अनुश्रव गुलाटी को टेक्नोलॉजी, डिजिटल मीडिया, प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाजिंग और रेवेन्यू ग्रोथ के क्षेत्र में काम करने का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है।
‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) ने अनुश्रव गुलाटी को अपने डिजिटल मीडिया डिपार्टमेंट में चीफ डिजिटल ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गई है।
अनुश्रव गुलाटी को टेक्नोलॉजी, डिजिटल मीडिया, प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाजिंग और रेवेन्यू ग्रोथ के क्षेत्र में काम करने का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) से की थी और फिर इंफोसिस टेक्नोलॉजीज, LetBuy.com, Lime Spot Technologies और GlobalLogic जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में विभिन्न टेक्नोलॉजी और प्रॉडक्ट लीडरशिप भूमिकाओं में कार्य किया, जहां उन्होंने ग्लोबल क्लाइंट्स के लिए प्रभावशाली डिजिटल सॉल्यूशंस प्रदान किए
बाद के वर्षों में अनुश्रव ने डिजिटल मीडिया और विज्ञापन ईकोसिस्टम में प्रवेश करते हुए नेटवर्क18, इंडिया टीवी, Timescity.com और टाइम्स इंटरनेट जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में डिजिटल परिवर्तन और रेवेन्यू ग्रोथ की दिशा में लीडरशिप भूमिका निभाई।
इसके साथ ही, उन्होंने TVOptima के साथ एंटरप्रिन्योर के फील्ड में भी हाथ आजमाया और विज्ञापन-तकनीक (ad-tech) स्टार्टअप्स के साथ काम किया और उनकी डिजिटल क्षमताओं को बढ़ाने और विज्ञापन परिणामों को बेहतर बनाने आदि में काफी योगदान दिया।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो अनुश्रव गुलाटी ने एनआईटी कुरुक्षेत्र से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री और आईआईएम कोलकाता से स्पेशल मैनेजमेंट प्रोग्राम किया है।
छह अगस्त को इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।
मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन ने ‘जी’ (Zee) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस समूह के डिजिटल बिजनेस IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। छह अगस्त को इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।
सुशांत मोहन ने इस्तीफा क्यों दिया और उनका अगला कदम क्या होगा. फिलहाल इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं मिल सकी है।
सुशांत मोहन इससे पहले डिलिजेंट मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के डिजिटल प्लेटफॉर्म DNA (डेली न्यूज एंड एनालिसिस) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि सुशांत मोहन पूर्व में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में एडिटर के तौर पर कार्य कर चुके हैं। उन्होंने ‘बीबीसी न्यूज’, ‘न्यूज18’ और ‘ओपेरा न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं। सुशांत मोहन ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) के विद्यार्थी रह चुके हैं और मास कम्युनेकशन में मास्टर डिग्री होल्डर हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर प्रदेश के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स- जैसे फेसबुक और यूट्यूब से जुड़े न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों से संवाद किया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर प्रदेश के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स- जैसे फेसबुक और यूट्यूब से जुड़े न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। इस दौरान डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन हरियाणा के सदस्यों ने मुख्यमंत्री का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
बैठक में एसोसिएशन की ओर से उठाए गए मुद्दों और मांगों पर मुख्यमंत्री ने सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया। संवाद के दौरान सीएम सैनी ने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया जनसंचार का एक प्रभावशाली माध्यम बन चुका है, जिसकी हर सूचना आम जन और समाज पर तत्काल असर डालती है।
मुख्यमंत्री ने डिजिटल पत्रकारों से आग्रह किया कि वे तथ्यपरक और जमीनी सच्चाई पर आधारित रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दें, जिससे जनता का भरोसा इस माध्यम पर कायम रह सके। उन्होंने यह भी साझा किया कि वे स्वयं समय निकालकर सोशल मीडिया पर नजर डालते हैं और कई बार वहीं से मिली जानकारियों के आधार पर त्वरित निर्णय लेने के निर्देश देते हैं।
OpenAI ने PHD को बनाया ग्लोबल मीडिया एजेंसी पार्टनर, अंतरराष्ट्रीय विस्तार की योजना को मिलेगा बल
ओपनएआई (OpenAI) ने वैश्विक मीडिया एजेंसी के तौर पर PHD को चुना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब PHD ओपनएआई के लिए ग्लोबल मीडिया प्लानिंग और बाइंग की जिम्मेदारी संभालेगी और कंपनी की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मौजूदगी को व्यापक रूप देने में मदद करेगी।
एक मीडिया रिपोर्ट में PHD के प्रवक्ता ने इस साझेदारी की पुष्टि की है। उन्होंने बयान में कहा, “हम निकट भविष्य में इस साझेदारी से जुड़े और भी कामों को साझा करने के लिए उत्सुक हैं।”
यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में OpenAI ने पूर्व कॉइनबेस (Coinbase) कार्यकारी केट राउच (Kate Rouch) को अपना पहला चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO) नियुक्त किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, OpenAI ने हाल के दिनों में अपने मार्केटिंग खर्चों में भी वृद्धि की है। कुछ प्रकाशनों का अनुमान है कि कंपनी अमेरिका में मीडिया के लिए लगभग 10 लाख डॉलर (1 मिलियन USD) खर्च कर रही है।
हाइपरलोकल डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म Way2News ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में व्यापार संचालन को सुदृढ़ करने के लिए तीन अनुभवी मीडिया प्रोफेशनल्स की नियुक्ति की है।
हाइपरलोकल डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म Way2News ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना (अपने सबसे बड़े बाजारों) में व्यापार संचालन को सुदृढ़ करने के लिए तीन अनुभवी मीडिया प्रोफेशनल्स की नियुक्ति की है। नई नेतृत्व टीम विज्ञापन राजस्व बढ़ाने, क्लाइंट संबंधों को और मजबूत करने और तेलुगू भाषी क्षेत्रों में कंपनी की पहले से सशक्त मौजूदगी को और गहराई देने में अहम भूमिका निभाएगी।
इन नई नियुक्तियों में शामिल हैं, आदपा वेंकटेश्वर राव, जिन्हें आंध्र प्रदेश के एसएमबी (स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस) मार्केट के लिए सेल्स हेड बनाया गया है, अज्जारापु भानु वेंकटेश, जिन्हें हैदराबाद के अर्बन एसएमबी मार्केट के लिए सेल्स हेड की जिम्मेदारी दी गई है और भटलापेनुमर्थी रंगनाथ, जिन्हें आंध्र प्रदेश के की और एंटरप्राइज अकाउंट्स के लिए सेल्स हेड नियुक्त किया गया है।
ये तीनों मिलकर मीडिया सेल्स, मार्केटिंग और मार्केट डेवलपमेंट में 90 वर्षों से अधिक का सामूहिक अनुभव लेकर आते हैं। इन्होंने अपने करियर में ईनाडु, साक्षी मीडिया, आंध्र ज्योति और वार्ता जैसे प्रतिष्ठित तेलुगू मीडिया समूहों में काम किया है। जैसे-जैसे विज्ञापनदाता हाई-इम्पैक्ट और डिजिटल-फर्स्ट रणनीतियों की ओर रुख कर रहे हैं, Way2News की यह नियुक्ति इस बात का संकेत है कि ब्रैंड अब बड़े स्तर पर हाइपरलोकल ऑडियंस तक पहुंचने के लिए इस प्लेटफॉर्म को कितनी अहमियत दे रहे हैं।
Way2News के फाउंडर और सीईओ, राजू वनपाला ने इन नियुक्तियों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ये भूमिकाएं हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनके जरिए हम अपने मुख्य बाजार (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में क्लाइंट एंगेजमेंट को और गहरा कर पाएंगे और राजस्व में तेज वृद्धि ला सकेंगे। इन वरिष्ठ नेताओं के पास विज्ञापन रणनीति और क्षेत्रीय मीडिया के बदलते परिदृश्य की दशकों की समझ है, जो हमें हाइपरलोकल विज्ञापन को अगले स्तर पर ले जाने में मदद करेगी।”
भटलापेनुमर्थी रंगनाथ 37 वर्षों का अनुभव लेकर आए हैं, जिनमें से 17 साल उन्होंने साक्षी मीडिया में बिताए, जहां वे डिप्टी जनरल मैनेजर तक पहुंचे। एंटरप्राइज अकाउंट्स और संचालन संभालने में उनकी गहरी विशेषज्ञता उन्हें बड़े पैमाने की विज्ञापन साझेदारियों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
अज्जारापु भानु वेंकटेश ईनाडु से 30 वर्षों का अनुभव लेकर आए हैं, जहां उन्होंने शहरी और जिला बाजारों में मार्केटिंग और एडमिनिस्ट्रेशन की बड़ी टीमों का नेतृत्व किया। हैदराबाद के अर्बन एसएमबी विज्ञापनदाताओं के साथ संबंध बनाने में उनका अनुभव बेहद उपयोगी साबित होगा।
आदपा वेंकटेश्वर राव ने भी ईनाडु में 32 वर्षों तक काम किया, जहां उन्होंने प्रमोशनल भूमिकाओं से सीनियर लीडरशिप तक का सफर तय किया। आंध्र प्रदेश सरकार और कमर्शियल विज्ञापन रणनीतियों को लेकर उनकी विशेषज्ञता खास उल्लेखनीय है।
भटलापेनुमर्थी रंगनाथ ने अपने नए रोल को लेकर कहा, “की और एंटरप्राइज अकाउंट्स संभालते हुए मैंने स्पष्ट देखा है कि विज्ञापन की दुनिया अब डिजिटल-फर्स्ट हो गई है। Way2News संपादकीय निष्पक्षता और तकनीकी नवाचार को जोड़कर ऐसे अभियानों के लिए उपयुक्त मंच बनाता है, जो आंध्र प्रदेश में बड़ा असर छोड़ सकें।”
अज्जारापु भानु वेंकटेश ने कहा, “शहरी बाजारों में काम करते हुए मैंने देखा है कि हाइपरलोकल और स्थानीय भाषा की सामग्री अब ऑडियंस एंगेजमेंट के लिए अनिवार्य हो गई है। Way2News की मोबाइल-फर्स्ट पहुंच और स्केल हमें विज्ञापनदाताओं को बेहतर सेवा देने और बाजार के बदलते ट्रेंड्स से आगे रहने का मौका देती है।”
आदपा वेंकटेश्वर राव ने कहा, “आंध्र प्रदेश में दशकों तक विविध क्लाइंट्स के साथ काम करते हुए मैंने न्यूज कंजम्प्शन में आए तेज बदलावों को बहुत करीब से देखा है। Way2News डिजिटल पहुंच और स्थानीय प्रासंगिकता का ऐसा संतुलन रखता है, जिससे विज्ञापनदाता एसएमबी बाजार से प्रभावी रूप से जुड़ सकते हैं। इस बदलते न्यूज ईकोसिस्टम में सेल्स की कमान संभालना वाकई रोमांचक है।”
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने 5 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में एक दलील दी कि OpenAI भारतीय मीडिया संगठनों की कॉपीराइट कंटेंट का बिना अनुमति उपयोग कर रहा है
भारत के डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने 5 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में एक दलील दी कि OpenAI भारतीय मीडिया संगठनों की कॉपीराइट कंटेंट का बिना अनुमति उपयोग कर रहा है, जो सीधे तौर पर अधिकारों का उल्लंघन है। यह मामला वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म्स और स्थानीय पत्रकारिता व्यवसायों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है।
सुनवाई के दौरान DNPA के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि यदि ChatGPT द्वारा मीडिया कंटेंट का बिना अनुमति इस्तेमाल इसी तरह चलता रहा तो न्यूज पब्लिशर्स का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि OpenAI न्यूज आर्टिकल्स को स्क्रैप कर अपने AI मॉडलों में संग्रहित कर रहा है, और यूजर्स को बिना किसी श्रेय या लाइसेंस शुल्क दिए वही खबरें दोबारा उपयोग करने की छूट दे रहा है। DNPA की ओर से चेतावनी दी गई कि प्रिंट और डिजिटल मीडिया समाप्त हो जाएगा, सिर्फ ChatGPT बचेगा।
यह कानूनी कार्रवाई उस मुकदमे के बाद सामने आई है जो न्यूज एजेंसी ANI ने नवंबर 2024 में OpenAI के खिलाफ दायर किया था। ANI ने भी आरोप लगाया था कि ChatGPT ने उसकी कॉपीराइटेड रिपोर्ट्स का बिना अनुमति या लाइसेंस के इस्तेमाल किया। DNPA देश के प्रमुख मीडिया घरानों- जैसे हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, नेटवर्क18, NDTV और दैनिक भास्कर की डिजिटल इकाईयों का प्रतिनिधित्व करता है।
OpenAI ने फरवरी 2025 में दायर अपनी प्रतिक्रिया में इन आरोपों से इनकार किया। कंपनी ने कहा कि उसके AI मॉडल DNPA या ANI के किसी भी कंटेंट से प्रशिक्षित नहीं किए गए हैं। OpenAI का दावा है कि वह केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग करता है, जो 'फेयर यूज' सिद्धांतों के अंतर्गत आता है। साथ ही, कंपनी ने यह भी तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट को उसके विदेशी सर्वर और संचालन पर क्षेत्राधिकार नहीं है।
विवाद की जड़ में यह सवाल है कि क्या भारत के कॉपीराइट कानून जनरेटिव AI के प्रशिक्षण तक लागू होते हैं और क्या बिना लाइसेंस कंटेंट को स्क्रैप करना उल्लंघन माना जा सकता है। DNPA का तर्क है कि न्यूज कंटेंट का इस तरह से दुरुपयोग पत्रकारिता की दीर्घकालिक टिकाऊ संरचना को कमजोर कर रहा है, जिससे मीडिया संस्थानों की आमदनी प्रभावित हो रही है और स्थानीय पत्रकारिता का आधार डगमगा रहा है।
भारतीय मार्केटर्स और मीडिया रणनीतिकारों के लिए यह मुकदमा कई अहम सवाल खड़े करता है- जैसे कि कंटेंट का श्रेय किसे मिलेगा, लाइसेंसिंग अधिकारों की संरचना कैसी होगी और AI से संचालित मीडिया वर्कफ्लोज का भविष्य क्या होगा। यदि कोर्ट का निर्णय DNPA के पक्ष में जाता है, तो OpenAI को भारत में मीडिया संगठनों के साथ लाइसेंसिंग समझौते करने पड़ सकते हैं, जैसे उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Financial Times और Time Magazine जैसे प्रकाशनों के साथ किए हैं।
यदि अदालत यह तय करती है कि जनरेटिव AI को मौजूदा कॉपीराइट ढांचे के अंतर्गत लाइसेंसिंग की आवश्यकता है, तो इसका प्रभाव Google Bard, Meta के LLaMA आधारित मॉडल और अन्य AI प्लेटफॉर्म्स तक भी फैल सकता है, जो समान डेटा-ट्रेनिंग तरीकों का उपयोग करते हैं। साथ ही यह निर्णय डिजिटल पत्रकारिता की आर्थिक अहमियत को AI के दौर में स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सकता है।
ANI और OpenAI के बीच चल रहे मुकदमे की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होने की संभावना है।
बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान ने अपनी नई फिल्म 'सितारे जमीन पर' को YouTube पर सीधे ₹100 के किराये पर रिलीज कर OTT और सिनेमाघरों की बहस को एक नया मोड़ दे दिया है।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आमिर खान ने थिएटर बनाम OTT की बहस को एक नई दिशा दे दी है। उन्होंने परंपरागत ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (जैसे Netflix, Prime Video आदि) को दरकिनार करते हुए अपनी नई फिल्म 'सितारे जमीन पर' को सीधे यूट्यूब पर ₹100 की किराए की कीमत पर रिलीज किया है।
लेकिन Applause Entertainment के मैनेजिंग डायरेक्टर समीयर नायर इसे थिएटर और ओटीटी के बीच किसी "जंग" या "विकल्प" की तरह नहीं देखते, बल्कि उनके लिए यह एक अवसर है।
उनका कहना है, “फिल्म के थिएटर में रिलीज और फिर स्ट्रीमिंग पर आने के बीच कोई आदर्श समय सीमा नहीं है। ये जरूरी नहीं कि तीन हफ्ते का गैप हो या छह महीने का, असल बात ये है कि क्या कोई फिल्म दर्शकों को थिएटर तक खींच सकती है। केवल गैप से फिल्म की किस्मत नहीं बदलती।”
आमिर खान की तरह YouTube पर पे-पर-व्यू मॉडल अपनाना नई रिलीज रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इस पर नायर कहते हैं, “YouTube दुनिया का सबसे बड़ा OTT प्लेटफॉर्म है- लोकतांत्रिक और शक्तिशाली। यदि आमिर खान लोगों को ₹100 देकर फिल्म देखने के लिए मना पा रहे हैं, तो यह सभी के लिए सीखने का मौका है। भारत में लोग आज भी पूरी सेवा के लिए भुगतान करते हैं, न कि किसी एक टाइटल के लिए, यदि यह आदत बदल सकती है।
एक्सचेंज4मीडिया की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, बालाजी टेलीफिल्म्स और द वायरल फीवर जैसे कुछ बड़े प्रोडक्शन हाउस पहले ही YouTube पर सीधे वेब सीरीज रिलीज करने लगे हैं। क्या अप्लॉज भी यही करने जा रहा है?
नायर स्वीकार करते हैं कि YouTube में संभावनाएं हैं, लेकिन वे चुनौतियों को लेकर भी स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि YouTube एक अरब लोगों तक पहुंचने वाला प्लेटफॉर्म है- बेहद विशाल और ताकतवर। इसकी खासियत इसकी ओपननेस है, कोई भी चैनल बना सकता है और अपना कंटेंट डाल सकता है। लेकिन यही से असली चुनौती शुरू होती है।
वे बताते हैं कि YouTube मूलतः विज्ञापन आधारित प्लेटफॉर्म (AVoD) है, जबकि नेटफ्लिक्स जैसे SVoD प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन पर चलते हैं। अब YouTube भी पे-पर-व्यू और पेड सब्सक्रिप्शन मॉडल आजमा रहा है, जो रचनाकारों को ज्यादा विकल्प देता है।
हालांकि, नायर मानते हैं कि YouTube पर सिर्फ कंटेंट डाल देने से वह दिखेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। उन्होंने कहा, “डिस्कवरी अपने आप नहीं होती। उसके लिए मार्केटिंग की ताकत और दिलचस्प कहानी दोनों चाहिए। यही वजह है कि नेटफ्लिक्स या एमेजॉन जैसे प्लेटफॉर्म अभी भी एक बढ़त रखते हैं- उनका सब्सक्राइबर बेस पहले से तैयार है। YouTube पर पहुंच है ज्यादा, मगर सफलता के लिए मेहनत भी उतनी ही चाहिए।”
अप्लॉज एंटरटेनमेंट, जो आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनी है, अपनी 8वीं सालगिरह के मौके पर अब थिएटर फिल्मों में बड़ा दांव लगा रहा है। Scam 1992, Criminal Justice, और Rana Naidu जैसी चर्चित वेब सीरीज के बाद अब कंपनी बड़े पर्दे के लिए सक्रिय हो गई है।
समीर नायर ने कहा कि हम कबीर खान, इम्तियाज अली के साथ फिल्में बना रहे हैं और एक तमिल फिल्म Bison भी कर रहे हैं। अब थिएटर फिल्में हमारे पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा होंगी।
नायर बताते हैं कि महामारी के बाद थिएटर में वापसी ने इस आत्मविश्वास को मजबूती दी है। छावा और सैयारा जैसी फिल्मों की सफलता बताती है कि दर्शक फिर से थिएटर की ओर लौट रहे हैं।
अप्लॉज की अगली बड़ी योजना में दुनिया के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक जेफ्री आर्चर के छह प्रसिद्ध उपन्यासों के स्क्रीन राइट्स शामिल हैं—The Clifton Chronicles, Fourth Estate, First Among Equals समेत अन्य।
नायर कहते हैं, “यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इन कहानियों में बेहतरीन किरदार, जबरदस्त ट्विस्ट और ग्लोबल अपील है। हम इन्हें भारत में बनाकर पूरी दुनिया के लिए तैयार करेंगे।”
यह पहली बार है जब अप्लॉज ने अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक IP का अधिग्रहण किया है, जो भारतीय प्रोडक्शन से वैश्विक दर्शकों के लिए कंटेंट तैयार करने की उनकी नई दिशा को दर्शाता है।
जहां कई स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अपने बजट सीमित कर रहे हैं और मुनाफे की ओर ध्यान दे रहे हैं, वहीं नायर का मानना है कि दर्शकों का ध्यान कम नहीं हुआ है, बल्कि उनकी समझ बढ़ गई है। लोग आज भी थिएटर जा रहे हैं, लंबे लेख पढ़ रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि वे अब अच्छे और बुरे कंटेंट में फर्क करने लगे हैं।
OTT इंडस्ट्री की सबसे बड़ी चुनौती पर पूछे जाने पर नायर कहते हैं, “अब विस्तार से ज्यादा जरूरी है टिकाऊपन। प्लेटफॉर्म्स को स्थायी ग्राहक चाहिए और मुनाफे के साफ रास्ते चाहिए।
Disney Star और Viacom18 जैसे बड़े मीडिया विलय को लेकर नायर मानते हैं कि यह एक अस्थायी असर डाल सकता है, लेकिन दीर्घकालिक नजरिए से यह जरूरी है।
उन्होंने कहा, “हाल ही में WAVES कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री और इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने यह साझा सपना दोहराया- भारत के मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर को $20 बिलियन से $100 बिलियन तक ले जाना। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा है।”
नायर कहते हैं कि अगर सभी प्रमुख खिलाड़ी इस सपने को साझा कर रहे हैं, तो हर बदलाव- चाहे वह मर्जर हो या नया प्रयोग, उस विकास यात्रा का हिस्सा है। और उस संदर्भ में, मैं भारत के कंटेंट भविष्य को लेकर बेहद आशावादी हूं।
आमिर खान की हालिया फिल्म 'सितारे जमीन पर' को सीधे YouTube पर ₹100 के रेंटल शुल्क पर रिलीज करने का उनका साहसी फैसला पहले तो दर्शकों की जमकर सराहना बटोरता दिखा
आमिर खान की हालिया फिल्म 'सितारे जमीन पर' को सीधे YouTube पर ₹100 के रेंटल शुल्क पर रिलीज करने का उनका साहसी फैसला पहले तो दर्शकों की जमकर सराहना बटोरता दिखा, लेकिन फिर iPhone यूजर्स को झटका लगा जब उन्हें वही फिल्म ₹179 में दिखी। पहली नजर में यह कीमतों में तकनीकी गड़बड़ी लग रही थी, लेकिन जल्द ही मामला Apple के ऐप स्टोर कमीशन सिस्टम से जुड़ा हुआ निकला।
यह फिल्म आमिर खान के नए लॉन्च हुए YouTube चैनल Aamir Khan Talkies पर रिलीज की गई है। यह कदम बॉलीवुड के किसी बड़े स्टार द्वारा पहली बार उठाया गया है, जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को पूरी तरह दरकिनार कर दर्शकों तक सीधे YouTube के ‘पे-पर-व्यू’ फीचर के जरिए पहुंचा गया। लेकिन रिलीज के कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर iPhone यूजर्स ने शिकायतें शुरू कर दीं कि उनके ऐप पर किराया ₹179 दिख रहा है, जबकि आमिर खान प्रोडक्शंस ने ₹100 की कीमत की घोषणा की थी।
इस भ्रम को दूर करते हुए प्रोडक्शन हाउस ने एक बयान जारी कर इस मूल्य अंतर को स्वीकार किया और कहा कि वे “इस मुद्दे को सुलझाने की दिशा में काम कर रहे हैं।” हालांकि, डिजिटल इकॉनमी के जानकारों ने इसे किसी तकनीकी गड़बड़ी से ज्यादा Apple की तयशुदा पॉलिसी का नतीजा बताया।
दरअसल, Apple के वैश्विक इन-ऐप परचेज ढांचे के तहत, कंपनी iOS ऐप्स के भीतर होने वाले हर डिजिटल लेन-देन पर 30% का कमीशन लेती है। ऐसे में YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स अकसर Apple डिवाइसों पर अपने मूल्य बढ़ा देते हैं ताकि यह कमीशन समायोजित किया जा सके। इसका सीधा मतलब है कि वही सेवा या प्रोडक्ट, अगर iPhone ऐप के जरिए लिया जाए तो उसकी कीमत ब्राउजर या Android की तुलना में अधिक हो जाती है।
ऐसा अंतर YouTube Premium की कीमतों में भी देखा गया है, जहां यह Android और ब्राउजर पर ₹149 में मिलता है, वहीं iOS पर इसका शुल्क ₹195 हो जाता है। हालांकि कुछ डिजिटल-प्रवीण यूजर्स को यह पॉलिसी पता होती है, लेकिन आम दर्शकों के लिए यह अंतर चौंकाने वाला रहा, खासकर तब जब वे आमिर की फिल्म को समान व पारदर्शी कीमत पर देखने की उम्मीद कर रहे थे।
अब सोशल मीडिया और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा iPhone यूजर्स को अनौपचारिक सलाह दी जा रही है कि वे फिल्म को मोबाइल या डेस्कटॉप ब्राउजर के जरिए रेंट करें, जहां कीमत अभी भी ₹100 ही है। एक बार रेंट कर लेने के बाद, फिल्म को iPhone समेत किसी भी डिवाइस पर बिना किसी रोक-टोक के देखा जा सकता है। YouTube की रेंटल पॉलिसी के अनुसार, दर्शकों को फिल्म देखने के लिए 30 दिन मिलते हैं और एक बार शुरू करने के बाद 48 घंटे के भीतर उसे पूरा करना होता है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स द्वारा लगाए जाने वाले "Apple टैक्स" और डिवाइस-आधारित मूल्य भिन्नता पर बहस को हवा दे दी है। जहां आमिर खान जैसे निर्माता सिनेमाई पहुंच को सरल और सुलभ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनकी ये कोशिशें अब भी ग्लोबल टेक कंपनियों की पॉलिसीज और डिजिटल ढांचे पर निर्भर हैं।
देशभर में लगातार फलते-फूलते कंटेंट इकोसिस्टम की रक्षा और डिजिटल पाइरेसी पर लगाम लगाने के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने एक सख्त कदम उठाया है।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
देशभर में लगातार फलते-फूलते कंटेंट इकोसिस्टम की रक्षा और डिजिटल पाइरेसी पर लगाम लगाने के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने एक सख्त कदम उठाया है। मंत्रालय ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) और अन्य मध्यस्थों को लगभग 700 वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है, जो फिल्मों, वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्रीज और अन्य प्रीमियम कंटेंट की पायरेटेड कॉपियां होस्ट कर रही थीं।
इस कार्रवाई को और प्रभावी बनाने के लिए एक अंतर्विभागीय समिति (IMC) का गठन किया गया है, जिसमें गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY), उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) और दूरसंचार विभाग (DoT) के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह समिति विदेशी सर्वर पर होस्ट की गई साइट्स और सीमा पार पाइरेसी नेटवर्क से निपटने के लिए समन्वित एक्शन प्लान तैयार करेगी। इसकी जानकारी सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने हाल ही में राज्यसभा में दी।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के आदेशों का पालन कर लिया गया है या सरकार ने अनुपालन के लिए कोई समयसीमा तय की है।
यह सख्ती ऐसे समय में की गई है जब कंटेंट क्रिएटर्स, स्टूडियोज और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पायरेटेड कंटेंट के इंटरनेट और डार्क वेब पर तेजी से फैलने को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं। थिएटर में रिलीज से लेकर एक्सक्लूसिव ओटीटी ओरिजिनल्स तक, बहुमूल्य कंटेंट अक्सर रिलीज के कुछ घंटों में ही लीक हो रहा है, जिससे राजस्व मॉडल पर असर पड़ रहा है और क्रिएटिव निवेश हतोत्साहित हो रहा है।
हर साल 25% तक राजस्व की चोरी
एक्सचेंज4मीडिया की एक पूर्व रिपोर्ट में बताया गया था कि OTT प्लेटफॉर्म्स हर साल अपने कुल राजस्व का लगभग 25% पाइरेसी के चलते गंवा देते हैं। EY और IAMAI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में भारत के एंटरटेनमेंट उद्योग को पाइरेसी के कारण 22,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ—जिसमें 13,700 करोड़ रुपये की चपत सिनेमाघरों को और 8,700 करोड़ रुपये की हानि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को हुई।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि 51% उपभोक्ताओं ने पाइरेटेड कंटेंट का उपभोग किया, यानी लगभग आधा संभावित राजस्व सीधा नाली में चला गया।
पाइरेसी वेबसाइट्स पर मोटी कमाई वाले विज्ञापन
डिजिटल सिटिजन्स एलायंस और व्हाइट बुलेट की एक 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, जो साइबर अपराधी चोरी की हुई फिल्में, टीवी शोज, गेम्स और लाइव इवेंट्स वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए उपलब्ध कराते हैं, वे सालाना 1.34 अरब डॉलर का विज्ञापन राजस्व कमाते हैं, जिसमें कई नामचीन वैश्विक कंपनियों के विज्ञापन भी शामिल हैं।
इस शोध में पाया गया कि ऐमजॉन, फेसबुक और गूगल के विज्ञापन उन पाइरेसी ऐप्स पर सबसे ज्यादा दिखे, इन तीनों ने ऐसे ऐप्स पर आने वाले प्रमुख ब्रैंड विज्ञापनों का 73% हिस्सा दर्ज किया। हालांकि, हाल के दिनों में पाइरेसी वेबसाइट्स और ऐप्स पर ऐमजॉन के विज्ञापनों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जिससे संकेत मिलता है कि डिजिटल विज्ञापन से पाइरेसी को आर्थिक बल मिलता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली पाइरेसी वेबसाइट्स हर साल 1.08 अरब डॉलर का वैश्विक विज्ञापन राजस्व अर्जित करती हैं। इनमें शीर्ष पांच वेबसाइट्स ने औसतन 18.3 मिलियन डॉलर की कमाई सिर्फ विज्ञापनों से की। इनमें से कई वेबसाइट्स लगातार अपने डोमेन बदलती रहती हैं ताकि कार्रवाई से बचा जा सके और विज्ञापन ब्लॉक लिस्ट्स को चकमा दिया जा सके।
प्रोड्यूसर्स करते हैं करोड़ों का खर्च सुरक्षा पर
पाइरेसी कंटेंट इंडस्ट्री के लिए सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि नवाचार, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और उपभोक्ता भरोसे के लिहाज से भी एक बड़ी प्रणालीगत चुनौती बन गई है। यह एक बहु-अरब डॉलर की अवैध इंडस्ट्री बन चुकी है जो उपभोक्ताओं को धोखा देती है और उन्हें विभिन्न प्रकार के साइबर खतरों के जोखिम में डालती है।
अधिकांश स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स दो या उससे अधिक साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझेदारी करते हैं ताकि उनके कंटेंट को कई परतों वाली सुरक्षा दी जा सके। इस पर अक्सर उन्हें 30 लाख रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है, जो उनकी कंटेंट रणनीति पर निर्भर करता है। ये एजेंसियां खास तकनीकी टूल्स और नेटवर्क के जरिए पायरेटेड कॉन्टेंट का पता लगाती हैं।
OTT कंपनियां सिर्फ सुरक्षा में ही नहीं, बल्कि कंटेंट लीक होने के बाद हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी संसाधनों और ऊर्जा की बड़ी मात्रा खर्च करती हैं। उनकी टीमें सर्वर पर आए असामान्य अनुरोधों के पैटर्न का अध्ययन करती हैं और पायरेटेड कंटेंट होस्ट करने वालों से संपर्क कर उसे हटाने का अनुरोध करती हैं।
हालांकि ज्यादातर मामलों में ऐसा कंटेंट हटा लिया जाता है, लेकिन Telegram और Popcorn Time जैसे बड़े मोबाइल कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म्स भारतीय न्यायिक क्षेत्र में नहीं आते, और वे अक्सर ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का हवाला देकर ऐसे अनुरोधों को खारिज कर देते हैं, ऐसा OTT कंपनियों का आरोप है।
इसी सत्र के दौरान पाञ्चजन्य ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए अपना पहला AI Mascot ‘JAI’ लॉन्च किया, जिसका नाम भगवान जगन्नाथ के नाम पर रखा गया है।
भारत में सुशासन के नए मानकों और ओडिशा की उभरती भूमिका पर केंद्रित विशेष कार्यक्रम ‘सुशासन संवाद: ओडिशा की उड़ान’ का आयोजन सोमवार, 28 जुलाई 2025 को भुवनेश्वर स्थित ताज विवांता होटल में किया गया। इस आयोजन का नेतृत्व पाञ्चजन्य ने किया, जिसमें नीति, प्रशासन और तकनीक के संगम को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र “चुनौतियां और संकल्प” में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने शिरकत की। इसी सत्र के दौरान पाञ्चजन्य ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए अपना पहला AI Mascot ‘JAI’ लॉन्च किया, जिसका नाम भगवान जगन्नाथ के नाम पर रखा गया है। मंच से संपादक हितेश शंकर ने ‘JAI’ से लाइव संवाद भी किया, जिसमें AI Mascot ने पूछे गए सवालों के बेहद सटीक, अर्थपूर्ण और रोचक जवाब दिए। उसकी प्रतिक्रियाओं ने श्रोताओं को चौंका दिया और पूरे हॉल में तालियों की गूंज सुनाई दी।
पाञ्चजन्य परिवार का हिस्सा बना 'जय'
— Panchjanya (@epanchjanya) July 28, 2025
जय AI के लांच के मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी मौजूद रहे।
जय की पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और सीएम ओडिसा से मजेदार और काम की बातचीत आप भी सुनिए!
कैसा लगा आपको जय ?
और जय से आप क्या पूछना चाहते है कमेंट जरूर करें! pic.twitter.com/amu8NjveOG
इस अभिनव पहल को मीडिया जगत के तकनीकी विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम माना जा रहा है। उपस्थित अतिथियों ने इसे डिजिटल इंडिया और सुशासन की दिशा में एक सशक्त उदाहरण बताया। मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने भी ‘JAI’ के लॉन्च को सराहते हुए कहा कि ओडिशा अब तकनीक और प्रशासन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है।
भारत में 25 से 35 लाख के बीच कंटेंट क्रिएटर्स हैं जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। लेकिन इतनी भीड़ के बावजूद एक छोटा-सा वर्ग है जो बाकियों से अलग नजर आता है।
शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत में 25 से 35 लाख के बीच कंटेंट क्रिएटर्स हैं जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। लेकिन इतनी भीड़ के बावजूद एक छोटा-सा वर्ग है जो बाकियों से अलग नजर आता है। ये वो क्रिएटर्स हैं जिनका संदेश स्पष्ट होता है, जो किसी खास विषय में माहिर होते हैं और अपने दर्शकों के साथ भरोसे का रिश्ता बनाते हैं। ऐसे क्रिएटर्स आज ब्रैंड्स का ध्यान खींच रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। बस इसलिए क्योंकि वे गुणवत्तापूर्ण, असरदार और ईमानदार कंटेंट बना रहे हैं।
आज जब इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग की दुनिया नकली आंकड़ों, फर्जी फॉलोअर्स और क्षणिक वायरल कंटेंट से भरी पड़ी है, तब ब्रैंड्स अब चुपचाप ऐसे क्रिएटर्स की ओर रुख कर रहे हैं जो असल मूल्य देते हैं, जो खास क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हैं, दर्शकों का भरोसा बनाए रखते हैं और अपने फॉलोअर्स से गहराई से जुड़ते हैं।
HashFame की पहली तिमाही की रिपोर्ट भी इसी बदलाव की पुष्टि करती है। इसमें बताया गया है कि नेहा नागर, अपूर्वा मुखिजा और साहिबा बाली जैसे क्रिएटर्स ब्रैंड की पहली पसंद बन रहे हैं। इसलिए नहीं कि वे सबसे ज्यादा शोर मचाते हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि वे लगातार, सुलझे हुए और रणनीतिक तरीके से अपने दर्शकों से जुड़ते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि टॉप 10 क्रिएटर्स में तीन समान खूबियां पाई गईं:
किसी खास विषय में विशेषज्ञता और उस पर भरोसेमंद पहचान,
अपने ऑडियंस के साथ लगातार और उच्च स्तर की एंगेजमेंट,
और कंटेंट व ब्रैंड के संदेश के बीच गहरा तालमेल।
उदाहरण के लिए—मिलेनियल्स और Gen-Z को ध्यान में रखकर मुखिजा का बोल्ड ह्यूमर, साहिबा बाली का वेलनेस फोकस्ड नैरेटिव या फिर अरविंद खर्रा का टेक्नोलॉजी पर स्पष्ट संवाद- इनका कंटेंट स्वाभाविक लगता है, थोपे हुए जैसा नहीं।
यहां तक कि मिड-टियर क्रिएटर्स जैसे विकीपीडिया और आशि अदानी, जिनके फॉलोअर्स की संख्या कम है, वे भी बड़े-बड़े “मेगा इन्फ्लुएंसर्स” की तुलना में ज्यादा एंगेजमेंट दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, नेहा नागर को 185 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल मिले, वहीं आशि अदानी को 40- इससे पता चलता है कि अब ब्रैंड्स तड़क-भड़क की बजाय ठोस और भरोसेमंद कंटेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं।
आइए नजर डालते हैं कुछ प्रमुख क्रिएटर्स की स्थिति पर
• Brand Interest: 185 • Followers: 2 मिलियन • Engagement: 1.61%
नेहा ने अपने करियर की शुरुआत IIFL Securities में एक वेल्थ मैनेजर के तौर पर की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान तब मिली जब उन्होंने पर्सनल फाइनेंस को आसान और रीटेबल तरीके (ऐसे कंटेंट, जो किसी आम इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी से मेल खाती हो) से समझाना शुरू किया। उन्होंने बजटिंग, टैक्स और पैसे बचाने जैसे जटिल वित्तीय विषयों को रोजमर्रा की भाषा में छोटे-छोटे वीडियोज के जरिए समझाया, जिससे उनकी दो मिलियन की ऑडियंस के बीच भरोसा बना।
बड़े ब्रैंड्स जैसे Kotak811, Indian Oil, HPCL, BPCLimited, Airtel India और L&T Finance उनके साथ काम कर रहे हैं, ताकि वे अपने फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को आम लोगों तक सहजता से पहुंचा सकें।
उनकी रील्स — जैसे “अगर ₹20,000 की इनकम में से ₹5,000 बचाते हैं, तो कितना बचता है?” विषयों को सरल, व्यावहारिक रूप में पेश करती हैं।
भले ही उनका एंगेजमेंट रेट 1.61% हो, जो सामान्यतः थोड़ा कम माना जाता है, लेकिन उनकी विषयवस्तु की गहराई, भरोसेमंद शैली और स्पष्ट फोकस के कारण उन्हें 185 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल्स मिलते हैं। यह दर्शाता है कि सिर्फ लाइक्स या व्यूज नहीं, बल्कि content की प्रासंगिकता और गुणवत्ता ज्यादा मायने रखती है।
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अपूर्वा मखीजा (@the.rebel.kid)
ब्रैंड इंटरेस्ट: 168 • फॉलोअर्स: 4.4 मिलियन • एंगेजमेंट: 15.34%
अपूर्वा ने खुद को Gen Z (नई पीढ़ी) के बेबाक और बिना फिल्टर वाले हास्य तथा पॉप-कल्चर पर तेज टिप्पणियों के लिए एक पहचान बना ली है।
उनका 15.34% का चौंका देने वाला एंगेजमेंट रेट दर्शाता है कि उनके फॉलोअर्स न सिर्फ उन्हें देखते हैं, बल्कि उनकी बातों पर गहराई से प्रतिक्रिया भी देते हैं। इसी वजह से उन्हें 168 ब्रैंड इंटरेस्ट सिग्नल्स मिल चुके हैं।
वह OnePlus, Netflix, Spotify, Google, Hotstar, Amazon, Maybelline, Meta, Nivea, Joy Skin Care जैसे कई बड़े ब्रैंड्स के साथ काम कर चुकी हैं।
चाहे बात ब्यूटी, फैशन की हो या सोशल कमेंट्री (समाज पर राय) की, उनका कंटेंट हमेशा खुला, बेबाक और लोगों को जोड़ने वाला होता है।
इसके अलावा उन्होंने Freakins ब्रैंड के साथ एक फैशन लाइन पर भी कोलैब किया है। हाल ही में उनके टीवी और फिल्मों में आने से उनकी पहुँच और बढ़ी है, लेकिन वे अब भी अपने बिना लाग-लपेट वाली आवाज के कारण अपने दर्शकों को बांधे रखती हैं।
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विष्णु कौशल (@thevishnukaushal)
ब्रैंड इंटरेस्ट: 103 • फॉलोअर्स: 2.1 मिलियन • एंगेजमेंट: 4.35%
विष्णु कौशल अपने कंटेंट के जरिए भारत के रोजमर्रा के जीवन पर आधारित हास्य को सांस्कृतिक कहानी कहने के अंदाज में पेश करते हैं। उनके मजेदार और लोगों से जुड़ने वाले (relatable) वीडियो और पोस्ट गूगल, एमेजॉन प्राइम, ब्लिंकिट, बेकिंगो, एयरटेल इंडिया, लिशियस फूड्स और स्प्राइट जैसे ब्रैंड्स को आकर्षित कर रहे हैं। बीते दो महीनों में उन्होंने इनमें से कई ब्रैंड्स के साथ कैंपेन पूरे किए हैं।
उनकी 4.35% की एंगेजमेंट दर यह दिखाती है कि उनका कंटेंट दर्शकों से गहराई से जुड़ता है और ब्रैंड्स के लिए यह दर्शाता है कि उनके जरिए जो कहानियां कही जाती हैं, वे असली और विश्वसनीय लगती हैं।
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प्राजक्ता कोली (@mostlysane)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 95 • फॉलोअर्स: 8.7 मिलियन • एंगेजमेंट: 4.96%
प्राजक्ता एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनकी कहानियों की शैली उनके दर्शकों के साथ समय के साथ विकसित हुई है। वो टाइम्स की टॉप 100 लिस्ट का हिस्सा रह चुकी हैं और उन्होंने गूगल, नेटफ्लिक्स, एमेजॉन, फिलिप्स, बाटा और वीनस जैसे ब्रैंड्स के साथ काम किया है।
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे सिर्फ स्केच या मजेदार वीडियो नहीं बनातीं, बल्कि अपने कंटेंट के जरिए संवाद शुरू करती हैं। उनके वीडियो में अक्सर कोई चैलेंज या "कॉल टू एक्शन" (यानि दर्शकों से कुछ करने की अपील) होता है, जिससे उनकी 8.7 मिलियन की विशाल ऑडियंस खुद को शामिल महसूस करती है।
अरविंद खरा (@techmasterco)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 77 • फॉलोअर्स: 4.6 मिलियन • एंगेजमेंट: 2.15%
अरविंद टेक-एक्सप्लेनर (तकनीकी समझाने वाले) कंटेंट की कैटेगरी में काम करते हैं। वो आसान और सभी को समझ आने वाली भाषा में गैजेट रिव्यू और ट्यूटोरियल बनाते हैं। सैमसंग, HP और शाओमी जैसे ब्रैंड्स उनके साथ अक्सर रिव्यू और “कैसे करें” (how-to) टाइप कंटेंट पर काम करते हैं।
उनके पास 4.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं और उनकी प्रेजेंटेशन (प्रस्तुति) की शैली साफ-सुथरी और स्पष्ट होती है। इसी वजह से वो ऐसे टेक-प्रेमी दर्शकों के बीच एक भरोसेमंद आवाज बन गए हैं, जो बिना किसी झंझट के, सीधी और साफ जानकारी चाहते हैं।
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पारुल गुलाटी (@gulati06)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 69 • फॉलोअर्स: 1.7 मिलियन • एंगेजमेंट रेट: 1.75%
पारुल गुलाटी एक ऐसी डिजिटल क्रिएटर हैं जो लाइफस्टाइल, एंटरटेनमेंट, फाइनेंस और सेल्फ-ग्रोथ जैसे विषयों का संयोजन अपने कंटेंट में पेश करती हैं। उन्होंने Veet India, Dot & Key, Nivea, Licious और ALT Balaji जैसे ब्रैंड्स के साथ काम किया है।
इसके अलावा, पारुल Nish Hair नाम की अपनी खुद की D2C (Direct-to-Consumer) हेयर एक्सटेंशन ब्रैंड की संस्थापक भी हैं। उन्होंने Shark Tank India शो में हिस्सा लिया था और ₹1 करोड़ की फंडिंग के बदले 2% इक्विटी दी थी।
उनकी यह उद्यमिता यात्रा (entrepreneurial journey) उनके व्यक्तित्व को और गहराई देती है, जिससे उनके दर्शक न केवल उनकी क्रिएटिविटी से बल्कि उनकी लगन और प्रेरणा से भी जुड़ाव महसूस करते हैं।
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साहिबा बाली (@sahibabali)
• ब्रैंड इंटरेस्ट (Brand Interest): 55 • फॉलोअर्स: 7.48 लाख • एंगेजमेंट रेट: 10.36%
साहिबा बाली का कंटेंट उनकी निजी जिंदगी के अनुभवों, वेलनेस रूटीन, फैशन, और आध्यात्मिक विचारों (spiritual reflections) को समेटे होता है। Zomato और पंजाब किंग्स (PBKS) जैसे ब्रैंड्स ने उनके साथ साझेदारी की है।
उनकी एंगेजमेंट रेट बहुत मजबूत है (10.36%), यानी उनके फॉलोअर्स उनकी पोस्ट्स पर एक्टिवली प्रतिक्रिया देते हैं और जुड़ाव महसूस करते हैं। उनका कंटेंट सच्चाई और विश्वसनीयता (authenticity) पर आधारित होता है, जिसकी वजह से ब्रैंड्स के साथ उनकी साझेदारी को दर्शक भरोसेमंद मानते हैं।
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 52 • फॉलोअर्स: 10 लाख • एंगेजमेंट रेट: 12.07%
विक्की छोटे-छोटे (bite-sized) मोटिवेशनल और एजुकेशनल वीडियो बनाते हैं। उनकी तेज, प्रभावी स्टोरीटेलिंग के चलते उन्होंने Airtel India और कई अन्य ब्रैंड्स के साथ शैक्षणिक, सेल्फ-हेल्प और कॉरपोरेट अभियानों में काम किया है।
वे जटिल विचारों को एक मिनट से कम समय में सरल और स्पष्ट रूप में समझा देते हैं, जिससे उनका कंटेंट थॉट लीडरशिप कैंपेन (Thought Leadership Campaigns) के लिए एकदम उपयुक्त बन जाता है।
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रवि गुप्ता (@shudhdesicomic)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 46 • फॉलोअर्स: 32 लाख • एंगेजमेंट रेट: 8.66%
रवि गुप्ता अपने कॉमेडी कंटेंट में भारतीय पारिवारिक और सामाजिक जीवन का तड़का लगाते हैं। उनके स्केच आम लोगों की ज़िंदगी से जुड़े होते हैं, जिससे लोग आसानी से जुड़ पाते हैं।
वह boAt, McDowell’s Soda, Uber, Zomato, Spinny, Vastrado, Housing.com, Amazon MX Player (जैसे “My Girlfriend is an Alien” कैंपेन), और Samsung India (Galaxy Z Fold7) जैसे बड़े ब्रैंड्स के साथ काम कर चुके हैं।
उनका ह्यूमर ऐसा है जो ब्रैंड्स के मैसेज को हल्के-फुल्के, मज़ेदार लेकिन सामाजिक रूप से प्रासंगिक अंदाज़ में पेश करता है, जिससे दर्शक न सिर्फ हँसते हैं बल्कि ब्रैंड की बात भी पकड़ लेते हैं।
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आशी अडानी (@aashiadani)
• ब्रैंड इंटरेस्ट: 40 • फॉलोअर्स: 2.88 लाख • एंगेजमेंट रेट: 5.40%
हालांकि आशी अडानी एक छोटी क्रिएटर हैं, लेकिन उनका कंटेंट साफ-सुथरा, भरोसेमंद और प्रभावशाली होता है। इसी कारण से उन्हें कई नामी ब्यूटी और लाइफस्टाइल ब्रैंड्स के साथ काम करने का मौका मिला है- जैसे Garnier, Lakmé, MAC, Myntra, Amazon, Maybelline, Kiro Beauty, MyGlamm, Nykaa, Clinique, Mamaearth, Dove, CeraVe आदि।
उनकी 5.4% की एंगेजमेंट रेट यह दिखाती है कि उनके फॉलोअर्स उनके कंटेंट से अच्छी तरह जुड़ते हैं। इस वजह से बुटीक और प्रीमियम ब्यूटी ब्रैंड्स उन्हें खास पसंद करते हैं, क्योंकि उनके जरिए ब्रैंड्स को भरोसेमंद और टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुंचने में मदद मिलती है।
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ये क्रिएटर्स क्यों हैं सबसे अलग
इन 10 क्रिएटर्स की कामयाबी के पीछे एक मजबूत फॉर्मूला है- वे अपने खास क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं (niche authority), अपनी ऑडियंस का भरोसा जीत चुके हैं (community trust), उनके कंटेंट में सच्चा जुड़ाव होता है (meaningful engagement), और वे अपनी आवाज और ब्रैंड की जरूरतों के बीच संतुलन बख़ूबी साधते हैं। ये ट्रेंड के पीछे नहीं भागते- बल्कि अपनी ऑडियंस से गहरा, टिकाऊ रिश्ता बनाते हैं।
चाहे वह नेहा की फाइनेंस की समझ हो, अपूर्वा की जेन जी से जुड़ने की क्षमता, या पारुल की एंटरप्रेन्योरशिप की असली झलक- हर क्रिएटर ने अपनी एक अलग जगह बना ली है। ये इस बात का प्रमाण हैं कि लगातार और सही टारगेट किया गया कंटेंट किसी भी तड़क-भड़क वाले एकबारगी वायरल कंटेंट से कहीं ज्यादा प्रभावशाली हो सकता है।
भारत में क्रिएटर इकोनॉमी की ताकत
BCG की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में डिजिटल क्रिएटर्स उपभोक्ताओं के $350–400 बिलियन के खर्च को प्रभावित करते हैं और यह आंकड़ा 2030 तक $1 ट्रिलियन को पार कर सकता है। भारत में इस समय करीब 20 से 25 लाख सक्रिय डिजिटल क्रिएटर्स हैं (जिनके 1000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं), लेकिन इनमें से केवल 8–10% ही अपने कंटेंट से सही मायनों में कमाई कर पा रहे हैं।
फिलहाल क्रिएटर इकोनॉमी की डायरेक्ट कमाई $20–25 बिलियन आंकी गई है, जो 2030 तक पांच गुना बढ़कर $100–125 बिलियन तक पहुंच सकती है।
शॉर्ट वीडियो और लोकप्रिय जॉनर
रिपोर्ट यह भी बताती है कि शॉर्ट फॉर्म वीडियो का बोलबाला है- कॉमेडी, फैशन, डेली सोप्स और फिल्में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले जॉनर हैं। ब्रैंड अब क्रिएटर-निर्देशित मार्केटिंग में निवेश को 1.5 से 3 गुना तक बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे यह साफ है कि अब कारोबार के मॉडल तेजी से बदल रहे हैं और क्रिएटर्स की अगुवाई में नए तरीके से ढल रहे हैं।
असली असर उन्हीं का है जो सच्चे हैं
भारत की मौजूदा क्रिएटर इकोनॉमी में असली प्रभावशाली वही हैं जो सबसे बड़े नहीं, बल्कि सबसे सच्चे हैं- जो अपनी कला को गंभीरता से लेते हैं, अपनी ऑडियंस को करीब रखते हैं। वे केवल व्यूज नहीं, बल्कि ध्यान खींचते हैं। केवल क्लिक नहीं, भरोसा कमाते हैं। और यही आज ब्रैंड्स को चाहिए- ऐसे लोग जो दिखावे से नहीं, ईमानदारी से काम करें।
आगे का रास्ता
आज के समय में ये जरूरी नहीं कि सबसे ज्यादा शोर मचाने वाला या सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाला ही सबसे असरदार हो। असली बात है- कौन सच्चा है? ब्रैंड्स अब इस बात को समझ रहे हैं। वे अब उन्हीं क्रिएटर्स पर भरोसा कर रहे हैं जो किसी मकसद के साथ आते हैं, जो अपनी ऑडियंस की नब्ज पहचानते हैं और जबरन कुछ बेचने की कोशिश नहीं करते। चाहे फाइनेंस हो, वेलनेस या टेक्नोलॉजी, जिन क्रिएटर्स की आवाज दिल से निकलती है और जो अपने दायरे में टिके रहते हैं, वही अब असली फर्क पैदा कर रहे हैं। और अगर ये रफ्तार बरकरार रही, तो आने वाले समय में भी यही सच्चे, जमीन से जुड़े क्रिएटर्स इंडस्ट्री को आगे ले जाते रहेंगे- हर एक सच्चे और सोच-समझकर किए गए ब्रैंड कोलैबरेशन के जरिए।