IMPACT Digital Power 100 के लिए शॉर्टलिस्ट हुए नाम, जूरी में शामिल रहे ये दिग्गज

‘इम्पैक्ट’ की ‘डिजिटल पावर100’ (Digital Power 100) लिस्ट के लिए मंगलवार को आयोजित जूरी मीट में नॉमिनीज को शॉर्टलिस्ट किया गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 21 October, 2020
Last Modified:
Wednesday, 21 October, 2020
IMPACT


एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की मीडिया, मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग क्षेत्र की जानी-मानी साप्ताहिक पत्रिका ‘इम्पैक्ट’ की ‘डिजिटल पावर100’ (Digital Power 100) लिस्ट के लिए मंगलवार को आयोजित जूरी मीट में नॉमिनीज को शॉर्टलिस्ट किया गया।

वर्चुअल रूप से हुई इस जूरी में ऐडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग और मीडिया की जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। इस दौरान सम्मानित जूरी के समक्ष 200 नामों की लिस्ट रखी गई, जिसमें से 100 नामों को शॉर्टलिस्ट कर उन्हें विभिन्न मापदंडों के आधार पर रैंकिंग दी गई।  

‘IMPACT Digital Power 100’ का उद्देश्य डिजिटल दुनिया के ऐसे दिग्गजों की लिस्ट तैयार कर उन्हें सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर नई ऊंचाइयों को छुआ है और एक खास मुकाम हासिल किया है।

जूरी की अध्यक्षता ‘नैसकॉम’ (NASSCOM)  के पूर्व प्रेजिडेंट किरण कार्णिक ने की। जूरी में ‘Aditya Birla group’ के ग्रुप एग्जिक्यूटिव प्रेजिडेंट शिव शिवकुमार, ‘IVCA’ के प्रेजिडेंट रजत टंडन, ‘Cisco India’ के प्रेजिडेंट (India and SAARC) समीर गार्डे, ‘TiE India Angels’ के चेयरमैन (TiE Global) महावीर प्रताप शर्मा, ‘Nishith Desai Associates’ की पार्टनर गोवरी गोखले, ‘exchange4media & Business World’ के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा, ‘exchange4media’ के को-फाउंडर और डायरेक्टर नवल आहूजा और ‘exchange4media’ के प्रेजिडेंट सुनील कुमार बतौर सदस्य शामिल रहे।   

जूरी द्वारा 200 में से 100 लोगों को उनके द्वारा किए गए काम और डिजिटल मीडिया पर डाले गए उनके प्रभाव के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया। इन नामों को शॉर्टलिस्ट करते समय जूरी ने इनके नेतृत्व में चले कैंपेन, नई लॉन्चिंग और एडवर्टाइजिंग को भी ध्यान में रखा।

इन चार प्रमुख मापदंडों के आधार पर शॉर्टलिस्ट किए गए नामः

-- Influence: The ability to personally influence the development of Digital Media in India, or to influence others in positions of authority

-- Leadership: Skills and experience to be viewed as a leader in the development of Digital Media

-- Potential: To create a significant impact on Digital media over the next 12 months

-- Achievements: Projects/Award-Winning Campaigns/Accomplishments that stand out

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Zee Entertainment का बड़ा दांव: क्या डिजिटल दिग्गज बनने की राह पर है कंपनी?

जी एंटरटेनमेंट (ZEEL) अब खुद को सिर्फ एक ब्रॉडकास्टर नहीं, बल्कि कंटेंट और टेक्नोलॉजी आधारित युवा-केंद्रित कंपनी के तौर पर पेश कर रही है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 19 May, 2025
Last Modified:
Monday, 19 May, 2025
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अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

जी एंटरटेनमेंट (ZEEL) अब खुद को सिर्फ एक ब्रॉडकास्टर नहीं, बल्कि कंटेंट और टेक्नोलॉजी आधारित युवा-केंद्रित कंपनी के तौर पर पेश कर रही है। यह बदलाव ऐसे वक्त में आ रहा है जब कंपनी हाल ही में कई चुनौतियों से गुजरी है, जैसे सोनी के साथ उसकी डील का टूटना, स्टार इंडिया के साथ क्रिकेट राइट्स को लेकर कानूनी विवाद और रिलायंस–डिज्नी के विलय से बने ताकतवर JioStar की मीडिया इंडस्ट्री पर बढ़ती पकड़।

अपने नए ब्रैंड वादे ‘Yours Truly, Z’ के साथ जी अब अपनी कहानी कहने की विरासत को भविष्य की आकांक्षाओं से जोड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन एक ऐसे बाजार में जहां प्रतिस्पर्धा तेज है और बदलाव की रफ्तार और भी तेज, असली कसौटी यही है कि क्या यह रणनीतिक बदलाव जी को दोबारा बड़ी ताकत बनने की दिशा में ले जा पाएगा।

सोनी डील का टूटना और इंडस्ट्री में उथल-पुथल

जी की मुश्किलें 2022 में शुरू हुईं, जब उसने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ एक बड़े विलय का ऐलान किया। करीब 10 अरब डॉलर की इस डील से एक ऐसा मीडिया जायंट बनने की उम्मीद थी, जो जी की विशाल कंटेंट लाइब्रेरी को सोनी की तकनीकी ताकत के साथ जोड़ता। लेकिन जनवरी 2024 तक यह डील नेतृत्व को लेकर विवाद, रेगुलेटरी अड़चनों और वित्तीय परेशानियों की वजह से टूट गई।

इसके बाद आया स्टार इंडिया के साथ क्रिकेट राइट्स को लेकर विवाद। जुलाई 2024 में स्टार ने जी के साथ 1.5 अरब डॉलर की ICC मीडिया राइट्स डील खत्म कर दी, यह कहते हुए कि जी ने समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया। स्टार ने 940 मिलियन डॉलर की मांग करते हुए मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू कर दी, और आरोप लगाया कि जी ने दिसंबर 2023 में 203.56 मिलियन डॉलर की भुगतान राशि नहीं दी। जी ने इन आरोपों को नकार दिया।

इसी दौरान रिलायंस और डिज्नी स्टार के विलय से बना JioStar (एक ऐसा बड़ा खिलाड़ी जो टीवी, स्ट्रीमिंग और स्पोर्ट्स तीनों पर पकड़ बना चुका है) और उसने देश की मीडिया तस्वीर को काफी बदल दिया है।

जी का नया गेम प्लान

जी का यह रीब्रैंडिंग कदम किसी सतही बदलाव से ज्यादा है। यह उसकी एक रणनीतिक कोशिश है कि वो मुश्किल हालात में भी प्रासंगिक बनी रहे और मुकाबले में टिकी रहे। कंपनी की नई पहचान और उसका अंदाज खासतौर पर भारत के युवाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जहां तेवर साहसी हैं, सोच डिजिटल है और नजरिया आगे बढ़ने वाला।

‘Yours Truly, Z’ टैगलाइन के जरिए कंपनी यह वादा कर रही है कि वह ऐसा कंटेंट लाएगी जो निजी लगे और असली अनुभव जैसा महसूस हो।

अब जी सिर्फ टीवी चैनलों तक सीमित नहीं रहना चाहती। वह तकनीक में बड़ा दांव खेल रही है और AI, डेटा व नए फॉर्मेट्स की मदद से दर्शकों का अनुभव और रोमांचक बनाने की दिशा में काम कर रही है। उसकी स्ट्रीमिंग सेवा ZEE5 ओरिजिनल शोज पर जोर दे रही है, ताकि Gen Z और मिलेनियल दर्शकों को जोड़ा जा सके, जो आज भारत के स्ट्रीमिंग बाजार को आगे बढ़ा रहे हैं।

एक मीडिया एक्सपर्ट के मुताबिक, “यह सिर्फ मेकओवर नहीं है। जी का मकसद, मिशन और विजन अब इस बात पर केंद्रित है कि वो अपनी 30 साल की कहानी कहने की विरासत को अत्याधुनिक तकनीक के साथ कैसे जोड़ सके। उसका इरादा है कि वह JioStar और Netflix जैसे ग्लोबल स्ट्रीमिंग दिग्गजों के बीच अलग पहचान बना सके। भारत के 60 करोड़ से ज्यादा 30 साल से कम उम्र के युवाओं को टारगेट कर जी दोबारा अपनी बढ़त हासिल करना चाहता है।”

स्टार के साथ टकराव में नरमी के संकेत

ZEE के Q4 FY25 अर्निंग कॉल में CEO पुनीत गोयनका ने यह संकेत दिया कि कंपनी अब स्टार इंडिया के साथ चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए पहले से कहीं ज्यादा लचीला रुख अपना सकती है। उन्होंने कहा, “हम सभी विकल्पों के लिए तैयार हैं, कानूनी हों या न हों।” यह बयान जी के पहले के सख्त रुख से अलग है, जब कंपनी ने स्टार के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया था।

गोयनका के इस बयान से संकेत मिलता है कि ZEE अब कोर्ट के बाहर समझौते की संभावनाओं पर भी विचार कर सकती है।

एक कानूनी जानकार के अनुसार, “JioStar के विलय ने मीडिया इंडस्ट्री का गणित ही बदल दिया है। लंबा कानूनी विवाद दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि समझौता ज्यादा समझदारी भरा रास्ता होगा। अभी कोई औपचारिक डील सामने नहीं आई है, लेकिन जी की बातचीत को लेकर खुली सोच दिखाती है कि वह अब जमीनी हकीकत को ध्यान में रख रही है। अगर यह लड़ाई खत्म होती है, तो जी अपनी नई रणनीति पर पूरी तरह फोकस कर पाएगी।”

निवेशकों की चिंताओं को शांत करने के लिए जी ने सितंबर 2024 में सिंगापुर में कई बैठकें की थीं। माना जा रहा है कि ये बैठकें स्टार विवाद और उसके वित्तीय असर को लेकर फैली चिंताओं को कम करने की कोशिश का हिस्सा थीं। लचीलापन दिखाकर ZEE यह संदेश दे रही है कि वह बदलते मीडिया माहौल को समझती है और उसके मुताबिक खुद को ढालने को तैयार है।

पैसों का हिसाब: नुकसान और कामयाबी दोनों

कड़ी चुनौतियों के बीच भी ZEE ने Q4 FY25 में अपनी वित्तीय स्थिति को काफी हद तक संभाल कर रखा। कंपनी की कुल आय Q4 FY24 के ₹2,185 करोड़ से 2% बढ़कर ₹2,220 करोड़ पहुंच गई।

हालांकि, विज्ञापन से होने वाली आय में भारी गिरावट आई—यह 25% गिरकर ₹1,110 करोड़ से ₹838 करोड़ रह गई। वहीं, सब्सक्रिप्शन से मिलने वाली आय 4% बढ़कर ₹987 करोड़ हो गई। डिजिटल से हुए विस्तार की बदौलत अन्य बिक्री और सेवाओं की आय में 227% का बड़ा उछाल आया और यह ₹360 करोड़ तक पहुंच गई।

सबसे अहम रहा मुनाफे में जबरदस्त इजाफा। नेट प्रॉफिट Q4 FY24 के ₹13 करोड़ से बढ़कर ₹188 करोड़ हो गया—यानि 1,304% की छलांग। यह Q3 FY25 के ₹164 करोड़ से भी 15% ज्यादा है। इससे यह साफ होता है कि ZEE ने खर्चों पर नियंत्रण रखने और मुनाफे वाले क्षेत्रों पर फोकस करने में सफलता पाई है।

पूरे वित्त वर्ष FY25 के लिए देखें तो जी की कुल आय 4% घटकर ₹8,766 करोड़ से ₹8,417 करोड़ हो गई। विज्ञापन आय में 11% की गिरावट आई और यह ₹3,591 करोड़ रही, जबकि सब्सक्रिप्शन से आय 7% बढ़कर ₹3,926 करोड़ हो गई। अन्य बिक्री और सेवाओं में 15% की गिरावट आई और यह ₹777 करोड़ रह गई, वहीं अन्य आय 5% गिरकर ₹123 करोड़ पर पहुंच गई।

इसके बावजूद सालाना नेट प्रॉफिट में 381% की तेज बढ़त देखने को मिली- FY24 के ₹141 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹679 करोड़। यह साबित करता है कि राजस्व में कुछ गिरावट के बावजूद ZEE ने मुनाफा कमाने की अपनी क्षमता को बरकरार रखा है।

क्या ZEE दोबारा उभर सकता है?

ZEE का नया रुख उसे फिर से एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है, लेकिन रास्ता आसान नहीं है। उसका टेक्नोलॉजी पर फोकस और युवा-केन्द्रित ब्रैंड पहचान भारत के डिजिटल बदलाव के साथ मेल खाती है और ZEE5 की ग्रोथ इस दिशा में अच्छा संकेत है।

कंटेंट और टेक्नोलॉजी की ताकत के साथ ZEE ने खुद को एक नए रूप में पेश किया है यानी एक ऐसा साहसिक कदम जो उसे भारत की डिजिटल मीडिया लहर में नेतृत्व की ओर ले जा सकता है।

तकनीक, युवा और भरोसे पर दांव लगाकर ZEE अब एक बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में टिकने की तैयारी कर रहा है।

फिलहाल ‘Yours Truly, Z’ एक बोल्ड वादा है। जी इसे कितनी हकीकत में बदल पाता है और क्या वह दिग्गज खिलाड़ियों के बीच अपनी जगह फिर से बना पाता है और यह आने वाले फैसलों पर निर्भर करेगा। मीडिया की दुनिया में जहां सिर्फ सबसे मजबूत टिकते हैं, जी यह साबित करने की कोशिश में है कि उसमें अब भी दम बाकी है।

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‘Way2News’ ने अभिषेक वर्मा को किया नियुक्त, सौंपी यह बड़ी जिम्मेदारी

अभिषेक वर्मा को ‘वायकॉम18’ और ‘टाइम्स नेटवर्क’ समेत कई प्रतिष्ठित मीडिया कंपनियों के साथ लीडरशिप भूमिकाओं में काम करने का 19 वर्षों से अधिक का अनुभव है

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 15 May, 2025
Last Modified:
Thursday, 15 May, 2025
Abhishek Verma

देश के प्रमुख हाइपरलोकल शॉर्ट न्यूज ऐप 'वे2न्यूज' (Way2News) ने अभिषेक वर्मा को नियुक्त कर उन्हें साउथ इंडिया ऑपरेशंस की कमान सौंपी है। वह बेंगलुरु से अपना कामकाज संभालेंगे।

अभिषेक वर्मा को ‘वायकॉम18’ और ‘टाइम्स नेटवर्क’ समेत कई प्रतिष्ठित मीडिया कंपनियों के साथ लीडरशिप भूमिकाओं में काम करने का 19 वर्षों से अधिक का अनुभव है

इस नियुक्ति के बारे में ‘Way2News’ के नेशनल हेड (ऐड सेल्स) अभिषेक जग्गी का कहना है, ‘हमें अभिषेक वर्मा के हमारे साथ जुड़ने की बेहद खुशी है। उनके व्यापक अनुभव और क्षेत्रीय समझ के चलते वे दक्षिण भारत में हमारे विस्तार का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं। जैसे-जैसे हम भारत के अलग-अलग हिस्सों में अपनी मौजूदगी को मजबूत कर रहे हैं, वैसे-वैसे प्रभावी और स्थानीय नेतृत्व हमारी हाइपरलोकल पहुंच और जुड़ाव को और गहरा बनाने के लिए बेहद जरूरी हो जाता है।’

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एक दशक बाद गूगल ने बदला लोगो, अब दिखेगा ऐसा

गूगल ने लगभग एक दशक बाद अपने ‘G’ लोगो को नया रूप दिया है।

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Published - Tuesday, 13 May, 2025
Last Modified:
Tuesday, 13 May, 2025
Google8754

गूगल ने लगभग एक दशक बाद अपने ‘G’ लोगो को नया रूप दिया है। अब तक इस्तेमाल हो रहा यह लोगो पहली बार साल 2015 में बदला गया था, जब कंपनी ने छोटे अक्षर वाले सफेद ‘g’ को नीले बैकग्राउंड से हटाकर रंग-बिरंगे गोल डिजाइन में पेश किया था। लेकिन अब कंपनी ने फिर से इस लोगो को और आधुनिक रूप दिया है।

नए लोगो में गूगल के पारंपरिक चार रंग- लाल, पीला, हरा और नीला अब एक ग्रेडिएंट फॉर्मेट में नजर आते हैं। पहले ये रंग अलग-अलग हिस्सों में बंटे होते थे, लेकिन अब इनका इस्तेमाल एक स्मूद और मिलाजुला प्रभाव देने के लिए किया गया है, जो इसे और अधिक जीवंत बनाता है।

बताया जा रहा है कि इस बदलाव की शुरुआत धीरे-धीरे हो रही है। कुछ डिवाइसों पर यह नया लोगो दिखाई देने भी लगा है, जबकि अन्य प्लेटफॉर्म्स पर यह चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। डिजाइन में किया गया यह बदलाव गूगल के जेमिनी ग्रेडिएंट की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।

गूगल का यह नया लोगो अब और ज्यादा रंगीन और आकर्षक दिख रहा है, जो यूजर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने की कोशिश का हिस्सा है।

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भारत में कंटेंट क्रिएटर्स का नया दौर, YouTube के CEO ने की देश के मजबूत भविष्य की बात

मुंबई में मई की शुरुआत में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) को लेकर यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने भारत की तारीफ की है।

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Published - Tuesday, 13 May, 2025
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Tuesday, 13 May, 2025
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मुंबई में मई की शुरुआत में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) को लेकर यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने भारत की तारीफ की है। उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट में इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह देखना बेहद खास था कि भारत किस तेजी से एक "क्रिएटर नेशन" के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि आज भारत के कंटेंट क्रिएटर्स की दुनिया में सबसे मजबूत कम्युनिटी बन चुकी है।

उन्होंने कहा, "मुंबई में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात थी। इस आयोजन को साकार करने में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका रही। मैं भारत सरकार का आमंत्रण और गर्मजोशी से किए गए स्वागत के लिए धन्यवाद करता हूं।"

उन्होंने आगे कहा कि लगातार आयोजित हुए इन कार्यक्रमों के दौरान जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह यह थी कि भारत बहुत तेजी से एक 'क्रिएटर नेशन' बनता जा रहा है। आज भारत की क्रिएटर कम्युनिटी पहले से कहीं ज्यादा बड़ी और मजबूत हो गई है।

नील मोहन ने बताया कि पिछले साल 100 मिलियन से ज्यादा भारतीय यूट्यूब चैनलों ने प्लेटफॉर्म पर कंटेंट अपलोड किया, जिनमें से 15,000 से अधिक चैनलों के एक मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। यह संख्या दो साल पहले की तुलना में दोगुनी हो चुकी है।

अपने कीनोट भाषण में नील मोहन ने कहा कि भारत का क्रिएटर इकोनॉमी आज केवल रचनात्मकता नहीं बल्कि एक मजबूत उद्यमिता की मिसाल बन चुकी है। कलाकार, एंटरटेनर और छोटे व्यवसायी अपने जुनून को व्यवसाय में बदलकर देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यूट्यूब की ओर से बीते तीन वर्षों में भारत के क्रिएटर्स, आर्टिस्ट्स और मीडिया कंपनियों को ₹21,000 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया है।

नील मोहन ने यह भी बताया कि आने वाले दो वर्षों में यूट्यूब भारत के क्रिएटर्स, कलाकारों और मीडिया पार्टनर्स की ग्रोथ के लिए ₹850 करोड़ से ज्यादा का निवेश करेगा। उन्होंने कहा कि यूट्यूब केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर विश्वस्तरीय क्रिएटिव टैलेंट को तराशने और भारत की विविध संस्कृति को वैश्विक मंचों तक पहुंचाने में भी सहयोग कर रहा है।

उन्होंने यह भी साझा किया कि भारत में बना कंटेंट दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है। उदाहरण के लिए, लेर्नोहब की रोशनी मुखर्जी और आर्टिस्ट किंग जैसे क्रिएटर अपने नॉलेज, इतिहास और कला को दुनिया से जोड़ रहे हैं। केवल पिछले साल ही भारत से बाहर के दर्शकों ने भारतीय कंटेंट को 45 बिलियन घंटे तक देखा।

WAVES समिट में भाग लेने के बाद नील मोहन ने कहा कि वह भारत के रचनात्मक विकास की इस यात्रा को लेकर और भी उत्साहित हैं और जल्द ही दोबारा यहां लौटने की उम्मीद करते हैं।

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देश में न्यूज पोर्टल ‘The Wire’ का एक्सेस हुआ ब्लॉक

सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए ‘द वायर’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर अपने पाठकों को संबोधित करते हुए एक ट्वीट किया है।

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Published - Friday, 09 May, 2025
Last Modified:
Friday, 09 May, 2025
The Wire

न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ (The Wire) ने भारत सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस बारे में ‘द वायर’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर एक ट्वीट भी किया है। अपने पाठकों को संबोधित करते हुए इस ट्वीट में ‘द वायर’ ने लिखा है, ‘भारत सरकार ने देशभर में उनकी वेबसाइट thewire.in का एक्सेस (Access) ब्लॉक कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के आदेश पर, आईटी एक्ट, 2000 के तहत की गई है।’

इसके साथ ही ‘द वायर‘ ने सरकार के इस कदम को ‘प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का स्पष्ट उल्लंघन’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब भारत को सच्ची, निष्पक्ष और तर्कसंगत खबरों की सबसे अधिक आवश्यकता है। ’द वायर’ ने इस सेंसरशिप को ’मनमाना और अस्पष्ट’ बताते हुए इसके खिलाफ सभी जरूरी कदम उठाने की बात कही है।

’द वायर’ ने अपने इस संदेश में यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों से पाठकों का समर्थन उनकी ताकत रहा है और इस मुश्किल समय में भी वह अपने पाठकों के साथ मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे और अपने पाठकों को सच्ची और सटीक खबरें उपलब्ध कराने के अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेंगे।’

इसके साथ ही ’द वायर’ ने इस मुद्दे को लेकर कानूनी और अन्य रास्तों पर विचार करने की बात कही है, ताकि उनकी वेबसाइट तक पाठकों की पहुंच बहाल हो सके। वहीं, खबर लिखे जाने तक सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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ऑपरेशन सिंदूर के बीच X ने भारत सरकार के आदेश पर 8,000 अकाउंट किए ब्लॉक

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) ने भारत सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है।

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Published - Friday, 09 May, 2025
Last Modified:
Friday, 09 May, 2025
X8745

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) ने भारत सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर व पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है।

X ने एक बयान में कहा, "हमें भारत सरकार से कार्यकारी आदेश प्राप्त हुए हैं, जिनमें 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहा गया है। यदि इन आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो कंपनी के स्थानीय कर्मचारियों पर भारी जुर्माना और जेल जैसी सजा का खतरा है। इन आदेशों में कुछ अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों और प्रमुख X यूजर्स के अकाउंट्स को भी भारत में ब्लॉक करने की मांग की गई है।"

प्लेटफॉर्म ने कहा कि वह इन निर्देशों का पालन करेगा और संबंधित अकाउंट्स की भारत में पहुंच को सीमित करेगा, हालांकि यह फैसला लेना आसान नहीं था। X का कहना है कि उसका मंच लोगों के लिए सूचनाओं तक पहुंच का एक अहम जरिया है।

साथ ही, X ने इस बात पर चिंता जताई कि उसे सरकार द्वारा जारी आदेशों को सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं है। कंपनी ने कहा, "इन आदेशों को प्रकाशित करना पारदर्शिता के लिए जरूरी है। जब इन्हें गोपनीय रखा जाता है, तो जवाबदेही कमजोर होती है और मनमाने फैसलों की संभावना बढ़ जाती है।"

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत-पाक तनाव के चलते सोशल मीडिया पर सूचनाओं को लेकर निगरानी और नियंत्रण पहले से अधिक सख्त हो गया है।

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केरल में डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी पर बवाल, बीजेपी व प्रेस क्लब ने जताई नाराजगी

तिरुवनंतपुरम में एक डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है।

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Published - Thursday, 08 May, 2025
Last Modified:
Thursday, 08 May, 2025
ShajanSkaria

तिरुवनंतपुरम में एक डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है। ऑनलाइन पोर्टल 'मरुनादन मलयाली' के संपादक शजन स्कारिया को सोमवार रात साइबर पुलिस ने उनके घर से हिरासत में लिया।

स्कारिया के खिलाफ यह कार्रवाई एक महिला एनआरआई की ओर से दायर मानहानि की शिकायत के आधार पर की गई, जो माहे क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं।

स्कारिया का आरोप है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उन्हें सामान्य शिष्टाचार तक नहीं दिया और उन्हें शर्ट पहनने का मौका भी नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ यह कदम राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को सामने लाने की वजह से उठाया गया है। उन्हें गिरफ्तार करने के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई।

इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राज्य प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया को चुप कराने की हरकतें स्वीकार नहीं की जाएंगी और बीजेपी इस तरह की कोशिशों का डटकर विरोध करेगी।

तिरुवनंतपुरम प्रेस क्लब ने भी स्कारिया की गिरफ्तारी के तरीके को अस्वीकार्य बताया है। क्लब का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया की स्वतंत्रता को इस तरह कुचला जाना गंभीर चिंता का विषय है।

 

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मीडिया एक्सपर्ट से एडटेक इनोवेटर बने राजकुमार रेमल्ली BidVid से गढ़ रहे नई परिभाषा

आज के समय में डिजिटल विज्ञापन न केवल महंगा हो गया है, बल्कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी भी हो गया है। ऐसे में एक क्रांति भारत में चुपचाप आकार ले रही है, न कि सिलिकॉन वैली में।

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Published - Wednesday, 07 May, 2025
Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
Rajkumar7845

आज के समय में डिजिटल विज्ञापन न केवल महंगा हो गया है, बल्कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी भी हो गया है। ऐसे में एक क्रांति भारत में चुपचाप आकार ले रही है, न कि सिलिकॉन वैली में। इसका नाम है BidVid एक एआई-एमएल आधारित बिड ऑप्टिमाइजेशन टूल, जिसे मीडिया इंडस्ट्री के दिग्गज राजकुमार रेमल्ली ने विकसित किया है। इसका एक ही लक्ष्य है: YouTube विज्ञापनों को बेहद कुशल बनाना। और दिलचस्प बात यह है कि ये टूल अपने वादों पर खरा भी उतर रहा है।

क्या है BidVid?

BidVid एक ऑटोमेटेड बिड इंजन है। इसे सीधे YouTube अभियान (विशेष रूप से Google DV360 के जरिए) में प्लग करें और यह रियल टाइम में बिड्स को ऑप्टिमाइज करना शुरू कर देता है। इसके लिए न मीडिया प्लान बदलने की जरूरत है, न कैंपेन स्ट्रक्चर, और न ही कोई संवेदनशील डेटा साझा करना पड़ता है।

यह टूल सीधे आपके अकाउंट पर काम करता है और लाइव इंप्रेशन डेटा के आधार पर बिड्स को एडजस्ट करता है — किसी पुराने ट्रेंड पर नहीं, बल्कि वास्तविक प्रदर्शन के आधार पर। नतीजा? विज्ञापनदाता माध्यम लागत में 20% तक की बचत देख रहे हैं, और कुछ मामलों में 50-70% तक की कुशलता भी हासिल कर चुके हैं।

BidVid के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रोहित ओंकार बताते हैं, “FMCG और एंटरटेनमेंट जैसी श्रेणियों में हमने देखा कि कैंपेन परफॉर्मेंस में तेज और नाटकीय सुधार हुआ। आप आज इसे जोड़ें और 24 से 48 घंटे में असर देख सकते हैं।”

कुशलता के लिए बना, हस्तक्षेप के लिए नहीं

BidVid कोई रहस्यमयी या छिपी हुई प्रणाली नहीं है। यह आपके डेटा को स्टोर नहीं करता और न ही आपकी रणनीति में दखल देता है। यह सिर्फ आपके मौजूदा टूल्स को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। इसे यूं समझिए जैसे आपकी कार के लिए एक ट्यूनिंग चिप हो — बस यहां यह आपके मीडिया खर्च को ट्यून करता है।

राजकुमार कहते हैं, “हम Google के ईकोसिस्टम की सीमाओं के भीतर रहकर ही काम करते हैं। हमारा मकसद है कि ब्रैंडस अपने मौजूदा टूल्स का अधिकतम लाभ उठा सकें।”

BidVid का डायनामिक वॉटरफॉल मॉडल हर इंप्रेशन के हिसाब से बिड को फाइन-ट्यून करता है — CPM, पहुंच और फ्रिक्वेंसी जैसे प्रमुख संकेतकों के आधार पर लगातार समायोजन करता है — ताकि किसी कमजोर इन्वेंट्री के लिए अधिक भुगतान न करना पड़े।

BidVid का विजन

राजकुमार रेमल्ली का करियर मीडिया-टेक स्टार्टअप के लिए आदर्श नींव जैसा दिखता है। उन्होंने The Times of India, Hindustan Times, NDTV Media और OpenX जैसे संगठनों में वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं। दशकों से उन्होंने इस बात पर नजर रखी है कि ब्रांड किस तरह मीडिया खरीद में कुशलता खोते हैं।

वे कहते हैं, “भारत जैसे बाजार में विज्ञापनदाताओं पर कम खर्च में ज्यादा पाने का दबाव होता है। BidVid इसी जरूरत से पैदा हुआ — यह केवल एक उत्पाद नहीं है, बल्कि प्रोग्रामेटिक विज्ञापन की सोच को नया आकार देने की कोशिश है।”

पूरी तरह भारत में विकसित BidVid आज वैश्विक मंच पर अपनी पकड़ बना रहा है। मिडल ईस्ट, साउथईस्ट एशिया और यूरोप के ब्रांड इसे अपना रहे हैं। एक डिस्ट्रीब्यूटेड टीम इस प्रयास को संभाल रही है, जो न केवल स्थानीय जरूरतें समझती है, बल्कि ब्रैंडस को लगातार ऑप्टिमाइज करने में भी मदद करती है।

इसकी अहमियत क्यों है?

YouTube आज भी दुनिया के सबसे प्रभावशाली विज्ञापन प्लेटफॉर्म्स में से एक है, लेकिन यहां गलत बिडिंग से बजट तेजी से खत्म हो सकता है। BidVid इस समस्या का समाधान बनकर उभरा है- एक एल्गोरिदमिक सहायक, जो बैकएंड से यह सुनिश्चित करता है कि हर रुपये, डॉलर या यूरो का अधिकतम असर हो।

राजकुमार बताते हैं, “कुछ मामलों में ब्रैंडस को वही परिणाम ₹100 की जगह ₹60 में मिले — और उन्हें अपने कैंपेन में कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं पड़ी।”

बढ़ती लागत, घटती ध्यान अवधि और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, BidVid जैसे टूल अब केवल सहायक नहीं, बल्कि आवश्यक बनते जा रहे हैं। 

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पहलगाम हमला व ऑपरेशन सिंदूर: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर सख्ती

महाकुंभ की रिपोर्टिंग से चर्चा में आईं तान्या मित्तल को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर्यटन से जुड़ी ब्रैंड साझेदारियों से हाथ धोना पड़ा

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 07 May, 2025
Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
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शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।” यही वह वाक्य है जिसे लिखने के बाद सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तान्या मित्तल विवादों में घिर गईं। नतीजा यह हुआ कि जिन दो राज्यों के पर्यटन कैंपेंस से वह जुड़ी हुई थीं, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश — दोनों ने सार्वजनिक रूप से किसी भी आधिकारिक साझेदारी से इनकार कर दिया।

2 मिलियन से अधिक इंस्टाग्राम फॉलोअर्स वाली मित्तल सोशल मीडिया पर खुद को “सनातनी” कहती हैं और मंदिर पर्यटन से जुड़े कंटेंट के लिए जानी जाती हैं। हाल ही में उन्होंने महाकुंभ पर कई वीडियो भी बनाए थे। लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद उनकी एक पोस्ट ने उन्हें विवाद के केंद्र में ला खड़ा किया।

समर्थन की अपील बनी सवालों का कारण

अपनी अब डिलीट की जा चुकी पोस्ट में तान्या ने बताया था कि उनके दोस्त उस दिन कश्मीर में मौजूद थे और स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की, जिससे वे सुरक्षित श्रीनगर पहुंच पाए। उन्होंने लोगों से एकता बनाए रखने की अपील भी की। लेकिन कुछ यूजर्स ने इस पोस्ट को यह कहकर निशाना बनाया कि वह हमले के “धार्मिक पक्ष” की अनदेखी कर रही हैं। हमले में मारे गए 26 लोगों में ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे।

इसके बाद दोनों राज्यों- उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पर्यटन विभागों की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया कि तान्या मित्तल के साथ कोई औपचारिक सहयोग नहीं है, जबकि उनके इंस्टाग्राम बायो में वह खुद को “ब्रैंड एंबेसडर” बताती रही हैं।

सरकारी साझेदारियों का नाजुक संतुलन

तान्या का मामला यह दिखाता है कि चाहे साझेदारी किसी ब्रैंड की हो या सरकार की, विवाद की स्थिति में उन्हें तुरंत समाप्त किया जा सकता है। पब्लिक छवि और “ब्रैंड सेफ्टी” आज भी प्राथमिकता है और राजनीति से जुड़ा कोई भी बयान संस्थानों के लिए जोखिम बन सकता है।

तान्या अकेली नहीं हैं। इस हमले से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मद्री काकोटी (डॉ. मेदूसा के नाम से मशहूर) और भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर पर भी राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। दोनों पर उत्तर प्रदेश में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हैं।

सोशल मीडिया से संकट नियंत्रण तक

सरकार ने हमले के बाद सोशल मीडिया पर जनभावना को संभालने में तेजी दिखाई। महंगे हवाई किरायों को लेकर उठे मुद्दे के बाद कई कंटेंट क्रिएटर्स ने वीडियो पोस्ट कर बताया कि सरकार ने तेजी से कार्रवाई की और हवाई सेवाएं सामान्य कर दी गई हैं।

इन पोस्ट्स में किसी भी जगह यह उल्लेख नहीं था कि वे सरकार के साथ आधिकारिक तौर पर जुड़े हैं या नहीं। एक जैसी भाषा और समय पर आई पोस्टों ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या यह सब एक संगठित पब्लिक रिलेशंस कैंपेन था और यदि हां, तो क्या यह छुपा हुआ विज्ञापन नहीं कहलाएगा?

नीति के स्तर पर भी बढ़ी सक्रियता

उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही एक डिजिटल मीडिया नीति ला चुकी है, जिसके जरिए सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए इन्फ्लुएंसर्स को औपचारिक रूप से जोड़ा जा रहा है। इसमें ₹3 लाख से ₹8 लाख प्रति माह तक की तयशुदा भुगतान व्यवस्था भी है।

लेकिन यह नीति विवादों से अछूती नहीं है। इसमें “राष्ट्रविरोधी कंटेंट” के लिए तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। अश्लील या मानहानिकारक पोस्ट करने पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी हो सकता है।

एक एजेंसी ‘V-Form’ को इसका संचालन सौंपा गया है, जो इन्फ्लुएंसर्स को उनके फॉलोअर्स के आधार पर चार श्रेणियों में बांटती है।

क्रिएटर इकोनॉमी को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा दांव

केंद्र सरकार भी इस दिशा में पीछे नहीं है। भारत को कंटेंट एक्सपोर्ट का ग्लोबल हब बनाने के लक्ष्य के साथ $1 बिलियन (लगभग ₹8300 करोड़) का फंड क्रिएटर्स के लिए तय किया गया है। इसके अलावा ₹391 करोड़ की लागत से 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी' की स्थापना की जा रही है।

EY की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की क्रिएटर इकोनॉमी 2024 में ₹125 बिलियन की थी और 2030 तक इसके ₹500 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है — 25% की सालाना वृद्धि दर के साथ।

अब संसद में भी उठा सोशल मीडिया कंटेंट का मुद्दा

पहले इंडियाज गॉट टैलेंट विवाद और अब पहलगाम हमले के बाद, सोशल मीडिया पर दिखने वाला कंटेंट संसद तक पहुंच चुका है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं IT मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि “देश के हितों के खिलाफ काम करने वाले प्लेटफॉर्म्स और इन्फ्लुएंसर्स” के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं।

मंत्रालयों से 8 मई तक जवाब मांगा गया है और संकेत हैं कि अगर संतोषजनक उत्तर नहीं मिले, तो आईटी अधिनियम के तहत कुछ प्लेटफॉर्म्स को प्रतिबंधित किया जा सकता है। 

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भारत में नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म 'Spot On' लॉन्च, इस तरह का होगा कंटेंट

‘Spot On’ नामक एक नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म आधिकारिक तौर पर लॉन्च हो गया है

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 02 May, 2025
Last Modified:
Friday, 02 May, 2025
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भारत एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां बहुसंख्यवाद के बढ़ते प्रभाव और अभिव्यक्ति की आजादी पर छाए संकट के बीच, ‘Spot On’ नामक एक नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म आधिकारिक तौर पर लॉन्च हो गया है। इसका मकसद है युवाओं तक ऐसी खबरें पहुंचाना, जिन्हें मुख्यधारा मीडिया में नजरअंदाज कर दिया जाता है और वह भी ऐसे फॉर्मेट में जो उनके लिए सहज और असरदार हो।

इस पहल की शुरुआत पत्रकार व मीडिया प्रोफेशनल श्रुति गोत्तिपाटि ने की है, जिन्होंने पहले Brut India को भारत का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला अंग्रेजी सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफॉर्म बनाया था। अब वे अपने नए स्वतंत्र मीडिया वेंचर के जरिए ऐसी सार्वजनिक हित की पत्रकारिता लाने जा रही हैं, जिसकी आज के भारत में सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है।

Spot On की खासियत है इसका तेज, स्पष्ट और डिजिटल प्लेटफॉर्म-केंद्रित वीडियो कंटेंट, जो सीधे जेन जी और मिलेनियल्स को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। यह प्लेटफॉर्म युवाओं से संवाद करता है, उन्हें ताजा, निर्भीक और सुलभ पत्रकारिता से जोड़ता है।

श्रुति कहती हैं, “हम एक असाधारण समय में हैं। भारत आज शायद विभाजन के बाद अपनी पहचान के सबसे बड़े बदलाव से गुजर रहा है। देश एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य से एक हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है और पत्रकारिता को इस सच्चाई को स्वीकार कर जवाब देना होगा। Spot On का मकसद है सत्ता से सवाल पूछना, भले ही वो कदम लोकप्रिय न हो और एक ऐसा मीडिया मॉडल बनाना जो स्वतंत्र, टिकाऊ और असरदार हो।”

Spot On का उद्देश्य पारंपरिक मीडिया के शोरगुल से अलग हटकर वह दिखाना है जो छिपा रह जाता है, और वह कहना है जो अक्सर कहा नहीं जाता। यह प्लेटफॉर्म भारत के युवाओं को न केवल जागरूक बनाएगा, बल्कि उन्हें लोकतंत्र की असल जमीन से भी जोड़ेगा।

 

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