‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह की ओर से 22 फरवरी को नोएडा के होटल रेडिसन ब्लू में ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2019 दिए गए
‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह की ओर से 22 फरवरी को नोएडा के होटल रेडिसन ब्लू में ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2019 दिए गए। इनबा का यह 12वां एडिशन था। देश में टेलिविजन न्यूज इंडस्ट्री को नई दिशा देने और इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए ये अवॉर्ड्स दिए गए। इस मौके पर कई पैनल डिस्कशन भी हुए। ऐसे ही एक पैनल का विषय ‘Differentiating editorial content from propaganda’ रखा गया था, जिसमें मीडिया की जानी-मानी हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस पैनल डिस्कशन को बतौर सेशन चेयर फिल्म मेकर, इंटरनेशनल एंटरप्रिन्योर, मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक डॉ. भुवन लाल ने मॉडरेट किया। इस पैनल डिस्कशन में ‘एबीपी न्यूज’ के वाइस प्रेजिडेंट (प्लानिंग और स्पेशल कवरेज) सुमित अवस्थी, ‘आजतक’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) रोहित सरदाना, ‘जी बिजनेस’ के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी, ‘राज्यसभा टीवी’ के एडिटर-इन-चीफ राहुल महाजन, ‘सीएनएन न्यूज18’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर भूपेंद्र चौबे और ‘विऑन’ की एग्जिक्यूटिव एडिटर पलकी शर्मा उपाध्याय शामिल थे।
इस मौके पर डॉ. भुवन लाल द्वारा यह पूछे जाने पर कि आज के दौर में एक और बड़ी चुनौती है। टीवी पर कुछ दिखाया जाता है, वहीं, एक ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ है जो कुछ और बताती है। उसने भारत का इतिहास दोबारा लिख दिया है। बहुत सारे लोग इसमें ग्रेजुएशन और पीएचडी भी कर चुके हैं। अब उससे आप कैसे निबटेंगे? इस पर ‘एबीपी न्यूज’ के वाइस प्रेजिडेंट (प्लानिंग और स्पेशल कवरेज) सुमित अवस्थी का कहना था कि इसे ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ कहा जाना सही नहीं है। सुमित अवस्थी के अनुसार, ‘इस कथित वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से बचने के लिए मेरे पास बहुत ही बेहतर आइडिया है। दरअसल, हम वॉट्सऐप से खुश होने से ज्यादा परेशान हैं। पहले खुश थे, लेकिन अब परेशान हो गए हैं। मेरी राय में वॉट्सऐप को पेड सर्विस कर देना चाहिए यानी इसे फ्री नहीं होना चाहिए। इस पर सेंशरशिप होनी चाहिए, क्योंकि इससे फायदे की जगह नुकसान ज्यादा हो रहा है।’
सुमित अवस्थी का कहना था, ‘मेरी राय में यदि लोग अपना कोई मैसेज लिखकर वॉट्सऐप पर शेयर कर रहे हैं तो उस पर कुछ शुल्क लगना चाहिए और यदि फॉरवर्ड कंटेंट को आगे फॉरवर्ड कर रहे हैं तो उस पर ज्यादा शुल्क लगना चाहिए और यदि फॉरवर्ड किया हुआ पिक्टोरियल कंटेंट है तो उस पर और ज्यादा शुल्क लगना चाहिए। मुझे लगता है कि ऐसा करने पर जब आदमी की जेब से मैसेज फॉरवर्ड करने के लिए पैसे जाएंगे, तो वह सिर्फ काम की बात ही फॉरवर्ड करेगा और काफी सोच-समझकर करेगा। आज के समय की तरह वो कुछ भी फॉरवर्ड नहीं कर देगा।’
चर्चा के दौरान सुमित अवस्थी का यह भी कहना था कि पत्रकारिता एक ऐसा आईना है, जिसे हम सब दूसरों को तो दिखाना चाहते हैं, लेकिन खुद नहीं देखना चाहते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है। इस आईने में हमें भी खुद को देखना होगा। स्थिति खराब तो हो चुकी है, लेकिन हम सभी को आगे की पीढ़ी के लिए ये कोशिश करनी होगी कि यह और खराब न हो। स्थिति सुधरे नहीं तो कम से कम इतना हो कि यह जहां है, उसी हाल में रुक जाए।
रेवेन्यू के मुद्दे पर सुमित अवस्थी का कहना था कि अखबार जितने का छपता है, यदि उतने का मिलने लगे तो क्या ज्यादातर लोग उसे खरीदेंगे? यह डेढ़ रुपए का मिलता है, इसलिए लोग इसे खरीदते हैं, लेकिन जिस दिन यह 25 रुपए का मिलेगा, तो मुझे लगता है कि आधा सर्कुलेशन खत्म हो जाएगा। इसी तरह जिस खर्चे पर चैनल चलते हैं और उसी खर्चे पर लोगों को ये खरीदने पड़ें तो आधे लोग देखना बंद कर देंगे और इनमें काम कर रहे पत्रकारों के लिए घर चलाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। जहां तक सबस्क्रिप्शन मॉडल की बात है तो लग रहा है कि उस तरफ जाना चाहिए पर यह जा नहीं रहा है।
चर्चा के दौरान सुमित अवस्थी का यह भी कहना था, ‘मैं जब न्यूज18 चैनल में था तो एक छोटा सा सर्वे कराया गया था। उस सर्वे में अलग-अलग शहरों में व्युअर्स से सवाल पूछा गया था कि क्या वे एंकर के व्यूज जानना चाहते हैं अथवा डिबेट में जो मेहमान आ रहे हैं, उनके व्यूज जानना चाहते हैं, इस पर ज्यादातर जगहों पर लोग एंकर का व्यू पॉइंट जानना चाहते थे। लोगों का कहना था कि पार्टी प्रवक्ता को तो हम कहीं पर भी सुन लेते हैं, लेकिन एंकर का व्यू पॉइंट नहीं पता चलता है।’
यही नहीं, पैनल चर्चा खत्म होने से पहले सुमित अवस्थी ने डॉ. भुवन लाल से भी इस बात पर उनकी राय जाननी चाही कि अगर आजादी के 70 साल बाद देश का प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत के नाम से एक प्रोग्राम शुरू करता है तो उसको दिखाना प्रोपेगेंडा है अथवा कंटेंट है?
सुमित अवस्थी के इस सवाल पर डॉ. भुवन लाल द्वारा दिए गए जवाब के साथ ही पूरे पैनल डिस्कशन को आप इस विडियो पर क्लिक कर देख सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया' (पीसीआई) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन' (एनबीए) से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया' (पीसीआई) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन' (एनबीए) से जवाब मांगा, जिसमें मीडिया, चैनलों और नेटवर्क के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई के लिए ‘मीडिया ट्रिब्यूनल' (Media Tribunal) गठित करने की मांग की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की एक पीठ ने याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें मीडिया व्यवसाय नियमों से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे पर गौर करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश या शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति की स्थापना की भी मांग की गई है।
पीठ ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय, पीसीआई और एनबीए के अलावा, ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन' (एनबीएफ) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी' (एनबीएसए) को भी नोटिस जारी किया है।
बता दें कि यह याचिका फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और सिविल इंजीनियर नितिन मेमाने ने दायर की है, जिसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई। याचिका में कहा गया कि मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एक अनियंत्रित घोड़े की तरह हो गया है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को इसी मामले पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया है।
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प्रसार भारती ने कंटेंट को एक्सचेंज करने के इरादे से ‘नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट’ (Novi Digital Entertainment) के साथ एक करार किया है, ताकि ‘डीडी इंडिया’ (DD India) को यूके, यूएसए और कनाडा में भी देखा जा सके और वह भी ‘हॉटस्टार’ (Hotstar) पर। यह समझौता 22 जनवरी से मान्य है।
इस चैनल को ‘हॉटस्टार’ पर देखने के लिए चैनल कैटेगरी में जाकर सर्च ऑप्शन में डीडी इंडिया लिखकर सर्च कराना होगा। हॉटस्टार के साथ किया गया ये समझौता दूरदर्शन के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग को विकसित करना चाहता है और भारत के लिए इस चैनल को एक वैश्विक आवाज बनाना चाहता है।
प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा कि वैश्विक स्तर पर डीडी का विस्तार करने और यूके, यूएस व कनाडा में डिजिटल को पसंद करने वाले (digitally savvy) साउथ एशियन युवाओं को इससे जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। इन देशों में हॉटस्टार पर डीडी इंडिया को लॉन्च कर बेहद खुशी है।
.@DDIndialive is now available on Hotstar in UK, USA & Canada - As a step towards expanding global footprint of DD & to engage younger digitally savvy South Asian audiences in UK, US & Canada, Prasar Bharati is happy to announce launch of DD India on Hotstar in these countries. pic.twitter.com/n5UTLtfgQK
— Prasar Bharati प्रसार भारती (@prasarbharati) January 23, 2021
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है।
‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ (IBF) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल को ‘ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल’ (BCCC) का नया चेयरपर्सन नियुक्त किया है।
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है। वर्ष 2011 में गठित 13 सदस्यीय यह कमेटी अब तक कंटेंट से संबंधित 96000 से ज्यादा शिकायतों को सुन चुकी है।
जस्टिस गीता मित्तल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस विक्रमजीत सेन की जगह लेंगी, जिनका बीसीसीसी के चेयरपर्सन के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया है।
जस्टिस मित्तल ने दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज और लेडी श्रीराम महिला महाविद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से लॉ की डिग्री ली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में जज और कार्यवाहक चीफ जस्टिस के रूप में कार्य करने के बाद उन्हें अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं जस्टिस गीता मित्तल ‘BCCC’ की पहली महिला चेयरपर्सन भी बनी हैं।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठी अखबार Sachoti के एडिटर राजकुमार छाजेड़ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने छाजेड़ द्वारा सर्कुलेट किए गए एक वॉट्सऐप मैसेज के आधार पर उन पर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया है।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने वॉट्सऐप मैसेज को लेकर महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या आपको लगता है कि यह संदेश वास्तव में दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए है? साथ ही कहा कि यदि आप हर चीज को लेकर अतिसंवेदनशील हो जाएंगे, तो ये मुश्किल हो जाएगा।
57 वर्षीय छाजेड़ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के निवासी हैं। वह रत्नागिरी जिले के चिपलून में एक गौशाला भी चलाते हैं। उनके मुताबिक, पैसों को लेकर हुए विवाद की वजह से कुछ लोगों ने उनकी गौशाला में तोड़फोड़ की और वहां बंधी गायों की पिटाई की।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अगले दिन छाजेड़ ने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के इरादे से एक वॉट्सऐप मैसेज सर्कुलेट किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई। लेकिन उन्होंने अब अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने और नुकसान की हुई भरपाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
छाजेड़ ने कहा कि उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। पुलिस को ये लगता है कि कुछ गौशाला संरक्षकों को किया उनका वॉट्सऐप मैसेज उनके लिए परेशानी का सबब बन गया।
पीठ ने सरकारी वकील डॉ. एफआर शेख से पूछा, ‘क्या आपने मैसेज देखा है और यह किस अपराध का खुलासा करता है?’
इस पर शेख ने कहा, 'छाजेड़ के खिलाफ 14 अन्य मामले दर्ज हैं और इस विशेष मामले में उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना) लागू होती है।
जस्टिस शिंदे ने फिर से मैसेज को देखा और कहा, ‘उन्होंने मैसेज में किसी भी धर्म का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद जस्टिस ने फिर पूछा कि क्या उन्होंने किसी जाति का या फिर किसी विशेष वर्ग के लोगों का उल्लेख किया है? जस्टिस ने कहा कि मैसेज में उनकी मुख्य पीड़ा का पता चलता है कि सरकार गौशाला को अनुदान नहीं दे रही है।
फिर शेख ने कहा कि मैसेज में एक समुदाय के खिलाफ विशिष्ट आरोप है। इस पर, पीठ ने कहा, ‘यदि तथ्यों पर जाएं, तो ये एक समुदाय के खिलाफ आरोप नहीं हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो हुई हैं। यह उनकी पीड़ा है, जो बताती है कि उनके शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जांच अधिकारी से इस मामले में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वकील ने पीठ के समझ थोड़ा और समय मांगा। अदालत ने फिलहाल सुनवाई 8 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
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पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से संबंधित है, जो 2017 में दायर किया गया था।
इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, ‘परांजय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि बिजनेस हाउस किसी भी तरह की होनी वाली आलोचनाओं के प्रति कितने असहिष्णु हो गए हैं कि इसकी वजह से लगातार इनकी ओर से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है।’
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को ‘प्रेस को बोलने की आजादी’ पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की और कहा कि एडिटर्स गिल्ड ये देखकर बहुत निराश है कि कैसे इन मामलों में प्रेस को दबाने के लिए न्यायतंत्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोग मीडिया के किए गए खुलासे को दबाने के लिए करते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है। वकील के मुताबिक, जब लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है, तो आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। वकील ने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में सिद्धार्थ बिश्वास ने बतौर AVP (Strategy and Special Project) जॉइन किया है। बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व में बिश्वास ‘जी’ (Zee), ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) और ‘जागरण प्रकाशन’ (Jagran Prakashan) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संसथानों में ब्रैंड मार्केटिंग का काम संभाल चुके हैं।
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मुंबई की सेशन कोर्ट ने टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस बारे में 20 जनवरी 2021 को आदेश जारी किए।
बता दें कि टीआरपी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
न्यायिक हिरासत में ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम होने के बाद दासगुप्ता को 15 जनवरी को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह दूसरी बार है जब दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने चार जनवरी को दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा की एक अदालत ने मंगलवार को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई दिल्ली की निजामुद्दीन थाना पुलिस को निर्देश जारी करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सोनी की अदालत ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 500 के तहत आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया जाता है। आपको उक्त आरोपी को गिरफ्तार करने और मेरे समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाता है।’
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुरता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
रिपोर्ट्स मुताबिक, उनके वकील आनंद याग्निक ने कहा, ‘हमें अभी तक (अदालत से) सूचना प्राप्त नहीं हुई है। हमारे पास यह सूचना (गिरफ्तारी वारंट की) मीडिया के माध्यम से पहुंची है।’ उन्होंने कहा कि अडानी समूह ने पत्रिका के संपादक सहित सभी के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली है, सिर्फ पत्रकार के खिलाफ शिकायत कायम है। वकील ने कहा कि ‘लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है लेकिन आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस नहीं ले रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
वकील ने बताया कि महामारी के कारण अदालत में सुनवाई बाधित होने की वजह से अडानी समूह द्वारा दायर मुकदमे पर सोमवार को सुनवाई हुई और अदालत ने कहा कि वह समुचित आदेश देगी। उन्होंने कहा, ‘आज उन्होंने समुचित आदेश दिया है।’
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बार्क (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम हो गया था, जिसके बाद तंजोला जेल प्रशासन ने उन्हें शुक्रवार दोपहर एक बजे अस्पताल में शिफ्ट किया था।
उनकी पत्नी सम्राज्नी दासगुप्ता (Samrajni Dasgupta) के मुताबिक, डॉक्टर्स की देखरेख में आज सुबह उन्हें आईसीयू (Intensive Care Unit) में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया, ‘पार्थो किसी भी वॉयस कमांड का जवाब नहीं दे पा रहे हैं और न ही कुछ बोल पा रहे हैं। वह ब्लड शुगर के मरीज हैं और उनका ब्लड प्रेशर भी घट-बढ़ रहा है। हमें आज सुबह ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई थी। उनकी हालत नाजुक है।’
बता दें कि टीआरपी घोटाले मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में उन्हें गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
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प्रख्यात फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने फिलहाल पत्रकारिता से दूरी बना ली है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब उन्होंने बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर यानी COO टैलेंट मैनेजमेंट फर्म धर्मा कॉर्नरस्टोन एजेंसी (DCA) जॉइन कर लिया है। कंपनी में चलने वाले ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी अब राजीव मसंद के कंधो पर होगी।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में फिल्म निर्माता करण जौहर ने बंटी सजदेह के साथ अपनी इस टैलेंट मैनेजमेंट फर्म की घोषणा की थी। सजदेह की कंपनी कॉर्नरस्टोन की स्थापना 2008 में हुई थी। कंपनी विराट कोहली, विनेश फोगाट, के एल राहुल, सानिया मिर्जा और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों का कामकाज देखती है।
बता दें कि 41 वर्षीय मसंद दो दशक से अधिक समय तक पत्रकार और मनोरंजन उद्योग के समीक्षक के तौर पर काम कर चुके हैं। राजीव मसंद ने 16 साल की उम्र में पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा था, उसके बाद वे कई मीडिया ग्रुप्स के साथ काम कर चुके हैं। वो हमेशा के लिए पत्रकारिता छोड़ चुके हैं या नहीं, इस पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
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