NCLAT का फैसला: WhatsApp को डेटा शेयरिंग में राहत, जुर्माना बरकररार

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मेटा प्लेटफॉर्म (Meta Platforms Inc.) और उसकी सहायक कंपनी वॉट्सऐप (WhatsApp) को आंशिक राहत दी है।

Last Modified:
Tuesday, 04 November, 2025
Meta785


नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मेटा प्लेटफॉर्म (Meta Platforms Inc.) और उसकी सहायक कंपनी वॉट्सऐप (WhatsApp) को आंशिक राहत दी है। ट्रिब्यूनल ने प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें WhatsApp को अपनी पैरेंट कंपनी Meta के साथ विज्ञापन के लिए यूजर डेटा साझा करने से रोका गया था।

हालांकि, NCLAT की बेंच जिसमें जस्टिस (सेवानिवृत्त) अशोक भूषण और बरुण मित्रा शामिल थे, ने यह माना कि WhatsApp की 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी ‘डॉमिनेंट पोजीशन का दुरुपयोग’ थी। इसलिए, CCI द्वारा नवंबर 2024 में लगाया गया ₹213.14 करोड़ का जुर्माना ट्रिब्यूनल ने बरकरार रखा है।

CCI ने पहले कहा था कि WhatsApp की 2021 की नीति “ले लो या छोड़ दो” जैसी शर्तें थोपती है, जिससे यूजर्स की आजादी और विकल्प सीमित हो जाते हैं। CCI ने अपने आदेश में WhatsApp को पांच साल तक Meta के साथ यूजर डेटा साझा न करने और हर डेटा कैटेगरी के उपयोग को स्पष्ट रूप से बताने का निर्देश दिया था।

बाद में Meta और WhatsApp ने इस आदेश को NCLAT में चुनौती दी थी। जनवरी 2025 में ट्रिब्यूनल ने दोनों आदेशों- जुर्माना और डेटा शेयरिंग बैन पर अस्थायी रोक लगा दी थी, यह कहते हुए कि इससे WhatsApp के बिजनेस मॉडल पर असर पड़ सकता है।

अब आए अंतिम फैसले में NCLAT ने डेटा शेयरिंग पर लगी रोक को हटा दिया है, लेकिन ₹213 करोड़ का जुर्माना बरकरार रखा है।

यह फैसला भारत में डेटा प्राइवेसी, डिजिटल गवर्नेंस और बड़ी टेक कंपनियों की ताकत पर चल रही बहस में एक अहम मोड़ साबित हुआ है। इससे यह भी साफ हुआ है कि भारत में काम कर रही ग्लोबल टेक कंपनियों पर अब नियामक संस्थाएं और ज्यादा सख्त निगरानी रख रही हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Disney के अनुरोध पर YouTube TV ने दिया चैनल बहाल करने का ये प्रस्ताव

यूट्यूब टीवी (YouTube TV) ने डिज्नी (Disney) के लोकप्रिय चैनल ABC और ESPN को अपने प्लेटफॉर्म पर वापस लाने का प्रस्ताव दिया है।

Last Modified:
Tuesday, 04 November, 2025
Youtubetv7854

यूट्यूब टीवी (YouTube TV) ने डिज्नी (Disney) के लोकप्रिय चैनल ABC और ESPN को अपने प्लेटफॉर्म पर वापस लाने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम Disney की उस अपील के बाद आया है जिसमें उसने चुनावी कवरेज के लिए ABC चैनल को फिर से बहाल करने की मांग की थी।

दरअसल, सोमवार को Disney ने गूगल की YouTube TV से अनुरोध किया था कि जनता के हित में चुनाव दिवस पर ABC चैनल को दोबारा शुरू किया जाए। कुछ दिन पहले ही समझौते में असहमति के चलते Disney के चैनल YouTube TV से हटा दिए गए थे।

अपने प्रस्ताव पर YouTube TV ने कहा है कि वह दर्शकों को वही कंटेंट देना चाहता है जो वे देखना चाहते हैं, लेकिन केवल एक दिन के लिए ABC को बहाल करने से लोगों में भ्रम पैदा होगा।

कंपनी ने अपने बयान में कहा, “हम सहमत हैं कि प्राथमिकता ग्राहकों को वही देने की होनी चाहिए जो वे चाहते हैं। लोग कंपनियों के बीच झगड़े और चैनलों के ब्लैकआउट नहीं देखना चाहते। लेकिन आपका प्रस्ताव हमें केवल एक दिन के लिए ABC चैनल शुरू करने की अनुमति देता है, जिससे ग्राहक भ्रमित होंगे, क्योंकि वे थोड़े समय के लिए चैनल देख पाएंगे और फिर वह गायब हो जाएगा।”

YouTube TV ने आगे कहा कि चुनाव कवरेज देखने के लिए दर्शकों के पास कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। YouTube TV पर दूसरे न्यूज नेटवर्क्स और ब्रॉडकास्ट चैनलों पर भी चुनाव संबंधी कवरेज उपलब्ध है। यहां तक कि मुख्य YouTube प्लेटफॉर्म पर भी चुनाव से जुड़ी जानकारी मुफ्त में देखी जा सकती है। पिछले दो अमेरिकी चुनावों में, अधिकांश दर्शकों ने ABC की बजाय दूसरे चैनल चुने थे। 

YouTube ने Disney की रणनीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह वही तरीका है जिसका इस्तेमाल Disney पहले भी कर चुका है। YouTube ने कहा कि Disney यह भली-भांति जानता है कि वह ABC News के आधिकारिक YouTube चैनल (जिसके 1.91 करोड़ सब्सक्राइबर हैं) पर लाइव स्ट्रीम जारी रख सकता है। इसके अलावा स्थानीय ABC स्टेशन भी अपने-अपने YouTube चैनलों पर प्रसारण कर सकते हैं। 

YouTube TV ने आगे प्रस्ताव दिया कि जनता के हित में सबसे सही कदम यही होगा कि Disney के लोकप्रिय चैनल ABC और ESPN को तुरंत बहाल कर दिया जाए और साथ ही बातचीत जारी रखी जाए। कंपनी ने कहा कि यदि आप हमारे इस प्रस्ताव से सहमत हैं, तो हम अपनी टीमों को तुरंत सक्रिय कर सकते हैं और कुछ घंटों में चैनल्स को फिर से लाइव कर सकते हैं।”

अंत में YouTube TV ने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि दोनों कंपनियां जल्द से जल्द एक निष्पक्ष समझौते पर पहुंचें ताकि दर्शकों को फिर से उनका पसंदीदा कंटेंट देखने को मिल सके।

गौरतलब है कि पिछले गुरुवार को दोनों कंपनियों के बीच लाइसेंसिंग समझौते पर बात विफल होने के बाद Disney के चैनल YouTube TV से गायब हो गए थे।

YouTube TV अमेरिका के सबसे बड़े पे-टीवी प्लेटफॉर्म्स में से एक है, जो इस साल कई मीडिया कंपनियों से समझौते को लेकर खींचतान में फंसा हुआ है। कई कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर नया समझौता नहीं हुआ, तो वे अपने चैनल प्लेटफॉर्म से हटा लेंगी।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Quint Digital से फर्जी ईमेल का मामला आया सामने, कंपनी ने बढ़ाई सेफ्टी

क्विंट डिजिटल (Quint Digital Limited) ने निवेशकों और शेयरहोल्डर्स को सूचित किया है कि कुछ लोगों की ओर से फर्जी ईमेल भेजा जा रहा है

Last Modified:
Monday, 03 November, 2025
Quint8754

क्विंट डिजिटल (Quint Digital Limited) ने निवेशकों और शेयरहोल्डर्स को सूचित किया है कि कुछ लोगों की ओर से फर्जी ईमेल भेजा जा रहा है, जिसमें झूठा दावा किया गया कि यह ईमेल कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की ओर से भेजा गया है। इस ईमेल में लोगों को “साइनिंग पार्टनर” बनने के लिए आमंत्रित किया गया, जबकि कंपनी किसी भी ऐसे समझौते में शामिल नहीं है।

कंपनी ने साफ किया कि यह ईमेल पूरी तरह भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण है और इसका उद्देश्य कंपनी और उसके निदेशक मंडल का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करना है। क्विंट डिजिटल ने कहा कि यह किसी भी तरह से उनके सिस्टम, डेटा या संचालन को प्रभावित नहीं करता।

इस घटना का पता लगते ही कंपनी की तकनीकी टीम और प्रबंधन ने सुरक्षा उपाय और प्रोटोकॉल लागू किए ताकि किसी भी संभावित खतरे को रोका जा सके।

कंपनी ने बताया कि इस मामले की विस्तृत जांच चल रही है और इसे सुरक्षित तरीके से नियंत्रित किया जा रहा है। इसके साथ ही सुरक्षा और सुधारात्मक कदम भी उठाए जा रहे हैं।

क्विंट डिजिटल ने कहा कि वह साइबर सुरक्षा, डेटा की अखंडता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सतर्क है।

 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हिमाचल: फेक न्यूज पर लगाम लगाएगी सरकार, लाएगी AI आधारित सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सिस्टम

हिमाचल प्रदेश सरकार अब फेक न्यूज और गलत जानकारी के खिलाफ सख्त कदम उठाने जा रही है। इसके लिए सरकार जल्द ही AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू करने वाली है।

Last Modified:
Monday, 03 November, 2025
FakeNews78451

हिमाचल प्रदेश सरकार अब फेक न्यूज और गलत जानकारी के खिलाफ सख्त कदम उठाने जा रही है। इसके लिए सरकार जल्द ही AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू करने वाली है। इस सिस्टम का मकसद सोशल मीडिया पर फैलने वाली भ्रामक और भड़काऊ खबरों पर नजर रखना और तुरंत कार्रवाई करना है।

यह पहल केंद्र सरकार के नए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के अनुरूप है, जिसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट क्रिएटर्स पर अधिक जवाबदेही तय की गई है।

रीयल टाइम में मॉनिटरिंग और कार्रवाई

नए डिजिटल सिस्टम के जरिए सोशल मीडिया पर पोस्ट होने वाली संवेदनशील या भ्रामक सामग्री को रीयल टाइम में ट्रैक किया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग इस काम में पुलिस, जिला प्रशासन और जनसंपर्क विभाग के साथ मिलकर काम करेगा ताकि गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ तुरंत कदम उठाया जा सके।

सरकार का बयान: हिमाचल की जरूरतों के अनुसार तैयार होगा ढांचा

मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटैल ने बताया कि राज्य सरकार संशोधित आईटी एक्ट के तहत एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर रही है। उन्होंने कहा, “हम इस सिस्टम को हिमाचल की सांस्कृतिक और प्रशासनिक जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार कर रहे हैं।”

कानूनी जिम्मेदारी: अब प्लेटफॉर्म्स भी होंगे जवाबदेह

संशोधित आईटी एक्ट के तहत अब सोशल मीडिया कंपनियां भी अपने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार होंगी। अगर कोई झूठी खबर, एडिटेड वीडियो या भ्रामक पोस्ट पाई जाती है, तो उस पर कार्रवाई प्लेटफॉर्म और पोस्ट करने वाले दोनों पर की जा सकेगी। सरकार द्वारा अधिकृत फैक्ट-चेकिंग यूनिट को ऐसे मामलों की सच्चाई जांचने का अधिकार दिया जाएगा।

सख्त सजाएं और जुर्माने का प्रावधान

नए सिस्टम के तहत गलत या भ्रामक जानकारी बार-बार शेयर करने वालों पर भारी जुर्माना और जेल तक की सजा हो सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चिन्हित सामग्री को तय समय सीमा में हटाना होगा और उसके स्रोत का पता लगाना होगा। बार-बार उल्लंघन करने वालों के अकाउंट स्थायी रूप से बंद भी किए जा सकते हैं।

जानें, क्यों जरूरी है यह कदम

अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में गलत सूचनाओं के कारण कई बार प्रशासनिक अफरा-तफरी और सामाजिक तनाव की स्थिति बनी है। ऐसे में यह AI-आधारित सिस्टम राज्य में एक सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल माहौल बनाने में मदद करेगा।

दूसरे राज्यों के लिए बनेगा उदाहरण

डिजिटल गलत जानकारी की चुनौती से जूझ रहे देश में हिमाचल प्रदेश की यह पहल एक मॉडल के रूप में देखी जा रही है। तकनीक, शासन और कानून को जोड़कर राज्य जिम्मेदार डिजिटल नागरिकता की दिशा में मिसाल पेश कर रहा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

पत्रकार बिंदिया भट्ट को मिली ‘न्यूज नेशन’ (डिजिटल) की कमान

बिंदिया भट्ट इससे पहले करीब एक साल से न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर न्यूज एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Last Modified:
Saturday, 01 November, 2025
Bindiya Bhatt..

पत्रकार बिंदिया भट्ट ने ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज कर दिया है। उन्होंने यहां पर एडिटर (डिजिटल) के पद पर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह हिंदी व अंग्रेजी समेत सात वेबसाइट्स की जिम्मेदारी संभालेंगी।

बता दें कि बिंदिया भट्ट इससे पहले करीब एक साल से न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर न्यूज एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से कुछ दिनों पूर्व उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

इस संस्थान के साथ उनकी यह दूसरी पारी थी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2006 में ‘Bag Films and Media Ltd’ से ही की थी। ‘न्यूज नेशन’ के साथ भी बिंदिया भट्ट की यह दूसरी पारी है।

मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली बिंदिया भट्ट को मीडिया में काम करने का करीब बीस साल का अनुभव है। पूर्व में वह ‘दैनिक भास्कर’, माइक्रोसॉफ्ट न्यूज, न्यूज नेशन आदि प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रमुख पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो बिंदिया भट्ट ने नोएडा स्थित ‘आईएमएस’ से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है।

समाचार4मीडिया की ओर से बिंदिया भट्ट को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

फेक न्यूज व गलत सूचनाओं से निपटने के लिए MIB लाएगा फैक्ट-चेकिंग चैटबॉट

सूचना और प्रसारण मंत्रालय अब फेक न्यूज और गलत सूचनाओं के खिलाफ अपनी मुहिम को और मजबूत करने जा रहा है।

Last Modified:
Tuesday, 28 October, 2025
AIChatbot8451

सूचना और प्रसारण मंत्रालय अब फेक न्यूज और गलत सूचनाओं के खिलाफ अपनी मुहिम को और मजबूत करने जा रहा है। इसके लिए मंत्रालय जल्द ही एक फैक्ट-चेकिंग चैटबॉट लॉन्च करने की तैयारी में है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से लैस होगा।

मंत्रालय के तहत आने वाले प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने पहले ही अपने फैक्ट चेक यूनिट (FCU) के ज़रिए फर्जी खबरों और दावों पर तेज़ और समन्वित कार्रवाई के लिए एक व्यवस्था बना रखी है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि नया AI चैटबॉट पुराने फैक्ट-चेक किए गए मामलों की भी जानकारी देगा। उन्होंने कहा, “हमने फैक्ट-चेक चैटबॉट तैयार कर लिया है और उसका परीक्षण भी हो चुका है। अब अंतिम टेस्ट के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा। जैसे ही आप किसी विषय या दावे को इसमें डालेंगे, यह उससे जुड़ी सही जानकारी तुरंत दे देगा, चाहे मामला एक साल पुराना ही क्यों न हो। इसमें सर्च का विकल्प भी होगा।”

इसके साथ ही मंत्रालय डीपफेक वीडियो जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एक अलग सॉफ्टवेयर भी विकसित कर रहा है। फिलहाल यह शुरुआती चरण में है। एक अधिकारी के अनुसार, “इस सॉफ्टवेयर में जब कोई वीडियो डाला जाएगा तो उससे जुड़ा असली वीडियो सामने आ जाएगा। कई बार विदेशी हैंडल भारतीय सेना से जुड़े फेक वीडियो फैलाते हैं या गलत दावे करते हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए यह सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है, ताकि किसी वीडियो की सच्चाई जल्दी से जल्दी सामने लाई जा सके।”

मंत्रालय ने यह भी बताया कि PIB के बैकग्राउंडर को अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब ‘वीडियो बैकग्राउंडर’ शुरू करने की भी योजना है। ये बैकग्राउंडर पत्रकारों और आम जनता को सरकारी नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों की गहराई से जानकारी देने का काम करते हैं।

वैष्णव ने कहा, “हमारे बैकग्राउंडर को राष्ट्रीय मीडिया अच्छी तरह इस्तेमाल कर रहा है। अब हम इन्हें और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल हम करीब 24,000 लोगों तक विभिन्न चैनलों के माध्यम से पहुंचते हैं। जल्द ही वीडियो बैकग्राउंडर भी शुरू किए जाएंगे। इसके लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा वर्कशॉप कराई गई है।”

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

चीन का नया कानून: संवेदनशील विषयों पर बोलने के लिए अब जरूरी होगी प्रोफेशनल डिग्री

नए "इन्फ्लुएंसर कानून" के तहत चीन में अब जो लोग चिकित्सा, कानून, शिक्षा या वित्त जैसे संवेदनशील विषयों पर कंटेंट बनाएंगे, उन्हें इन क्षेत्रों में औपचारिक योग्यता या डिग्री दिखानी होगी।

Last Modified:
Tuesday, 28 October, 2025
ChinaInfluencers784512

चीन में अब सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाना पहले जैसा आसान नहीं रहेगा। 25 अक्टूबर से लागू हुए नए "इन्फ्लुएंसर कानून" के तहत अब जो लोग चिकित्सा, कानून, शिक्षा या वित्त जैसे संवेदनशील विषयों पर कंटेंट बनाएंगे, उन्हें इन क्षेत्रों में औपचारिक योग्यता या डिग्री दिखानी होगी।

यह नियम चीन की साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CAC) ने जारी किया है। प्रशासन का कहना है कि इस कानून का मकसद गलत जानकारी (misinformation) को रोकना और आम लोगों को झूठे या हानिकारक सुझावों से बचाना है। लेकिन दूसरी तरफ, कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और सेंसरशिप के लिए खतरा भी मान रहे हैं।

नए नियमों के अनुसार, जो इन्फ्लुएंसर रेगुलेटेड या संवेदनशील विषयों पर बात करेंगे, उन्हें अपनी विशेषज्ञता का प्रमाण देना होगा- जैसे डिग्री, लाइसेंस या प्रोफेशनल सर्टिफिकेट। प्लेटफॉर्म जैसे Douyin (चीन का TikTok), Bilibili और Weibo पर अब यह जिम्मेदारी होगी कि वे अपने क्रिएटर्स की डिटेल्स की जांच करें और सुनिश्चित करें कि उनका कंटेंट सही जानकारी और डिस्क्लेमर के साथ हो।

उदाहरण के लिए, अगर कोई वीडियो किसी शोध या अध्ययन पर आधारित है, तो क्रिएटर को यह बात साफ तौर पर बतानी होगी। साथ ही, अगर किसी वीडियो में AI-generated सामग्री है, तो उसे भी स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा।

CAC ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए मेडिकल प्रोडक्ट्स, सप्लीमेंट्स और हेल्थ फूड्स के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है, ताकि लोग “शैक्षिक वीडियो” के नाम पर छिपे प्रचार से बच सकें।

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कानून रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है। उनका तर्क है कि अगर सिर्फ “योग्य” लोगों को ही कुछ विषयों पर बोलने की इजाजत होगी, तो सरकार स्वतंत्र आवाजों और आलोचनात्मक विचारों को दबा सकती है।

कई लोगों को डर है कि “विशेषज्ञता” की परिभाषा इतनी सीमित बना दी जाएगी कि अधिकारी उन लोगों को भी चुप करा सकेंगे जो सरकारी नीतियों या विचारों पर सवाल उठाते हैं।

वहीं, कुछ लोग इस कानून का समर्थन भी कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कदम संवेदनशील विषयों पर सही और भरोसेमंद जानकारी फैलाने में मदद करेगा। उनका कहना है कि चिकित्सा या वित्त जैसे विषयों पर सिर्फ क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स को ही बोलने का अधिकार होना चाहिए ताकि गलत सूचना से जनता को नुकसान न पहुंचे।

गौरतलब है कि इन्फ्लुएंसर कल्चर के बढ़ने के साथ अब लोग पारंपरिक विशेषज्ञों की बजाय सोशल मीडिया क्रिएटर्स पर भरोसा करने लगे हैं। लेकिन जब यही क्रिएटर गलत या अधूरी जानकारी फैलाते हैं, तो उसका असर गंभीर हो सकता है। ऐसे में चीन की सरकार का मानना है कि यह नया कानून ऑनलाइन जिम्मेदारी और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करेगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

डिजिटल स्वराज की दिशा में बड़ा कदम, अब राज्य सरकारें भी Zoho Mail पर होंगी शिफ्ट

सरकार अब अपने ईमेल सिस्टम को Google पर निर्भरता कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे Zoho Mail की ओर ले जा रही है।

Last Modified:
Monday, 27 October, 2025
Zoho7845

सरकार अब अपने ईमेल सिस्टम को Google पर निर्भरता कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे Zoho Mail की ओर ले जा रही है। यह कदम केंद्रीय सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों के बाद राज्यों में भी अपनाया जाएगा। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बदलाव की घोषणा की थी। 

केंद्रीय कर्मचारियों का Zoho Mail में ट्रांसफर

केंद्र सरकार ने हाल ही में अपने सभी कार्यालयों को National Informatics Centre (NIC) के प्लेटफॉर्म से Zoho Mail पर स्थानांतरित किया। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 12 लाख कर्मचारियों के ईमेल अब चेन्नई स्थित Zoho के क्लाउड प्लेटफॉर्म पर हैं।

योजना और प्रक्रिया

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने NDTV को बताया कि सरकार ने Zoho को लगभग तीन साल पहले अपनाने का निर्णय लिया था। शुरुआत मंत्रालयों से हुई और फिर धीरे-धीरे इसे रेलवे, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अंततः सभी केंद्रीय कर्मचारियों तक फैलाया गया।

मंत्री ने बताया कि अब कर्मचारियों को Zoho के पूरे टूल्स का उपयोग करने का मौका है, जिसमें Google Docs, Microsoft Word, Excel, PowerPoint और अन्य इंटरनल कम्युनिकेशन टूल्स के विकल्प शामिल हैं।

अश्विनी वैष्णव के अनुसार, Zoho का चयन कई भारतीय और वैश्विक कंपनियों का मूल्यांकन करने के बाद किया गया। Google को 8.9, Microsoft को 8.8 और Zoho को 8.6 अंक मिले थे। छह महीनों में Zoho ने अपनी सुरक्षा सुविधाओं को अपग्रेड किया और टेंडरिंग के बाद उसका प्रस्ताव सबसे उपयुक्त पाया गया।

राज्य सरकारें भी Zoho की ओर

रिपोर्ट में बताया गया कि गुजरात सरकार पहले ही Zoho Mail पर शिफ्ट हो चुकी है और अन्य राज्यों में भी यह प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है।

इस बदलाव से सरकारी ईमेल डोमेन (nic.in और gov.in) में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि डेटा प्रोसेसिंग और होस्टिंग अब Zoho के क्लाउड प्लेटफॉर्म पर होगी। Zoho को 2023 में सात साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।

Zoho – भारत का स्वदेशी प्लेटफॉर्म 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा ‘Make in India’ उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विदेशी निर्भरता खत्म करने के लिए स्वदेशी उत्पादों को अपनाना जरूरी है।

Zoho के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने Mail सेवाओं का परिचय दिया, जिसे सरकार ने अपनाया। सुरक्षा के लिहाज से Zoho के सिस्टम को NIC, CERT-In और Software Quality Systems (SQS) जैसी कई एजेंसियों ने पूरी तरह से जांचा।

सरकार का उद्देश्य पूरा डिजिटल स्वराज हासिल करना और भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर इनोवेशन के लिए बढ़ावा देना है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

रिलायंस व फेसबुक की बड़ी साझेदारी: AI बिजनेस में मिलकर करेंगे 855 करोड़ रुपये का निवेश

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक नई साझेदारी की है।

Last Modified:
Monday, 27 October, 2025
FacebookJIO78451

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक नई साझेदारी की है। इस साझेदारी में मेटा प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक की पैरेंट कंपनी) भी हिस्सा ले रही है। इस नई कंपनी का नाम रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) रखा गया है।

रिलायंस के पास होगा 70%, फेसबुक रखेगा 30% हिस्सा

रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड, जो RIL की 100% स्वामित्व वाली कंपनी है, इस नए वेंचर में 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि फेसबुक ओवरसीज (Meta Platforms की इकाई) के पास 30% हिस्सा होगा।

कुल 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश

दोनों कंपनियां मिलकर इस AI वेंचर में 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगी। कंपनी ने बताया कि यह निवेश 24 अक्टूबर को किया गया, जब रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड ने औपचारिक रूप से रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) की स्थापना की।

जियो में निवेश से शुरू हुई थी रिलायंस-फेसबुक की साझेदारी

यह साझेदारी रिलायंस और मेटा के बीच लंबे समय से चल रहे रणनीतिक रिश्ते का अगला कदम है। अप्रैल 2020 में मार्क जुकरबर्ग की फेसबुक ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये (5.7 बिलियन डॉलर) का निवेश किया था। उस समय फेसबुक को जियो में 9.99% हिस्सेदारी मिली थी, जो किसी भी कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा अल्पांश निवेश (minority investment) था।

AI सेवाओं के विकास और मार्केटिंग में करेगा काम

RIL के एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, REIL भारत में एक संयुक्त उद्यम (joint venture) कंपनी के रूप में काम करेगी और यह एंटरप्राइज AI सेवाओं के विकास, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभालेगी।

मेटा के AI मॉडल और रिलायंस की पहुंच का होगा इस्तेमाल

यह वेंचर मेटा के ओपन-सोर्स Llama AI मॉडल और रिलायंस की विशाल बिजनेस पहुंच का फायदा उठाकर भारतीय बाजार के लिए उन्नत AI समाधान तैयार करेगा।

दो मुख्य प्रॉडक्ट होंगे लॉन्च

रिलायंस और फेसबुक की यह साझेदारी दो प्रमुख AI प्रॉडक्ट्स पर फोकस करेगी-

  1. एंटरप्राइज AI प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस (PaaS), जिसके जरिए कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार जनरेटिव AI मॉडल्स को कस्टमाइज और इस्तेमाल कर सकेंगी।

  2. प्री-कॉन्फिगर्ड AI सॉल्यूशंस, जो सेल्स, मार्केटिंग, आईटी ऑपरेशन्स, कस्टमर सर्विस और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों के लिए बनाए जाएंगे।

AI क्षेत्र में बड़ी साझेदारी का संकेत

रिलायंस और मेटा की यह साझेदारी भारत में एंटरप्राइज AI बाजार के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जो भविष्य में कंपनियों के काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

इस बड़े पद पर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (डिजिटल) की टीम में शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष झा

प्रभाष झा इससे पहले करीब छह साल से ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह में कार्यरत थे। यहां से कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी पारी को विराम दे दिया था।

Last Modified:
Friday, 24 October, 2025
Prabhash Jha..

वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष झा ने ‘टाइम्स’ (Times) समूह के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज कर दिया है। उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (डिजिटल) में एग्जिक्यूटिव एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर जॉइन किया है।

‘टाइम्स’ से पहले प्रभाष झा ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह में कार्यरत थे। वह करीब छह साल से बतौर एडिटर ‘हिन्दुस्तान’ की न्यूज वेबसाइट livehindustan.com समेत इस समूह की अन्य भाषाओं की वेबसाइट में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यहां से कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी पारी को विराम दे दिया था।

प्रभाष झा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 25 साल का अनुभव है। मूलरूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले प्रभाष झा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2000 में बतौर इंटर्न ‘जैन टीवी’ (Jain TV) से की थी।

करीब एक साल तक काम करने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘नवभारत’ (Navbharat), भोपाल का दामन थाम लिया। यहां बतौर करेसपॉन्डेंट उन्होंने करीब 11 महीने तक अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर यहां से अलविदा कह दिया।

इसके बाद प्रभाष झा ने ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran), मेरठ में जूनियर सब एडिटर के तौर पर अपनी नई शुरुआत की। करीब सवा साल यहां काम करने के बाद अक्टूबर 2003 में वह ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala), देहरादून चले गए। करीब 10 महीने तक इस अखबार से जुड़े रहने के बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ में वापसी की। इस बार उन्होंने नोएडा में सीनियर सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया। लगभग तीन साल तक ‘दैनिक जागरण’ में अपने सेवाएं देने के बाद उन्होंने यहां से फिर अलविदा बोल दिया और ‘बीबीसी न्यूज’ (BBC News), हिंदी में कॉन्ट्रीब्यूटिंग एडिटर के तौर पर जुड़ गए।

करीब सवा साल तक यह जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रभाष झा ने वर्ष 2007 में ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) का रुख किया। उस समय उन्होंने चीफ सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया और फिर करीब साढ़े 12 साल तक इस संस्थान में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एडिटर के पद पर पहुंच गए। इसके बाद यहां से अलविदा कहकर वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी नई पारी ‘हिन्दुस्तान’ की डिजिटल विंग के साथ शुरू की थी, जहां से कुछ दिनों पूर्व अपनी पारी को विराम देकर अब टाइम्स समूह के साथ मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है।

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो प्रभाष झा ने नागपुर के एसएफएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने मेघालय की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन, एडवर्टाइजिंग और जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। कम्युनिकेशन और मीडिया स्टडीड में ‘नेट’ (NET) क्वालीफाइड प्रभाष झा ने दिल्ली के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) से रेडियो और टीवी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा भी किया है।

समाचार4मीडिया की ओर से प्रभाष झा को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Meta अपने AI डिवीजन में 600 एम्प्लॉयीज की करेगी छंटनी

फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) एक बार फिर छंटनी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस बार कंपनी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डिवीजन में लगभग 600 एम्प्लॉयीज पर यह गाज गिरेगी।

Last Modified:
Friday, 24 October, 2025
META87451

फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) एक बार फिर छंटनी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस बार कंपनी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डिवीजन में लगभग 600 एम्प्लॉयीज पर यह गाज गिरेगी। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फैसला कंपनी ने हाल के समय में हुए भारी पैमाने पर भर्ती अभियान के बाद कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए लिया है।

TBD लैब पर असर नहीं पड़ेगा

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह छंटनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा शुरू किए गए TBD लैब को प्रभावित नहीं करेगी। यह लैब मेटा का एक अहम प्रोजेक्ट है, जहां कंपनी ने OpenAI और Apple जैसी कंपनियों से टॉप रिसर्चर्स को ऊंचे वेतन पैकेज पर लाकर काम पर लगाया था।

AI प्रोडक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर टीम पर असर

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह छंटनी AI प्रोडक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने वाली टीमों पर केंद्रित है। कंपनी का कहना है कि यह कदम दक्षता बढ़ाने (efficiency boost) के लिए उठाया गया है, ताकि बड़े प्रोजेक्ट्स पर असर न पड़े। साथ ही, जिन एम्प्लॉयीज की नौकरियां जा रही हैं, उनमें से कई को मेटा के दूसरे डिवीजन में शिफ्ट किया जा सकता है।

‘ऑर्गनाइजेशनल बोझ’ घटाने के लिए कदम

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस कदम को कंपनी के अंदर बढ़ते संगठनात्मक बोझ को कम करने की कोशिश बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कंपनी ने AI टीम को मजबूत करने के लिए तेजी से भर्ती की थी, जिससे कामकाज जटिल हो गया था।

कंपनी का संदेश – फैसले जल्दी होंगे

दोनों अखबारों के मुताबिक, मेटा के चीफ AI ऑफिसर एलेक्जेंडर वांग ने अपने मेमो में लिखा, “अब फैसले लेने के लिए कम लोगों से बात करनी पड़ेगी।” यानी कामकाज को और तेज और सीधा बनाने की कोशिश की जा रही है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए