देश के तेजी से बढ़ते लेकिन अब तक अनियंत्रित रहे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेक्टर में पारदर्शिता, व्यावसायिक अनुशासन और संचालन कुशलता लाने की दिशा में दो अहम इनेशिएटिव्स लिए गए हैं।
देश के तेजी से बढ़ते लेकिन अब तक अनियंत्रित रहे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेक्टर में पारदर्शिता, व्यावसायिक अनुशासन और संचालन कुशलता लाने की दिशा में दो अहम इनेशिएटिव्स लिए गए हैं। इंडियन इन्फ्लुएंसर गवर्निंग काउंसिल (IIGC) ने जहां ब्रैंड्स के लिए एक ‘कोड ऑफ स्टैंडर्ड्स’ यानी आचार संहिता पेश की है, वहीं AI-आधारित प्लेटफॉर्म ClanConnect ने हर आकार के ब्रैंड्स के लिए प्रीपेड इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पैकेज लॉन्च किए हैं।
ये दोनों इनेशिएटिव्स एक नियामक (regulatory) और दूसरी संचालन (operational) से जुड़ी हैं, जो मिलकर एक जिम्मेदार और दक्ष क्रिएटर इकोनॉमी की ओर इशारा करती हैं।
IIGC द्वारा जारी किया गया यह कोड इन्फ्लुएंसर और ब्रैंड्स के बीच लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को हल करने की कोशिश है। इसके तहत अब ब्रैंड्स को पेड़ पार्टनरशिप, गिफ्टेड प्रोडक्ट्स और एफिलिएट प्रमोशन्स को अनिवार्य रूप से डिस्क्लोज करना होगा। साथ ही वर्चुअल इन्फ्लुएंसर, CGI या डीपफेक जैसे भ्रामक तरीकों के इस्तेमाल पर सख्त रोक की सिफारिश की गई है।
रेगुलेटेड सेक्टर में अब ब्रैंड्स को किसी भी वैज्ञानिक दावे के साथ प्रमाणित डेटा प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कोड एक ऐसी समस्या को संबोधित करता है जो इंडस्ट्री में सबसे अधिक उपेक्षित रही है- कानूनी अनुबंधों की अनुपस्थिति। वर्तमान में लगभग 95% ब्रैंड-इन्फ्लुएंसर साझेदारियां बिना किसी लिखित अनुबंध के चल रही हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए कोड में रेडी-टू-यूज टेम्पलेट्स और बेस्ट प्रैक्टिस गाइड्स शामिल हैं।
डेटा गोपनीयता को भी केंद्र में रखते हुए अब ब्रैंड्स को डेटा संग्रहण और उपभोक्ता सहमति के मामलों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और अन्य प्राइवेसी कानूनों का कड़ाई से पालन करना होगा।
कोड को लागू करने और ब्रैंड्स को वास्तविक समय में सहायता देने के लिए IIGC ने एक विशेष टास्कफोर्स भी गठित किया है। यह टीम डिजिटल लिसनिंग, सेंटिमेंट एनालिसिस और संकट प्रबंधन जैसी सेवाएं प्रदान करेगी ताकि ब्रैंड्स अपनी प्रतिष्ठा से जुड़ी जोखिमों को समय रहते नियंत्रित कर सकें। विवादों, कॉन्ट्रैक्ट या कंटेंट विवादों के समाधान के लिए यह टास्कफोर्स मध्यस्थता भी करेगी और जरूरत पड़ने पर प्रमाणित कानूनी विशेषज्ञों से ब्रैंड्स को जोड़ने का कार्य भी करेगी।
IIGC के चेयरमैन साहिल चोपड़ा का मानना है, “ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर की साझेदारी बेहद प्रभावशाली होती है, लेकिन वह प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशील भी होती है। कोड ऑफ स्टैंडर्ड्स और टास्कफोर्स इस इंडस्ट्री को वह सुरक्षा कवच देते हैं जिसकी उसे लम्बे समय से जरूरत थी।”
जहां IIGC नियामक दिशा में सुधार ला रहा है, वहीं ClanConnect संचालन को सरल बनाने में लगा है। प्लेटफॉर्म ने 50,000 से 2.5 लाख रुपये के बीच के प्रीपेड इन्फ्लुएंसर पैकेज लॉन्च किए हैं, जो खासकर D2C ब्रैंड्स, SMEs, एजेंसियों और क्षेत्रीय कंपनियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए हैं—वे जो पारंपरिक इन्फ्लुएंसर अभियानों की जटिलताओं और लागत का सामना नहीं कर पाते।
इन पैकेजों में निश्चित आउटपुट, तय CPV (कॉस्ट पर व्यू) और गारंटीड रीच का वादा किया गया है। प्रक्रिया बेहद आसान है—पैकेज चुनें, भुगतान करें और कैंपेन लॉन्च करें- न कोई लंबी बातचीत, न ही किसी अनुमान का झंझट।
इस मॉडल में पहले से चुने गए इन्फ्लुएंसर सेट, अनुमोदित स्क्रिप्ट्स, कंटेंट चेक और फीडबैक लूप शामिल हैं, जिससे हर स्तर पर प्रक्रिया को सहज बनाया गया है। इन्फ्लुएंसर्स के लिए भी यह मॉडल फायदेमंद है, उन्हें समय पर ब्रीफ, तेज पेमेंट्स और लगातार प्रोजेक्ट्स मिलते हैं।
ClanConnect के CEO सागर पुष्प कहते हैं, “अधिकतर प्लेटफॉर्म सिर्फ इन्फ्लुएंसर से ब्रैंड की जोड़ी बनाते हैं। लेकिन असली कुशलता उस प्रक्रिया में है जो उसके बाद आती है। हमारा प्रीपेड मॉडल न सिर्फ इन्फ्लुएंसर तक पहुंच देता है, बल्कि एक विश्वसनीय और स्केलेबल फ्रेमवर्क भी प्रदान करता है।”
जैसे-जैसे यह क्षेत्र परिपक्व हो रहा है, नैतिक दिशानिर्देशों को व्यवस्थित करने और अभियान संचालन को सरल बनाने के प्रयास—ब्रैंड्स, क्रिएटर्स और उपभोक्ताओं के बीच भरोसे को बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। कभी असंगठित और अस्पष्ट रहा यह क्षेत्र अब एक जिम्मेदार, पारदर्शी और भरोसेमंद मार्केटिंग चैनल की ओर बढ़ रहा है।
अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी के इस प्लेटफॉर्म का मानना है कि टेक ईकोसिस्टम को समझना और तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और रणनीति दोनों के लिए जरूरी है।
अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी जैसे अनुभवी पत्रकारों ने ‘द आर्क’ (The Arc) नाम से कंटेंट प्लेटफॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफॉर्म सिर्फ एक और टेक न्यूज वेबसाइट नहीं है। बल्कि यह एक ऐसा कंटेंट-आधारित प्लेटफॉर्म है जो गहराई से यह समझने की कोशिश करता है कि तेजी से बढ़ती कंपनियां कैसे चलती हैं, उनकी स्ट्रैटेजी क्या हैं, लीडरशिप कैसे काम करती है और पर्दे के पीछे की स्टोरीज क्या हैं।
दरअसल, ‘The Arc’ उन लोगों के लिए बनाया गया है जो डिजिटल इकोनॉमी में बड़े फैसले लेते हैं-जैसे स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक। सुर्खियों और सबसे पहले खबर देने की दौड़ में उलझे मीडिया जगत से अलग यह कुछ बिल्कुल अलग और सुकून देने वाला काम कर रहा है।
The Arc’ की बुनियाद उस विचार पर रखी गई है जिसे 'इतिहास की आर्क' (Arc of History) कहा जाता है – यानी वह धीमा लेकिन स्थायी बदलाव जो इंडस्ट्री और अर्थव्यवस्थाओं को आकार देता है। इसके नाम की प्रेरणा भी इसी से आई है। ‘The Arc’ का मानना है कि भारत का टेक ईकोसिस्टम एक अहम मोड़ पर खड़ा है और इसे समझना, तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और स्ट्रैटेजी दोनों के लिए जरूरी है।
‘The Arc’ की सह-संस्थापक अदिति श्रीवास्तव की पत्रकारिता की समझ बहुत गहरी है, जिसे उन्होंने ‘The Economic Times’, ’Reuters ’ और ’Stellaris ’ जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स में काम करते हुए निखारा है। उन्हें स्टार्टअप्स की कार्यप्रणाली और फाउंडर्स की सोच की अच्छी समझ है। अदिति टेक मीडिया में महिलाओं की भागीदारी को लेकर मुखर रही हैं और इस प्लेटफॉर्म को एक प्रभावशाली व स्वदेशी डिजिटल ब्रैंड बनाने की कोशिश में हैं। अदिति श्रीवास्तव का कहना है, ‘टेक कंपनियां कई मायनों में बदलाव की अग्रदूत होती हैं। वे नई व्यवस्था लाती हैं, खपत बढ़ाती हैं, रोजगार और संपत्ति का स्रोत बनती हैं। लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसे नजरिये से देखा जाता है। The Arc इस सोच से बाहर निकलने की एक कोशिश है।’
वहीं, इसके दूसरे सह-संस्थापक माधव चंचानी स्टार्टअप मीडिया बीट के जाने-पहचाने नाम हैं। ‘VCCircle’, ‘The Economic Times’, ‘Times of India’ और ‘YourStory’ जैसे प्लेटॉफॉर्म्स पर काम करने का उन्हें 15 साल से अधिक का अनुभव है। माधव ने भारत के वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी जगत को उसकी शुरुआत से ट्रैक किया है। उन्होंने सुंदर पिचाई, रीड हेस्टिंग्स, ब्रायन चेस्की और जैक डोर्सी जैसे दिग्गजों का इंटरव्यू लिया है और ‘ET Startup Awards’ जैसे अहम एडिटोरियल ब्रैंड लॉन्च किए हैं।
वर्ष 2021 में उन्होंने ‘The CapTable’ नाम से एक नया प्लेटफॉर्म शुरू किया था, जिसने 18 महीनों में ही एक लाख से ज्यादा पाठक जोड़ लिए। अब ‘The Arc’ के जरिये माधव एक ऐसा डिजिटल मीडिया ब्रैंड बनाना चाहते हैं जो टेक इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए सटीक, गहन और भरोसेमंद जानकारी दे।
यह उन प्लेटफॉर्म्स से अलग है जो केवल वायरल कंटेंट या क्लिक के पीछे भागते हैं। यहां हर रिपोर्ट स्पष्टता, गहराई और इनसाइट के साथ तैयार की जाती है। टीम रोजाना बिजनेस जगत की अहम घटनाओं को कवर करती है-जैसे किसी कंपनी की कमाई, स्ट्रैटेजी या लीडरशिप में बदलाव और वो भी ऐसे लोगों के जरिये जो खुद इस ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
‘The Arc’ के फाउंडर्स का मानना है कि इस जटिल दुनिया को सही तथ्यों और सही टूल्स के बिना समझना मुश्किल है। इस प्लेटफॉर्म के फॉर्मैट्स तेज, मुफ्त और प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। खासतौर पर स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक, यानी वे लोग जो टेक आधारित इकोनॉमी में बड़े फैसले ले रहे हैं।
यही नहीं, इस प्लेटफॉर्म की कोर टीम में फाउंडिंग मेंबर हर्ष वोरा और कंसल्टिंग एडिटर कुनाल तलगेरी जैसे पत्रकार शामिल हैं, जिनके पास न्यूजरूम का गहरा अनुभव है। यह पूरी टीम भारतीय बिजनेस पत्रकारिता के स्तर को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रही है। खासकर एक अच्छी तरह से बताई गई स्टोरी के जरिए और एक-एक रिपोर्ट के साथ।
गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है।
गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है। यह नया टूल खासतौर पर 8-सेकंड के छोटे वीडियो जनरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें यूजर के इनपुट या इमेज रेफरेंस के आधार पर सिंक किए गए साउंड इफेक्ट्स, एम्बिएंट नॉइज और डायलॉग्स जैसी ऑडियो भी शामिल होती है। Veo 3 फिलहाल Google के Gemini ऐप पर AI Pro सब्सक्रिप्शन के साथ उपलब्ध है।
Veo 3 में कई अत्याधुनिक तकनीकी खूबियां शामिल हैं। यह विजुअल्स के साथ नेटिव ऑडियो जेनरेट कर सकता है, साथ ही इसमें रियल-वर्ल्ड फिजिक्स को सिम्युलेट करने की क्षमता है, जिससे मूवमेंट और ट्रांजिशन ज्यादा नेचुरल लगते हैं। यूजर टेक्स्ट, इमेज या फ्रेम-सीक्वेंस के जरिए वीडियो बना सकते हैं और कैमरा कंट्रोल के जरिए सीन की रचना को एडजस्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा यह गूगल के Flow Video Editor से भी इंटीग्रेटेड है, जिससे एडवांस्ड एडिटिंग संभव है।
Google AI Pro सब्सक्रिप्शन (जिसे पहले Gemini Advanced कहा जाता था) भारत में 1,950 रुपये प्रति माह में उपलब्ध है। इस सब्सक्रिप्शन के साथ यूजर को Veo 3, Gemini 2.5 Pro, Veo 2 वीडियो टूल्स, Whisk, NotebookLM, और 2 TB क्लाउड स्टोरेज तक की पहुंच मिलती है।
Veo 3 की सबसे खास बात है इसका ब्रांड्स और मार्केटिंग एजेंसियों के लिए इस्तेमाल। यह टूल बेहद तेजी से पर्सनलाइज्ड वीडियो कैंपेन तैयार करने, क्रिएटिव कॉन्सेप्ट्स के साथ प्रयोग करने, और विविध ऑडियंस के लिए कस्टमाइज्ड कंटेंट बनाने में सक्षम है। आज के तेजी से बदलते डिजिटल परिदृश्य में जहां तेजी से काम और बदलाव की जरूरत होती है, वहां यह टूल बड़ी भूमिका निभा सकता है।
Google ने इस लॉन्च के साथ जिम्मेदार AI प्रैक्टिसेस को प्राथमिकता देने की बात कही है। यूजर की फोटोज से बने वीडियो में एक विजिबल वॉटरमार्क और SynthID डिजिटल वॉटरमार्क शामिल होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सोर्स ट्रेसिंग सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही कंपनी ने कंटेंट पॉलिसी और सिक्योरिटी गाइडलाइंस को भी लागू किया है, ताकि गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके।
Veo 3 की भारत में उपलब्धता से प्रोफेशनल्स, क्रिएटर्स और ब्रांड्स को एडवांस AI वीडियो जेनरेशन की ताकत मिलेगी। यह लॉन्च गूगल के क्षेत्रीय AI विस्तार की रणनीति का हिस्सा है, जो भारत जैसे बड़े और तेजी से डिजिटल हो रहे बाजार में नई संभावनाओं और रचनात्मक अवसरों के दरवाजे खोलता है।
इस लॉन्च के साथ गूगल ने साफ कर दिया है कि AI अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि हर सेक्टर में रचनात्मकता और उत्पादकता का इंजन बनने जा रहा है।
भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है।
भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है। बुधवार, 2 जुलाई को कुछ अकाउंट्स भारत में अस्थायी रूप से दिखने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार ने आपात समीक्षा बैठक के बाद इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को फिर से ब्लॉक कर दिया।
करीब दो महीने पहले, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और इसके साथ ही पाकिस्तान से जुड़े हजारों सोशल मीडिया अकाउंट्स, यूट्यूब चैनल्स और न्यूज प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया था। इनमें लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों जैसे सबा कमर, मावरा होकेन, अहद रजा मीर, युमना जैदी और क्रिकेटर्स शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर जैसे नाम शामिल थे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को अचानक इन अकाउंट्स को भारत में फिर से एक्सेस किया जा सका, जिसके बाद केंद्र सरकार ने तुरंत नोटिस लिया और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई और समीक्षा के बाद फिर से कड़ा कदम उठाया और 18,000 से अधिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स को दोबारा बैन कर दिया। इसमें इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद चैनल और प्रोफाइल शामिल हैं।
सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह कदम देश की डिजिटल सुरक्षा और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
केवल सेलेब्रिटीज ही नहीं, बल्कि ‘हम टीवी’, ‘हर पल जियो’ और ‘ARY डिजिटल’ जैसे पाकिस्तानी न्यूज और एंटरटेनमेंट चैनलों के यूट्यूब व सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में दोबारा ब्लॉक कर दिया गया है।
22 अप्रैल के आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस अभियान में PoK में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक संबंध सीमित किए, बल्कि सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया था।
हालांकि, 10 मई को सीजफायर के बाद सीमाओं पर स्थिति सामान्य है, लेकिन डिजिटल मोर्चे पर भारत सख्त रुख बनाए हुए है। यह दोबारा लगाया गया प्रतिबंध इस बात का संकेत है कि सरकार पाकिस्तान से जुड़े किसी भी सांस्कृतिक या सूचना माध्यम को लेकर कोई ढील देने के मूड में नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत सरकार डिजिटल सीमाओं की निगरानी में पूरी तरह सतर्क है, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं।
मेटा (Meta) के स्वामित्व वाला वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म अब फ्लैट-फीस के बजाय प्रति मैसेज बिलिंग मॉडल पर चल रहा है।
मेटा (Meta) के स्वामित्व वाला वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म अब फ्लैट-फीस के बजाय प्रति मैसेज बिलिंग मॉडल पर चल रहा है। 1 जुलाई 2025 से लागू हुए इस नए ढांचे के तहत कंपनियों को भेजे गए हर टेम्पलेट मैसेज के लिए शुल्क देना होगा, जो अब तीन कैटेगरीज- मार्केटिंग, यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन में बांटे गए हैं।
अब प्रत्येक मार्केटिंग टेम्पलेट मैसेज पर ₹0.78 शुल्क लगेगा, जबकि यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन टेम्पलेट्स के लिए ₹0.11 प्रति मैसेज का शुल्क निर्धारित किया गया है। हालांकि, जो कंपनियां भारी मात्रा में मैसेज भेजती हैं, उन्हें ₹0.08 प्रति मैसेज तक की छूट भी मिल सकती है।
फ्लैट रेट की जगह अब प्रति मैसेज बिलिंग
पहले वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म पर कंपनियों को हर 24 घंटे की बातचीत की विंडो में भेजे गए सभी मार्केटिंग मैसेज के लिए ₹0.78 की एक समान दर देनी होती थी, चाहे वे कितने भी मैसेज भेजें। लेकिन नए मॉडल में यह सुविधा समाप्त कर दी गई है और अब हर मैसेज की गिनती के आधार पर शुल्क लगेगा।
हालांकि, कस्टमर की ओर से शुरू की गई बातचीत के भीतर भेजे गए यूटिलिटी और सर्विस से जुड़े मैसेज अब भी निशुल्क रहेंगे। लेकिन जैसे ही 24 घंटे की विंडो खत्म होती है, स्टैंडर्ड चार्ज लागू हो जाते हैं।
वॉल्यूम आधारित डिस्काउंट से घटेगी लागत
वॉट्सऐप ने यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन टेम्पलेट्स के लिए टियर-बेस्ड प्राइसिंग भी लागू की है। उदाहरण के लिए, जो कंपनियां हर महीने 25 मिलियन तक मैसेज भेजती हैं, उन्हें ₹0.115 प्रति मैसेज देना होगा। वहीं जो कंपनियां 30 करोड़ (300 मिलियन) से अधिक मैसेज भेजती हैं, उन्हें प्रति मैसेज दर ₹0.08 तक घट जाती है। यह बदलाव वॉट्सऐप को SMS और गूगल RCS जैसे विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्धा में लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
ब्रैंड्स को रणनीति बदलनी पड़ सकती है
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस नए मूल्य मॉडल के कारण कई कंपनियों को अपनी मैसेजिंग रणनीतियों पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। अब जब हर मार्केटिंग टेम्पलेट का शुल्क अलग से जुड़ रहा है, तो हो सकता है कि ब्रैंड प्रचार अभियानों की फ्रीक्वेंसी घटा दें या कुछ संवाद फिर से SMS या RCS की ओर मोड़ें।
हालांकि, जहां यूटिलिटी से जुड़े संवाद (जैसे ऑर्डर अपडेट या OTP) ज्यादा मात्रा में भेजे जाते हैं, वहां यह नया मॉडल SMS की तुलना में सस्ता साबित हो सकता है, क्योंकि ₹0.11 की दर ₹0.12–₹0.15 की सामान्य SMS लागत से कम है।
मेटा की ओर से स्पष्टीकरण
मेटा की वाइस-प्रेजिडेंट (बिजनेस मैसेजिंग) निकिला श्रीनिवासन ने इस बदलाव को "प्राइसिंग में सरलता और बिजनेस बजट में पारदर्शिता" की दिशा में एक अहम कदम बताया है। वहीं, एग्रीगेटर्स कंपनियों को आगाह कर रहे हैं कि शुरुआत में वॉट्सऐप पर वॉल्यूम शिफ्ट करने से लागत बढ़ सकती है, लेकिन यदि टेम्पलेट कैटेगरी और वॉल्यूम टियर का रणनीतिक उपयोग किया जाए तो लंबे समय में यह फायदेमंद हो सकता है।
भारत में प्रभाव अधिक
भारत वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है और यहां पर मैसेजिंग की मात्रा लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कंपनियों को जल्द से जल्द अपनी रणनीतियों में बदलाव कर, नए बिलिंग मॉडल के मुताबिक फ्री विंडो और वॉल्यूम छूट का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। इससे न केवल लागत में बचत हो सकती है, बल्कि संवाद की गुणवत्ता और ग्राहक अनुभव भी बेहतर हो सकेगा।
‘दैनिक भास्कर’ समूह की डिजिटल डिवीजन ‘डीबी डिजिटल’ (DB Digital) ने पत्रकार शुभ्रा सुमन पर और अधिक भरोसा जताते हुए उन्हें प्रमोशन का तोहफा दिया है।
‘दैनिक भास्कर’ समूह की डिजिटल डिवीजन ‘डीबी डिजिटल’ (DB Digital) ने पत्रकार शुभ्रा सुमन पर और अधिक भरोसा जताते हुए उन्हें प्रमोशन का तोहफा दिया है। इसके तहत संस्थान ने उन्हें न्यूज एडिटर के पद पर नई जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने करीब सवा दो साल पहले यहां डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर जॉइन किया था।
इससे पहले वह आईटीवी नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ (India News) में सीनियर एंकर/सीनियर प्रड्यूसर के तौर पर अपनी भूमिका निभा रही थीं। यहां अपनी करीब ढाई साल की पारी के दौरान उन्होंने चुनाव कवर करने के साथ ही डिबेट शो होस्ट किए।
पूर्व में वह ‘स्वराज एक्सप्रेस’ (Swaraj Express) और ‘जी न्यूज’ (Zee News) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने कुछ समय ‘नेशनल वॉयस’ (National Voice) चैनल में भी काम किया है।
मूल रूप से बिहार की रहने वाली शुभ्रा सुमन को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 12 साल का अनुभव है। बिहार में 'मगध यूनिवर्सिटी' से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शुभ्रा सुमन ने ‘एनडीटीवी मीडिया इंस्टीट्यूट’ (NDTV Media Institute) से पत्रकारिता की पढ़ाई की है।
मस्क ने घोषणा की है कि 27 जून 2025 से X पर सभी पेड विज्ञापनों में हैशटैग इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाएगी।
एलन मस्क एक बार फिर X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) के नियमों को बदल रहे हैं। मस्क ने घोषणा की है कि 27 जून 2025 से X पर सभी पेड विज्ञापनों में हैशटैग इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाएगी। X पर की गई एक पोस्ट में मस्क ने हैशटैग को “सौंदर्य की दृष्टि से भयावह” बताया और साफ किया कि यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को और अधिक सुव्यवस्थित और नया रूप देने की उनकी कोशिशों का हिस्सा है।
हालांकि मस्क की यह आलोचना नई नहीं है। 2024 के अंत में भी उन्होंने हैशटैग्स को "भद्दा" करार दिया था और यूजर्स को इन्हें इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी। उनका तर्क था कि X की बढ़ती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमताओं के चलते परंपरागत टैगिंग अब अप्रासंगिक हो चुकी है। अब जबकि Grok जैसे एआई टूल प्लेटफॉर्म पर खोज और जुड़ाव (engagement) को चला रहे हैं, मस्क हैशटैग्स जैसे विजुअल "क्लटर" को हटाकर एक साफ-सुथरा, एल्गोरिदम-आधारित इंटरफेस बनाना चाहते हैं।
यह बदलाव सिर्फ पेड कंटेंट पर लागू होगा। यानी ब्रैंड्स अब अपने स्पॉन्सर्ड पोस्ट्स में हैशटैग्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। हालांकि आम यूजर्स इन्हें पहले की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे।
यह विज्ञापनदाताओं के लिए एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि वे लंबे समय से हैशटैग्स का उपयोग एंगेजमेंट बढ़ाने, कैंपेन ट्रैक करने और सांस्कृतिक चर्चाओं में भाग लेने के लिए करते आ रहे हैं। इस नए नियम के साथ ब्रैंड्स को अब अपनी क्रिएटिव रणनीतियों पर दोबारा सोचना पड़ेगा और संभव है कि वे अब साफ डिजाइन और AI टारगेटिंग पर ज्यादा भरोसा करें बजाय हैशटैग-आधारित तरीकों के।
दिलचस्प बात यह है कि यह पाबंदी सिर्फ विज्ञापनों पर है, जबकि X का एआई चैटबॉट Grok अब भी आम यूजर्स को सुझाव देता है कि वे अपनी पोस्ट्स में एक या दो प्रासंगिक हैशटैग्स जरूर जोड़ें ताकि उनकी रीच और एंगेजमेंट बेहतर हो। Grok यह भी सलाह देता है कि हैशटैग्स को समय-समय पर बदलें, समुदायों से जुड़ें और पोस्ट करने के लिए पीक टाइम्स का चयन करें।
इसलिए भले ही विज्ञापन कॉपी में हैशटैग गायब हो रहे हों, ऑर्गैनिक पोस्टिंग के लिए उनका इस्तेमाल अब भी जिंदा है।
इस फैसले को लेकर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। कुछ यूजर्स ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह लंबे समय से जरूरी था और इससे प्लेटफॉर्म की दृश्य सुंदरता (aesthetic) बेहतर होगी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह मस्क के दौर में नियमों के एक और अनुमान से परे बदलाव की मिसाल है, जो ब्रैंड्स को हर बार तुरंत प्रतिक्रिया देने और खुद को ढालने के लिए मजबूर करता है।
इस बदलाव के व्यापक संकेत साफ हैं कि X अब एक न्यूनतम और AI-क्यूरेटेड भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहां अव्यवस्था को हटाकर एल्गोरिदमिक स्पष्टता को जगह दी जा रही है।
विज्ञापनदाताओं के लिए इसका मतलब है कि अब उन्हें ट्रेंडिंग हैशटैग्स पर कम और डिजाइन, कहानी और सटीक टारगेटिंग पर ज्यादा ध्यान देना होगा। प्लेटफॉर्म भले ही अब और साफ़ दिखे, लेकिन एंगेजमेंट के नियम अब और भी जटिल होते जा रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने Google LLC को निर्देश दिया है कि वह आजतक की एंकर और स्पेशल प्रोजेक्ट्स की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप के नाम और वीडियो का गलत इस्तेमाल करने वाले एक फर्जी यूट्यूब चैनल को बंद करे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने Google LLC को निर्देश दिया है कि वह आजतक की एंकर और स्पेशल प्रोजेक्ट्स की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप के नाम और वीडियो का गलत इस्तेमाल करने वाले एक फर्जी यूट्यूब चैनल को बंद करे।
'लाइव लॉ' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह आदेश अदालत ने तब दिया जब सामने आया कि उस चैनल पर अंजना ओम कश्यप की तस्वीरें, उनकी आवाज और नकली वीडियो इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिससे ऐसा लग रहा था कि चैनल उन्हीं से जुड़ा है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि इस तरह की फर्जी प्रोफाइल या यूट्यूब पेज बनाना, किसी की पहचान, प्रतिष्ठा और छवि का गलत इस्तेमाल करना है और यह कानून के खिलाफ है।
अदालत ने साफ किया कि अगर किसी पब्लिक पर्सनालिटी या न्यूज चैनल के नाम से फर्जी यूट्यूब चैनल बनाए जाते हैं, तो इससे न सिर्फ भ्रम फैलता है बल्कि गलत खबरें भी वायरल हो सकती हैं। यह दर्शकों को गुमराह कर सकता है, क्योंकि इनमें कोई संपादकीय नियंत्रण नहीं होता।
यह मामला TV Today Network Ltd. ने दायर किया था, जो आजतक चैनल चलाता है। उन्होंने अदालत से अपील की कि “अनजानोमकश्य” नाम के यूट्यूब चैनल को हटाया जाए क्योंकि उस पर अंजना ओम कश्यप की तस्वीर और फर्जी वीडियो डाले गए थे।
जस्टिस सिंह ने कहा कि भले ही कुछ वीडियो असली हों, लेकिन यदि उन्हें आजतक या कश्यप के अलावा कोई और अपलोड करता है, तो वह भी गलत है, क्योंकि उनके पास इसके कॉपीराइट नहीं हैं।
अदालत ने ये भी कहा कि अगर चैनल पर डाली गई सामग्री फर्जी है और खुद चैनल को भी इसके बारे में नहीं पता, तब भी चैनल चलाने वाली कंपनी को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी माना कि यूट्यूब चैनल अक्सर पैसे कमाने के मकसद से बनाए जाते हैं। अंजना ओम कश्यप के नाम में थोड़ा बदलाव करके, उनकी तस्वीर, आवाज और पहचान का इस्तेमाल करके वीडियो डालना पूरी तरह गैरकानूनी है।
अदालत ने Google को आदेश दिया है कि वह चैनल बनाने वाले की जानकारी दो हफ्ते में 'आजतक' को दे। इसके साथ ही, यदि Google ने उस चैनल को कोई कमाई का पैसा दिया है, तो उसकी डिटेल्स भी चार हफ्तों के अंदर कोर्ट में पेश करनी होगी।
यदि भविष्य में भी कोई ऐसा यूट्यूब चैनल या पेज सामने आता है, जिसमें अंजना ओम कश्यप की नकली प्रोफाइल इस्तेमाल की जा रही हो, तो 'आजतक' उसका लिंक Google को देगा और Google को उसे 72 घंटे के अंदर हटाना होगा। यदि Google किसी कारण से ऐसा न कर सके, तो उसे उसका कारण 'आजतक' को बताना होगा। इसके बाद 'आजतक' कोर्ट में आवेदन दे सकता है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
WhatsApp ने एक नया फीचर लॉन्च किया है जिसका नाम है Message Summaries।
WhatsApp ने एक नया फीचर लॉन्च किया है जिसका नाम है Message Summaries। यह फीचर Meta की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आपके अपठित (unread) मैसेजेज का संक्षिप्त सारांश तैयार करता है। इसका मकसद यह है कि यूज़र बिना हर एक मैसेज पढ़े, बातचीत का मुख्य बिंदु जल्दी से समझ सकें।
WhatsApp के मुताबिक, यह फीचर उन हालातों में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है जब यूज़र किसी समय तक ऐप से दूर रहे हों—जैसे फ्लाइट के बाद या मीटिंग्स के बीच—और उन्हें अपने चैट्स का तेज़ और सटीक अपडेट चाहिए हो।
ये सारांश Meta की Private Processing तकनीक के ज़रिए तैयार किए जाते हैं। कंपनी का कहना है कि इस प्रक्रिया में Meta और WhatsApp में से कोई भी न तो मैसेज कंटेंट तक पहुंच पाता है और न ही सारांश तक। पूरी प्रक्रिया निजी होती है और सिर्फ उस यूज़र को दिखाई देती है जो इस फीचर को ऑन करता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यह फीचर डिफॉल्ट रूप से सक्रिय नहीं रहता, बल्कि यूज़र को इसे मैन्युअली ऑन करना होता है। WhatsApp ने अब तक इसके वैश्विक स्तर पर लॉन्च को लेकर कोई समयसीमा घोषित नहीं की है।
यह फीचर ऐसे समय में लॉन्च किया गया है जब डेटा प्राइवेसी और एन्क्रिप्शन को लेकर बहस तेज़ है। WhatsApp पहले भी यूज़र डेटा की हैंडलिंग को लेकर आलोचना झेल चुका है—हाल ही में अमेरिकी संसद (U.S. House) ने सुरक्षा चिंताओं के चलते अपने कर्मचारियों के डिवाइसों पर WhatsApp को बैन कर दिया था।
इस नए फीचर के ज़रिए WhatsApp एक ओर जहां यूज़र अनुभव को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं वह अपनी प्राइवेसी प्रतिबद्धताओं को भी दोहराता नज़र आ रहा है।
यह नया नियम खासतौर पर गेमिंग कम्युनिटी में सक्रिय युवा कंटेंट क्रिएटर्स को प्रभावित करेगा, जहां कई स्ट्रीमर किशोरावस्था में ही लाइव ब्रॉडकास्टिंग शुरू कर देते हैं।
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम नीतिगत बदलाव करते हुए YouTube ने घोषणा की है कि अगले महीने से केवल 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के यूजर्स ही उसके प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग होस्ट कर सकेंगे। इसके साथ ही, YouTube अब ऐसे लाइवस्ट्रीम्स को भी हटाना शुरू करेगा जिनमें बच्चे बिना किसी वयस्क निगरानी के शामिल होंगे। यह कदम नाबालिगों को इंटरनेट पर संभावित खतरों से बचाने की व्यापक पहल का हिस्सा है।
यह नया नियम खासतौर पर गेमिंग कम्युनिटी में सक्रिय युवा कंटेंट क्रिएटर्स को प्रभावित करेगा, जहां कई स्ट्रीमर किशोरावस्था में ही लाइव ब्रॉडकास्टिंग शुरू कर देते हैं। हालांकि YouTube ने इस बदलाव के पीछे औपचारिक तौर पर कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान नाबालिगों के अनुचित बातचीत और हानिकारक कंटेंट के संपर्क में आने को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।
यह नया दिशानिर्देश ऐसे समय में आया है जब दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी को लेकर नियामक दबाव तेज हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया में संघीय सरकार सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर न्यूनतम आयु सीमा 16 वर्ष तय करने पर विचार कर रही है। अब तक YouTube को इससे छूट मिली हुई थी क्योंकि इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक रूप से होता है, लेकिन हाल ही में देश की eSafety कमिश्नर ने यह सुझाव दिया कि YouTube को भी इसमें शामिल किया जाए, क्योंकि उसके सोशल फीचर्स बढ़ते जा रहे हैं और उनके साथ जोखिम भी।
उम्र सीमा बढ़ाकर और बिना निगरानी के बच्चों से जुड़ी गतिविधियों पर सख्ती करके, YouTube यह संकेत दे रहा है कि वह बाल सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती से दोहरा रहा है। साथ ही, वह खुद को उन प्लेटफॉर्म्स से अलग भी स्थापित करना चाहता है जहां रियल-टाइम इंटरैक्शन पर नियंत्रण अपेक्षाकृत ढीला है।
इससे पहले नीरज मिश्रा Disney+ Hotstar में प्रोडक्ट ग्रोथ व इंटरनेशनल एक्सपैंशन के हेड की भूमिका में थे।
फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 ने नीरज मिश्रा को अपने प्रॉडक्ट मार्केटिंग का वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया है। नीरज मिश्रा ने अपने इस नए पद की जानकारी एक लिंक्डइन पोस्ट के जरिए साझा की।
मार्केटिंग और प्रॉडक्ट स्ट्रैटेजी के क्षेत्र में गहरा अनुभव रखने वाले नीरज मिश्रा ने ड्रीम11 से जुड़ने को लेकर उत्साह जाहिर किया और कहा कि वह कंपनी की निरंतर वृद्धि और नवाचार में योगदान देने को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं ड्रीम11 में प्रॉडक्ट मार्केटिंग का वाइस प्रेजिडेंट के तौर पर अपनी नई भूमिका शुरू कर रहा हूं।”
इससे पहले नीरज मिश्रा Disney+ Hotstar में प्रोडक्ट ग्रोथ व इंटरनेशनल एक्सपैंशन के हेड की भूमिका में थे।
अपने करियर के दौरान उन्होंने Amazon MX Player, ByteDance, Zee5 Global सहित कई प्रमुख कंपनियों में काम किया है। उनकी नियुक्ति को ड्रीम11 की प्रोडक्ट मार्केटिंग रणनीति को और मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।