काम सिर्फ बिजनेस नहीं, जिम्मेदारी भी होनी चाहिए: डॉ. अनुराग बत्रा

e4m DoGood Awards के मौके पर एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फआउंडर व BW बिजनेसवर्ल्ड के एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने एक ऐसा स्वागत भाषण दिया, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया।

Last Modified:
Thursday, 15 May, 2025
DrAnnuragBatra7845


e4m DoGood Awards 2025 के मौके पर इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फआउंडर व BW बिजनेसवर्ल्ड के एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने एक ऐसा स्वागत भाषण दिया, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया।

डॉ. अनुराग बत्रा ने अपने अनुभवों, किताबों के जिक्र और आज के दौर की चुनौतियों पर बेबाक बात करते हुए मार्केटिंग और मीडिया से जुड़े लोगों को याद दिलाया कि उनके काम में मकसद, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का होना कितना जरूरी है।

उन्होंने अपना संबोधन हल्के-फुल्के और आत्मीय अंदाज में शुरू किया। उन्होंने श्रोताओं से पढ़ने की आदत और नींद की दिनचर्या पर मजाकिया ढंग से बातचीत की। इन छोटी-छोटी बातों के जरिए उन्होंने सजगता और जीवन में संतुलन जैसे अहम विषयों को छुआ।

उन्होंने जोर देकर कहा, "नींद सबसे बड़ा हेल्थ हैक है" और इसे मानसिक और शारीरिक भलाई से जोड़ा। ये दोनों बातें उन्होंने इस इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी बताईं।

वैश्विक विज्ञापन उद्योग की मौजूदा तस्वीर पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि बीते साल ऐड इंडस्ट्री का खर्च 1 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया, जिसमें से 650 बिलियन डॉलर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर गया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे मेटा (पहले फेसबुक) जैसे बड़े डिजिटल खिलाड़ी इस खर्च का बड़ा हिस्सा—करीब 460 बिलियन डॉलर—अपने कब्जे में ले रहे हैं। इससे जुड़ी नैतिकता, जवाबदेही और इन प्लेटफॉर्म्स की सामाजिक भूमिका पर उन्होंने सवाल खड़े किए।

डॉ. बत्रा ने अपने निजी अनुभवों और साहित्य से जुड़ी बातों के जरिए किस्मत और विनम्रता की अहमियत पर भी रोशनी डाली। उन्होंने The Seek, Tuesdays with Morrie और Why We Sleep जैसी किताबों का जिक्र करते हुए कई बातें साझा कीं। एक भावुक कहानी में उन्होंने एक ऐसे जोड़े का जिक्र किया जिसकी सुबह की आदतें एक टाई की वजह से बदलीं—और उसी बदलाव की वजह से उनमें से एक व्यक्ति 9/11 हमलों से बच सका।
इस वाकये को बताते हुए उन्होंने कहा, "हम अक्सर अपनी कामयाबी का सारा श्रेय खुद को दे देते हैं, लेकिन नाकामियों की जिम्मेदारी लेने से बचते हैं।"

डॉ. बत्रा ने इसके बाद कम्युनिकेशन और मार्केटिंग से जुड़े लोगों के लिए तीन बेहद अहम मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया, जिन पर आज काम करना जरूरी है:

मानसिक स्वास्थ्य – उन्होंने बताया कि भारत में करीब 15% लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं, और यह संख्या असल में इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। ऐसे में जरूरत है ऐसी कैंपेन की, जो लोगों में जागरूकता बढ़ाएं, संवेदनशीलता लाएं और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाएं।

सामाजिक विभाजन – उन्होंने आगाह किया कि हमारे समाज में असहिष्णुता और ऑनलाइन ध्रुवीकरण लगातार बढ़ रहा है, जिससे अलग-अलग सोच और आवाजों को दबाया जा रहा है।

सस्टेनेबिलिटी – जलवायु संकट को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति को खारिज करते हुए उन्होंने जोर दिया कि ब्रांड्स को सिर्फ अपने संदेशों में नहीं, बल्कि अपने कामकाज में भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना होगा।

उन्होंने कहा, "CXO, मार्केटर या कहानी सुनाने वाले के तौर पर आपके पास वह ताकत है जिससे आप सोच बदल सकते हैं और समाज में असर डाल सकते हैं।"

डॉ. बत्रा ने सबको इस मंच का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए करने की प्रेरणा दी और इशारा किया कि ‘DoGood’ सिर्फ एक अवॉर्ड शो नहीं रहेगा, बल्कि आगे चलकर एक बड़ी सामाजिक पहल का रूप लेगा।

डॉ. बत्रा ने एक्सचेंज4मीडिया की लगातार बढ़ रही एडिटोरियल कवरेज और नए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) इनिशिएटिव्स का जिक्र भी किया—जैसे कि Marketech न्यूजलेटर, जिसे सिर्फ छह हफ्तों में 30,000 सब्सक्राइबर मिल गए। साथ ही उन्होंने बिजनेसवर्ल्ड की नई स्पेशल इशूज की भी बात की, जो कंज्यूमर गुड्स और बिल्डिंग मैटेरियल्स सेक्टर में लीडर्स पर फोकस कर रही हैं।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने अपनी टीम और पूरी कम्युनिटी का आभार जताते हुए कहा, “कम्युनिकेशन की असली ताकत इसमें है कि वो लोगों को जोड़ सकता है, बदलाव की ऊर्जा दे सकता है और भविष्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।”

उनका आखिरी संदेश छोटा था लेकिन असरदार: "कॉन्फ्रेंस का मजा लें। सीखें। लोगों से मिलें। बातचीत करें। प्रेरणा लें। और सबसे जरूरी- अच्छा काम करें।"

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‘DB Corp’ से जुड़े मयार पेनकर, मिली यह बड़ी जिम्मेदारी

पेनकर इससे पहले करीब 22 साल से ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) से जुड़े हुए थे और एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स) के पद पर थे।

Last Modified:
Wednesday, 11 June, 2025
Mayar Penkar

‘डीबी कॉर्प’ (DB Corp) में बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (कॉरपोरेट सेल्स) मयार पेनकर (Mayar Penkar) की एंट्री हुई है। वह यहां पर सत्यजीत सेनगुप्ता की जगह यह जिम्मेदारी संभालेंगे, जिन्होंने कुछ समय पहले कंपनी से इस्तीफा दे दिया था।

मयार पेनकर के पास दो दशक से भी अधिक का अनुभव है। पेनकर इससे पहले करीब 22 साल से ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) से जुड़े हुए थे और एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स) के पद पर थे। ‘सोनी’ में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हाई-परफॉर्मेंस टीमों का नेतृत्व किया और क्लाइंट्स के KPI (की परफॉर्मेंस इंडिकेटर) के अनुसार प्लेटफॉर्म-निरपेक्ष मोनेटाइजेशन स्ट्रैटेजी को सफलतापूर्वक लागू किया।

वे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, तेज कामकाज और ऑटोमेशन के लिए जाने जाते हैं, खासकर तेजी से बदलते मीडिया माहौल में। उन्होंने सोनी के आधुनिक विज्ञापन सेल्स मॉडल को विभिन्न शैलियों में मजबूत किया। ‘सोनी’ से पहले पेनकर ‘टर्नर इंटरनेशनल’, ‘मिड-डे’ और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं, जिससे उन्हें पारंपरिक और नए दोनों तरह के मीडिया फॉर्मेट्स में मजबूत समझ और अनुभव मिला।

बता दें कि ‘डीबी कॉर्प’ में उनका आगमन ऐसे समय पर हुआ है, जब कंपनी बदलते मीडिया उपभोग पैटर्न के बीच अपनी रेवेन्यू स्ट्रैटेजी को नए सिरे से दिशा दे रही है।

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फिर ‘दैनिक जागरण’ पहुंचे आशुतोष गुप्ता, मिला साहिबाबाद ब्यूरो का प्रभार

यहां अपनी दूसरी पारी शुरू करने से पहले आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद से ही पब्लिश होने वाले हिंदी दैनिक ‘युग करवट’ (Yug Karwat) में बतौर स्थानीय संपादक अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
Ashutosh Gupta

पत्रकार आशुतोष गुप्ता ने एक बार फिर से ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) जॉइन कर लिया है। यहां उन्हें साहिबाबाद ब्यूरो का प्रभार सौंपा गया है। बता दें कि ‘दैनिक जागरण’ के साथ आशुतोष गुप्ता की यह दूसरी पारी है।

यहां अपनी दूसरी पारी शुरू करने से पहले आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद से ही पब्लिश होने वाले हिंदी दैनिक ‘युग करवट’ (Yug Karwat) में बतौर स्थानीय संपादक अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने पिछले साल अगस्त में ही यहां जॉइन किया था।

यहां वह गाजियाबाद के ही हिंदी दैनिक ‘जर्नी ऑफ सक्सेस’ (Journey Of Success)  में अपनी पारी को विराम देकर आए थे, जहां पर वह बतौर स्थानीय संपादक कार्यरत थे।

बता दें कि ‘जर्नी ऑफ सक्सेस’  से पहले आशुतोष गुप्ता ‘दैनिक जागरण’ में करीब 13 साल तक अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले आशुतोष गुप्ता को मीडिया में काम करने का करीब साढ़े 24 साल का अनुभव है। वर्ष 2001 में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रख दिया था। आशुतोष गुप्ता ने प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम किया है।

समाचार4मीडिया से बातचीत में आशुतोष गुप्ता ने बताया कि ‘दैनिक जागरण’ में पहले कार्यकाल के दौरान उन्हें दो बार दिल्ली-एनसीआर का बेस्ट रिपोर्टर चुना गया था। इसके अलावा उन्होंने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री मुरादनगर का भत्ता घोटाला व शाहजहांपुर का फर्जी शस्त्र लाइसेंस घोटाला भी उजागर किया था।

शाहजहांपुर मामले में आशुतोष गुप्ता की खबरों पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की थी। इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इस घोटाले को उजागर करने के लिए कलक्ट्रेट में आशुतोष गुप्ता को सम्मानित किया गया था।

आशुतोष गुप्ता ने बताया कि अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के विरोध में आठ सितंबर 2009 को तमाम लोगों ने एनएच-24 पर विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना में गुस्साए लोगों ने पुलिस-प्रशासन पर जमकर पथराव किया था। घटना की कवरेज के दौरान एडीएम सिटी सुनील कुमार श्रीवास्तव को बचाने के चक्कर में एक ईंट लगने से आशुतोष गुप्ता के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, जिस वजह से वह करीब एक महीने तक बेड रेस्ट पर रहे थे। एडीएम को बचाने के लिए प्रशासन ने आशुतोष गुप्ता का कलक्ट्रेट में सम्मान किया था।

समाचार4मीडिया की ओर से आशुतोष गुप्ता को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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प्रेस काउंसिल गठन में देरी पर हाई कोर्ट सख्त, केंद्र व PCI से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुंबई प्रेस क्लब की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) से जवाब मांगा है।

Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
PCI7845

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुंबई प्रेस क्लब की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) से जवाब मांगा है। याचिका में 15वीं प्रेस काउंसिल के गठन में हो रही देरी पर चिंता जताते हुए इसे तुरंत गठित करने की मांग की गई है।

हाई कोर्ट ने 26 मई को सुनवाई के दौरान सूचना-प्रसारण मंत्रालय और प्रेस काउंसिल को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

मुंबई प्रेस क्लब द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि प्रेस काउंसिल एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, जिसे देश में प्रेस की स्वतंत्रता और नैतिकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन 14वीं काउंसिल का कार्यकाल 8 अक्टूबर 2024 को समाप्त हो चुका है और करीब आठ महीने बीतने के बावजूद अब तक 15वीं प्रेस काउंसिल का गठन नहीं हो पाया है।

याचिका में बताया गया है कि नए सदस्यों के चयन की प्रक्रिया 9 जून 2024 को शुरू की गई थी। इसके तहत पत्रकारों, संपादकों और मीडिया मालिकों के संगठनों से नामांकन मांगे गए थे, लेकिन किसी न किसी वजह से यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी।

प्रेस काउंसिल की सामान्य रूप से तीन साल की अवधि होती है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया जाता है और 20 निर्वाचित सदस्य होते हैं, जो कामकाजी पत्रकारों, संपादकों, समाचार पत्रों और एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा आठ नामित सदस्य होते हैं, जिनमें पांच सांसद और तीन ऐसे विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जिन्हें कानून, साहित्य या कला के क्षेत्र में विशेष अनुभव होता है।

मुंबई प्रेस क्लब का कहना है कि प्रेस की निगरानी और जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए एक प्रभावी काउंसिल का सक्रिय होना बेहद जरूरी है। काउंसिल के गठन में हो रही यह देरी प्रेस की स्वतंत्र और नैतिक कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।

अब अदालत ने इस मसले में केंद्र और प्रेस काउंसिल दोनों से स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा है कि वह याचिका की मांगों पर तभी विचार करेगी जब संबंधित पक्ष अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे।

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बदलते मीडिया परिदृश्य में बड़ा कदम, दो हिस्सों में बंटेगी Warner Bros. Discovery

इस विभाजन के परिणामस्वरूप दो स्वतंत्र रूप से संचालित इकाइयां बनेंगी। एक कंपनी स्क्रिप्टेड एंटरटेनमेंट पर ध्यान देगी जबकि दूसरी कंपनी अनस्क्रिप्टेड और लाइफस्टाइल कंटेंट पर केंद्रित होगी।

Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
Warner Bros

दुनिया की सबसे बड़ी मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनियों में शुमार ‘वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी’ (Warner Bros. Discovery) ने घोषणा की है कि कंपनी को दो अलग-अलग कंपनियों में विभाजित किया जाएगा। यह फैसला 9 जून 2025 को सार्वजनिक किया गया, और यह कंपनी की रणनीति में एक बड़ा बदलाव है। यह बदलाव उस विलय के केवल तीन साल बाद हो रहा है, जिसने WarnerMedia और Discovery को एक साथ लाया था।

इस विभाजन के परिणामस्वरूप दो स्वतंत्र रूप से संचालित इकाइयां बनेंगी। एक कंपनी स्क्रिप्टेड एंटरटेनमेंट पर ध्यान देगी, जिसमें Warner Bros. के फिल्म और टीवी स्टूडियो, HBO और Max स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स शामिल होंगे। दूसरी कंपनी अनस्क्रिप्टेड और लाइफस्टाइल कंटेंट पर केंद्रित होगी, जिसमें Discovery Channel, HGTV, Food Network और अन्य संबंधित ब्रैंड शामिल हैं। इस पुनर्गठन का उद्देश्य दोनों व्यवसायों को अपनी मुख्य ताकतों पर फोकस करने और मीडिया के बदलते माहौल के अनुसार तेजी से अनुकूलित होने देना है।

वर्ष 2022 में हुए इस विलय के द्वारा स्ट्रीमिंग और कंटेंट के क्षेत्र में एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी बनाने की योजना थी। लेकिन संयुक्त कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे विभिन्न कॉर्पोरेट संस्कृतियों का मेल, भारी कर्ज का प्रबंधन, और तेजी से बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताएं। जैसे-जैसे स्ट्रीमिंग मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ी और विज्ञापन आय में उतार-चढ़ाव आया, Warner Bros. Discovery ने अपनी संरचना पर पुनर्विचार किया ताकि इंडस्ट्री के रुझानों और निवेशकों की उम्मीदों के अनुसार बेहतर तालमेल बैठाया जा सके।

मीडिया इंडस्ट्री के जानकार मानते हैं कि यह कदम मीडिया क्षेत्र में एक व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां कंपनियां बड़े आकार की जगह अब विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता को अधिक प्राथमिकता दे रही हैं। अपनी स्क्रिप्टेड और अनस्क्रिप्टेड संचालन को अलग करके, Warner Bros. Discovery प्रत्येक नई कंपनी को स्पष्ट उद्देश्य और बेहतर संचालन का मौका देना चाहती है। इस विभाजन को शेयरहोल्डर वैल्यू बढ़ाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के उपाय के रूप में भी देखा जा रहा है।

इन दोनों कंपनियों की लीडरशिप डिटेल्स अभी अंतिम चरण में हैं, लेकिन वर्तमान CEO डेविड ज़ास्लाव के बारे में उम्मीद है कि वे इन दोनों नई कंपनियों में से एक का नेतृत्व करेंगे। Warner Bros. Discovery ने यह भी कहा है कि वे इस प्रक्रिया में सभी हितधारकों यानी स्टेकहोल्डर्स के साथ निकटता से काम करेंगे।

यह घोषणा वैश्विक मीडिया इंडस्ट्री के निरंतर विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। Warner Bros. Discovery जब इस बदलाव की तैयारी कर रहा है, तो दोनों नई इकाइयों के सामने जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में अपने-अपने क्षेत्रों में सफल होने की चुनौती होगी। इस स्ट्रैटेजिक बदलाव पर मीडिया इंडस्ट्री और निवेशकों की करीबी नजर बनी रहेगी।

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‘SonyLIV’ से विदाई लेने के बाद अब ‘JetSynthesys’ से जुड़ीं नूपुर श्रीवास्तव

नूपुर श्रीवास्तव 'सोनी लिव' (SonyLIV) में सेल्स हेड (Emerging Business & Markets) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
Nupur Srivastava

'सोनी लिव' (SonyLIV) से विदाई लेने के बाद नुपुर श्रीवास्तव ने अब ‘JetSynthesys’ में नई जिम्मेदारी संभाल ली है। उन्होंने यहां पर ‘हेड ऑफ ग्रोथ’ के रूप में जॉइन किया है। नूपुर श्रीवास्तव 'सोनी लिव' (SonyLIV) में सेल्स हेड (Emerging Business & Markets) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

नूपुर श्रीवास्तव के पास मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कई प्लेटफॉर्म्स जैसे ब्रॉडकास्ट, डिजिटल, प्रिंट, रेडियो और नए जमाने के मीडिया सहित विभिन्न प्लेटफॉर्म पर काम करने का गहरा अनुभव है। उन्होंने करीब 17 साल Viacom18 में रहते हुए विभिन्न लोकप्रिय ब्रैंड्स जैसे MTV, Vh1, Comedy Central, Colors Infinity, Nickelodeon India और Nick Jr. के जरिए अलग-अलग श्रोताओं को टारगेट किया।

नूपुर श्रीवास्तव ने 2008 से 2019 तक Viacom18 में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और किड्स एंटरटेनमेंट की रेवेन्यू हेड के रूप में काम किया। अगस्त 2019 में उन्हें यूथ, म्यूजिक, इंग्लिश और किड्स के एंटरटेनमेंट के लिए सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और रेवेन्यू हेड के पद पर प्रमोट किया गया, जहां उन्होंने कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई।

Viacom18 से पहले नूपुर श्रीवास्तव ने सहारा इंडिया टीवी नेटवर्क में डिप्टी सेल्स मैनेजर (ग्रुप हेड) के रूप में अक्टूबर 2005 से फरवरी 2008 तक काम किया। इससे पहले उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स, स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सेल्स सीनियर एग्जिक्यूटिव, रेडियो सिटी, मिड-डे मल्टीमीडिया लिमिटेड और कॉर्न प्रोडक्ट्स कंपनी जैसी जगहों पर भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।

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मीडिया दिग्गज पार्थ सिन्हा ने जॉइन की McKinsey, अपनी नई कंसल्टिंग फर्म की भी दिखाई झलक

रविवार को सिन्हा ने अपने LinkedIn प्रोफाइल को अपडेट किया। अब उनकी नई पहचान है- Senior Advisor, Consumer Practice, McKinsey & Company

Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
ParthSinha7845

22 मई को जब हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडया' ने यह खबर ब्रेक की कि पार्थ सिन्हा टाइम्स ग्रुप की जिम्मेदारियों से हट रहे हैं, तो खुद सिन्हा ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। उनका जवाब था—"ज्यादा बड़ी बात नहीं है।" लेकिन गोवाफेस्ट में यही खबर लॉन्स पर सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बन गई। अटकलों का बाजार गर्म था, लेकिन फिर भी सिन्हा हमेशा की तरह खामोश ही रहे, सिर्फ वही हल्की-सी मुस्कान, जो सालों से यह जताती आई है: "तब जानिएगा जब कुछ ऐसा करूंगा जो जानने लायक हो।"

रविवार को सिन्हा ने अपने LinkedIn प्रोफाइल को अपडेट किया। अब उनकी नई पहचान है- Senior Advisor, Consumer Practice, McKinsey & Company 

McKinsey में सिन्हा ग्लोबल स्तर पर कंज्यूमर बिजनेस क्लायंट्स के साथ काम करेंगे और Times Group, BBH, Ogilvy और Citibank जैसे ब्रैंड्स में ब्रैंड, रेवेन्यू और कंटेंट रणनीतियों को लीड करने का दशकों का अनुभव साथ लाएंगे।

हालांकि लिंक्डइन अपडेट में एक और दिलचस्प और रहस्यमयी नाम भी शामिल है- ABLTY Advisory LLP, जो उनकी अपनी नई कंसल्टिंग फर्म है।

जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने McKinsey की भूमिका की पुष्टि की लेकिन अंदाज वही पुराना रहा- सपाट और संयमित। उन्होंने कहा, "हां, McKinsey वाला रोल सही है। लेकिन अब भी यह कोई बड़ी खबर नहीं है।"

और ABLTY के बारे में?

सिन्हा ने जवाब दिया, "इस पर फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। नई कंपनी शुरू करने के इरादे का ऐलान करना कुछ वैसा ही है जैसे मौसम का पूर्वानुमान- अक्सर ऐलान के मुताबिक चीजें नहीं होतीं।"

पार्थ सिन्हा का यह अगला कदम भले ही उनके शब्दों में "न्यूजवर्दी" न हो, लेकिन इंडस्ट्री में इसे हल्के में लेना मुश्किल है।

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पीएम मोदी ने अवीक सरकार को जन्मदिन पर दीं शुभकामनाएं, भारतीय मीडिया में योगदान को सराहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया दिग्गज अवीक सरकार को उनके 80वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं और भारतीय मीडिया व प्रकाशन जगत में उनके योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है।

Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
AveekSarkar8745

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया दिग्गज अवीक सरकार को उनके 80वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं और भारतीय मीडिया व प्रकाशन जगत में उनके योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। पीएम मोदी ने कहा कि सार्वजनिक विमर्श को दिशा देने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

कोलकाता स्थित आनंद बाजार पत्रिका समूह के शीर्ष पर रहे अवीक सरकार 9 जून यानी आज 80 वर्ष के हो गए हैं। वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के पूर्व चेयरमैन और इसके बोर्ड के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में आनंद बाजार पत्रिका समूह ने टीवी, प्रिंट और डिजिटल माध्यमों में कई प्रतिष्ठित संस्थान खड़े किए।

प्रधानमंत्री ने अवीक सरकार को भेजे गए अपने व्यक्तिगत संदेश में उनके जन्मदिन समारोह में आमंत्रण के लिए आभार जताया और इस अवसर की आध्यात्मिक महत्ता को भी रेखांकित किया। उन्होंने लिखा, "परंपरा के अनुसार, 80 वर्ष की उम्र का मतलब है कि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में एक हजार पूर्णिमा देखी हैं, जिसे ‘सहस्र चंद्र दर्शन’ भी कहा जाता है और यह एक पवित्र मील का पत्थर है।’’

सरकार के योगदान की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और प्रकाशन माध्यमों के जरिए सरकार ने जिस तरह से सार्वजनिक विमर्श को समृद्ध किया है, वह सराहनीय है। मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि उनका कार्यभार विभिन्न भाषाओं में फैला हुआ है, जो भारत की विविधता को सम्मान देने का प्रतीक है। 

उन्होंने विश्वास जताया कि अवीक सरकार आगे भी मीडिया और प्रकाशन के क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, "उनकी उपस्थिति परिवार, मित्रों, सहकर्मियों और उन अनगिनत लोगों के लिए सुकून देने वाली रही है, जिनके जीवन को उन्होंने छुआ है। मुझे विश्वास है कि यह अवसर उनके सभी करीबी लोगों के लिए अब तक की यात्रा का उत्सव मनाने का है और साथ ही भविष्य की लंबी साझेदारी की उम्मीद का भी।"

प्रधानमंत्री ने अंत में अवीक सरकार को अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की शुभकामनाएं दीं।

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हैप्पी बर्थडे सुप्रिय प्रसाद: आप हैं न्यूज रूम के वह स्तंभ जो झुकते नहीं, थकते नहीं

10 जून को उनके जन्मदिन के मौके पर हम सिर्फ एक पत्रकार का नहीं, बल्कि उस युग का सम्मान कर रहे हैं जिसे उन्होंने अपनी दृष्टि, संवेदनशीलता और निडर संयम से आकार दिया है।

Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
SupriyaPrasad8956

हर दिन दौड़ती-चिल्लाती, कभी-कभी भ्रम फैलाती भारतीय टेलीविजन न्यूज की दुनिया में सुप्रिय प्रसाद एक ऐसे प्रकाशस्तंभ की तरह खड़े हैं, जो न शोर से डगमगाते हैं, न टीआरपी की आंधियों से हिलते हैं। 10 जून को उनके जन्मदिन के मौके पर हम सिर्फ एक पत्रकार का नहीं, बल्कि उस युग का सम्मान कर रहे हैं जिसे उन्होंने अपनी दृष्टि, संवेदनशीलता और निडर संयम से आकार दिया है।

तीन दशकों से भी अधिक समय तक पत्रकारिता की इस यात्रा में सुप्रिय प्रसाद सिर्फ घटनाओं को रिपोर्ट नहीं करते, वे उन्हें अर्थ देते हैं, उनमें संदर्भ भरते हैं और देश को एक आईना दिखाते हैं—एक ऐसा आईना जो सच्चाई को न तो तोड़ता है, न मरोड़ता है।

झारखंड के दुमका से दिल्ली तक की यात्रा

दुमका में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान मां के इलाज के लिए वे पटना आए और पत्रकारों की संगत में आकर लिखने-पढ़ने की लत लग गई। चुनावी मौसम था और उन्होंने प्रभात खबर के लिए रिपोर्टिंग शुरू की। यहीं से पत्रकारिता का शौक पेशे में बदला। आडवाणी की रथयात्रा के दौरान दुमका की जेल में हुई उनकी गिरफ्तारी की रिपोर्टिंग करते हुए सुप्रिय ने रिपोर्टिंग की बारीकियां सीखी और पत्रकारिता की ताकत को महसूस किया।

इसके बाद 1994 में दिल्ली आए, IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई की और 10 जून 1995 को ‘आजतक’ से अपनी प्रोफेशनल पारी शुरू की। शुरुआत में तीन महीने के लिए रखे गए थे, लेकिन जल्दी ही उनकी प्रतिभा ने उन्हें असिस्टेंट न्यूज कोऑर्डिनेटर बना दिया।

'आजतक' से 'न्यूज 24' और फिर दोबारा 'आजतक' तक का सफर

13 वर्षों तक 'आजतक' में विभिन्न भूमिकाओं में काम करने के बाद उन्होंने 'न्यूज 24' की लॉन्चिंग टीम में बड़ी भूमिका निभाई और फिर दोबारा ‘आजतक’ लौटकर बतौर ग्रुप मैनेजिंग एडिटर और अब ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली। उनके नेतृत्व में ‘आजतक’ ने 100 हफ्तों तक टीआरपी की शीर्षता बरकरार रख चुका है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

टीआरपी नहीं, विश्वसनीयता का चेहरा

सुप्रिय प्रसाद को उनकी राजनीतिक समझ, तकनीकी पकड़ और संपादकीय दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। वे न सिर्फ तेज रफ्तार खबरों की दुनिया में संतुलन की मिसाल हैं, बल्कि युवा पत्रकारों के लिए एक मार्गदर्शक भी हैं। उनकी शैली में अनुशासन है, पर अहंकार नहीं। उनकी आवाज में दृढ़ता है, पर दिखावा नहीं।

वे सोशल मीडिया पर तो हैं, लेकिन किसी विचारधारा से खुद को नहीं जोड़ते। उनका पत्रकारिता के प्रति दृष्टिकोण तटस्थता और वस्तुनिष्ठता पर आधारित है।

व्यक्तिगत जीवन में भी अनुशासन और सादगी

उनकी निजी जिंदगी भी उनके पेशेवर आचरण की तरह सादगी से भरी है। न स्मोकिंग, न शराब लेकिन खाने के शौकीन सुप्रिय को नॉनवेज बेहद पसंद है। ‘आजतक’ की पत्रकार अनुराधा प्रीतम उनकी जीवनसंगिनी हैं, जिनसे उन्होंने लव मैरिज की। मजाक में अक्सर कहते हैं- "मेरी जिंदगी में AP हमेशा बॉस रहे हैं- अरुण पुरी, अनुराधा प्रसाद या फिर पत्नी अनुराधा प्रीतम।"

एक पत्रकार नहीं, एक युग का प्रतिनिधि

सुप्रिय प्रसाद उन विरले संपादकों में हैं जो तेज आवाज में नहीं, ठहराव में भरोसा रखते हैं। उनके लिए स्टोरी महज खबर नहीं, एक जिम्मेदारी है, जिसे तथ्यों, निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ निभाना होता है। वे दिखाते हैं कि टेलीविजन पत्रकारिता आज भी सच्चाई के साथ खड़ी हो सकती है और रेटिंग्स से परे भी विश्वसनीयता संभव है।

उनके जन्मदिन पर यह सिर्फ बधाई नहीं, एक पीढ़ी की कृतज्ञता है उस पत्रकार के लिए जिसने न्यूज को शोर से नहीं, सोच से परिभाषित किया।

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इमोशन से इम्पायर तक: एकता कपूर की कहानियां जो सिर्फ देखी नहीं, जी गईं

भारतीय फिल्म व टेलीविजन निर्माता और निर्देशक एकता कपूर का आज जन्मदिन है। उनका साम्राज्य (empire) किसी कॉरपोरेट मीटिंग या बोर्डरूम में नहीं बना, बल्कि करोड़ों भारतीय घरों के दिलों में बुना गया।

Last Modified:
Saturday, 07 June, 2025
EktaKapoor4512

कुछ बड़े कारोबारी ऐसे होते हैं जो सिर्फ बाजार की चाल को देखते हैं, यानी आंकड़ों, मुनाफे और निवेश के हिसाब से सोचते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो देश के दिल की धड़कन को सुनते हैं, यानी लोगों की भावनाओं, जरूरतों और संवेदनाओं को समझते हैं। 7 जून को जन्मी एकता कपूर बिना किसी झिझक के दूसरी श्रेणी में आती हैं। भारतीय फिल्म व टेलीविजन निर्माता और निर्देशक एकता कपूर का आज जन्मदिन है।

उनका साम्राज्य (empire) किसी कॉरपोरेट मीटिंग या बोर्डरूम में नहीं बना, बल्कि करोड़ों भारतीय घरों के दिलों में बुना गया। एक ऐसी महिला, जिसने भावनाओं, महत्वाकांक्षा और उस छठी इंद्रिय के दम पर, जो यह भांप लेती थी कि भारत क्या महसूस करता है, न केवल कहानियां गढ़ीं, बल्कि उन्हें हर घर की धड़कन बना दिया। 

मुंबई के फिल्मी माहौल में 1975 में जन्मीं एकता को पहचान तो विरासत में मिली, लेकिन रास्ता उन्होंने खुद चुना। अपने पिता जितेंद्र की शोहरत की सवारी करने के बजाय उन्होंने टेलीविजन की अस्थिर और कठिन दुनिया में खुद के लिए जगह बनाई- वह भी तब, जब तीस साल से कम उम्र की किसी महिला ने उस मंच पर हुकूमत करने की हिम्मत नहीं दिखाई थी।

1994 में जब उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स शुरू की, तो सब कुछ दांव पर लगा दिया। पहले कुछ साल ठोकरों भरे रहे। स्क्रिप्ट ठुकराईं गईं, पायलट एपिसोड रिजेक्ट हुए। लेकिन 1995 में ‘हम पांच’ के साथ जैसे ही हंसी की खिड़की खुली, देश ने उन्हें सुनना शुरू किया।

फिर आया वह दौर जिसने भारतीय टेलीविजन को हमेशा के लिए बदल दिया- क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कहानी घर घर की, कसौटी जिंदगी की। ये शो सिर्फ देखे नहीं गए, जिए गए। एकता ने केवल सीरियल नहीं बनाए, उन्होंने एक सांस्कृतिक ऑक्सीजन तैयार की। पारिवारिक ड्रामा एक अनुष्ठान बन गया, उनकी नायिकाएं साड़ी में लिपटी प्रतिशोध और सहनशीलता की मूर्तियां बन गईं। उन्होंने जन-रुचि और पौराणिक भव्यता को एक साथ पिरोकर महत्वाकांक्षा को लोकतांत्रिक बना दिया।

टेलीविजन की दुनिया में परंपरा का झंडा उठाने वाली एकता फिल्मों में आकर चुनौती बन गईं। बालाजी मोशन पिक्चर्स के जरिए उन्होंने लव सेक्स और धोखा, द डर्टी पिक्चर और रागिनी एमएमएस जैसी कहानियां बनाईं, जो सुकून नहीं, सवाल पूछती थीं। उन्होंने सिस्टम को भीतर से हिलाया।

2017 में जब डिजिटल की लहर आई, तो बाकी दिग्गज सोचते रहे और एकता ने लॉन्च किया ALTBalaji, एक ऐसा OTT प्लेटफॉर्म जिसने युवा, बिंदास और अनफ़िल्टर्ड कहानियों को जगह दी। गंदी बात और अपहरण जैसे शोज़ से उन्होंने फिर साबित किया कि वे सिर्फ कंटेंट क्रिएटर नहीं, सांस्कृतिक दिशा तय करने वाली लीडर हैं।

एकता कपूर की खासियत सिर्फ उनका लंबा करियर नहीं, बल्कि उसमें मौजूद लचीलापन है। वे बीते कल में नहीं अटकतीं, बल्कि उसे नए संदर्भ में रचती हैं। वे ट्रेंड्स का पीछा नहीं करतीं, उन्हें जन्म देती हैं। उन्होंने वर्षों में भारत के भीतर मौजूद कई ‘भारतों’ को अपनी कहानियों से उजागर किया- संयुक्त परिवारों की पवित्रता से लेकर शहरी इच्छाओं की बेबाक जमीन तक।

2020 में उन्हें पद्मश्री और 2023 में इंटरनेशनल एमी डायरेक्टोरेट अवॉर्ड मिला और वह भी उन उपलब्धियों की औपचारिक पुष्टि के रूप में, जिन्हें देश पहले ही दिल में जगह दे चुका था। लेकिन एकता कपूर के लिए असली कामयाबी कभी भी ट्रॉफियों में नहीं रही। उनका सबसे बड़ा स्मारक वो भावनात्मक परिदृश्य है जिसे उन्होंने भारत के लिए गढ़ा।

आज भी वे भावना और भव्यता की महारानी हैं- एक ऐसी रचयिता, जिसने भारत को सिर्फ दर्शक नहीं बल्कि एक पात्र माना, जिसके लिए कहानियां लिखी जानी चाहिए थीं।

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शाजिया इल्मी: न्यूजरूम से जन आंदोलन तक का सफर

शाजिया इल्मी का जन्म भारत के सबसे पुराने उर्दू अख़बारों में से एक ‘सियासत जदीद’ के प्रभावशाली साये में हुआ, जिसे उनके पिता मौलाना इसहाक इल्मी ने शुरू किया था।

Last Modified:
Saturday, 07 June, 2025
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आज जब शाजिया इल्मी एक और साल बड़ी हो रही हैं, तो हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि उन्हें स्पष्टता, प्रतिबद्धता और साहस से भरी एक महिला बनने के लिए क्या प्रेरित करता है। शाजिया इल्मी का जन्म भारत के सबसे पुराने उर्दू अखबारों में से एक ‘सियासत जदीद’ के प्रभावशाली साये में हुआ, जिसे उनके पिता मौलाना इसहाक इल्मी ने शुरू किया था। उन्होंने सार्वजनिक जीवन, विरोध और संवाद की लय में बचपन से ही सांस ली, लेकिन पत्रकारिता की विरासत उन्होंने सिर्फ अपनाई नहीं, बल्कि उससे आगे निकलने का रास्ता चुना।

शिमला, नई दिल्ली, कार्डिफ और न्यूयॉर्क में पढ़ाई के दौरान इल्मी ने महज डिग्रियां नहीं लीं, बल्कि एक ऐसी आवाज गढ़ी जो संतुलित होने के साथ-साथ निर्भीक भी थी, परिष्कृत होने के साथ-साथ जरूरी तौर पर मुखर भी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन से की, सिर्फ न्यूज पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि घटनाओं के बीच जाकर रिपोर्ट करने के लिए। 15 वर्षों तक वे राजनीतिक संवाददाता और एंकर रहीं, जिनमें ‘स्टार न्यूज’ के साथ उनका काम विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कैमरे को आईने की तरह नहीं, एक सर्चलाइट की तरह समझा और उसे अन्याय, असमानता और हाशिए पर खड़े लोगों पर स्थिर रखा।

लेकिन शाजिया इल्मी की कहानी कैमरे की सीमाओं में नहीं समा सकती थी। 2011 में जब ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन ने देश की सड़कों को जगा दिया, तब इल्मी ने एंकर की कुर्सी छोड़ दी और आंदोलन की पहली कतार में जा खड़ी हुईं। जन लोकपाल आंदोलन की प्रखर और सधी हुई आवाज बनकर उन्होंने न सिर्फ इस आंदोलन को पहचान दी, बल्कि इसकी भाषा भी गढ़ी। उनके भाषण भाषण नहीं, हुंकार थे।

एक्टिविज्म से राजनीति की ओर उनका कदम स्वाभाविक था, भले ही आसान न रहा हो। आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य के रूप में उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के एक नए प्रयोग में भाग लिया, एक ऐसा प्रयोग जो साफ-सुथरी राजनीति और जन-केंद्रित प्रशासन पर विश्वास करता था। उन्होंने चुनाव लड़े, हार देखी, सुर्खियां बनाईं और अंततः राजनीतिक जीवन की जटिलताओं से समझौता भी किया।

2015 में जब उन्होंने आम आदमी पार्टी से नाता तोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा, तो कई सवाल उठे। लेकिन इल्मी डरी नहीं। उनके लिए खुद को नया रूप देना पलायन नहीं, बल्कि दृढ़ता थी। उनका राजनीतिक सफर भले ही मोड़ों और चढ़ावों से भरा रहा हो, लेकिन उसमें अस्थिरता नहीं, बल्कि अनुभवों से उपजी दृढ़ आस्था है—सिर्फ विचारधारा से नहीं, जिंदगी से सीखी हुई।

आज राष्ट्रीय विमर्श की एक मजबूत आवाज के रूप में शाजिया इल्मी वही हैं जो वो हमेशा से रही हैं- स्पष्टता, प्रतिबद्धता और साहस की मिसाल। वे प्रसारणकर्ता की संयमित भाषा बोलती हैं और बदलाव की लौ के साथ बात करती हैं। उनके भीतर न्यूज रूम की गंभीरता और जन आंदोलन की बेचैनी, दोनों का मेल है।

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