सुधीर चौधरी ने साझा किया महाकुंभ में स्नान का आध्यात्मिक अनुभव, श्रद्धालुओं से की ये अपील

'आजतक' न्यूज चैनल के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे अपने महाकुंभ में स्नान के अनुभव को साझा कर रहे हैं।

Vikas Saxena by
Published - Friday, 31 January, 2025
Last Modified:
Friday, 31 January, 2025
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'आजतक' न्यूज चैनल के कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे अपने महाकुंभ में स्नान के अनुभव को साझा कर रहे हैं। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि यह स्नान केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए भी आवश्यक है।

सुधीर चौधरी ने वीडियो में कहा कि महाकुंभ में स्नान को साधारण स्नान समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यह जीवन में केवल एक बार मिलने वाला विशेष अवसर है, जिसे आत्मिक शांति और शुद्धिकरण के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि स्नान से पहले मन और शरीर को पूरी तरह शांत करना चाहिए और अपनी सभी नकारात्मक भावनाओं को एकत्र कर महाकुंभ में प्रवाहित कर देना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ में स्नान केवल जल में डुबकी लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मोक्ष, आत्मा की शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक तरीका है। इस दौरान व्यक्ति को अपने इष्ट देवता का ध्यान करना चाहिए, "ओम नम: शिवाय" का जाप या हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए, जिससे आध्यात्मिक अनुभव और गहरा हो जाता है।

सुधीर चौधरी ने अपने वीडियो में दर्शकों से आग्रह किया कि वे इस पवित्र स्नान को सिर्फ एक परंपरा न समझें, बल्कि इसे एक आध्यात्मिक साधना के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा कि सही भाव और ध्यान के साथ किया गया स्नान आत्मा को हल्का और शांत करता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस होता है।

उनका यह वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो के जरिए उन्होंने अपने अनुभव को लोगों तक पहुंचाया और महाकुंभ में स्नान के महत्व को आध्यात्मिक दृष्टि से समझने की प्रेरणा दी।

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देखिए, सोचिए फिर समझिए, क्या है सुमित अवस्थी की Viral Clips का सच!

वरिष्ठ टीवी पत्रकार सुमित अवस्थी का एक पॉडकास्ट इंटरव्यू इन दिनों चर्चा में है। यह इंटरव्यू यूट्यूबर भानू पाठक के चैनल पर प्रसारित हुआ था और अब सोशल मीडिया पर इसकी कई क्लिप्स वायरल हो रही हैं।

Vikas Saxena by
Published - Sunday, 20 July, 2025
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Sunday, 20 July, 2025
Sumit Awasthi Podcast..

विकास सक्सेना, समाचार4मीडिया।।

वरिष्ठ टीवी पत्रकार सुमित अवस्थी का एक पॉडकास्ट इंटरव्यू इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यह इंटरव्यू यूट्यूबर भानू पाठक के चैनल पर प्रसारित हुआ था और अब सोशल मीडिया पर इसकी कई क्लिप्स वायरल हो रही हैं।

इन क्लिप्स में सुमित अवस्थी मुख्यधारा मीडिया की आलोचना पर अपनी राय साफगोई से व्यक्त करते दिखाई देते हैं। लेकिन जो क्लिप्स वायरल हो रही हैं, वे महज इस बातचीत का एक छोटा सा हिस्सा हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इन कुछ सेकंड की क्लिप्स के आधार पर पूरी बातचीत का मूल्यांकन करना उचित है?

जिन लोगों ने पूरा वीडियो देखा है, उनका मानना है कि सोशल मीडिया पर चल रही बहस और वायरल हिस्सों को देखने से स्पष्ट है कि वीडियो की कुछ क्लिप्स को काटने के बाद उन्हें वायरल कर एक खास नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है। सुमित अवस्थी का पूरा इंटरव्यू करीब एक घंटे से अधिक का है, जिसमें वह मीडिया की संरचना, पत्रकारों की सीमाएं और सत्ता प्रतिष्ठानों की अपेक्षाओं को लेकर बेहद ईमानदारी से बात करते हैं। लेकिन इन बातों को बाहर निकालने के बजाय, केवल उन अंशों को हाईलाइट किया जा रहा है जो सनसनीखेज प्रतीत होते हैं।

सुमित अवस्थी ने ये इंटरव्यू अपनी पहली किताब ‘Unfinished- The end of Kejriwal era?’ के प्रमोशन के लिए जाने माने सोशल मीडिया इन्फ्लुंसर भानु पाठक को दिया था। भानु पाठक को पिछले साल मोदी सरकार ने बेस्ट सोशल मीडिया इन्फलुंएसर का अवॉर्ड भी दिया था।

दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी क्यों चुनाव हारी? आम आदमी पार्टी से क्यों दिल्ली का वोटर दूर हो गया? क्या अब केजरीवाल की पार्टी फिर से वापसी कर पाएगी? इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश सुमित अवस्थी अपनी इस किताब में कर रहे हैं। Invincible Publisher ने इसे छापा है और इस किताब में दस साल की दिल्ली सरकार के प्रशासनिक कामकाज और उन पर लगे आरोपों का पूरा लेखा-जोखा है!

इस पॉडकास्ट में सुमित अवस्थी ने विभिन्न राजनेताओं के साथ अपने लंबे करियर के दौरान जो मुलाकातें हुई हैं, उस पर भी रोशनी डाली है। जैसे सुमित अवस्थी ने बताया है कि कैसे तमाम राजनेता अलग-अलग अंदाज में संवाद करते हैं। उमर और फारूक अब्दुल्ला को उन्होंने चुनौतीपूर्ण लेकिन विद्वान बताया, वहीं अखिलेश यादव को वर्तमान में मीडिया को लेकर काफी असहज और आक्रामक बताया। उनके मुताबिक कुछ नेता इंटरव्यू की शुरुआत में ही पत्रकार को दबाने की कोशिश करते हैं, जिससे निष्पक्ष बातचीत मुश्किल हो जाती है।

सुमित अवस्थी ने अमित शाह को ‘फुल ऑफ डेटा’ बताया जो हर सवाल का सहजता से सामना करते हैं, जबकि नरेंद्र मोदी की संवाद शैली को उन्होंने ‘कम बोलने और ज्यादा सुनने’ वाला बताया। उन्होंने मोदी की जनता की नब्ज पहचानने की क्षमता की सराहना की। मोदी की संवाद शैली को उन्होंने उनके पहले के सभी प्रधानमंत्रियों से बिल्कुल इतर बताई और उसकी वजह शायद सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को बताया है।

उन्होंने यह भी कहा कि आज की राजनीति में वैचारिक टकराव से इतर व्यक्तिगत समीकरण कहीं ज्यादा प्रभावशाली होते हैं। संसद में तीखी बहस के बाद तमाम नेता निजी आयोजनों में एक-दूसरे से हंसी-मजाक करते देखे जाते हैं। ‘ये करियर पॉलिटिशियन हैं, क्रांति के लिए नहीं आए’, इस कथन में सुमित अवस्थी ने राजनीतिक यथार्थ को बिना लाग-लपेट के सामने रखा।

सुमित अवस्थी ने अपने करियर के व्यक्तिगत अनुभवों का भी जिक्र किया है। गुजरात दंगे, IC 814 का अपहरण, संसद पर हुआ आतंकी हमला, मुरली मनोहर जोशी के साथ हुआ उनका विस्फोटक इंटरव्यू जैसे तमाम किस्से सुनाए हैं और ये बताया है कि किस तरह से पत्रकारों का जीवन बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है।

इसके साथ ही उन्होंने मीडिया और सत्ता के बीच चलने वाले व्यावसायिक समीकरणों और पत्रकारों की व्यावसायिक सीमाओं पर भी खुलकर बात की, जो इस इंटरव्यू को एक संतुलित, अनुभवजन्य और आत्मविश्लेषी दस्तावेज बनाता है।

इस विवाद के पीछे एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या किसी पत्रकार द्वारा व्यवस्था की वास्तविकताओं को उजागर करना, उनकी छवि के लिए सकारात्मक साबित होगा या यह उन्हें निशाने पर ले आएगा? सुमित अवस्थी ने किसी विशेष दल या नेता पर सीधा हमला नहीं किया, बल्कि मीडिया संस्थानों की सरकारी विज्ञापनों पर निर्भरता और पत्रकारों की व्यावसायिक मजबूरियों की बात कही। और वो ये बात कहते हुए साफ करते हैं कि वो सरकारें केंद्र की हों या फिर राज्यों की हर संस्था विज्ञापन देने के बहाने मीडिया हाउस पर नियंत्रण रखना चाहती हैं।

सुमित अवस्थी इस संकट से निपटने का सुझाव देते भी इस इंटरव्यू में नजर आते हैं कि मीडिया हाउसेज को विज्ञापनों के नियंत्रण से बाहर निकालने के लिए दर्शक को भी अब आगे आना चाहिए और उन्हें सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल को अपनना चाहिए। सुमित अवस्थी का इस पॉडकास्ट में कहना है, ‘आप अपनी पसंद के न्यूज चैनल को देखने के मासिक या वार्षिक फीस दीजिए। इससे चैनलों और अखबारों की जवाबदेही दर्शकों के प्रति रहेगी, न कि किसी भी सरकार या संस्था के।’ यही बात आज के दौर में चर्चा और विवाद का विषय बन गई है।

दरअसल, यह पूरा मामला पत्रकारिता और उसके भीतर की जटिलताओं को लेकर एक बहस का अवसर देता है। सच्चाई यह है कि मीडिया संस्थानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की मांग जितनी जरूरी है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी। सुमित अवस्थी ने बस इसी कठोर सच्चाई को शब्द दिए हैं। उनकी इसी साफगोई को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश कुछ पार्टियों से जुड़े ट्विटर हैंडल कर रहे हैं। ऐसे ट्विटर हैंडल क्लिप्स या रील काटछांट और एडिटिंग करके वायरल बना रहे हैं। जानकारों का मानना है कि ये इसलिये भी हो रहा है कि बिहार में चुनावी माहौल अब गरमा गया है।

ऐसे में यह जरूरी है कि दर्शक सिर्फ वायरल क्लिप्स नहीं, पूरी बातचीत देखें। क्योंकि आधी-अधूरी तस्वीर अक्सर भ्रम पैदा करती है, न कि समझ! सुमित अवस्थी की किताब “Unfinished- The End of Kejriwal Era?” एमेजॉन पर ऑनलाइन भी उपलब्ध है! आप यहां क्लिक करके इसे ऑर्डर कर सकते हैं।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

इस पूरे पॉडकास्ट को आप यहां देख सकते हैं।

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मिड-डे में प्रकाशित ऐड और फ्लाइट क्रैश की ‘भयानक समानता’ ने सोशल मीडिया को चौंकाया

12 जून की सुबह मिड-डे अखबार में छपे एक विज्ञापन ने कुछ ही घंटों बाद एक भयानक हवाई हादसे के चलते ऐसी सनसनी फैलाई, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 14 June, 2025
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Saturday, 14 June, 2025
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12 जून की सुबह मिड-डे अखबार में छपे एक विज्ञापन ने कुछ ही घंटों बाद एक भयानक हवाई हादसे के चलते ऐसी सनसनी फैलाई, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। अखबार के पहले पन्ने पर छपे इस विज्ञापन में एक एयर इंडिया के विमान की तस्वीर थी, जो एक इमारत से निकलती दिखाई गई थी। इसी दिन दोपहर में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से लंदन रवाना होने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि सिर्फ एक व्यक्ति बच पाया।

ऐड में दिखा वही दृश्य, जो बना हादसे की परछाईं

यह विज्ञापन किडजेनिया की ओर से प्रकाशित किया गया था, जो बच्चों के लिए बना एक थीम पार्क है जहां वे पायलट, केबिन क्रू जैसी भूमिकाएं निभाकर सीखते हैं। विज्ञापन में एक कार्टून शहर और उसमें से निकलता एयर इंडिया ब्रैंडेड विमान दिखाया गया था। यह वही डिजाइन था जो किडजेनिया के एविएशन एकैडमी में लंबे समय से उपयोग में है।

किडजेनिया ने इस विज्ञापन के लिए एयर इंडिया के साथ साझेदारी की थी। पिछले साल जुलाई में एयर इंडिया ने X (पूर्व ट्विटर) पर कहा था: "Dreams take off here!" — दिल्ली-एनसीआर में किडजेनिया के साथ मिलकर एकैडमी की शुरुआत के वक्त ठीक यही विजुअल पेश किया गया था।

सोशल मीडिया पर उठा सवाल: यह इत्तेफाक था या इशारा?

जैसे ही हादसे की खबर सामने आई और लोगों ने विज्ञापन से उसका विजुअल मेल देखा, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। किसी ने इसे “डरावना संयोग” कहा, तो किसी ने पूछा- “क्या यह कोई इशारा था?” कुछ ने तो इसे “पूर्व चेतावनी” जैसा बताया। एक यूजर ने लिखा, “वही एयरलाइन, वही विजुअल – कितना अजीब संयोग है।” इस ‘भयानक समानता’ ने कई लोगों को गहराई तक झकझोर दिया।

हादसे पर दुख, ऐड पर सफाई

हादसे के बाद किडजेनिया इंडिया ने NDTV से बातचीत में किडजेनिया ने एयर इंडिया विमान हादसे पर गहरा दुख जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, “हम इस त्रासदी से प्रभावित सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं।”

उन्होंने विज्ञापन को लेकर भी सफाई दी कि, “मिड-डे में प्रकाशित यह विज्ञापन पहले से ही एक समर कैंपेन का हिस्सा था और हादसे से इसका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि विज्ञापन में दिखाया गया प्लेन उनके ‘एविएशन एकेडमी’ कार्यक्रम से जुड़ा है, जो एयर इंडिया के साथ साझेदारी में चलाया जाता है। कंपनी ने कहा कि हमने इस ऐड की आगे की प्रमोशन रोक दी है क्योंकि यह समय संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि इस ऐड की टाइमिंग पूरी तरह से एक इत्तेफाक है। 

एक संयोग, जिसने एक समुदाय को सोचने पर मजबूर कर दिया

हालांकि विज्ञापन और हादसे के बीच कोई वास्तविक संबंध नहीं है, लेकिन जिस दिन, जिस विजुअल और जिस विमान ब्रैंड की चर्चा हुई, उसी दिन वही विमान हादसे का शिकार हुआ—यह इतना गहरा संयोग था कि उसने सिर्फ इंटरनेट ही नहीं, बल्कि विमानन से जुड़े हर शख्स को भावनात्मक रूप से हिला कर रख दिया।

यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि जिंदगी में कभी-कभी संयोग भी भविष्य की परछाइयों जैसे लगने लगते हैं।

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महिला पत्रकार से लाइव रिपोर्टिंग के दौरान बच्चे ने की अश्लील टिप्पणी, यह देख हंसा पिता

मिशेल ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने बच्चे और व्यक्ति के चेहरे ब्लर कर दिए। उन्होंने लिखा कि मेरे रिपोर्टिंग करियर में यह सबसे परेशान कर देने वाली घटनाओं में से एक है।

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Published - Monday, 14 April, 2025
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Monday, 14 April, 2025
Michelle Mackey

टोरंटो के रॉजर्स सेंटर के बाहर एक लाइव रिपोर्टिंग के दौरान कनाडा की सिटी न्यूज की पत्रकार मिशेल मैकी के साथ एक बेहद आपत्तिजनक घटना हुई। रिपोर्टिंग के दौरान एक बच्चा और एक पुरुष उनके पास से गुजरे और उस दौरान बच्चे ने एक अश्लील टिप्पणी की, जो एक पुराने इंटरनेट मीम से जुड़ी हुई थी। 

मिशेल मैकी अपना काम कर रही थीं, उस छोटे लड़के ने जोर से चिल्लाकर कहा 'F–k her right in the p—y'। उसके साथ जो आदमी था, वह इस आपत्तिजनक टिप्पणी पर जोर से हंस पड़ा। मिशेल का चेहरा इस घटना के बाद साफ तौर पर असहज और हैरान नजर आया। यह वही लाइन थी, जो 2014 के दौरान एक वायरल मीम के तौर पर सामने आया था और महिला पत्रकारों को लाइव रिपोर्टिंग के दौरान टारगेट करने के लिए ट्रोल्स द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस मीम को लेकर पहले भी कई बार आलोचना हो चुकी है, क्योंकि यह महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार को बढ़ावा देता है।

मिशेल ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने बच्चे और व्यक्ति के चेहरे ब्लर कर दिए। उन्होंने लिखा, "मेरे रिपोर्टिंग करियर में यह सबसे परेशान कर देने वाली घटनाओं में से एक है। लगभग 8-9 साल का बच्चा यह बात मुझसे कहता है और उसके पिता उसके साथ खड़े होकर हंसते हुए चले जाते हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने उनके चेहरे छिपाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि बच्चा इसमें शामिल था। लेकिन यह कोई मजाक नहीं है। चाहे यह बात किसी पुरुष से कही जाए या महिला से, यह गलत सोच को आम बनाती है कि महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार करना ठीक है। मुझे लगा था कि यह घटिया ट्रेंड अब खत्म हो चुका है।"

बाद में एक इंटरव्यू में मैकी ने बताया कि उन्होंने उस पिता और बेटे को रोकने की कोशिश की ताकि वे उनकी आंखों में आंखें डालकर वही बात दोहराएं, लेकिन वे केवल हंसकर अंगूठा दिखाते हुए चले गए।

उन्होंने कहा, "मुझे यह बात सबसे ज्यादा तकलीफ देती है कि एक बच्चा, जो अभी सीखने की उम्र में है, उसे यह सिखाया जा रहा है कि महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार मजाक हो सकता है। मैं उस आदमी से बस इतना पूछना चाहती हूं कि क्या तुम यह बात अपनी बेटी, बहन या मां की आंखों में आंखें डालकर कह सकते हो?"

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यह घटना सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई और इस पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने इसे "पुराना मजाक" बताकर हल्के में लिया, तो कुछ ने इसे महिला विरोधी मानसिकता की मिसाल बताया।

एक यूजर ने लिखा, "2025 में भी ऐसे मीम को मजाक समझना शर्मनाक है।" वहीं दूसरे ने कहा, "हम अपने बच्चों को यही सिखा रहे हैं कि महिलाओं के खिलाफ अश्लीलता भी हंसी-मजाक का हिस्सा हो सकती है।"

यह घटना दिखाती है कि इंटरनेट मीम्स और ट्रोलिंग की संस्कृति कैसे असल जिंदगी में असंवेदनशीलता और अशिष्टता को बढ़ावा दे रही है और इसका असर अगली पीढ़ी तक पहुंच रहा है।

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TV डिबेट में नफरत भड़काने का आरोप, राकेश सिन्हा का बड़ा खुलासा, विपक्ष ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के एक वीडियो ने राजनीति में भूचाल ला दिया है।

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Published - Monday, 20 January, 2025
Last Modified:
Monday, 20 January, 2025
RakeshSinha8745

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के एक वीडियो ने राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस वीडियो में राकेश सिन्हा ने खुलासा किया कि एक टीवी एंकर ने उनसे मुस्लिम समुदाय पर टिप्पणी करने के लिए कहा, ताकि शो की टीआरपी बढ़ सके।

टीआरपी के लिए नफरत भड़काने का प्रयास

सिन्हा ने बताया कि 2016 में एक टीवी डिबेट के लिए उन्हें फोन आया, जहां एंकर ने उनसे बहस के दौरान पैनलिस्ट से लड़ने और मुस्लिम समुदाय की टोपी-दाढ़ी पर टिप्पणी करने को कहा। एंकर ने दावा किया कि ऐसा करने से शो हिट होगा और दोनों ट्रेंड करेंगे। इसके बाद जब टीवी चैनल की गाड़ी उन्हें लेने आई, तो उन्होंने बहस में शामिल होने से इनकार कर दिया और बताया कि वे किसी काम के सिलसिले में मुंबई जा रहे हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी ने साझा किया वीडियो

शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस वीडियो को अपने एक्स अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा, "खुशी है कि राकेश सिन्हा ने सच्चाई को उजागर करने का फैसला किया। यह वीडियो मीडिया का असली चेहरा दिखाता है और यह भी कि कैसे टीआरपी के लिए सच्चाई की जगह नफरत को बढ़ावा दिया जाता है।"

'आज के भारत में मुसलमानों का भविष्य' सेमिनार में हुआ खुलासा

16 जनवरी को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित ‘नई दुनिया फाउंडेशन’ के सेमिनार में राकेश सिन्हा ने इस घटना का खुलासा किया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दिकी और राजद प्रवक्ता मनोज झा जैसे नेता भी मौजूद थे।

रणदीप सुरजेवाला का सरकार पर हमला

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस वीडियो के आधार पर केंद्र सरकार और मीडिया पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया के माध्यम से समाज में नफरत फैलाने का एजेंडा चलाया जा रहा है।

सुरजेवाला ने पूछा, "क्या जानबूझकर धर्म के आधार पर नफरत फैलाना भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत अपराध नहीं है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस इस मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे?"

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऐसे चैनलों का लाइसेंस रद्द नहीं करना चाहिए, जो नफरत फैलाने वाली बहस कराते हैं।

भाजपा और मीडिया पर मिलीभगत का आरोप

सुरजेवाला ने दावा किया कि अगर 24 घंटे के भीतर इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई, तो यह साबित हो जाएगा कि भाजपा और मीडिया मिलकर समाज में विभाजन पैदा करने का एजेंडा चला रहे हैं। उन्होंने कहा,
"क्या यह सब हिंदू-मुस्लिम विभाजन के जरिए वोट हासिल करने के लिए किया जा रहा है?"

राजनीतिक घमासान जारी

राकेश सिन्हा के इस खुलासे के बाद न केवल विपक्षी दल हमलावर हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर बहस छिड़ गई है। यह घटना भारतीय मीडिया और राजनीति के रिश्तों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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महाकुंभ में टीवी चैनल वायरल वीडियो की दौड़ में भाग रहे: ऋचा अनिरुद्ध

दुखद है कि इतने बड़े कुंभ में मीडिया का सारा ध्यान एक आईआईटी बाबा और एक इंफ्लूएंसर साध्वी पर आकर रुक गया है। क्या महाकुंभ में कुछ और नहीं है?

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 20 January, 2025
Last Modified:
Monday, 20 January, 2025
mahakumbh

प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 44 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। इस बीच सोशल मीडिया पर महाकुंभ में आये कुछ लोगों के वीडियो बड़े वायरल हो रहे हैं।

आईआईटी बाबा के नाम से जाने जा रहे अभय सिंह और हर्षा रिछारिया महाकुंभ में खूब वायरल हो रहे हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि क्या महाकुंभ सिर्फ वायरल वीडियो की खोज के पीछे ही सिमट कर रह जायेगा?

उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, दुखद है कि इतने बड़े कुंभ में मीडिया का सारा ध्यान एक आईआईटी बाबा और एक इंफ्लूएंसर साध्वी पर आकर रुक गया है। क्या महाकुंभ में कुछ और नहीं है? टीवी चैनल भी बस वायरल वीडियो की दौड़ में भाग रहे हैं। यही चैनल पहले टीआरपी की दौड़ में भाग रहे थे। दुखद है।

आपको बता दें, इन दिनों सोशल मीडिया पर एक ‘खूबसूरत साध्वी’ हर्षा रिछारिया खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। सोशल मीडिया पर हर्षा को महाकुंभ की ‘सबसे खूबसूरत साध्वी’ भी कहा जा रहा है।

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