बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड के शेयरधारकों ने हाल ही में आयोजित 31वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) में डॉ. अर्चना हिंगोरानी को दूसरी बार स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दी है।
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Vikas Saxena
बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड के शेयरधारकों ने हाल ही में आयोजित 31वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) में डॉ. अर्चना हिंगोरानी को दूसरी बार स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दी है। यह नियुक्ति आगामी पांच वर्षों की अवधि के लिए की गई है।
डॉ. अर्चना हिंगोरानी वित्तीय सेवाओं और Alternative Asset Management के क्षेत्र में तीन दशकों से अधिक का अनुभव रखती हैं। वर्तमान में वे सियाना कैपिटल (Siana Capital) की मैनेजिंग पार्टनर हैं, जो टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर केंद्रित एक निवेश फर्म है। इसके अलावा, वे अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के काट्ज ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस में प्राइवेट इक्विटी की विजिटिंग डिस्टिंग्विश्ड प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत हैं।
उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कला में स्नातक की डिग्री, यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए और उसी संस्थान से दर्शनशास्त्र (Ph.D.) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
अपने करियर में उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं —
‘Ten Most Influential Women in Private Real Estate Investing’ (2010) – PERE द्वारा,
‘Most Powerful Women’ (2011-2017) – Fortune India और Business Today द्वारा,
‘25 Most Influential Women in Asia Asset Management’ (2014) – Asian Investor द्वारा,
और ‘Distinguished International Alumnus’ (2016) – Katz Graduate School of Business, University of Pittsburgh द्वारा।
कुल मिलाकर, डॉ. हिंगोरानी के पास 38 वर्षों से अधिक का अनुभव है, जिसमें वित्तीय सेवाएं, शिक्षण और अनुसंधान शामिल हैं।
इसके साथ ही वह चीफ ग्रोथ ऑफिसर (Media & Entertainment) के पद पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
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Samachar4media Bureau
देश के प्रमुख मीडिया समूहों में शुमार ‘टाइम्स ग्रुप’ (Times Group) ने आशीष सहगल को चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (टाइम्स टेलिविजन नेटवर्क) और चीफ ग्रोथ ऑफिसर (Media & Entertainment) के पद पर नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति एक दिसंबर 2025 से प्रभावी होगी। वह नोएडा से अपना कामकाज संभालेंगे। बता दें कि समाचार4मीडिया ने सबसे पहले यह खबर ब्रेक की थी।
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इस बारे में टाइम्स ग्रुप की ओर से जारी इंटरनल नोट में कहा गया है, ‘आशीष सहगल ‘द टाइम्स ग्रुप’ के ग्रुप सीईओ श्री एन. सुब्रमणियन के मार्गदर्शन में काम करेंगे। हम रोहित गोपाकुमार के प्रति अपनी हार्दिक सराहना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अंतरिम अवधि के दौरान दृढ़ नेतृत्व प्रदान किया, बिजनेस की निरंतरता सुनिश्चित की और टाइम्स टेलीविजन नेटवर्क के लिए एक महत्वपूर्ण समय में विकास की गति बनाए रखी। रोहित डिजिटल, WWM और इवेंट्स बिज़नेस के साथ-साथ अपने अधीन अन्य प्रमुख पहलों का नेतृत्व जारी रखेंगे। इसके अतिरिक्त, वे हेल्थकेयर और पिकलबॉल जैसे नए क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक पहल को आगे बढ़ाने पर और अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे।’
इस नोट में यह भी कहा गया है, ‘सीईओ के रूप में अपनी भूमिका में आशीष हमारे टेलीविजन चैनलों (न्यूज और एंटरटेनमेंट) की वृद्धि और रणनीतिक दिशा का नेतृत्व करेंगे। प्लेटफॉर्म्स के बीच सामंजस्य को आगे बढ़ाएंगे और मीडिया परिदृश्य में नेटवर्क की नेतृत्वकारी स्थिति को और मजबूत करेंगे। चीफ ग्रोथ ऑफिसर (मीडिया एवं एंटरटेनमेंट) के रूप में वह विकास के अवसरों और नए राजस्व स्रोतों की पहचान करेंगे, रणनीतिक साझेदारियां स्थापित करेंगे, विविधीकरण और नवाचार एजेंडा को आकार देंगे तथा मौजूदा और उभरती परिसंपत्तियों से मूल्य सृजित करेंगे।’
बता दें कि आशीष सहगल को मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। नवंबर 2025 तक आशीष सहगल ZEE में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर थे। वहां उन्होंने टीवी चैनलों, डिजिटल प्लेटफॉर्म Zee5 और स्पेशल IPs के जरिए कंपनी की टॉप लाइन ग्रोथ को मजबूती दी। मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 30 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले सहगल ZEE के रेवेन्यू मॉडल को एकीकृत और प्लेटफॉर्म-एग्नॉस्टिक बनाकर बड़े बदलाव ला चुके हैं। वह ILT20 क्रिकेट लीग के बिजनेस हेड भी रहे और 2015 से 2020 के बीच Zee Unimedia के COO के तौर पर ZEEL और ZMCL के लिए तेज रेवेन्यू ग्रोथ दिलाई।
तुषार शाह का SPNI के साथ सफर लगभग दो दशक का रहा है। उन्होंने पहली बार 2002 से 2005 तक सोनी के साथ काम किया था और फिर दोबारा जुड़कर कुल मिलाकर 19 साल से ज्यादा समय कंपनी को दिए।
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Samachar4media Bureau
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (SPNI) से बड़ी खबर आई है। कंपनी ने घोषणा की है कि तुषार शाह, जो अभी CMO और बिजनेस हेड (मूवीज, रीजनल, FTA और इंफोटेनमेंट चैनल्स) हैं, जल्द ही कंपनी से अलग हो जाएंगे। वह 31 मार्च 2026 तक अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे और तब तक ट्रांजिशन प्रोसेस में भी मदद करेंगे।
तुषार शाह का SPNI के साथ सफर लगभग दो दशक का रहा है। उन्होंने पहली बार 2002 से 2005 तक सोनी के साथ काम किया था और फिर दोबारा जुड़कर कुल मिलाकर 19 साल से ज्यादा समय कंपनी को दिए।
तुषार शाह के पास 30 साल से ज्यादा का अनुभव है जिसमें प्रिंट, टेलीकॉम और मीडिया जैसे सेक्टर शामिल हैं। SPNI में उन्होंने सोनी मैक्स, मैक्स 2, सोनी पल्स, सोनी वाह, सोनी मराठी, सोनी आठ, सोनी पिक्स और सोनी BBC अर्थ जैसे बड़े और अलग-अलग तरह के चैनलों की ब्रैंड और बिजनेस रणनीति संभाली।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में यह रही कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान Sony AATH चैनल को बहुत अच्छी तरह संभाला और उसकी हालत सुधारी। उनकी लीडरशिप में यह चैनल इतना मजबूत हो गया कि पिछले 10 साल से लगातार मुनाफा कमा रहा है। इसके अलावा उन्होंने हिंदी और इंग्लिश मूवी चैनल्स, रीजनल नेटवर्क, FTA और इंफोटेनमेंट क्लस्टर को भी तेजी से बढ़ाया।
तुषार शाह की लीडरशिप में ही SPNI का पूरा नेटवर्क रीब्रैंड हुआ था, जो चैनलों की शुरुआत के बाद पहली बार एक बड़ा ब्रैंड रिफ्रेश था। उनकी लीडरशिप दर्शकों को समझने, ब्रैंड मजबूत बनाने और हर जॉनर में लगातार बेहतर काम करने का उदाहरण रही है।
SPNI के MD और CEO गौरव बनर्जी ने कहा, “तुषार SPNI के लिए कई सालों तक एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। उन्होंने हमारे कई बड़े ब्रैंड और बिजनेस माइलस्टोन में अहम भूमिका निभाई है। उनकी सोच, नेतृत्व और कंज्यूमर-फर्स्ट एप्रोच ने कई पोर्टफोलियो को नई दिशा दी है। हम उनके योगदान के लिए आभारी हैं और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।”
तुषार शाह ने भी कंपनी के साथ अपने लंबे सफर पर खुशी जताते हुए कहा, “SPNI मेरे प्रोफेशनल जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है। यहां मुझे जो भरोसा, मौके और रिश्ते मिले, वे हमेशा मेरे साथ रहेंगे। अद्भुत टीमों के साथ काम कर पाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अब मैं नए अवसरों को तलाशने की तरफ बढ़ रहा हूं, लेकिन यहां की सीख और यादें हमेशा याद रहेंगी।”
कंपनी जल्द ही बताएगी कि उनकी जगह कौन लेगा।
सारेगमा इंडिया लिमिटेड ने अपनी सब्सिडियरी Pocket Aces Pictures Pvt. Ltd. (PAPPL) के जरिए Finnet Media Private Limited को खरीदने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
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Vikas Saxena
सारेगमा इंडिया लिमिटेड (Saregama India Limited) ने अपनी सब्सिडियरी Pocket Aces Pictures Pvt. Ltd. (PAPPL) के जरिए Finnet Media Private Limited को खरीदने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। कंपनी ने बताया कि 19 नवंबर 2025 को Finnet के सभी 3 लाख शेयर उसके पुराने प्रमोटर्स से खरीद लिए गए हैं, जिसके बाद Finnet अब पूरी तरह Pocket Aces के स्वामित्व वाली सब्सिडियरी बन गई है।
यह अधिग्रहण पहले 25 सितंबर 2025 को घोषित किया गया था, जब सारेगमा के बोर्ड ने इस डील को मंजूरी दी थी। इस डील की कुल कीमत करीब ₹8.70 करोड़ तय की गई थी। इसके तहत अगले दो साल पूरे होने पर Pocket Aces, Finnet Media के 2,88,235 ऑप्शनली कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर (OCPS) भी खरीदेगी।
Finnet Media का बिजनेस और फायदा
Finnet Media एक तेजी से बढ़ती डिजिटल मार्केटिंग कंपनी है, जो इंफ्लुएंसर मार्केटिंग, सोशल मीडिया कैंपेन्स और क्रिएटर-टैलेंट मैनेजमेंट का काम करती है। 2022 में बनी इस कंपनी ने FY24 में ₹23.04 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया था। इसका मजबूत नेटवर्क खास तौर पर फाइनेंस, हेल्थ और इंफोटेनमेंट सेक्टर में है।
Pocket Aces की डिजिटल पहुंच और रणनीति
Pocket Aces पहले से ही युवाओं के लिए वेब सीरीज, शॉर्ट वीडियो और डिजिटल कंटेंट बनाने में बड़ी पहचान रखती है। Finnet को खरीदने से Pocket Aces अपने इंफ्लुएंसर और टैलेंट मैनेजमेंट वर्टिकल को और मजबूत कर सकेगी। दोनों कंपनियां एक ही सेक्टर में काम करती हैं, इसलिए इनके बीच अच्छे ऑपरेशनल फायदे और मार्केट पहुंच बढ़ने की उम्मीद है।
सारेगमा ने कहा कि सभी दस्तावेज और शर्तें पूरी होने के बाद यह अधिग्रहण 19 नवंबर से प्रभावी हो गया है।
टाइम्स टीवी नेटवर्क जल्द ही अपनी लीडरशिप में बड़ा बदलाव देखने वाला है।
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Samachar4media Bureau
टाइम्स टीवी नेटवर्क जल्द ही अपनी लीडरशिप में बड़ा बदलाव देखने वाला है। आशीष सहगल दिसंबर 2025 में नेटवर्क के नए CEO के तौर पर जुड़ने सकते हैं। उनकी एंट्री ऐसे वक्त पर हो रही है जब पिछले 12–18 महीनों से नेटवर्क निवेश और कामकाज को लेकर थोड़ी अनिश्चितता से गुजर रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो CEO के साथ-साथ वह मीडिया और एंटरटेनमेंट बिजनेस के चीफ ग्रोथ ऑफिसर की जिम्मेदारी भी संभालेंगे और सीधे विनीत जैन के साथ काम करेंगे।
अगस्त 2025 में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर वरुण कोहली के जाने के बाद से रोहित गोपाकुमार अंतरिम CEO के तौर पर काम संभाल रहे थे। सहगल के आने के बाद अब रोहित अपने पुराने रोल में लौट सकते हैं। इंडस्ट्री में माना जा रहा है कि सहगल का आना नेटवर्क के लिए स्थिरता और साफ दिशा लेकर आएगा।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उनकी नियुक्ति टाइम्स टीवी नेटवर्क की नई महत्वाकांक्षा का साफ संकेत है। स्ट्रैटेजिक विजन, बड़े स्तर पर काम करने की क्षमता और मजबूत लीडरशिप स्टाइल के लिए जाने जाने वाले सहगल को कंपनी के लिए बड़ा टैलेंट माना जा रहा है। वह विनीत जैन और एन. सुब्रमणियन के साथ मिलकर नेटवर्क के अगले बड़े बदलावों की दिशा तय करेंगे। उनकी एंट्री से नेटवर्क में स्थिरता, तेज ग्रोथ प्लानिंग और अच्छे टैलेंट की वापसी की उम्मीद की जा रही है।
नवंबर 2025 तक आशीष सहगल ZEE में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर थे। वहां उन्होंने टीवी चैनलों, डिजिटल प्लेटफॉर्म Zee5 और स्पेशल IPs के जरिए कंपनी की टॉप लाइन ग्रोथ को मजबूती दी। मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 30 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले सहगल ZEE के रेवेन्यू मॉडल को एकीकृत और प्लेटफॉर्म-एग्नॉस्टिक बनाकर बड़े बदलाव ला चुके हैं। वह ILT20 क्रिकेट लीग के बिजनेस हेड भी रहे और 2015 से 2020 के बीच Zee Unimedia के COO के तौर पर ZEEL और ZMCL के लिए तेज रेवेन्यू ग्रोथ दिलाई।
टाइम्स नेटवर्क में उनके आने की खबर को कंपनी के अंदर और पूरी इंडस्ट्री में काफी पॉजिटिव तरीके से देखा जा रहा है। इस खबर को लेकर 'समाचार4मीडिया' ने आशीष सहगल से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखने तक फिलहाल वहां से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी थी।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत जारी किए गए नए नियमों पर गंभीर चिंता जाहिर की है।
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Samachar4media Bureau
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत जारी किए गए नए नियमों पर गंभीर चिंता जाहिर की है। गिल्ड का कहना है कि नए नियमों में कई ऐसी कमियां हैं, जो पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।
गिल्ड का कहना है कि उन्होंने पहले भी सरकार को बताया था कि इस कानून में सूचना के अधिकार (RTI) को कमजोर किया गया है और पत्रकारों के लिए किसी स्पष्ट छूट (journalistic exception) का प्रावधान नहीं है। नए नियम आने के बाद भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है, जिससे कई अहम सवाल अनुत्तरित रह गए हैं।
जुलाई 2025 में हुई थी महत्वपूर्ण बैठक
जुलाई 2025 में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने मीडिया संगठनों के साथ बैठक की थी। उस दौरान मंत्रालय ने भरोसा दिया था कि पत्रकारिता से जुड़े काम इस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। लेकिन एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि आज तक इस बारे में कोई आधिकारिक लिखित स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया।
मीडिया संगठनों ने मंत्रालय को 35 सवालों और कई उदाहरणों के साथ एक दस्तावेज भी दिया था, ताकि नियमों में और स्पष्टता लाई जा सके, जैसे सहमति, डेटा एक्सेस, रिसर्च और रिपोर्टिंग से जुड़े मुद्दे।
एडिटर्स गिल्ड की मुख्य चिंता
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि नए नियमों में कई बातें साफ नहीं हैं। सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि कहीं पत्रकारों के काम को "डेटा प्रोसेसिंग" की श्रेणी में न डाल दिया जाए, जिसमें रिपोर्टिंग करते समय भी सहमति (consent) लेनी पड़े। इससे खोजी पत्रकारिता और जिम्मेदार रिपोर्टिंग पर असर पड़ सकता है।
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि यदि नियमों में स्पष्ट छूट नहीं दी गई, तो मीडिया पर अनुपालन का बोझ बढ़ेगा, जिससे प्रेस की आजादी कमजोर होगी और लोकतंत्र को नुकसान पहुंच सकता है।
तुरंत स्पष्टिकरण की मांग
एडिटर्स गिल्ड ने सरकार से तुरंत यह स्पष्ट करने की मांग की है कि असली (bona fide) पत्रकारिता गतिविधियों को इन नियमों से अलग रखा जाए। गिल्ड का तर्क है कि डेटा सुरक्षा और गोपनीयता जितनी जरूरी हैं, उतनी ही जरूरी है प्रेस की स्वतंत्रता और जनता का जानने का अधिकार।
श्री अधिकारी ब्रदर्स (Sri Adhikari Brothers Television Ltd) में मंगलवार को बड़े पैमाने पर इस्तीफों की घोषणा हुई।
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श्री अधिकारी ब्रदर्स (Sri Adhikari Brothers Television Ltd) में मंगलवार को बड़े पैमाने पर इस्तीफों की घोषणा हुई। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर कैलाशनाथ मार्कंड अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफे 18 नवंबर 2025 से लागू माने जाएंगे।
कंपनी के मुताबिक यह सभी इस्तीफे मैनेजमेंट में बदलाव और कंपनी के नियंत्रण में आए बदलाव की वजह से हुए हैं। यह बदलाव SEBI के शेयर खरीद और टेकओवर वाले नियमों के तहत हुई ओपन ऑफर प्रक्रिया से जुड़े हैं।
कैलाशनाथ अधिकारी के अलावा रवि गौतम अधिकारी ने भी चेयरमैन व नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दिया है।
जिन अधिकारियों ने दिया इस्तीफा-
प्रितेश राजगोर — इंडिपेंडेंट डायरेक्टर
डॉ. गणेश प्रसाद राऊत — इंडिपेंडेंट डायरेक्टर
उमाकांत भैरवजोश्यूलू — इंडिपेंडेंट डायरेक्टर
लताशा लक्ष्मण जाधव — नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर
कैलाशनाथ मार्कंड अधिकारी — मैनेजिंग डायरेक्टर
रवि गौतम अधिकारी — चेयरमैन और नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर
कंपनी ने बताया कि इस्तीफों की वजह वही है जो संबंधित अधिकारियों के इस्तीफा पत्र में लिखी गई है, इसके अलावा कोई अलग कारण नहीं है।
हालांकि इस बारे में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया की प्रवक्ता ने इनकार किया है, लेकिन हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है।
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एंटरटेनमेंट और डिजिटल कंटेंट की दुनिया में जाने-माने नाम दानिश खान से जुड़ी एक खबर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के मुताबिक, दानिश खान ने ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया’ (SPNI) में अपने पद से हटने का फैसला किया है।
सूत्रों के मुताबिक़, वह कंपनी छोड़ेंगे लेकिन मार्च 2026 तक सोनी ग्रुप के साथ बने रहेंगे, ताकि नेटवर्क के डिजिटल और प्रोडक्शन विभागों में उनकी ज़िम्मेदारियों का सुचारू रूप से हस्तांतरण किया जा सके। हालांकि हालांकि इस बारे में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया की प्रवक्ता ने इनकार किया है, लेकिन हमारे सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है।
दानिश खान वर्तमान में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के डिजिटल बिजनेस ‘सोनी लिव’ (SonyLIV) और इस नेटवर्क की प्रॉडक्शन शाखा ‘स्टूडियोनेक्स्ट’ (StudioNEXT) के साथ चैनल्स लाइसेंसिंग डिवीजन की कमान संभाल रहे हैं। पिछले करीब दस वर्षों में उन्होंने SPNI की कंटेंट स्ट्रैटेजी में अहम भूमिका निभाई है।
अपने करीब दो दशक के सफर में दानिश खान ने मार्केटिंग, प्रोग्रामिंग और डिजिटल एंटरटेनमेंट में अपनी पकड़ बनाई है और उन्हें भारत के कुछ बड़े टीवी और OTT शोज के निर्माण में अहम योगदान देने के लिए जाना जाता है।
उनकी लीडरशिप में, SonyLIV को मई 2020 में रीडिजाइन और री-लॉन्च किया गया। इसके बाद इस प्लेटफॉर्म पर ‘Scam 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी’, ‘Undekhi’, ‘Your Honor’ और ‘Avrodh’ जैसी लोकप्रिय ओरिज़िनल सीरीज आईं। इन कंटेंट के कारण SonyLIV की सब्सक्राइबर संख्या बहुत तेजी से बढ़ी।
टेलीविजन के क्षेत्र में भी दानिश खान का योगदान काफी रहा है। इससे पहले उन्होंने STAR Plus में भी काम किया था, वहां वे प्रोग्रामिंग हेड रह चुके हैं और उन्होंने ‘महाभारत’ और ‘ये है मोहब्बतें’ जैसे शो को हिट बनाया। StudioNEXT में, उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’, ‘इंडियन आइडल’ और ‘द कपिल शर्मा शो’ जैसे शोज को फिर से लोकप्रिय बनाने में भूमिका निभाई।
उन्होंने टैलेंट-आधारित रियलिटी फॉर्मैट्स जैसे ‘सुपर डांसर’ और ‘सुपरस्टार सिंगर’ भी लीड किए, जिन्हें दर्शकों और विज्ञापनदाताओं दोनों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो, दानिश खान समाजशास्त्र (sociology) में स्नातक और मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं।
‘जियोस्टार’ से पहले सीमा कामथ करीब चार साल से ‘Disney+Hotstar’ में बतौर मार्केटिंग कम्युनिकेशंस मैनेजर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
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Samachar4media Bureau
‘जियोस्टार’ (JioStar) ने सीमा कामथ को एसोसिएट डायरेक्टर (मार्केटिंग कम्युनिकेशंस) के पद पर नियुक्त किया है। सीमा कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) पर खुद यह जानकारी शेयर की है।
‘जियोस्टार’ से पहले सीमा कामथ करीब चार साल से ‘Disney+Hotstar’ में बतौर मार्केटिंग कम्युनिकेशंस मैनेजर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
इस दौरान उन्होंने ऐसे मार्केटिंग कैंपेन तैयार किए और उनका नेतृत्व किया, जिन्होंने दर्शकों के साथ जुड़ाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
अब ‘जियोस्टार’ में सीमा कामथ का मार्केटिंग और ब्रैंड मैनेजमेंट का व्यापक अनुभव कंपनी की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस नई भूमिका के साथ, सीमा का लक्ष्य जियोस्टार के मार्केटिंग प्रयासों में नए विचार और प्रभावशाली कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी लाना है।
वह न्यूज24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी। 17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
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वरिष्ठ पत्रकार अमित कसाना ने News24 (डिजिटल) से इस्तीफा दे दिया है। वह न्यूज24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी।
17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उनका अगला पड़ाव क्या होगा, इस बारे में फिलहाल आधिकारिक जानकारी नहीं है।
अमित कसाना करीब साढ़े तीन साल से न्यूज24 समूह से जुड़े हुए थे। उन्होंने शुरुआत में हिंदी वेबसाइट की इंटरनेशनल डेस्क पर अपनी भूमिका निभाई। करीब एक साल पहले प्रबंधन ने उन्हें न्यूज एडिटर का पदभार सौंपा और सुबह की शिफ्ट के साथ कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी सौंपी।
इससे पहले अमित कसाना हिंन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूहों से भी जुड़े रहे हैं। वर्ष 2006 में दिल्ली से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले अमित की गिनती तेजतर्रार रिपोर्टर के रूप में होती है। दिल्ली में जन्मे अमित ने राजधानी से ही अपनी पढ़ाई की और कॉलेज में छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे।
इसके बाद दिल्ली के एक प्राइवेट संस्थान से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया। बेहद सरल स्वभाव वाले अमित डिजिटल कंटेंट पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। समाचार4मीडिया की ओर से अमित कसाना को उनके नए सफर के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
AI को दुनिया में कोई खतरा मानता है, तो कोई बड़ा मौका। सब इस बात पर निर्भर है कि आप इसे कैसे देखते हैं और कैसे इस्तेमाल करते हैं।
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Samachar4media Bureau
माधवन नारायण, वरिष्ठ संपादक व कमेंटेटर।।
रविवार को एक अखबार में सोनू निगम का इंटरव्यू छपा, जिसकी हेडलाइन थी, 'AI को अपना बॉस मत बनने दो।' ये बात सीधे-सपाट थी और उन्होंने इसे म्यूजिक के बारे में कहा, लेकिन ये सलाह सिर्फ म्यूजिक तक सीमित नहीं है। ये पत्रकारिता, न्यूज और पूरी मीडिया इंडस्ट्री पर भी उतनी ही लागू होती है।
AI को दुनिया में कोई खतरा मानता है, तो कोई बड़ा मौका। सब इस बात पर निर्भर है कि आप इसे कैसे देखते हैं और कैसे इस्तेमाल करते हैं।
आज हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हर तरफ चुनौतियां हैं। राजनीति का नया रूप कई बार हमें उन पुराने अधिनायकवादी (authoritarian) समयों की याद दिलाता है जिन्हें हम पीछे छोड़ आए थे। इसके ऊपर, नई-नई टेक्नोलॉजीज इस माहौल को और उलझाती हैं। ऐसे समय में जरूरी है कि हम साफ नजर से देखें कि असली पत्रकारिता और असली प्रेस का मतलब क्या है और उसकी अहमियत क्यों है।
सबसे पहले, 'नेशनल प्रेस डे' शब्द को ही समझना चाहिए। आज इंटरनेट और ग्लोबल कम्युनिकेशन के जमाने में 'नेशनल' शब्द पहले जैसा मायने नहीं रखता और 'प्रेस' शब्द अब सिर्फ प्रिंटिंग प्रेस तक सीमित नहीं है। हालांकि, लोग अभी भी प्रेस को 'फोर्थ एस्टेट', 'वॉचडॉग' और 'लोकतंत्र का चौथा स्तंभ' जैसे सम्मानजनक नामों से बुलाते हैं।
ये शब्द हमेशा अच्छे लगते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि हम एक नए दौर में हैं जहां पुरानी धारणाओं को दोबारा परखने की जरूरत है। कोई आलोचक तो यहां तक कह सकता है कि जब देश का प्रधानमंत्री कई सालों से प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करता, तो सरकार नेशनल प्रेस डे क्यों मनाती है। फिर भी, प्रेस अपनी जगह तरीके बदलकर जिंदा है, भले ही पुराने नियमों के मुताबिक न चल रही हो।
अब बात आती है कि क्या प्रेस कोई 'संस्था' है? विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की तरह प्रेस को भारत में कोई खास संवैधानिक विशेष अधिकार नहीं मिलता। पत्रकारों को सिर्फ पहचान पत्र या विज्ञापन मिलना ही कुछ हद तक मान्यता जैसी चीजें हैं।
अमेरिका में तो मीडिया की आजादी को संविधान के 'पहले संशोधन' में सुरक्षा मिली है। लेकिन भारत में मीडिया को सिर्फ 'Right to Freedom' के दायरे में आजादी मिलती है और इसमें 'उचित पाबंदियां' भी शामिल हैं। ऊपर से IT कानूनों ने सरकार और पुलिस को काफी ताकत दे दी है कि वे मीडिया को सीमित कर सकें या सजा दे सकें। कुछ चीजें फिर भी अच्छी हैं।
नेशनल प्रेस डे हर साल 16 नवंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1966 में इसी दिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) बनी थी। इमरजेंसी के दौरान इसका कानून खत्म कर दिया गया था, लेकिन 1979 में फिर लाया गया। PCI के पास सजा देने की शक्ति नहीं है। वो सिर्फ नैतिक उल्लंघनों पर ध्यान देता है और कभी-कभी मीडिया को समझाता, फटकारता या चेतावनी देता है।
ये इसलिए भी जरूरी है ताकि सरकार का बनाया हुआ कोई निकाय मीडिया की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न कर दे। लेकिन हमें कुछ टीवी एंकर्स भी याद दिलाते हैं कि इस स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। इसके अलावा, बदनामी (defamation) और झूठ फैलाने (libel) जैसे मामले अदालतें देखती हैं, और वो सजा भी दे सकती हैं।
सरकार ने नेशनल प्रेस डे पर एक बयान में कहा कि 'मीडिया एक शक्तिशाली साधन है और इसे पक्षपात से मुक्त रहकर लोगों को जानकारी और शिक्षा देने का काम करना चाहिए।' सरकार के मुताबिक आज भारत में 1.54 लाख पंजीकृत प्रकाशन हैं, जबकि 20 साल पहले ये संख्या 60,143 थी।
लेकिन सवाल है कि क्या ये आंकड़े अब मायने रखते हैं? सोचिए, आज करोड़ों लोग सोशल मीडिया पर हैं—X, Instagram, Facebook… हजारों यूट्यूबर्स हैं जो अपने-अपने तरीके से खबरें देते हैं और फिर WhatsApp University है जहां रोज नई कहानियां, राय, नफरत, झूठ और फ्रॉड भरे संदेश मिल जाते हैं। हर कोई खुद को आजकल पत्रकार, रिपोर्टर और संपादक की तरह समझता है। यानि कि पूरा माहौल एक तरह की अव्यवस्था (chaos) बन चुका है।
पुराने जमाने के जिम्मेदार संपादक अब कम होते जा रहे हैं।IT कानूनों और 'Right to Privacy' की वजह से कई पत्रकारों को लगता है कि कानूनी हथकंडों से उनकी आवाज दबाई जा रही है। इसीलिए शायद भारत को 2025 की World Press Freedom Index में 180 में से 151वां स्थान मिला है।
लेकिन सच्चाई ये भी है कि आपके स्मार्टफोन में हर तरह की खबरें, विचार और जानकारी पूरे जोर से चल रही होती है, जिन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन है। अरे, एक अरब लोगों के कीबोर्ड कैसे चुप रह सकते हैं!
अब हमें 'प्रेस' की जगह 'मीडिया' शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। मीडिया में अब सब आता है- WhatsApp, Telegram, Instagram, X की पोस्ट, Facebook स्टेटस, यूट्यूब वीडियो, स्वतंत्र वेबसाइटें और युवा पत्रकारों के ऐप्स। ये सारे मिलकर वो काम कर रहे हैं जिसे पहले 'न्यू मीडिया' कहा जाता था। आज ये 'न्यू न्यू मीडिया' बन चुका है। हां, इसमें अफरातफरी है। झूठी खबरें हैं। डीपफेक वीडियो आ रहे हैं। दुनिया में कई जगह तानाशाह जैसे लीडर उभर रहे हैं। अमेरिका में तो ट्रम्प BBC पर केस करने की धमकी दे रहे हैं क्योंकि उनके एक वीडियो को गलत एडिट करके दिखाया गया। BBC ने माफी भी मांग ली, दो बड़े अधिकारियों को हटा भी दिया फिर भी ये मामला थमा नहीं। मीडिया पर खतरे हर जगह मौजूद हैं।
इसके बावजूद, आज सोशल मीडिया यूजर्स, स्टैंड-अप कॉमेडियन, मीम बनाने वाले सब मिलकर एक नए तरह के पत्रकार बन चुके हैं। मीडिया अब एक संस्था नहीं, एक आंदोलन बन गया है- कमियों के साथ, खामियों के साथ।और ये समझना जरूरी है कि स्वतंत्र, विश्वसनीय और ईमानदार मीडिया सिर्फ लोकतंत्र के लिए ही नहीं, बल्कि बिजनेस और समाज दोनों के लिए जरूरी है। ईमानदार मीडिया से ही राजनीति और उद्योग, दोनों में स्वस्थ प्रतियोगिता बनी रहती है।
आज स्मार्टफोन, सस्ते कैमरे और AI टूल्स ने इस 'न्यू न्यू मीडिया' को और ताकत दे दी है। AI एक दोधारी तलवार है- फायदा भी है और खतरा भी। यहीं छोटे-छोटे स्वतंत्र पत्रकार और संस्थान पुराने 'वॉचडॉग' की तरह असली तथ्य, तस्वीरें, वीडियो और आवाजों को छांटकर सच सामने लाने की कोशिश करते हैं।
कहा जाता है कि फैशन की दुनिया में स्टाइल कभी पुराना नहीं होता। मीडिया की दुनिया में 'विश्वसनीयता' कभी पुरानी नहीं होती। खतरे जितने भी हों, अवसर भी उतने ही बड़े हैं। अब नए जमाने का नियम यही है- AI को अपना बॉस मत बनने दो, उसे सिर्फ अपना सहायक बनाओ।