वे कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्म जूरियों के अध्यक्ष और सदस्य रह चुके हैं, जिनमें 2012 में संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं के गठबंधन एवं अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन द्वारा आयोजित ‘प्लुरल प्लस’ अंतरराष्ट्रीय युवा वीडियो महोत्सव की जूरी में शामिल होने वाले पहले भारतीय सदस्य का गौरव भी उन्हें प्राप्त है। उन्होंने सिनेमा और टेलीविजन पर कई शोध पत्र लिखे हैं जो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।

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दिल्ली में होगा ‘ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम 2026’, PM मोदी करेंगे संबोधित

13 से 15 अक्टूबर 2026 तक तीन दिवसीय इस आयोजन में दुनिया भर के प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष, सरकारी अधिकारी, लीडर्स, वित्त विशेषज्ञ, इनोवेटर्स और विचारक शामिल होंगे।

Last Modified:
Tuesday, 25 November, 2025
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आर्थिक और नीतिगत संवाद के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच ‘ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम’ (Bloomberg New Economy Forum) का आठवां एडिशन  13 से 15 अक्टूबर 2026 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह भारत में आयोजित होने वाला पहला फोरम होगा। तीन दिवसीय इस फोरम में दुनिया भर के प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष, सरकारी अधिकारी, लीडर्स, वित्त विशेषज्ञ, इनोवेटर्स और विचारक शामिल होंगे। इस फोरम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे।

‘ब्लूमबर्ग एलपी’ और ‘ब्लूमबर्ग फिलान्थ्रॉपिज’ के संस्थापक माइकल आर. ब्लूमबर्ग ने कहा, ‘भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए इसे अगले ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम का मेजबान होना बिल्कुल सही है। फोरम के नेटवर्क को बढ़ाते हुए हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर दुनिया भर में सरकारों और व्यवसायों के बीच सहयोग को और प्रोत्साहित करने के लिए उत्साहित हैं।’

इसके साथ ही उनका कहना है, ’पिछले दशक में, न्यू इकोनॉमी फोरम वरिष्ठ निर्णयकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक स्थल बन गया है। पिछले पांच वर्षों तक सिंगापुर में सफलतापूर्वक आयोजित फोरम के बाद, जहां दुनिया ने तेजी से परिवर्तन देखा अब 2026 का फोरम भारत में आयोजित किया जाएगा। भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है और वैश्विक व्यापार में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।’

’ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम’ के एडिटोरियल डायरेक्टर एरिक शैट्ज़कर ने कहा, ’हम न्यू इकोनॉमी फोरम को नई दिल्ली में आयोजित करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। भारत का वैश्विक मंच पर प्रभाव इसे इस फोरम के लिए आदर्श बनाता है। बदलते व्यापारिक संबंधों और नए वैश्विक केंद्रों के उदय के इस समय में, भारत विकास, नवाचार और सहयोग की अगली दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।’ फोरम का आयोजन स्थल, कार्यक्रम की प्रमुख बातें और पंजीकरण संबंधी विवरण आने वाले महीनों में घोषित किए जाएंगे।

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नहीं रहीं सीनियर जर्नलिस्ट विभा कौल भट्ट

एक दिन पहले हुई थी हार्ट सर्जरी, मुंबई के लीलावती अस्पताल में ली अंतिम सांस

Last Modified:
Tuesday, 25 November, 2025
Vibha Kual

वरिष्ठ पत्रकार विभा कौल भट्ट का निधन हो गया है। लंबे समय से 'एबीपी न्यूज' (ABP News) से जुड़ी हुईं विभा कौल भट्ट को हाल ही में मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां एक दिन पहले ही उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी। इसके बाद अचानक उनकी हालत बिगड़ गई और मंगलवार को उनका निधन हो गया।

विभा कौल भट्ट पत्रकारिता जगत में लगभग 25 सालों से सक्रिय थीं। उन्होंने विशेष रूप से एंटरटेनमेंट रिपोर्टिंग में अपनी पहचान बनाई थी और 'सास-बहू और साजिश' जैसे लोकप्रिय प्रोग्राम के निर्माण और विश्लेषण में अहम योगदान दिया था।

विभा कौल के निधन की खबर आते ही मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। कई वरिष्ठ पत्रकारों, एंकरों और सहयोगियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके पेशेवर समर्पण, सौम्य व्यवहार और ईमानदार पत्रकारिता को याद किया।

वरिष्ठ पत्रकार और ‘TAK’ चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर विभा कौल को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, ‘सुबह पता चला , अब तक यकीन नहीं हो रहा. विभा कौल भट्ट को विनम्र श्रद्धांजलि. ABP न्यूज़ के शो सास बहू और साज़िश की कर्ता धर्ता रहीं थीं. कल लीलावती अस्पताल में सर्जरी हुई थी, आज सुबह निधन हुआ।’

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गुवाहाटी में महिला एंकर की ऑफिस में मौत, 5 दिसंबर को होने वाली थी शादी

असम के गुवाहाटी से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। 27 साल की महिला न्यूज एंकर ऋतु मोनी रॉय अपने ऑफिस में मृत मिलीं।

Last Modified:
Tuesday, 25 November, 2025
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असम के गुवाहाटी से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। 27 साल की महिला न्यूज एंकर ऋतु मोनी रॉय अपने ऑफिस में मृत मिलीं। उनका शव न्यूज रूम के भीतर पंखे से लटका हुआ पाया गया और पुलिस को वहां से एक सुसाइड नोट भी मिला है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऋतु मोनी की शादी 5 दिसंबर को होने वाली थी और वह इसकी तैयारियों में लगी थीं। लेकिन परिवार को शक है कि शायद आर्थिक तनाव की वजह से उन्होंने ये कदम उठाया।

यह घटना सोमवार सुबह की बताई जा रही है। ऋतु मोनी गुवाहाटी के क्रिश्चियन बस्ती इलाके में स्थित एक लोकल न्यूज पोर्टल में काम करती थीं। जिन दिनों घर में शादी की खुशी होनी चाहिए थी, उन दिनों अब मातम पसर गया है।

पुलिस ने बताया कि ऑफिस में ही उनका शव मिला और मौके से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल की जांच शुरू कर दी है।

शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस का कहना है कि असली वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगी।

सुसाइड नोट में ऋतु मोनी ने लिखा है कि उन्होंने ये फैसला सबकी खुशी के लिए लिया और लिखा कि वे उसके बिना अच्छे से रहें और उसे माफ कर दें।

इस घटना के बाद मीडिया इंडस्ट्री में मानसिक तनाव और काम के दबाव को लेकर फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं। उनके साथियों ने बताया कि ऋतु मोनी बेहद प्रतिभाशाली और मेहनती थीं और अपनी शादी को लेकर बहुत खुश थीं।

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एकनाथ शिंदे का बड़ा बयान: देवेंद्र फडणवीस से मतभेद नहीं, मीडिया TRP के लिए फैला रही अफवाह

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को अक्कलकोट में कहा कि उनके और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच कोई मतभेद नहीं है।

Last Modified:
Monday, 24 November, 2025
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को अक्कलकोट में कहा कि उनके और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने मीडिया पर आरोप लगाया कि केवल TRP बढ़ाने के लिए झूठा माहौल बनाया जा रहा है।

शिंदे सोलापुर में नगर परिषद चुनावों के लिए रैलियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ना दोनों पार्टियों के बीच दुश्मनी का संकेत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, "यह एक स्थानीय चुनाव है। हम लोकसभा में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री देखने के लिए साथ थे, विधानसभा में महायुति के लिए। स्थानीय चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ता भावनात्मक होते हैं और लड़ना चाहते हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना का दुश्मन BJP नहीं बल्कि MVA (महाविकास आघाडी) है, और भविष्य में भी यही रहेगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे और फडणवीस सार्वजनिक कार्यक्रमों में एक-दूसरे को अनदेखा कर रहे हैं, तो शिंदे ने जवाब दिया, "मीडिया ऐसे सवाल खुद बनाती है और जवाब भी खोजती है। सब कुछ बनाकर ब्रेकिंग न्यूज बना देते हैं। यह सब TRP के लिए होता है। अब उन्हें ऐसा करना बंद करना चाहिए।"

शिंदे ने यह भी कहा कि उनका "रावण" और "अहंकारी" वाला बयान BJP के लिए नहीं, बल्कि शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके साथियों के लिए था। उन्होंने कहा, "हर कोई जानता है कि रावण कौन है और अहंकारी कौन। गरीब किसान के बेटे से मुख्यमंत्री बने; इसे कौन पचा नहीं पा रहा है? घर बैठे लोग जनता की समस्याओं को नहीं समझ सकते। जब मैं मुख्यमंत्री बना, तब शिवसेना (UBT) नेताओं को पेट में दर्द हुआ। वही रावण और अहंकारी हैं।" 

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पत्रकारिता समाज को जागरूक करने और बदलाव लाने का सबसे सशक्त माध्यम: हरिवंश नारायण सिंह

वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने ‘साहित्य आजतक’ में पब्लिक, पॉलिटिक्स और पत्रकारिता की चुनौतियों पर खुलकर रखी अपनी बात

Last Modified:
Sunday, 23 November, 2025
Sahitya AajTak Harivansh Singh

दिल्ली में साहित्य के सितारों का महाकुंभ यानी साहित्य आजतक 2025 जारी है। 21 से 23 नवंबर तक नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न साहित्यिक सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें कला, साहित्य और संगीत के क्षेत्र की शख्सियत समेत तमाम राजनीतिक दिग्गज भी शामिल हो रहे हैं।

कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को ‘साहित्य आजतक’ में वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी शिरकत की। इस दौरान पब्लिक, पॉलिक्टिस और पत्रकारिता की चुनौतियां-सत्र में उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत से लेकर राजनीतिक सफर को लेकर चर्चा की। इस मौके पर हरिवंश नारायण सिंह का कहना था कि राजनीति समाज को दिशा देने वाली सबसे महत्वपूर्ण कला है, जिसे समझना और उसका अध्ययन करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि राजनीति का असल उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन है, और यदि राजनीति सफल होती है तो शासन-व्यवस्था भी प्रभावी ढंग से काम करती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हाथरस और लखीमपुर खीरी जैसे मुद्दों पर जनता की राजनीतिक समझ धीरे-धीरे विकसित होती है और पब्लिक एजुकेशन एक सतत प्रक्रिया है।

पत्रकारिता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर दौर की चुनौतियां अलग होती हैं, लेकिन पत्रकारिता हमेशा समाज को जागरूक करने का सबसे मजबूत माध्यम रही है। जयप्रकाश आंदोलन से प्रभावित होकर पत्रकारिता में आए हरिवंश ने बताया कि युवा पत्रकार के रूप में उनका लक्ष्य हमेशा रहा कि मीडिया सामाजिक बदलाव में सकारात्मक भूमिका निभाए।

हरिवंश ने कहा कि पॉलिटिक्स और साहित्य दोनों मिलकर समाज को दिशा देते हैं, और आज भी राजनीति से ऊपर साहित्य की भूमिका अधिक व्यापक है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के एक कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए कहा कि पॉलिटिक्स एक कला है, जिसको हमने नजरअंदाज किया है। हरिवंश नारायण सिंह का कहना था, ‘मैं मानता हूं कि पॉलिटिक्स समाज को चेंज करने का तरीका है और पत्रकारिता लोगों को इनफॉर्म करके सजग बनाने और जागरूक बनाने का सबसे बड़ा सशक्त माध्यम है।’

कार्यक्रम के बाद हरिवंश नारायण सिंह ने सोशल मीडिया पर भी अपनी भावनाएं साझा कीं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उन्होंने लिखा है, ‘कल (22 नवंबर) का दिन यादगार रहा. इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से आयोजित होनेवाले साहित्य और संस्कृति के सालाना उत्सव 'साहित्य आज तक' में जाने का अवसर मिला. उत्सव के दो आयोजनों में सहभागी बना. पहला आयोजन अंजना ओम कश्यप जी से संवाद का था. दूसरा अवसर, साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करनेवाले ज्ञानी—गुणी जनों के सम्मान का. 'इंडिया टुडे' के साहित्य वार्षिकी के लोकार्पण का भी अवसर मिला. ऐसे विशेष सार्थक आयोजन के लिए इंडिया टुडे ग्रुप को बधाई और हमें आमंत्रित करने के लिए हार्दिक आभार.’

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‘अमर उजाला’ में समाचार संपादक डॉ. संजय सिसोदिया का निधन

करीब छह महीने पहले उनके पैंक्रियाज में कैंसर की पुष्टि हुई थी। पिछले चार दिनों से वह दिल्ली ‘एम्स’ में भर्ती थे, जहां शुक्रवार शाम करीब 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

Last Modified:
Saturday, 22 November, 2025
Sanjay Shishodia

वरिष्ठ पत्रकार और हिंदी दैनिक ‘अमर उजाला’ में समाचार संपादक डॉ. संजय सिसोदिया का निधन हो गया है। वह महज 49 साल के थे औऱ फिलहाल नोएडा में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। 

मिली जानकारी के अनुसार, करीब छह महीने पहले उनके पैंक्रियाज में कैंसर की पुष्टि हुई थी। पिछले चार दिनों से वह दिल्ली स्थित ‘एम्स’ (All India Institute Of Medical Sciences) में भर्ती थे, जहां शुक्रवार शाम करीब 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

परिजनों के अनुसार, डॉ. संजय सिसोदिया की पार्थिव देह शनिवार सुबह करीब छह बजे एम्स से घूकना स्थित निवास पर लाई जाएगी। घूकना स्थित घर से अंतिम यात्रा 11 बजे हिंडन श्मशान घाट के लिए निकलेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

संजय सिसोदिया के निधन पर तमाम पत्रकारों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है। अपने शोक संदेश में उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और शोक संतप्त परिजनों को यह भीषण दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।  

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‘कश्मीर टाइम्स’ कार्यालय पर 'SIA' का छापा : कारतूस बरामद

जम्मू-कश्मीर की SIA ने ‘कश्मीर टाइम्स’ के कार्यालय पर छापा मारकर कारतूस और अन्य सामग्री बरामद की, जबकि अख़बार प्रबंधन ने इसे स्वतंत्र प्रेस को दबाने की कोशिश बताया।

Last Modified:
Thursday, 20 November, 2025
kashmirtimes

जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इंवेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार को 'कश्मीर टाइम्स' के जम्मू कार्यालय पर छापेमारी की। एजेंसी ने प्रकाशन के प्रवर्तकों के खिलाफ देशविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में केस दर्ज किया है। छापे के दौरान SIA ने कार्यालय की विस्तृत तलाशी लेते हुए AK राइफल के कारतूस, पिस्तौल के कुछ राउंड, साथ ही हैंड ग्रेनेड पिन और अन्य संदिग्ध सामग्री जब्त की।

अधिकारियों के अनुसार, बरामद सामान की जांच जारी है और प्रकाशन के प्रबंधकों से पूछताछ की जा सकती है। दूसरी ओर, ‘कश्मीर टाइम्स’ प्रबंधन ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। संपादक प्रबोध जामवाल और अनुराधा भसीन ने संयुक्त बयान में कहा कि 'हमारे खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और एक स्वतंत्र मीडिया संस्थान को चुप कराने की कोशिश है।'

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार पर सवाल उठाना देश के खिलाफ होना नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। प्रबंधन ने कहा कि आरोप 'डराने और बदनाम करने की रणनीति' हैं, लेकिन अखबार अपनी आवाज़ को दबने नहीं देगा।

इस बीच, उपमुख्यमंत्री सुरिंदर सिंह चौधरी ने कहा कि कार्रवाई तभी होनी चाहिए जब आरोप साबित हों, न कि दबाव बनाने के उद्देश्य से। उन्होंने कहा कि 'पत्रकारिता को स्वतंत्र माहौल मिलना चाहिए और सच लिखने वालों पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।' साथ ही उन्होंने एजेंसियों से समान मानकों पर कार्रवाई करने की बात कही।

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252 करोड़ के ड्रग्स केस में मुंबई पुलिस ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ओरी को भेजा समन

मुंबई पुलिस ने 252 करोड़ रुपये के बड़े ड्रग्स केस में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ओरहान अवात्रामणि उर्फ ओरी को पूछताछ के लिए तलब किया है।

Last Modified:
Thursday, 20 November, 2025
Orry5421

मुंबई पुलिस ने 252 करोड़ रुपये के बड़े ड्रग्स केस में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ओरहान अवात्रामणि उर्फ ओरी को पूछताछ के लिए तलब किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें गुरुवार सुबह 10 बजे एंटी-नारकोटिक्स सेल की घाटकोपर यूनिट के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।  

क्यों हो रही है पूछताछ?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस को शक है कि आरोपी मोहम्मद सलीम मोहम्मद सुहैल शेख, जो पिछले महीने दुबई से डिपोर्ट होकर आया था, कई हाई-प्रोफाइल पार्टियों का आयोजन करता था। पुलिस का कहना है कि इन पार्टियों में कई फिल्म और फैशन इंडस्ट्री से जुड़े लोग शामिल होते थे। शेख की बयानबाजी में कुछ नाम सामने आए हैं, जिनमें नोरा फतेही, श्रद्धा कपूर, रैपर लोका, अब्बास-मस्तान, ओरी और NCP नेता जीशान सिद्दीकी भी बताए गए हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह केस मार्च 2024 का है, जब पुलिस ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक फार्महाउस पर बनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से 126 किलो से ज्यादा मेफेड्रोन (MD ड्रग) जब्त किया था। इसकी कीमत करीब 252 करोड़ रुपये बताई गई थी।

सोमवार को पुलिस ने इस केस में शेख की कस्टडी हासिल की। वह इस समय एंटी-नारकोटिक्स सेल की पूछताछ में है। शेख ने दावा किया था कि वह देश और विदेश में फिल्मी सितारों, मॉडल्स और गैंगस्टर्स के लिए रेव पार्टियां आयोजित करता था।

कैसे पकड़ा गया शेख?

पुलिस ने बताया कि अगस्त में 995 ग्राम MD जब्त किए जाने के बाद जब जांच आगे बढ़ी तो शेख का नाम सामने आया। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। कुछ सप्ताह पहले वह UAE में पकड़ा गया और फिर मुंबई पुलिस की कोशिशों के बाद भारत भेजा गया। पुलिस के मुताबिक शेख पर पहले से ही चार ड्रग्स केस दर्ज हैं। ओरी से पूछताछ इसी कड़ी का हिस्सा है।

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